श्रीखंड कैलाश यात्रा 2024 | Shrikhand Mahadev Kailash Yatra सबसे कठिन कैलाश यात्रा संपूर्ण जानकारी |

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  • Опубликовано: 2 июл 2024
  • 26 July ke darshan
    Shrikhand Mahadev Yatra: राक्षस के डर से मां पार्वती यहां रो पड़ीं तो कहते हैं कि उनके आंसुओं से यहां नयन सरोवर का निर्माण हुआ, जिसकी एक एक धार यहां से 25 किलोमीटर नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है. कथा के अनुसार जब पांडवों को वनवास हुआ था तो वह यह रुके थे. भीम की ओर से स्थापित बड़े -बड़े पत्थर यहां मौजूद हैं.
    कुल्लू. 18 हजार फीट की ऊंचाई. 32 किमी का सफर. बीच में ऑक्सीजन की कमी और मौसम कब बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. श्रीखंड महादेव यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी कठिन है. 14 जुलाई से यह यात्रा आधिकारिक तौर पर शुरू होगी, जिसकी तैयारियां अंतिम चरण पर हैं.
    जानकारी के अनुसार, 32 किमी की पैदल यात्रा के बाद श्रीखंड महादेव पहुंचते हैं. यहां पर पहुंचने के लिए कठिन मार्ग और ग्लेशियर से होकर गुजरना पड़ता है. साथ ही इस दौरान ऑक्सीजन की दिक्कत भी पेश आती है. अमरनाथ यात्रा की तरह इस यात्रा में उतनी सुविधाएं नहीं होती हैं. इस बार रास्ता ज्यादा कठिन है क्योंकि पिछले सीजन के मुकाबले इस बार बर्फबारी और सर्दियों का सीजन लंबा चला है.
    शुरुआती कुछ किमी तक मेडिकल और भंडारे के सुविधा रहती है, लेकिन उससे आगे खुद ही इंतजाम करना पड़ता है. इस यात्रा को पूरी करने के लिए पांच से छह दिन का वक्त लगता है.
    श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान सिंहगाड़, थाचडू, नयन सरोवर, भीमडवारी और पार्वती बाग जैसे सुंदर स्थानों का पार कर श्रीखंड महादेव के दर्शन होते हैं. यात्रा से पहले पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मेडिकल चैकअप होता है. तभी आगे जाने दिया जाता है.
    पार्वती बाग से ऊपर कुछ यात्रियों की ऑक्सीजन की कमी के चलते तबीयत बिगड़ने लगती है और ऐसे में ज्यादा सांस फूलना, सिरदर्द होना, चढ़ाई न चढ़ पाना, उल्टी की शिकायत होना, धुंधला दिखना और चक्कर जैसी दिक्कत होने लगती है. ऐसे हालात में यात्री तुरंत आराम करें और नाचे की ओर उतरकर बेस कैंप में चिकित्सक से संपर्क करें. अपने साथ यात्री एक पक्का डंडा, ग्रिप वाले जूते, बरसाती, छाता, ड्राई फू्रटस, गर्म कपड़े, टॉर्च और गलूकोज जैसे सामान साथ रखें.
    मान्यता के अनुसार, भस्मासुर राक्षस ने यहां तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा, जो उन्हें ही भारी पड़ा. भस्मासुर भगवान शिव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गया था.
    राक्षस के डर से मां पार्वती यहां रो पड़ीं तो कहते हैं कि उनके आंसुओं से यहां नयन सरोवर का निर्माण हुआ, जिसकी एक एक धार यहां से 25 किलोमीटर नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है. कथा के अनुसार जब पांडवों को वनवास हुआ था तो वह यह रुके थे. भीम की ओर से स्थापित बड़े -बड़े पत्थर यहां मौजूद हैं.
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