30//09//24 // मंगल प्रवचन // मुनिश्री सौम्यसागर जी महाराज ,,

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  • Опубликовано: 18 ноя 2024

Комментарии • 9

  • @PintuSinghai
    @PintuSinghai Месяц назад

    साधु प्रशंसा के भूखे और योग्यता से कंगाल होते हैं लेकिन जब योग्यता प्रशंसा का पीछा करती है तब योग्यता कंगाल के रास्ते आगे बढ़ जाती है यही यही संन्यासी और संसारी में अंतर

  • @varkhedkarmahaveer
    @varkhedkarmahaveer Месяц назад +1

    गुरुदेव के चरणो मैं मेरा कोटी कोटी कोटी कोटी नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु महाराज जी, महावीर रमेशजी जैन वरखेडकर जिंतुर निवासी जिल्हा परभणी महाराष्ट्र से, 👏👏👏

  • @bhoomijain422
    @bhoomijain422 Месяц назад

    सन्यासी ➡️साधु जब शांति धारा करते समय ना देख पाते हैं फिर भी मंत्रॊ में इतना डूब जाते हैं
    संसारी ➡️ श्रावक जब जो पढ़कर भी और देखकर भी उर्जा एकत्रित नहीं कर पाते हैं उससे ज्यादा साधु एकत्रित कर लेते हैं|
    यही संसारी और संन्यासी में अंतर है

  • @poojasinghai9327
    @poojasinghai9327 Месяц назад +3

    संसारी और संन्यासी मै ये ही अंतर है प्रसन्नता के भूखे योग्यता से कंगाल होते है लेकिन जब योग्यता प्रसन्नता का पीछा किया करती है तब योग्यता कंगाल के रस्ते आगे बढ़ जाती है।पूजा सिंघई ललितपुर।

  • @AkankshaJainJain-c3i
    @AkankshaJainJain-c3i Месяц назад +3

    साधु जब मंत्र पढ़ते हैं तो न तो भगवान को देख पाते हैं ना ही शांति धारा कर पाते हैं फिर भी मंत्रो में इतना डुब जाते हैं कि श्रावक जो पढ़ कर भी और देख कर भी इतनी ऊर्जा नहीं पाते साधु वो तर्के के मंत्रो में डुब के पा जाते हैं

  • @Mahimasaraf-ij6el
    @Mahimasaraf-ij6el Месяц назад

    साधु शांति धारा कराते समय न देख पाते न कर पाते पर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। और श्रावक शांति धारा करते समय भी उतनी ऊर्जा एकत्रित नहीं कर पाए जितनी साधु कर लेते हैं। यही संसारी और संन्यासी में अंतर हैं।
    महिमा सराफ मुंगावली

  • @SubodhJain-k2s
    @SubodhJain-k2s Месяц назад

    संसारी भगवान जी की शांति धारा कर सकता है और वह शांति धारा के माध्यम से अपने भाव को निर्मल कर सकता है
    लेकिन सन्यासी जो है वह शांति धारा तो नहीं कर सकते लेकिन अपने मंत्रो में माध्यम से होने वाली शांति धारा और भगवान में इतने खो जाते हैं कि अपना कल्याण कर जाते हैं सुबोध मोदी mungaoli