रविवार Special Surya Dev Aarti I Om Jai Surya Bhagwan Aarti I Surya Dev Bhajan 2025

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  • Опубликовано: 8 фев 2025
  • When to perform
    According to Hindu beliefs, the best day to perform Surya Dev Aarti is on a Sunday, which is dedicated to the Sun God.
    How to perform
    On a Sunday, devotees perform the Aarti after bathing and meditating in the morning. They offer flowers, incense, and a lamp to the Sun God.
    Benefits
    It is believed that performing Surya Dev Aarti on a Sunday can lead to the fulfillment of all wishes and the transformation of bad deeds into good ones
    कब करें आरती
    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव की आरती करने का सबसे अच्छा दिन रविवार है, जो सूर्य देव को समर्पित है।
    कैसे करें आरती
    रविवार को, भक्त सुबह स्नान और ध्यान करने के बाद आरती करते हैं। वे सूर्य देव को फूल, धूप और दीप अर्पित करते हैं।
    लाभ
    ऐसा माना जाता है कि रविवार को सूर्य देव की आरती करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और बुरे कर्म अच्छे बन जाते हैं
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    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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