रुचि कृत पितृ स्तोत्र | पितरो को प्रसन्न करने वाला स्तोत्र | pitru stotra | pt.Banwari joshi

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 6 сен 2024
  • #pitrustotra#pitrudoshnivaran#pushkarguru
    पितृदोष निवारण स्तोत्र
    Listen to this- पितृ स्तोत्र
    and indulge pitru bhakti and blessing them.
    If you like this video don't forget to share other and also like,comment and subscribe #pushkarguru
    Stay connected with us-
    "अंजनी सुत ज्योतिष केंद्र "
    पं रामाकिशन शास्त्री पं रामनिवास शास्त्री पं बनवारी शास्त्री भागवत कथा ज्योतिष कर्मकाण्ड मर्मज्ञ 8947074832 9782777512 रामकृष्ण सदन -19, श्री जी कालोनी पुष्कर, अजमेर
    Start your day with #pushkarguru to bring piece to your soul.we offer you stotra,chant,mantr and spirituality..
    About it-
    अगर किसी को पितृ दोष जैसी समस्या हो तो वे पितृ पक्ष में इस पितरों के दिव्य कृपा स्त्रोत का सुबह एवं शाम को दोनों समय एक सरसों के तेल का दीपक जलाकर श्रद्धा पूर्वक अर्थ सहित पाठ करें। पितृ पक्ष में इस स्त्रोत के पाठ मात्र से पितृ दोष के कारण होने वाली सैकड़ों परेशानियां दूर हो जाती है।
    Lyrics-
    ।। अथ पितृस्तोत्र ।।
    1- अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
    नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
    हिन्दी अर्थ- जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न है। उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूं।
    2- इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
    सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।
    हिन्दी अर्थ- जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता है, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूं।
    3- मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा।
    तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि।।
    हिन्दी अर्थ- जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक है। उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूं।
    4- नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
    द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
    हिन्दी अर्थ- नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
    5- देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
    अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि:।।
    हिन्दी अर्थ- जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
    6- प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च।
    योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
    हिन्दी अर्थ- प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
    7- नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
    स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।
    हिन्दी अर्थ- सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूं।
    8- सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।
    नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।
    हिन्दी अर्थ- चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूं। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूं।
    9- अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।
    अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
    हिन्दी अर्थ- अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूं, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है।
    10- ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
    जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
    तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
    नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।
    हिन्दी अर्थ- जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूं। उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हो
    #pitrustotra#pitrudoshnivaranstotra#pushkarguru#stotra#ruchikritpitrustotra#pitrudevta

Комментарии • 19