बात है सन् १९७०-७१ की है। विदेशिया के जनक भिखारी ठाकुर के अवसान के दो-चार महीने पहले की, जब मैंने उन्हें बहुत नजदीक से देखा था। वह नाच का जमाना था। नाच किसी भी शैली का हो, हमारे यहाँ नाच ही कहा जाता था। बारात में नाच आवश्यक ही नहीं अनिवार्य माना जाता था। दो रात की बारात हुआ करती थी। ऐसे में दो रात तथा एक पूरा दिन लोग नाच का आनंद लेते थे। जिसके घर बारात आई होती, वह पूरा परिवार बारातियों को खिलाने-पिलाने में व्यस्त रहता। लेकिन उस गाँव के लोग ही नहीं, आसपास की गाँवों के लोग भी दो रात और पूरा दिन नाच का मजा लेते थे। कई बार तो हर गांव में बारात और हर बारात में नाच। यहाँ तक कि कई बार एक ही गाँव में दो तीन बारातें आतीं। गर्मी के दिनों में लोग फुर्सत में रहते थे और नाच का खूब मजा लेते थे। खाली समय में लोग नाच की ही बातें किया करते थे। नाच की अच्छी मंडलियों की शोहरत बहुत दूर दूर तक रहती थी। ऐसी मंडलियों में सर्वोपरि नाम था भिखारी ठाकुर का। हमारे इलाके में भिखारी ठाकुर का नाच शायद ही किसी ने देखा हो। लेकिन कोई ऐसा न था जो भिखारी ठाकुर का नाम न जानता हो। हमारे बचपन में भिखारी ठाकुर एक मिथ थे। आज भी है। ७०-७१ के किसी महीने में अचानक यह पता चला कि मेरे गाँव (गोरया घाट, जिला देवरिया, उ प्र) के उत्तर तरफ नदी के उस पार बघड़ा गाँव में फलाँ तारीख को भिखारी ठाकुर का नाच होने वाला है। वह शादी का मौसम नहीं था। इतना मुझे याद है। उस गाँव के बड़े जमींदार थे देवता राय। उन्हीं के घर में एक बच्चे का मुंडन संस्कार था। उसी के उत्सव में उन्होंने भिखारी ठाकुर के नाच का आयोजन किया था। आप कल्पना नहीं कर सकते कि यह बात बहुत दूर-दूर तक जंगल की आग की तरह फैल गई थी। पचीसों तीसों मील दूर के या उससे भी अधिक दूर के बहुत से लोग हमारे आस-पास के गाँवों में अपने रिश्तेदारों के यहाँ एक दो दिन पहले ही आकर जम गए थे। सोचिए जरा कैसी उत्तेजना रही होगी उस समय! मेरी उम्र १७-१८ वर्ष की थी। उस जमाने के हिसाब से यह उम्र बच्चों की उम्र थी। इलाके में जैसी हलचल थी, उसको देखते हुए हमारी चिंता यह थी कि उस अपार भीड़ में हम नाच कैसे देख पाएँगे! नाच सामान्यतः ९-१० बजे रात को शुरू हुआ करता था। ऐसे में हम तीन मित्रों ने तय किया कि हम शाम को ही मंच के नजदीक पंडाल में पहुंच जाएँगे। हमने किया भी वही। लगभग ४ घंटे पहले हम पंडाल में मंच के पास पहुँच गए। परंतु वहाँ पहुँचने के बाद हमें एक धक्का सा लगा। जिसकी कल्पना हमने कर रखी थी, ऐसा कुछ न था। भीड़ की तो बात ही क्या, गांव के और घर परिवार के दस-पाँच लोगों के सिवाय वहाँ और कोई दिख नहीं रहा था। मंच की सजावट चल रही थी। हम पांडाल में मंच से थोड़ी दूरी पर बैठकर नाच शुरू होने का इंतजार करने लगे। धीरे-धीरे लोग आने लगे। भीड़ बड़ी तेजी से बढ़ने लगी। हम तो बहुत खुश और निश्चिंत थे कि मंच के पास हम पहुंच गए हैं। परंतु दो घंटे के बाद धीरे धीरे ऐसी भीड़ उमड़ी कि भीड़ को देखकर हम आतंकित हो उठे।उस जमाने में हर व्यक्ति के हाथ में लाठी होती थी। लोग लाठी को मर्द का सिंगार मानते थे। लोग खेत में जाएँ या अन्यत्र कहीं, सामान्यता हाथ में लाठी जरूर होती। पीछे मुड़कर देखने पर सिर्फ लाठी ही लाठी दिखाई पड़ती थी। बाद में आने वाले झुंड बनाकर हू हू करकेे आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। एक अजीब अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जगह कम थी भीड़ ज्यादा थी। घर की महिलाएँ भी नाच देख सकें, इसलिए राय साहब ने घर के सामने ही अहाते में नाच का आयोजन किया था। उसी माहौल के बीच स्त्री वेश में सजे धजे नाच के सात आठ नर्तक मंच पर उपस्थित हुए। प्रार्थना करने के लिए। तभी मंच की दूसरी तरफ से दो लोगों का सहारा लेकर भिखारी ठाकुर मंच पर आए। लंबा किंतु उम्र के कारण जर्जर शरीर। सिर पर बड़ी सी पगड़ी। उन्हें खुद खड़ा रहने में कठिनाई थी। दोनों तरफ से दो आदमी उन्हें पकड़े हुए थे। भीड़ में सन्नाटा छा गया। उसी बीच भिखारी ठाकुर ने भारी आवाज में बोलना शुरू किया - राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम खातो में राम पिअतो में राम उठतो में राम बइठतो में राम राम राम राम राम राम राम राम। ऐसा ही और कुछ बोलकर उन्होंने लोगों को थोड़ा संबोधन किया। फिर वे लोग उन्हें मंच से उतार ले गए। वह स्मृति आज भी ताजी है।
सच में भिखारी ठाकुर का पुरा मंडली कैसी होती होंगी और उनका चरितार्थ कैसा होता होगा जो समाज के अच्छाईयो और बुराईयो को किस प्रकार प्रदर्शित करते होंगे और रंगमंच के माध्यम से समाज को जागरूक करते होंगे! रामचन्दर मांझी जी उनके चरितार्थ होते होंगे, बहुत ही अद्भुत होता होगा वो दृश्य! भिखारी ठाकुर एवं रामचन्दर मांझी जैसे महान आत्मा को शत शत नमन, ये महान आत्मा हमारे आदर्श स्वरूप हैं! और मैं लल्लनटॉप के टीम को धन्यवाद देना चाहुँगा रामचन्दर मांझी जैसे महान आत्मा के वक्तव्य को हमलोगों तक पहुंचाने के लिए!
भिखारी ठाकुर जी ने समाज मे जितने कुरीतियां थी या हैं उसपर अपने गायकी या नाटक के माध्यम से पूरे समाज को आयिना दिखाया और बताया जिसमे काफी सुधार हुआ सच में उन्हें तो देश रत्न की उपाधि देनी चाहिए
इस विधा के कलाकारों को समाज में सम्मान नहीं मिलता, समाज इन्हें गंदे व भद्दे तरीके से बुलाता है, नचनियां न जाने क्या क्या,, नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया जाना बहुत प्रशसनीय है, लोक कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। बहुत सुंदर बाबा 💐👌
बेहतर संकलन के लिए आप बधाई के पात्र हैं ! परन्तु मेरी सलाह है कि अपनी तरफ से ज्यादा स्पष्टीकरण न दें क्योंकि साक्षात्कार में अगला पक्ष का वक्तव्य ज्यादा महत्वपूर्ण होता है अत: उन्हें ज्यादा बोलने दें लोग समझ लेते हैं । आप ज्यादा समझदार है बुरा न माने । आपका शुभेच्छु ! जय प्रकाश सिंह
अतिसुंदर द लल्लनटाप आपका धन्यवाद। आपने भोजपुरी के रचयिता महान स्व श्री भिखारी ठाकुर के बारे मे हमे इतना बताया। श्री रामचंद्र मांझी जी का जिंदगी पुरी तरह से भोजपुरी संस्कृति को समर्पित रहा। ऐसे लोगो को शत् शत् नमन।।।।
You are right sir . The first President of India , Dr Rajendra Prasad was Bihari.There are many examples like these. Dharamdev Kumar Kushwaha , Bhagalpur,Bihar.
आज मुझे इस वीडियो में भिखारी ठाकुर के विचार को समझ कर और उनकी करुण भावनाओं को जानकर जिसने लाचार गरीब किसान सब के दुखों को उन्होंने अपने गाने के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया आज मुझे जानकर मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े धन्य हो भिखारी ठाकुर आपको लाखों लाखों प्रणाम और श्रद्धांजलि
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ॐ शांति👏🏻👏🏻
Hamaare desh ki sans kriti aur sabhy taa me aapkaa mai dill se naman Kar taa hu🙏🙏🙏🙏🙏🦜⌚📘📝🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🪐🪑
Bahut hi sundar prastuti ke klakar hai
Vah bhut sundar
कोटि कोटि नमन आपको🙏
क्लासिकल हीरो 🙏🙏🙏
The legend ramchandra ji
Jb ye video upload Hui thi tb bhi dekhi thi or aaj jb unka dehant ho gaya hai tb khoj ke dekh rahi
Barahmasa sun ke Rona aa gaya
Ye log samaj ,apni mitti ,boli desh sabko khub sundar banane ke liye jan laga diya
बात है सन् १९७०-७१ की है। विदेशिया के जनक भिखारी ठाकुर के अवसान के दो-चार महीने पहले की, जब मैंने उन्हें बहुत नजदीक से देखा था। वह नाच का जमाना था। नाच किसी भी शैली का हो, हमारे यहाँ नाच ही कहा जाता था। बारात में नाच आवश्यक ही नहीं अनिवार्य माना जाता था। दो रात की बारात हुआ करती थी। ऐसे में दो रात तथा एक पूरा दिन लोग नाच का आनंद लेते थे। जिसके घर बारात आई होती, वह पूरा परिवार बारातियों को खिलाने-पिलाने में व्यस्त रहता। लेकिन उस गाँव के लोग ही नहीं, आसपास की गाँवों के लोग भी दो रात और पूरा दिन नाच का मजा लेते थे। कई बार तो हर गांव में बारात और हर बारात में नाच। यहाँ तक कि कई बार एक ही गाँव में दो तीन बारातें आतीं। गर्मी के दिनों में लोग फुर्सत में रहते थे और नाच का खूब मजा लेते थे। खाली समय में लोग नाच की ही बातें किया करते थे। नाच की अच्छी मंडलियों की शोहरत बहुत दूर दूर तक रहती थी।
ऐसी मंडलियों में सर्वोपरि नाम था भिखारी ठाकुर का। हमारे इलाके में भिखारी ठाकुर का नाच शायद ही किसी ने देखा हो। लेकिन कोई ऐसा न था जो भिखारी ठाकुर का नाम न जानता हो। हमारे बचपन में भिखारी ठाकुर एक मिथ थे। आज भी है।
७०-७१ के किसी महीने में अचानक यह पता चला कि मेरे गाँव (गोरया घाट, जिला देवरिया, उ प्र) के उत्तर तरफ नदी के उस पार बघड़ा गाँव में फलाँ तारीख को भिखारी ठाकुर का नाच होने वाला है। वह शादी का मौसम नहीं था। इतना मुझे याद है। उस गाँव के बड़े जमींदार थे देवता राय। उन्हीं के घर में एक बच्चे का मुंडन संस्कार था। उसी के उत्सव में उन्होंने भिखारी ठाकुर के नाच का आयोजन किया था।
आप कल्पना नहीं कर सकते कि यह बात बहुत दूर-दूर तक जंगल की आग की तरह फैल गई थी। पचीसों तीसों मील दूर के या उससे भी अधिक दूर के बहुत से लोग हमारे आस-पास के गाँवों में अपने रिश्तेदारों के यहाँ एक दो दिन पहले ही आकर जम गए थे।
सोचिए जरा कैसी उत्तेजना रही होगी उस समय! मेरी उम्र १७-१८ वर्ष की थी। उस जमाने के हिसाब से यह उम्र बच्चों की उम्र थी। इलाके में जैसी हलचल थी, उसको देखते हुए हमारी चिंता यह थी कि उस अपार भीड़ में हम नाच कैसे देख पाएँगे!
नाच सामान्यतः ९-१० बजे रात को शुरू हुआ करता था। ऐसे में हम तीन मित्रों ने तय किया कि हम शाम को ही मंच के नजदीक पंडाल में पहुंच जाएँगे। हमने किया भी वही। लगभग ४ घंटे पहले हम पंडाल में मंच के पास पहुँच गए। परंतु वहाँ पहुँचने के बाद हमें एक धक्का सा लगा। जिसकी कल्पना हमने कर रखी थी, ऐसा कुछ न था। भीड़ की तो बात ही क्या, गांव के और घर परिवार के दस-पाँच लोगों के सिवाय वहाँ और कोई दिख नहीं रहा था। मंच की सजावट चल रही थी। हम पांडाल में मंच से थोड़ी दूरी पर बैठकर नाच शुरू होने का इंतजार करने लगे।
धीरे-धीरे लोग आने लगे। भीड़ बड़ी तेजी से बढ़ने लगी। हम तो बहुत खुश और निश्चिंत थे कि मंच के पास हम पहुंच गए हैं। परंतु दो घंटे के बाद धीरे धीरे ऐसी भीड़ उमड़ी कि भीड़ को देखकर हम आतंकित हो उठे।उस जमाने में हर व्यक्ति के हाथ में लाठी होती थी। लोग लाठी को मर्द का सिंगार मानते थे। लोग खेत में जाएँ या अन्यत्र कहीं, सामान्यता हाथ में लाठी जरूर होती।
पीछे मुड़कर देखने पर सिर्फ लाठी ही लाठी दिखाई पड़ती थी। बाद में आने वाले झुंड बनाकर हू हू करकेे आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। एक अजीब अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
जगह कम थी भीड़ ज्यादा थी। घर की महिलाएँ भी नाच देख सकें, इसलिए राय साहब ने घर के सामने ही अहाते में नाच का आयोजन किया था। उसी माहौल के बीच स्त्री वेश में सजे धजे नाच के सात आठ नर्तक मंच पर उपस्थित हुए। प्रार्थना करने के लिए। तभी मंच की दूसरी तरफ से दो लोगों का सहारा लेकर भिखारी ठाकुर मंच पर आए। लंबा किंतु उम्र के कारण जर्जर शरीर। सिर पर बड़ी सी पगड़ी। उन्हें खुद खड़ा रहने में कठिनाई थी। दोनों तरफ से दो आदमी उन्हें पकड़े हुए थे। भीड़ में सन्नाटा छा गया।
उसी बीच भिखारी ठाकुर ने भारी आवाज में बोलना शुरू किया -
राम राम राम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम राम राम
खातो में राम
पिअतो में राम
उठतो में राम
बइठतो में राम
राम राम राम राम राम राम राम।
ऐसा ही और कुछ बोलकर उन्होंने लोगों को थोड़ा संबोधन किया।
फिर वे लोग उन्हें मंच से उतार ले गए।
वह स्मृति आज भी ताजी है।
मैडम आपकी आवाज बहुत ही मधुर हैं
Jaati na puchho sadhu se,puchh lo giyan ! MOL karo talwar ka,pra raha n do,Mayan....by mukesh Kumar sada Khagaria Bihar India.
Theek
Such serious issues
सच में भिखारी ठाकुर का पुरा मंडली कैसी होती होंगी और उनका चरितार्थ कैसा होता होगा जो समाज के अच्छाईयो और बुराईयो को किस प्रकार प्रदर्शित करते होंगे और रंगमंच के माध्यम से समाज को जागरूक करते होंगे! रामचन्दर मांझी जी उनके चरितार्थ होते होंगे, बहुत ही अद्भुत होता होगा वो दृश्य! भिखारी ठाकुर एवं रामचन्दर मांझी जैसे महान आत्मा को शत शत नमन, ये महान आत्मा हमारे आदर्श स्वरूप हैं! और मैं लल्लनटॉप के टीम को धन्यवाद देना चाहुँगा रामचन्दर मांझी जैसे महान आत्मा के वक्तव्य को हमलोगों तक पहुंचाने के लिए!
भिखारी ठाकुर जी ने समाज मे जितने कुरीतियां थी या हैं उसपर अपने गायकी या नाटक के माध्यम से पूरे समाज को आयिना दिखाया और बताया जिसमे काफी सुधार हुआ सच में उन्हें तो देश रत्न की उपाधि देनी चाहिए
Ramchandr baba aapko koti koti naman
Waw बाबा ko दिल से ❤️ प्रणाम proud moment fir बिहार 👍😎👏
भिखारी ठाकुर जी ने क्या शब्दो की रचना की बिना पढ़े लिखे ब्यक्ती ने पूरा बिहार ही नही देश को नाज हैं
नमन भीखारी ठाकुर जी को🙏🌹
Rahe
Wah very nice video sharing
Manjhi ji pranam..aap ek yug hain..Jo anchor Hain wo itne pyar se interview le rahi hain..ati uttam
,बहुत बढ़िया , जय भोजपुरी.जय भिखारी ,जय बिहारी ।
भागलपुर, बिहार
🙏भोजपुरी गोरव 🧡
Yugpurus ko sat sat naman
t 14:14 Piya Kalkatwa se mukhda shuru hua hai. Baba ki yaadasht ekdum tanatan hai !
आपकी आवाज तो मैडम दिल को छू जाए तो
Yes you should investigate in someone's personal life.
Aap wastav mein Bharat ratna ho..... aapko ko kotti..kotti pranam.....
jisne puri video dekhi wahi hai asli bhojpuriya ke fan
रामचंद्र माझी जी को कोटि कोटि नमन
My grandfather
Really
Tumara dada ji ka last name manjhi hai to tumhara chauhan kaise?
@@vyanjan-vidhiofficial are Bhai like màang rha hai. Aap to majhi aur Chauhan me ulajh gye😂😂
Proud of you manjhi ji
Great kalakar bhikhari Thakur ji
Love you Baba jee
वाह बाबा धन्य हैं आप सलाम आपको
Old is gold
इस विधा के कलाकारों को समाज में सम्मान नहीं मिलता, समाज इन्हें गंदे व भद्दे तरीके से बुलाता है, नचनियां न जाने क्या क्या,, नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया जाना बहुत प्रशसनीय है, लोक कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। बहुत सुंदर बाबा 💐👌
Pahli bat agar nachaniya shabd apko Bura lagta hai to koi kya Kar sakta
@@sandeepkumar-bn9rd गलती आपकी नहीं है कभी कभी हमें पता नहीं होता कि जो हम बोल रहे हैं वो सही है या गलत
Baba,mangi,,Amar,the,
94 saal hone baad v baba abhi show karne jaa rahe hai....👏👏👏👏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर साक्षात्कार!
OLD IS GOLD.
Very nice video Baba ji ko pranam hai
Very nice 👍👍👍👍👍
🙏❤️🙏
Great knowledge.
Bagut sunder
बेहतर संकलन के लिए आप बधाई के पात्र हैं ! परन्तु मेरी सलाह है कि अपनी तरफ से ज्यादा स्पष्टीकरण न दें क्योंकि साक्षात्कार में अगला पक्ष का वक्तव्य ज्यादा महत्वपूर्ण होता है अत: उन्हें ज्यादा बोलने दें लोग समझ लेते हैं । आप ज्यादा समझदार है बुरा न माने ।
आपका शुभेच्छु !
जय प्रकाश सिंह
Baba ji ko abhi tak geet yad h wah kya baat aise legend ko mera pranam
Aacha laga sun aur dekh kr..❤❤❤
कोटि कोटि नमन है जय बिखरी ठाकुर जी
वाह बहुत सुन्दर रउवा लोगन के बिचार से मन
खुश हो गईल
Sharan jila wala hai bikhari thakur mast program karta tha
जय हो भिखारी ठाकुर
Tujarpur mere nana ka ghar h
बहुत शानदार, स्वाती जी।
Jio ho Bihar ke Lala.
bahut khub kya bat h hume garv h inpe
Baba ko charan chukar pranam karta hu
Ye h asli kalakar bihar k pride me se...
Nice
Bahut khub
Kj
Baba ji bhagvan apko sau sal our jinda rakhe
Pranam ram chandra manjhi jee .....bhut din bad kisi ko dekh kr laga ki kuch sacha mehsus kia
Jai ho bhikhari ji ki or majhi ji ko srkar ko inko pensn dena chahiye kenyo ki ye grib lok kalakar hai
भिखारी ठाकुर की रचना बेटी बेचवा के बारे में भी एक प्रकरण बनाइये।।
I m from Assam love bikhari thakur
Ramchandra manjhi baba ke pair chuke gor laagatani JAI BHOJPURIYA MAATI JAI BIHAR JAI HIND 🇮🇳
Reporter is a good translater.
Ramchandra manjhi is a great bhojpuri artist own time with heavenly bhikhari thakur I hearted salute to you sir
अतिसुंदर
द लल्लनटाप आपका धन्यवाद। आपने भोजपुरी के रचयिता महान स्व श्री भिखारी ठाकुर के बारे मे हमे इतना बताया। श्री रामचंद्र मांझी जी का जिंदगी पुरी तरह से भोजपुरी संस्कृति को समर्पित रहा। ऐसे लोगो को शत् शत् नमन।।।।
Good
Great baba ji very nice ghana
Jai ho bhojpuri
Bahut achchha laga ye khoj aap logon ki. Par meri aur ek nivedan hai BIHAR SARKAR se ki Bhikhari Thakur ka naam Itihaash mein nahin hai.
Proud of you ramchand manhi
ee khaali e go interview naa baa balki Bhikhari Thakur ji ke yaad aur samaaj ke chitran ba
Bhikhari thakur was the legend of his time... his songs and plays which he written and sung they all touching the issues of social problems ....
Yes you should investigate in someone's personal life.
Reporter disturbing the whole thing in translation she should have used subtitles instead
Supar
गज़ब मज़ा आ गया ।। छपरा के ओर एप्षोड कीजिये ।। हम इसी के इन्तेजार में है।।
Bihar always gives golden period for india
But bihar are count in backward state
You are right sir . The first President of India , Dr Rajendra Prasad was Bihari.There are many examples like these.
Dharamdev Kumar Kushwaha , Bhagalpur,Bihar.
Bahut sandar
Naman
Wahh!! Bhut hi shandar h
Good work maa'm
Singer sonu bhai
yaar ye anchor ji bahut ultimate anchoring karti hain.......good interviewing
आज मुझे इस वीडियो में भिखारी ठाकुर के विचार को समझ कर और उनकी करुण भावनाओं को जानकर जिसने लाचार गरीब किसान सब के दुखों को उन्होंने अपने गाने के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया आज मुझे जानकर मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े धन्य हो भिखारी ठाकुर आपको लाखों लाखों प्रणाम और श्रद्धांजलि
Great video and make more videos like this
बुजुर्ग वार बड़े कलाकार है
Aaj to bhojpuri samaj ko new singer nicha gira diye h
Bahut bahut dhanyawad lallantop
Bahut sundar baba
The good
Thakur ji ka geet bhojpurio ke sath sath hindi bhasiyo ke man ko chhoo lena wala hai. O geetkar hi es samay ke real singer hai.
BAba g ka yadast kmjor ho chuka hai
Mam g
Bhojpur jila Bihar me program karo
Interviewer to top ki khiladi h