वाह साहेब जी आप ऐसै डाक्टर है जो सच्ची ओर कडवी दवा देते है मरीज को तुरंत फायदा होवे पर राग द्वैश से बचे तब तीनो ताप दैहिक दैविकभोतिक रोगो मे फायदा होवेसतगुरु को नमन
।।सबके कबीर।।दोहे।।कबीर तो जल है जो सबकी प्यास बुझाते है। जाति धर्म मजहब और पंथ छोड, सबके चित्त मे वस जाते है।।01।।कबीर तो हवा है, जो सबके मन को भाते है। अगडा पिछड़ा ऊंच-नीच छोड, सबको गले लगाते है।।02।।कबीर धूप भी है, छांव भी, शहर मे भी और गांव मे भी। शांत भी वाचाल भी संत भी गृहस्थ भी, कवि भी भगत भी।।03।।श्रमण संस्कृति के वाहक भी, समाज सुधारक भी। क्या अमीर क्या गरीब, क्या दूर क्या करीब।।04।।कबीर से जुडे सब तपके है, कबीर तो सबके है। साकार भी निराकार भी, सगुण-निर्गुण से परे भी।।05।।आदि मध्य अंत भी, अनादि अकाल, विदेही बेहदी भी। अखंड सारशबद की झनकार भी, अंड पिण्ड ब्रम्हांडो के उस पार भी।।06।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी 🙏🏻🌹
Jay satguru Sahib bandagi
Saheb bandagi❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤saheb ji❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
सदगुरुवे नमः साहेब बंदगी
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jay gurudev
🎉 साहेबबँदगी,अपनेजिवनमेखराउतारे
🙏🙏🌹जय गुरुदेव🌹🙏🙏
🎉साहेबबँ, आत्मा दर्शनजिवऩसुधारे
❤ Ram Ram ❤
साहेब बंदगी 🎉
Sahib bandagi
Gurudev aapke channo me sat sat naman
Dusro ka burai karne se behtar hota jo log sath hai unlogo ka jivan me nayi bahar lane ka prayas karte.
सत साहेब महागुरु को साधुवाद
𝓙𝓪𝓲 𝓰𝓾𝓻𝓾𝓭𝓮𝓿 𝓳𝓲 🙏🙏
साहेब बंदगी साहेब जी
🙏🏻🌼Saheb Bandegi saheb Ji 🌼🙏🏻
परम आदरणीय श्री रमाशंकर साहेब जी को सादर नमन करते हुए साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी एवं शत् शत् नमन करता हूं
24अवतार की बास्तविक चरचा की अति सुन्दर प्रस्तुति की संत श्री रमा शंकर साहिब जी को बहुत बधाई बंदन अभिनंदन नमन नमस्कार करता हूँ धन्यवाद🙏🙏
वाह साहेब जी आप ऐसै डाक्टर है जो सच्ची ओर कडवी दवा देते है मरीज को तुरंत फायदा होवे पर राग द्वैश से बचे तब तीनो ताप दैहिक दैविकभोतिक रोगो मे फायदा होवेसतगुरु को नमन
ओह तो गंगा स्नान तो लाखों लोग करने जाते हैं और हम भी गये थे । हमनें सोचा नहीं था की इसमें पाप पुण्य की बात होगी ।
Sadr Saprem saheb bandgi saheb
Thankyousantji
।।सबके कबीर।।दोहे।।कबीर तो जल है जो सबकी प्यास बुझाते है। जाति धर्म मजहब और पंथ छोड, सबके चित्त मे वस जाते है।।01।।कबीर तो हवा है, जो सबके मन को भाते है। अगडा पिछड़ा ऊंच-नीच छोड, सबको गले लगाते है।।02।।कबीर धूप भी है, छांव भी, शहर मे भी और गांव मे भी। शांत भी वाचाल भी संत भी गृहस्थ भी, कवि भी भगत भी।।03।।श्रमण संस्कृति के वाहक भी, समाज सुधारक भी। क्या अमीर क्या गरीब, क्या दूर क्या करीब।।04।।कबीर से जुडे सब तपके है, कबीर तो सबके है। साकार भी निराकार भी, सगुण-निर्गुण से परे भी।।05।।आदि मध्य अंत भी, अनादि अकाल, विदेही बेहदी भी। अखंड सारशबद की झनकार भी, अंड पिण्ड ब्रम्हांडो के उस पार भी।।06।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी 🙏🏻🌹
Bhut.acha
मेरे प्यारे सदगुरु देव जी की पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम आपकी चरन शिष्या अंजनी उपमा रीतु हर्षा सृषा धन्नु लाफिन खुर्द(छ० ग०)🙏🙏🙏
Lmll.llm.lĺĺĺmĺĺm.llmĺm?(÷&.
Saheb bandagi guruji