नमस्कार, सवाल यह होना चाहिए क्या हम अपना भविष्य जानो सकते हैं/ बदल सकते हैं,,,? हर मनुष्य को अंतर प्रेरणा होती है और वो कुछ चीजें/ धन हासिल करता है, यह प्रेरणा प्राकृतिक होती है यही ईश्वर की कृपा है,, कुछ लोग किस्मत या संयोग कहते हैं,, मुख्य सवाल यह है कि ई लोग दुःख झेलते हैं कुछ उनकी तुलना में अधिक सुख साधन पाते हैं,,उसका कारण कर्म बताया जाता है 🙏🏻
मुझे तो ईश्वर और भगवान में काफी अन्तर मिलता है । ईश्वर निराकार ब्रह्म स्वरूप है । लेकिन लगभग सभी भगवान विनाशक दल के नायक रहे है । सभी का जन्म भी उत्तर प्रदेश में ही हुआ है । एक गंगा संस्कृति के सूर्य वंश और दुसरे जमुनी संस्कृति के चंद्र वंश । जिसे वैष्णव और शैव भी कहा जा सकता है । मिलने से आज की संस्कृति है ।
सर्वज्ञ का अर्थ आप गलत कर रहे हैं। सर्व का अर्थ सबकुछ, ज्ञ का अर्थ है जानने वाला। सबकुछ जानने वाला। वैसे तो आर्य समाजी लोगों की बातों में दम होती है, किंतु यहां पर डा विकास दिव्यकीर्ति की बातों में अधिक दम है।
ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ फिर.??? सीधा जवाब नही दिए और घुमा घुमा कर बाते बना रहे हो..!! ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ..? जब मूर्ति रक्षा नही करता फिर आपके सर्वव्यापक ईश्वर क्यों नही न्याय किया.रक्षा किया..??जब रक्षा नही किया तो सबका पालनहार कैसे हुआ प्रजा पालक कोसे हुए??सृष्टि का पालन करता कैसे हुआ ।
@@prajeshyadav8087 ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ फिर..??बोहत मूर्ति पूजन पर सवाल करते है कि ये मूर्ति कुछ नही करता फिर ये निराकार कैसे न्याय करता है जब कुछ करता ही नही..?
ईश्वर चेतन सत्ता है वह अपने नियमों को नही तोड़ता इसलिए वह किसी के कर्म को नही बदलता जबकि प्रतिमा जड़ पदार्थ है जड़ पदार्थ के आस पास या उसके साथ कोई क्या कर रहा है इसे उसका ज्ञान नही होता क्योंकि चेतना का अभाव है जब चेतना का अभाव है तो वह न तो न्याय कर सकती है न ही अन्याय
@@prajeshyadav8087 गजब है...मतलब ईश्वर चेतन सत्ता है और न्याय भी नही कर सकता ..सब जगह है किसी को बचा भी नही सकता ...फिर चेतन सत्ता कैसे हुआ..?वो भी जड़ ही हुआ जब वो कुछ कर नही सकता तो...सब जगह है न्यायकारी है ओर बस देखता रहता ही है..फिर मूर्ति भी वही है..ईश्वर को लोग प्रतिमा रूप में पूजते है ईश्वर भाव को ददेखते है क्यों कि वो सबके अंदर है और सबकी भाव को जानने वाला है लोग जिस भाव से उनकी पूजा मूर्ति विग्रह में करते है भगवान उनको उसी तरह का फल देते है..
Har insan ke karm h jse boyega vsa katega. Vikas divyakirti luccha sab janta h dili me jis ladki ko jehadi ne mara h uska nam saksi thi jo hindu ladki thi
बहुत ही प्रेरणा दायक व्याख्यान आचार्य जी
महोदय जी सर्वज्ञ का मतलब सबसे ज्यादा बुद्धिमान नहीं है बल्कि सब कुछ जानने वाला है।
महोदय जी, दिव्य कीर्ति की हर बात लौजिक होती है।
भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहते हैं तो पालनहार को सबके सुख-दुख चिन्ता होनी चाहिए
❤❤❤
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
Vikas divyakity sir is absolutely right.
ओउम्
जय जय श्री राम कृष्ण ओम्
नमस्कार, सवाल यह होना चाहिए क्या हम अपना भविष्य जानो सकते हैं/ बदल सकते हैं,,,?
हर मनुष्य को अंतर प्रेरणा होती है और वो कुछ चीजें/ धन हासिल करता है,
यह प्रेरणा प्राकृतिक होती है यही ईश्वर की कृपा है,, कुछ लोग किस्मत या संयोग कहते हैं,, मुख्य सवाल यह है कि ई लोग दुःख झेलते हैं कुछ उनकी तुलना में अधिक सुख साधन पाते हैं,,उसका कारण कर्म बताया जाता है 🙏🏻
नमस्ते आचार्य जी
ओम् नमः ओम्
जय जय श्री राम
मुझे तो ईश्वर और भगवान में काफी अन्तर मिलता है । ईश्वर निराकार ब्रह्म स्वरूप है । लेकिन लगभग सभी भगवान विनाशक दल के नायक रहे है । सभी का जन्म भी उत्तर प्रदेश में ही हुआ है । एक गंगा संस्कृति के सूर्य वंश और दुसरे जमुनी संस्कृति के चंद्र वंश । जिसे वैष्णव और शैव भी कहा जा सकता है । मिलने से आज की संस्कृति है ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
सर्वज्ञय मतलब सबसे ज्यादा बुद्धिमान नहीं होता सर्वज्ञय मतलब यह होता है जो सब जगह विद्यमान होना
मेरे भाई जो सब जगह विघमान होता है उसे सर्वव्यापी कहते हैं।
ईश्वर तो सर्वव्यापी ही है सभी कहते कि भगवान की मर्जी बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता
भैया जी . पूरी वीडियो डाला करो .. अधूरी है ....
Sir ashe toh mahabharat ke baare me ved viyas ne kaise jaana or jb gathna gathi hi nhi thi toh un hone kaise dekha
ओम्
क्यों वेद का मंत्र भूल गए...पुरुष सूक्त क्या है उसका पहला मन्त्र क्या है..!
सर्वज्ञ का अर्थ आप गलत कर रहे हैं। सर्व का अर्थ सबकुछ, ज्ञ का अर्थ है जानने वाला। सबकुछ जानने वाला।
वैसे तो आर्य समाजी लोगों की बातों में दम होती है, किंतु यहां पर डा विकास दिव्यकीर्ति की बातों में अधिक दम है।
ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ फिर.??? सीधा जवाब नही दिए और घुमा घुमा कर बाते बना रहे हो..!!
ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ..? जब मूर्ति रक्षा नही करता फिर आपके सर्वव्यापक ईश्वर क्यों नही न्याय किया.रक्षा किया..??जब रक्षा नही किया तो सबका पालनहार कैसे हुआ प्रजा पालक कोसे हुए??सृष्टि का पालन करता कैसे हुआ ।
मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है कर्मो के अनुसार उसका प्रारब्ध बनता है और ईश्वर किसी के प्रारब्ध में हस्तक्षेप नहीं करता
@@prajeshyadav8087 ईश्वर न्यायकारी कैसे हुआ फिर..??बोहत मूर्ति पूजन पर सवाल करते है कि ये मूर्ति कुछ नही करता फिर ये निराकार कैसे न्याय करता है जब कुछ करता ही नही..?
ईश्वर चेतन सत्ता है वह अपने नियमों को नही तोड़ता इसलिए वह किसी के कर्म को नही बदलता जबकि प्रतिमा जड़ पदार्थ है जड़ पदार्थ के आस पास या उसके साथ कोई क्या कर रहा है इसे उसका ज्ञान नही होता क्योंकि चेतना का अभाव है जब चेतना का अभाव है तो वह न तो न्याय कर सकती है न ही अन्याय
@@prajeshyadav8087 गजब है...मतलब ईश्वर चेतन सत्ता है और न्याय भी नही कर सकता ..सब जगह है किसी को बचा भी नही सकता ...फिर चेतन सत्ता कैसे हुआ..?वो भी जड़ ही हुआ जब वो कुछ कर नही सकता तो...सब जगह है न्यायकारी है ओर बस देखता रहता ही है..फिर मूर्ति भी वही है..ईश्वर को लोग प्रतिमा रूप में पूजते है ईश्वर भाव को ददेखते है क्यों कि वो सबके अंदर है और सबकी भाव को जानने वाला है लोग जिस भाव से उनकी पूजा मूर्ति विग्रह में करते है भगवान उनको उसी तरह का फल देते है..
Sabse jyada tum shadyantra rach rahe ho
😢😢😢
Har insan ke karm h jse boyega vsa katega. Vikas divyakirti luccha sab janta h dili me jis ladki ko jehadi ne mara h uska nam saksi thi jo hindu ladki thi
❤❤