श्री राधा बल्लभ श्री हरिवंश श्री परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ❤❤❤❤❤ श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम सीता राम श्री सीता राम सीता राम श्री सीता राम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ *कोई भी मनुष्य अपने शरीर के किसी एक भी अंग को नहीं बनाया और कोई भी अपने इच्छा से जीवित नहीं हुआ।। सभी मनुष्यों का एक ही सूरज , धरती और हवा, पानी और आसमान है सभी खाना भी एक जैसा खा लेते है ।।।* *वेद में विभिन्न मंत्रो में आया है। सब कुछ बनाने वाला सिर्फ एक अजन्मा परम तत्त्व परमेश्वर है। कुरान में भी आया है सबकुछ बनाने वाला अल्लाह है* *अगर हम वेदों के ईश्वर को अल्लाह कहते तो भी गुण एक समान है और दोनो किताबो में भी लिखा है सब कुछ बनाने वाला एक सर्वव्यापी हर प्रकार से शुद्ध चैतन्य है उसकी सीमा अनंत और अनादि है ।* *अल्लाह शब्द अरब देश में कुरान के आने से पहले भी बोला जाता था। इतिहास में इसका वर्णन मिलता ।* *अल्लाह नाम के अर्थ का मतलब = अल+ इलाह से बना है । इलाह का मतलब = सब कुछ बनाने वाला , उसका सुरक्षा करने वाला, और पालन- पोषण करने और न्याय करने वाला, सभी पर दया करने वाला , इत्यादि।* *कुरान में उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नाम उसके गुणों के आधार पर है। ।* *ये बिल्कुल सच बात है की कुरान की एक एक बात सत्य है ।। वेद और कुरान ये दोनो किताब उसी एक सर्वव्यापी परमेश्वर का वचन है ।। इसलिए बोला जाता है वेद और कुरान की रचना किसी मनुष्य ने नही की है । ये तो साक्षात परमेश्वर का कथन वाक्य है। अतः हमें उसका प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए जिसने हम सभी मनुष्यों को बनाया।* *( वेद के कुछ मंत्र )* *ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्याञ्जगत् । (यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र २ )* *अर्थात् जो कुछ इस संसार में और सभी लोक में है,उस सब में व्याप्त होकर जो और सृष्टि से परे है वह परमेश्वर कहलाता है ।* *पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरंशुद्धमपापविद्धं। कवीर्मनीषी परिभू: स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्य: समाभ्य: । ( यजुर्वेद ४०/८ )* *अर्थात् वह ईश्वर ,सर्व शक्तिमान , न्यायकारी, दयालु और शरीर से रहित,छिद्र रहित, नस - नाड़ियों के बंधन से रहित , अविद्या आदि दोषों से रहित । वह सर्वज्ञ, सभी जीवों का उत्पत्तिकर्ता और उनके मनों की वृत्तियों को जानने वाला , सभी लोक एवं संसार के निर्माणकर्ता अनादि , उत्पत्ति और विनाश रहित , मनुष्य जो देख रहा है और जो नही देख पा रहा है सब कुछ उसी ने बनाया । वहीं परमेश्वर उपासना करने योग्य है* *ये नद्यौं रुग्रा पृथिवी च दृढ़ा ये नस्व: स्तंभित: येन नाक:यो अन्तरिक्षे रजसो विमान : कस्मै देवाय हविषा विधेम।* *ऋग्वेद - १० । २१। १०)* *जिसने अन्तरिक्ष, दृढ़ पृथ्वी, स्वर्गलोक, और नर्क लोक को बनाया , तथा महान जल राशि का निर्माण किया। सभी मनुष्य अच्छे कर्म किया करे।।वही समस्त कर्मो का फैसला करता है उसी परमेश्वर का ध्यान करो उसी ने सब कुछ बनाया* *ईजानश्र्चित मारुक्षदिग्नं नाकस्य पृष्टाद् दिविमुत्पतिष्यन् तस्मै प्रभात नभसो ज्योतिमान् स्वर्ग : पन्था : सुकृते देवयान :।* *(अथर्ववेद . १८। ४ । १४)* *जो मनुष्य इस संसार में अच्छा कर्म करता है। वो मृत्यु के बाद अमर वाले स्वर्ग लोक में जाता है और उस अमर लोक में वह हमेशा जीवित रहता है ,उस पवित्र लोक में मृत्यु कभी नहीं आयेगी , और इस प्रयोजन से वास्तविक यजन करता हुआ चित् स्वरूप परेमश्वर का आश्रय ग्रहण करता है, उस अमर लोक में हर प्रकार के सुख है ।*
Radha Radha guru ji ❤
ShreeJee Radha Radha Govind
श्री राधा बल्लभ श्री हरिवंश श्री परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ❤❤❤❤❤ श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम श्री सीता राम सीता राम श्री सीता राम सीता राम श्री सीता राम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Radha Radha kripa karo
Radha vallabh shree harivansh koti naman gurudev Prabhu ji aapke shree charno me 🙏🌺♥️
Jay Shri Radhe Radhe
Radhe Radhe Guruji
Radhe radhe Prabhu ji 🙏🙏
Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha 🙏🌼🌻❤
श्री राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ राधावल्लभ श्री गुरु देव जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम श्री जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
🇮🇳 Mahatma Ji Kisi Ko Paap Vimukt Nahin Kar Sakte Hain 🇮🇳
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ *कोई भी मनुष्य अपने शरीर के किसी एक भी अंग को नहीं बनाया और कोई भी अपने इच्छा से जीवित नहीं हुआ।। सभी मनुष्यों का एक ही सूरज , धरती और हवा, पानी और आसमान है सभी खाना भी एक जैसा खा लेते है ।।।*
*वेद में विभिन्न मंत्रो में आया है। सब कुछ बनाने वाला सिर्फ एक अजन्मा परम तत्त्व परमेश्वर है। कुरान में भी आया है सबकुछ बनाने वाला अल्लाह है*
*अगर हम वेदों के ईश्वर को अल्लाह कहते तो भी गुण एक समान है और दोनो किताबो में भी लिखा है सब कुछ बनाने वाला एक सर्वव्यापी हर प्रकार से शुद्ध चैतन्य है उसकी सीमा अनंत और अनादि है ।*
*अल्लाह शब्द अरब देश में कुरान के आने से पहले भी बोला जाता था। इतिहास में इसका वर्णन मिलता ।*
*अल्लाह नाम के अर्थ का मतलब = अल+ इलाह से बना है । इलाह का मतलब = सब कुछ बनाने वाला , उसका सुरक्षा करने वाला, और पालन- पोषण करने और न्याय करने वाला, सभी पर दया करने वाला , इत्यादि।*
*कुरान में उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नाम उसके गुणों के आधार पर है। ।*
*ये बिल्कुल सच बात है की कुरान की एक एक बात सत्य है ।। वेद और कुरान ये दोनो किताब उसी एक सर्वव्यापी परमेश्वर का वचन है ।। इसलिए बोला जाता है वेद और कुरान की रचना किसी मनुष्य ने नही की है । ये तो साक्षात परमेश्वर का कथन वाक्य है। अतः हमें उसका प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए जिसने हम सभी मनुष्यों को बनाया।*
*( वेद के कुछ मंत्र )*
*ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्याञ्जगत् । (यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र २ )*
*अर्थात् जो कुछ इस संसार में और सभी लोक में है,उस सब में व्याप्त होकर जो और सृष्टि से परे है वह परमेश्वर कहलाता है ।*
*पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरंशुद्धमपापविद्धं। कवीर्मनीषी परिभू: स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्य: समाभ्य: । ( यजुर्वेद ४०/८ )*
*अर्थात् वह ईश्वर ,सर्व शक्तिमान , न्यायकारी, दयालु और शरीर से रहित,छिद्र रहित, नस - नाड़ियों के बंधन से रहित , अविद्या आदि दोषों से रहित । वह सर्वज्ञ, सभी जीवों का उत्पत्तिकर्ता और उनके मनों की वृत्तियों को जानने वाला , सभी लोक एवं संसार के निर्माणकर्ता अनादि , उत्पत्ति और विनाश रहित , मनुष्य जो देख रहा है और जो नही देख पा रहा है सब कुछ उसी ने बनाया । वहीं परमेश्वर उपासना करने योग्य है*
*ये नद्यौं रुग्रा पृथिवी च दृढ़ा ये नस्व: स्तंभित: येन नाक:यो अन्तरिक्षे रजसो विमान : कस्मै देवाय हविषा विधेम।*
*ऋग्वेद - १० । २१। १०)*
*जिसने अन्तरिक्ष, दृढ़ पृथ्वी, स्वर्गलोक, और नर्क लोक को बनाया , तथा महान जल राशि का निर्माण किया। सभी मनुष्य अच्छे कर्म किया करे।।वही समस्त कर्मो का फैसला करता है उसी परमेश्वर का ध्यान करो उसी ने सब कुछ बनाया*
*ईजानश्र्चित मारुक्षदिग्नं नाकस्य पृष्टाद् दिविमुत्पतिष्यन् तस्मै प्रभात नभसो ज्योतिमान् स्वर्ग : पन्था : सुकृते देवयान :।*
*(अथर्ववेद . १८। ४ । १४)*
*जो मनुष्य इस संसार में अच्छा कर्म करता है। वो मृत्यु के बाद अमर वाले स्वर्ग लोक में जाता है और उस अमर लोक में वह हमेशा जीवित रहता है ,उस पवित्र लोक में मृत्यु कभी नहीं आयेगी , और इस प्रयोजन से वास्तविक यजन करता हुआ चित् स्वरूप परेमश्वर का आश्रय ग्रहण करता है, उस अमर लोक में हर प्रकार के सुख है ।*