चित्त का स्वरुप - Game of nature - योगसूत्र - 4 /24 , 25

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  • Опубликовано: 23 авг 2024
  • #yoga #meditation #mystry
    इस व्याख्यान में चित्त का स्वरुप ही बताया गया है
    video is explaining about form of consciousness and game of counsciousness.
    vedant
    kapil muni
    कोरोना वायरस से बचने का कोई उपाय
    sankhya darshan in hindi
    divya srijan samaj

Комментарии • 33

  • @rkgcorp2
    @rkgcorp2 Год назад +1

    🕉🪔 मेरे परम पुज्य गुरुदेव जी को मेरा प्रणाम ...
    Can't Resist....hearing प्रवचन from my गुरूदेव जी Divine वाणी🌹🌹🌹🌹

  • @kuldeepkumar-jb4et
    @kuldeepkumar-jb4et Год назад

    अति सुन्दर प्रवचन
    आचार्य श्री के चरण कमलों में कोटि कोटि नमन

  • @ravendrakumardwivedi9753
    @ravendrakumardwivedi9753 2 года назад

    Guruji aapke vyakhyan pravachan sunkar jivan dhan hota ja raha hai बहुत-बहुत sadhuvaad

  • @anupmamalhotra366
    @anupmamalhotra366 Год назад

    Kevalayapad ji ko naman hai

  • @appasahebshirsat3240
    @appasahebshirsat3240 15 дней назад

    Nice explanation with sound

  • @biharibhojani9970
    @biharibhojani9970 3 года назад +1

    Koti koti vandan Gurudev 🙏🏻🙏🏻🥀🕉

    • @arvindraokadu6579
      @arvindraokadu6579 3 года назад

      गुरुजी हमे संपूर्ण प्राणायाम की मालूमात.हमे व्हिडिओ के सात.मिलसकती.है.जि.अमरावती.मु. लय दिवस झाले बाळा चांदुर रेल्वे महाराष्ट्र

  • @akashvadar6475
    @akashvadar6475 3 года назад

    This is best

  • @virsinghchauhan5490
    @virsinghchauhan5490 3 года назад

    बहुत अच्छा समझाया है।

  • @simasingh8611
    @simasingh8611 Год назад

    Thanks

  • @sanjeevbjain
    @sanjeevbjain Год назад

    Thank you sir

  • @poonamsethi5377
    @poonamsethi5377 3 года назад

    Guruji ,,🙏you are great.In this Kalyuga aap jaise Real Guru milna achi kismat and Bhagwat kripa se hi sambhav hai..

  • @Classical-r8l
    @Classical-r8l Год назад

    Very nice Sir 🙏

  • @bhagavatpraaptimaarg9055
    @bhagavatpraaptimaarg9055 4 года назад +2

    कैसे पहचाने की अभी इस कार्य करने की आज्ञा परमात्मा दे रहे है
    और कैसे पहचाने की इस कार्य को करने के लिए ये पापी मन उत्साहित कर रहा है।

    • @DivyaSrijan
      @DivyaSrijan  4 года назад +1

      Aap ke prashna par video aayegi

  • @dpvashist3055
    @dpvashist3055 3 года назад

    जय श्री राम ओउम नम: शिवाय
    चित व प्रम पुरूष का संबन्ध जिस प्रकार किसी कम्पनी के मालिक व उसमें काम करने वाले कर्मचारियो के बिच अनुभवी मैनेजर होता है जो सबकी देखरेख करता है और सारा रिकार्ड मालिक को दिखाता है !

  • @imclassmate7452
    @imclassmate7452 3 года назад +1

    👍🙏👍

  • @drrameshkumarkalra
    @drrameshkumarkalra 3 года назад

    अति सुन्दर विवेचन महात्मा जी। आप पर ईश्वर की कृपा बरसती रहे।

  • @mrudulap7750
    @mrudulap7750 4 года назад +1

    🙏🙏🙏🙏👍👍

  • @kalpanasharma1149
    @kalpanasharma1149 3 года назад

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @manmathahaldar9221
    @manmathahaldar9221 3 года назад

    🙏🙏🙏

  • @ritapandya1912
    @ritapandya1912 3 года назад

    Thank you so much sir bahot sari jsnkari mili🙏

  • @sangrammane4758
    @sangrammane4758 3 года назад

    Thanks a lot sirji

  • @jayatewari1272
    @jayatewari1272 Год назад

    देखिए अग्नि धुएं से ढकी है। शीशा धूल से ढका है, गर्भ जेल से ढका है, वैसे ही काम से इन्सान का ज्ञान ढका है
    देखिए जीव में सब कुछ मौजूद है। लेकिन आत्म तत्व जीव से कोषों दूर होकर जीव का पोषण कर रहा है।

  • @vijaysaibabaofficial5898
    @vijaysaibabaofficial5898 4 года назад +1

    Humlog aachha bura karm jo karte hai wo kahan jata hai.🙏🎄🎆♥️

  • @nirmalabatra2131
    @nirmalabatra2131 2 года назад

    E

  • @jitendrashukla4918
    @jitendrashukla4918 3 года назад

    समत्वं योगमुच्यते।यह सब वह अदृश्ट द्रष्टा है और हमारा अस्तित्व उसमें बिल्कुल उसके लिए स्वाप्निक पुरुष जैसे हैं।कभी कभी वह द्रष्टा स्वयं को वैसे ही इस जगत में प्रकट करता है जैसे आपका प्रतिरूप आपके स्वप्न में आपको प्रतिबिंबित करता है परन्तु वह बोध रूप स्वतंत्र और नित्य सत्ता है और हम सबमें वही सत्य है बाकी हमारी अपनी कोई भी अनुभूति इस जगत की अपनी कदापि नहीं।मिथ्याभिमानी या स्वकल्पित नगर में प्रवेश करता है अथवा जड़ वत पंचभूतात्मक रूप से बाधित हो स्थिर होता है और कालान्तर में वही चित्त जो आप कहते हो प्राणिमात्र को पुनः और पुनः प्रकाशित करता व उसके अनुभवनुकूल स्वयं का उससे अतिरिक्त स्वयं का कल्पित विस्तार करता है जिसमें वह पुरूष द्रश्टा रूप अवकाश और प्राणशक्ति रूप होकर चित्त को उसके मूल में प्रवेश पाने की इच्छा करता है क्योंकि अब तक वह खण्डित हो चुका होता है।अब बताओ भाई जब तुम और मैं यह हूं ही नहीं तो क्या मेरा और आपका कोई उद्योग सफल होगा कदापि नहीं जब तक वह मूल द्रवित न हुआ।अन्यथा अहं का आश्रय आपको ज्यादा से ज्यादा सिद्ध करके तुम्हें अन्तत और परेशान करती हैं। इसीलिए वेदव्यास और बाल्मीकि जी की सामर्थ्य कम नहीं लेकिन ईश्वर तो आखिर ईश्वर ही है।हम सब तो उसकी एक चेष्टा मात्र हैं जो मैं कहूं मैं हूं तो यह कहां तक सही है और इसका निस्तार बिना हरि भजन के कभी नहीं सम्भव क्योंकि बिना द्रष्टा के अवलम्बन लिए कैसे अन्य भला उसको सहायक हैं।क्योंकि वह तो वास्तव में कुछ नहीं। मूल बात चित्त का उद्धार करो तुम तो पहले ही नित्य मुक्त हो लेकिन अहं ईर्ष्या तो बन्द नहीं करता। तुम बताओ किससे उलझते हो जिनका अस्तित्व ही तुमसे और तुम्ही में है और वह सही में तो है ही नहीं।सब आस परिहरि दास तव जे होइ रहे ।जपि नाम तव बिनु श्रम तरहिं।
    भाई बुद्धिजीवी भक्ति का आश्रय करते हैं क्योंकि आपके स्वप्न में एकमात्र आप ही साक्षी हो अन्य नहीं। फिर अन्य किस उद्योग से तुम्हारे जगने पर भी तुममें व्वहृत होगा नहीं तो वह क्या कर सकता है।यह सामान्य लोगों की बात है भगवान बोध रूप हैं समर्थ हैं उनका आश्रय लो तो वह तुम पर तुम्हारे कल्याण हेतु उद्योग करने में समर्थ हैं लेकिन तुममें ज्ञान नहीं उसमें श्रद्धा व विश्वास महत्वपूर्ण है।अन्यथा तुम कितना भी योग तप कर लो यहां से बाहर नहीं निकल सकते और न ही कभी स्वतन्त्र कुछ करने में कभी समर्थ हो।
    जय श्री कृष्ण।

  • @umeshyadav-tx7ux
    @umeshyadav-tx7ux 2 года назад

    thanks for this, keep it up, Atma ke bare me starting point se batayen, thanks

  • @dineshgarg2836
    @dineshgarg2836 3 года назад

    जय श्री कृष्णा
    हिरण्यगर्भ तेजस लोक का संचालन कहां से होता है?

  • @mrudulap7750
    @mrudulap7750 4 года назад +2

    Guruji, jeev kya hota hai? Ye purushse alag hota hai? Pls samzaiye. 🙏🙏🙏🙏🙏

    • @DivyaSrijan
      @DivyaSrijan  4 года назад

      ruclips.net/video/8h-KMbouMIE/видео.html