बहुत ही सुंदर मानस पाठ तर्ज एक दिल है आप लोग सुने और अपना आशीर्वाद प्रदान करे

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 24 сен 2024
  • #ramayan #viralvideo #ekdilhai #kumarsanu

Комментарии • 2

  • @ChaudharyarjunChaudharya-kp4en
    @ChaudharyarjunChaudharya-kp4en 11 дней назад

    Jay shree ram

  • @AnantMishra92
    @AnantMishra92 7 дней назад

    यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
    अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
    (चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)
    अर्थ: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की ग्लानि-हानि यानी उसका क्षय होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं श्रीकृष्ण धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।