सुमित चौहान ने भरी सभा में जातिवादियों को किया शर्मसार, ब्राह्मणवादियों की ऐसी धुलाई नहीं देखी होगी

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  • Опубликовано: 24 ноя 2024

Комментарии • 7 тыс.

  • @sciencemindandsense
    @sciencemindandsense Год назад +3710

    किस किस को आज सुमित जी का जज्बा अच्छा लगा ? मुझे तो बहुत ही जबरजस्त लगा !

    • @sagarbhoj3280
      @sagarbhoj3280 Год назад +41

      Very nice answers by sumeet sir

    • @aourablue8326
      @aourablue8326 Год назад +43

      सच्ची बाते झूठे दौर में सुनना हमेशा ही अच्छा लगता है😊 । We need more people like him🙏

    • @ramsaharedoctor3507
      @ramsaharedoctor3507 Год назад +7

      😮

    • @noname38548
      @noname38548 Год назад +17

      Awesome

    • @noname38548
      @noname38548 Год назад +20

      Jai bhim namo budhay 🕯️

  • @vksjaiswal1685
    @vksjaiswal1685 Год назад +447

    सुमित भाई की पत्रकारिता बहुत बेहतरीन है देश के ऐसे पत्रकारों की जरूरत है

    • @panchsheelsolarcompany
      @panchsheelsolarcompany Год назад +5

      अमित जी जय भीम नमो बुद्धाय आपने तो अपने शब्दों को इतने अच्छे तरह से समझाया।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад +2

      आदरणीय VKSJaiswalji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад +1

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

    • @NepalSingh-h8s
      @NepalSingh-h8s 3 месяца назад

      Bilkul sahi kaha hai Sumit sir

    • @designtuts332
      @designtuts332 2 месяца назад

      यह जो मिक्स मसाला परस रहे हैं इससे सिर्फ हिंदुओं में आपसी सद्भावना खत्म होगी और कुछ होने वाला नहीं है

  • @AnilKumar-yt6hr
    @AnilKumar-yt6hr 7 месяцев назад +36

    सुमित सर जी आपको दिल से प्राणाम💙💙🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ramakkant1835
    @ramakkant1835 6 дней назад +2

    इस कार्यक्रम को बहुत बहुत समर्थन करते हैं जय भीम जय भारत छ ग

  • @ramanand3367
    @ramanand3367 Год назад +275

    सुमित जी आप दलित वर्ग के सही तथ्य को सबके सामने रखे तथा विश्लेषण सहित समझाया ।जय भीम, जय संविधान, जय भारत।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Ramanandji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @monumeshram8578
      @monumeshram8578 Год назад +4

      जयभीम सुमीतजी👍

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @palwindersingh2210
    @palwindersingh2210 Год назад +341

    100% Truth Excellent Speech Sir ji 👌👌👍👍❤️

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +3

      Right

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Palwindersinghji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад +1

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

    • @rajendrachoudhary1015
      @rajendrachoudhary1015 Год назад +1

      Sumit ji 100 present sahi

  • @ramaballabh2183
    @ramaballabh2183 Год назад +493

    Sumit ji दिल से जय भीम नमो बुद्धाय आप ने शत प्रतिशत सही है हमारे पूर्वजों ने देश को जोड़ने वाले थे

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +5

      Right

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад +1

      आदरणीय Ramaballabhji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @devindrakushwaha1910
      @devindrakushwaha1910 Год назад

      👍👍👍👍👍

    • @devindrakushwaha1910
      @devindrakushwaha1910 Год назад

      🙏🙏🙏🙏

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

  • @pintugouravbouddh3073
    @pintugouravbouddh3073 14 дней назад +7

    अति सुन्दर प्रस्तुति परिवर्तन अवश्य होगा क्योंकि आप सभी को पूर्ण रूप से समझाने में सफल हैं जय भीम जय संविधान

  • @rashidmujawar4725
    @rashidmujawar4725 Год назад +968

    सुमित जी आपकी बेबाक और सच्ची पत्रकारिता को शत-शत प्रणाम।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय RashidMujawarji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад +3

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

    • @ramkhilawanmalaotiya1543
      @ramkhilawanmalaotiya1543 Год назад +3

      सुमित भाई जय भीम हम आपके साथ हैं

    • @milindzalte8181
      @milindzalte8181 Год назад

      ​@@ramlalkumar9540 😅

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад

      @@milindzalte8181 main unko nahi janta...
      Phir bhi... Kyu ki main unke bare me padha hai.... Tumko kuchh patah hai to batao

  • @mansikumari7436
    @mansikumari7436 Год назад +160

    सुमित चौधरी हम आपके शुक्र गुजार है कि आप सच्चे देशभक्त है सच्चे इंसान हैं आपकी जितनी भी प्रशंसा हम करें उतनी ही कम है जय भीम जय भारत

  • @AmitYadav-fy8ks
    @AmitYadav-fy8ks Год назад +672

    अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि आप लोग देश को डूबने नहीं देंगे सुमित सर को दिल से सलाम

    • @Kajal-ip8lp
      @Kajal-ip8lp Год назад

      Sumit Chauhan ki baat ho bhi hota wo sahi hota wo jatiwadi dekh ke nahi bolte sb really hi bolte

    • @Taarunnn
      @Taarunnn Год назад

      ​@@Kajal-ip8lpKeep it faith.

    • @shivendrakumar7739
      @shivendrakumar7739 Год назад +1

      Sc st obc ke purvaj ek hai aur hame mil kar apne adhikar ki ladai milkar ladni chahiye kyonki sadiyo se humara adhikar chheena gaya hai

    • @prakashlohiya1161
      @prakashlohiya1161 7 месяцев назад

      Absolutely right sir

    • @SANJAYTIWARI-kl8fl
      @SANJAYTIWARI-kl8fl 7 месяцев назад

      यह घिनौनी घटना केरल राज्य की थी अंग्रेज और इसी राजाओं की मिली भगत से यह कुकर तक किया गया पूरे देश में स्त्रियों का बहुत ज्यादा सम्मान था है और रहेगा सुमित भाई आप गलत जानकारी दे रहे हैं पूरे देश से जोड़कर इसे नहीं देखा जा सकता

  • @RahulKumar-uy5df
    @RahulKumar-uy5df 18 дней назад +7

    इसे कहते हैं, शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा वह उतना दहाड़ेगा. हमें गर्व है तुम पर सुमित भाई 🙏

    • @डरडरन्यूज
      @डरडरन्यूज 3 дня назад

      Kis par dharega

    • @डरडरन्यूज
      @डरडरन्यूज 3 дня назад

      Barhaman par Sara aparadh toh barhaman ka hi batatai hai kerala.mai kuch nahi bangal mai kuch nahi kasmir mai kuch nahi baaki sab barhaman mai he doash hai in bharmano ko only target karo

  • @payback2society86
    @payback2society86 Год назад +60

    देश कि आवाज.
    दिल को छू लेने वाले अनुभव
    सुमित चव्हाण
    जयभीम जयमुलनिवासी जयसविंधान

  • @ajkumar-gp7xn
    @ajkumar-gp7xn Год назад +71

    बहुत-बहुत सुन्दर स्पीच सुमित सर बहुजन समाज के लोगों को समझने की जरूरत है जय भीम जय भारत

  • @laljirao4605
    @laljirao4605 Год назад +116

    सुमित चौहान जी! आप द्वारा निर्भीक-बेबाक तथा सम्यक विवेचना और सम्यक दृष्टि के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
    नमो बुद्धाय !
    जय भीम!!
    जय भारत!!!
    जय संविधान!!!!

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Laljiraoji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @RDKSolution25
      @RDKSolution25 Год назад

      Good job

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @satruhankumar2304
    @satruhankumar2304 Месяц назад +31

    ऐसे पत्रकारों पर गर्व है

  • @Rkdayal01
    @Rkdayal01 Год назад +29

    बहुत खूब सुमित जी, आपने साहस और बुद्धिमानी से अपनी बात को रखा , जय भीम

  • @Udmiram123
    @Udmiram123 7 месяцев назад +45

    सुमित जी आईना लेके बैठे हैं।चैहरा इनको दिखा रहे हैं।

  • @krishnaram6740
    @krishnaram6740 Год назад +83

    सुमित जी इस वीडियो मे जो आपने बातो को उजागर
    किया है ,अब तक दलित होने पर जो सरमिनदगी
    महसूस करते थे, वह अब गर्व होगा,हम्मे गर्व है की
    हमारे समाज मे आप लोग जैसे बुद्धिजीवी आज भी है। जय भीम जय भारत

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Krishnaramjiनमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @phoolsingh9851
    @phoolsingh9851 Год назад +15

    बिलकुल सही कहा सुमित जी
    जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय जय संविधान 🙏🙏

  • @narayansinghbauddh9850
    @narayansinghbauddh9850 Год назад +83

    सुमित भाई को हमारा बार बार सलाम है आपने भाई बहुत अच्छा वाख्यान किया है मनुवाद के खिलाफ, आपसे बहुजनो को बहुत आस है आप ही उम्मीद हो मे देखता हूँ मुझे आप जैसा जनलिस्ट मुझे पूरे बहुजन समाज मे नही दिखता 👍jai bhim namo buddhay

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

    • @SANJAYTIWARI-kl8fl
      @SANJAYTIWARI-kl8fl 5 месяцев назад

      ब्राह्मणों में जन्म लेने के लिए इतनी दरखास्त लगाई थी इसकी दरखास्त इसके पूर्व जन्म के कुकर्म के आधार पर खारिज हो गई

  • @never_mind450
    @never_mind450 Месяц назад +15

    बहुत खूब बोला है भाई ने, देश की मीडिया में 90% लोग उच्च वर्ग के है और वे ही देश के इस दुर्गति के लिए जिम्मेदार है।

  • @YogendraKumar-mr8ye
    @YogendraKumar-mr8ye Год назад +99

    सुमित चौहान जी शाबाश। जय भीम, जय संविधान

  • @motilalakarnia5090
    @motilalakarnia5090 Год назад +20

    बहुत बढ़िया ऐसे खुलकर आना ही होगा सुमित जी you are great हमें आप पर गर्व है। आवाज़ तो बुलन्द करनी ही होगी ।जय भीम जय भारत जय संविधान।

  • @Gopalbarupal5315
    @Gopalbarupal5315 Год назад +338

    सुमित जैसे बुद्धिस्ट लोगों की समाज को आवश्यकता है जय भीम

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Gopalbarupalji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад +7

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

    • @pankajkumarpandey6658
      @pankajkumarpandey6658 4 месяца назад +2

      @@Gopalbarupal5315 जिस दें मुसलमानों कि सत्ता होगी तब सारी पत्रकारिता निकल जाएगी। तुम्हारे दलित नेता जिन्ना का भी साथ दिये थे उनकी पाकिस्तान में क्या दशा हुईं वो सब जानते हैं। साप किसी को छोड़ता नहीं है।

  • @kingofbhilr.b.6409
    @kingofbhilr.b.6409 Год назад +104

    लाख लाख 🙏जोहार साहब बहुत अच्छा लगा। सर ऐसे समाज सुधर में सुधार होगा ❤️❤️❤️ जय आदिवासी 🙏🙏

    • @narayankosare775
      @narayankosare775 Год назад

      मुझे गर्व है सुमित सर आप की पत्रकारों पर जय संविधान जय छत्तीसगढ़

  • @mohindersingh9742
    @mohindersingh9742 Год назад +119

    वास्तव में दिल खुश कर दिया सुमित जी, जय भीम नमो बुद्धाय

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Mohindersinghji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @mohanlal-painter
    @mohanlal-painter Год назад +22

    जय भीम सुमित सर आपका नाम तो पूरे विश्व में होगा 1 दिन आपके अच्छे कार्यों की वजह से

  • @Madhu_Gupta5575
    @Madhu_Gupta5575 Месяц назад +6

    सुमित सर ईमानदार पत्रकार हैं ❤❤
    आपका सर संघर्ष बहुत अच्छा लगा 🙏🙏🙏

  • @महेन्द्रबिक्रमसिंह

    सुमित चौहान के विचार सत्य एवं क्रान्तिकारी हैं,आप बहुत अच्छे पत्रकार एवं विचारक हैं।

  • @devimiri7148
    @devimiri7148 Год назад +970

    सुमित सर हमारे समाज को आप जैसे और भी सभी लोगों को प्रेरणा लेकर काम करते रहने की जरूरत है।जय भीम नमो बुद्धाय

    • @satishchandrayadav9165
      @satishchandrayadav9165 Год назад +11

      very very nice .godi medea ki sachai ujagar karane ke kiye.

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +10

      Jai bhim ❤❤

    • @naturallifejoy
      @naturallifejoy Год назад +8

      सुमित जी आप पत्रकारों में सबसे बेहतर और असली पत्रकार हैं। आप देश के वास्तविक मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हैं। और आप देश को बेहतर बनाने की पत्रकारिता करते हैं। आपको दिल ❤की गहराईयों से धन्यवाद ✨✨🌟🌟⭐⭐🙏

    • @jyotsnameshram4712
      @jyotsnameshram4712 Год назад +5

      very nice Sumit Sir

    • @sonuchaudhary5139
      @sonuchaudhary5139 Год назад

      Ye journalist bhi thakur hai savarn jati se ata hai pr tum jaise log savarn logo pr ungali uthate hai .

  • @AjayKumarKushwaha-mz9rq
    @AjayKumarKushwaha-mz9rq 9 дней назад +1

    जय भीम नमो बुद्धाय जय सम्राट अशोक महान

  • @rajkumargautam8848
    @rajkumargautam8848 Год назад +282

    सुमित चौहान बहुजन मीडिया के सूर्य हैं, जो दलितों, पिछड़ों एवं अल्प संख्यको की दुर्गति एवं समस्या पर अपना प्रकाश बिखरने का कार्य करते हैं । आप लोगों का काम बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । जय भीम ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Rajkumargautamji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @MangalKumar-yf2pj
    @MangalKumar-yf2pj Год назад +14

    वेरी वेरी गुड सुमित जी आपके जैसे बेबाक पत्रकार का इस देश को जरूरत है ताकि इस देश को डूबने से बचा सके आपने बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी है जय भीम जय भारत जय संविधान जय विज्ञान जय मंडल जय जोहार बहुजन एकता जिंदाबाद🙏🙏🙏

  • @deveshkumarchaudhary7960
    @deveshkumarchaudhary7960 Год назад +36

    सुमित बिल्कुल सही कह रहे हैं ।बहुजन मूलनिवासी असली व सच्चा ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @nyaulaapanchachulidarmaval1866
    @nyaulaapanchachulidarmaval1866 2 месяца назад +1

    Sir जी आपका बहुत सुन्दर एंकरिंग जय भीम जोहार

  • @pralhadlihinar8016
    @pralhadlihinar8016 Год назад +152

    वा!! सुमीतजी दिल बाग बाग हो गया । क्यो कि हम जनरलिज़म नही करते ।आज आपकी बातोसे हमे भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम भी हर तरह की बारीक बारीक बातो को समझे और जनेऊ लिलाको समझे। आपको दिल से धन्यवाद जिस बेबकिसे आपने सही बात कही है । !! जय भीम!! जय शिवराय !! 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏👌👌

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @jatavsolanki9808
    @jatavsolanki9808 Год назад +165

    सुमित जी! आपको दिल से सलाम। आप बुद्धिमान तो हैं ही, प्रज्ञावान भी है। आप जैसे बाबा साहब के सच्चे सपूत पर बहुजन समाज को गर्व है। और देश में घोटाले बाले , लूटने वाले विदेश को भागने बाले हमारे समाज का एक भी उनमें नहीं हैं।हम अपने देश एवं देशवासियों से प्रेम करते हैं।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Jatavsolanki नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @karanchand7117
    @karanchand7117 Год назад +292

    दिल❤ से सैल्यूट खुश कर दिया जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +3

      Right

    • @karanchand7117
      @karanchand7117 Год назад +4

      सुमित चौहान जी की आवाज में अंदर से फीलिंग रूह को छूने का काम करती है इसलिए दिल से जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏ओर जसप्रीत कुमार जी आप जी अच्छा लगा धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय

    • @factohardik7152
      @factohardik7152 Год назад +2

      Sumit sir 🙏 ji लय भारी संभाषण करून सांगितलं jay bhim jay savidhan

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Karanchandji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

  • @danbahaduryadav423
    @danbahaduryadav423 14 дней назад +1

    Sumit Chauhan ji aap ne sachi sahi bat janta take pahuchane ke leeya Kam Karte hai 🎉 Yuva aap ko salute karta hai 🎉 Jai hind sir 🇮🇳 🙏

  • @ameishkant6899
    @ameishkant6899 Год назад +516

    🔥🔥🔥 सवर्णों की लंका में आग लगा दिए सुमित भाई जी आपने.... दिल से जय भीम✊

    • @snram5251
      @snram5251 Год назад +12

      बहुत सुन्दर jabab दिया
      दिल से सलाम सुमित भाई।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад +3

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

    • @sumanratnakar18
      @sumanratnakar18 Год назад +2

      आपकी बात से सहमत हूं मजा आ गया जय भीम

    • @BhanuPratap-nx8ty
      @BhanuPratap-nx8ty Год назад +4

      इस तरह से बोलना गलत है ऐसा उनोहने नही बोला सुमित जी ak achche patrakar hai कृपया अपनी नफरत का शिखर उन्हे न बनाया जाए 🙏🏻🙏🏻

  • @ajadrajatratanravan7511
    @ajadrajatratanravan7511 Год назад +199

    भाई सुमित जी,,,,,, आप के शब्दों में बाबा साहेब और सभी बहुजन महापुरूषों की खुशबू आती है,,,,
    आपकी इस बेबाक और निडर पत्रकारिता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद जी,,,,
    जय भीम

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Ajadrajatratanravan नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @vikramgalchar9209
    @vikramgalchar9209 Год назад +200

    सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज्यादा जरूरत है आप आगे बढ़ो हम आपके साथ जय भीम

    • @sonusinghh8241
      @sonusinghh8241 Год назад +3

      सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज़्यादा ज़रूरत हैं आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ऐसे आप आगे बढ़ो हम आपके साथ है जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी जागो बहुजन जागो

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramlalkumar9540
      @ramlalkumar9540 Год назад

      Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de

  • @Yurs_shorts_
    @Yurs_shorts_ 2 месяца назад +4

    सलूट करती हूं भाई सुमीत जी को ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @mahendrap3214
    @mahendrap3214 Год назад +40

    बहुत बहुत साधुवाद भाई, आपकी पत्रकारिता को मेरा तहे दिल से शुक्रिया । जय भीम जय संविधान ।

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @Mr_rahul0143
    @Mr_rahul0143 Год назад +28

    सुमित सर जी को दिल से क्रांतिकारी जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय संविधान ❤❤

  • @saumitramohan1897
    @saumitramohan1897 Год назад +93

    जय भीम जय संविधान!💐💐

  • @sorajsarkaniya9286
    @sorajsarkaniya9286 2 месяца назад +12

    गजब। खुश रहो।
    निर्भीक साहसी दिलेर। क्या बात है।

  • @ramjigoutamtikujiniwadi9306
    @ramjigoutamtikujiniwadi9306 Год назад +111

    बंजरो में क्या पहाड़ों में भी फूल खिलाने लगे है हम लोग
    बाबा साहेब कि किताब पढ़ कर अपनी अधिकार लेने कि ताकत दिखाने लगे हम लोग जय भीम जय भारत जय सबिधान

  • @mahendrashahu4594
    @mahendrashahu4594 Год назад +102

    नमो बुद्धाय जय भीम जय संविधान जय मूलनिवासी बहुजन समाज नायकों।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад +1

      आदरणीय Mahendrashahuji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @Kiranyadav-l4z7e
    @Kiranyadav-l4z7e Месяц назад +6

    🪷🇮🇳🪷 हमारे पास तक आते आते सूख जातीं हैं सारी ही नदियां ❤️ हमें मालूम है कि पानी कहां कहां ठहरा हुआ है 🙏 बहुत ही सराहनीय कार्य सुमित जी, शुभकामनाओं सहित 💐 धन्यवाद 🙏

  • @Bharti12216
    @Bharti12216 Год назад +38

    सुमित सर सैल्यूट है आपको हमे गर्व करना चाहिए की हमारे बीच में ऐसे भी एक्टिव लोग भी है जय भीम जय संविधान नमो बुद्धाए

  • @anitatoppo4804
    @anitatoppo4804 Год назад +114

    देश की मीडिया उच्च वर्ग के लोगों के हाथ में है ऐसे लोगों को सिर्फ एक जाति और धर्म से ऊपर उठ कर देश प्रेम देश हीत की भावना होना आवश्यक है । सच बोलने वाले सुमित चौहान को नमन ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Anitaji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @prabhudayal9425
    @prabhudayal9425 Год назад +111

    पत्रकार सुमित चौहान जी आपने बहुत ही अच्छा जवाब दिया हमें गर्व है आप जैसे पत्रकार होने पर जो बहुजन हित में अपने ब्याखान दे रहे हैं बहुत ही अच्छा लग रहा है हमारे देश के बहुजन समाज आप लोगो के बात को सुनकर आत्मसात कर रहे हैं। आप पत्रकारों ने अपने समाज को जागृत कर हजारों बोलने वाले पत्रकार को जन्म दिया आप पत्रकारों को दिल से सादर शाधुवाद जय भीम

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад +2

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @BalbirSingh-yb7hf
    @BalbirSingh-yb7hf 18 дней назад +3

    ਵਾਹ ਸੁਮਿਤ ਜੀ ਕਿਆ ਬਾਤ ਹੈ ਸਾਨੂੰ ਤੁਹਾਡੇ ਤੇ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਹੈ ਸਾਡੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦਾ ਪੱਖ ਪੇਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਲ਼ਾ ਵੀ ਕੋਈ ਹੈ ਉਹ ਸਾਡਾ ਆਪਣਾ ❤

  • @kishanlal7290
    @kishanlal7290 Год назад +59

    जय भीम जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान। भाई सुमित जी को बारम्बार नमस्कार

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Kishanlalji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @shauryaazadofficialchannel6466
    @shauryaazadofficialchannel6466 Год назад +38

    जय भीम सुमित सर आप ने एकदम दिल छू लेने वाली बात बताई

    • @dayaldas2362
      @dayaldas2362 Год назад +2

      जय भीम सुमित सर

  • @santoshkumarahirwar8600
    @santoshkumarahirwar8600 Год назад +66

    बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ से जवाब दिया ।आप पर गर्व है ।समाज को आप जैसे पत्रकार की जरूरत है ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय SantoshKumarahirwaljii नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @shivparmar7133
    @shivparmar7133 2 месяца назад +11

    जय भीम जय संविधान सुमित जी आप की बातो से पूर्ण रूप से सहमत हूं।

  • @bishamberdass3622
    @bishamberdass3622 Год назад +1422

    भाई सुमित चौहान जी हमें आपकी पत्रकारिता और सभी हौनहार पत्रकारों पर बडा गर्व मैहसूस कर रहे हैं।बढीया से जैसे को वैसा उत्तर दिया।साबास

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +11

      Right ❤

    • @birendrak3527
      @birendrak3527 Год назад +13

      Bahut badhiya sumit sir

    • @NEERAJKUMAR-ds5rr
      @NEERAJKUMAR-ds5rr Год назад +14

      सुमित सर आपका बहुत धन्यवाद

    • @ramkailash3051
      @ramkailash3051 Год назад

      ​@@NEERAJKUMAR-ds5rr ll l l o l
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      L l l l l
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      L?










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    • @ramjaskiroriwal9224
      @ramjaskiroriwal9224 Год назад +7

      Very good sumit ji jai bheem jai bharat jai savidhan

  • @shriram2887
    @shriram2887 Год назад +437

    हमें गर्व है कि चारों तरफ बिकाऊ मीडिया के बाद भी, सुमित जी जैसे भारत मां के सच्चे सपूत, सच्चे पत्रकार ताल ठोंककर देश के गद्दारों को चुनौती दे रहे हैं।🙏 आपको सेल्यूट 🙏

    • @sumitsingyadav8558
      @sumitsingyadav8558 Год назад +3

      Ye bhi bika ho sakta hai ky pata ,

    • @Stutatsvideo
      @Stutatsvideo Год назад +2

      Your sprout Samit Chohan god bless you

    • @raviamin3643
      @raviamin3643 11 месяцев назад

      ​@@sumitsingyadav8558nhi bik sakta manuvadi thodi hai

    • @sumitsingyadav8558
      @sumitsingyadav8558 10 месяцев назад +1

      @@raviamin3643 manuvadi to kabhi nhi bike per tum tumhare neta dharm desh ke sath gaddari ki convert huye tum per koi bharosa nhi karega ,😜🤪😂😅

    • @raviamin3643
      @raviamin3643 10 месяцев назад

      @@sumitsingyadav8558 ham nhi bike 🚲 vale bik gye

  • @kumarpalsingh7496
    @kumarpalsingh7496 Год назад +207

    100 % truth excellent speech. ... दिल से जय भीम नमो बुद्धाय 🙏👍👌🌹

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Kumarpalsinghji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @AzadFurniture818
    @AzadFurniture818 10 дней назад +1

    बहुत अच्छा आपके विचार सुनकर चौहान साहब जय भीम जय भारत 🇮🇳🇮🇳🙏

  • @RamKumar-xf6vs
    @RamKumar-xf6vs 8 месяцев назад +29

    सबसे पहले मै भाई सुमित चौहान को धन्यवाद आपके चिंतन को आपके विचारो को सलाम आपके शब्दो की मोतीऔ कि माला बनाना आपने जो मनुवाद ओर आर एस एस तथा बी जे पी की धुलाई कि। आपने जो गहराई को छुआ एससी एसटी महान परम्परा को मनुवादीयो के मच पर बहुत ही गहराई से उजागर किया यही दलितों की वास्तविक यही सचाई है यही दलितों की महानता जयभीम जय सविधान नमो बुद्धाय धन्यवाद साथीयों

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @ASHOKKUMAR-tl2hm
    @ASHOKKUMAR-tl2hm Год назад +312

    क्या हिम्मत और आत्मविश्वास है आपका, आपके साहस को सलाम।

    • @jagpritkumar9930
      @jagpritkumar9930 Год назад +4

      Right

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Ashokkumarji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @rajivranjan5614
      @rajivranjan5614 Год назад

      Jay bhim c. Ch

  • @krishndevramsastri462
    @krishndevramsastri462 Год назад +59

    दुनिया पत्रकार माने या ना माने मैं सुमित भाई को पत्रकार मानता हूं। यह हमारा दुख दर्द नहीं रख रहे हैं पूरे भारत का दुख दर्द को बारे में ब्या कर रहे हैं धन्यवाद भाई

  • @shabanshaikh.tulsipur7864
    @shabanshaikh.tulsipur7864 2 месяца назад +24

    बिल्कुल सही बात कहीं आपने जिस की जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी हर कौम लोगों को लाभ मिलना चाहिए

  • @snyadav7466
    @snyadav7466 Год назад +54

    जय भीम जय संविधान जय भारत

  • @अपनाबिहार-ब7फ

    बहुत ही जबरदस्त धुलाई,,
    जय भीम जय मूलनिवासी,,

  • @sweetnidhi6288
    @sweetnidhi6288 Год назад +236

    हमारी कहानी हमारे लोग बताएंगे कोई और हमारे दुख को नहीं समझ पाएगा। अब हम खुद अपना इतिहास लिखेंगे। बहुत खूब सुमित भाई

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Sweetnidhiji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @rnews7816
      @rnews7816 Год назад +1

      Good

  • @jpazad1962
    @jpazad1962 Год назад +17

    बहुत सुन्दर और अच्छा विश्लेषण हैं ।पूरी टीम को जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान जय भारत और साधुवाद ।।

  • @rajaramraeandji5273
    @rajaramraeandji5273 7 месяцев назад +33

    सुमित सर जी आपने अपनी विचारधारा बहुत ही अच्छे

  • @80subedar3
    @80subedar3 Год назад +99

    सुमित जी आप ने उन लोगों को पत्रकारिता का पाठ पढ़ाया जो पत्रकार होने का दम भरते हैं आप की निर्भीक और बेबाक़ पत्रकारिता शत् शत् नमन ।जय भीम ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

  • @amittalks_
    @amittalks_ Месяц назад +3

    hatss off man , Point to point. Not even fumbled.

  • @VIRENDRASINGH-ru8qu
    @VIRENDRASINGH-ru8qu Год назад +27

    गोदी मीडिया पत्रकारों को भाई सुमित चौहान जी का मुंहतोड़ जवाब 🙏🙏🙏

    • @SharinK-x9h
      @SharinK-x9h 5 месяцев назад

      😊😊😊😊😊

    • @SharinK-x9h
      @SharinK-x9h 5 месяцев назад

      तलवे चाटने वाले पत्रकार तो बहुत देख आप जैसा निडर नही देखा

  • @Narendra827
    @Narendra827 Год назад +30

    सप्रेम जय भीम। Proud of your Speech

  • @aaryan73raj54
    @aaryan73raj54 Год назад +36

    जय भीम सुमित जी आप बिलकुल सच कहा

  • @Tiz_Anjali_kumari
    @Tiz_Anjali_kumari 21 день назад +1

    सुमित चौहान भाई मैं आपका फैन बन गया हूं आप कों सुन सुन कर जी आप तों कमाल का बोलते हों जी ❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @iamgodofgod1861
    @iamgodofgod1861 Год назад +10

    अति उत्तम विचार 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

  • @114girl
    @114girl Год назад +112

    जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी ब्राह्मण विदेशी

    • @aparshakti4387
      @aparshakti4387 3 месяца назад +1

      Budh bhi videshi the. Read history

    • @akashphulwariya3517
      @akashphulwariya3517 3 месяца назад +3

      ​@@aparshakti4387😂😅

    • @BijumanVasudevan
      @BijumanVasudevan Месяц назад +2

      Pakka brahmano ki liki hui history hoti hogi😁😁😁😊..sorry 😜..mera matlab Katha kahani..😂

    • @shivamshukla6539
      @shivamshukla6539 Месяц назад

      Ye bhi vahi kr rhi h jo brahmano ne kiya…kabhi to ek ho jao Gadho

    • @ShreeMahakal-wy3iv
      @ShreeMahakal-wy3iv 29 дней назад

      Afrikaans bhi videshi h

  • @मेरीखोजन्यूज़चैनल

    सुमित जबरदस्त तरीके से बहुजन समाज की बातों को रखते हैं और अपने महापुरुषों की विचारधारा को रखते हैं ऐसा महसूस होता है जैसे आप बहुजन समाज को बहुत तेज गति से बदलना चाहते हैं और बदलने की कोशिश करने वाले भी आ चुके हैं सेल्यूट सुमित चौहान जी को जय भीम नमो बुद्धाय।

  • @RajendraKumar-xc3dk
    @RajendraKumar-xc3dk Год назад +84

    सुमित सर आपकी पत्रकारिता को तहदिल से सलाम आपको🙏 जयभीम नमो बुद्धाय🙏

  • @vishwajitkumar6092
    @vishwajitkumar6092 Год назад +15

    Absolute right bhaiya ji 👍🙏🐘
    Jai Bhim Jai bsp 🐘

  • @mansulalpaswan3784
    @mansulalpaswan3784 Год назад +218

    ❤❤❤ सुमित जी आप ऐसे ही ईमानदारी साथ काम करते रहे हम आपके साथ पत्रकारिता के साथ साथ फुले शाहू अम्बेडकर विचारधारा को भी साथ साथ बढ़ा रहे हैं thanks 👍 ❤❤❤

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Mansulalpaswanji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @sunilchouhan119
      @sunilchouhan119 Год назад +1

      👍🏻👍🏻

  • @RamjatanSaroj-q8j
    @RamjatanSaroj-q8j 3 месяца назад +64

    इस देश को ब्रह्मण ने बर्बाद कर दिया नहीं तो चीन से आगे होते। जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान।

    • @SeemaKumari-ft8np
      @SeemaKumari-ft8np 3 месяца назад

      5% Brahman ne barbaad kardiya aur bakki ke 95% kya kar rahe the. And I am not a Brahman. Asal me desh tumjaise logo ne barbaad kar rakha hai jo bas dusre logo love neecha dikhane me lage rahte Ho.Jai mulnivasi jaise kuch hota hi nhi hai ambedkar ne bhi apne kitab me iska derivation kiya hai

    • @abhinavaggarwal1338
      @abhinavaggarwal1338 3 месяца назад +2

      60 saal se lower caste walo ki govt thi. Kya kiya batna.
      Bas quota aur kuch nhi. Itna saalo se kis ke MP Jeet reha the lower caste ke.
      Saawal aapne mp se pucho.
      Ki kya kiya 60 saalo may desh ke liya.
      China 1980 may humera barabar tha aaja aage chal gaya iske liya jimader lower caste hai. Kuki lower caste mp nah bas desh luta aur kuch nhi.
      Haa braman nah galat kam kiya hai.
      But 1947 ke baad aapki sharkar thi. Kya kiya.

    • @ram-s9e4x
      @ram-s9e4x 3 месяца назад

      ​@@abhinavaggarwal1338bilkul sahi

    • @decentrakesh6090
      @decentrakesh6090 3 месяца назад +3

      ​@@abhinavaggarwal1338kitne sc st s pm bane hai ajj tak ?? Shram bhi nhi ati y khte hue lower caste ki Sarkar thi kitne state k cm sc st s bne hai ajj tak bta ??

    • @abhinavaggarwal1338
      @abhinavaggarwal1338 3 месяца назад

      @@decentrakesh6090 aapko quota kaisa Mila.
      Jis party ko aapne vote diya aap pucho unse. Kya kiya unhone 60 saal may. Aap pucho unse ku nhi banaya sc st ka cm. Kuki vote toh aapne Diya tha nah caste naam pe.
      Kuki brahman toh bas 5% hai is desh may. Wo toh govt nhi bana sakte.
      Kuki aap aapni galati nhi mana chata isliya brahman pe aapna thekra fodna chata hai.
      Jab is desh may sc st ias officer ka bacha bhi reservation le reha ho. Toh galati kisi ki hai.
      Kuki uske pass toh sab tha nah padai ke liya pasia, tution ke liya pasia toh reservation ku.
      Haa jo sc st garib hai unko jarur milna chiya. Kuki unke pass facility nhi thi.

  • @vikramgupta1441
    @vikramgupta1441 Год назад +125

    Power of education❤❤❤

    • @amiteshkothle7303
      @amiteshkothle7303 Год назад +1

      Education person knows reality of life😊😊😊

  • @didarsingh9804
    @didarsingh9804 Год назад +22

    I love THE NEWS BEAK.
    I support Sumit Chauhan Sir
    JAI BHIM JAI BHARAT

  • @jitendrajunior2654
    @jitendrajunior2654 Год назад +98

    ऐसे ही जांबाजों भीम सिपाहियों की आज मुल्क को जरूरत है मुझे आप पर बहुत गर्व है साहब दिल से जय भीम ।

  • @kabirmalik8703
    @kabirmalik8703 2 месяца назад +1

    Hats Off to your Journalism ❤
    Sumit Chauhan

  • @ramkarankushwaha7547
    @ramkarankushwaha7547 Год назад +339

    सुमित जी को बेबाकी से रखे गए विचारों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। ऐसे विचारों को लगातार बार बार लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Ramkarankushwahaji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @surajkant1271
      @surajkant1271 Год назад +1

      aaj ek chai bechne wale ko desh ka PM ban gaya sabko nahi hazam hota hai, sabji bechne wale ke liye bhi aisa hi bola jayega,

    • @rafikshekh1580
      @rafikshekh1580 Год назад

      Good sumit ji

    • @lalitmeena9912
      @lalitmeena9912 Год назад +1

      Usi chai bechne vale ne, janta ke tax se bade business ke 1000 crore se jyada ke karzo ko maf kiya h......
      Samje

  • @dharmendargautam6770
    @dharmendargautam6770 Год назад +15

    सभी बहुजन समाज को एक साथ बातें करते हुए जय भीम जय भारत जय संविधान सविऋबाई बाई फुले जोती बाआ फतिमासेख झलकारी फुलन देवी रमाई माता को भी धन्यवाद देता हूँ

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह उसके सामाजिक कानूनों, सामाजिक न्याय पर निर्भर करता है। और इस मोर्चे पर हिंदू धर्म में कई मुद्दे/विवाद हैं।आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं।
      इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने (उस काल की हिन्दू पार्टी) एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।
      ज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @budhprakash9200
      @budhprakash9200 5 месяцев назад

      विश्व विद्वान मित्रो!
      जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
      जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
      लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
      यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
      दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
      स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
      जबकि
      वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
      चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
      चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
      सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
      यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
      बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।

  • @Vidyasagaranshu47
    @Vidyasagaranshu47 Год назад +40

    💙 Jai bhim 💙
    🏳 jai satnam 🏳

  • @ManojKumar-dn9re
    @ManojKumar-dn9re Год назад +13

    Sumit G great Journalist. Jai Bheem Jai Samvidhan Jai Bharat

  • @devpalsingh7798
    @devpalsingh7798 3 месяца назад +95

    में सुमित चौधरी से पूर्ण तय सहमत हूँ।

    • @designtuts332
      @designtuts332 2 месяца назад

      ब्राह्मण सदा से निर्धन वर्ग में रहे हैं! क्या आप ऐसा एक भी उदाहरण दे सकते हैं जब ब्राह्मणों ने पूरे भारत पर शासन किया हो?? शुंग,कण्व ,सातवाहन आदि द्वारा किया गया शासन सभी विजातियों और विधर्मियों को क्यूं कचोटता है? *चाणक्य* ने *चन्द्रगुप्त मौर्य* की सहायता की थी एक अखण्ड भारत की स्थापना करने में। भारत का सम्राट बनने के बाद, चन्द्रगुप्त ,चाणक्य के चरणों में गिर गया और उसने उसे अपना राजगुरु बनकर महलों की सुविधाएँ भोगते हुए, अपने पास बने रहने को कहा। चाणक्य का उत्तर था: ‘मैं तो ब्राह्मण हूँ, मेरा कर्म है शिष्यों को शिक्षा देना और भिक्षा से जीवनयापन करना। क्या आप किसी भी इतिहास अथवा पुराण में धनवान ब्राह्मण का एक भी उदाहरण बता सकते हैं?
      श्री कृष्ण की कथा में भी निर्धन ब्राह्मण सुदामा ही प्रसिद्ध है।

  • @dyandevrupavte8974
    @dyandevrupavte8974 Год назад +22

    जय भिम जय संविधान नमोबुध्दाय 🙏🙏

  • @deepadevi908
    @deepadevi908 Год назад +510

    वाह सुमित, तुम दलित पत्रकारों में सबसे बुद्धिमान, भाषा पर अधिकर और बड़े अच्छे ढंग से अभिव्यक्त करते हो। कंटेंट भी और analysis भी बढ़िया करते हो।keep it up !😊

    • @anitabharti7112
      @anitabharti7112 Год назад +6

      दिल पर मत लिजीए,,, लेकिन भाषा दुरूस्त करने की सबसे ज्यादा जरूरत आपको है

    • @AkshayKumar-ru9hr
      @AkshayKumar-ru9hr Год назад +9

      आप अपनी भाषा सुधारिए पहले
      तुम ताम क्या लगा के राखी हैं आप . ज्यादा उम्र में बड़ी हो गयी हो ?😡😠
      नैतिकता बची भी है या नहीं ?

    • @deepadevi908
      @deepadevi908 Год назад

      बेवकूफी की बातें करते हैं।
      जय भीम, जय संविधान, वाह वाह सुमित जी, बाजपाई जी, रवीश जी, आप महान है, निडर हैं, सच्चे हैं, इन बेकार बातों का कया मतलब ? चाटुकारिता से सच्ची समीक्षा, व्यक्ति को मार्गदर्शन देती हैं। हां, मैं सुमित को हजारों बार तुम ही बोलूंगी, क्योंकि वह मेरे बच्चों की उम्र का है। व्यक्ति पूजा से नहीं मार्गदर्शन और प्रोत्साहन, सच्ची आलोचना से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। पहले ख़ुद को परिपक्व बनाओ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Год назад

      आदरणीय Deepadeviji नमो बुद्धाय 🙏
      मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
      जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
      कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
      आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
      अवधूत जोशी

    • @ramawadhverma6153
      @ramawadhverma6153 Год назад

      एक दूसरे को सम्मान देने से आपका मान नहीं घट जाता।

  • @phoolsingh5749
    @phoolsingh5749 Год назад +10

    सुमित चौहान भाई आप ने बहुत सुन्दर जबाव मनुवादियों पत्रकारों दिया है।बहुजन समाज जिन्दाबाद, संविधान जिन्दाबाद।

  • @bhoorelal7812
    @bhoorelal7812 17 дней назад +1

    सुमित की बातें बहुत गम्भीर हैं।उनको धन्यवाद।

  • @rampyarey5092
    @rampyarey5092 Год назад +19

    सुमित जी बहुत ही प्रेरणा दा ये विचार आपने पेश किया दिल खुश हो गया जय भीम जय भारत

  • @RahulKumar-lb1st
    @RahulKumar-lb1st Год назад +19

    भीम आर्मी जिन्दाबाद भारतीय आर्मी जिन्दाबाद बहुजन एकता जिन्दाबाद ❤🙏💪🇮🇳