कुछ लोगों का Comment आ रहा है कि कौशिक समिति का गठन 1993 में हुआ तो मैं आपको बता दूं कि कुछ जगह आपको 1993 मिलेगा जबकि कहीं 1994 लेकिन हमने इसपे रिसर्च किया तो अधिकांशतः 4 जनवरी 1994 मिला और आपको बता दें कि एक बार UKSSSC के Exam में भी ये Question पूछा गया है और उसमें भी 1994 ही सही बताया गया है
Dhanyvaad sir. Apne confusion dur kiya. Aise hi kuch purane video m bhi kuch comments hai jinse doubt ho jata hai. Please unhe bhi clear kr dijiyega 🙏🙏🙏
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
Bhai Admin ne hamare liye bahut mehnat kr k notes provide kiye h, plz confusion na create kre. 10 book Ko 1 Baar padhne se achcha 1 book Ko 10 baar padho, jitne jyada book utna jyada confusion.
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
Dear aap bahut aage se story bata rahe ho. 1857 ki kranti se uttarakhand ki sanghthan banne suru ho gaye the. Pls detail se barik points do. Taki hum kuch naya dhud paye.
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
उत्तराखंड कैसे बना? Part-1 क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए 1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए. 2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल. . 3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई. 4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई . 5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि 6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया. 7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने. 8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा | 9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है. 10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया. 11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए . 12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी. 13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे. 14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था. 15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. **शत शत नमन** Kindly share! ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है। जय उत्तराखंड🙏
दोस्तों उत्तराखंड क्रांति दल के प्रथम अध्यक्ष देवीदत्त पंत थे वीडयो में mistake हो गयी थोड़ा पंत की जगह पांडे बोला गया आप पंत कर दें
कुछ लोगों का Comment आ रहा है कि कौशिक समिति का गठन 1993 में हुआ तो मैं आपको बता दूं कि कुछ जगह आपको 1993 मिलेगा जबकि कहीं 1994 लेकिन हमने इसपे रिसर्च किया तो अधिकांशतः 4 जनवरी 1994 मिला और आपको बता दें कि एक बार UKSSSC के Exam में भी ये Question पूछा गया है और उसमें भी 1994 ही सही बताया गया है
Dhanyvaad sir. Apne confusion dur kiya. Aise hi kuch purane video m bhi kuch comments hai jinse doubt ho jata hai. Please unhe bhi clear kr dijiyega 🙏🙏🙏
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
.
3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
Kindly share!
ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏
Exelent topic guru ji 🙏🙏🙏
Bahut bahut dhanyawad sir ❤️❤️ #champawat
Good topic most awaited
Kyu pde ho chkkr me jab susheel bhai hai takkar me..♥️♥️ uttrakhand me pratiyogi parikshaon ke liye ek matr vishwashniya channel 🙏🙏🔥🔥🔥
शूक्रिया भाई
🙏🏻🙏🏻 dhanyabad guruji 🙏🏻
Very good video
Nice topic sir
nice sir ji
Sir, श्रीनगर अधिवेशन के अध्य्क्ष प्रताप सिंह नेगी थे
Pariksha vani mai bhi jawahar lal nehru likha h
@@lokeshkumarpandey3943 glt diya h
Latest sanskaran hai book ka 2020-2021
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
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3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
Kindly share!
ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏
Bhai Admin ne hamare liye bahut mehnat kr k notes provide kiye h, plz confusion na create kre. 10 book Ko 1 Baar padhne se achcha 1 book Ko 10 baar padho, jitne jyada book utna jyada confusion.
Thnx sir ji
Thank you brother. Boht acha padhate ho ap👌😊
Thanks a lot sir
Thank you sir ji 🙏
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
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3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
Kindly share!
ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏
🍀It was great thanku sir
1938 ke Adhiveshan Mai -
Adhyaks - *Pratap Singh Negi*
Nehru ji is Adhiveshan m bhaag liya tha..
Pariksha vani mai adyaksh jawahar lal nehru likha h
सिर एक विडियो शुरू से लेकर अंत तक(2021) बना दीजिये उत्तराखंड history की शॉर्ट फॉर्म में
Thanks sir
Thank u sir
ऊँचे बुग्याल क्षेत्र में रहने वाले चरवाहों को क्या कहते हैं
Apne pdf me jaswant singh bisht 1991 Dee rhka h or video m 1990
Dono Mee se sahi kon sa hai ??????
Thank you sir...... 🙏🙏🙏 Bohot acha topic hai
Thnkyu sir 🙏sir uttrakhand pariwahn tantra pe vedio bna do🙏
देवी दत्त पन्त
Thanks
Thank you sir...🙏
Sir kya aap world history bhi padhooge...
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह 'रावत'... आप किस बारे में बात कर रहे हैं
Waiting for part 2
Kal a jayega part 2
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
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3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
Kindly share!
ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏
Tq sir 😊😊
D.D pant
Dear aap bahut aage se story bata rahe ho. 1857 ki kranti se uttarakhand ki sanghthan banne suru ho gaye the. Pls detail se barik points do. Taki hum kuch naya dhud paye.
Part 2 plz kl ko daal dena sir🙏
Ji bilkul a jayega
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
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3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
Kindly share!
ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏
Puri pariksha vani copy paste kia h..Sir apne ap se v bata dete kuch..
Sir UKSSSC ke syllabus mein " समास " bhi included hai ??
Syllabus me to nhi h but kayi bar exam m vha se bhi question a jate hn esliye समास vala topic bhi kra rkha h
प्रताप सिंह ने की अध्यक्षता की
UKD 1st adhyaksh D.D pant
thanks you sir I m waiting for this video
Aapne kalyan singh rawat do baar keha. Koi nhi galti ho jaati h
Ji
Ye book ki pdf mil jayegii
Sir iska bhi pdf available hoga kya
कल्याण सिंह रावत ??????????????
Sir patrabom kya hota h ???
Boht time se intjar tha mjhe es topic ka kai bar padh liya book me confusion ho jati hr bar ....sir aapka connect number milega
Telegram me contact kre- t.me/JardhariClasses
D D pant na ki pandey
.........
Sirf kalyan singh hai kalyan singh rawat nhi heeeehahaa😂😂😂
Uk ko to pm hi thik s nhi mil pa rhy uk ka kbada krne pr tule h,
उन्नीस सौ seventy nine 😂😂
Kaushik samiti ne rajdhani kha banane ki sifarish ki thi
कौशिक समिति ने राजधानी पर सिफारिश नहीं कि थीं
उसने उत्तराखंड राज्य प्रिथक पर अपनी राय दि की उसमे 8 जनपद और 3 मंडलों की सिफारिश की
@@dollyrawat4425 Kaushik samiti ne bhi rajdhani gairsain par sujhav diya tga
@@abhi10able ok ji
Pdf
Sare hramkhor h koi bhi like ni krta jyada dekhte hai buss tabhi to niklte ni sale
😀
उत्तराखंड कैसे बना?
Part-1
क्या आप यह सब जानते हैं? यदि नहीं तो अवश्य पढ़िए.हर उत्तराखंडी को यह पता होना चाहिए
1): 24- 25 जुलाई 1979, को मसूरी में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन आयोजित किया गया और उसमें उत्तराखंड क्रांति दल(UKD)का गठन किया गया. प्रथम अध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीडी पंत नियुक्त हुए.
2): पर्वतीय दल का गठन पृथक राज्य तथा 8 जिलों को बनाने के लिए किया गया था. देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल.
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3): 23 नवंबर 1987 :काशी सिंह ऐरी जी की अध्यक्षता में दिल्ली के बोट क्लब तक की पैदल यात्रा की और राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पहली बार हरिद्वार जनपद को भी शामिल करने की बात कही गई.
4): 23 अप्रैल 1987: यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने उत्तराखंड के निर्माण के लिए संसद में पत्र बम फेंका. इस कार्य के लिए त्रिवेंद्र पवार जी को काफी यातनाएं दी गई .
5): 1987 बीजेपी ने एक सम्मेलन अल्मोड़ा में किया जिसकी अध्यक्षता आडवाणी जी द्वारा की गई. इस आंदोलन में उन्होंने उत्तराखंड नाम न रखकर उत्तरांचल की मांग कि
6):1988 में श्री सोबान सिंह जीना द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया.
7): 1989 - सभी दलों ने मिलकर उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया. सभी दल एक बैनर के नीचे कार्य करने लगे अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी जी बने.
8): 1990 में यूकेडी (UKD) के विधायक श्री जसवंत सिंह बिष्ट ने पहली बार पृथक उत्तराखंड के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखा |
9) इस बीच आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फैल चुका था . बीबीसी ने तब कहा था कि आप को जीवित और चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं वहां गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अंदाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
10) 1 सितंबर 1994 को खटीमा और 2 सितंबर को मसूरी कांड के बाद 15 सितंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु मसूरी कूच किया गया जिसमें पुलिस ने बडोनी जी को जोगीवाला, देहरादून में ही गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया.
11) इस दमन की सर्वत्र निंदा हुई .मुजफ्फरनगर कांड की सूचना मिलने के बाद 2 अक्टूबर की दिल्ली रैली में उत्तेजना फैल गई मंच पर अराजक तत्वों के पथराव से बडोनी जी चोटिल हो गए मगर उत्तराखंड के इस गांधी ने उफ तक नहीं की और यूपी हाउस आते ही फिर उत्तराखंड के लिए चिंतित हो गए .
12) उन तूफानी दिनों में आंदोलनकारी जगह-जगह अनशन कर रहे थे धरने पर बैठे थे और विराट जुलूस के रूप में सड़कों पर निकल पड़ते थे. इनमें सबसे आगे चल रहा होता था दुबला पतला लंबी बेतरतीब दाढ़ी वाला शख्स इंद्रमणि बडोनी.
13) इस ऐतिहासिक जन आंदोलन के बाद भी 1994 से 1999 तक बडोनी जी की उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे मगर कई सारी यात्राओं और अनियमित खान-पान से वह बीमार रहने लगे. देहरादून के अस्पतालों, चंडीगढ़ पीजीआई में, हिमालयन अस्पताल में इलाज कराते हुए भी मरणासन्न स्थिति मैं वह उत्तराखंड की बात करते रहते थे.
14) गुर्दे के खराब हो जाने से दो चार बार डायलिसिस के लिए भी उनके पास धन का अभाव था.
15) 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया.
**शत शत नमन**
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ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उत्तराखंड राज्य निर्माण की सच्चाई जो की राष्ट्रिय पार्टियाँ आज तक दबाने का प्रयास करती आई है उसे आज की जनरेशन को बताएं की कैसे और कितने बलिदानों व संघर्षों के बाद हमारे उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
याद रखियेगा उत्तराखंड किसी राष्ट्रिय दल की मेहरबानी से नही मिला है, उत्तराखंड क्रान्ती दल के संघर्षों और 42 शहादतों के बाद उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है।
जय उत्तराखंड🙏