करण वर्मा को भाजपा को खुश करने में लगा रहता हैं । कितना भी नाग रगड़ ले भाजपा कुछ भी नहीं देने वाली । लक्ष्मण यादव और रवि कांत जी को भारतीय समाज और संविधान की गहरी समझ है ।
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
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दलित पिछड़े ओ बी सी मूलनिवासियों और आदिवासियों को अपने समाज के मनुवादियों को पहचानने की बुहत ज़रूरत है जैसे चिराग़ पासवान रामदास आठवले गुरु प्रकाश ओमप्रकाश राजभर जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के सी त्यागी मायावती आदि 👈
सारे के सारे नेता या कहु पार्टियां अवसरवादी हे l परिस्थिति देख कर राजनीति करती हे l सत्ता लोभ, पुत्र मोह, एक दुसरे पर लांछन, चोरों, माफियाओं को पनाह देना, मुफ्त का खाना खिलाना, बेरोजगारी को नजरअंदाज करना, पीड़ितों का पैसा हड़प लेना, आदि आदि अराजकता के कारण हे l सभी के लिए धर्म छडी हे l येन केन भावनायें भड़काना, देश के संसाधनो से खेलना इनकी आदत बन गई हे l देश के उत्थान के लिए प्रबल इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती हे न कि स्वार्थ से परे कदम उठाकर सत्ता सुख भोगना l
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
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ED CBI और IT का सामना करना बाक़ी है. हालात बदलेंगे जज़्बात बदलेंगे जब बदल जायेंगे सत्ता. समय बदलता है ये हर किसी को समझना चाहिये. समय कभी भी एक जैसा नहीं रहता. 🫡🇮🇳 जय हिंद
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Extremely relevant and and enlightening conversation Ashu It was especially nice listening to ravikant sir and Pro Yadav. Karthikeya remains a personal favourite. Regards to all.
Congratulations for your dianamic program and analysis Rahul simbolises TRUTH Highly Educated and kind hearted Jan Nayak Rahul should be the next Prime Minister Congratulations my Blessings 🙏🙏🙏🙏🙏
Now boldness is being exposed What about vision of Railway Minister who shouts in parliament and declines to share responsibility of frequent. Where now has gone justification on lateral recruitment of Rail And law Minister has gone.
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
@Ashutosh, Today's was a phenomenal debate - 1. Selection of panel couldn't have been more balanced 2. Coincidentally Three PhDs very rare 3. The views expressed by panelists very rooted and strong 4. Your questions and shepherding the debate world class Kudos !!!
मेरे सगे बहनोई यादव हैं और महाराजा अग्रसेन स्कूल के प्रिंसिपल हैं उन्होंने कभी नहीं बताया कि obc होने के कारण उन्हें डिस्क्रिमिनेशन का शिकार होना पड़ा...जॉब भी उनकी 2015 में लगी...लक्ष्मण जी को पता नहीं ऐसा क्यूँ झेलना पड़ गया...
Sub contracting is source of corruption. What has happened to Raghuram & talent from abroad. Policy is the key. Talent is leaving country only N. R. I. are left in the country,
आदरणीय आशुतोष जी, सत्य हिन्दी का कार्यक्रम बहुत रूचिकर और ज्ञानिनस्तत्वदर्शिनः होता है। जब आर. एस. एस. के पाखंडियों के पाखंड को खण्ड खण्ड करना हो या किसी भी सार्वजनिक सामरिक सामाजिक समरसतानुकूल विचार विमर्श करना हो तो आदरणीय प्रोफेसर अपूर्वानंद जी को बुलाया करें अपूर्वानंद जी की भाषा एवं भाषाशैली भाषा ज्ञान बहुत विद्वत पूर्ण सरलतम सराहनीय है। हम सब उनका सम्मान करते हैं। शुभकामनाएँ शुभ स्नेह सर्वंशुभम्।।
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Dr. LAXMAN JEETA JAGTA EXAMPLE HAI PATARNAKA. UNIVERSITY DIDN'T MAKE PERMANENT EVEN THOUGH HE SERVED SI MANY YEARS AS PROFESSOR BECAUSE OF RSS VICE CHANCELLORS.
Holly Gotam Buddha was from royal family later he change himself and the public. Rahul ji may be change himself from the past. We should accept not question his past.
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Thankfully, Ashutosh, mentioned what was boiling in my mind since I heard Karan Verma's opinion. Yes, we are still a country, which gives priority & preference to what lineage we are we are born into.
A very good discussion and india needs more reforms for participation of all in all fields there is nothing wrong in rahul gandhi changing his stand and if that is hypocrisy tgen what can we call Narendra Modi. Politics will always be played but when we have a dependable govt we will have scope for churning
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Dear Verma , I don’t agree with you on your example of Mr Gandhi supporting lateral entry of army officers / personnel to para military / Capf is out of malice as I don’t believe that Mr Verma unaware is that army officer are UPSC qualified . Point is , will Govt take official from Adani /Ambani .? Will you declare how many laterally entry are from backward class and how many are swarns . How many came from interest groups of corporates and how many returned to parent corporate after fulfilling their mandate? How many served Govt services till age if retirement?
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Ashutosh ji, the discussions you host are very engaging & I thank you for that. I would like to suggest by bringing to your attention that the pitch at which your guests speak and the pitch at which your voice is broadcast is much louder. Most of us listen to your show on our mobiles using headphones & the change of pitch is not only discomforting but possibly can damage the ear drums.
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Lateral entry is directly giving policy favors to big corporations and sell govt assets to cronies. They are not of calibre of Manmohan Singh, Montek Singh, Dr Kalam or Kurien. This is big scandal
Never know Adani's PA is made Mining Secretary or Shipping or Surface Transport Secretary. Modi hai to Mumkin hai. Much depends on how it is implemented. We have example of corrupt Madhavi Puri Buch, and brilliant Dr. Raghuram Rajan.
Respected Ashutosh Sir it is lower quality News. As much as literacy of India in SC ST And OBC will increase, the Game of RSS And BJP will be over in very short Time.
Nice to see first time in the history of media discussion that panel representing SC OBC Minority and upper caste panelists😜🤪 वरना आज तक पाँच panelists में मिश्रा, त्रिपाठी, पांडे, द्विवेदी, और पाठक होते थे। और अंत में सब गोल मोल हो जाता था😂😂
आदरणीय महोदय इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं। मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है। मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है। सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं। और एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है। सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है। मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है। अवधूत जोशी
Lateral Entry may be a Good Idea. However much depends on how it is Executed. Who knows tomorrow, Adani's PA will be appointed as Mining Secretary and Ambani's PA will be appointed as Finance Secretary. Modi hai to Mumkin hai.
अनुभव तो निचले स्तर से मेहनत करते करते आती है जो आमजन की परेशानियों को जानते हैं निचले स्तर पर देखते हैं कि कैसे काम होता है जो लोग तैयारी करते करते रहते हैं उनको निचले स्तर आम जनता का कोई सरोकार नहीं रहता है वह अपना केवल अपने जीवन स्तर को और अच्छा करने और तिजोरी में पैसा भरने की कोशिशकरते हैं उनको गरीबों के दर्द से कोई वार्ता शुरू कर नहीं रहता है
पिछले छह सात साल मे 62-65 पद है लॅटरल एंट्री से तो उसे 13% , 7.30% एस सी एस टी कोटा में वर्गीकृत करे ,और साथ में ओबीसी को भी जोड दे.तो कितने आरक्षित पद खा गये.
२०१९ से हर साल अबतक करीब 347 लेटरल एंट्री से आईएएस बनाए जा चुके हैं बिना रिज़र्वेशन के , इन सबको भी हटाया जाए या फिर तुरंत रिज़र्वेशन के हिसाब से एससी ओबीसी एसटी के लोगो को भी नियुक्ति होनी चाहिए।
All specialised jobs are being out sourced.Under this condition advisors have no role to play. Comparision with lateral recruitment of Manmohan Singh and Ahluwalia is uncalled far.
Ashutosh ji, the Indian Nazi Party has only one aim and you know that very well, the Nazis and feudal castes will always be on the same side, thanks for a good discussion on the real issue
Sirjee ye jo aap logon ki batenhain padhe likhe logon jaisi hain Lekin hamari satta par Certified JAHIL KABIZ hain ,,sabhi sansthano par JAHILIET KABIZ hai is par KAM KAREN jinka jo kam hai!
My nephew at the age 22, after graduating in law, decided to migrate overseas. His rationale - he will not get into judicial services on his own merit - all or almost postings are done at behest of RSS.
करण वर्मा को भाजपा को खुश करने में लगा रहता हैं । कितना भी नाग रगड़ ले भाजपा कुछ भी नहीं देने वाली । लक्ष्मण यादव और रवि कांत जी को भारतीय समाज और संविधान की गहरी समझ है ।
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
प्रोफेसर रविकांत, सबा जी और लक्ष्मण जी ने शानदार पॉइंट दिए, मजा आ गया
जय भारत जय संविधान
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
डॉ लक्ष्मण यादव आपका विश्लेषण शानदार है और आपके तारक अकाट्य है । यह यह आपकी गहन समझ बूझ व्यापक अध्ययन और विवेक को प्रदर्शित करता है
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
डॉ. लक्ष्मण यादव जी ने वर्मा जी का सटीक जबाब दीये है l
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
श्रीमान आशुतोष जी आपकी स्पष्टवादिता निडरता बुद्धिमत्तापूर्ण पत्रकारिता को शत् शत् नमन।
Second answer about lateral entry by Dr Laxman yadav was so apt, Perfect explanation and questions raised.
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Dr Laxman kamaal ki baat ki h aap ne👍👍👏👏👏
Very good discussion
कार्तिकेय भी प्रच्छन्न भाजपाई है। ये क्यों लैटरल ऐंट्री के विरोधी होंगे। ऐसे लोगों से होशियार रहना चाहिए।
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
दलित पिछड़े ओ बी सी मूलनिवासियों और आदिवासियों को अपने समाज के मनुवादियों को पहचानने की बुहत ज़रूरत है जैसे चिराग़ पासवान रामदास आठवले गुरु प्रकाश ओमप्रकाश राजभर जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के सी त्यागी मायावती आदि 👈
सारे के सारे नेता या कहु पार्टियां अवसरवादी हे l परिस्थिति देख कर राजनीति करती हे l सत्ता लोभ, पुत्र मोह, एक दुसरे पर लांछन, चोरों, माफियाओं को पनाह देना, मुफ्त का खाना खिलाना, बेरोजगारी को नजरअंदाज करना, पीड़ितों का पैसा हड़प लेना, आदि आदि अराजकता के कारण हे l सभी के लिए धर्म छडी हे l येन केन भावनायें भड़काना, देश के संसाधनो से खेलना इनकी आदत बन गई हे l देश के उत्थान के लिए प्रबल इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती हे न कि स्वार्थ से परे कदम उठाकर सत्ता सुख भोगना l
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
जो लोग ऐसे सिस्टम के लाभार्थी हैं, उनको इसमें कोई बुराई नजर नहीं आयेगी
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
करण गोदी वर्मा अपने बारे मे कांमेनंट पढ़ें लोगों की आपके बारे में क्या राय है कुतर्क देने से बचिए इसी में देश की भलाई है।
Jabardast analysis by prof ravi and luxmi
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
માનનીય પ્રો.રવિકાન્ત સર, ડો. લક્ષમણ યાદવ સર, સબા જી એ ખૂબ જ સરસ વિશ્લેષણ કરીયું આશુતોષ સર જી ને પ્રણામ.
रवींकांत साहब ग्रेट डायलॉग सही बात, सबा नकवी जी ने भी बहुत शानदार जवाब दिया।
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
ED CBI और IT का सामना करना बाक़ी है.
हालात बदलेंगे जज़्बात बदलेंगे जब बदल जायेंगे सत्ता.
समय बदलता है ये हर किसी को समझना चाहिये. समय कभी भी एक जैसा नहीं रहता.
🫡🇮🇳 जय हिंद
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
नरेन्द्र मोदी जैसे बात बात पर "बैकफ़ुट" पे जा रहे हैं, खतरा है कि वोह "हिट विकेट" आउट न हो जाएं।
Very much possible
Ab tou Naidu or Nitish say request kar kay time kat raha hai MAHA MANAV 😂😂
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Ashutosh sir, I SALUT YOU ❤🌹 Awesome analysis 👍🏼
Dr. Lakshman Yadav is very articulate in his arguments ❤
Madhvi Buch is an example of Lateral entry.
Thanks
Your community is helpful in protecting democracy. Thanks
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
भारत मैं धर्म की राजनीति कभी ख़त्म नहीं होगा… 15 साल रही…
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Dr.Laxman neh Karan ka achhe Bajaj.
Karan bjp spokesperson ka muh dekhne laik hai.
Befitting reply given to Karan spokesperson.
Karan bahoot bada andhbhakt kick him out from debate
Extremely relevant and and enlightening conversation Ashu
It was especially nice listening to ravikant sir and Pro Yadav.
Karthikeya remains a personal favourite.
Regards to all.
Congratulations for your dianamic program and analysis
Rahul simbolises TRUTH
Highly Educated and kind hearted Jan Nayak Rahul should be the next Prime Minister Congratulations my Blessings 🙏🙏🙏🙏🙏
रविकांत जी आप सही बात कह रहे हैं
लेटरल इंट्री का परिणाम था नोटबंदी, कृषिकानून, इलेक्टोरल बांड, पुलवामा , पी एम केयर फंड, सेबी वाली महारानी माधवी बुच
True debate pro.Laxaman Yadav, pro. Ravikant ji ko naman.
Now boldness is being exposed What about vision of Railway Minister who shouts in parliament and declines to share responsibility of frequent.
Where now has gone justification on lateral recruitment of Rail And law Minister has gone.
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Bahut sahi debate
A very good idea of Dr Layman Yadav ji, jo already lateral entry se appoint kiye gaye, kya mahan yogdan kiya.
Karan Verma excels in whataboutery.
He spoke truths, that hurt you and you named it whataboutery.
@@villegelifeexplorer while he doesn't know what the truth is, how could he reveal the truth ? 🤣🤣🤣🤣
Prof. Ravi Kant U have very nicely explained the requirement of reservation, highly appreciable
@Ashutosh, Today's was a phenomenal debate -
1. Selection of panel couldn't have been more balanced
2. Coincidentally Three PhDs very rare
3. The views expressed by panelists very rooted and strong
4. Your questions and shepherding the debate world class
Kudos !!!
Ravikant sar bilkul sahi kaha hai
Very right conclusion by Ashutosh
मेरे सगे बहनोई यादव हैं और महाराजा अग्रसेन स्कूल के प्रिंसिपल हैं
उन्होंने कभी नहीं बताया कि obc होने के कारण उन्हें डिस्क्रिमिनेशन का शिकार होना पड़ा...जॉब भी उनकी 2015 में लगी...लक्ष्मण जी को पता नहीं ऐसा क्यूँ झेलना पड़ गया...
Enlightening debate indeed. A near perfect panel to speak on this sensitive issue. Kudos to the anchor.
Sub contracting is source of corruption. What has happened to Raghuram & talent from abroad. Policy is the key. Talent is leaving country only N. R. I. are left in the country,
You are agreat journalist Professer Sahab. You are telling true.
आदरणीय आशुतोष जी, सत्य हिन्दी का कार्यक्रम बहुत रूचिकर और ज्ञानिनस्तत्वदर्शिनः होता है। जब आर. एस. एस. के पाखंडियों के पाखंड को खण्ड खण्ड करना हो या किसी भी सार्वजनिक सामरिक सामाजिक समरसतानुकूल विचार विमर्श करना हो तो आदरणीय प्रोफेसर अपूर्वानंद जी को बुलाया करें अपूर्वानंद जी की भाषा एवं भाषाशैली भाषा ज्ञान बहुत विद्वत पूर्ण सरलतम सराहनीय है। हम सब उनका सम्मान करते हैं। शुभकामनाएँ शुभ स्नेह सर्वंशुभम्।।
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
In this panal only dr laxman And ravikant are good person good explain
Dr. LAXMAN JEETA JAGTA EXAMPLE HAI PATARNAKA.
UNIVERSITY DIDN'T MAKE PERMANENT EVEN THOUGH HE SERVED SI MANY YEARS AS PROFESSOR BECAUSE OF RSS VICE CHANCELLORS.
Wah wah Ravi kant ji wah,wah
Thanks!
Salute to Satya Hindi
इस परिचर्चा के लिए बधाई!
Holly Gotam Buddha was from royal family later he change himself and the public. Rahul ji may be change himself from the past.
We should accept not question his past.
Prof. Ravikant should have been given a chance to clear his point at the end. Don’t close the debate unresolved.
Karan ji is absolutely right, give a thought.
Prof. Ravikant. 👍🏽💖
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Saba is wrong.
Unhone Rahul ko dalit nhi banaya balki savarno ne unko dalit ki tarah bana diya tha, ye kaha hai unhone.
Good morning sir! 🕊
Just listening for dr. Laxman saab
Thankfully, Ashutosh, mentioned what was boiling in my mind since I heard Karan Verma's opinion. Yes, we are still a country, which gives priority & preference to what lineage we are we are born into.
Excellent journalists. Rahul Gandhi sir educated great truth
शानदार जानकारी
A very good discussion and india needs more reforms for participation of all in all fields there is nothing wrong in rahul gandhi changing his stand and if that is hypocrisy tgen what can we call Narendra Modi. Politics will always be played but when we have a dependable govt we will have scope for churning
Aap ka program bilkul satya hota hai than you sir lage raho
Very fruitful & informative debate
Why TDP think UPSC selected candidates are not talented ?
Who should ask this question ?
Incompetence cannot be made competent by giving booster of political support , wealth and money .
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Dear Verma , I don’t agree with you on your example of Mr Gandhi supporting lateral entry of army officers / personnel to para military / Capf is out of malice as I don’t believe that Mr Verma unaware is that army officer are UPSC qualified . Point is , will Govt take official from Adani /Ambani .? Will you declare how many laterally entry are from backward class and how many are swarns . How many came from interest groups of corporates and how many returned to parent corporate after fulfilling their mandate? How many served Govt services till age if retirement?
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Ashutosh ji, the discussions you host are very engaging & I thank you for that. I would like to suggest by bringing to your attention that the pitch at which your guests speak and the pitch at which your voice is broadcast is much louder. Most of us listen to your show on our mobiles using headphones & the change of pitch is not only discomforting but possibly can damage the ear drums.
I solute u prof Ravi kant
बहुत ही सटीक और ज्ञानदायक चर्चा आसुतोशजी 🙏🙏🙏
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Lateral entry is directly giving policy favors to big corporations and sell govt assets to cronies. They are not of calibre of Manmohan Singh, Montek Singh, Dr Kalam or Kurien. This is big scandal
Never know Adani's PA is made Mining Secretary or Shipping or Surface Transport Secretary. Modi hai to Mumkin hai.
Much depends on how it is implemented. We have example of corrupt Madhavi Puri Buch, and brilliant Dr. Raghuram Rajan.
laxman said it so right.
Lakshman ji ! Inhe ye Baat bahut khalti hai ke ye harivansh aadibaasi aur OBC ke afsaron ko Haath jod kar salam karen.
Naqbi mam sahi kaha garib hi hard work karte है
Dr Yadav is spot on 👍
Respected Ashutosh Sir it is lower quality
News. As much as literacy of India in SC
ST And OBC will increase, the Game of
RSS And BJP will be over in very short
Time.
Karan verma Sanghi 😢😆😆😆
The rest of them are Congressi sympathisers.
Nice to see first time in the history of media discussion that panel representing SC OBC Minority and upper caste panelists😜🤪 वरना आज तक पाँच panelists में मिश्रा, त्रिपाठी, पांडे, द्विवेदी, और पाठक होते थे। और अंत में सब गोल मोल हो जाता था😂😂
आदरणीय महोदय
इस पैनल में एक भी व्यक्ति सच्चा साक्षर नहीं है। मैं सिर्फ़ उन्हें ही दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मेरी राय उन सभी पैनलिस्ट के लिए भी है जो एनडीए सरकार की नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भी पढ़े-लिखे अनपढ़ हैं।
मैं ही एकमात्र सच्चा साक्षर व्यक्ति हूँ।और निश्चित रूप से मेरा संदर्भ हमारे देश में हजारों वर्षों से चली आ रही जाति/धर्म व्यवस्था है।
मेरी राय में, धर्म और जाति व्यवस्था को सही तरीके से समझने में पूरा देश अक्षम है। करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म महान है और करोड़ों लोगों के लिए हिंदू धर्म सबसे बुरा है। और अगर ऐसा है, तो दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। क्योंकि सभी के पास अपनी राय बनाने के लिए सबूतों का एक ही स्रोत है।
सबसे वैज्ञानिक निष्कर्ष यह है.......संभावनाएँ इस प्रकार हैं। 1) जो लोग हिंदू धर्म को महान समझते हैं, वे गलत हैं। 2) जो लोग हिंदू धर्म को सबसे बुरा समझते हैं, वे गलत हैं। 3) सभी गलत हैं।
और एक वैज्ञानिक सत्य है।
ऐसी स्थिति हर जगह समस्याएँ पैदा कर रही है। इसलिए इस विवाद को सुलझाना देश और इस देश के लोगों के हित में है। जो समय की इस आवश्यकता को समझता है, वही योग्य, सच्चा बुद्धिमान, बुद्धिजीवी और साक्षर व्यक्ति है। और मुझे 2012 से खुद को भारत का सबसे बुद्धिमान और सच्चा साक्षर व्यक्ति होने का दावा करने में कोई संकोच नहीं है। और एक अद्वितीय व्यक्ति। क्योंकि 2012 से मई 2022 तक मैंने जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करने में मेरी मदद के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। लेकिन सरकार ने मेरी बात अनसुनी कर दी है।
सरकार इस मामले में राष्ट्र की मूर्खता का आनंद ले रही है।
मैं सभी सच्चे पढ़े-लिखे लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें। मैंने इतिहास को भी शामिल किया है। क्योंकि जाति/धर्म व्यवस्था के संघर्षों ने इतिहास के बिल्कुल विपरीत संस्करणों के साथ हमारे इतिहास को सड़ा दिया है।
अवधूत जोशी
Let all students read in Goverment schools, eat same food and have same accommadation.
karan verma ne sahe kaha bjp ke supporter naraz hote hai jab bjp aesa koi decision wapas lete hai jisse reform hoo
jaise karan verma naraz hoo rahe hai waise aur bhi bjp supporter bhi naraz honge ..
Very nice and interesting conversation
देश को साफ रखना भी देश का विकास होता है। उसमे भी मेरिटोरियस को भाग लेना चाहिए।
Ravikant ji aapane Satta ke sath sab ki kalai khol de awesome ST SC OBC ke sath anyay Kiya ja raha hai
Laxman ji bahut badiya
Right
Lateral Entry may be a Good Idea. However much depends on how it is Executed. Who knows tomorrow, Adani's PA will be appointed as Mining Secretary and Ambani's PA will be appointed as Finance Secretary. Modi hai to Mumkin hai.
समय के साथ पार्टी जनहित के नये विचार विकसित नही करेगी तो देश आगे नही बढ सकेगा।
What a debate ❤️❤️✌️✌️
Good job sir 🎉
अनुभव तो निचले स्तर से मेहनत करते करते आती है जो आमजन की परेशानियों को जानते हैं निचले स्तर पर देखते हैं कि कैसे काम होता है जो लोग तैयारी करते करते रहते हैं उनको निचले स्तर आम जनता का कोई सरोकार नहीं रहता है वह अपना केवल अपने जीवन स्तर को और अच्छा करने और तिजोरी में पैसा भरने की कोशिशकरते हैं उनको गरीबों के दर्द से कोई वार्ता शुरू कर नहीं रहता है
ऐसा लगता है की kartikeyan इस देश में नही रहते है। वह यह नही कह सकते की पिछले 10 साल में देश की जनता का केया भला हुआं है ।
पिछले छह सात साल मे 62-65 पद है लॅटरल एंट्री से तो उसे 13% , 7.30% एस सी एस टी कोटा में वर्गीकृत करे ,और साथ में ओबीसी को भी जोड दे.तो कितने आरक्षित पद खा गये.
२०१९ से हर साल अबतक करीब 347 लेटरल एंट्री से आईएएस बनाए जा चुके हैं बिना रिज़र्वेशन के , इन सबको भी हटाया जाए या फिर तुरंत रिज़र्वेशन के हिसाब से एससी ओबीसी एसटी के लोगो को भी नियुक्ति होनी चाहिए।
All specialised jobs are being out sourced.Under this condition advisors have no role to play. Comparision with lateral recruitment of Manmohan Singh and Ahluwalia is uncalled far.
मोदी जी जब withdraw करते हैं तो स्वामी जी बनकर करते हैं जैसे इसको लाते समय मोदी जी हिमालय की कंदराओं है ध्यान मगन थे
Good news
Ashutosh ji, the Indian Nazi Party has only one aim and you know that very well, the Nazis and feudal castes will always be on the same side, thanks for a good discussion on the real issue
Sirjee ye jo aap logon ki batenhain padhe likhe logon jaisi hain Lekin hamari satta par Certified JAHIL KABIZ hain ,,sabhi sansthano par JAHILIET KABIZ hai is par KAM KAREN jinka jo kam hai!
My nephew at the age 22, after graduating in law, decided to migrate overseas. His rationale - he will not get into judicial services on his own merit - all or almost postings are done at behest of RSS.
जय भारत
सही विश्लषणं
Brilliant debate. Sanghi people do not deserve Modi special treatment.
कर्णवा laxman जी के एक बात का जवाब ठीक से नही दिया है बस सड़े संतरे की तरह बदबू कर रहा है