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आचार्य श्री की अंतिम चर्चा का वीडियो सामने आया सब कुछ त्याग कर दिया था|अब तक का सबसे बड़ा वीडियो।
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- Опубликовано: 9 июл 2024
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*इन दिनों संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य श्री 108विद्यासागर जी महराज की सल्लेखना-समाधि के विषय मे कतिपय लोगों द्वारा अनेक प्रकार की भ्रामक बातें प्रसारित की जा रही है जिसे पढ-सुनकर मन बड़ा आहत और दु:खी है।*
पूज्य आचार्य श्री आचार्य श्री थे उन्होंने जीवन पर्यन्त उत्कृष्ट साधना की और उनका अंत भी उसी उत्कृष्टता के साथ हुआ।
*वे अपने अंतिम क्षणों तक पूर्णतः जागरुक और अप्रमत्त थे।संघ ,समाज और संस्थाओं के प्रति वे पूरी तरह निस्पृह थे।उन्होंने संघ सम्बन्धी समस्त व्यवस्थाएं स्वयं पहिले से ही बना दी थी।*
और वे अपनी सल्लेखना-समाधि की साधना मे लीन थे।
*मै पूज्य गुरुदेव से बडी निकटता से जुडा रहा हूँ।*
उनकी कृपा से मै उनसे सब प्रकार की चर्चा कर लेता था।विगत 26जनवरी 2024 को मुज्ञे मेरे साथी डाक्टर अमित जैन आकाश बाराणसि के साथ परमपूज्य आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित होने का सौभाग्य मिला और लगभग 45मिनिट तक पूज्य गुरुदेव से विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।
*उसके मुख्य अंश हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।*
यह बात हम पहले भी प्रसारित कर सकते थे लेकिन संघ में उसकी आवश्यकता महसूस न होने के कारण हमने उसे रोक रखा था।
*अब बदली हुई परिस्थिति मे जब पूरा विश्व उनका दीक्षा दिवस मना रहा है पूज्य गुरुदेव के प्रति अपनी विनयांजलि के रूप हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं।*
इसके प्रमाण स्वरूप एक छोटी सी विडियो क्लिप भी संलग्न है जिसे हमने आचार्य श्री की सहमति से रिकॉर्ड किया था।
*सलंग्न है....*
प्रस्तुत है पूज्य आचार्य श्री से बात चित के *मुख्य अंश:-*
*ब्र विनोद -आपको कोई, शल्य तो नहीं है..?*
*आ;श्री-* मुझे कोई शल्य नहीं है।गुरु महाराज ने मुज्ञे पहले ही नि:शल्य कर दिया है।मै निर्भार हूँ।मैने सबको व्यवस्थित कर दिया है,प्रतिभा स्थली भी व्यवस्थित है।
*ब्र:विनोद-पूरा संघ आपके पास आ रहा है क्या आपने साधुओं को बुलाया है..?*
*आ:श्री-* नहीं मैने किसी को नहीं बुलाया,सबको कुण्डलपुर मे बुला लिया था मै अब समाधि की साधना कर रहा हूँ,अब तो मुज्ञे अकेले छोड दो।
*ब्र:विनोद-आचार्य पद के विषय मे आपने क्या सोचा है...?*
आ:श्री-मेरा संघ बड़ा है,कोई अकेला इसे नहीं सम्हाल सकता,इसलिए मैने निर्यापक बनाएं हैं,वे सब व्यवस्थित कर लेंगे,उन्हें सब विषय दे दिया गया है,मुज्ञे दो तीन निर्यापक और बनाने है,उनके पास भी मैने क्षुल्लको को भेजा है,सभी अपने संघ को सम्हालेगे।
*उनसे ये भी कहा है कि उनकी साधना देखकर उनकी शिक्षा-दीक्षा और प्रायश्चित देकर उन्हें आगे बढ़ा देना और अपने संघ का विस्तार करना।*
आर्यिका संघ को भी छोटे छोटे उपसंघो मे बांट दिया है।
*यही व्यवस्था आगे चलते रहेगी।*
*ब्र:विनोद-* आपने कुण्डलपुर मे परगण मे जाने की बात की थी,उस विषय में आप क्या सोच रहें हैं...?
*आ:श्री-हां वैसा मैने सोच रखा है यह बात मेरे चित्त मे है,पर अब स्थिति बदल गई है इसलिए मैने अपनी तैयारी कर ली है,मै पूर्ण सजग और तैयार हूं।*
इसी तरह कुण्डलिनी जागरण और अन्य आध्यत्मिक विषयों पर भी चर्चा हुई।
*चर्चा के अन्त मे जब उन्होंने संघ व्यवस्था सम्बन्धी सारी चर्चा कर ली तो मैने उनसे पुनःपूछा कि आपका यह निर्णय फाइनल है ना,मै इसे रिकॉर्ड कर लूं,तब उन्होंने अपनी सहमति प्रदान कर दी,परम पूज्य आ:श्री से आगे जो बाते हुई उसकी रिकार्डिंग संलग्न है आप अवश्य सुने।*
🙏🙏
आचार्य भगवन श्री108विधासागर जी महाराज के कुडंलपुर वाले प्रवचन मे भी ऐसा भाव आया था कि कही आचार्य श्री समाधि की तैयारी तो नही ले रहे पर मन ने उसे सच नही माना पर वो भाव सही था।लगता था अभी आचार्य श्री 10साल तक तो रहेगे।😢😢
Namostu Acharya Bhagwan sant shiromani Acharya Vidhyasagar ji Maha Muniraj samastha Acharya Muni sangh ki Jai 🙏🙏🙏 shat shat Vandan
Acharya shriji ki pavan chranome barambar namostu namostu namostu gurudev
Namostu gurudev 🙏🙏🙏
Namostu gurudev 🙏 🙏🙏🙏
Namostu acharya shri bhagwan
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमोस्तु परमपूज्य आचार्य भगवान 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐
जो आचार्य श्री की समाधि के विषय में में भ्रामक बाते कर रहे है, उन लोगे के बारे में क्या ही कहा जाय। हमारे गुरुदेव तो चलते फिरते तीरथ थे।तीर्थंकर सम उनकी चर्या थीं। गुरुदेव के उत्कृष्ठ तप की,उनके त्याग की,उनकी उत्कृष्ठ तपस्या,उनकी उत्कृष्ठ साधना के विषय में कोई किसी तरह चर्चा कर सके इस इस भूमंडल पर ऐसा कोई प्राणी नही है। उनके गुणों को शब्दों में नही पिरोया जा सकता। उनको तो उनके सच्चे भक्त सिर्फ अनुभूत ही कर सकते है, गुरुवर के गुणों को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। जगत की सारी श्रेष्ठ उपमाओं से भी अलंकृत करेगे तो भी कम पड़ जायेगी। जिनके नाम के साथ जो भी लिख दिया जाता था वो शोभायमान हो जाता था। जिनका नाम मात्र स्मरण करने से रोम रोम पुलकित हो हो जाता है ।आचार्य पद उनके नाम से सुशोभित हो उठता था। गुरुदेव के बारे में क्या लिखूं, लिखते लिखते जीवन कम पड़ जायेगा,पर शब्द कम नहीं पड़ेंगे। जीवन में जब तक इस शरीर में श्वास है तव तक अंतिम श्वाशो तक गुरुदेव का नाम ही स्मरण होता रहेगा।
मम आराध्य पूज्य गुरुवर श्रीविद्यासागर नमो नमः।
Guru ji apki muskan ke diwane the kaha se ye muskan milegi sbhi bhakto ko guru ji butha yd ati hai 😭🙏🙏🙏🙇♀️🙇♀️🙇♀️
🙏🙏vande vidya sagaram🙏🙏
Jeewant Acharya Bhagwant.. BP singh sapariwaar kannauj UP
उन लोगो के मू पर तमाचा है जो बोल रहे थे बंद कमरे मे समाधि नही होती और ऐसी बाते कुछ दिगंबर मुनि आचार्य लोग बोल रहे थे. उन्हे अवश्य ये वीडियो दिखाये
कोनसे मुनि थी नाम बताएं
"आचार्य श्री" ये उपाधि तो मन मे सोचते ही एक की चित्र उभरता है और वो नाम है मम आराध्य भगवन श्री108 विधासागर जी महा मुनिराज का।आचार्य श्री ने जिस उत्कृष्टता से मुनिराज धर्म को सुशोभित किया उसी उत्कृष्टता से सल्लेखना समाधि को सुशोभित किया।आप भावी तीर्थंकर होगे इसमे नही कोई आश्चर्य।हे आचार्य श्री आपने जिन धर्म की अपूर्व सेवा की है जो युगो युगो तक अविस्मरणीय है।मम आराध्य भगवन आपको अनंतोबार कोटि कोटि नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आचार्य श्री जी जैसा महान संत न भुतो न भविष्यति आचार्य श्री जी को मेरा अनंता अनंत बार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Namostu aacharyshree bhagwan
नमोस्तु आचार्य भग्वन🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Namostu maharajji ❤🙏🏻🙏🏻🙏🏻🪔🪔🪔🪔
Param pujya ratn tray tirth sant shiromani digambaracharya bhagwan gurudev aacharya shree vidhyasagar ji muni maharaj ji ke pawan shree charno main is sansar ke sabhi jivo ki aur se anantanant namostu namostu namostu
🙏🙏🙏🙏
Namostu bhagwan namostu 🙏🙏
Namostu Bhagwan 🙏🙏
🙏☺️
🙏🙏🙏
Please add subtitles
गुरु जी ने निर्यापक महाराज जी के विषय में कहां वो अपने हिसाब से देखें, अलग आचार्यों के अलग अलग मत है..ऐसा नहीं कहा की निर्यापक ही आचार्य है, दीक्षा तो क्षुल्लक तक से सकते है...🙏
Kuchh kyada नहीं हो Gaya?
Kshullak se kaise le sakte हैं?
परगण जाने की बात ये क्या होता है भैया जी??
*इन दिनों संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य श्री 108विद्यासागर जी महराज की सल्लेखना-समाधि के विषय मे कतिपय लोगों द्वारा अनेक प्रकार की भ्रामक बातें प्रसारित की जा रही है जिसे पढ-सुनकर मन बड़ा आहत और दु:खी है।*
पूज्य आचार्य श्री आचार्य श्री थे उन्होंने जीवन पर्यन्त उत्कृष्ट साधना की और उनका अंत भी उसी उत्कृष्टता के साथ हुआ।
*वे अपने अंतिम क्षणों तक पूर्णतः जागरुक और अप्रमत्त थे।संघ ,समाज और संस्थाओं के प्रति वे पूरी तरह निस्पृह थे।उन्होंने संघ सम्बन्धी समस्त व्यवस्थाएं स्वयं पहिले से ही बना दी थी।*
और वे अपनी सल्लेखना-समाधि की साधना मे लीन थे।
*मै पूज्य गुरुदेव से बडी निकटता से जुडा रहा हूँ।*
उनकी कृपा से मै उनसे सब प्रकार की चर्चा कर लेता था।विगत 26जनवरी 2024 को मुज्ञे मेरे साथी डाक्टर अमित जैन आकाश बाराणसि के साथ परमपूज्य आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित होने का सौभाग्य मिला और लगभग 45मिनिट तक पूज्य गुरुदेव से विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।
*उसके मुख्य अंश हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।*
यह बात हम पहले भी प्रसारित कर सकते थे लेकिन संघ में उसकी आवश्यकता महसूस न होने के कारण हमने उसे रोक रखा था।
*अब बदली हुई परिस्थिति मे जब पूरा विश्व उनका दीक्षा दिवस मना रहा है पूज्य गुरुदेव के प्रति अपनी विनयांजलि के रूप हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं।*
इसके प्रमाण स्वरूप एक छोटी सी विडियो क्लिप भी संलग्न है जिसे हमने आचार्य श्री की सहमति से रिकॉर्ड किया था।
*सलंग्न है....*
प्रस्तुत है पूज्य आचार्य श्री से बात चित के *मुख्य अंश:-*
*ब्र विनोद -आपको कोई, शल्य तो नहीं है..?*
*आ;श्री-* मुझे कोई शल्य नहीं है।गुरु महाराज ने मुज्ञे पहले ही नि:शल्य कर दिया है।मै निर्भार हूँ।मैने सबको व्यवस्थित कर दिया है,प्रतिभा स्थली भी व्यवस्थित है।
*ब्र:विनोद-पूरा संघ आपके पास आ रहा है क्या आपने साधुओं को बुलाया है..?*
*आ:श्री-* नहीं मैने किसी को नहीं बुलाया,सबको कुण्डलपुर मे बुला लिया था मै अब समाधि की साधना कर रहा हूँ,अब तो मुज्ञे अकेले छोड दो।
*ब्र:विनोद-आचार्य पद के विषय मे आपने क्या सोचा है...?*
आ:श्री-मेरा संघ बड़ा है,कोई अकेला इसे नहीं सम्हाल सकता,इसलिए मैने निर्यापक बनाएं हैं,वे सब व्यवस्थित कर लेंगे,उन्हें सब विषय दे दिया गया है,मुज्ञे दो तीन निर्यापक और बनाने है,उनके पास भी मैने क्षुल्लको को भेजा है,सभी अपने संघ को सम्हालेगे।
*उनसे ये भी कहा है कि उनकी साधना देखकर उनकी शिक्षा-दीक्षा और प्रायश्चित देकर उन्हें आगे बढ़ा देना और अपने संघ का विस्तार करना।*
आर्यिका संघ को भी छोटे छोटे उपसंघो मे बांट दिया है।
*यही व्यवस्था आगे चलते रहेगी।*
*ब्र:विनोद-* आपने कुण्डलपुर मे परगण मे जाने की बात की थी,उस विषय में आप क्या सोच रहें हैं...?
*आ:श्री-हां वैसा मैने सोच रखा है यह बात मेरे चित्त मे है,पर अब स्थिति बदल गई है इसलिए मैने अपनी तैयारी कर ली है,मै पूर्ण सजग और तैयार हूं।*
इसी तरह कुण्डलिनी जागरण और अन्य आध्यत्मिक विषयों पर भी चर्चा हुई।
*चर्चा के अन्त मे जब उन्होंने संघ व्यवस्था सम्बन्धी सारी चर्चा कर ली तो मैने उनसे पुनःपूछा कि आपका यह निर्णय फाइनल है ना,मै इसे रिकॉर्ड कर लूं,तब उन्होंने अपनी सहमति प्रदान कर दी,परम पूज्य आ:श्री से आगे जो बाते हुई उसकी रिकार्डिंग संलग्न है आप अवश्य सुने।*