कूष्मांडा माता व्रत कथा
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- Опубликовано: 8 фев 2025
- कूष्मांडा माता व्रत कथा
कूष्मांडा माता, देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। कूष्मांडा माता की कृपा से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है। मान्यता है कि ब्रह्मांड का सृजन कूष्मांडा माता की हल्की हंसी से हुआ था, इसलिए इन्हें सृष्टि की जननी भी कहा जाता है।
व्रत की कथा के अनुसार, एक समय देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हो रहा था, तब सभी देवता अत्यंत चिंतित हो गए। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक देवी का आह्वान किया, जो असुरों का नाश कर सके। देवी कूष्मांडा का प्रकट होना इसी आह्वान का परिणाम था। उन्होंने असुरों का संहार किया और देवताओं को विजयी बनाया।
कूष्मांडा माता व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति प्राप्त होती है। इस व्रत को श्रद्धालु पूरी निष्ठा और नियमों का पालन करते हुए करते हैं। व्रत के दौरान माता को मालपुए और कुम्हड़े (कद्दू) का भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि कूष्मांडा माता को यह अति प्रिय है।
इस व्रत की कथा को सुनने और माता की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उनका जीवन समृद्धि से भर जाता है।
Jay Mata Di
Jay Mata Di