आदरणीय VKSJaiswalji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय Ramanandji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
आदरणीय Palwindersinghji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय Ramaballabhji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय RashidMujawarji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
यह घिनौनी घटना केरल राज्य की थी अंग्रेज और इसी राजाओं की मिली भगत से यह कुकर तक किया गया पूरे देश में स्त्रियों का बहुत ज्यादा सम्मान था है और रहेगा सुमित भाई आप गलत जानकारी दे रहे हैं पूरे देश से जोड़कर इसे नहीं देखा जा सकता
Barhaman par Sara aparadh toh barhaman ka hi batatai hai kerala.mai kuch nahi bangal mai kuch nahi kasmir mai kuch nahi baaki sab barhaman mai he doash hai in bharmano ko only target karo
आदरणीय Laljiraoji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
सुमित जी इस वीडियो मे जो आपने बातो को उजागर किया है ,अब तक दलित होने पर जो सरमिनदगी महसूस करते थे, वह अब गर्व होगा,हम्मे गर्व है की हमारे समाज मे आप लोग जैसे बुद्धिजीवी आज भी है। जय भीम जय भारत
आदरणीय Krishnaramjiनमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सुमित भाई को हमारा बार बार सलाम है आपने भाई बहुत अच्छा वाख्यान किया है मनुवाद के खिलाफ, आपसे बहुजनो को बहुत आस है आप ही उम्मीद हो मे देखता हूँ मुझे आप जैसा जनलिस्ट मुझे पूरे बहुजन समाज मे नही दिखता 👍jai bhim namo buddhay
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
आदरणीय Gopalbarupalji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@@Gopalbarupal5315 जिस दें मुसलमानों कि सत्ता होगी तब सारी पत्रकारिता निकल जाएगी। तुम्हारे दलित नेता जिन्ना का भी साथ दिये थे उनकी पाकिस्तान में क्या दशा हुईं वो सब जानते हैं। साप किसी को छोड़ता नहीं है।
आदरणीय Mohindersinghji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सुमित जी आप पत्रकारों में सबसे बेहतर और असली पत्रकार हैं। आप देश के वास्तविक मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हैं। और आप देश को बेहतर बनाने की पत्रकारिता करते हैं। आपको दिल ❤की गहराईयों से धन्यवाद ✨✨🌟🌟⭐⭐🙏
सुमित चौहान बहुजन मीडिया के सूर्य हैं, जो दलितों, पिछड़ों एवं अल्प संख्यको की दुर्गति एवं समस्या पर अपना प्रकाश बिखरने का कार्य करते हैं । आप लोगों का काम बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । जय भीम ।
आदरणीय Rajkumargautamji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
वेरी वेरी गुड सुमित जी आपके जैसे बेबाक पत्रकार का इस देश को जरूरत है ताकि इस देश को डूबने से बचा सके आपने बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी है जय भीम जय भारत जय संविधान जय विज्ञान जय मंडल जय जोहार बहुजन एकता जिंदाबाद🙏🙏🙏
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
वा!! सुमीतजी दिल बाग बाग हो गया । क्यो कि हम जनरलिज़म नही करते ।आज आपकी बातोसे हमे भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम भी हर तरह की बारीक बारीक बातो को समझे और जनेऊ लिलाको समझे। आपको दिल से धन्यवाद जिस बेबकिसे आपने सही बात कही है । !! जय भीम!! जय शिवराय !! 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏👌👌
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सुमित जी! आपको दिल से सलाम। आप बुद्धिमान तो हैं ही, प्रज्ञावान भी है। आप जैसे बाबा साहब के सच्चे सपूत पर बहुजन समाज को गर्व है। और देश में घोटाले बाले , लूटने वाले विदेश को भागने बाले हमारे समाज का एक भी उनमें नहीं हैं।हम अपने देश एवं देशवासियों से प्रेम करते हैं।
आदरणीय Jatavsolanki नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सुमित चौहान जी की आवाज में अंदर से फीलिंग रूह को छूने का काम करती है इसलिए दिल से जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏ओर जसप्रीत कुमार जी आप जी अच्छा लगा धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
आदरणीय Karanchandji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
भाई सुमित जी,,,,,, आप के शब्दों में बाबा साहेब और सभी बहुजन महापुरूषों की खुशबू आती है,,,, आपकी इस बेबाक और निडर पत्रकारिता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद जी,,,, जय भीम
आदरणीय Ajadrajatratanravan नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज़्यादा ज़रूरत हैं आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ऐसे आप आगे बढ़ो हम आपके साथ है जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी जागो बहुजन जागो
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
आदरणीय Mahendrashahuji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
🪷🇮🇳🪷 हमारे पास तक आते आते सूख जातीं हैं सारी ही नदियां ❤️ हमें मालूम है कि पानी कहां कहां ठहरा हुआ है 🙏 बहुत ही सराहनीय कार्य सुमित जी, शुभकामनाओं सहित 💐 धन्यवाद 🙏
देश की मीडिया उच्च वर्ग के लोगों के हाथ में है ऐसे लोगों को सिर्फ एक जाति और धर्म से ऊपर उठ कर देश प्रेम देश हीत की भावना होना आवश्यक है । सच बोलने वाले सुमित चौहान को नमन ।
आदरणीय Anitaji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
पत्रकार सुमित चौहान जी आपने बहुत ही अच्छा जवाब दिया हमें गर्व है आप जैसे पत्रकार होने पर जो बहुजन हित में अपने ब्याखान दे रहे हैं बहुत ही अच्छा लग रहा है हमारे देश के बहुजन समाज आप लोगो के बात को सुनकर आत्मसात कर रहे हैं। आप पत्रकारों ने अपने समाज को जागृत कर हजारों बोलने वाले पत्रकार को जन्म दिया आप पत्रकारों को दिल से सादर शाधुवाद जय भीम
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय Kishanlalji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
आदरणीय SantoshKumarahirwaljii नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
हमें गर्व है कि चारों तरफ बिकाऊ मीडिया के बाद भी, सुमित जी जैसे भारत मां के सच्चे सपूत, सच्चे पत्रकार ताल ठोंककर देश के गद्दारों को चुनौती दे रहे हैं।🙏 आपको सेल्यूट 🙏
आदरणीय Kumarpalsinghji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सबसे पहले मै भाई सुमित चौहान को धन्यवाद आपके चिंतन को आपके विचारो को सलाम आपके शब्दो की मोतीऔ कि माला बनाना आपने जो मनुवाद ओर आर एस एस तथा बी जे पी की धुलाई कि। आपने जो गहराई को छुआ एससी एसटी महान परम्परा को मनुवादीयो के मच पर बहुत ही गहराई से उजागर किया यही दलितों की वास्तविक यही सचाई है यही दलितों की महानता जयभीम जय सविधान नमो बुद्धाय धन्यवाद साथीयों
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
आदरणीय Ashokkumarji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
दुनिया पत्रकार माने या ना माने मैं सुमित भाई को पत्रकार मानता हूं। यह हमारा दुख दर्द नहीं रख रहे हैं पूरे भारत का दुख दर्द को बारे में ब्या कर रहे हैं धन्यवाद भाई
आदरणीय Sweetnidhiji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
सुमित जबरदस्त तरीके से बहुजन समाज की बातों को रखते हैं और अपने महापुरुषों की विचारधारा को रखते हैं ऐसा महसूस होता है जैसे आप बहुजन समाज को बहुत तेज गति से बदलना चाहते हैं और बदलने की कोशिश करने वाले भी आ चुके हैं सेल्यूट सुमित चौहान जी को जय भीम नमो बुद्धाय।
❤❤❤ सुमित जी आप ऐसे ही ईमानदारी साथ काम करते रहे हम आपके साथ पत्रकारिता के साथ साथ फुले शाहू अम्बेडकर विचारधारा को भी साथ साथ बढ़ा रहे हैं thanks 👍 ❤❤❤
आदरणीय Mansulalpaswanji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
5% Brahman ne barbaad kardiya aur bakki ke 95% kya kar rahe the. And I am not a Brahman. Asal me desh tumjaise logo ne barbaad kar rakha hai jo bas dusre logo love neecha dikhane me lage rahte Ho.Jai mulnivasi jaise kuch hota hi nhi hai ambedkar ne bhi apne kitab me iska derivation kiya hai
60 saal se lower caste walo ki govt thi. Kya kiya batna. Bas quota aur kuch nhi. Itna saalo se kis ke MP Jeet reha the lower caste ke. Saawal aapne mp se pucho. Ki kya kiya 60 saalo may desh ke liya. China 1980 may humera barabar tha aaja aage chal gaya iske liya jimader lower caste hai. Kuki lower caste mp nah bas desh luta aur kuch nhi. Haa braman nah galat kam kiya hai. But 1947 ke baad aapki sharkar thi. Kya kiya.
@@abhinavaggarwal1338kitne sc st s pm bane hai ajj tak ?? Shram bhi nhi ati y khte hue lower caste ki Sarkar thi kitne state k cm sc st s bne hai ajj tak bta ??
@@decentrakesh6090 aapko quota kaisa Mila. Jis party ko aapne vote diya aap pucho unse. Kya kiya unhone 60 saal may. Aap pucho unse ku nhi banaya sc st ka cm. Kuki vote toh aapne Diya tha nah caste naam pe. Kuki brahman toh bas 5% hai is desh may. Wo toh govt nhi bana sakte. Kuki aap aapni galati nhi mana chata isliya brahman pe aapna thekra fodna chata hai. Jab is desh may sc st ias officer ka bacha bhi reservation le reha ho. Toh galati kisi ki hai. Kuki uske pass toh sab tha nah padai ke liya pasia, tution ke liya pasia toh reservation ku. Haa jo sc st garib hai unko jarur milna chiya. Kuki unke pass facility nhi thi.
आदरणीय Ramkarankushwahaji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह उसके सामाजिक कानूनों, सामाजिक न्याय पर निर्भर करता है। और इस मोर्चे पर हिंदू धर्म में कई मुद्दे/विवाद हैं।आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने (उस काल की हिन्दू पार्टी) एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था। ज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
ब्राह्मण सदा से निर्धन वर्ग में रहे हैं! क्या आप ऐसा एक भी उदाहरण दे सकते हैं जब ब्राह्मणों ने पूरे भारत पर शासन किया हो?? शुंग,कण्व ,सातवाहन आदि द्वारा किया गया शासन सभी विजातियों और विधर्मियों को क्यूं कचोटता है? *चाणक्य* ने *चन्द्रगुप्त मौर्य* की सहायता की थी एक अखण्ड भारत की स्थापना करने में। भारत का सम्राट बनने के बाद, चन्द्रगुप्त ,चाणक्य के चरणों में गिर गया और उसने उसे अपना राजगुरु बनकर महलों की सुविधाएँ भोगते हुए, अपने पास बने रहने को कहा। चाणक्य का उत्तर था: ‘मैं तो ब्राह्मण हूँ, मेरा कर्म है शिष्यों को शिक्षा देना और भिक्षा से जीवनयापन करना। क्या आप किसी भी इतिहास अथवा पुराण में धनवान ब्राह्मण का एक भी उदाहरण बता सकते हैं? श्री कृष्ण की कथा में भी निर्धन ब्राह्मण सुदामा ही प्रसिद्ध है।
वाह सुमित, तुम दलित पत्रकारों में सबसे बुद्धिमान, भाषा पर अधिकर और बड़े अच्छे ढंग से अभिव्यक्त करते हो। कंटेंट भी और analysis भी बढ़िया करते हो।keep it up !😊
बेवकूफी की बातें करते हैं। जय भीम, जय संविधान, वाह वाह सुमित जी, बाजपाई जी, रवीश जी, आप महान है, निडर हैं, सच्चे हैं, इन बेकार बातों का कया मतलब ? चाटुकारिता से सच्ची समीक्षा, व्यक्ति को मार्गदर्शन देती हैं। हां, मैं सुमित को हजारों बार तुम ही बोलूंगी, क्योंकि वह मेरे बच्चों की उम्र का है। व्यक्ति पूजा से नहीं मार्गदर्शन और प्रोत्साहन, सच्ची आलोचना से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। पहले ख़ुद को परिपक्व बनाओ।
आदरणीय Deepadeviji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
किस किस को आज सुमित जी का जज्बा अच्छा लगा ? मुझे तो बहुत ही जबरजस्त लगा !
Very nice answers by sumeet sir
सच्ची बाते झूठे दौर में सुनना हमेशा ही अच्छा लगता है😊 । We need more people like him🙏
😮
Awesome
Jai bhim namo budhay 🕯️
सुमित भाई की पत्रकारिता बहुत बेहतरीन है देश के ऐसे पत्रकारों की जरूरत है
अमित जी जय भीम नमो बुद्धाय आपने तो अपने शब्दों को इतने अच्छे तरह से समझाया।
आदरणीय VKSJaiswalji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
Bilkul sahi kaha hai Sumit sir
यह जो मिक्स मसाला परस रहे हैं इससे सिर्फ हिंदुओं में आपसी सद्भावना खत्म होगी और कुछ होने वाला नहीं है
सुमित सर जी आपको दिल से प्राणाम💙💙🙏🙏🙏🙏🙏
इस कार्यक्रम को बहुत बहुत समर्थन करते हैं जय भीम जय भारत छ ग
सुमित जी आप दलित वर्ग के सही तथ्य को सबके सामने रखे तथा विश्लेषण सहित समझाया ।जय भीम, जय संविधान, जय भारत।
आदरणीय Ramanandji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
जयभीम सुमीतजी👍
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
100% Truth Excellent Speech Sir ji 👌👌👍👍❤️
Right
आदरणीय Palwindersinghji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
Sumit ji 100 present sahi
Sumit ji दिल से जय भीम नमो बुद्धाय आप ने शत प्रतिशत सही है हमारे पूर्वजों ने देश को जोड़ने वाले थे
Right
आदरणीय Ramaballabhji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
👍👍👍👍👍
🙏🙏🙏🙏
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
अति सुन्दर प्रस्तुति परिवर्तन अवश्य होगा क्योंकि आप सभी को पूर्ण रूप से समझाने में सफल हैं जय भीम जय संविधान
सुमित जी आपकी बेबाक और सच्ची पत्रकारिता को शत-शत प्रणाम।
आदरणीय RashidMujawarji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
सुमित भाई जय भीम हम आपके साथ हैं
@@ramlalkumar9540 😅
@@milindzalte8181 main unko nahi janta...
Phir bhi... Kyu ki main unke bare me padha hai.... Tumko kuchh patah hai to batao
सुमित चौधरी हम आपके शुक्र गुजार है कि आप सच्चे देशभक्त है सच्चे इंसान हैं आपकी जितनी भी प्रशंसा हम करें उतनी ही कम है जय भीम जय भारत
सुमित चौहान
अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि आप लोग देश को डूबने नहीं देंगे सुमित सर को दिल से सलाम
Sumit Chauhan ki baat ho bhi hota wo sahi hota wo jatiwadi dekh ke nahi bolte sb really hi bolte
@@Kajal-ip8lpKeep it faith.
Sc st obc ke purvaj ek hai aur hame mil kar apne adhikar ki ladai milkar ladni chahiye kyonki sadiyo se humara adhikar chheena gaya hai
Absolutely right sir
यह घिनौनी घटना केरल राज्य की थी अंग्रेज और इसी राजाओं की मिली भगत से यह कुकर तक किया गया पूरे देश में स्त्रियों का बहुत ज्यादा सम्मान था है और रहेगा सुमित भाई आप गलत जानकारी दे रहे हैं पूरे देश से जोड़कर इसे नहीं देखा जा सकता
इसे कहते हैं, शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा वह उतना दहाड़ेगा. हमें गर्व है तुम पर सुमित भाई 🙏
Kis par dharega
Barhaman par Sara aparadh toh barhaman ka hi batatai hai kerala.mai kuch nahi bangal mai kuch nahi kasmir mai kuch nahi baaki sab barhaman mai he doash hai in bharmano ko only target karo
देश कि आवाज.
दिल को छू लेने वाले अनुभव
सुमित चव्हाण
जयभीम जयमुलनिवासी जयसविंधान
बहुत-बहुत सुन्दर स्पीच सुमित सर बहुजन समाज के लोगों को समझने की जरूरत है जय भीम जय भारत
सुमित चौहान जी! आप द्वारा निर्भीक-बेबाक तथा सम्यक विवेचना और सम्यक दृष्टि के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
नमो बुद्धाय !
जय भीम!!
जय भारत!!!
जय संविधान!!!!
आदरणीय Laljiraoji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Good job
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
ऐसे पत्रकारों पर गर्व है
बहुत खूब सुमित जी, आपने साहस और बुद्धिमानी से अपनी बात को रखा , जय भीम
सुमित जी आईना लेके बैठे हैं।चैहरा इनको दिखा रहे हैं।
सुमित जी इस वीडियो मे जो आपने बातो को उजागर
किया है ,अब तक दलित होने पर जो सरमिनदगी
महसूस करते थे, वह अब गर्व होगा,हम्मे गर्व है की
हमारे समाज मे आप लोग जैसे बुद्धिजीवी आज भी है। जय भीम जय भारत
आदरणीय Krishnaramjiनमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
बिलकुल सही कहा सुमित जी
जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय जय संविधान 🙏🙏
सुमित भाई को हमारा बार बार सलाम है आपने भाई बहुत अच्छा वाख्यान किया है मनुवाद के खिलाफ, आपसे बहुजनो को बहुत आस है आप ही उम्मीद हो मे देखता हूँ मुझे आप जैसा जनलिस्ट मुझे पूरे बहुजन समाज मे नही दिखता 👍jai bhim namo buddhay
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
ब्राह्मणों में जन्म लेने के लिए इतनी दरखास्त लगाई थी इसकी दरखास्त इसके पूर्व जन्म के कुकर्म के आधार पर खारिज हो गई
बहुत खूब बोला है भाई ने, देश की मीडिया में 90% लोग उच्च वर्ग के है और वे ही देश के इस दुर्गति के लिए जिम्मेदार है।
सुमित चौहान जी शाबाश। जय भीम, जय संविधान
बहुत बढ़िया ऐसे खुलकर आना ही होगा सुमित जी you are great हमें आप पर गर्व है। आवाज़ तो बुलन्द करनी ही होगी ।जय भीम जय भारत जय संविधान।
सुमित जैसे बुद्धिस्ट लोगों की समाज को आवश्यकता है जय भीम
आदरणीय Gopalbarupalji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@@Gopalbarupal5315 जिस दें मुसलमानों कि सत्ता होगी तब सारी पत्रकारिता निकल जाएगी। तुम्हारे दलित नेता जिन्ना का भी साथ दिये थे उनकी पाकिस्तान में क्या दशा हुईं वो सब जानते हैं। साप किसी को छोड़ता नहीं है।
लाख लाख 🙏जोहार साहब बहुत अच्छा लगा। सर ऐसे समाज सुधर में सुधार होगा ❤️❤️❤️ जय आदिवासी 🙏🙏
मुझे गर्व है सुमित सर आप की पत्रकारों पर जय संविधान जय छत्तीसगढ़
वास्तव में दिल खुश कर दिया सुमित जी, जय भीम नमो बुद्धाय
आदरणीय Mohindersinghji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
जय भीम सुमित सर आपका नाम तो पूरे विश्व में होगा 1 दिन आपके अच्छे कार्यों की वजह से
सुमित सर ईमानदार पत्रकार हैं ❤❤
आपका सर संघर्ष बहुत अच्छा लगा 🙏🙏🙏
सुमित चौहान के विचार सत्य एवं क्रान्तिकारी हैं,आप बहुत अच्छे पत्रकार एवं विचारक हैं।
सुमित सर हमारे समाज को आप जैसे और भी सभी लोगों को प्रेरणा लेकर काम करते रहने की जरूरत है।जय भीम नमो बुद्धाय
very very nice .godi medea ki sachai ujagar karane ke kiye.
Jai bhim ❤❤
सुमित जी आप पत्रकारों में सबसे बेहतर और असली पत्रकार हैं। आप देश के वास्तविक मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हैं। और आप देश को बेहतर बनाने की पत्रकारिता करते हैं। आपको दिल ❤की गहराईयों से धन्यवाद ✨✨🌟🌟⭐⭐🙏
very nice Sumit Sir
Ye journalist bhi thakur hai savarn jati se ata hai pr tum jaise log savarn logo pr ungali uthate hai .
जय भीम नमो बुद्धाय जय सम्राट अशोक महान
सुमित चौहान बहुजन मीडिया के सूर्य हैं, जो दलितों, पिछड़ों एवं अल्प संख्यको की दुर्गति एवं समस्या पर अपना प्रकाश बिखरने का कार्य करते हैं । आप लोगों का काम बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । जय भीम ।
आदरणीय Rajkumargautamji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
वेरी वेरी गुड सुमित जी आपके जैसे बेबाक पत्रकार का इस देश को जरूरत है ताकि इस देश को डूबने से बचा सके आपने बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी है जय भीम जय भारत जय संविधान जय विज्ञान जय मंडल जय जोहार बहुजन एकता जिंदाबाद🙏🙏🙏
सुमित बिल्कुल सही कह रहे हैं ।बहुजन मूलनिवासी असली व सच्चा ।
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sir जी आपका बहुत सुन्दर एंकरिंग जय भीम जोहार
वा!! सुमीतजी दिल बाग बाग हो गया । क्यो कि हम जनरलिज़म नही करते ।आज आपकी बातोसे हमे भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम भी हर तरह की बारीक बारीक बातो को समझे और जनेऊ लिलाको समझे। आपको दिल से धन्यवाद जिस बेबकिसे आपने सही बात कही है । !! जय भीम!! जय शिवराय !! 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏👌👌
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
सुमित जी! आपको दिल से सलाम। आप बुद्धिमान तो हैं ही, प्रज्ञावान भी है। आप जैसे बाबा साहब के सच्चे सपूत पर बहुजन समाज को गर्व है। और देश में घोटाले बाले , लूटने वाले विदेश को भागने बाले हमारे समाज का एक भी उनमें नहीं हैं।हम अपने देश एवं देशवासियों से प्रेम करते हैं।
आदरणीय Jatavsolanki नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
दिल❤ से सैल्यूट खुश कर दिया जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏
Right
सुमित चौहान जी की आवाज में अंदर से फीलिंग रूह को छूने का काम करती है इसलिए दिल से जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏ओर जसप्रीत कुमार जी आप जी अच्छा लगा धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
Sumit sir 🙏 ji लय भारी संभाषण करून सांगितलं jay bhim jay savidhan
आदरणीय Karanchandji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
Sumit Chauhan ji aap ne sachi sahi bat janta take pahuchane ke leeya Kam Karte hai 🎉 Yuva aap ko salute karta hai 🎉 Jai hind sir 🇮🇳 🙏
🔥🔥🔥 सवर्णों की लंका में आग लगा दिए सुमित भाई जी आपने.... दिल से जय भीम✊
बहुत सुन्दर jabab दिया
दिल से सलाम सुमित भाई।
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
आपकी बात से सहमत हूं मजा आ गया जय भीम
इस तरह से बोलना गलत है ऐसा उनोहने नही बोला सुमित जी ak achche patrakar hai कृपया अपनी नफरत का शिखर उन्हे न बनाया जाए 🙏🏻🙏🏻
भाई सुमित जी,,,,,, आप के शब्दों में बाबा साहेब और सभी बहुजन महापुरूषों की खुशबू आती है,,,,
आपकी इस बेबाक और निडर पत्रकारिता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद जी,,,,
जय भीम
आदरणीय Ajadrajatratanravan नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज्यादा जरूरत है आप आगे बढ़ो हम आपके साथ जय भीम
सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज़्यादा ज़रूरत हैं आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ऐसे आप आगे बढ़ो हम आपके साथ है जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी जागो बहुजन जागो
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
सलूट करती हूं भाई सुमीत जी को ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत बहुत साधुवाद भाई, आपकी पत्रकारिता को मेरा तहे दिल से शुक्रिया । जय भीम जय संविधान ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
सुमित सर जी को दिल से क्रांतिकारी जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय संविधान ❤❤
जय भीम जय संविधान!💐💐
गजब। खुश रहो।
निर्भीक साहसी दिलेर। क्या बात है।
बंजरो में क्या पहाड़ों में भी फूल खिलाने लगे है हम लोग
बाबा साहेब कि किताब पढ़ कर अपनी अधिकार लेने कि ताकत दिखाने लगे हम लोग जय भीम जय भारत जय सबिधान
नमो बुद्धाय जय भीम जय संविधान जय मूलनिवासी बहुजन समाज नायकों।
आदरणीय Mahendrashahuji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
🪷🇮🇳🪷 हमारे पास तक आते आते सूख जातीं हैं सारी ही नदियां ❤️ हमें मालूम है कि पानी कहां कहां ठहरा हुआ है 🙏 बहुत ही सराहनीय कार्य सुमित जी, शुभकामनाओं सहित 💐 धन्यवाद 🙏
सुमित सर सैल्यूट है आपको हमे गर्व करना चाहिए की हमारे बीच में ऐसे भी एक्टिव लोग भी है जय भीम जय संविधान नमो बुद्धाए
देश की मीडिया उच्च वर्ग के लोगों के हाथ में है ऐसे लोगों को सिर्फ एक जाति और धर्म से ऊपर उठ कर देश प्रेम देश हीत की भावना होना आवश्यक है । सच बोलने वाले सुमित चौहान को नमन ।
आदरणीय Anitaji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
पत्रकार सुमित चौहान जी आपने बहुत ही अच्छा जवाब दिया हमें गर्व है आप जैसे पत्रकार होने पर जो बहुजन हित में अपने ब्याखान दे रहे हैं बहुत ही अच्छा लग रहा है हमारे देश के बहुजन समाज आप लोगो के बात को सुनकर आत्मसात कर रहे हैं। आप पत्रकारों ने अपने समाज को जागृत कर हजारों बोलने वाले पत्रकार को जन्म दिया आप पत्रकारों को दिल से सादर शाधुवाद जय भीम
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
ਵਾਹ ਸੁਮਿਤ ਜੀ ਕਿਆ ਬਾਤ ਹੈ ਸਾਨੂੰ ਤੁਹਾਡੇ ਤੇ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਹੈ ਸਾਡੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦਾ ਪੱਖ ਪੇਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਲ਼ਾ ਵੀ ਕੋਈ ਹੈ ਉਹ ਸਾਡਾ ਆਪਣਾ ❤
जय भीम जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान। भाई सुमित जी को बारम्बार नमस्कार
आदरणीय Kishanlalji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
जय भीम सुमित सर आप ने एकदम दिल छू लेने वाली बात बताई
जय भीम सुमित सर
बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ से जवाब दिया ।आप पर गर्व है ।समाज को आप जैसे पत्रकार की जरूरत है ।
आदरणीय SantoshKumarahirwaljii नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
जय भीम जय संविधान सुमित जी आप की बातो से पूर्ण रूप से सहमत हूं।
भाई सुमित चौहान जी हमें आपकी पत्रकारिता और सभी हौनहार पत्रकारों पर बडा गर्व मैहसूस कर रहे हैं।बढीया से जैसे को वैसा उत्तर दिया।साबास
Right ❤
Bahut badhiya sumit sir
सुमित सर आपका बहुत धन्यवाद
@@NEERAJKUMAR-ds5rr ll l l o l
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L?
,
Very good sumit ji jai bheem jai bharat jai savidhan
हमें गर्व है कि चारों तरफ बिकाऊ मीडिया के बाद भी, सुमित जी जैसे भारत मां के सच्चे सपूत, सच्चे पत्रकार ताल ठोंककर देश के गद्दारों को चुनौती दे रहे हैं।🙏 आपको सेल्यूट 🙏
Ye bhi bika ho sakta hai ky pata ,
Your sprout Samit Chohan god bless you
@@sumitsingyadav8558nhi bik sakta manuvadi thodi hai
@@raviamin3643 manuvadi to kabhi nhi bike per tum tumhare neta dharm desh ke sath gaddari ki convert huye tum per koi bharosa nhi karega ,😜🤪😂😅
@@sumitsingyadav8558 ham nhi bike 🚲 vale bik gye
100 % truth excellent speech. ... दिल से जय भीम नमो बुद्धाय 🙏👍👌🌹
आदरणीय Kumarpalsinghji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
बहुत अच्छा आपके विचार सुनकर चौहान साहब जय भीम जय भारत 🇮🇳🇮🇳🙏
सबसे पहले मै भाई सुमित चौहान को धन्यवाद आपके चिंतन को आपके विचारो को सलाम आपके शब्दो की मोतीऔ कि माला बनाना आपने जो मनुवाद ओर आर एस एस तथा बी जे पी की धुलाई कि। आपने जो गहराई को छुआ एससी एसटी महान परम्परा को मनुवादीयो के मच पर बहुत ही गहराई से उजागर किया यही दलितों की वास्तविक यही सचाई है यही दलितों की महानता जयभीम जय सविधान नमो बुद्धाय धन्यवाद साथीयों
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
क्या हिम्मत और आत्मविश्वास है आपका, आपके साहस को सलाम।
Right
आदरणीय Ashokkumarji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Jay bhim c. Ch
दुनिया पत्रकार माने या ना माने मैं सुमित भाई को पत्रकार मानता हूं। यह हमारा दुख दर्द नहीं रख रहे हैं पूरे भारत का दुख दर्द को बारे में ब्या कर रहे हैं धन्यवाद भाई
बिल्कुल सही बात कहीं आपने जिस की जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी हर कौम लोगों को लाभ मिलना चाहिए
जय भीम जय संविधान जय भारत
बहुत ही जबरदस्त धुलाई,,
जय भीम जय मूलनिवासी,,
हमारी कहानी हमारे लोग बताएंगे कोई और हमारे दुख को नहीं समझ पाएगा। अब हम खुद अपना इतिहास लिखेंगे। बहुत खूब सुमित भाई
आदरणीय Sweetnidhiji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
Good
बहुत सुन्दर और अच्छा विश्लेषण हैं ।पूरी टीम को जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान जय भारत और साधुवाद ।।
सुमित सर जी आपने अपनी विचारधारा बहुत ही अच्छे
सुमित जी आप ने उन लोगों को पत्रकारिता का पाठ पढ़ाया जो पत्रकार होने का दम भरते हैं आप की निर्भीक और बेबाक़ पत्रकारिता शत् शत् नमन ।जय भीम ।
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
hatss off man , Point to point. Not even fumbled.
गोदी मीडिया पत्रकारों को भाई सुमित चौहान जी का मुंहतोड़ जवाब 🙏🙏🙏
😊😊😊😊😊
तलवे चाटने वाले पत्रकार तो बहुत देख आप जैसा निडर नही देखा
सप्रेम जय भीम। Proud of your Speech
जय भीम सुमित जी आप बिलकुल सच कहा
सुमित चौहान भाई मैं आपका फैन बन गया हूं आप कों सुन सुन कर जी आप तों कमाल का बोलते हों जी ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
अति उत्तम विचार 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी ब्राह्मण विदेशी
Budh bhi videshi the. Read history
@@aparshakti4387😂😅
Pakka brahmano ki liki hui history hoti hogi😁😁😁😊..sorry 😜..mera matlab Katha kahani..😂
Ye bhi vahi kr rhi h jo brahmano ne kiya…kabhi to ek ho jao Gadho
Afrikaans bhi videshi h
सुमित जबरदस्त तरीके से बहुजन समाज की बातों को रखते हैं और अपने महापुरुषों की विचारधारा को रखते हैं ऐसा महसूस होता है जैसे आप बहुजन समाज को बहुत तेज गति से बदलना चाहते हैं और बदलने की कोशिश करने वाले भी आ चुके हैं सेल्यूट सुमित चौहान जी को जय भीम नमो बुद्धाय।
सुमित सर आपकी पत्रकारिता को तहदिल से सलाम आपको🙏 जयभीम नमो बुद्धाय🙏
Absolute right bhaiya ji 👍🙏🐘
Jai Bhim Jai bsp 🐘
❤❤❤ सुमित जी आप ऐसे ही ईमानदारी साथ काम करते रहे हम आपके साथ पत्रकारिता के साथ साथ फुले शाहू अम्बेडकर विचारधारा को भी साथ साथ बढ़ा रहे हैं thanks 👍 ❤❤❤
आदरणीय Mansulalpaswanji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
👍🏻👍🏻
इस देश को ब्रह्मण ने बर्बाद कर दिया नहीं तो चीन से आगे होते। जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान।
5% Brahman ne barbaad kardiya aur bakki ke 95% kya kar rahe the. And I am not a Brahman. Asal me desh tumjaise logo ne barbaad kar rakha hai jo bas dusre logo love neecha dikhane me lage rahte Ho.Jai mulnivasi jaise kuch hota hi nhi hai ambedkar ne bhi apne kitab me iska derivation kiya hai
60 saal se lower caste walo ki govt thi. Kya kiya batna.
Bas quota aur kuch nhi. Itna saalo se kis ke MP Jeet reha the lower caste ke.
Saawal aapne mp se pucho.
Ki kya kiya 60 saalo may desh ke liya.
China 1980 may humera barabar tha aaja aage chal gaya iske liya jimader lower caste hai. Kuki lower caste mp nah bas desh luta aur kuch nhi.
Haa braman nah galat kam kiya hai.
But 1947 ke baad aapki sharkar thi. Kya kiya.
@@abhinavaggarwal1338bilkul sahi
@@abhinavaggarwal1338kitne sc st s pm bane hai ajj tak ?? Shram bhi nhi ati y khte hue lower caste ki Sarkar thi kitne state k cm sc st s bne hai ajj tak bta ??
@@decentrakesh6090 aapko quota kaisa Mila.
Jis party ko aapne vote diya aap pucho unse. Kya kiya unhone 60 saal may. Aap pucho unse ku nhi banaya sc st ka cm. Kuki vote toh aapne Diya tha nah caste naam pe.
Kuki brahman toh bas 5% hai is desh may. Wo toh govt nhi bana sakte.
Kuki aap aapni galati nhi mana chata isliya brahman pe aapna thekra fodna chata hai.
Jab is desh may sc st ias officer ka bacha bhi reservation le reha ho. Toh galati kisi ki hai.
Kuki uske pass toh sab tha nah padai ke liya pasia, tution ke liya pasia toh reservation ku.
Haa jo sc st garib hai unko jarur milna chiya. Kuki unke pass facility nhi thi.
Power of education❤❤❤
Education person knows reality of life😊😊😊
I love THE NEWS BEAK.
I support Sumit Chauhan Sir
JAI BHIM JAI BHARAT
ऐसे ही जांबाजों भीम सिपाहियों की आज मुल्क को जरूरत है मुझे आप पर बहुत गर्व है साहब दिल से जय भीम ।
Hats Off to your Journalism ❤
Sumit Chauhan
सुमित जी को बेबाकी से रखे गए विचारों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। ऐसे विचारों को लगातार बार बार लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए।
आदरणीय Ramkarankushwahaji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
aaj ek chai bechne wale ko desh ka PM ban gaya sabko nahi hazam hota hai, sabji bechne wale ke liye bhi aisa hi bola jayega,
Good sumit ji
Usi chai bechne vale ne, janta ke tax se bade business ke 1000 crore se jyada ke karzo ko maf kiya h......
Samje
सभी बहुजन समाज को एक साथ बातें करते हुए जय भीम जय भारत जय संविधान सविऋबाई बाई फुले जोती बाआ फतिमासेख झलकारी फुलन देवी रमाई माता को भी धन्यवाद देता हूँ
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह उसके सामाजिक कानूनों, सामाजिक न्याय पर निर्भर करता है। और इस मोर्चे पर हिंदू धर्म में कई मुद्दे/विवाद हैं।आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं।
इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने (उस काल की हिन्दू पार्टी) एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।
ज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) ।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) ।
सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
💙 Jai bhim 💙
🏳 jai satnam 🏳
Sumit G great Journalist. Jai Bheem Jai Samvidhan Jai Bharat
में सुमित चौधरी से पूर्ण तय सहमत हूँ।
ब्राह्मण सदा से निर्धन वर्ग में रहे हैं! क्या आप ऐसा एक भी उदाहरण दे सकते हैं जब ब्राह्मणों ने पूरे भारत पर शासन किया हो?? शुंग,कण्व ,सातवाहन आदि द्वारा किया गया शासन सभी विजातियों और विधर्मियों को क्यूं कचोटता है? *चाणक्य* ने *चन्द्रगुप्त मौर्य* की सहायता की थी एक अखण्ड भारत की स्थापना करने में। भारत का सम्राट बनने के बाद, चन्द्रगुप्त ,चाणक्य के चरणों में गिर गया और उसने उसे अपना राजगुरु बनकर महलों की सुविधाएँ भोगते हुए, अपने पास बने रहने को कहा। चाणक्य का उत्तर था: ‘मैं तो ब्राह्मण हूँ, मेरा कर्म है शिष्यों को शिक्षा देना और भिक्षा से जीवनयापन करना। क्या आप किसी भी इतिहास अथवा पुराण में धनवान ब्राह्मण का एक भी उदाहरण बता सकते हैं?
श्री कृष्ण की कथा में भी निर्धन ब्राह्मण सुदामा ही प्रसिद्ध है।
जय भिम जय संविधान नमोबुध्दाय 🙏🙏
वाह सुमित, तुम दलित पत्रकारों में सबसे बुद्धिमान, भाषा पर अधिकर और बड़े अच्छे ढंग से अभिव्यक्त करते हो। कंटेंट भी और analysis भी बढ़िया करते हो।keep it up !😊
दिल पर मत लिजीए,,, लेकिन भाषा दुरूस्त करने की सबसे ज्यादा जरूरत आपको है
आप अपनी भाषा सुधारिए पहले
तुम ताम क्या लगा के राखी हैं आप . ज्यादा उम्र में बड़ी हो गयी हो ?😡😠
नैतिकता बची भी है या नहीं ?
बेवकूफी की बातें करते हैं।
जय भीम, जय संविधान, वाह वाह सुमित जी, बाजपाई जी, रवीश जी, आप महान है, निडर हैं, सच्चे हैं, इन बेकार बातों का कया मतलब ? चाटुकारिता से सच्ची समीक्षा, व्यक्ति को मार्गदर्शन देती हैं। हां, मैं सुमित को हजारों बार तुम ही बोलूंगी, क्योंकि वह मेरे बच्चों की उम्र का है। व्यक्ति पूजा से नहीं मार्गदर्शन और प्रोत्साहन, सच्ची आलोचना से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। पहले ख़ुद को परिपक्व बनाओ।
आदरणीय Deepadeviji नमो बुद्धाय 🙏
मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से...
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
एक दूसरे को सम्मान देने से आपका मान नहीं घट जाता।
सुमित चौहान भाई आप ने बहुत सुन्दर जबाव मनुवादियों पत्रकारों दिया है।बहुजन समाज जिन्दाबाद, संविधान जिन्दाबाद।
सुमित की बातें बहुत गम्भीर हैं।उनको धन्यवाद।
सुमित जी बहुत ही प्रेरणा दा ये विचार आपने पेश किया दिल खुश हो गया जय भीम जय भारत
भीम आर्मी जिन्दाबाद भारतीय आर्मी जिन्दाबाद बहुजन एकता जिन्दाबाद ❤🙏💪🇮🇳