।।परशुरामी~लक्ष्मण परशुराम संवाद।। परशुराम-महंत ब्रह्मचारी जी।।लक्ष्मण- उदित शुक्ला ।।

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  • Опубликовано: 8 фев 2025

Комментарии • 8

  • @HarshKumar-hp3fe
    @HarshKumar-hp3fe Год назад +1

    Bahut sunder samvad,

  • @sushilartist4978
    @sushilartist4978 Год назад

    ब्रम्हचारी जी प्रणाम करना /कराना शिष्टाचार करना/कराना है।
    यह भाव ही अपने में महान है।
    परसुराम को अपनी स्थिति के बारे में सोचना चाहिये,क्योंकि आपका परिचय मुनि विश्वामित्र ने कराया हे।

  • @RamchandraAzad-p5b
    @RamchandraAzad-p5b Год назад

    अति सुंदर लीला

  • @SitaRam-qp6yw
    @SitaRam-qp6yw Год назад

    Jay shree Ram

  • @ashthajanmkundli9664
    @ashthajanmkundli9664 Год назад

    Vishvamitra ,ne jabardast mitrata nibhayi

  • @sushilartist4978
    @sushilartist4978 Год назад +1

    आदरणीय सुरेश जी के बाद भी आज ऐसा लग रहा है जैसे इस मंच भी वही उदित हो रहे हैं।

  • @sushilartist4978
    @sushilartist4978 Год назад

    यद्यपि दोनों ही अभिनेता प्रकाण्ड विद्वान हैं लेकिन परसुराम जी के वक्तव्यों में व्यवहिरकता और वैज्ञानिकता का अभाव रहा है। जितना मैं समझ पा रहा हूं।
    कटु टिप्पणी के लिये प्रभू क्षमा करें।
    जय जय श्री सीताराम जी सरकार।

  • @sushilartist4978
    @sushilartist4978 Год назад +1

    आवत हिय हरसे नहीं नैनन नहीं सनेह....दोहे का तार्किक प्रयोग प्रसंगानुकूल है, और ऐसा तर्क जैसे तुरुप का इक्का।