शिव सदाशिव और शंकर में क्या अंतर हैं | ब्रह्मा विष्णु और शिव के माता-पिता कौन हैं | परमेश्वर कौन हैं

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  • Опубликовано: 5 ноя 2024

Комментарии • 22

  • @Bharaturao-jm1tr
    @Bharaturao-jm1tr 8 месяцев назад +5

    सत्यम शिवम सुंदरम

  • @JayshreeKrishna-nk3zg
    @JayshreeKrishna-nk3zg 9 месяцев назад +4

    Krishna he pram vagban hai ❤

    • @PROXENJIT
      @PROXENJIT Месяц назад +2

      Tumhara gyan toh adhura hai

    • @akhilmishra3765
      @akhilmishra3765 9 дней назад +1

      वही जो जन्म मरण के चक्र में बंधे हुए हैं बार-बार अवतार होते हैं और मृत्यु को प्राप्त होते हैं समय से बंधे हुए हैं वाह जबकी भगवान शिव कभी अवतार नहीं लेते हैं उनके अंश अवतार होते हैं वह भी जन्म से चिरंजीवी अर्थ अमर होते हैं शिव के बिना उनकी मृत्यु असम्भव है

  • @arpitdadhich7375
    @arpitdadhich7375 9 месяцев назад +1

    Om nmhe sivaai😘😘🥰😘jai shree mahakaal😘🥰😍😘jai shiv pitaji😘🥰😍😘 jai shree Narayan😘🥰😍😘 jai Mata di😘🥰😍😘

  • @guddugujjar8665
    @guddugujjar8665 17 дней назад

    Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @सत्यसनातन369
    @सत्यसनातन369 5 месяцев назад +3

    शिव कहो या सदाशिव या शंकर एक ही हैँ एक ब्रह्माण्ड के संहार करता शिव के रूप को ही शंकर कहा गया है और एक ब्रह्माडो के अंदर त्रिदेवो को प्रकट करने वाले शिव के रूप को ही शिव कहा है जो ज्योतिस्वरुप और अर्धनारेश्वर रूप मे ब्रह्मा को दर्शन दिए थे और शिव का वह रूप जो अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे है उसे ही सदाशिव कहा गया है जो शिवलोक मे पंचमुखी कहा गया है सब एक ही सदाशिव हैँ इसी प्रकार एक ब्रह्माण्ड के पालनकर्ता विष्णु को क्षीर सागर नारायण कहा गया है जिस रूप से त्रिदेव उतपन्न होते हैँ उसे महाविष्णु या आदिनारायण कहा गया है और अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे जो विष्णु हैँ उनको सत्य नारायण या परावासुदेव कहा गया है जो आदिवैकुंठ मे अस्ट भुज रूप मे हैँ इसी प्रकार देवी शक्ति, सूर्य और गणेश का भी विस्तार समझो..इसीलिए पंचब्रह्म और पंचदेव कहा गया है इनको जिस प्रकार एक ब्रह्माण्ड के कल्प महाप्रलय के बाद कभी शिव से कभी विष्णु से कभी ब्रह्मा से कभी शक्ति से कभी गणेश से कभी सूर्य से सब सृस्टि का विस्तार होता है उसी प्रकार महाकल्प के प्रलय के बाद कभी सदाशिव या आदिशिव से कभी सत्य नारायण या परावासुदेव से कभी आदशक्ति या दुर्गा से कभी महागणेश से कभी आदिसूर्य से अनंत ब्रह्माडो का सृजन होता है जिस कारण अलग अलग पुराणों मे अलग अलग सृस्टि विस्तार बताया गया है जिसे ना समझ पाने से सम्प्रदायवादी कुत्तो की तरह लड़ते हैँ
    18 पुराण हैँ जिनमे से कुछ पुराण शिव को आदिदेव कहते हैँ कुछ नारायण या हरि को कुछ शक्ति या दुर्गा को सबका आदि कहते हैँ कुछ उपपुराण भी हैँ जो सूर्य और गणेश को आदिदेव कहते हैँ 😎 इनको परब्रह्म कहा गया है अलग अलग ग्रंथो मे परब्रह्म और परमब्रह्म मे भी लोग भर्मित हो जाते हैँ
    परब्रह्म केवल उन शक्तियों को या ईश्वरो को कहा गया है जो त्रिदेवो और अनगिनत ब्रह्माडो का निर्माण करते हैँ
    इन्ही को पंचमुखी सदाशिव, अस्टभुज महाविष्णु,आदिशक्ति,आदिगनेश आदिसूर्य नाम से कहा गया है इन्ही से हिरण्य गर्भ की उतपत्ति और उससे विराट पुरुष का जन्म होता है जो अनंत कोटी ब्रह्माडो का निर्माण करता है और हर ब्रह्माण्ड मे वैराज पुरुष के रूप मे प्रवेश कर त्रिगुणो को ब्रह्मा विष्णु शिव रूप प्रदान करता है प्रत्येक कल्प मे कभी महाविष्णु इस प्रकृति का विस्तार करते हैँ कभी सदाशिव कभी आदिशक्ति तो कभी आदिगणेश तो कभी आदिसूर्य इसीलिए इनको परब्रह्म कहा गया है
    और इन सबको भी प्रकट करने वाले अनंत अन्य शक्तियाँ और हैँ और ये सब शक्तियां भी अनंत परमात्मा जो सर्वव्यापी है उससे प्रकट होती हैँ परमब्रह्म मात्र उसी परमात्मा को कहा जाता है सर्व रूप उसी मे विलीन हो जाती हैँ जिसका विस्तृत वर्णन पुराण समहिताओं और उपनिषद मे भी है 😎उस परमात्मा का कोई नाम नही वो अनामी है कोई रूप नही कोई परिवार नही कोई माता नही कोई पिता नही कोई पुत्र नही कोई पत्नी नही जबकि उससे उतपन्न जो भी देवता महादेवता और परादेवता हैँ सबके अपने अस्त्र और अपने परिवार होते हैँ 😎 ईश्वर भगवान मे ज्यादा अंतर नही अब चाहे देवो के देव कहो है तो देव ही या देव राज कहो वो भी है तो देव ही शिव कहो या सदाशिव कहो है तो शिव तत्व ही विष्णु कहो या महाविष्णु कहो है तो विष्णु तत्त्व ही
    परमात्मा इन सबका आदि है वो ना देव है ना महादेव है ना परादेव है वो सर्वव्यापी है भगवादगीता मे उसे क्षर पुरुष अर्थात निमित्त साकार रूप अर्थात त्रिदेव त्रिदेवीयां, वैराज पुरुष, विराट पुरुष त्रिगुनातीत साकार रूप अर्थात अस्टभुज आदिनारायण पंचमुखी सदाशिव अस्टभुज दुर्गा और इनसे परे अनंत अन्य साकार रूप जिन्हे कुछ ग्रंथो और तंत्रो मे परममहाशिव या परमसदाशिव, परमनारायण, परमआदिशक्ति भी कहा गया है उनसे भी और जो सनातन निर्गुन साकार रूप अक्षर पुरुष हैँ जिनको सृस्टियों का आदिकारण कहा गया है इनका रूप अनंत काल से वैसा ही है इसीलिए इनको अखंड कहा गया है इनका रूप इनका नाम इनका आदि अंत कोई नही जान सका इनको जानने के बाद कुछ जानना शेष नही रहता किन्तु परमब्रह्म परमात्मा इनसे भी उत्तम होने के कारण वेदो और गीता मे पुरुषोत्तम कहा गया है परमात्मा को वासुदेव कहने का अर्थ ये नही की वो कृष्ण या विष्णु को कहा गया बल्कि वासुदेव का अर्थ जो सभी देवो देवियों मे विद्यमान होके उनको शक्ति प्रदान करता है वो वासुदेव है वो अगोचर है अखंड है अनामी है अरुप है अगुण है वो निर्गुण और सगुन ओमकार ॐ राम श्याम शिव सदाशिव दुर्गा कृष्ण इन सभी परिभाषाओ से परे है उसको कोई नही जान सकता वो ना एक है ना अनेक वो तो सर्वाव्यापी अनंत है 😎

  • @rpvstatus3964
    @rpvstatus3964 Месяц назад

    Har har Mahadev har

  • @ArjunJi-ue7nl
    @ArjunJi-ue7nl 5 месяцев назад

    Har har mahadev 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕

  • @ChandanSingh-we3uq
    @ChandanSingh-we3uq 9 месяцев назад +1

    vartman bhoot v bhavisya ka.😊

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  9 месяцев назад

      पहले तो आपका दिल से धन्यवाद आपने मेरी videos देखी और उन पर कमैंट्स भी किये 🥰🥰🥰😇😇😇

    • @ChandanSingh-we3uq
      @ChandanSingh-we3uq 9 месяцев назад

      @@hridyavani108 koi baat nahi bhai ji

  • @omkarpalkar1881
    @omkarpalkar1881 9 месяцев назад +2

    Woh Param Purush narayan hain.

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  9 месяцев назад

      Both are one ❤️❤️❤️

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  9 месяцев назад

      आपने video ध्यान से नहीं देखी

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  9 месяцев назад +1

      शिव ब्रह्मा और विष्णु तीनो एक ही हैं किसी को भी बड़ा मान लो 😇😇😇