डाक्टर साहब को शब्दों की व्याख्या पता है गीता का ज्ञान संसार दुखों से छुटकारा मोक्ष को प्रदान करने वाला है संसार समाज में कुरीतियों से संघर्ष है। एक कर्म के आधार पर गीता टिकी हुई है। स्व और धर्म सबके साथ धर्म जुड़ा हुआ है जिसकी रचना ब्रह्म ने की है उसी का पालन स्व धर्म का पालन है। यह योगियों के क्षेत्र का जो योगेश्वर श्रीकृष्ण का दिया हुआ ज्ञान करने योग्य है।
गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा शिव निराकार राजस्थान माउंट आबू में 88 साल से आये है अब वह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आये है अब जागो समय को पेहचानो फिर ना केहना हमें किसी ने बताया नहीं था
मैं आपका आदर करता हूं लेकिन गीता में वर्ण के कर्म ब्राहृ्मण व क्षत्रियों के ये कर्म नहीं बताये हैं---वैश्य व शूद्र के तो आप ने सही बताये हैं,क्षमा करें 🙏
Admi apna antaratma se ju gun aur karma atchaa lagte ohi Karna sahiye,isku Gita me swadarma other hand sthan,kal aur patrake sath Karan,karma,kriya ke tal mil banana sahiye,
प्रभु जो वेक्ति मंच में वक्ता है और कलाकारी का भी कार्य करता है वो किस वर्ग में आएगा? ऐसे अगर वेक्ति वेद शास्त्र के अध्यन में भी रुचि रखता हो और सात्विक भोजन भी ग्रहण करता हो 🙏🙏🙏?
श्रीकृष्ण का जाती धर्म यादव है यदुवन्सी है किन्तु स्वधर्म मे ब्रीकृष्ण धर्म के रक्षक धर्म को हानि ना हो धर्म स्थापित रहे इसके लिये कार्य या कर्म किये है ,,उनके गुण ,,,और कला एवं योग लगभग पूर्णता लिये हुए थे वह राजा थे ।.,,,,ब्रम्ह और परब्रम्ह से भी आगे अनन्त थे ,,ऐंसे अनन्त जिसमे सब कुछ समाया हुआ था ।आपका प्रश्न कलाकार के धर्म से है जाती या वन्स से नही वर्ण से नही ।वेद का अध्ययन ,,सात्विक भोजन के साथ,,,,भक्ति साधना कर्म कान्डी ,,.।अच्छा वक्ता यह ज्ञान के बल पर ही होता है ।कलाकार् कला के ज्ञान मे निपु णता से होता है ।जो ब्रम्ह से संम्बाधित है ।अतःआप गुण धर्म स्वभाव से ब्राम्हण एवं जाती जिस घर या वन्स मे पैदा. हुए है वह है ।to my personal view ,,,,
धर्म मे कितने अच्छे से समाज को चलाने के लिए वर्ण व्यवस्था की। उसे जन्म के आधार पर नही की पर हमें समाज ने अपने वरचस्व अनुसार जाति का भार दे दिया और वर्ण के महत्व को पूरी तरह खत्म कर दिया क्या ऋषि वाल्मीकि जी कोई ब्राह्मण थे? नही होने पर भी किसी उच्च कोटि के ब्राह्मण के नीचा दर्शन नही मिलता।
हो रहा है ना कन्फ्यूजन होएगा। कर्म के अनुसार तीन चीज मिल जातीहै वर्ण आयु और भोग। वर्ण को परिभाषित और वर्गीकरण करने के लिए जातियां रखी जातीहै। तभी जाकर व्यक्ति की पहचान संभाषण संभव हो पाता है
श्रीमान् सिन्हा साहब जैसे विद्वान् बार बार भारत भूमि पर जन्म लेने चाहिए। प्रणाम।।
डाक्टर साहब को शब्दों की व्याख्या पता है गीता का ज्ञान संसार दुखों से छुटकारा मोक्ष को प्रदान करने वाला है संसार समाज में कुरीतियों से संघर्ष है। एक कर्म के आधार पर गीता टिकी हुई है। स्व और धर्म सबके साथ धर्म जुड़ा हुआ है जिसकी रचना ब्रह्म ने की है उसी का पालन स्व धर्म का पालन है। यह योगियों के क्षेत्र का जो योगेश्वर श्रीकृष्ण का दिया हुआ ज्ञान करने योग्य है।
क्षत्री का धर्म है।किसी चीज की क्षति होने से बचाना।चाहे क्षेत्र हो या समाज हो।
गुरु जी प्रणाम ।
जय श्री कृष्ण।
सबका धर्म एक ही है --- सेवा... :~ उसकी ---
जिससे... समाज और परमात्मा प्रसन्न हों.! - ऊँ...
@@श्रीहरि-ङ4फ kya baat hai waah
Thanks
Wah wah wah. Agar aap na hote to ye gyaan ka shabd humko arso me prapt hote wo bhi tukdo me.
सियावर रामचंद्र की जय 🚩 🚩 🚩
Namas kar charaan bandna mahatma ji.
Guru ji ka charano ko mere naman 🙏🙏
Love from telanagana
Pranam gyan ke liye
गुरु जी प्रणाम।🙏
🙏🏻🧡
गुरुजी योगवासिष्ठ पर प्रकाश डालने की कृपा करें । 🙏🙏🙏
गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा शिव निराकार राजस्थान माउंट आबू में 88 साल से आये है अब वह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आये है अब जागो समय को पेहचानो फिर ना केहना हमें किसी ने बताया नहीं था
धन्यवाद गुरुजी
🙏🙏
Jay shree krishna
डाक्टर साहब।
👌🏻🙏🏻
🕉🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏
धन्यवाद
गुरू जी प्रणाम
Hare krsna
परनाम गुरु जी jai Shri krishna from raghav Verma KARNAL
आभार
🙏
❤️❤️❤️❤️
Nice
मैं आपका आदर करता हूं लेकिन गीता में वर्ण के कर्म ब्राहृ्मण व क्षत्रियों के ये कर्म नहीं बताये हैं---वैश्य व शूद्र के तो आप ने सही बताये हैं,क्षमा करें 🙏
Namskar
Gurudev himmat singh ji ke kya number he
Admi apna antaratma se ju gun aur karma atchaa lagte ohi Karna sahiye,isku Gita me swadarma other hand sthan,kal aur patrake sath Karan,karma,kriya ke tal mil banana sahiye,
गुणकर्म विभाग तो समज आ रहा है
प्रणाम गुरु जी
Knowledge google
गुण-कर्म से वर्ण व्यवस्था को कैसे इम्प्लीमेंट करे??
प्रभु जो वेक्ति मंच में वक्ता है और कलाकारी का भी कार्य करता है वो किस वर्ग में आएगा? ऐसे अगर वेक्ति वेद शास्त्र के अध्यन में भी रुचि रखता हो और सात्विक भोजन भी ग्रहण करता हो 🙏🙏🙏?
श्रीकृष्ण का जाती धर्म यादव है यदुवन्सी है किन्तु स्वधर्म मे ब्रीकृष्ण धर्म के रक्षक धर्म को हानि ना हो धर्म स्थापित रहे इसके लिये कार्य या कर्म किये है ,,उनके गुण ,,,और कला एवं योग लगभग पूर्णता लिये हुए थे वह राजा थे ।.,,,,ब्रम्ह और परब्रम्ह से भी आगे अनन्त थे ,,ऐंसे अनन्त जिसमे सब कुछ समाया हुआ था ।आपका प्रश्न कलाकार के धर्म से है जाती या वन्स से नही वर्ण से नही ।वेद का अध्ययन ,,सात्विक भोजन के साथ,,,,भक्ति साधना कर्म कान्डी ,,.।अच्छा वक्ता यह ज्ञान के बल पर ही होता है ।कलाकार् कला के ज्ञान मे निपु णता से होता है ।जो ब्रम्ह से संम्बाधित है ।अतःआप गुण धर्म स्वभाव से ब्राम्हण एवं जाती जिस घर या वन्स मे पैदा. हुए है वह है ।to my personal view ,,,,
धर्म मे कितने अच्छे से समाज को चलाने के लिए वर्ण व्यवस्था की। उसे जन्म के आधार पर नही की पर हमें समाज ने अपने वरचस्व अनुसार जाति का भार दे दिया और वर्ण के महत्व को पूरी तरह खत्म कर दिया क्या ऋषि वाल्मीकि जी कोई ब्राह्मण थे? नही होने पर भी किसी उच्च कोटि के ब्राह्मण के नीचा दर्शन नही मिलता।
मन्दिर बनानेवाला सिल्पकार कैसे अनईस्किल्ड हो सकता है
हो रहा है ना कन्फ्यूजन होएगा। कर्म के अनुसार तीन चीज मिल जातीहै वर्ण आयु और भोग।
वर्ण को परिभाषित और वर्गीकरण करने के लिए जातियां रखी जातीहै। तभी जाकर व्यक्ति की पहचान संभाषण संभव हो पाता है
क्षत्रीयाचा धर्म लढणा तो कृपाचार्य ,द्रोणाचार्य यांनीधर्माचे पालन केले काय
वर्ण संकर का डर अर्जुन ने क्यू उपस्थित किया है ?
❤
गुरु जी परनाम Jai Shri krishna from raghav Verma KARNAL
Nice