पालीवाल ब्राह्मण और कुलधरा के इतिहास का बहुत ही सुंदर अंदाज में वर्णन करने के लिए ठाकुर साहब का कोटि-कोटि धन्यवाद🙏 स्वाभिमानी,लक्ष्मी पुत्र और बौद्धिक संपदा का धनी पालीवाल समाज राजस्थान का गौरव है । कुलधरा में खड़ीन जैसी जल संग्रहण पद्धति और बीकानेर में सैकड़ों साल बीत जाने के बाद भी वास्तु व शिल्प कला से सुसज्जित पत्थर से बनी मजबूत इमारतें इसका जीता जागता उदाहरण है । बहरी राजशाही और अत्याचारी सामंतवादी शासन वाली तत्कालीन परिस्थितियों में स्वाभिमान , संप्रभुता और स्वधर्म की रक्षा हेतु लिया गया ऐसा निर्णय न केवल उचित था बल्कि साहसिक भी था । पाली से जैसलमेर आगमन भी तत्कालीन शासकों द्वारा अनादर और अनुचित व्यवहार का ही परिणाम था। अपनी बुद्धिमत्ता और मेहनत के बलबूते पर पाली से लेकर जैसलमेर तक के सफर में इस समाज के पास धन संपदा एवं ज्ञान की कोई कमी नहीं रही। वैदिक ज्ञान की बात हो या स्थापत्य और वास्तुकला की बात हो या कि धन-धान्य और दौलत की बात हो, तत्कालीन सामाजिक परिवेश में यह समाज अपना एक अलग ही स्थान रखता था।
कुलधरा का राजस्थान के विशिष्ट इतिहास में एक महत्वपूर्ण जगह हैं| मेरे शैक्षणिक टूर के दौरान मुझे यह जगह देखने का अवसर प्राप्त हुआ| जहां पर लगे बोर्ड से मैंने इसके बारे में जानकारी प्राप्त की| इसके बारें में मैंने कई मिथ्याएं सुनी लेकिन इसके सही इतिहास से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भाटी साहब|
@@jagsharajpurohit4632 जी। पाली से निकले वही पालीवाल है तथा यह इतिहास हमारे ही समाज का है। हमारे समाज में गौत्र के अनुसार कुलदेवी जी होते हैं। हमारी गौत्र सुहाम है और कुलदेवी हिंगलाज माता है। 🙏🙏🙏🙏
@@pawanpaliwal3065 जी हम भी सिरक पालीवाल हे पर अब हम राजपुरोहित कहलाते है लेकिन खेद इस बात का हे की सिरक अलग अलग बैठे हे तो वो कुलदेवी भी अलग बता रहे कोई जानकी मा को तो कई अम्बे तो विसोत अगर आपको इसके बारे मे जानकारी हो तो मुझे व्हाट्सप् पर बताना 7665183250
यही बात आज से चालिस साल पहले बचपन में मुझे मेरे पिताजी ने सुनाई थी रत्ती भर भी उससे अलग नहीं है। हेके लौटे लुण पिणें री ऐ बात साफ सॉची है। आभार भाई साहब।
जी सर।। ऐके लोटे लुण वाली सही है जब कठोङी गांव मै ईक्कठे हुवे तब छोङने का संकल्प लिया कुछ गांव के कुछ परिवार माने नही तब समाज के पडीतो ने कहा हम नमक की आहुती यज्ञ मे लगायेंगे नमक गलता है वैसेही पिछे रहने वाले परिवार गलेगे ।।तब पुरा समाज ऐके लोटे लुण मे समलित हुवा ।ऊस समय पूरे मारवाङ क्षेत्र मे मेवासेवाणसी गोढवाङ छतिस खेङे (पोकरण फलोदी विक्रमपुर) व बिकानेर मे बचे हूवे थे ऊस समय केवल जैसलमर स्टेट के 84गाव छोङे बाकी स्टेट राठोङो के थे ।।जोसलमेर स्टेट मे पांच दस वर्ष बाद मे महाराज के कहने से कुछ गांव मे वापस बचे उनको राजा ने गांव की जागीरदारी भी दी परंतु लगभग फलीभूत नही हुई ।कन्या वाली लगभग सही नही है।। त्रुटि क्षमा ।जयसियाराम
Sethuram paliwal ji बहुत बहुत धन्यवाद। समाज सर्वोपरी। जहॉं परिवार व मान मर्यादा के साथ आदमी की आबरू ईज्जत नहीं वहॉं ये समस्याये आती है वहॉं निरंकुश अधिकारियों से बचने के लिए एकता के साथ समाज का साथ देना ही धर्म बनता है।
घणी खम्मा हुकुम आप को पालीवाल राजपुरोहित की गाथा सुनाने के लिए अपनी बेटी की लाज बचाने के लिए कुलधरा जैसे सोना चांदी से भरे पड़े गांव को छोड़ दिया उसी तरह वर्तमान में भी हम पालीवाल राजपुरोहित अपने बेटी के आन बान शान की रक्षा कर सकते हैं अपनी बेटी ही नहीं बल्कि एक भारत देश की पवित्र ऋषि-मुनियों की भूमि में रहने वाली प्रत्येक बेटी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है वह कर्तव्य आज हम भूलते जा रहे हैं यह बात विचार करने योग्य है
@@KidZManiiA bhai rajpurohit islea likhte h qki hum me raigur jaise kuch cast rajputo se nikle h qki viramdev g sonigra bhe rajpurohit ke god lea hue the unke khudke santan ni the or kuch cast brahmno se nikle hue h hamare 50% kuldevi charan kanyae h or by cultere bhe hum log alag ho gye baki hum log aaj bhe brahmn rajput or charan samaj ko apna bhai mante h ❤️
पालीवालों की कुलधरा का मान जैसलमेर के इतिहास की एक विशिष्ट कथा बताती है साथ ही हमारे पुरखों की जल को सुरक्षित करने की परंपरागत तकनीक ज्ञान का जैसे बावड़ियों का निर्माण हो, खडीन हो साथ मे नाडी तालाब ...पानी के महत्व को उजागर करती है ...#पालीवाल #जैसलमेर #truth facts about Kuldhara ..💐💐
यह बात मैने आगे भी मेरे दादाजी से सुनी है , आपने बहुत अच्छी तरह से सुनाई है मैं पालीवाल ब्राह्मणों से संबंधित होती हैं तो जरुर सुनता हूं क्योंकि मैं भी एक पालीवाल ब्राह्मण हूं । ऐसी निर्देयी घटना किसी के साथ नहीं होनी चाहिए
वंदे मातरम् जय श्री राम राम राम दीपसिंह जी आपने बहुत अच्छा बताया है ये मेंने ४ साल पहले दादा जी से सुनी में कवि तथा ज्योतिष सीख रहा हूं साथ में BA fastyearभी कर रहा हूं आपसे निवेदन है कि आप जाखङों के कुल बिग्गा जी के बारे में बताओ जिन्होंने गायों की रक्षा में प्राण त्याग दिए
पालीवालों रे साथे पदम सिंह आया और सांवरीज (पोकरण) में रेवण लागा जठे आज भी पदम सिंह जी और दमजी चौधरी री मूर्ति लगोड़ी है और मेळो लागे। और घणा कराक पालीवालों रे गांव में पदम धणी पूजिजे
विक्रम संवत 1600 यानि 5 जनवरी 1544 में जोधपुर मारवाड़ के महाप्रतापी राजा रावमालदेव के सेनानायक जैताजी व कूपाजी के नेतृत्व की सेना ने दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी के मध्य गिरी सुमेल का युद्ध हुआ था। शेरशाह सूरी की करीब 80 हजार की सेना ने सुमेल व बाबरा के पास डेरा जमाया था। इस सशस्त्र सेना की संख्या देख मालदेव युद्ध से पीछे हटने का निर्णय करते हुए अपनी सेना को लेकर जोधपुर के लिए रवाना हो गए। गिरी पहुंचने पर मालदेव के सेनानायक जैताजी व कूपाजी ने मारवाड़ के स्वाभिमान का तर्क देते हुए युद्ध से पीछे हटने से इनकार कर दिया। मालदेव को काफी समझाया गया लेकिन वे टस से मस नहीं हुए और इस युद्ध को लडने से इनकार करते हुए जोधपुर निकल गए। लेकिन जैताजी व कूपाजी स्वाभिमान की रक्षा के लिए गिरी ही रुके। मालदेव के साथ कुछ सैनिक चले गए लेकिन कुछ सैनिक जैताजी व कूपाजी के पास ही रुके। 36 कौम के सैनिकों का मिला समर्थन जैताजी व कूपाजी ने बचे हुए सैनिकों के साथ मंत्रणा की। जिसमें राजपूत सहित 36 कौम के सैनिकों ने इस युद्ध का समर्थन किया। युद्ध में जैताजी कूपाजी सहित 36 कौम के 8600 सैनिकों ने संघर्ष करते हुए शेरशाह के 35 हजार सैनिकों को मार गिराया। जैताजी और कूपाजी का अदम्य साहस देख शेरशाह सूरी को ये कहना पड़ा कि वह मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली की सल्तनत खो देता। Manvendra Singh Rathore Th. Giri
हम आपसे हाथ जोड़कर विनती करते हैं दीप सिंह भाटी जी कि आप हमारे पालीवाल समाज के जो भाई बंधु है वह रक्षाबंधन क्यों नहीं मना रहे उसके बारे में भी एक वीडियो बनाएं
गिरी सुमेल का युद्ध [ War Of Giri Sumel ] इतिहास के पन्नों पर आज भी अलग पहचान रखता है। वजह भी है कि इस युद्ध में मारवाड़ के उन सपूतों की संघर्षमयी कहानी का चित्रण है जिसे सुनने मात्र से ही मारवाड़ के लोगों की आंखों में गौरव की चमक उभर आती है। Manvendra Singh Rathore Th. Giri
मूलतः नन्दवाणा ब्राह्मण जो पाली से मुगलों सङ्ग वीरतापूर्ण युद्ध के पश्चात वहाँ से निकले थे वो पालीवाल कहलाए, मुझे अपने पूर्वजों की अनमोल थाति पर गर्व है। मान सम्मान हेतु प्राण देकर जीने वाली कौम है हम।
बहुत सुंदर.subedar Raghunandan paliwal kota. Hamare purvaj kuldhara ke nivasi the. Me kai bar kuldhara khamba braman kar chuka hu. Lekin es kavi ne kai naye bate kahawate batai hea. शान दार आवाज और कहने ka तरीका गजब हे। बहुत bahut धन्यवाद।
हमारे पूर्वजों ने उस कठिन समय में हमारे धर्म को अडिंग रखा और धर्म की रक्षा के लिए अपनी कुलधरा को छोड़कर दूसरी जगह बचना पड़ा इन जिहादियों का सर्वनाश कर देना चाहिए इस देश से यह भविष्य के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होंगे
Humare purvajon ko bahut pareshani huye mgr aj hum jalore our pali k kai gaavo me kul devi mataji ki kripa drishti se shan shaukat se maje me hai,mgr humare palwal gotra k kuldhara me abhishap dene k baad koi aj b jaisalmer jile me kahi nahi hai yahi iski vajah hai.
🚩पीरो कै नाम सै डर लगता है गो माता चमकती है दैवो सै मतलब है जय गोगा दैव कि राम दैव बाबा कि जय पीरो पापिओ को बाबा नै धरम का रासता दिरवाया बाबा पीर हो गयै मिया हो गयै भगवान भगवान मै फरक होता है जय राम दैव बाबा जय गोगा दैव राम राम 🚩
Kukdhara Jaisalmer is a historic tourist place. Nice story. Salam Singh Mehta was cruel minister but his beautiful Haveli is tourist place and a mile stone in the Golden city Jaisalmer Rajasthan.
Hkm mera gv baroo h Sr baru gv or bikaner ke rupawato ka jo bher sunane Ko milta h purane samay me Aapako koi iske bare me jankari ho to Jarur is par vidio banawe
पालीवाल ब्राह्मण और कुलधरा के इतिहास का बहुत ही सुंदर अंदाज में वर्णन करने के लिए ठाकुर साहब का कोटि-कोटि धन्यवाद🙏
स्वाभिमानी,लक्ष्मी पुत्र और बौद्धिक संपदा का धनी पालीवाल समाज राजस्थान का गौरव है । कुलधरा में खड़ीन जैसी जल संग्रहण पद्धति और बीकानेर में सैकड़ों साल बीत जाने के बाद भी वास्तु व शिल्प कला से सुसज्जित पत्थर से बनी मजबूत इमारतें इसका जीता जागता उदाहरण है ।
बहरी राजशाही और अत्याचारी सामंतवादी शासन वाली तत्कालीन परिस्थितियों में स्वाभिमान , संप्रभुता और स्वधर्म की रक्षा हेतु लिया गया ऐसा निर्णय न केवल उचित था बल्कि साहसिक भी था । पाली से जैसलमेर आगमन भी तत्कालीन शासकों द्वारा अनादर और अनुचित व्यवहार का ही परिणाम था। अपनी बुद्धिमत्ता और मेहनत के बलबूते पर पाली से लेकर जैसलमेर तक के सफर में इस समाज के पास धन संपदा एवं ज्ञान की कोई कमी नहीं रही। वैदिक ज्ञान की बात हो या स्थापत्य और वास्तुकला की बात हो या कि धन-धान्य और दौलत की बात हो, तत्कालीन सामाजिक परिवेश में यह समाज अपना एक अलग ही स्थान रखता था।
कुलधरा का राजस्थान के विशिष्ट इतिहास में एक महत्वपूर्ण जगह हैं| मेरे शैक्षणिक टूर के दौरान मुझे यह जगह देखने का अवसर प्राप्त हुआ| जहां पर लगे बोर्ड से मैंने इसके बारे में जानकारी प्राप्त की| इसके बारें में मैंने कई मिथ्याएं सुनी लेकिन इसके सही इतिहास से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भाटी साहब|
KHAMMAGHANI HUKAM VERY Nice HUKAM
पालीवाल ब्राह्मणों की यशोगाथा को जन जन तक पहुँचाने के लिए बहुत बहुत आभार।
पालीवाल समाज आपके इस श्रेष्ठ कृत्य को हमेशा याद रखेगा।
🙏🙏🙏🙏🙏
साब जी आप कोनसे पालीवाल हो और आप की कुलदेवी रो नाम काई है
@@jagsharajpurohit4632 जी।
पाली से निकले वही पालीवाल है तथा यह इतिहास हमारे ही समाज का है।
हमारे समाज में गौत्र के अनुसार कुलदेवी जी होते हैं।
हमारी गौत्र सुहाम है और कुलदेवी हिंगलाज माता है।
🙏🙏🙏🙏
@@pawanpaliwal3065 जी हम भी सिरक पालीवाल हे पर अब हम राजपुरोहित कहलाते है लेकिन खेद इस बात का हे की सिरक अलग अलग बैठे हे तो वो कुलदेवी भी अलग बता रहे कोई जानकी मा को तो कई अम्बे तो विसोत अगर आपको इसके बारे मे जानकारी हो तो मुझे व्हाट्सप् पर बताना 7665183250
यही बात आज से चालिस साल पहले बचपन में मुझे मेरे पिताजी ने सुनाई थी रत्ती भर भी उससे अलग नहीं है। हेके लौटे लुण पिणें री ऐ बात साफ सॉची है। आभार भाई साहब।
जी सर।। ऐके लोटे लुण वाली सही है जब कठोङी गांव मै ईक्कठे हुवे तब छोङने का संकल्प लिया कुछ गांव के कुछ परिवार माने नही तब समाज के पडीतो ने कहा हम नमक की आहुती यज्ञ मे लगायेंगे नमक गलता है वैसेही पिछे रहने वाले परिवार गलेगे ।।तब पुरा समाज ऐके लोटे लुण मे समलित हुवा ।ऊस समय पूरे मारवाङ क्षेत्र मे मेवासेवाणसी गोढवाङ छतिस खेङे (पोकरण फलोदी विक्रमपुर) व बिकानेर मे बचे हूवे थे ऊस समय केवल जैसलमर स्टेट के 84गाव छोङे बाकी स्टेट राठोङो के थे ।।जोसलमेर स्टेट मे पांच दस वर्ष बाद मे महाराज के कहने से कुछ गांव मे वापस बचे उनको राजा ने गांव की जागीरदारी भी दी परंतु लगभग फलीभूत नही हुई ।कन्या वाली लगभग सही नही है।। त्रुटि क्षमा ।जयसियाराम
Sethuram paliwal ji बहुत बहुत धन्यवाद। समाज सर्वोपरी। जहॉं परिवार व मान मर्यादा के साथ आदमी की आबरू ईज्जत नहीं वहॉं ये समस्याये आती है वहॉं निरंकुश अधिकारियों से बचने के लिए एकता के साथ समाज का साथ देना ही धर्म बनता है।
@@raghunathsinghbhatiarbala8917 सही कहा ।
यह जूलम कीसने कया
@@Chandraveerkevollg7773 salam singh mehta.
घणी खम्मा हुकुम आप को पालीवाल राजपुरोहित की गाथा सुनाने के लिए अपनी बेटी की लाज बचाने के लिए कुलधरा जैसे सोना चांदी से भरे पड़े गांव को छोड़ दिया उसी तरह वर्तमान में भी हम पालीवाल राजपुरोहित अपने बेटी के आन बान शान की रक्षा कर सकते हैं अपनी बेटी ही नहीं बल्कि एक भारत देश की पवित्र ऋषि-मुनियों की भूमि में रहने वाली प्रत्येक बेटी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है वह कर्तव्य आज हम भूलते जा रहे हैं यह बात विचार करने योग्य है
Kuldhara me rajpurohit paliwal ni the bnna m bhe rajpurohit he hu jhut na felao aap vo brahmn rawal paliwal the na ke rajpurohit
@@KidZManiiA bhai rajpurohit islea likhte h qki hum me raigur jaise kuch cast rajputo se nikle h qki viramdev g sonigra bhe rajpurohit ke god lea hue the unke khudke santan ni the or kuch cast brahmno se nikle hue h hamare 50% kuldevi charan kanyae h or by cultere bhe hum log alag ho gye baki hum log aaj bhe brahmn rajput or charan samaj ko apna bhai mante h ❤️
भाटी साहब आपको कथा कहने का तरीका वाकई में लाजवाब है। व्यक्ति के कोमल ह्रदय ❤️ को छू जाती है बात।। बहुत ही सुंदर और सही बात कही है 100% सत्य
@@dingalrasawal 1and I LOVE U I LOVE U I LOVE U I LOVE U) a17 6
@@SherSingh-cp3pj ¹9
बहुत अति प्राचीन गाँव की कुलधरा की शानदार जानकारी के लिए धन्यवाद जी हुक्म
पालीवालों की कुलधरा का मान जैसलमेर के इतिहास की एक विशिष्ट कथा बताती है साथ ही हमारे पुरखों की जल को सुरक्षित करने की परंपरागत तकनीक ज्ञान का जैसे बावड़ियों का निर्माण हो, खडीन हो साथ मे नाडी तालाब ...पानी के महत्व को उजागर करती है ...#पालीवाल #जैसलमेर #truth facts about Kuldhara ..💐💐
सर्वप्रथम नमन हमारे वीर पालीवाल समाज के हमारे पूर्वजों को
वाह सा
अति सुन्दर प्रस्तुति
आपरे बखोण सारु शब्द नी म्होरे खने
लगातार एड़ी ही कहानियों सु अवगत कराता रया
बहुत खूब 🙏🙏🙏
यह बात मैने आगे भी मेरे दादाजी से सुनी है , आपने बहुत अच्छी तरह से सुनाई है मैं पालीवाल ब्राह्मणों से संबंधित होती हैं तो जरुर सुनता हूं क्योंकि मैं भी एक पालीवाल ब्राह्मण हूं ।
ऐसी निर्देयी घटना किसी के साथ नहीं होनी चाहिए
कुलधरा री पावन माटी अर पालीवाल ब्राह्मणां री स्वाभीमानी सुं वाकिब करांण सारू
हृदय री अनंत गहराइयों सु धन्यवाद हुकम 🙏🏻
बहुत इतिहास सिंक बातचीत
पालीवाल ब्राह्मणों को बहुत दुख पड़ा था जैसाणे की धरती पर
Right hkm
#Hukam आपरे बोलने रो तरीको बोहत जोरदार हे सा
राजा महाराजाओं रा कवि वाली लचक आपमें दिखे सा
🙏जयश्री माँकरणी🚩🔱🚩अरज करूँ🙏
🙏दोआखर नजरकरूं भूलचूक माफकरे🙏
!खैङे खैङे ठीकरी, निकमी पङी निहार।
!अकदिन तपी रसौवङै,अपणी अपणी बार!!
🌻🙌शुभ आसीस भाटी दीपसाने🌻💐
🙏🙏जयदयाल रतनू घौङारण 🙏🙏
पालीवाल ब्राह्मणों के गौरवशाली इतिहास का अति सुन्दर वर्णन
दीप सिंह जी भाटी साहब बहुत ही अच्छा सुंदर कहानी आपके कोटि-कोटि प्रणाम आपको 🙏🙏और ऐसे ऐसे इतिहास सुनाते आप नमन है आपको 🙏🙏
अद्भुत कहानी मैंने पहली बार सुना 👌👍🙏
वंदे मातरम्
जय श्री राम
राम राम दीपसिंह जी आपने बहुत अच्छा बताया है ये मेंने ४ साल पहले दादा जी से सुनी में कवि तथा ज्योतिष सीख रहा हूं साथ में BA fastyearभी कर रहा हूं आपसे निवेदन है कि आप जाखङों के कुल बिग्गा जी के बारे में बताओ जिन्होंने गायों की रक्षा में प्राण त्याग दिए
पालीवालों रे साथे पदम सिंह आया और सांवरीज (पोकरण) में रेवण लागा जठे आज भी पदम सिंह जी और दमजी चौधरी री मूर्ति लगोड़ी है और मेळो लागे। और घणा कराक पालीवालों रे गांव में पदम धणी पूजिजे
Yes it's right i also see and hear about this place by my tauji
पालीवालों रे हर गांव में पूजिजे सा।
सांवरिज में भव्य मेलों लागे सा।
पदमसिंह पालीवालो के साथ नही आये थे।। ईनका भी लंबा इतिहास है।। अलग -अलग ईलाको का अलग -अलग मत है।। जयसियाराम।।
@@sethurampaliwal2821 मैंने तो खुद पालीवालों से ही सुना मुझे खुद को पक्की जानकारी तो नहीं है ।
@@fatehsinghbhati3801 पालीवालो का ही अलग- अलग मत है
विक्रम संवत 1600 यानि 5 जनवरी 1544 में जोधपुर मारवाड़ के महाप्रतापी राजा रावमालदेव के सेनानायक जैताजी व कूपाजी के नेतृत्व की सेना ने दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी के मध्य गिरी सुमेल का युद्ध हुआ था। शेरशाह सूरी की करीब 80 हजार की सेना ने सुमेल व बाबरा के पास डेरा जमाया था। इस सशस्त्र सेना की संख्या देख मालदेव युद्ध से पीछे हटने का निर्णय करते हुए अपनी सेना को लेकर जोधपुर के लिए रवाना हो गए। गिरी पहुंचने पर मालदेव के सेनानायक जैताजी व कूपाजी ने मारवाड़ के स्वाभिमान का तर्क देते हुए युद्ध से पीछे हटने से इनकार कर दिया। मालदेव को काफी समझाया गया लेकिन वे टस से मस नहीं हुए और इस युद्ध को लडने से इनकार करते हुए जोधपुर निकल गए। लेकिन जैताजी व कूपाजी स्वाभिमान की रक्षा के लिए गिरी ही रुके। मालदेव के साथ कुछ सैनिक चले गए लेकिन कुछ सैनिक जैताजी व कूपाजी के पास ही रुके।
36 कौम के सैनिकों का मिला समर्थन
जैताजी व कूपाजी ने बचे हुए सैनिकों के साथ मंत्रणा की। जिसमें राजपूत सहित 36 कौम के सैनिकों ने इस युद्ध का समर्थन किया। युद्ध में जैताजी कूपाजी सहित 36 कौम के 8600 सैनिकों ने संघर्ष करते हुए शेरशाह के 35 हजार सैनिकों को मार गिराया। जैताजी और कूपाजी का अदम्य साहस देख शेरशाह सूरी को ये कहना पड़ा कि वह मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली की सल्तनत खो देता।
Manvendra Singh Rathore
Th. Giri
बहुत दुख होता है जब कुलधरा की बात सुनता हूं क्या बीती होगी उन लोगों पर जो रातो रात 84 गांव छोड़ कर चले गए
हम आपसे हाथ जोड़कर विनती करते हैं दीप सिंह भाटी जी कि आप हमारे पालीवाल समाज के जो भाई बंधु है वह रक्षाबंधन क्यों नहीं मना रहे उसके बारे में भी एक वीडियो बनाएं
Bahut hi sunder,,,आप सच्चे राजपूत हो आपने सही को सही और गलत को गलत कहा,🙏🙏🙏
Sabhi brahman bhai ko iss chote bhai ki tarf se pranam🙏⚔️ hukum
अती सुन्दर कहानी बताई हुक्म
गिरी सुमेल का युद्ध [ War Of Giri Sumel ] इतिहास के पन्नों पर आज भी अलग पहचान रखता है। वजह भी है कि इस युद्ध में मारवाड़ के उन सपूतों की संघर्षमयी कहानी का चित्रण है जिसे सुनने मात्र से ही मारवाड़ के लोगों की आंखों में गौरव की चमक उभर आती है।
Manvendra Singh Rathore
Th. Giri
Paliwalo रो बहुत बढ़िया इतिहास बताओ
बहुत धन्यावाद पालीवाल ब्रामण समाज का सटीक इतिहास बताने के लिए
Story ekdam sahi hai ।।।❣️
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
काफी रौचक भाषा शैली है आपकी, "सालमसिंह जैसलमेर आये, लट्टु-पट्टु कर राजा रो खास दीवान बन गयो।" वाह।
मूलतः नन्दवाणा ब्राह्मण जो पाली से मुगलों सङ्ग वीरतापूर्ण युद्ध के पश्चात वहाँ से निकले थे वो पालीवाल कहलाए, मुझे अपने पूर्वजों की अनमोल थाति पर गर्व है। मान सम्मान हेतु प्राण देकर जीने वाली कौम है हम।
Thanks ।।। thanks।।।।।।।।।।
❣️❣️❣️
दिपसिहजि साने जेश्रिसा पुराणो ईतियास साकदडापालि रोभि हेसा तालाबरि पालमातेमुरतिया बतावेहेसा वोईतियास सुणासा गंगासिह कुम्पावत साकदडा
पदमसिह भोमिया जी रावलोत भाटी का इतिहास बताइए
आप दिपसिहजि आपने यादगाद बहुतहि याददगाररखोहोसा गंगासिह कुम्पावत
वा सा वा दीप सा राम जी आपने घना दिन दे...
बहुत सुंदर.subedar Raghunandan paliwal kota. Hamare purvaj kuldhara ke nivasi the. Me kai bar kuldhara khamba braman kar chuka hu. Lekin es kavi ne kai naye bate kahawate batai hea. शान दार आवाज और कहने ka तरीका गजब हे। बहुत bahut धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।जय भाणसी जूजार की।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सर
राव सिन्हा जिको पालीवाल व्यापारी कनोज से अपनी रक्षा के लिए कनोज से लाए थे इन्ही सिहा जी को राठौड़ कुल का संस्थापक माना जाता है
बहुत बढ़िया हुकम दीप सिंह जी भाटी साहब 🙏
अच्छा चैनल है आपका 👍
हमारे पूर्वजों ने उस कठिन समय में हमारे धर्म को अडिंग रखा
और धर्म की रक्षा के लिए अपनी कुलधरा को छोड़कर दूसरी जगह बचना पड़ा
इन जिहादियों का सर्वनाश कर देना चाहिए इस देश से
यह भविष्य के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होंगे
.
superb presentation + editing. keep it up.
अतिसुंदर बात पोश ।।
जय श्री कृष्णा 🙏🙏
Atti uttam bhati sahab.
ज्यादातर पालीवाल जोधपुर जिले के सैकड़ों गांओ में बस गए लवा dhadhu मोखेरी होपार्डी फलोदी आदि सैकड़ों गांव में बसे
Humare purvajon ko bahut pareshani huye mgr aj hum jalore our pali k kai gaavo me kul devi mataji ki kripa drishti se shan shaukat se maje me hai,mgr humare palwal gotra k kuldhara me abhishap dene k baad koi aj b jaisalmer jile me kahi nahi hai yahi iski vajah hai.
गजब
@@dingalrasawal tq
Rajasthan ke itihas ko bhi aapke isi andaj me padhane se partiyogi pariksha me aham sabit hogy
हकीकत री बात है लेकिन पलिवाल आपका धन कुलधरा में ही गुप्त कर के गया साथ मे
हुकम बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुंदर इतिहास की बात ह सुरतगढ से रतन लाल जोशी
Very good
एक बार राजगुरु वंश की कुलदेवी कूबड़ माता पर भी बनाना
बहुत बढ़िया सा
बहुत अच्छा इतिहास बताया हुक्म
Thanks Sir ji
बहुत ही सुन्दर बात
धोणेरी वीर मोमाजी का इतिहास भाटी साहब
Hmare purvajo ko koti koti parnam🙏🙏🚩🚩
वाह सा दीप सिंघजी, लखदाद है थाने....
आभार हुकम 🙏🏼
🚩पीरो कै नाम सै डर लगता है गो माता चमकती है दैवो
सै मतलब है जय गोगा दैव कि राम दैव बाबा कि जय पीरो पापिओ को बाबा नै धरम का रासता दिरवाया बाबा पीर हो गयै मिया हो गयै भगवान भगवान मै फरक होता है जय राम दैव बाबा जय गोगा दैव राम राम 🚩
चत~
बहुत सुंदर। जय ब्रह्म
proud to be paliwalbrahman 🙏🙏
Kuldhara. Se ab bisukalla
आपकी बाते सब सही है
बहुत सुंदर
एक बात गाला रा भोमिया जी रि हुक्म
अती सुदर कहानी
Gratitude to your sir really you have deliberated very well our ancient history thanks to you
धन्यवाद हूकूम राजसमंद मेवाड से हू
Thanks sir. This topics belong ras exam syllabus and Rajasthan tourism most place. Thanks🙏
Jai shree raghunath g hukam aapre aawaj shandar h sa❤
Jai Raghunath Ji Ri Sa
Gjb
धन्यवाद सर
हुक्म पदम सिंह भोमिया रावलोत भाटी कि कहानी बताओ वो भी जैसलमेर के थे
Sir so much thanks for your this video.
Sir aap great he
Wa very good kahta hkm
जोरदार सा
Nice good
Kukdhara Jaisalmer is a historic tourist place. Nice story. Salam Singh Mehta was cruel minister but his beautiful Haveli is tourist place and a mile stone in the Golden city Jaisalmer Rajasthan.
Very nice Hukam Pali Walon ke sath Achcha Nahin hua
सुनकर बहुत दुख होता है हमें
@@gamesround3hell164 सही बता रहे वो अन्याय था घोर अन्याय।
Jai mata ji ri hukm
जय परशुराम
बहुत बहुत धन्यावाद भाटी साहब 🙏
Very good Hukum🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jay Shri Krishna
बहुत खूब जोर दार
Thank you hukum
Share karo like Karo mitro
Thanks sir ji🙏🙏🙏🙏
Ohho ....jitu
Jay Shree Krishna
Nice.
अद्भुत 🙏🙏🙏🎉
बलजी भूरजी की बात सुणावो सा
Jai mata di Sa hkm
नमन उन वीरों को
Aap jesi kahani koi ni suna sakta pahle mere dadosa aapke Jesse sunate the
पड़ासला भोमिया जी की वार्ता सुनाओ किसके पुत्र थे और कौन सी जाति के राजपूत थे भोमिया जी
पडा़सला, भोमिया जी का नाम रघुवीर सिंह है, तथा ये मोयल राजपूत हैं🙏
नाम रघुदास था
Jai shrikrishna
💖Proud to being a paliwal boy..
Thanks sa
Hkm mera gv baroo h
Sr baru gv or bikaner ke rupawato ka jo bher sunane
Ko milta h purane samay me
Aapako koi iske bare me jankari ho to
Jarur is par vidio banawe