Woh Kehte Hain Ranjish Ki Baatain Bhula Den - Tahira Syed.flv

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • Akhtar Sheerani's ghazal by Tahira Syed...(PTV - Meri Pasand)

Комментарии • 3

  • @AbdulRahman-mk3wl
    @AbdulRahman-mk3wl 3 года назад +1

    Love Urdu shairi

  • @Reincarnation111
    @Reincarnation111 8 лет назад +2

    what an amazingly beautiful bandish....just love it..

  • @SanjayRanadeindia
    @SanjayRanadeindia 2 месяца назад

    वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें
    मोहब्बत करें ख़ुश रहें मुस्कुरा दें
    ग़ुरूर और हमारा ग़ुरूर-ए-मोहब्बत
    मह ओ मेहर को उन के दर पर झुका दें
    जवानी हो गर जावेदानी तो या रब
    तिरी सादा दुनिया को जन्नत बना दें
    शब-ए-वस्ल की बे-ख़ुदी छा रही है
    कहो तो सितारों की शमएँ बुझा दें
    बहारें सिमट आएँ खिल जाएँ कलियाँ
    जो हम तुम चमन में कभी मुस्कुरा दें
    इबादत है इक बे-ख़ुदी से इबारत
    हरम को मय-ए-मुश्क-बू से बसा दें
    वो आएँगे आज ऐ बहार-ए-मोहब्बत
    सितारों के बिस्तर पे कलियाँ बिछा दें
    बनाता है मुँह तल्ख़ी-ए-मय से ज़ाहिद
    तुझे बाग़-ए-रिज़वाँ से कौसर मँगा दें
    जिन्हें उम्र भर याद आना सिखाया
    वो दिल से तिरी याद क्यूँकर भुला दें
    तुम अफ़्साना-ए-क़ैस क्या पूछते हो
    इधर आओ हम तुम को लैला बना दें
    ये बे-दर्दियाँ कब तक ऐ दर्द-ए-ग़ुर्बत
    बुतों को फिर अर्ज़-ए-हरम में बसा दें
    वो सरमस्तियाँ बख़्श ऐ रश्क-ए-शीरीं
    कि ख़ुसरू को ख़्वाब-ए-अदम से जगा दें
    तिरे वस्ल की बे-ख़ुदी कह रही है
    ख़ुदाई तो क्या हम ख़ुदा को भुला दें
    उन्हें अपनी सूरत पे यूँ नाज़ कब था
    मिरे इश्क़-ए-रुस्वा को 'अख़्तर' दुआ दें