आचार्य प्रशांत और प्रेमजीत सिरोही में कौन कितना सही? अभय सिंह चेंज इंडिया से चर्चा

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • साथियों इस महान कार्य में आपका हार्दिक स्वागत है| प्रेमजीत सिरोही जी ने एक ऐसी सम्पूर्ण व्यवस्था का निर्माण किया है, जिसके द्वारा हम, सबके जीवन को सभी आयामों में सुखी कर सकते हैं| चाहे वो शिक्षा नीति हो या रोज़गार नीति हो, चाहे सुखसुविधा नीति हो या संरक्षण नीति हो या विदेश नीति हो| बात आधिभौतिक की हो, आधिदैविक की हो या आध्यात्मिक की हो| एक शब्द में बोले तो सम्पूर्ण जीवन के सम्पूर्ण सुखों को देने वाली व्यवस्था का निर्माण किया है| लोग अपनी इच्छा का जीवन जी पाएं .लोग जीवन का आनंद उठा पाएं, सारी सुख सुविधा उनको मिल पाए इसके लिए धन आदि की जरूरत नहीं रह जाएगी| इस नीति के कारण हम सभी लोगों का भविष्य पुरी तरह से सुरक्षित और सुखी हो जायेगा| फिर किसी को भी भविष्य की चिंता नहीं सताएगी| क्योंकि जिनका वर्तमान सुखी नहीं होता उनका भूतकाल ख़राब होता है और जिनका भूतकाल ख़राब होता है उनको भविष्य की चिंता हमेशा लगी ही रहती है| और आप समझ सकते हैं कि जिनका जीवन सुखी नहीं होता उनके दूसरों के साथ सम्बन्ध भी मधुर नहीं हो सकते|
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Комментарии • 59

  • @amiyavlogsandknowledgemisc9409
    @amiyavlogsandknowledgemisc9409 Месяц назад +3

    Part 3) देखा जाए तो, समाज में इतना बटवारा था की बाकी सारा कसर धर्म में निभाया, जैसे जाति के आधार पर बंटवारा करना, जो लोग समर्थवान थे उन लोगों को एक ऊंची जाति का दर्जा दे दिया गया, उन लोगों को भगवान का सबसे नजदीक का बना दी गई और इस तरीके से जाति का बंटवारा हुआ, ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र, इस तरीके से चार जातियों में विभाजित कर दिया गया और इनमें भी कई सारा और भी विभाजन होते गए! और जब ऐसा प्रक्रिया होगा, तब इन्हीं को पूजता था, नीचे के वर्ग का लोग और धर्म के आधार पर स्वीकृति यह मिलता था की वही लोग सबसे ज्यादा सुख शांति में रहेंगे और उनको देना भी चाहिए, क्योंकि वह भगवान की सबसे नजदीक वाले व्यक्ति हैं, इस तरीके से उच्च वर्ग में रहने वाले लोगों को काफी सारा संसाधनों से भर दिया गया और इनका खान-पान रहन-सहन चिकित्सा व्यवस्था, बहुत कुछ मिलता था और इसीलिए इनका मानसिक और शारीरिक विकास लंबे समय से चलता गया! क्योंकि धर्म के अनुसार उच्च वर्ग में वही लोगों को स्थान दी गई जो शुरू से ही मतलब 50,000 सालों से ही समर्थवान थे और उनको अभी और ज्यादा मजबूती मिली धर्म के आने के बाद, और यहां यह निश्चित कर दिया गया जो लोग समर्थवान हैं मतलब जो उच्च वर्ग से आते हैं, वह लोग आपस में ही शादी कर सकते हैं, दूसरे जाति से शादी करना धर्म के विरुद्ध है, इस तरीके की बात जोड़ करके एक लंबी प्रक्रिया चला विकास का और यह लोग अपने मजबूती इस तरीके से पाया की साधारण बाकी व्यक्तियों के मुकाबले यह लोग काफी आगे निकल गए! तो यह जो सारे कारनामा हुआ यह तो हमने किया, बाकी सारे विकास कुछ भौगोलिक क्षेत्र के वजह से होता है, जैसे कोई पहाड़ी के इलाके के लोग वहीं के लोगों के साथ ही शादी होता था और उनको लोग उस तरीके की संघर्ष को लेते हुए, वहां का गुणधर्म को साथ लेकर के चलते हुए, उनका गुणधर्म आगे की पीढ़ी में ट्रांसफर होता और इस तरीके से लोगों का विकास होता गया, जो रेगिस्तान में रहने वाले व्यक्ति थे उनका भी इस तरीके से विकास हुआ, जो मैदानी क्षेत्र में तो उनका कुछ अलग तरीके से विकास हुआ, तो इनमें आप पाएंगे कि अगर आप पश्चिम से पूर्व की ओर चलें, तो आप भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से लोगों का लंबाई किस तरीके से घटता गया और ऐसे ही विकास क्रम चला तो भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से किसी का विकास बहुत तेजी से हुआ, किसी का थोड़ा कम, तो यह तो प्राकृतिक विषय है, लेकिन कुछ विषय हमने धर्म के नाम पर तैयार की या फिर हमारे चैतन्य शक्ति हमें समर्थवन के तरफ आकर्षित करता है क्योंकि शुरू से ही हमको यह पता था कि, हम ऐसी व्यवस्था के अंदर हैं जहां डर की माहौल है और तब ऐसा कोई हमारे पास तरीका भी नहीं था की व्यवस्था से डर का जो माहौल हो उसको न्यूट्रलाइज किया जा सके, तो फिर हमने डर के कारण हम समर्थवन के तरफ आकृष्ट होते गए, और बाकी रही कसर तो धर्म ने पूरा कर दिया, जाति के आधार पर बांटते हुए, इस तरीके से पूरी विकास चक्र चला, यहां आत्मा कहां बीच में आ रहा है? कुछ हिस्सा आदमी ने तय किया, कुछ प्रकृति ने तय किया, बीच में आत्मा कहां से आ गया?

  • @user-vm2go4sz3w
    @user-vm2go4sz3w Месяц назад +3

    प्रेमजीत सिरोही जी की बाते अभी तक में हुए सभी बुद्धजीवियों से आगे की है। वजह सिर्फ इतनी है कि प्रेमजीत जी को अभी जानने वाले कम लोग है। और ज्यादातर लोग इतने नासमझ होते है कि किसी भी नई बात की महत्त्वपूर्णता तभी मानते है जब किसी को फॉलो करने वालो की अधिक भीड़ हो। और उनसे भी गए बीते वे लोग होते है जिन्हें किसी की बात तब अधिक महत्त्वपूर्ण लगती है जब वह जीवत ही न रहे। जिंदा आदमी की जिंदा बात, तथ्यपूर्ण बात किसी को कम ही नजर आती है। जिस कारण से वे जीवंत, सृजित चीज नही देख पाते साथ ही ऐसे भी लोग होते है जो ये देख सके पहचान सके कि है कौन पहले से अधिक बेहतर व सृजन। आज जो प्रेमजीत सिरोही जी की बाते लोगो को समझ नही आ रहे देर ही सही लेकिन यह स्पष्ट है जिस दिन प्रेमजीत सिरोही जी की बाते अधिक से अधिक लोगो तो पहुँचेगी तब भारत ही सम्पूर्ण विश्व हिल जाएगा उनकी बातो को विचारने के लिए।
    आज मेरे कई मित्र मुझसे नाराजगी जता रहे है कि सचित तुम प्रेमजीत सिरोही के साथ होकर गुमराह हो रहे हो। और ऐसा नही है कि यह पहली बार किसी ने कहा हो हर 2-3 साल बाद जब भी में पैटर्न में अपडेट या सृजित होता हूँ लोग मुझे ऐसा ही कहते है लेकिन स्पष्ट तौर पर कह दूं कि मुझे प्रेमजीत जी से बहुत कुछ मिला है इसके प्रति में धन्यवाद से भरा हूँ और मेरे चाहे कितने भी करीब दोस्त हो वे मुझे छोड़ सकते है विदाई ले सकते है। लेकिन प्रेमजीत सिरोही मेरे लिए मेरी आध्यात्मिक यात्रा कोहनूर की तरह है जिसकी कीमत में समझता हूँ वे मुझे मुफ्त उपलब्ध हुए और कई लोग मुफ्त ही उनसे बात करते है लेकिन वे कभी नही कहते कि फ्री ज्ञान नही ले सकते आप। मैं उनसे जितना चाहिए वह सबकुछ ज्ञान ले भी लू जान भी लूँगा और जरूरत भी न रहे आगे तो इसका अर्थ यह नही कि बकवास है वे बल्कि इसका अर्थ है अगर मेरी यात्रा व सृजन आगे बढ़ा तो उसे आगे भी पहुचाओ। और सदा उनका शुक्रगुजार रहेगा। कुछ लोग बहुत देर सवेर समझ आते है। आज जो मेरी सोच को लेकर जो भटका हुए कहा रहे है ठीक ऐसे ही एक दिन लोग आचार्य प्रशांत जी को लेकर कह रहे थे। जबकि उन्हें अभी यह समझ नही आया कि आचार्य प्रशांत की सही बात को सही व गलत बात को गलत कहता हूँ पर लोग पक्ष व विपक्ष की मान्यता से मुझे देखते है।
    आचार्य प्रशांत का देश मे डंका बजा अब प्रेमजीत सिरोही जी का समाज मे डंका बजेगा फर्क सिर्फ इतना होगा कि प्रेमजीत सिरोही बाते नही बल्कि समाज का नक्शा ही बदल देंगे तब हर तरह का व्यक्ति अपने स्वभाव को जी सकेगा और एक शानदार जीवन होगा जहा अस्वाभविक प्रक्रियाएं बन्द होगी पृथ्वी फूल की तरह खिल जाएगी और यह खिलना इतना बड़ा रूप लेगी की पृथ्वी ही नही अन्य ग्रहों में भी इसका विस्तार जाएगा जरूरत है सिर्फ लोगो को यह समझने की उन्होंने जो समाज के मॉडल बनाया है वह समाज के लिए कितना प्रक्टिकल है यह समझ पाने की।
    Sachit Awasthi .........✍️

  • @amiyavlogsandknowledgemisc9409
    @amiyavlogsandknowledgemisc9409 Месяц назад +2

    Part 5) मुख्यतः महत्वपूर्ण यह है कि, आनंद में रहना। अगर व्यवस्था में कोई डर और भय का माहौल का एहसास ना हो, तो फिर इंसान अपने पास पहली बात तो यह संचय करने की बात सोचेगा नहीं, दूसरी बात यह है कि, इंसान जब पूर्ण तरीके से अपना प्रकृति के हिसाब का खाना अगर उसको मिल जाए, जैसे कोई 12 रोटी खाने वाला व्यक्ति उसको 12 रोटी मिल जाए या दो रोटी खाने वाला व्यक्ति को दो रोटी उसको मिल जाए, अगर दोनों ही स्थिति में उसका पेट भर जाए, तो फिर आगे की प्रक्रिया के बारे में क्यों सोचेगा? कि मुझे इतना संचय करना है! और दो रोटी खाने वाला व्यक्ति 12 रोटी खाने वाले व्यक्ति से क्यों जलन महसूस करेगा? जब वह दो रोटी खाकर पेट भर गया है, तब कोई कितना खा रहा है इससे क्या फर्क पड़ता है, खुद से आप जांच करके देखिए! जब नहीं मिलता है, जब वह भूखा पेट रहता है, तभी वह दूसरे के बारे में सोचता है, कि देखो भाई कोई 12 रोटी खा रहा है और मुझे एक भी नहीं मिल रहा है, मतलब मेरा पेट ही नहीं भरा! जब आप ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण हो ही गया है, कुछ प्रकृति के कारण, कुछ हमारे अज्ञानता के कारण, की कोई बहुत ज्यादा दुर्बल पैदा हो गया, कोई बहुत ज्यादा समर्थवान पैदा हो गया, अब ऐसी स्थिति में लोगों का व्यक्तित्व अभी अलग-अलग हो गया है, अब इसके आधार पर जिसका व्यक्तित्व जैसा है, जिसका स्वभाव जैसा है, जिसका प्राकृतिक गुणधर्म जैसा है, उसको वैसे जीने का मौका मिले, तब ऐसी स्थिति में कोई भी परेशानी खड़ा ही नहीं होगा। शुरुआत में आत्मा एक ही था, तो बाद में जाकर के आत्मा अलग-अलग तरीके से डेवलप हुआ, तो यह जो डेवलप होने का प्रक्रिया है, यह तो कुछ प्राकृतिक घटना से प्रभावित हुआ, कुछ हमारे अज्ञानता से प्रभावित हुआ, इस तरीके से कोई कम डेवलप हुआ कोई ज्यादा डेवलप हुआ, तो बीच में आत्मा का क्या रोल है? यहां आत्मा ने खुद तो खुद को डेवलप नहीं किया, यहां बाहरी जो फैक्टर हैं वह जिम्मेदार हैं, डेवलप होने की प्रक्रिया को बूस्ट देने के लिए! अब यहां मैं जो समर्थवन शब्द का प्रयोग किया और दुर्बल शब्द का प्रयोग किया, कि इंसान कुछ ऐसे होते हैं, तो बोलने का मतलब इतना है कि, पुराने व्यवस्था और अभी के मौजूदा व्यवस्था और पुराने दर्शन के आधार पर, जिसको बहुत ज्यादा मूल्य दिया जाता है, उसके अनुसार मैं बोला हूं!

  • @ranjankumarpati9854
    @ranjankumarpati9854 23 дня назад +1

    ❤❤

  • @amiyavlogsandknowledgemisc9409
    @amiyavlogsandknowledgemisc9409 Месяц назад +2

    Part 6) देखिए अभय सर क्या बोल रहे हैं, बोल रहे हैं कि, ज्ञान के केंद्र से ही उसका डेवलपमेंट तय किया जाएगा, मतलब आचार्य प्रशांत जी का बात और इनका बात लगभग एक सा ही है कि, यह सारे व्यक्ति ज्ञान के केंद्र से ही चलते हैं, और ज्ञान के केंद्र से ही मूल्य तय करेंगे, और इसके आधार पर ही व्यवस्था को सही करने की बात करेंगे, और सबको ज्ञान तक ले जाने की बात करेंगे, जबकि सबका रुचि ऐसा नहीं है पर यह लोग इस चीज को समझ ही नहीं पाते! अभय सर का कहना है की आत्मा का जो अर्थ उन्होंने दिए हैं वह है कि, एक एनर्जी एक ऊर्जा, मतलब शुरू में सारे ऊर्जा एक ही जैसा था, पर किसी का डेवलपमेंट होता गया और कोई बहुत बहुत आगे बढ़ गया, कोई पीछे रह गया और ऐसे इनके बातों से लगता है कि यह आत्मा ने ही इच्छा की, कि कौन सा आत्मा को बहुत जल्दी डेवलप होना है और कौन सा आत्मा को नहीं होना है, मतलब कौन सा आत्मा बहुत आलसी है, अगर इस हिसाब से बोला जाए तो! अगर ऐसा है तो, वहां से फैक्टर बीच में आना नहीं चाहिए, जैसे अलग-अलग तरीके का व्यक्ति का आपस में संभोग करना और भौगोलिक जलवायु, भौगोलिक अवस्था, भौगोलिक स्थिति, मिट्टी का तरीका, भौगोलिक आधार पर खान-पान, वहां का मिट्टी का गुण, ऐसे ना जाने कितने फैक्टर मौजूद हैं तो बीच में यह सब आना नहीं चाहिए, अगर सचमुच आत्मा ही सारे कुछ निर्धारित करता है तो! मतलब इनका कहना है की, ग्रोथ तभी माना जाएगा जब व्यक्ति ज्ञानी हो! और जो शारीरिक वाला काम करेगा या थोड़ा कम ज्ञानी का काम करेगा, उस किस्म का इंसानों के वजह से ही पूरा धरती का विनाश हो रहा है, पूरा प्रकृति तहस-नहस हो रहा है, इसीलिए साइंटिस्टों से पूरा पृथ्वी भर देना चाहिए और वही लोग पूरा पृथ्वी को सुंदर और सुखद बनाएगा, मतलब इंसान हो तो उनके जैसा, नहीं तो किसी का जीने का कोई अधिकार ही नहीं है, क्योंकि यही प्रकार के लोग ही ग्लोबल वार्मिंग और प्रकृति का विनाश के लिए उत्तरदाई हैं, ऐसा इनका मानना है!

  • @ruleoflaws
    @ruleoflaws Месяц назад +1

    हमें तुलना की आवश्यकता नहीं हैं... बस हमें इन दोनों के कुछ अच्छे तत्वों को चुन ना हैं.....जो सार्वभौमिक हों, समाज और मानवता उपयोगी हों....

  • @amiyavlogsandknowledgemisc9409
    @amiyavlogsandknowledgemisc9409 Месяц назад +2

    Part 1) आप दोनों के बीच वार्तालाप बहुत-बहुत शानदार रहा और यहां से कुछ कुछ जानकारी और निखर करके सामने आया। बहुत ही जबरदस्त और उत्कृष्ट बात सब तक पहुंचा, आप दोनों के वार्तालाप से सबको समझने में आसानी होगी। अभय सिंह सर को और गुरुदेव प्रेमजीत सिरोही जी को मेरा प्रणाम।🙏🪔❤️
    अभय सिंह सर का यह कहना है की, कोई व्यक्ति जो वर्तमान समय में बहुत प्रतिभाशाली हैं और समाज में उनका बहुत उच्च स्थान है, जैसे कोई महान या बड़ा खिलाड़ी हो या फिर कोई लीडर हो या फिर कोई बड़ा वैज्ञानिक हो या फिर ज्ञानी व्यक्ति हो, तो इनका मानना है की, जो इस किस्म का व्यक्ति होते हैं वह यूं ही नहीं हो गए हैं, वह अपने प्रतिभा को डेवलप करते हुए आ रहे हैं अतीत से, मतलब उनका जो वर्तमान शरीर है और उस शरीर में जो उनके आत्मा है, वह आत्मा डेवलप होते-होते कैरी फॉरवार्ड हुए हैं अभी उनके रूप में, ऐसा उनका मानना है! इसका मतलब उनका कहने का आशय यह है की, जो आत्मा होते हैं किसी एक प्रकार के व्यक्ति का, जैसे मान लेते हैं कि कोई एक वैज्ञानिक का जो आत्मा है, वह एक प्रकार का है और वह आत्मा अपने अंदर आदिकाल से डेवलप करते-करते वैज्ञानिक तक पहुंचा है और इससे पूर्व वह कुछ और था, जो एकदम शुरू की अवस्था है वहां इसका शून्य अवस्था था, मतलब डेवलपमेंट बिल्कुल ना के बराबर हुआ था और जैसे वह आगे बढ़ा और उसको अनुकूल स्थिति मिला, तो वह अपने अंडर डेवलप करते गया और यहां तक आकर के पहुंचा, और आगे का इस प्रकार की आत्मा का प्रगति इस तरीके से होगा की जो वैज्ञानिक आज कोई खोज 35 या 40 वर्ष उमर के बाद उसने किया, पर हो सकता है कि यही खोज अगले जन्म में वह 15 साल में ही कर लिया होता, ऐसा ही कुछ इनका कहना था! इसका मतलब इनका यह कहना है कि, शुरू में सारे आत्माएं एक जैसे ही थे और फिर बाद में कोई कुछ बहुत जल्दी डेवलप होने लगे, एक अनुकूल स्थिति को प्राप्त करके, या फिर इनका कहने का उद्देश्य यह भी हो सकता है की, आत्माओं में भिन्नता होता है और उसकी इच्छा के ऊपर है की, वह कितना जल्दी डेवलप होने का इच्छा रखता है, उसके आधार पर उसका डेवलपमेंट निर्भर करता है! अब आते हैं कि, क्या सारे कुछ निर्धारित आत्माओं के ऊपर आधारित होते हुए होता है या फिर यहां कुछ इंसानों के एक दूसरे के इच्छाओं के ऊपर एक दूसरे के साथ मिलावट होते हुए है? जब दो शरीर एक हो रहा है, जब संभोग की स्थिति में एक दूसरे के क्रोमोसोम की मिलावट से उत्पन्न जाइगोट(zygote) से ही तो अगला शरीर का जन्म लेता है, और इसमें दोनों का अर्जित गुणधर्म जो अगले पीढ़ी में ट्रांसफर होता है और इस तरीके से विकास की प्रक्रिया चलता है और उस आधार पर चेतन कितना डेवलप होगा यह निर्भर होता है! अब यहां अगर आत्मा की बात होती तो इसका मतलब मात्र शरीर का ही धारण वह करता, और एक अलग सा चेतन शक्ति होता, मतलब यहां भी आप शरीर से चेतन को अलग कर दे रहे हैं, की चैतन्य सत्ता कुछ अलग होता है!

  • @AnkitKumar-bh9qp
    @AnkitKumar-bh9qp Месяц назад +2

    प्रेमजीत सिरोही सर बहुत ही लॉजिकल पर्सन हैं।😊

  • @gursharansinghgursharansin8027
    @gursharansinghgursharansin8027 Месяц назад +2

    THANKS 🙏🌍💖👌

  • @amiyavlogsandknowledgemisc9409
    @amiyavlogsandknowledgemisc9409 Месяц назад +2

    Part 2) आप अपने बेटे का शादी, किसी पिछड़े हुए ऐसे गरीब और बदसूरत लड़की से करवा कर दिखाइए और फिर उससे जो बच्चा उत्पन्न होगा वहां भी तो विकास आपके बेटे के आत्मा से ज्यादा डेवलप होना चाहिए, पर वास्तव में देखा जाएगा की इसके जैसे डेवलप वह बच्चा नहीं भी हो सकता है या और ज्यादा कमजोर भी डेवलप हो सकता है, दोनों ही स्थिति हो सकता है पर बहुत उन्नत किस्म का चेतना नहीं होगा, जैसे मान लेते हैं एक उन्नत किस्म का शरीर के साथ अगर संभोग होता या फिर आपके बेटे के जैसे ही कोई हाइब्रिड वर्ग का लड़की के साथ अगर संबंध होता, अगर बहुत सुंदर और लंबी शरीर वाली लड़की के साथ अगर संभोग की स्थिति होता, तो वहां से जो भी बच्चा पैदा होता उसका जो गुणवत्ता होता चैतन्य शक्ति का, पहले वाले स्थिति से ज्यादा जरूर होता, मेरा कहने का मतलब यह है! तो आप करके दिखाइए और फिर हम देखेंगे, क्या ऐसा होता है कि नहीं! पर, पता है ऐसा आप करेंगे नहीं। बुरा मत मानिएगा, मैं बस एक उदाहरण लिया, ऐसा करने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं! हमने बहुत कुछ ऐसे ही विकास को रोक दिए हैं, हम खुद के अज्ञानता से इस तरीके से चीजों को गलत तरीके से व्यवस्थित किए हैं, कि बहुत लोगों का विकास बहुत धीमी हो गया है! जैसे पुराने समय से होते ही आ रहा था की, जो समर्थवन है वह समर्थवन के प्रति ही आकृष्ट होता था, और यह लंबी प्रक्रिया जब चला, तब यह विकास चक्र होते-होते इस तरीके से आगे पहुंचा की, एक नई प्रजाति निकाल करके सामने आया, जो काफी ज्यादा भिन्न और उन्नत किस्म का निकले। और जो दुर्बल है वह बाध्य होते हैं दुर्बल के साथ ही जाने के लिए, अगर इसके जगह समर्थवन और दुर्बल में क्रॉस ब्रीडिंग होता तो फिर यह समाज में एक संतुलित स्थिति का जन्म देता, फिर भी यह संपूर्ण समाधान तो नहीं होता लेकिन वर्तमान स्थिति से तो बेहतर ही होता और इस तरीके से समाज में एक बड़ी व्यवधान की निर्माण होता है और यह प्रावधान चेतना ने ही किया है, इसी तरीके से समाज में वही लोग राज करते थे दुर्बल के ऊपर जो समर्थवान है, और यह सारे लोग एकत्रित होते थे और इनका शक्ति कई गुना ज्यादा था और दुर्बल इनको पूजना ही बेहतर समझता था, क्योंकि अगर इनके द्वारा उनको पूजा जाएगा तभी उनसे कुछ मिल सकता है और इस तरीके से गुलामी का लंबा श्रृंखल तैयार होता था! और पुराने समय पर किसी तरीके से व्यवस्था को सही किया जाए इसके ऊपर किसी का खास कोई चिंतन था नहीं और वैसे भी उस समय उतना विचार करने में कोई समर्थ भी नहीं था! इसलिए यह प्रक्रिया बहुत समय से चला और जो बलवान था वह और बलवान होते गए और जो दुर्बल था वह और दुर्बल होते गए!

  • @yogianand3563
    @yogianand3563 Месяц назад +3

    आचार्य प्रशांत जी महान व्यक्ति है, जबकि प्रेमजित सिरोही एक सामान्य व्यक्ति है.....

    • @ManojKumar-vb7qh
      @ManojKumar-vb7qh Месяц назад +2

      आचार्य प्रशांत महान कैसे हैं?

    • @teamfire247
      @teamfire247 Месяц назад +3

      Aap yeh kis aadhar par bol rahe hain yeh bhi sapasst karen

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      ​@@teamfire247iska adhar NHI j
      Ye aande pgle h 😅😅😂😂😅😅😅

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад +1

      Kyaa mhaan?🤔

    • @lokendra01
      @lokendra01 Месяц назад

      ​@@ManojKumar-vb7qh
      आचार्य प्रशांत आज विश्व में आध्यात्मिक-सामाजिक जागरण की सशक्त आवाज़ हैं। वेदान्त की प्रखर मशाल, अंधविश्वास व आंतरिक दुर्बलताओं के विरुद्ध मुखर योद्धा, पशुप्रेमी व शुद्ध शाकाहार के प्रचारक, पर्यावरण संरक्षक, युवाओं के पथप्रदर्शक मित्र - किसी भी तरह उन्हें पुकारा जा सकता है।

  • @parashuramgautam3236
    @parashuramgautam3236 Месяц назад +2

    Jis ka prasar kiya ja raha kya jangalo ko bachane ke liye aage aaye hain kabhi bhi.
    MP CHHATISGADH jharkhand
    Uttrakhand ASAM MEIN pedh Kate ja rahe hain

  • @Change_India
    @Change_India Месяц назад +1

    Change India supports Premjeei Sirohi Ji for his efforts to achieve social transformation. He is more practical whereas Acharya Prashant is more theoretical and against life..

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      NHI
      Wo antinatalist ko zydaa ..NHI bolte h
      Achrrya ji
      Kabhi Kabhi bole hai ....

  • @user-be2zr7zi1c
    @user-be2zr7zi1c Месяц назад +4

    आचार्य जी सबको समझा रहे है और आप तर्क कुतर्क करते हो इससे betar yeh hota ki aap aapne bichar logo ko समझाते

  • @ranjankumarpati9854
    @ranjankumarpati9854 23 дня назад

    Shivji to aise hi baat kahate Hain koi chuta nahin koi bada nahin sab ek saman hai sab ek barabar hai sab manushya abhi se lekar ant Tak Anand hi chahta hai

  • @geetapatel546
    @geetapatel546 Месяц назад +1

    Namskaar premjeet sir

  • @itsoneman
    @itsoneman Месяц назад +1

    रेगिस्तान में कोई नही रहता
    सब बाहर के गाँव में रहते हैं और वहां भी केरल के जंगल से कम oxygen होती है

  • @bhikammeena259
    @bhikammeena259 Месяц назад

    Prem Ji acharya Ji ke samne aa gye discussion me bahut Maar padegi .....(baataon se/ facts se)

    • @ulmhindi
      @ulmhindi  Месяц назад

      ठीक है आचार्य प्रशांत जी से चर्चा की व्यवस्था करवाइए। कहीं ऐसा ना हो कि यह मार उनको पड़े।

  • @Inner.divinity
    @Inner.divinity Месяц назад

    Sirohi ji, Achary Prashant recently ek video clip mein kahte hai " jo sahi dard sah nahin sakte, unka jeevan vyarth jaega "...eska samikshya kijiye..sahi ya galat dard kya hota hai !..

    • @ulmhindi
      @ulmhindi  Месяц назад

      जी उसका लिंक भेज दीजिएगा मेरे नंबर पर

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      Ek bgt taa .. Aapne read kya usko
      Yhi pe
      Wo bolaaa ....
      Dukh aniwaryaa h
      😮
      Ye h acharyaa ke chele😮
      Aur bolaa budbahaaa.. mahaa purush BHI bole h
      Dukh h
      Kyaa hi bole unko

  • @bharatisingh5579
    @bharatisingh5579 Месяц назад +1

    Acharya Prashant is talking on teachings in vedanta and world's other philosophies. He does not claim himself to be a gyani or enlightened person. He says right understanding of srimad bhagwat geeta is the solution of world's all problems.
    I am learning about from Srimad bhagwat geeta and what I am understanding as of now based on that regarding "kaun kitna sahi" I take as:
    kaun- I, Aham, mujhe
    kitna sahi - Jo bhi mujhe sansar ke beech mei rah kar bhi anandit aur santust rahan sikha de wahi sahi aur shubh hai.
    One has to see his/her actions not others.
    Premjeet ji claims to give a new philosophy and solution to the world , "sampurna samadhan" as I understood here. I do not find any reason to talk about Prashant sir here. I think Acharya Prashanth name just used here to gain more views.
    Discussion topic should be how premjeet ji philosophy is different than Bharat shatdarshan and worlds other philosophies.

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      Premji ... System ki BAAT kre h ❤

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      Gita yaa koi bhi
      Kitne year SE hai ... Log ke pass
      Aaj tak kyaa hua
      Nothing
      Aaap aao .... Live aur discussed kre 🎉❤

  • @SunilkumarYadav-v3v
    @SunilkumarYadav-v3v Месяц назад +1

    😅😅😅 mlb kuch bhi

  • @lokendra01
    @lokendra01 Месяц назад

    आचार्य प्रशांत आज विश्व में आध्यात्मिक-सामाजिक जागरण की सशक्त आवाज़ हैं। वेदान्त की प्रखर मशाल, अंधविश्वास व आंतरिक दुर्बलताओं के विरुद्ध मुखर योद्धा, पशुप्रेमी व शुद्ध शाकाहार के प्रचारक, पर्यावरण संरक्षक, युवाओं के पथप्रदर्शक मित्र - किसी भी तरह उन्हें पुकारा जा सकता है।

  • @premanandanath1743
    @premanandanath1743 Месяц назад

    Acharya prasant ko badnam Krna cahte nai pawge

  • @EFIlist-Anti-NATALIST
    @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

    50 M hogye uske
    😅😅😅
    Kyuki log aande mukrhh h
    😊😊😊😊
    Kalpnik khaniyaa.....lov ko good lgtaa h ...
    Aur ... Dramam...ki afeemm....kaa nashaa miltaa h
    Log ko
    Isloye ... Subscribe h
    😁😁😁😁😁

  • @shivamsingh6958
    @shivamsingh6958 Месяц назад

    Ye ashant bahut hi ashant prani hai 😂😂

  • @dbguha
    @dbguha Месяц назад

    Ye naye baba, philosopher, banna chahta hai, jaise ponga pandit logon ko kuchh bhi bak kar mahan scientist banta rahta hai.

  • @EFIlist-Anti-NATALIST
    @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

    7:10
    Koi prsasngtiktaaaa NHI
    Vebd kigitasitaaki kiski BHI holy scriptures ki drshnn ki
    🤭🤭🤭. Aande vkt...ab pglaa jange😅😅😅😅

  • @EFIlist-Anti-NATALIST
    @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

    13:30
    Bas krdii
    Pglo walkj baaat ...
    😅😂😂😂😅😅😅
    Kaunsa scientific me ...purvbaatmaa..
    H
    Nonsense😅😅😅😅

  • @prabanth1461
    @prabanth1461 3 дня назад

    Jhute..tere sabse purana video youtube pe 8 saal purana he..bol raha he 2020 se suru kiya he.

    • @ulmhindi
      @ulmhindi  3 дня назад

      लोगों के बीच जाना शुरू किया 2020 से उसके पहले यूट्यूब पर तैयारी चल रही थी लेकिन हम लोग शेयर नहीं करते थे। तो लोगों के बीच जाना शुरू किया है 2020 से यह कहा है। इसमें क्या झूठ है?

    • @prabanth1461
      @prabanth1461 3 дня назад

      @@ulmhindi to shuru to 2015 se kiya tha na jhute..bass tumhare baat ko kisi ne yakin nehi kiya..baat khatam

  • @AnilMaurya-vk6es
    @AnilMaurya-vk6es Месяц назад

    Acharya prashant ek gapodi h .
    Sirohi ji ek tarkik darshnik h.

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      😅
      Mrudayda rkhe thofi
      Gullu😊😊😊 bole j

    • @bappadas5436
      @bappadas5436 Месяц назад

      Are ja ja tu coolfi chus .kaha se ate hai yeh log😂😂😂

    • @EFIlist-Anti-NATALIST
      @EFIlist-Anti-NATALIST Месяц назад

      ​@@bappadas5436
      Ishver Ka anshh h
      Log 😅😅😅😅