श्रीमद् देवी भागवत पुराण, पृष्ठ 414, स्कन्द 6, गीता प्रैस गोरखपुर राजन! उन प्राचीन युगों में जो राक्षस समझे जाते थे, वे कलि में ब्राह्मण माने जाते हैं, क्योंकि अब के ब्राह्मण प्राय: पाखंड करने में तत्पर रहते हैं। दूसरों को ठगना, झूठ बोलना और वैदिक धर्म-कर्मों से अलग रहना --- कलियुगी ब्राह्मणों का स्वाभाविक गुण बन गया है। 😂😂😂😂😂😂😂😂😂
आर्य समाज मिशन जिन्दाबाद। जय स्वामी दयानंद जी सरस्वती अमर रहे। स्वामी सचिदानंद जी नमस्ते। ॐ ॐ...
जय श्री राम 🙏🙏🚩🚩
स्वामी जी नमस्ते। आपके विचार सनातनी है। ॐ ॐ...
363883869363834636624681833639738886936333883853675334712456336833783334754239886738686933796386312641956963363883632638629836768333338283223339388369893889
Radhe Radhe Jay shree Krishna
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
सत सत नमन गुरुजी आपके चरणों में आप बहुत अच्छी बातें बता रहे हैं और हिंदू सनातन को
Very very beautiful swamiji pranam. Om.
🕉🙏आदरणीय,स्वामीजीकोसतसतनमनवैदिकपृसाररुपीयग्यमेपगपगपरहमसाथहैं
Arya samaj pravachan ka swagat karata haun follow, bhi karta haun
स्वामी जी सादर नमस्ते 🌷🙏🌷
स्वामी जी ओम् नमस्ते जी।❤❤
स्वामीजी को प्रणाम
Om ATI Sundar ji 🙏🙏
🕉️🙏Sadar Pranaam , Dhanyawad
नमस्ते जी.. उत्तम विचारनीय विचार हे जी
Bahut accha shiksha guruji. Om namaste.
Swami ji ko kotti kotti naman
ॐ सनातन धर्म की जय
भारत में पाखण्ड और नौटंकी में सनातन लगभग समाप्त हो गया आप लोगों की दया से बचा है
❤❤❤
❤
🕉जगतमातागायतीॅनमः🙏आदरणीयस्वामीसच्चिदानन्दमहाराजजीकोसादरपृणाम
Bina Jane Bhagwan Ki Aaradhna kese kare.
श्रीमद् देवी भागवत पुराण, पृष्ठ 414, स्कन्द 6, गीता प्रैस गोरखपुर
राजन! उन प्राचीन युगों में जो राक्षस समझे जाते थे, वे कलि में ब्राह्मण माने जाते हैं, क्योंकि अब के ब्राह्मण प्राय: पाखंड करने में तत्पर रहते हैं। दूसरों को ठगना, झूठ बोलना और वैदिक धर्म-कर्मों से अलग रहना --- कलियुगी ब्राह्मणों का स्वाभाविक गुण बन गया है।
😂😂😂😂😂😂😂😂😂