ईश्वर परमात्मा नही है जैसे ५ तत्वों के ५ देवता पृथ्वी बह्मा .जी' अग्नि - शंकर ' पानी विष्णु ' आकाश सदाशिव और हवा को ईश्वर कहते है जो कण करा - कप्ग र्में रहता है महाप्रलय मे पांचो तत्व मिट जाते है
परमपुरुष ही सृष्टि रचयिता हैं । बह किसी का पुत्र नहीं है ।बह आज तक किसी को नहीं दिखा , उसकी जैसी सोच बनती है बैसाख ही बह रचना कर देता है जिसके परिणामस्वरूप सृष्टि बढ़ती जाती है आज जो भी हम देखते व सुनते हैं उसकी कल्पना का साकार रुप है आगे क्या होना है केवल उसकी ही सोच का परिणाम होगा, अत: हमें उसका साधन बनकर जीवन जीना होगा । जब हम उसका साधन बनते हैं तो एक बात ध्यान में रखना होगा कि हमारा हर काम मानवता आधारित हो । जय सनातन । जय मानव ।।
@@lekhraj2660 भाई साहब जी साहिब बंदगी सतनाम जी परमात्मा ना साकार है और ना निराकार दोनो से पारा और जानेगा कोई जाननहारा साकार ,निराकार द्वंद पसारा दोनो पड़ गए काल की धारा बारह पंथ काल फुरमाना ,ये भूले जीव पाए ना ठिकाना तेहरवे पंथ हम ही चले आए,सभी पंथ मेट कर एक ही पंथ चलाए आपका भाई
@@offlcialgamer भाई साहब जी साहिब बंदगी जी वाणियो को देखो और विवेक लगाओ कि परमात्मा कौन है तीन देवो को सारा जग ध्यावे,चौथे देव का मर्म ना जाने चौथा छोड़ पंचम को ध्यवे,तब प्राणी निज घर को जावे 1ब्रह्मा 2विष्णु 3महेश 4सदा शिव भगवान 5परमात्मा (आदि पुरुष ) नौ द्वार संसार सब दसवां योगी साध एकादश खिड़की बनी जाने संत सुजान आपका भाई
भाई साहब जी साहिब बंदगी सतनाम जी कबीर जी की वानियो को देखो और विवेक लगाओ आपके प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा कबीर सबका बाप है बेटा काहू का नाहि जो बेटा होके जन्मिया वो तो साहिब नाहि पोथी पढ़े ना होत है अज्ञानी को ज्ञान जिसके हृदय सतगुरु बसे सोही ज्ञानी जान शरीर का हृदय अलग होता है और जीव का हृदय अलग होता है उसको जानने से मुक्ति होती है आत्म चीनेः परमात्मा चीने संत कहावे सोए ये भेद काया से बाहर बुझे बिरला कोए झूठा गुरु अजगर बने लख चौरासी जाए उसकी सारी संगत चिटी बने तोड़ तोड़ कर खाए पानी से पैदा नही श्वाशा नही शरीर अन्न आहार करता नहीं वाको नाम कबीर बिल्कुल सत्य ज्ञान है आपका भाई
@@SuneelKumar-bh9ov भाई साहब जी साहिब बंदगी जी सतनाम जी आप कोई भी प्रश्न पूछ सकते हो पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोई एक अक्षर पीव का पढे सो पंडित होई आपका भाई
हित अनहित पसु पक्षिव जाना। मानुस तन गुन ग्यान निधाना। पसु पक्षी विना प्राण के जीते हैं क्या।मनुष्य विना प्राण के ज्ञानी विज्ञानी या वक्ता श्रोता हो सकता है।
परमपिता परमात्मा अद्वितीय है न जन्म लेता है जो क्षर से आगे तथा अक्षर से भी परे अक्षरातीत परमधाम में रहता है जो कि न तो निराकार न साकार है वह तो शुद्ध साकार
@@ganpatlalkumawat4232 भाई साहब जी साहिब बंदगी जी सतनाम जी आपने बिलकुल सही कहा कि वह हमारा निज स्वरूप है सत्यनाम कोई नाम नहीं वह है आपन रूप जो इस भेद को जानता है वह पावे अपना स्वरूप आपका भाई भाई साहब जी आप विवेकी हो साहिब बंदगी जी
साहिब बंदगी सतनाम जी
Saheb bandgi
Jay gurudev
सब पहले सत गुरु हुया पीछे बनो जुग सारो सत साहेब बंदगी निदानिया
Jine ki kala ko jivan kahte hai. E swar ati uttam hai. Bandagi saheb, bandagi sahib ki.
ईश्वर परमात्मा नही है जैसे ५ तत्वों के ५ देवता पृथ्वी बह्मा .जी' अग्नि - शंकर ' पानी विष्णु ' आकाश सदाशिव और हवा को ईश्वर कहते है जो कण करा - कप्ग र्में रहता है महाप्रलय मे पांचो तत्व मिट जाते है
जय गुरुदेव जी।
परमपिता किसी के पुत्र नहीं हो सकते। सर्वशक्तिमान सबसे ऊपर होता है। उसके ऊपर दूसरा कोई नहीं। उसे ही परम परमेश्वर कहते हैं।
परमपुरुष ही सृष्टि रचयिता हैं । बह किसी का पुत्र नहीं है ।बह आज तक किसी को नहीं दिखा , उसकी जैसी सोच बनती है बैसाख ही बह रचना कर देता है जिसके परिणामस्वरूप सृष्टि बढ़ती जाती है आज जो भी हम देखते व सुनते हैं उसकी कल्पना का साकार रुप है आगे क्या होना है केवल उसकी ही सोच का परिणाम होगा, अत: हमें उसका साधन बनकर जीवन जीना होगा । जब हम उसका साधन बनते हैं तो एक बात ध्यान में रखना होगा कि हमारा हर काम मानवता आधारित हो । जय सनातन । जय मानव ।।
@@lekhraj2660 भाई साहब जी
साहिब बंदगी सतनाम जी
परमात्मा ना साकार है और ना निराकार दोनो से पारा और जानेगा कोई जाननहारा
साकार ,निराकार द्वंद पसारा
दोनो पड़ गए काल की धारा
बारह पंथ काल फुरमाना ,ये भूले जीव पाए ना ठिकाना
तेहरवे पंथ हम ही चले आए,सभी पंथ मेट कर एक ही पंथ चलाए
आपका भाई
@@offlcialgamer भाई साहब जी
साहिब बंदगी जी
वाणियो को देखो और विवेक लगाओ कि परमात्मा कौन है
तीन देवो को सारा जग ध्यावे,चौथे देव का मर्म ना जाने
चौथा छोड़ पंचम को ध्यवे,तब प्राणी निज घर को जावे
1ब्रह्मा 2विष्णु 3महेश 4सदा शिव भगवान
5परमात्मा (आदि पुरुष )
नौ द्वार संसार सब दसवां योगी साध
एकादश खिड़की बनी जाने संत सुजान
आपका भाई
Jay Gurudev Jay Gurudev Jay
Saheb bandagi, bandagi sahib ki.
Kabir guesque put her hand but I don't know I'll maybe they're done
भाई साहब जी
साहिब बंदगी सतनाम जी
कबीर जी की वानियो को देखो और विवेक लगाओ आपके प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा
कबीर सबका बाप है बेटा काहू का नाहि
जो बेटा होके जन्मिया वो तो साहिब नाहि
पोथी पढ़े ना होत है अज्ञानी को ज्ञान
जिसके हृदय सतगुरु बसे सोही ज्ञानी जान
शरीर का हृदय अलग होता है और जीव का हृदय अलग होता है उसको जानने से मुक्ति होती है
आत्म चीनेः परमात्मा चीने संत कहावे सोए
ये भेद काया से बाहर बुझे बिरला कोए
झूठा गुरु अजगर बने लख चौरासी जाए
उसकी सारी संगत चिटी बने तोड़ तोड़ कर खाए
पानी से पैदा नही श्वाशा नही शरीर
अन्न आहार करता नहीं वाको नाम कबीर
बिल्कुल सत्य ज्ञान है
आपका भाई
इस
@@SuneelKumar-bh9ov भाई साहब जी
साहिब बंदगी जी
सतनाम जी
आप कोई भी प्रश्न पूछ सकते हो
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोई
एक अक्षर पीव का पढे सो पंडित होई
आपका भाई
आत्मा प्राण पाँवर ही संसार है।संसार कोई बस्तु नहीं।जो कुछ दिख रहा है।वह संसार की बस्तु या पदार्थ है।
कबीर किसके पुत्र है कबीर के बाप कौन है
हित अनहित पसु पक्षिव जाना।
मानुस तन गुन ग्यान निधाना।
पसु पक्षी विना प्राण के जीते हैं क्या।मनुष्य विना प्राण के ज्ञानी विज्ञानी या वक्ता श्रोता हो सकता है।
कबीर साहब के पिता कौन थे
Kabir kiske Putra hain
परमात्मा तो सर्व व्यापी है कण कण चप्पे चप्पे में है इस धर्म के ग्रंथ की कयो निंदा करते है आप के पास सीधा सा मंतर है तो बताओ कि हमारा कल्याण हो जाय
कबीर जी का पुत्र है परम पिता परमेश्वर।
परमपिता परमात्मा अद्वितीय है न जन्म लेता है जो क्षर से आगे तथा अक्षर से भी परे अक्षरातीत परमधाम में रहता है जो कि न तो निराकार न साकार है वह तो शुद्ध साकार
@@devliyakaransing4764
वह शब्द स्वरुप है
वह आपका निज स्वरूप है
@@ganpatlalkumawat4232 भाई साहब जी
साहिब बंदगी जी
सतनाम जी
आपने बिलकुल सही कहा कि वह हमारा निज स्वरूप है
सत्यनाम कोई नाम नहीं वह है आपन रूप
जो इस भेद को जानता है वह पावे अपना स्वरूप
आपका भाई
भाई साहब जी आप विवेकी हो
साहिब बंदगी जी
Bhagwan ke peechhe pade h
Jaati partha tum se. Hati nahi
Bekar ki bate karte h
सब बकवास है