गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
#Selfless_Service कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर भक्तों ने किया रक्तदान। संत रामपाल जी महाराज अद्वितीय कल्याणकारी विचारधारा के सच्चे समाजसुधारक संत हैं। Followers Of Sant Rampal Ji
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 “अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।। परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है।
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान बहुत ही अद्भुत है पहली बार सुनने से तो ऐसा लगता है की बिल्कुल असत्य है जब प्रमाण मिलते हैं तो आंखें खुली की खुली रह जाती हैं क्योंकि हमने शास्त्रों का नाम सुना था शास्त्र नहीं देखे थे संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रों के रहस्य बताए हैं।
तीर्थ गए एक फल सन्त मिलें फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल कहे कबीर विचार।।जै सतगुरु कि संगत करते, सकल कर्म कटि जाई। अमरपूरि पर आसन होते, जहाँ धूप ना छाइ।।गुरु बड़े गोविंद से मन में देख विचार। हरी सुमरे सो रह गए गुरु सुमरे हुए पार।।
सफल_हुआ_विशाल_भंडारा सफल हुआ विशाल भंडारा 20-21-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित भंडारा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। संत रामपाल जी महाराज ने सतभक्ति साधना के साथ परमार्थ करने को श्रेष्ठ बताया है। इसी कारण उनके अनुयायी आए दिन जरूरतमंदों की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं (जैसे रक्तदान, देहदान, दहेज मुक्त विवाह)
अनावश्यक रीति-रिवाजों तथा नशे के आदि होकर हमने अपना घर नरक बना रखा है। जबकि संत रामपाल जी महाराज व्यर्थ की परंपराओं, रीति रिवाजों, नशे, दहेज जैसी अनेकों बुराइयों को समाप्त कर धरती ऊपर स्वर्ग तैयार कर रहे हैं।
सच होगा सबका सपना, दहेजमुक्त होगा भारत अपना।। संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसमें शादी पर कोई आडंबर नहीं, कोई खर्चा नहीं तथा बेटी बोझ नहीं। कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सैंकड़ों दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुए।
🎈संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 20-22 जून 2024 को कबीर साहेब का प्राकट्य दिवस देश भर में सभी सतलोक आश्रमों में मनाया जा रहा है। जिसमें तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, विशाल सत्संग समारोह तथा निःशुल्क नामदीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस 627th Kabir Prakat Diwas ⚡️कबीर परमेश्वर सशरीर प्रकट हुए ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में परमेश्वर कबीर जी तेजोमय रूप में आकर काशी के लहरतारा तालाब में बालक रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए, इसके प्रत्यक्ष दृष्टा ऋषि अष्टानन्द जी थे। वहाँ से नीरू नीमा ने परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
20 से 22 जून 2024 को कबीर साहिब जी का तीन दिवसीय प्रकट दिवस संत रामपाल जी के सानिध्य में नेपाल सहित भारत के 11 सतलोक आश्रमों में मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में लोगों को सतभक्ति का संदेश देने के लिए आध्यात्मिक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं इस अद्भुत भंडारे में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा पूरे विश्व को सपरिवार आमंत्रित किया जा रहा है।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है। सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
0:06 कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर हुए विशाल भंडारे व सत्संग समागम में रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर रक्तदान किया।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
#आध्यात्मिक_प्रदर्शनी संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में लगाई गई आध्यात्मिक प्रदर्शनी का महत्व इस बात में निहित है कि यह लोगों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन करती है। यहां प्रदर्शित चित्र और धर्मग्रंथ जीवन के गहरे रहस्यों को उजागर करते हैं और लोगों को परमात्म ज्ञान की ओर प्रेरित करते हैं। Spiritual Exhibition Satlok Ashram
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए। गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार। मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
परमेश्वर कबीर साहेब जी सतलोक से चलकर आते है। जिसका प्रमाण सदग्रंथों में मिलता है। ऋग्वेद मण्डल ९ सूक्त १ मन्त्र ९ में स्पष्ट है कि अमर परमात्मा जब शिशु रूप में प्रकट होता है तो उसकी परवरिश की लीला कुंवारी गायों (अभि अध्न्या धेनुवः) द्वारा होती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में कबीर परमेश्वर के 627 वें प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन 20-22 जून 2024 को किया जा रहा है। इस विशाल भंडारे का निमंत्रण संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश विदेश में भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही समाज को कबीर साहेब के सत्य ज्ञान के आधार पर बुराईयों से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
🎈सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र नं. 3:- पूर्ण परमात्मा अपने द्वारा रची सृष्टि का ज्ञान तथा सर्व आत्माओं की उत्पत्ति का ज्ञान अपने निजी दास को स्वयं ही सही बताता है कि पूर्ण परमात्मा ने अपने मध्य अर्थात् अपने शरीर से अपनी शब्द शक्ति के द्वारा ब्रह्म की उत्पत्ति की तथा सर्व ब्रह्माण्डों को ऊपर सतलोक, अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक आदि तथा नीचे परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्डों को अपनी धारण करने वाली आकर्षण शक्ति से ठहराया हुआ है। वह परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं। - संत रामपाल जी महाराज
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
वह परमात्मा सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
कबीर परमात्मा सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
⚡️परमपिता परमेश्वर कभी भी माँ से जन्म नहीं लेते। ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 पूर्ण परमात्मा जब शिशु रूप धारण करके यहां आते हैं तब उनका जन्म किसी मां के द्वारा नहीं होता।
काशी में एक लहरतारा तालाब था। गंगा नदी का जल लहरों के द्वारा नीची पटरी के ऊपर से उछल कर एक सरोवर में आता था। इसलिए उस सरोवर का नाम लहरतारा पड़ा। उस तालाब में बड़े-2 कमल के फूल उगे हुए थे। नीरू-नीमा(नि:सन्तान दम्पत्ति थे) ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए गए हुए थे। वहां नीरू - नीमा को कमल कंद फूल पर शिशु रूप में कबीर परमात्मा मिले थे। उसी दिन को कबीर प्रकट दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस कबीर परमेश्वरजी सन् 1398 ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी को ब्रह्ममुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए। निःसंतान नीरू-नीमा जुलाहे दम्पति को मिले ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया। 627th Kabir Prakat Diwas
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। #परमात्मा_का_प्रकट_दिवस 627th Kabir Prakat Diwas
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है। कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।। मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान देता है।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है। कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।। मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
⚡️कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
⚡️कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है। कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।। मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
क्या सभी धर्मों के मानव को कर्म फल तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ही देते हैं? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण
राम राम जी
Sarbauttam 🙏🙏🙏
Super 😊
Sat shab 🙏🙏🙏🙏
Sat guru rampal ji bhagwan 🙏
❤❤
Kabir is god🎉🎉🎉
Kabir ही परमात्मा है ।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
बहुत ही अच्छा सुंदर दृश्य लगा सतलोक आश्रम धनाना धाम का।
Sat Guru dev ji ki jai ho
Amazing ❤
Sat. Sahib. Guru. Ji🎉🎉🎉🎉🎉
Anmol spiritual post
गरीब,सुमरन से मन लाइये,जैसे पानी मीन।
प्राण तजै पल बीछणै,साहेब कबीर कह दीन।।
Purn Permeshwar Kabir Saheb Ji Ki Jay Ho Ho 🙏🌹
Sat saheb ji
बहुत ही अच्छा दृश्य है सतलोक आश्रमका
कबीरा कुंआ एक है, पानी भरें अनेक ।
बर्तन में ही भेद है, पानी सबमें एक ॥
सभी सास्रो में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही सुप्रीम गौड है
🎉🎉🎉
🙏🏽🙏🙏🙏
कोटि कोटि सिजदा करूं, कोटि कोटि प्रणाम।
चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम गुलाम।। 🙏🙏
Sat saheb ji ❤❤❤
⛑️कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर भक्तों ने किया रक्तदान।
संत रामपाल जी महाराज अद्वितीय कल्याणकारी विचारधारा के सच्चे समाजसुधारक संत हैं।
Bandi shod satguru rampal ji maharaj ki Jai ho
Eye catching view
जय हो बंदी छोड़ की
कबीर, नहीं भरोसा देहि का, विनश जाए छिन माहीं।
श्वांस-उश्वांस में नाम जपो, और यत्न कुछ नाहीं।
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
#Selfless_Service
कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर भक्तों ने किया रक्तदान।
संत रामपाल जी महाराज अद्वितीय कल्याणकारी विचारधारा के सच्चे समाजसुधारक संत हैं।
Followers Of Sant Rampal Ji
परमेश्वर कविर्देव चारों युग मे आतेहैं
सतयुग मे सत सुक्रित कह टेरा त्रेता नाम मुनींदर मेरा, द्वापर मे करुणामय कहाया कलयुग नाम कबीर धराया।
❤❤
💘⭐KabirisGod ⭐💘
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
“अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।
परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है।
संत रामपाल जी महाराज एक तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने श्रीमद्भगवत गीता के ज्ञान को पुर्नतह सुलझा कर भक्त समाज के सामने प्रस्तुत किया है।
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान बहुत ही अद्भुत है पहली बार सुनने से तो ऐसा लगता है की बिल्कुल असत्य है जब प्रमाण मिलते हैं तो आंखें खुली की खुली रह जाती हैं क्योंकि हमने शास्त्रों का नाम सुना था शास्त्र नहीं देखे थे संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रों के रहस्य बताए हैं।
🙏🙏🙏🙏
सत साहेब
तीर्थ गए एक फल सन्त मिलें फल चार।
सतगुरु मिले अनेक फल कहे कबीर विचार।।जै सतगुरु कि संगत करते, सकल कर्म कटि जाई।
अमरपूरि पर आसन होते, जहाँ धूप ना छाइ।।गुरु बड़े गोविंद से मन में देख विचार।
हरी सुमरे सो रह गए गुरु सुमरे हुए पार।।
सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
सफल हुआ विशाल भंडारा
20-21-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित भंडारा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ।
संत रामपाल जी महाराज ने सतभक्ति साधना के साथ परमार्थ करने को श्रेष्ठ बताया है। इसी कारण उनके अनुयायी आए दिन जरूरतमंदों की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं (जैसे रक्तदान, देहदान, दहेज मुक्त विवाह)
पूर्ण सतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
Kabir sahib bhagwan hai
अनावश्यक रीति-रिवाजों तथा नशे के आदि होकर हमने अपना घर नरक बना रखा है। जबकि संत रामपाल जी महाराज व्यर्थ की परंपराओं, रीति रिवाजों, नशे, दहेज जैसी अनेकों बुराइयों को समाप्त कर धरती ऊपर स्वर्ग तैयार कर रहे हैं।
धर्मदास ये जग बौराना, कोई न जाने पद निरवाना। यही कारण मैं कथा पसारा, जग से कहियो एक राम निहारा।।
Bahut bada hai ram ram
सच होगा सबका सपना,
दहेजमुक्त होगा भारत अपना।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसमें शादी पर कोई आडंबर नहीं, कोई खर्चा नहीं तथा बेटी बोझ नहीं।
कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सैंकड़ों दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुए।
🎈संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 20-22 जून 2024 को कबीर साहेब का प्राकट्य दिवस देश भर में सभी सतलोक आश्रमों में मनाया जा रहा है। जिसमें तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, विशाल सत्संग समारोह तथा निःशुल्क नामदीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
गुरु गोविन्द दौउ खड़े काके लागू पाए।
बलिहारी गुरु अपने जिन गोविन्द दियो मिलाए।।
Kabir is complete god
Kabir is complete God only
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस
627th Kabir Prakat Diwas
⚡️कबीर परमेश्वर सशरीर प्रकट हुए
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में परमेश्वर कबीर जी तेजोमय रूप में आकर काशी के लहरतारा तालाब में बालक रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए, इसके प्रत्यक्ष दृष्टा ऋषि अष्टानन्द जी थे। वहाँ से नीरू नीमा ने परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
भव्य नजारा
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में पूर्ण परमात्मा कबीर साहब जी का 627 वां प्रकट दिवस मनाया गया
Sat Saheb jii 🙏
गरीब रंग अभंग न भंग होइ रंगे जो तन मन स्वांस।
गरीबदास मीरा मिले, पहल चोट रवि दास।
Super
20 से 22 जून 2024 को कबीर साहिब जी का तीन दिवसीय प्रकट दिवस संत रामपाल जी के सानिध्य में नेपाल सहित भारत के 11 सतलोक आश्रमों में मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में लोगों को सतभक्ति का संदेश देने के लिए आध्यात्मिक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं इस अद्भुत भंडारे में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा पूरे विश्व को सपरिवार आमंत्रित किया जा रहा है।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
0:06 कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर हुए विशाल भंडारे व सत्संग समागम में रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर रक्तदान किया।
Sa new,,meea pyara chanl h🎉🎉🎉🎉
Sat saheb g🎉🎉
Kabir is god
सभी शास्त्रों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
कबीर अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार तीनों देवा शाखा है ये पात रूप संसार।।
Nice news
🙏🏻🙇🙏🏻
Very nice
Nice
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌛🌛🙏🌛
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
Vedon mein praman hai Kabir Saheb Bhagwan hai
#आध्यात्मिक_प्रदर्शनी
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में लगाई गई आध्यात्मिक प्रदर्शनी का महत्व इस बात में निहित है कि यह लोगों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन करती है। यहां प्रदर्शित चित्र और धर्मग्रंथ जीवन के गहरे रहस्यों को उजागर करते हैं और लोगों को परमात्म ज्ञान की ओर प्रेरित करते हैं।
Spiritual Exhibition Satlok Ashram
Great news
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
परमेश्वर कबीर साहेब जी सतलोक से चलकर आते है। जिसका प्रमाण सदग्रंथों में मिलता है। ऋग्वेद मण्डल ९ सूक्त १ मन्त्र ९ में स्पष्ट है कि अमर परमात्मा जब शिशु रूप में प्रकट होता है तो उसकी परवरिश की लीला कुंवारी गायों (अभि अध्न्या धेनुवः) द्वारा होती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में कबीर परमेश्वर के 627 वें प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन 20-22 जून 2024 को किया जा रहा है। इस विशाल भंडारे का निमंत्रण संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश विदेश में भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही समाज को कबीर साहेब के सत्य ज्ञान के आधार पर बुराईयों से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
आंधी नहीं, तूफान है |
ये संत नहीं, स्वयं भगवान हैं ||
great
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया उसमें रक्तदान बिना दहेज के शादी कराई गई
Great True Spiritual Knowledge in the world 🌍
संत रामपाल जी महाराज के सतलोक आश्रमों में हुआ रक्त दान।
कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर भक्तों ने किया रक्तदान।
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Kabir is supreme God
Kabir is supreme God
My holly books proved.
Jo Sant rampal ji Maharaj ji ne apne satsango projecter ke madhyam se proved.kiye
🎈सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा
अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र नं. 3:-
पूर्ण परमात्मा अपने द्वारा रची सृष्टि का ज्ञान तथा सर्व आत्माओं की उत्पत्ति का ज्ञान अपने निजी दास को स्वयं ही सही बताता है कि पूर्ण परमात्मा ने अपने मध्य अर्थात् अपने शरीर से अपनी शब्द शक्ति के द्वारा ब्रह्म की उत्पत्ति की तथा सर्व ब्रह्माण्डों को ऊपर सतलोक, अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक आदि तथा नीचे परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्डों को अपनी धारण करने वाली आकर्षण शक्ति से ठहराया हुआ है।
वह परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
वह परमात्मा सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
कबीर परमात्मा सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
कबीर साहेब के 627वें प्रकट दिवस पर 22 जून 2024 को विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Sant Rampal Ji Maharaj RUclips Channel पर देखिये सुबह 9:15 बजे से।
⚡️परमपिता परमेश्वर कभी भी माँ से जन्म नहीं लेते।
ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
पूर्ण परमात्मा जब शिशु रूप धारण करके यहां आते हैं तब उनका जन्म किसी मां के द्वारा नहीं होता।
काशी में एक लहरतारा तालाब था। गंगा नदी का जल लहरों के द्वारा नीची पटरी के ऊपर से उछल कर एक सरोवर में आता था। इसलिए उस सरोवर का नाम लहरतारा पड़ा। उस तालाब में बड़े-2 कमल के फूल उगे हुए थे। नीरू-नीमा(नि:सन्तान दम्पत्ति थे) ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए गए हुए थे। वहां नीरू - नीमा को कमल कंद फूल पर शिशु रूप में कबीर परमात्मा मिले थे। उसी दिन को कबीर प्रकट दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस
कबीर परमेश्वरजी सन् 1398 ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी को ब्रह्ममुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए। निःसंतान नीरू-नीमा जुलाहे दम्पति को मिले
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया।
627th Kabir Prakat Diwas
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है।
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस
627th Kabir Prakat Diwas
औरों पंथ बतावहीं, आप न जाने राह।।1
मोती मुक्ता दर्शत नाहीं, यह जग है सब अन्ध रे।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान देता है।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
⚡️कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
⚡️कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
गुरु गोविंद दोनों खड़े किस के लागू पांव बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाएं
हमी ही अलख अल्ला हे कुतब,गोस और पीर गरीब दास खालक धनी हमरा नाम कबीर
क्या सभी धर्मों के मानव को कर्म फल तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ही देते हैं? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण
Dharati ka swarg hai ye to