ELLORA CAVES | historical landmark | Aurangabad, Maharashtra|

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  • Опубликовано: 10 июн 2024
  • ELLORA CAVES
    historical landmark
    history of ellora cave
    कैलासनाथ मंदिर एकाश्मक संरचना है, जिसका विन्यास विशाल है। पर्वत को ऊपर से नीचे काटकर तथा बाहर से अंदर गढ़कर मंदिर के रूप में ढाला गया। जन मान्यता नुसार इस विशाल मंदिर का निर्माण 10 पीढ़ियों ने 200 साल तक किया। यह भव्य वास्तु के आलेखन का श्रेय मुख्यतः राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग (735-757) और निर्माण का श्रेय कृष्ण प्रथम (757-773) को जाता है। कैलास के अलंकरण का कार्य अनेक वर्षों तक राष्ट्रकूट राजाओं की निगरानी में चलता रहा ।
    कैलास गुफा मंदिर, शिव निवास स्थान के नाम से भी प्रसिद्ध है। मुख्य मंदिर, नंदिमंडप, प्रवेशद्वार, गलियारा, बरामदा तथा गौणमंदिर आदि इस संरचना के प्रमुख अंग है। संपूर्ण रचना ताख, स्तंभ, अर्धस्तंभ, गवाक्ष के साथ नखशिखान्त अलंकृत हैं। प्रमुख अलंकरण में देवी-देवताओं की विशाल प्रतिमा, पुराण महाकाव्य दृश्य, मिथुन-मूर्तियाँ, पशु-पक्षी, बेल-बुट्टीयाँ तथा ज्यामितीय अलंकरण का समावेश है। उत्कीर्ण पश्चात मंदिर को बार-बार
    चित्रित किया गया ।
    मंदिर स्थित अलंकरण आकस्मिक या काल्पनिक नहीं है, अपितु सोदेश्य तथा योजनाबद्ध है। सभी अलंकरण का तात्पर्य, प्रयोजन तथा महत्व हैं। प्रांगण स्थित उत्तुंग किर्तिस्तंभ शेवधर्म का प्रभाव एवं विशाल गजराज राष्ट्रकूट वंश की सत्ता को प्रदर्शित करता है। प्रवेशद्वार पर उत्कीर्णित शंखनिधी, पद्मनिधी तथा गजलक्ष्मी प्रदेश के वैभव-संपन्नता की साक्षी हैं। नदी देवता की मूर्तियाँ गंगा, यमुना, सरस्वती अनुक्रमतः शुचिता समर्पण, एवं पांडित्य को प्रतिरूपित करती हैं। अनेक पशु जो मुख्य मंदिर का भारवहन कर रहे है, वह हिंदू मान्यता में प्राणी जगत के महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाते है। इस प्रकार यह कृति, राष्ट्रकूट वंश के सत्ता, वैभव, धार्मिक निष्ठा को रूपायित करती है ।
    संपूर्ण मंदिर तीनो ओर से स्तंभयुक्त गलियारे से घिरा है, जहाँ हिंदू पौराणिक मूर्तियों का उत्कीर्णन हैं। मुख्य मंदिर संपूर्ण रूप से चित्रित था, संभवतः इसी कारण इसे रंगनाथ-रंगमहल कहा जाता है। रंगमहल का सात मीटर उँचा आधार तल ठोस और अनुप्रयोग्य है, जो विशालकाय हाथी, सिंह, काल्पनिक पशु तथा रामायण-महाभारत के दृश्यों से अंलकृत हैं। मंदिर विन्यास में मुख्यतः वाद्यमंडप, नंदी मंडप, नाटयमंडप, अर्धमंडप, स्तंभयुक्त मंडप, अंतराल, पूजागृह, गलियारा, गौणमंदिर आदि का समावेश होता है। गर्भगृह, अंतराल, मंडप की छत पर विकसित कमल, अन्नपूर्णादेवी एवं नटराजशिव का अनुक्रम अंकन है। संपूर्ण मंदिर शिल्प के साथ चित्रों से भी अलंकृत था।
    उत्तरी गलीयारे में लंकेश्वर मंदिर की रचना की गई है। मंदिर विन्यास में मंडप, अंतराल, गर्भगृह, नंदी, मंडप आदि का समावेश होता है। मंदिर के आधार भाग में पशु-पक्षीयों की पंक्ति के ऊपर मिथुन मूर्तियों का पट्ट भी उत्कीर्णित है। मंदिर के स्तंभ तथा दीवार पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उत्कीर्णित हैं। पूजागृह में भग्न शिवलिंग तथा पार्श्विक दीवार पर महेशमूर्ती का अंकन है।

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