भेड़ का आदमी हो जाना | कविता पाठ: शिव कुमार सूर्य

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  • Опубликовано: 2 ноя 2024

Комментарии • 14

  • @ankushmanhas1314
    @ankushmanhas1314 4 месяца назад

    वाह वाह❤❤❤❤
    क्यों पहाड़ों की छाती में प्रेम के झरने सूख रहें हैं।
    क्यों दिल से दिल तक के पुल टूट रहें हैं
    क्यों खड़ा हो रहा है ख़ून ख़ून के खिलाफ़ ।
    कहीं ना कहीं यह पंक्तियां एक गहन चिंतन में सोचने के लिए मजबूर करती है और आज के युग को इंगित।।

    • @shivkumarsuryavlogs
      @shivkumarsuryavlogs  4 месяца назад +1

      पसंद करने के लिए शुक्रिया। हर्ष हो रहा है कि आपने कविता की प्रत्येक पंक्ति को आत्मसात किया। आभार। स्नेह बनाए रखें।

  • @veenasharma8442
    @veenasharma8442 4 месяца назад

    उत्तम

  • @viscoskateboard
    @viscoskateboard 4 месяца назад

    Zabrdast kavita shiv kumar ji
    Very very nice !

    • @shivkumarsuryavlogs
      @shivkumarsuryavlogs  4 месяца назад

      पसंद करने के लिए धन्यवाद संता सिंह जी🙏💐

  • @brucekent7442
    @brucekent7442 4 месяца назад +1

    Nice Sir mai aapka Ambic unboxing video dekh kar yaha aaya hu.

    • @shivkumarsuryavlogs
      @shivkumarsuryavlogs  4 месяца назад

      आपका हार्दिक स्वागत 👍स्नेह बनाए रखें।

  • @PradeepKapoor-ms3sd
    @PradeepKapoor-ms3sd 4 месяца назад

    Beautiful.

  • @satrangijani5714
    @satrangijani5714 4 месяца назад

    bhut sundr ji. 🙏❤

  • @himachalfruitskullu8092
    @himachalfruitskullu8092 4 месяца назад

    Kya baat Sir Ji