जब झूठ सुनने और झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है तब खेती बिगड़ती है

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 20 янв 2025

Комментарии • 18

  • @arunkatiyar8910
    @arunkatiyar8910 21 день назад +9

    डा0 साहब आपके विचारों को सुनता आप बहुत ही प्रेरणादायक जानकारी किसानों को दे रहे
    धन्यवाद 🎉

  • @YogendraSingh-ng6vz
    @YogendraSingh-ng6vz 20 дней назад +3

    आपके सानिध्य में प्राकृतिक खेती का अत्यन्त श्रेष्ठ ज्ञान मिल रहा है।
    बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सचान सर जी। बाराबंकी यूपी

  • @sheetalram8395
    @sheetalram8395 21 день назад +4

    Very very Good information

  • @VijaySingh-ci4hg
    @VijaySingh-ci4hg 21 день назад +3

    Bahut bhadia guruji

  • @shyamkishormishra8628
    @shyamkishormishra8628 20 дней назад +1

    बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी

  • @ashishkumar-kp6ii
    @ashishkumar-kp6ii 21 день назад +4

    श्रीमान जी, आज के इस कलयुग में सब रावण है, सब को नोट चाहिए

  • @ShailKumari-rv9ix
    @ShailKumari-rv9ix 20 дней назад +3

    आप तो सही बता रहे है कलयुग वाले समझ सके तो अच्छा है

  • @kumudranjankumar6301
    @kumudranjankumar6301 19 дней назад +1

    आपके जैसे वयक्ति के सानिध्य में आकर जीवन खुशहाली कि ओर जा रहा है।
    मैं धन्य हो गया, ये बात सब बताता है कोई।

  • @dnyaneshwarpisal9823
    @dnyaneshwarpisal9823 21 день назад +2

    सचान सर नमस्ते 🙏 महाराष्ट्र

  • @vijaykantawasthi5127
    @vijaykantawasthi5127 21 день назад +2

    👍👍👍👍👍👍

  • @SanjayKumar-k8l3x
    @SanjayKumar-k8l3x 21 день назад +2

    Very nice ser 👌

  • @vijaykantawasthi5127
    @vijaykantawasthi5127 21 день назад +5

    दादा जी आपकी पूरी वीडियो देखने के बाद आंखेंखुल गई

    • @kumudranjankumar6301
      @kumudranjankumar6301 19 дней назад

      कितने के ही भाग्य खुल गये
      मैं गुरु जी को दण्डवत करता हूँ

  • @DayaramSuryvanshi
    @DayaramSuryvanshi 17 дней назад

    बिल्कुल सही बात है जी हां आपको बहुत बहुत धन्यवाद

  • @dnyaneshwarkad5693
    @dnyaneshwarkad5693 20 дней назад

    💯 % Right

  • @YalalramSaw
    @YalalramSaw 20 дней назад +1

    आज से लगभग ४०साल पहले खेती पूरी तरह प्रकृति के साथ समन्वय करके की जाती थी।क्योंकि उस समय खेती का व्यवसायीकरण नहीं हुआ था
    परंतु आज लोग धंधे में अंधे होकर खुद का और दूसरों का भी सत्यानाश कर रहे है।
    लोभ ग्रासे सब शुभ कर्म।

  • @gurubeegee7373
    @gurubeegee7373 20 дней назад

    ಧನ್ಯವಾದಗಳು 🙏
    ನಾನು ತಿಳಿದುಕೊಂಡಿದ್ದೇನೆ.
    ಕರ್ನಾಟಕದಿಂದ ಕನ್ನಡದ ಕಂದ
    *"ಗುರು"*

  • @desigaupaalan9837
    @desigaupaalan9837 20 дней назад +1

    Please help me