क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।) गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था । सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
Very nice sir
Very nice sir ji 🎉
Very nice class sir
Very nice garu dev👍👍👍👍
Very very very 🎉nice 💫
Mja aa gya pd kar ❤❤
Sir hme bhi school education me Rana prtap ko padaya gya tha, pr sir aap hi ekmatr gurudev ho jinhone etne gharei se Rana Pratap ko padaya
Wah bhai
Maharana Pratap Singh
Very nice
Very beautifully 👌
Maharna pratap
Voice is kind of indistinct. You must improve it's quality
Anjali Sharma sir good morning
क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।)
गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था ।
सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
Good morning sir
nice sir
Vxxttytyf
Ccduy to eesß to u ❤️❤️❤️🎉
Ager mansingh ne yudh k baat loot paat ko roka to us din jab amer singh k sath khana khaya to gussa kis baat ka
Your great sir
Sir b arc ka mater karado
लूणकरण जैसलमेर का शासक था
लूणकरण कहा का शासक था जो मुगलो कि तरफ से लडा था
Bikaner ka
जैसलमेर का था लूणकरण
सांभर