सृष्टि क्रम - भगवान सदा शिव जो निराकार रूप, निर्गुण स्वरूप है - इनके सगुण एवं साकार स्वरूप को नारायण हुवे - नारायण के नाभि कमल से ब्रम्ह देव - ब्रम्ह देव से 10 ऋषि ( मरीचि , अत्री , पुलह , क्रतु , वशिष्ठ , नारद , अंगीरा , पुलस्य , भृगु , दक्ष ) फिर 04 ( सनक , सननदन , सनातन , सनतकुमार ) , स्वयंभू मनु , सतरूपा , भगवान रुद्र (महाकाल शंकर भगवान जो ब्रम्ह देव के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं।) , भगवान श्री चित्रगुप्त की अवतरण , ब्रम्ह देव के 1100 वर्षों के त्री शक्तियों के तप के बाद हुआ है। (महाकाल एवं सृष्टि के भाग्य विधाता है जो अक्षर ब्रम्ह है अर्थात इनके साथ अक्षर तूलिका एवं ब्रम्ह लेखन प्रकट हुए हैं इसलिए अक्षर ब्रम्ह कहलाते हैं। अक्षर तूलिका अर्थात कलम दवात जो विधान बनाने एवं लिखने के बाद इनमें ही समाहित हो जाता है जिसका दर्शन किसी को नहीं होता है ये सिर्फ इनके द्वादश पुत्रो को ही हुआ था।)। इस प्रकार सृष्टि रचना क्रम में सबकी अवतरण एवं उत्पति हुई जिसकी कुल संख्या - 18 है। 🙏पदम पुराण पर आधारित🙏
Om chitra gupt Tay namah 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🙏
Jai chitra gupt bhagwan 🙏🙏🙏
Jay Chitragupta Maharaj Koti koti pranam 🌹🌹🙏🙏🌷🌷🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ॐप्रभुचित्रगुप्तायनमः 🙏🚩🇮🇳✍️ॐ
ऊँ यमाय धर्मराजय श्री चित्रगुप्ताय वै नम:🙏🙏🙏
Jai shri chitragupta maharaj 🙏🙏
जय श्री चित्रगुप्त महाराज की जय
विज्ञ शाश्वत सत्य सनातन धर्म के
जय चित्रगुप्त नम
Jai chitr gupt maharaj ki
नमस्ते, अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए साधुवाद.
सृष्टि क्रम - भगवान सदा शिव जो निराकार रूप, निर्गुण स्वरूप है - इनके सगुण एवं साकार स्वरूप को नारायण हुवे - नारायण के नाभि कमल से ब्रम्ह देव - ब्रम्ह देव से 10 ऋषि ( मरीचि , अत्री , पुलह , क्रतु , वशिष्ठ , नारद , अंगीरा , पुलस्य , भृगु , दक्ष ) फिर 04 ( सनक , सननदन , सनातन , सनतकुमार ) , स्वयंभू मनु , सतरूपा , भगवान रुद्र (महाकाल शंकर भगवान जो ब्रम्ह देव के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं।) , भगवान श्री चित्रगुप्त की अवतरण , ब्रम्ह देव के 1100 वर्षों के त्री शक्तियों के तप के बाद हुआ है। (महाकाल एवं सृष्टि के भाग्य विधाता है जो अक्षर ब्रम्ह है अर्थात इनके साथ अक्षर तूलिका एवं ब्रम्ह लेखन प्रकट हुए हैं इसलिए अक्षर ब्रम्ह कहलाते हैं। अक्षर तूलिका अर्थात कलम दवात जो विधान बनाने एवं लिखने के बाद इनमें ही समाहित हो जाता है जिसका दर्शन किसी को नहीं होता है ये सिर्फ इनके द्वादश पुत्रो को ही हुआ था।)।
इस प्रकार सृष्टि रचना क्रम में सबकी अवतरण एवं उत्पति हुई जिसकी कुल संख्या - 18 है।
🙏पदम पुराण पर आधारित🙏
अक्षर ब्रम्ह न्याय ब्रम्ह धर्माधिकारी भगवान श्री चित्रगुप्त जी की जय हो 💐💐🙏🙏
Om Sri Chitraguptaya Namaha.
चित्रगुप्त भगवान की जय जय जय जय जय
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम राजा सर
जय श्री चित्रगुप्ताय नमः
ॐ श्री चित्रगुप्तयः नमो नमः
Jai chitrgupt bhagwaan 🙏🙏🌹🌹
🙏om namaho chitrguptay namah 🙏
Ohm Sri Chirtaguptaye namah:
जय हो भगवान श्री चित्रगुप्त जी की
Jai chitragupt maharaj
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🌺🙏🌺 JAI SWAMI CHITHRAGUPTHA 🌺🙏🌺
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Being kayatha is a proud itself ❤
🙏
जयश्री चित्रगुप्त भगवान, जय श्रीराम, जय हिंदु 🙏🙏
जय श्री चित्रगुप्त भगवान
🙏 💐
Nice voice
जय श्री चित्रगुप्त भगवान
अक्षर ब्रम्ह न्याय ब्रम्ह धर्माधिकारी भगवान श्री चित्रगुप्त जी की जय हो 🙏🙏
जय हो चित्रगुप्त भगवान की
जय श्री चित्रगुप्त भागवान की
Jai chitragupta maharaj ki
Jai chitragupta bhagwan
ॐ श्री चित्रगुप्त जी नमः
जय श्री चित्रगुप्त भगवान