ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Desh me mandir aur masjid church ko ban karna chahiye puja karni hai to ghar ke mandir me kare aisa kanoon banna chahiye aur mandir masjid ki zammen me 3 bhk bungalow bana kar garibo ko dan dena chahiye🤔😎
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
यो हरियाणा है प्रधान यहां के किसान ने बीजेपी का हर जुल्म सहन किया है लेकिन जो जुल्म बीजेपी ने अग्निवीर योजना ला के हरियाणा और देश के युवा के पेट पे लात मारी है उसको कभी सहन नही करेगी हरियाणा की जनता और मेरा सवाल कांग्रेस से भी है की आप के ऊपर भी जनता इसलिए भरोसा किया है की हरियाणा की जनता के तीन ही मुख्य मुद्दे है जवान किसान और पहलवान इन तीनों के साथ धोखा हुआ है इसलिए लोगों ने कांग्रेस पर भरोसा किया है बाकी दूध की धुली हुई तो कांग्रेस भी नही है तो सोच समझ कई चुनावी दंगल में जाना ये हरियाणा है प्रधान कोई कांग्रेस की लहर नहीं है ये बीजेपी से दुखी होकर कांग्रेस को चुन रही है क्यों की 2nd लार्जेस्ट पार्टी है देश की अगर जवान किसान और पहलवान खिलाड़ी के भरोसे को तोड़ा तो 10 साल की वेटिंग लिस्ट में डाल देगी जनता
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
I'm from Bawani Khera Haryana Only two Caste Supporting Him Jaats And His Own Community He is Too Dangerous For our Town but we Will Definitely Fight against Him We don't need Urban Naxalism In our Beloved Town
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
@@jattulohariaala2649 are meri jaan wo to koi chakkr ni vote tera haq hai kise ti b de baaki dil te bata 30000 te harn aala kime tuk bne hai ke.....? ise kitne duwao ge kapoor saab ne
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
@@RSGpunjabimusic Bhai mere rahi bat nokriya ki nokri nispaksh mili h kabiliyt ka hisab t mili h pichli yojna m tere congress k 10 sal t dedh guna nokri dedi thi..ar iss yojna m cet or khttr k karan jo system n behtair bnan ki kosis thi va thodi fail hogi km t km kosis to kri ib k saini de dega..Ar bhai chasma phr k bolega congress ka to ya bjp p jaatni jamna bnd kregi jb na dekhe ora kani
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है । जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया । दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने । मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे । इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय । इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था । ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है । इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ? फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए । चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
@@Nikhilrajkumar-j7j I know that in UP and Bihar, marriages happen at the age of 14-15, and then they have children early as well, so by the age of 16-17, a child quickly becomes an adult according to your culture. But in all the developed states, marriages typically happen around the age of 30... But I don't think you'll be able to understand ! WhatsApp university 👌
कांग्रेस से टिकट लेने JNU के छात्र जाते है .🔥
BJP से टिकट लेने WhatsApp University के छात्र जाते है कंगना😂
😂😂
But ek chiz h.... Congress ki ticket bas JNU ya jamia walo ko hi milti....
Ab JNU q famous h wo aap dekhe. ...
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Bjp ne local candidate diya.. aur is parasite ki dukaan bandh kardi Jai Haryana
Super Duper Reporting working💯 Abhinav Pandey💯✍️✍️✍️.Very nice Pardeep Narwal 💗💗💗🇮🇳🌾 Nice thinking.इसी सोच और समझ से आगे बढ़ते रहो।🇮🇳Jindabaad Jawani🌾 Jindabaad Kisani Janta Sarkar Morcha Jindabaad💪💪💪💪💪🇮🇳 Inklab Jindabaad💪💪💪
Pardeep Bhai great leader in future
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Bjp vs congress nahi, bjp vs janta h welcome bhai pardeep narwal
Rahul Gandhi jindabad Only Congress
Rahul Gandhi के साथ देश जुड़ रहा है
राहुल गांधी जी देश का सच्चा नेता है राहुल गांधी जी गरीबों का दोस्त है राहुल गांधी जी कौमी एकता काप्रतीक है
Videshi maa se paida hua bachcha kabhi desh bhakt nhi ho skta -- chaanakya
Bhai safidon me subhash गंगोली जी का भी interview lo
Pradeep Narwal kabadi player bhi hai ak King 👑❤
Wo bhi whi se hai jha se ye pardeep hai😂
Prdp Narwal kabaddi player from Rindhana
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Very very good baat bhai sahab
Educated neta hona jaruri bawani khera ke liye ...vote for Congress ❤
God bless🙏 💐💐💐💐🙏🏻👍🥰🤗
Congress party jindabad Rahul Gandhi jindabad
सुंदर नहर के अंतिम छोर पर पिछले 1 साल से पानी नहीं पहुंचा है
Manofesto me add krva dia h
अबकी बार बदलाव को वोट सच्चे विकाश को
Desh me mandir aur masjid church ko ban karna chahiye puja karni hai to ghar ke mandir me kare
aisa kanoon banna chahiye aur mandir masjid ki zammen me 3 bhk bungalow bana kar garibo ko dan dena chahiye🤔😎
Hey gyaani aap kaha the itne din se
@@SomeOne-kiyotakasat sat naman bhai aapko ❤
Bhiwani se abhijeet lal singh ka interview bhi lo abhinav bhai.. bahut aacha vision hai uska
Pradeep Narwal Bhawani Kheda se kam se kam 50000 voton se Jeet rahe hain
सुंदर नहर मे पानी चाइए केवल
जीत पक्की है भाई प्रदीप नरवाल की
Jay ho
Bhai pardeep narwal jindabaad ❤........ @sanjay ranolia baliyali
Interview Sanjana Satroad
He is a educated and good leader...☠️☠️
ये आदमी वो जमीनी नही लग रहा।जो हरियाणा के नेताओ मे बात होती है।इसका लहजा भी टेलीविजन वाले नेताओं की तरह है।
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Congress 80 set
यो हरियाणा है प्रधान यहां के किसान ने बीजेपी का हर जुल्म सहन किया है लेकिन जो जुल्म बीजेपी ने अग्निवीर योजना ला के हरियाणा और देश के युवा के पेट पे लात मारी है उसको कभी सहन नही करेगी हरियाणा की जनता और मेरा सवाल कांग्रेस से भी है की आप के ऊपर भी जनता इसलिए भरोसा किया है की हरियाणा की जनता के तीन ही मुख्य मुद्दे है जवान किसान और पहलवान इन तीनों के साथ धोखा हुआ है इसलिए लोगों ने कांग्रेस पर भरोसा किया है बाकी दूध की धुली हुई तो कांग्रेस भी नही है तो सोच समझ कई चुनावी दंगल में जाना ये हरियाणा है प्रधान कोई कांग्रेस की लहर नहीं है ये बीजेपी से दुखी होकर कांग्रेस को चुन रही है क्यों की 2nd लार्जेस्ट पार्टी है देश की अगर जवान किसान और पहलवान खिलाड़ी के भरोसे को तोड़ा तो 10 साल की वेटिंग लिस्ट में डाल देगी जनता
Right 👍
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Pradeep narwal ❤
Pardeep win bawani khera
Jeetegaa
भाई प्रदीप नरवाल जिंदाबाद
Pardeep Narwal❤ 🏆
SIR YAHA PAR PANI AUR SWERAGE KI BAHUT DIFFICULTY H
Youth congress zindabad 🙌🙌🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Bhai pradeep narwal ❤❤❤
❤❤
❤️✌🏻
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Aaj dade yad aage
Rahul Gandhiji ❤❤❤❤🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
JNU❤
❤
Pradeep Narwal jindabad
No clarity at his thought
प्रदीप नरवाल जिंदाबाद
Sunder nahar me Pani ki samasya hai.. 15 din hona chahiye
Jeet ki aur badh rha hai abhi jeet
Lallan top ko mere gaav me aana chahiye
Y rajnithik hai
Pardeep narwal jindabad ❤️
Abi manu ji yha hm mile the or Pardeep narwal jite ga bhai lalantoop teem haryana ke kisan or students ka muda udao ji sabse jyada dhuki h dono
Bhai pardeep narwal jindabaad 🎉
Vote nahi hai
Bhai ye jatav hai ya valmiki??
Baniye panjabi sabki paati pdi h 😂
50000 se jitega Pardeep bhai
Only congress
Bhai muge bhi aage bada.
Bahout tej banda hai bhai iska haav bhav bta ra hai Bahout uper tak javaga
,👍🏿👍🏿👍🏿👍🏿
✋✋✋✋✋
Narwal जी, पानी की समस्या तो पूरे प्रदेश में है, Bwani khera कोई execption नहीं है l
Jhuth bolta hai 80 kilometre hai
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Abki baar modi rehn de yaar
Lagta h Miglani ko bhot dekh liya h 😂😂😂
@@abhishek5401 modi ko bhut dekh lia
@@abhishek5401 haryana se hu , election result wale din dekhna kya haal krte hai modi ka
@@Samundradarshan right bro m bi haryana se hi hu
Ghar chale jao
Master satbir ratera will win from this seat
Padha likha neta 😂 lekin neta toh neta hove hai. Khani banae raat bhar kaam kare jh*t bhar 😂
I'm from Bawani Khera Haryana Only two Caste Supporting Him Jaats And His Own Community He is Too Dangerous For our Town but we Will Definitely Fight against Him We don't need Urban Naxalism In our Beloved Town
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Haar pkki h iski😂30000 vote t
khud ka vote koni bn rha aura ne haran me lag rhe ho....... dekh lya ge 9 din pache kaun kitna pani me hai
@@akshitdhania3462 dekh liye chae hum bhi ade a ha tu bhi...vote bn rya h broo pichle 7 saal t ar bjp t a dyange kyu tension lerya h
@@jattulohariaala2649 are meri jaan wo to koi chakkr ni vote tera haq hai kise ti b de baaki dil te bata 30000 te harn aala kime tuk bne hai ke.....?
ise kitne duwao ge kapoor saab ne
@@akshitdhania3462 nu too maan gya hoga ki haar pkki hh...1 tarfa Jeet h bhai bjp ki terli ah baat h 8 tarik n bera laag jaga
UP me supda saf kar diya esne
पानी नलके का M. L. A हल्के का बाहरी नहीं चाहिए
aade ka tha bishamber ke krya pichle 10 saal me....?
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Bhaisahab vk singh bapora se h tosham hlka ka..mera terti vote den ka mn tha ib plt gya bawani t janda a nhi kam ghnta krega bjp jindabad
10 saal BjP hi thi jo pani ka bhi na intjaam kr sake 😂 BJP hatoo agniveer yojna dc rate Nokri pakki karwaoo 😂
@@RSGpunjabimusic Bhai mere rahi bat nokriya ki nokri nispaksh mili h kabiliyt ka hisab t mili h pichli yojna m tere congress k 10 sal t dedh guna nokri dedi thi..ar iss yojna m cet or khttr k karan jo system n behtair bnan ki kosis thi va thodi fail hogi km t km kosis to kri ib k saini de dega..Ar bhai chasma phr k bolega congress ka to ya bjp p jaatni jamna bnd kregi jb na dekhe ora kani
ये तो जब टिकट मिली, उसी दिन हार गया था चुनाव । यहां से मास्टर सतवीर रतेरा और कपूर वाल्मीकि में ही टक्कर हैं । ये तो चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहा है । काम करना तो बहाना है... कहीं और निशाना है ।
जिस प्रोसेस की ये बात कर रहे हैं, इन्होंने उसी को follow नहीं किया, आवेदन ही नहीं भरा और जिन्होंने आवेदन भरा, उन्हें पार्टी ने बाहर कर दिया ।
दोसरी बात, ये वफादारी शब्द कह रहे हैं । परंतु, उसके उलट मक्कारी भी है जो यहां की जनता के साथ किया है पार्टी ने ।
मोदी के रास्ते पर मत चलो कि यहां की जनता ने गोद लिया है । एक बात और, ये कहते हैं कि इनकी रिश्तेदारी हैं यहां तो सीधा सा अर्थ है कि ये जीते तो रिश्तेदारों के ही काम करेंगे ।
इन्होंने कहा कि सिद्धांतो की राजनीति की है । तो ये कैसे सिद्धांत हैं कि जब आवेदन ही नहीं किया तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए । चुनाव लड़ रहे हैं, ये तो बड़े शर्म की बात है । क्या आम नागरिक को भी बिना फार्म भरे ही नौकरी मिली है क्या कभी ? और ये इन्हें सिद्धांतों की राजनीति बताते हैं । सब बकवास कर रहे हैं ये महाशय ।
इन्होंने कहा कि यहां काम नहीं हुआ, पिछड़ा हुआ इलाका है । ये नहीं बताया कि पहले लंबे समय तक विधायक इन्हीं की पार्टी का था ।
ये ये भी कह रहे हैं अपने इंटरव्यू में कि इन सारे महापुरुषों को मानते हैं । पर सवाल ये है कि अगर मानते हैं तो उनके विचार, चरित्र कर्म में झलक भी मिलनी चाहिए जबकि वो दूर दूर तक नहीं है ।
इन्होंने संविधान की बात की, लेकिन क्या इनका संविधान ऐसा ही है कि आवदेन कोई और करे और टिकट ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जिसने आवेदन ही नहीं किया । क्या यही न्याय करने का तरीका है ? जब खास लोगों के साथ न्याय ऐसे होता है, तो आमजन के साथ न्याय कैसे होगा ?
फौजी का बेटा ऐसा नहीं होता, वो अनुशासन में होता है जबकि ये तो यूपी से क्या लेकर आए हैं, वो भी देख लेना चाहिए ।
चुनाव ये नहीं, जनता लड़ रही है - ऐसा कहते हैं ये । लेकिन जनता ने तो यहां के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था । ऐसा किसी ने अपेक्षा नहीं रखी थी कि कोई बाहर से बिना आवेदन के ही पेपर देने आ जायेगा । रिश्ते निभाएं हैं, मगर चापलूसी के । छल तो यहां कि जनता के साथ हो चुका । खुद आदर्शों पर नहीं चल रहे और ये आदर्श बवानीखेड़ा बनाएंगे । कमाल है । इसे यहां के मुद्दे ही नहीं पता ।
Arre bhai vidhyak se baat Mt kro video m mje nahi aate
Janta se hi baat kro
10 saal se BJP ki hi baat ha tv me per kam ghanta na kraya 😂pani tak ha na thare area me 😂
33 saal ka konsa LADKA hota b 😂 Budha Bachaa
Hahahaha shi bola yrr 😂😂😅
Bacche Politics Mein 55 saal k ko bhi yuva kaha hai...
Pahle padh le yuva jise kahte hai unki age kitni hoti hai ..... whatsapp university se nahi par.....😂😂😂😂😂
@@Nikhilrajkumar-j7j I know that in UP and Bihar, marriages happen at the age of 14-15, and then they have children early as well, so by the age of 16-17, a child quickly becomes an adult according to your culture. But in all the developed states, marriages typically happen around the age of 30... But I don't think you'll be able to understand !
WhatsApp university 👌
Yuva Means until 25 year old After 25 Thats called Uncle 😂
Ye nikamme ,chatukar ummidvar he
Bahi Pardeep Narwal jeet k aayega or Sb thik krega, BAWANI KHERA ab sirf Bahi Pardeep Narwal ko hi layega ❤️✌🏻
bjp jitegi bawani khera bhi or haryana bhi
Y bnda shi nhi h jutha h
yo km se km 20000 vote se hare ga km se km
Fake h bnda ye pura , baato se pta lg rha h
Kyu harega
@@Shandilya-q3i acha tum real ho.. Do rupy ka comment karke gujara ho jata hai kya
Tum Brahmin baniye rote raho 😂
@@exoticindiaa kyu tu k Baal paad le ga
Sab jat ko ticket mili h
Padha likha kar ,kuch gober durr hoga dimag se, 22 obc 15 sc ,ko ticket diye hain Congress ne
Pardeep Narwal jindabad
प्रदीप नरवाल जिंदाबाद