Mera favourite to hamesha Arjun hi rahega kyunki Karna chahe kitna bada yoddha kyun na ho lekin wo galat(adharmi Duryodhan) ke saath khada tha isiliye wo galat tha aur Arjun sahi, agar Karna ke saath galat hua bhi tab bhi usey koi haq nahi ki wo galat ke saath khada hojaye.
आपको कोटि कोटि धन्यवाद देवी जो आपने बहुत अच्छे तरीके से वर्णन किए । अर्जुन और कर्ण में बस यही अंतर था । जो आपने बताया । अर्जुन के पास इतने महाअस्त्र होते हुए भी उसका अपने मतलब और दुनिया में किसी जीवो को नुकसान न पहुंचे इसके लिए दुरुपियोग नही किया । मैंने अर्जुन के व्यक्तित्व को उसके बचपन से फॉलो करता हूं । मुझे अर्जुन बहुत पसंद है । कर्ण भी अच्छा है बस वो अधर्म को न देखते हुए अधर्म का साथ दिया ।
एक चीज़ जो अर्जुन .. को बाकी सबसे प्रिय एंड स्पेशल पात्र बनती है.. उनका भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण, जैसे कि जब भगवान सोए होते हैं तो उनके सर के पास पे नही पैर के पास बैठाना । उनके लिए नारायणी सेना को ठुकरा देना, जबकि उन्होंने तो शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की थी । फिर गीता में ये कहना की मैं आपका शिष्य हूं आपकी शरण में आता हूं (शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।।2.7।।) और फिर चाहे पशुपतास्त्र पाने के लिए कई महीनों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने लिए अत्यंत घोर तपस्या करना,और युद्ध से पूर्व भगवान श्री कृष्ण के आदेश पर मां दुर्गा की स्तुति कर उनके दर्शन तथा विजय का आर्शीवाद लेना। ।।जय श्री कृष्ण।।
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
यह जो आज के सीरियल और फिल्म कर्ण को महान बनाकर कमाई कमा रहे हैं पर वास्तविकता तो यह है की जिन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी भगवान वेद व्यास जी उन्होंने कर्ण के चरित्र को महाकाव्य के शुरुवात में ही लिख दिया है🙏🏻 "दुर्योधन काम-वासना से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, कर्ण उसका तना है, शकुनि उसकी शाखाएँ हैं, दुःशासन प्रचुर फल-फूल है और बुद्धिहीन धृतराष्ट्र उसकी जड़ है। युधिष्ठिर धर्म से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, अर्जुन उसका तना है, भीम उसकी शाखाएँ हैं, माद्री के दो पुत्र उसके प्रचुर फल-फूल हैं, और कृष्ण, ब्रह्मा और ब्राह्मण उसकी जड़ हैं।" अनुक्रमणिका पर्व- खंड एक
Jiske Purn Bahubal ko Gandiv bhi nahi sambhal sakti thi jiska samana karane ka samarthya Devtao me bhi nahi tha aise Sabaysachi Mahabahu Arjun ki jai ho 🙏🙏🚩🚩
@@KrsnaConsciousVibesनास्य शस्त्रं व्यर्थ याति पूर्वेषां च महारथः। नास्य हि विक्रमे तुल्यः पृथिव्यां विद्यते जनः ॥ अर्थ: कर्ण के द्वारा छोड़ा गया कोई भी शस्त्र कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह महारथी है और युद्ध के मैदान में उसकी वीरता और शक्ति के समान कोई नहीं है। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की शक्ति और कौशल की सराहना की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में अपार शक्ति और दक्षता रखते थे, और उनका हर शस्त्र अपने लक्ष्य को अवश्य भेदता था। उन्हें पृथ्वी पर युद्ध में अजेय योद्धा के रूप में देखा जाता था। 2. दानवीरः कृतवीरः सत्यवाक्यः प्रतापवान्। ऐश्वर्ये व समं कर्णं न पश्यामि पृथा कुले ॥ अर्थः कर्ण दानवीर, कृतवीर (कार्य करने वाला वीर), सत्यव्रती, और प्रतापवान था। पृथ्वी पर ऐश्वर्य में उनके समान कोई दूसरा नहीं था। विश्लेषणः यह श्लोक कर्ण की उदारता, सच्चाई, और पराक्रम का वर्णन करता है। कर्ण को दानवीर के रूप में जाना जाता था, जो अपने शत्रुओं को भी दान देने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी वीरता और ऐश्वर्य का कोई सानी नहीं था। 3. कर्णो विक्रमसंयुक्तो नास्य तुल्यः पृथा कुले। अस्ति यो योद्धृत्यां हि शत्रुवशं नयेत् ॥ अर्थ: कर्ण विक्रम से संपन्न था और पृथा (पृथ्वी) पर उसके समान कोई दूसरा योद्धा नहीं था, जो अपने शत्रुओं को पराजित कर सके। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीयता और शक्ति का वर्णन है। यह बताता है कि युद्ध के क्षेत्र में कर्ण के बराबर का कोई योद्धा नहीं था। उनका साहस और युद्ध कौशल उन्हें अत्यंत शक्तिशाली योद्धा बनाता था। 4. कर्मण्यकौशलमिदं कर्णस्येति मया श्रुतम्। व्रणेऽपि च न विप्राणि रणोऽप्यस्य न दुस्तरः ॥ अर्थ: मैंने सुना है कि कर्ण की युद्ध में अद्वितीय दक्षता है। वह घाव से भी विचलित नहीं होता और रणभूमि में कोई भी उसे आसानी से पराजित नहीं कर सकता। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीय युद्ध क्षमता की प्रशंसा की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में घायल होने पर भी नहीं झुकते थे, और उनका सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। 5. निहत्यानि हतं सर्वं राजानं कर्णनायकम्। न शक्यं केनचिन्मयें कर्तुं यद्धि कृतं त्वया ॥ अर्थः जिस प्रकार कर्ण ने युद्ध में विजय प्राप्त की और शत्रुओं को पराजित किया, वैसा किसी और मानव के लिए करना संभव नहीं है। 6. अद्यापि च मया ज्ञातं कर्णं योद्धारमुत्तमम्। यस्य वीर्येण बलिना नित्यं सर्वे नश्च यस्यति ॥ अर्थः आज भी मुझे यह ज्ञात हुआ है कि कर्ण एक सर्वोत्तम योद्धा है, जिसकी वीरता और शक्ति के कारण सभी उसके सामने झुकते हैं। 7. कर्णस्य बलवृत्तं च सदा सत्ववतः प्रिये। नान्यः कर्णसमः पुमान् विद्यते रणमूर्धनि ॥ अर्थ: कर्ण के बल और साहस की कोई सीमा नहीं है। रणभूमि में कर्ण के समान कोर्ड परुष नहीं है।
Lord Krishna says Arjun will get only one opportunity to kill Karn when his curses will act. Krishna says he will signal Arjuna at that and also says that it is almost impossible to kill Karna when he has weapons in his hands. So,here Lord Krishna considered Karna to be superior warrior to Arjuna.
krishna said this to arjun ”The Sun himself may fall down from his place, the Earth herself maysplit into a 1,000 fragments; fire itself may become cold. Still Karna will not be able to slay u, O Dhananjaya! (karna parva section 87)
@@vibekpradhan3494 ulta hua tha bhai krishna said this to arjun ”The Sun himself may fall down from his place, the Earth herself maysplit into a 1,000 fragments; fire itself may become cold. Still Karna will not be able to slay u, O Dhananjaya! (karna parva section 87)
Hare krishna mataji Amazing videooo❤❤❤❤❤ thankyou for giving your precious time and you made this video ❤❤ to give us knowledge about karna and arjuna story. You're enlighting our brains and heart with this wonderful knowledge ❤👏👏
Karna vs Arjuna? Who was the greater warrior? How can we decide? Let us work it out logically. To begin with, there can be no comparison between the disciples of Parashurama and the disciples of Dronacharya. Parashurama taught for the love of teaching, whereas Dronacharya taught for money, so any rich king/prince/nobleman could become his disciple. Talent and aptitude took a back seat, if they mattered at all. Just look at the logistics, and the picture becomes clear. Parashurama only had a few disciples at any point of time, whereas, Dronacharya, like a good businessman, ran a large establishment (ashrama) with at least 110 disciples (5 Pandavas + 100 Kaurarvas + Ashwathama + several other princes/kings from all over Aryavrata). If he loved Arjuna most of all, this was at least partly based on his very successful business strategy for becoming the foremost martial arts teacher in the region. In any case, how much time and personal attention could he have given Arjuna, in a class of 110+ students? He couldn't simply ignore all the others, could he? And being an excellent businessman, he always worked on the principle of extending the dependency of his clients on himself for as long as possible. Consequently, he never taught Arjuna all he knew, whereas Parashurama, prompted only by his love for teaching deserving disciples, was always ready to give 100% of his knowledge to his disciples. To sum up, Karna was the son of a god just like Arjuna, had at least as much martial aptitude as him, quite possibly a greater determination to prove his worth to the world (because of all the discrimination and injustice he continually faced), a far better quality of martial education, an impenetrable armour, and also a bow (Vijaya) that made him invincible, all at the same time. It is even said that he embodied the martial prowess of all the Pandavas put together. Where, then, is the question of his being inferior to Arjuna? No wonder Lord Krishna praised him so much, to Arjuna's consternation. Another, crucial, point here is that being the greatest ARCHER does not automatically equate to being the greatest WARRIOR. He who has the greatest skill/knowledge/capacity in archery can be the greatest ARCHER. But to win a war, he would need a great deal more - specialized weapons and equipment and techniques that his opponents lack, both offensive and defensive. Plus expertise/experience in various vidyas/siddhis/mayas/combat strategies, formations etc. No doubt Arjuna was a highly skilled archer and a great fighter to boot, but he acutely lacked the extra-special skills/weapons/equipment/specialized knowledge needed to win wars against his rivals (at least until the time he obtained the Pashupata missile and other weapons from Indra). Until then, he couldn't really aspire to become the greatest WARRIOR of HIS time, let alone of all times. In any case, the rivalry between Indra and Surya, and consequently their sons, has been ongoing since Ramayana times. In both avataras, the Lord sided with the weaker one - His devotee, the one on dharma's side - and made him win against the odds.
1. Virat war: Arjuna singlehandedly defeated all kaurava warriors including Karna (thrice), Bhishma and Drona and destroyed the entire kuru army alone to save the Matsya kingdom (refer Virata Parvam in Authentic Mahabharat eg: BORI CE) 2. Fight with Gandharvas: Karna was defeated by Gandharva king Chithrasena, captured Duryodhana and Karna fled away. But Arjuna alone defeated Chithrasena and released Duryodhana 3. Panchal war: Karna was defeated along with other Kauravas by Drupada; Arjun defeated and captured Drupada 4. At Draupadi Swayamvar: Karna fought with Arjun but was defeated by Arjun and Karna retreated. 5. Mahabharat war day 14: Arjuna slaughtered the Kaurava army and defeated Karna and Drona while hunting for Jayadratha. Nobody could stand against him on that day. He destroyed 7 akshauhinis that day (refer wikipedia Drona parva) Who is better: 1. Abhimanyu's death: Abhimanyu defeated Karna many times during the war and he was invincible for anyone so he along with 7 other warriors through betrayal jointly attacked him like a coward. But on 17th day Arjun challenged the entire army to protect Karna's son Vrishsena and killed him in front of Karna in one-to-one battle. 2. Arjuna was ambidextrous: He was the only warrior who could use both right and left hand for using weapon 3. Arjuna could aim and shoot upto many kilometers even during night 4. Arjuna was the only warrior to wield the mighty Pashupatastra in dwapara yuga, which could destroy the entire cosmos; the only warrior to fight Lord Shiva and impress him. If you read Kirata parva, Lord Shiva said, that no one except him and lord Vishnu from all the three worlds could defeat Arjuna 5. Arjuna was the only warrior who knew all the five tatvas of Archery(fifth one is the ability to give back life) 6. Dhanur Veda, the holy scripture of archery starts by praising lord Shiva, lord Rama and Arjuna 7. Arjuna singlehandedly killed 30 million Nivatakavachas and Kalakeyas whom even Ravan couldn't defeat 8. Arjuna was Nara, the partial incarnation of lord Vishnu himself.
If arjun was more powerful than what was the logic behind abducting kavach kundal , why didn't shree Krishna left the kavach with karna to fight with the battle ❓❓❓❓
Hare Krishna 🙏 Kavach Kundala were taken away by Indra not by Lord Krishna, and Indra being father of Arjuna was anxious about Arjuna. But ultimately, whatever happened was the will of the Supreme Lord. Krishna alone could have killed all during the Mahabharat war, but He wanted to establish Pandavas (who were pious and His devotees), and annihilate the demons with all sinful activities.
@@KrsnaConsciousVibes read bori ce, when gatoth kach dies ,shree Krishna explained arjun that he is the main reason behind abduction of kavah kundal , eklavyas finger cutting and know gatothkach death
@@prideandprejudice9156more logical knowledge is that using dev ansh in the battle of mortals is unfair. It was ansh of surya dev not mahadev or vishnu. Arjun was able to counter it with pashupatastra or vaishnavastra. But it could have brought insolence to surya dev, similarly use of vasavi shakti on ghatotkach was also necessary as if arjun had countered it with pashupatastra or vaishnavastra ( clearly pashupatastra and vaishnavastra have no counter other than these 2 weapons itself) it could have brought insolence to indra as he gave vashavi sakti as infallible. And if your only dominant ability that gives you edge above your competitor is kawach and kundal gifted by gods without any penance or anything in return, then how can anyone say he is better than arjun.
@@shreyashraja9394 i think arjuna and karna are equals pretty much in the... Warrior range and abilities.... No doubt arjuna had the better personality among the two... I think may be drona some what stronger than arjuna.... His performance against arjuna on the 14th day was amazing.. What u think
@pramitbiswas8772 The youngsters should understand the History as it was not as understood by so called modern authors who have manipulated the baseline story and misrepresented it's characters. They must know dharma. Hare Krishna 🙏
@@KrsnaConsciousVibes I also loved the fact that you called these epics as history. Most people think Mahabharat and Ramayana are myth but they fail to realise that those are 'itihasa'.
@@pramitbiswas8772 If Mahabharat is a myth then all other scriptures of the world must also be myth. They also talk about heaven and hell, God's, Angels etc. They must also be myth. Actually Ramayana and Mahabharata are the glorious History of India. Mahabharat and Ramayan are not mythology. One must try to understand this fact by reading Bhagavadgita. Hare Krishna 🙏
Jo sach ka saath deta hai wahi mahan hota hai... bhagawan to khud Arjun ke saath the...jiske Rath ke Sarthi swayam bhagwan ho wahi bahut badha yodha hai....🔥🔥🔥
नास्य शस्त्रं व्यर्थ याति पूर्वेषां च महारथः। नास्य हि विक्रमे तुल्यः पृथिव्यां विद्यते जनः ॥ अर्थ: कर्ण के द्वारा छोड़ा गया कोई भी शस्त्र कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह महारथी है और युद्ध के मैदान में उसकी वीरता और शक्ति के समान कोई नहीं है। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की शक्ति और कौशल की सराहना की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में अपार शक्ति और दक्षता रखते थे, और उनका हर शस्त्र अपने लक्ष्य को अवश्य भेदता था। उन्हें पृथ्वी पर युद्ध में अजेय योद्धा के रूप में देखा जाता था। 2. दानवीरः कृतवीरः सत्यवाक्यः प्रतापवान्। ऐश्वर्ये व समं कर्णं न पश्यामि पृथा कुले ॥ अर्थः कर्ण दानवीर, कृतवीर (कार्य करने वाला वीर), सत्यव्रती, और प्रतापवान था। पृथ्वी पर ऐश्वर्य में उनके समान कोई दूसरा नहीं था। विश्लेषणः यह श्लोक कर्ण की उदारता, सच्चाई, और पराक्रम का वर्णन करता है। कर्ण को दानवीर के रूप में जाना जाता था, जो अपने शत्रुओं को भी दान देने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी वीरता और ऐश्वर्य का कोई सानी नहीं था। 3. कर्णो विक्रमसंयुक्तो नास्य तुल्यः पृथा कुले। अस्ति यो योद्धृत्यां हि शत्रुवशं नयेत् ॥ अर्थ: कर्ण विक्रम से संपन्न था और पृथा (पृथ्वी) पर उसके समान कोई दूसरा योद्धा नहीं था, जो अपने शत्रुओं को पराजित कर सके। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीयता और शक्ति का वर्णन है। यह बताता है कि युद्ध के क्षेत्र में कर्ण के बराबर का कोई योद्धा नहीं था। उनका साहस और युद्ध कौशल उन्हें अत्यंत शक्तिशाली योद्धा बनाता था। 4. कर्मण्यकौशलमिदं कर्णस्येति मया श्रुतम्। व्रणेऽपि च न विप्राणि रणोऽप्यस्य न दुस्तरः ॥ अर्थ: मैंने सुना है कि कर्ण की युद्ध में अद्वितीय दक्षता है। वह घाव से भी विचलित नहीं होता और रणभूमि में कोई भी उसे आसानी से पराजित नहीं कर सकता। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीय युद्ध क्षमता की प्रशंसा की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में घायल होने पर भी नहीं झुकते थे, और उनका सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। 5. निहत्यानि हतं सर्वं राजानं कर्णनायकम्। न शक्यं केनचिन्मयें कर्तुं यद्धि कृतं त्वया ॥ अर्थः जिस प्रकार कर्ण ने युद्ध में विजय प्राप्त की और शत्रुओं को पराजित किया, वैसा किसी और मानव के लिए करना संभव नहीं है। 6. अद्यापि च मया ज्ञातं कर्णं योद्धारमुत्तमम्। यस्य वीर्येण बलिना नित्यं सर्वे नश्च यस्यति ॥ अर्थः आज भी मुझे यह ज्ञात हुआ है कि कर्ण एक सर्वोत्तम योद्धा है, जिसकी वीरता और शक्ति के कारण सभी उसके सामने झुकते हैं। 7. कर्णस्य बलवृत्तं च सदा सत्ववतः प्रिये। नान्यः कर्णसमः पुमान् विद्यते रणमूर्धनि ॥ अर्थ: कर्ण के बल और साहस की कोई सीमा नहीं है। रणभूमि में कर्ण के समान कोर्ड परुष नहीं है।
हरे कृष्ण 🙏 निश्चित रूप से कर्ण महान् धनुर्धर थे। उनमें योग्यता थी, भगवान कृष्ण ने भी उनकी प्रशंसा की है। वास्तव में सारी योग्यता भगवान से ही मिलती है जिसका उपयोग हमें अच्छे कार्यों में करना चाहिए जिससे सबका भला हो। यदि किसी योग्यता को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो वो किसी काम की नही होती बल्कि अपने ही विनाश का कारण बन जाती है। भगवान कर्ण के द्वारा हमें ये शिक्षा दे रहे हैं। कर्ण की योग्यता का गुणगान करने के बाद भी सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी अर्जुन के रथ के सारथी बने रहे और उनकी हर प्रकार से सहायता की। जिनसे सारी योग्यताएं आ रही हैं वे अर्जुन के साथ थे। तो अगर आप ये मान भी लो कि अर्जुन कर्ण से कम योग्य थे (जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था, हमनें श्लोकों के साथ बताया है कि कर्ण को कितनी बार हराया है अर्जुन ने), फिर भी अर्जुन ही महान् थे क्योंकि भगवान श्री कृष्ण उनका साथ दे रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को भी समझने का प्रयास किया था लेकिन वो नहीं माने। उनके लिए भगवान के आदेश से ज्यादा जरूरी उनके अपने विचार थे। परिणाम सब जानते हैं, कोन विजयी हुआ और कौन परस्त। हरे कृष्ण 🙏 हरे कृष्ण 🙏
@@KrsnaConsciousVibes wahi to fair fight me kabhi Arjun karn ko harya nhi ar aap Arjun fan ho isliye bl rha agar granth padhe ho to itna pta hga bhale karn adharm ke pakch me tha but karn Arjun se jyda saktisali tha wo seam bhagwan parshuram ji ka sishya tha jinhone apna sara Astra karn ko diya tha jo dronacharya ko bhi nhi diya tha ar bhagman pasuram ji ke pass mahadev ka sara Astra tha agar karn ko fair fight me harya Jaa skta to chal karna hi nhi padta jay shree krishna ❤️❤️
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
Comparison karna 😅paap nhi manna pap hai galat ka sath dena pap hai sikhna pap nhi hai janab jiski baat kar rhe wo to bhut powerful tha but kitna bhi ho galat hai to mara jayega aur ye sab bs examples the ramayana aur mahabharata ki insaane ko gande acharan aur negativity kabhi laani nhi chahiye chahe kitna bhi spiritual ho ya powerful.
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
कर्ण पर्व अध्याय 79 कर्ण शल्य से कहता है भयं मे वै जायते साध्वसं च दृष्ट्वा कृष्णावेकरथे समेतौ ।। ६६ ।। अतीव पार्थो युधि कार्मुकिभ्यो नारायणश्चाप्रति चक्रयुद्धे । एवंविधौ पाण्डववासुदेवौ चलेत् स्वदेशाद्धिमवान् न कृष्णौ ।। ६७ ।। श्रीकृष्ण और अर्जुनको एक रथपर मिले हुए देखकर मुझे बड़ा भय लगता है, मेरा हृदय घबरा उठता है। अर्जुन युद्धमें समस्त धनुर्धरोंसे बढ़कर हैं और नारायणस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण भी चक्र-युद्धमें अपना सानी नहीं रखते। पाण्डुपुत्र अर्जुन और वसुदेवनन्दन श्रीकृष्ण दोनों ऐसे ही पराक्रमी हैं। हिमालय भले ही अपने स्थानसे हट जाय; किंतु दोनों कृष्ण अपनी मर्यादासे विचलित नहीं हो सकते ।।
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
Arjun was better personality compare to Karna. Our close friend decides nature. Karna disrespected Droupati, Vidur and Bhisma, but Arjun even respected even his cosin like Krishna who scolded Arjun many times even both has same age. I don't know who has better fighting skills.
Aapko bahut bahut dhanyawad Sahi gyaan aur jaankari dene ke liye..jin logo ko sirf serial ka gyaan h unhe yeh avashya dekhna chahiye...🙏jai shree krishna..
Here are the realities and prove from Mahabharat ( KMG & Gita Press [ Vyas Dev] ) and still you have no argument / comment on this section. 1. On 17th day Arjun was defeated 3 times by Karna & reached almost near to death situation but he was saved by 3 different ways as given below. Bheem, Satyki, Dristadumana, Yudhisthir, Nakul, Sahadeb, Sikhandi also were defeated by KARNA Multiple times. 1.A. On 17th day Karna cut Arjun's Gandiv’s strings 11 times, but Gandivs had 100 strings, Karna did not know that. Every time Arjun was attaching just a new string end on the other side of his bow end but not the previous one. It was not a really tough matter for anyone if he got a pre arranged bow like that. It was the reality & the mystery. It means Arjun just took the advantage of his celestial bow which has too much multiple strings. It means if Gandiv had only one string then Arjun was killed by Karna for next ten times. But no needed of ten times, Arjun had only one head and only because of 100 strings in Gandiv Arjun was survived - proved. So obviously it was the sure defeating of Arjuna. - proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX & from Gita Press. 1.B. After some time again Arjuna was failure to measure the speed of ‘Avimantrit SharpaMukhi Van’. Karna had more than one SharpaMukhi van. That arrow was the sure death of Arjuna actually but Krishna saved him. The speed of the arrow was controlled by Karna's Mantra mixed with his tremendous accurateness with throwing power. Arjun was not able at all to estimate the speed and power of that special arrow. So Krishna had to save Arjun. Krishna's technique brought the whole chariot in down position with Arjun and the arrow cut his crown instead of his head. But on the other side without the special arrow of Karna, Aswasen Nag had not the enough speed and power so he was killed when he tried alone. That entire incident proves, the credit to trapping Arjuna in sure death goes to Karna again. It was the 2nd 100% defeating of Arjuna. - Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX & the Gita Press also. 1.C. In between all the general and all celestial weapons of Arjuna were destroyed by Karna, including 2 Brambhastra, those were destroyed by just general arrows of Karna. Although Karn’s chariot wheel was absorbed by the field of war so he was fighting without the advantage of a chariot. At the end of war Arjun was failure to protect himself from Karna’s special wind powered Arrow (Bayabiastra) and he became unconscious then Gandiv was fallen from his hand. Karna watched all, but his great idealism to not to hit or kill a unconscious person- saved Arjun’s life again. Obviously it was the 3rd 100% defeating of Arjuna. Then Karna kept his Bow on the chariot, jumped down and started to lift the wheel of his chariot. Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX and the Gita Press also. 1.D After some time Arjun came back from the fainted situation and followed the advice of Krishna to use weapon against weaponless Karna. Krishna told Arjuna very clearly that “ It will not be possible for you to kill or defeat Karna, if Karna hold his Bow again.” So Arjun used weapon on weaponless Karna & who was engaged in completely different work. Arjun’s activity itself proves that Arjun understood that - ‘it was not possible to win on Karna if Karna take Bow again and start fight’, Obviously it was 4rth 100% defeating of Arjuna. His Previous three defeating were physically and this was mentally. Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX and the Gita Press also.
@@vibekpradhan3494 Because Karna is the main & center character of the Mahabharata. Krishna told him 'Mahanayak' & he is the one & only character whom Krishna and Arjuna feared from the beginning to end, and both succumbed to him actually so Karna allowed them to kill himself illegally.
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
Aapne to sab adhura hi btaya jab vasudev sath ho to fir kya unbalance hona powers me kyuki isiliye sath the no doubt arjuna is pure and kind hearted, respect to all his elders and deities. But karna to tha hi power full sab se wo isiliye liye mara gaya kyuki wo adharm ka sath de rha tha aur bhagwana krishna ne kai baar usse avasar diye ki dusri team me aa jao wo bhi badhahuaa tha apne vachano me aur ye sari rachna to svayam vasudev ki thi to na lagaye dimmag jyada samjh nhi aane wala wo yaha aaye the example dene sahi galat ka .
I think ..u don't know.....Arjun dono hathon se ek saman gati se teer chalana jantha tha ......eklavya ka ek hath ka angutha gaya tha ....dono hath ka nhi ......samjha Bhai......
You tell me one simple thing, if Arjun was better warrior in comparison to other warriors in kurukshetra then why did God (Lord krishna) himself have to come to help Arjun and other Pandavs as well ?Why didn't Arjun finish this war alone without any help of lord Krishna lord Indra and lord Hanuman?Now I will teach you how to compare. To defeat that great warrior karn , Lord Krishna himself and Indra, the king of the gods and Hanuman, the king of the powers had to take Arjuna's side to beat just Karna 😂 . Three Gods were involved directly to beat Karna . And you still think he's better then Karn.And look at the other side, his armor ,which was his real power. His armor was also taken away by the god Indra and his divine weapon was also destroyed because of the curse.This means that Arjun had entered the battle with his full power and with the support of three Gods, whereas the karn is without his actual power, even with the half his real power he was entered in the battle .And you be honest with yourself, just imagine if Krishna, Hanuman, Indra were not with Arjun and And karn would enter the battle with his full power and his real strength then what would have happened to Arjun ?
Hare Krishna 🙏 Thank you for observing things very closely and now let's try to understand this in the same way. Lord is equal to everyone, but for those who are His devotees, He specially favours them (Bhakta vatsala). Krishna says in Bhagavadgita (Which is a part of Mahabharat- Bhishma Parva)- ये तु धर्मामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते । श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रिया: ॥-12.20 (Those who follow this imperishable path of devotional service and who completely engage themselves with faith, making Me the supreme goal, are very, very dear to Me.) We see in Mahabharata that Lord Krishna always supported Pandavas. And Krishna is the Supreme Lord Himself. And the Supreme Lord always support His devotees. Hence proved that Pandavas were devotees of the Lord and that's how they always got a special favour by Him. On the other side, Karna having all strength, was not specially favoured by the Lord, that means He was not His devotee at all. Lord Krishna, being compassionate towards him, warned him, but Karna kept the evil side. He had his own principles superior than the Lord's instructions. Hence all power given to him was snatched away from him eventually.
If u read mahabharat u will find aswathama Drona bheesma and bhagaddta did maximum damage then karna in war .till karna was made commander he killed only gathokacha which was gifted by indra.on 17 day he fought a better war which was almost equal. Even then arjuna killed his brothers and his son in front of him
Arjun me hajaro acchhe gun the. Dhanurvidya ki 5 vidhiya mahabharat kal me keval arjun hi janta tha. Mahabharat kal me keval Arjun hi aisa yodha tha jiske pass tridevo ke vinashkari astra brahmastra pashuatastra aur vaishnavastra tha. Ye Arjun ko sarvshreshth yodha banate hai.
@@knowledgeconsumer1289bhisma kehte h ki arjun ke paas sare dev ke astra h including varuna yama agneya aindra brahma pashupati and vaishnavas. Narayanastra ko viphal krna krishna ne btaya tha ki surrender kro iska mtlb narayanastra to nhi tha. Lekin jb bhagdatta ne vaishnavastra chlaya aur krishna ji apne upr le liye tb arjun bole ki unhe iska counter pta tha tb krishna ne btaya ki ye astra unhone hi bhu devi ko diya narkasur ke liye
@@shreyashraja9394 iss tarah to ye bhi mention hai karn ne bhagwan se sabhi divyastra gyan lia tha aur dronacharya ko bhi bhagwan parshuram ne sabhi divyastra ka daan dia tha iska matlab inn dono ke pass bhi pashupatastra, vaishnavastra Narayanstra hai
@@knowledgeconsumer1289 karna ne kripa drona aur Parshuram se siksha li thi lekin arjun ne kripa drona aur sbhi dev, gandharv, yaksha, aur mahadev aur krishna se siksha li thi. Mahadev ne arjun se ye kaha tha "Neither the chief himself of the gods, nor Yama, nor the king of the Yakshas, nor Varuna, nor Vayu, knoweth it. How could men know anything of it? But, O son of Pritha, this weapon should not be hurled without adequate cause; " isi se pta chlta h ki sirf arjun ke paas tha. Aur narayanastra drona ko swayam vishnu ji ne diya tha Parshuram ne nhi
@@knowledgeconsumer1289 according to bhishma:- The weapons appertaining to Agni, Varuna, Soma, Vayu, and Vishnu, as also those appertaining to Indra, Pasupati, and Paramesthi, and those of Prajapati, Dhatri, Tashtri, Savitri, and Vivaswat, all these are known to Dhananjaya alone in this world of men! Apart from this, there is a mention that Krishna trained Arjuna.
Karn baithega mera brahmastra mai 😂. Arjun ko tou karn ne kabhi nahi haraya hai. Karn arjun k aage kuch nahi tha , hai or rahega. Ye ma islia bola ki karn ke fan ko bura lage. Main arjun ki tarah banna chahata hun , karn ki tarah darpok nahi. Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun ..........................................................................................................................................................+ Infinitive
हरे कृष्ण 🙏 आपको ये पता होना चाहिए कि वह रंगमंच की प्रतियोगिता कुरु वंश के राजकुमारों के बीच थी। कोई अचानक से आकर एक राजकुमार को challenge करेगा तो उससे उसके बारे में तो पूछा ही जाएगा न की कौन हो। और अर्जुन को challenge करना बड़ी बात थी और कर्ण के मन में ईर्ष्या थी अर्जुन के प्रति। इसलिए उनका कुल गोत्र पूछा था कृपाचार्य जी ने महामंत्री विदुर के कहने पर। दुर्योधन ने कर्ण को राजा बनाया था अपना उल्लू सीधा करने के लिए। और वो कोई दोस्ती नहीं थी, दुर्योधन ने राज्य देकर एक तरह से कर्ण को खरीद लिया था ये सभी जानते हैं।
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
कर्ण ने भीम को दो बार पराजित किया था और वह माता कुन्ती को वचन दिया अर्जुन के अलावा किसी भी पाण्डव को नहीं मारेगा आपने ये क्यों नहीं बताया mam ♥️ ❤️ कर्ण जैसा होना अर्जुन की बात नहीं
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
भाई एक तो करण इन पांडवों का बड़ा भाई था दूसरा कवच और कुंडल खोजो अस्त्र तोड़ता उसे स्वयं अर्जुन का भी badh हो जाता दूसरा कारण की माता कुंती ने भगवान श्री कृष्णा से यह मांगा था कि उनके बड़े पुत्र के साथ में उन्होंने अन्याय किया था उसको भगवान श्री कृष्णा ने महान बनाया जिससे के कुंती के हृदय को शांति मिली दूसरा भाई एक बात समझ लो की अर्जुन भगवान श्री कृष्णा का ही अंश था
@@Ramvikashjatav1 Bhagvan kisi k sath chhal nhi karte hain. Karna ne aisa Abhimanyu k sath kia tha, jab wo Rath viheen the tab 4 maharathiyon ne unhe ghera tha jinme se ek Karn bhi the. To Bhagavan Krishna kisi k sath chhal nhi karte hain balki use uske karm k anusaar vaisa hi dand dete hain. Aur rhi baat nihatthe hone ki to jab Arjun Karna par teer chala rhe the tab Karna nihatthe nhi the, wo bhi teer chala rhe the. Wo sirf Rath par nhi the that's it. Come out of television zone. Hare Krishna 🙏
Karn shresth tha ya Arjun shresth tha ye toh gahan charcha ka bisay hai,par ye baat confirm hai ki khud karn ne apne aap ko Arjun se kamjor manta tha. Iss liye toh wo har bakt Arjun jitana saktisali ya phir usse behtar banne ka kosish kar raha tha. Arjun karn ke liye idel tha wo Arjun jaise feats ko achieve karna chahta tha.😂😂😂😂
Hare Krishna 🙏 Karna k khilaaf ya Arjuna k paksha me hone ki baat hi nhi hai. Baat hai facts janne ki. Real me Mahabharat me kya hua aur kyon hua wo janna zaruri hai. Jisse ye clear ho sake ki Mahabharat kyon hui, uska aim kya tha aur ultimately Lord Krishna Hume kya sikhana chahte hain. That is the most important thing to understand. Hare Krishna 🙏
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
Yeh problem suru esliye hua ki original mahabharat ved bysha ko jab alag writers ne anubad kiya wo 100% same nehi hai isme thoda bahut change kardiya gaya hai
@@fununlimited2134 So true. That' s the main problem. The writers have highlighted their own opinions in their version of"Mahabharata". The readers purchase these books to know the opinion of the writers. Somehow they get influenced by their flowery language and presentation. Good observation. Hare Krishna 🙏
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया। २. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ??? करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ? रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे। "You reap what you sow" Hare Krishna
Shri Krishna has called karna as “ trunk of adharma" in Vedvyaas MahaBharat . Moreover He has used various positive adjectives for arjuna in Bhagwad geeta. In fact, the choosing of Arjuna as a receipient of Bhagwad geeta itself proves that arjuna was the favourite of Krishna. Such is the perfection of arjuna , that in one of the shloka Krishna said “ Of pandavas I m arjuna'. Only a fan of fictional novels , an ignorant person or a man with deficient IQ and analysis skills can conclude that Krishna preferred karna over arjuna. Undoubtedly arjuna was one of the best warriors of his age . But the important point is that “ he was a devotee of Krishna" (confirmed in bhagwad geeta). Arjuna representing pandavas was the epitome of “dharma” whereas karna representing kauravas was an “adharmi”. Krishna always favours dharma or better words would be to say, “ Krishna determines what Dharma is". Hare Krishna 🙏
कर्ण के गुरु के भी गुरु प्रभु देवों के देव महादेव द्वारा अर्जुन की शक्तियों का वर्णन 🙏🏻 "महादेव ने कहा, "हे फाल्गुन! मैं तुम्हारे अतुलनीय कार्यों के कारण तुमसे प्रसन्न हूँ। वीरता और धीरज में तुम्हारे समान कोई क्षत्रिय नहीं है। हे निष्कलंक! तुम्हारा तेज और पराक्रम आज मेरे समान है। हे महाबाहु! हे नरश्रेष्ठ! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। मुझे देखो। हे बड़ी आँखों वाले! मैं तुम्हें आँखें देता हूँ। तुम पहले ऋषि रह चुके हो। तुम युद्ध में अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करोगे, चाहे वे स्वर्गवासी ही क्यों न हों।" "महान् भगवान ने कहा, "तुम पहले के शरीर में नर थे, नारायण के साथी थे। तुमने बदरी में भयंकर तपस्या में अनेक आयु वर्ष व्यतीत किए। तुममें परम शक्ति है, जैसे कि मनुष्यों में श्रेष्ठ भगवान विष्णु में है। तुम दोनों मनुष्यों में श्रेष्ठ की शक्ति से ही यह ब्रह्माण्ड टिका हुआ है। हे प्रभु! शक्र के अभिषेक के समय तुमने और कृष्ण ने दानवों का दमन किया था और तुमने मेघों के समान गरजने वाला महान धनुष उठाया था। हे पार्थ! यह गांडीव तुम्हारे हाथों के लिए उपयुक्त है। हे मनुष्यों में श्रेष्ठ! इसे मैंने अपनी माया के द्वारा तुमसे छीन लिया था। हे पार्थ! ये दोनों तरकश फिर से तुम्हारे लिए अक्षय रहेंगे, जैसे कि पहले थे। हे पार्थ! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। सत्य ही तुम्हारा पराक्रम है। हे मनुष्यों में श्रेष्ठ! मुझसे वरदान स्वीकार करो। तुम क्या चाहते हो? आप ही सम्मान देने वाले हैं। पृथ्वी पर कोई भी आपके बराबर नहीं है। न ही स्वर्ग में कोई है। हे शत्रुओं को जीतने वाले! क्षत्रिय आप में अपना प्रमुख पाते हैं।" कैराट पर्व- अध्याय ३३७(४०) और ३३८(४१)
ARJUN IS THE EXAMPLE OF EXCELLENCE
AND
KARN IS THE EXAMPLE OF KARMA
According to the tv serial masala Karan but according to the original Mahabharata Arjun was the best..
@@SunitaKumari-qv4ge Hare Krishna 🙏
Kaha se pdhi original Mahabharata?
Karn ❤❤
😂😂 nice joke
Then you make a serial on Arjuna as well. 😂😂😂 who stopped?
Mahanayak Arjuna 🗿💪🏻🏹🏹🏹🏹
@@AjitVishwakarmaji Hare Krishna 🙏
Senanayak abhimanyu
Mera favourite to hamesha Arjun hi rahega kyunki Karna chahe kitna bada yoddha kyun na ho lekin wo galat(adharmi Duryodhan) ke saath khada tha isiliye wo galat tha aur Arjun sahi, agar Karna ke saath galat hua bhi tab bhi usey koi haq nahi ki wo galat ke saath khada hojaye.
Arjun ne mahadev ko मलयुध me apne bhujaao se tript kr diya tha nd Mahadev ne kaha tha unke siva aur koi dusra nahi hain to Arjun ko hara sake...❤❤❤
आपको कोटि कोटि धन्यवाद देवी जो आपने बहुत अच्छे तरीके से वर्णन किए । अर्जुन और कर्ण में बस यही अंतर था । जो आपने बताया ।
अर्जुन के पास इतने महाअस्त्र होते हुए भी उसका अपने मतलब और दुनिया में किसी जीवो को नुकसान न पहुंचे इसके लिए दुरुपियोग नही किया । मैंने अर्जुन के व्यक्तित्व को उसके बचपन से फॉलो करता हूं । मुझे अर्जुन बहुत पसंद है । कर्ण भी अच्छा है बस वो अधर्म को न देखते हुए अधर्म का साथ दिया ।
Hare Krishna 🙏
Watch the next part- ruclips.net/video/Rq2RiwJOi88/видео.htmlsi=pi-ojYEpZCah2nra
Hare Krishna
❤
एक चीज़ जो अर्जुन .. को बाकी सबसे प्रिय एंड स्पेशल पात्र बनती है.. उनका भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण, जैसे कि जब भगवान सोए होते हैं तो उनके सर के पास पे नही पैर के पास बैठाना । उनके लिए नारायणी सेना को ठुकरा देना, जबकि उन्होंने तो शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की थी । फिर गीता में ये कहना की मैं आपका शिष्य हूं आपकी शरण में आता हूं (शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।।2.7।।) और फिर चाहे पशुपतास्त्र पाने के लिए कई महीनों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने लिए अत्यंत घोर तपस्या करना,और युद्ध से पूर्व भगवान श्री कृष्ण के आदेश पर मां दुर्गा की स्तुति कर उनके दर्शन तथा विजय का आर्शीवाद लेना। ।।जय श्री कृष्ण।।
@@gauravyogeshwar-8666 Hare Krishna 🙏
कर्ण ज्ञानी और वीर योद्धा थे । भीष्म पितामह परशुराम श्रीकृष्ण जिसकी प्रशंशा करे वो साधारण नहीं ही होते है ✅✨🎊
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
यह जो आज के सीरियल और फिल्म कर्ण को महान बनाकर कमाई कमा रहे हैं पर वास्तविकता तो यह है की जिन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी भगवान वेद व्यास जी उन्होंने कर्ण के चरित्र को महाकाव्य के शुरुवात में ही लिख दिया है🙏🏻
"दुर्योधन काम-वासना से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, कर्ण उसका तना है, शकुनि उसकी शाखाएँ हैं, दुःशासन प्रचुर फल-फूल है और बुद्धिहीन धृतराष्ट्र उसकी जड़ है।
युधिष्ठिर धर्म से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, अर्जुन उसका तना है, भीम उसकी शाखाएँ हैं, माद्री के दो पुत्र उसके प्रचुर फल-फूल हैं, और कृष्ण, ब्रह्मा और ब्राह्मण उसकी जड़ हैं।"
अनुक्रमणिका पर्व- खंड एक
@@IndraneelSarkar-127So true. 👍 Hare Krishna 🙏
@@KrsnaConsciousVibes हरे कृष्ण🙏🏻🚩
Arjun is the best warrior
@@RaviYadav-v8p3g Hare Krishna 🙏
Jiske Purn Bahubal ko Gandiv bhi nahi sambhal sakti thi jiska samana karane ka samarthya Devtao me bhi nahi tha aise Sabaysachi Mahabahu Arjun ki jai ho 🙏🙏🚩🚩
परशुराम का शिष्य खड़ा है बनके सूरज इस रण का हे पार्थ सुनो यह कणॅ नहीं यह रूद्र रूप है शंकर का राधे कणॅ 🔥
Haha Mahabharat me arjun hi best tha Bhai pdh le jake ye rashmirathi ki fake bate Mt chep
Dwaparyug hero- Arjun and Kaliyug hero- Karna 👈 ghor kaliyug 🙏🙏 where is Krishna and Arjun 😢 we need you in kaliyug
Mahanayak Arjuna 🗿💪🏻💪🏻 Gudakesh mahabahu parantap
@@AjitVishwakarmaji Hare Krishna 🙏
Karn
Hare Krishna mataji
@@kapil-nq5rl Hare Krishna 🙏
हरी हरी ❤❤
@@sujitkumarshaheta Hare Krishna 🙏
Har har Mahadev 🚩🚩🗿
Arjun was the best 🎉🎉
@@pavantiwari731 Hare Krishna 🙏
Bilkul...dharma jaha Arjun waha
@@luciferaoi8188Pahar se ludak kar kaun mara ??
Yad nhi a raha a raha uska nam.... Kya tha uska nam. Tumhe pata hai uska nam💀
@@KrsnaConsciousVibesनास्य शस्त्रं व्यर्थ याति पूर्वेषां च महारथः। नास्य हि विक्रमे तुल्यः पृथिव्यां विद्यते जनः ॥ अर्थ: कर्ण के द्वारा छोड़ा गया कोई भी शस्त्र कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह महारथी है और युद्ध के मैदान में उसकी वीरता और शक्ति के समान कोई नहीं है। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की शक्ति और कौशल की सराहना की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में अपार शक्ति और दक्षता रखते थे, और उनका हर शस्त्र अपने लक्ष्य को अवश्य भेदता था। उन्हें पृथ्वी पर युद्ध में अजेय योद्धा के रूप में देखा जाता था।
2. दानवीरः कृतवीरः सत्यवाक्यः प्रतापवान्। ऐश्वर्ये व समं कर्णं न पश्यामि पृथा कुले ॥ अर्थः कर्ण दानवीर, कृतवीर (कार्य करने वाला वीर), सत्यव्रती, और प्रतापवान था। पृथ्वी पर ऐश्वर्य में उनके समान कोई दूसरा नहीं था। विश्लेषणः यह श्लोक कर्ण की उदारता, सच्चाई, और पराक्रम का वर्णन करता है। कर्ण को दानवीर के रूप में जाना जाता था, जो अपने शत्रुओं को भी दान देने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी वीरता और ऐश्वर्य का कोई सानी नहीं था।
3. कर्णो विक्रमसंयुक्तो नास्य तुल्यः पृथा कुले। अस्ति यो योद्धृत्यां हि शत्रुवशं नयेत् ॥ अर्थ: कर्ण विक्रम से संपन्न था और पृथा (पृथ्वी) पर उसके समान कोई दूसरा योद्धा नहीं था, जो अपने शत्रुओं को पराजित कर सके। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीयता और शक्ति का वर्णन है। यह बताता है कि युद्ध के क्षेत्र में
कर्ण के बराबर का कोई योद्धा नहीं था। उनका
साहस और युद्ध कौशल उन्हें अत्यंत शक्तिशाली योद्धा बनाता था। 4. कर्मण्यकौशलमिदं कर्णस्येति मया श्रुतम्। व्रणेऽपि च न विप्राणि रणोऽप्यस्य न दुस्तरः ॥ अर्थ: मैंने सुना है कि कर्ण की युद्ध में अद्वितीय दक्षता है। वह घाव से भी विचलित नहीं होता और रणभूमि में कोई भी उसे आसानी से पराजित नहीं कर सकता।
विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीय युद्ध क्षमता की प्रशंसा की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में घायल होने पर भी नहीं झुकते थे, और उनका सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। 5. निहत्यानि हतं सर्वं राजानं कर्णनायकम्। न शक्यं केनचिन्मयें कर्तुं यद्धि कृतं त्वया ॥ अर्थः जिस प्रकार कर्ण ने युद्ध में विजय प्राप्त की और शत्रुओं को पराजित किया, वैसा किसी और मानव के लिए करना संभव नहीं है। 6. अद्यापि च मया ज्ञातं कर्णं योद्धारमुत्तमम्। यस्य वीर्येण बलिना नित्यं सर्वे नश्च यस्यति ॥ अर्थः आज भी मुझे यह ज्ञात हुआ है कि कर्ण एक सर्वोत्तम योद्धा है, जिसकी वीरता और शक्ति के कारण सभी उसके सामने झुकते हैं। 7. कर्णस्य बलवृत्तं च सदा सत्ववतः प्रिये। नान्यः कर्णसमः पुमान् विद्यते रणमूर्धनि ॥ अर्थ: कर्ण के बल और साहस की कोई सीमा नहीं है।
रणभूमि में कर्ण के समान कोर्ड परुष नहीं है।
@@Sigma01350ye log serial ke gyaani hai 😂. Arjun lost to some foot soldier lol.
Lord Krishna says Arjun will get only one opportunity to kill Karn when his curses will act. Krishna says he will signal Arjuna at that and also says that it is almost impossible to kill Karna when he has weapons in his hands. So,here Lord Krishna considered Karna to be superior warrior to Arjuna.
Ghanta Virat yudh m kya hua tha bhagoda ko
Tab Krishna bhi nh the
Right
krishna said this to arjun ”The Sun himself may fall down from his place, the Earth herself maysplit into a 1,000 fragments; fire itself may become cold. Still Karna will not be able to slay u, O Dhananjaya!
(karna parva section 87)
@@vibekpradhan3494 ulta hua tha bhai krishna said this to arjun ”The Sun himself may fall down from his place, the Earth herself maysplit into a 1,000 fragments; fire itself may become cold. Still Karna will not be able to slay u, O Dhananjaya!
(karna parva section 87)
Karan kuchh nhi tha sirf masala diya gya hai episode me shastra ka study kro
Hare krishna mataji
Amazing videooo❤❤❤❤❤ thankyou for giving your precious time and you made this video ❤❤ to give us knowledge about karna and arjuna story.
You're enlighting our brains and heart with this wonderful knowledge ❤👏👏
Thank you. 😊 Hare Krishna 🙏
Karna vs Arjuna? Who was the greater warrior? How can we decide? Let us work it out logically.
To begin with, there can be no comparison between the disciples of Parashurama and the disciples of Dronacharya. Parashurama taught for the love of teaching, whereas Dronacharya taught for money, so any rich king/prince/nobleman could become his disciple. Talent and aptitude took a back seat, if they mattered at all.
Just look at the logistics, and the picture becomes clear. Parashurama only had a few disciples at any point of time, whereas, Dronacharya, like a good businessman, ran a large establishment (ashrama) with at least 110 disciples (5 Pandavas + 100 Kaurarvas + Ashwathama + several other princes/kings from all over Aryavrata). If he loved Arjuna most of all, this was at least partly based on his very successful business strategy for becoming the foremost martial arts teacher in the region.
In any case, how much time and personal attention could he have given Arjuna, in a class of 110+ students? He couldn't simply ignore all the others, could he? And being an excellent businessman, he always worked on the principle of extending the dependency of his clients on himself for as long as possible. Consequently, he never taught Arjuna all he knew, whereas Parashurama, prompted only by his love for teaching deserving disciples, was always ready to give 100% of his knowledge to his disciples.
To sum up, Karna was the son of a god just like Arjuna, had at least as much martial aptitude as him, quite possibly a greater determination to prove his worth to the world (because of all the discrimination and injustice he continually faced), a far better quality of martial education, an impenetrable armour, and also a bow (Vijaya) that made him invincible, all at the same time. It is even said that he embodied the martial prowess of all the Pandavas put together.
Where, then, is the question of his being inferior to Arjuna? No wonder Lord Krishna praised him so much, to Arjuna's consternation. Another, crucial, point here is that being the greatest ARCHER does not automatically equate to being the greatest WARRIOR. He who has the greatest skill/knowledge/capacity in archery can be the greatest ARCHER. But to win a war, he would need a great deal more - specialized weapons and equipment and techniques that his opponents lack, both offensive and defensive. Plus expertise/experience in various vidyas/siddhis/mayas/combat strategies, formations etc.
No doubt Arjuna was a highly skilled archer and a great fighter to boot, but he acutely lacked the extra-special skills/weapons/equipment/specialized knowledge needed to win wars against his rivals (at least until the time he obtained the Pashupata missile and other weapons from Indra). Until then, he couldn't really aspire to become the greatest WARRIOR of HIS time, let alone of all times. In any case, the rivalry between Indra and Surya, and consequently their sons, has been ongoing since Ramayana times. In both avataras, the Lord sided with the weaker one - His devotee, the one on dharma's side - and made him win against the odds.
1. Virat war: Arjuna singlehandedly defeated all kaurava warriors including Karna (thrice), Bhishma and Drona and destroyed the entire kuru army alone to save the Matsya kingdom (refer Virata Parvam in Authentic Mahabharat eg: BORI CE)
2. Fight with Gandharvas: Karna was defeated by Gandharva king Chithrasena, captured Duryodhana and Karna fled away. But Arjuna alone defeated Chithrasena and released Duryodhana
3. Panchal war: Karna was defeated along with other Kauravas by Drupada; Arjun defeated and captured Drupada
4. At Draupadi Swayamvar: Karna fought with Arjun but was defeated by Arjun and Karna retreated.
5. Mahabharat war day 14: Arjuna slaughtered the Kaurava army and defeated Karna and Drona while hunting for Jayadratha. Nobody could stand against him on that day. He destroyed 7 akshauhinis that day (refer wikipedia Drona parva)
Who is better:
1. Abhimanyu's death: Abhimanyu defeated Karna many times during the war and he was invincible for anyone so he along with 7 other warriors through betrayal jointly attacked him like a coward. But on 17th day Arjun challenged the entire army to protect Karna's son Vrishsena and killed him in front of Karna in one-to-one battle.
2. Arjuna was ambidextrous: He was the only warrior who could use both right and left hand for using weapon
3. Arjuna could aim and shoot upto many kilometers even during night
4. Arjuna was the only warrior to wield the mighty Pashupatastra in dwapara yuga, which could
destroy the entire cosmos; the only warrior to fight Lord Shiva and impress him. If you read Kirata parva, Lord Shiva said, that no one except him and lord Vishnu from all the three worlds could defeat
Arjuna
5. Arjuna was the only warrior who knew all the five tatvas of Archery(fifth one is the ability to give back life)
6. Dhanur Veda, the holy scripture of archery starts by praising lord Shiva, lord Rama and Arjuna
7. Arjuna singlehandedly killed 30 million Nivatakavachas and Kalakeyas whom even Ravan couldn't defeat
8. Arjuna was Nara, the partial incarnation of lord Vishnu himself.
Karna❤
Karna💪
@@ameydabholkar2405bhagoda Sony putra
Angraj karn
@@vibekpradhan3494napunsak nallurjun 😅
@@ajaychatterjee6780 Tv serials Wale corona ohh karna ?😂?
Kaha gyea karan fan
Hare Krishna
If arjun was more powerful than what was the logic behind abducting kavach kundal , why didn't shree Krishna left the kavach with karna to fight with the battle ❓❓❓❓
Hare Krishna 🙏
Kavach Kundala were taken away by Indra not by Lord Krishna, and Indra being father of Arjuna was anxious about Arjuna. But ultimately, whatever happened was the will of the Supreme Lord.
Krishna alone could have killed all during the Mahabharat war, but He wanted to establish Pandavas (who were pious and His devotees), and annihilate the demons with all sinful activities.
@@KrsnaConsciousVibes read bori ce, when gatoth kach dies ,shree Krishna explained arjun that he is the main reason behind abduction of kavah kundal , eklavyas finger cutting and know gatothkach death
Right @@prideandprejudice9156
@@prideandprejudice9156more logical knowledge is that using dev ansh in the battle of mortals is unfair. It was ansh of surya dev not mahadev or vishnu. Arjun was able to counter it with pashupatastra or vaishnavastra. But it could have brought insolence to surya dev, similarly use of vasavi shakti on ghatotkach was also necessary as if arjun had countered it with pashupatastra or vaishnavastra ( clearly pashupatastra and vaishnavastra have no counter other than these 2 weapons itself) it could have brought insolence to indra as he gave vashavi sakti as infallible.
And if your only dominant ability that gives you edge above your competitor is kawach and kundal gifted by gods without any penance or anything in return, then how can anyone say he is better than arjun.
@@shreyashraja9394 i think arjuna and karna are equals pretty much in the... Warrior range and abilities.... No doubt arjuna had the better personality among the two... I think may be drona some what stronger than arjuna.... His performance against arjuna on the 14th day was amazing.. What u think
Arjun ke samne Karan bchacha tha
Mam karna ke chele aayenge aur bolenege ye fake hai karna hi yodha thaa unhe bass tv seriel wala karna acha lagta hai 😂
Ye book maharshi vedvyas jine jo likhi hai milegi kaise can you plz suggest me how to purchase and where .
Arjun is the best❤❤❤❤
Hare Krishna 🙏🏻. May God bless you.
I am so proud to see youngsters having so much interest in our Indian culture.
Keep it up.
@pramitbiswas8772 The youngsters should understand the History as it was not as understood by so called modern authors who have manipulated the baseline story and misrepresented it's characters. They must know dharma.
Hare Krishna 🙏
@@KrsnaConsciousVibes I also loved the fact that you called these epics as history. Most people think Mahabharat and Ramayana are myth but they fail to realise that those are 'itihasa'.
@@pramitbiswas8772 If Mahabharat is a myth then all other scriptures of the world must also be myth. They also talk about heaven and hell, God's, Angels etc. They must also be myth.
Actually Ramayana and Mahabharata are the glorious History of India. Mahabharat and Ramayan are not mythology. One must try to understand this fact by reading Bhagavadgita.
Hare Krishna 🙏
@@KrsnaConsciousVibes I am also reading Bhagvat Gita.
Hare Krishna.
आपको कंपेयर करते नहीं आता दानवीर कर्ण ही सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे❤ उनके जीवन के संघर्ष को जानो
Seriyal mai hai uska
@@meet4126 हकीकत में तो किसी ने भी नहीं देखा ना तूने और ना मैंने
@@shieeramdl2835 vidur ki zindagi me bhi bahut sangharsh tha aur keechak bhi sutputra the woh kyu nhi pasand apko ?
Jo sach ka saath deta hai wahi mahan hota hai... bhagawan to khud Arjun ke saath the...jiske Rath ke Sarthi swayam bhagwan ho wahi bahut badha yodha hai....🔥🔥🔥
नास्य शस्त्रं व्यर्थ याति पूर्वेषां च महारथः। नास्य हि विक्रमे तुल्यः पृथिव्यां विद्यते जनः ॥ अर्थ: कर्ण के द्वारा छोड़ा गया कोई भी शस्त्र कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह महारथी है और युद्ध के मैदान में उसकी वीरता और शक्ति के समान कोई नहीं है। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की शक्ति और कौशल की सराहना की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में अपार शक्ति और दक्षता रखते थे, और उनका हर शस्त्र अपने लक्ष्य को अवश्य भेदता था। उन्हें पृथ्वी पर युद्ध में अजेय योद्धा के रूप में देखा जाता था।
2. दानवीरः कृतवीरः सत्यवाक्यः प्रतापवान्। ऐश्वर्ये व समं कर्णं न पश्यामि पृथा कुले ॥ अर्थः कर्ण दानवीर, कृतवीर (कार्य करने वाला वीर), सत्यव्रती, और प्रतापवान था। पृथ्वी पर ऐश्वर्य में उनके समान कोई दूसरा नहीं था। विश्लेषणः यह श्लोक कर्ण की उदारता, सच्चाई, और पराक्रम का वर्णन करता है। कर्ण को दानवीर के रूप में जाना जाता था, जो अपने शत्रुओं को भी दान देने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी वीरता और ऐश्वर्य का कोई सानी नहीं था।
3. कर्णो विक्रमसंयुक्तो नास्य तुल्यः पृथा कुले। अस्ति यो योद्धृत्यां हि शत्रुवशं नयेत् ॥ अर्थ: कर्ण विक्रम से संपन्न था और पृथा (पृथ्वी) पर उसके समान कोई दूसरा योद्धा नहीं था, जो अपने शत्रुओं को पराजित कर सके। विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीयता और शक्ति का वर्णन है। यह बताता है कि युद्ध के क्षेत्र में
कर्ण के बराबर का कोई योद्धा नहीं था। उनका
साहस और युद्ध कौशल उन्हें अत्यंत शक्तिशाली योद्धा बनाता था। 4. कर्मण्यकौशलमिदं कर्णस्येति मया श्रुतम्। व्रणेऽपि च न विप्राणि रणोऽप्यस्य न दुस्तरः ॥ अर्थ: मैंने सुना है कि कर्ण की युद्ध में अद्वितीय दक्षता है। वह घाव से भी विचलित नहीं होता और रणभूमि में कोई भी उसे आसानी से पराजित नहीं कर सकता।
विश्लेषणः इस श्लोक में कर्ण की अद्वितीय युद्ध क्षमता की प्रशंसा की गई है। यह बताता है कि कर्ण युद्ध में घायल होने पर भी नहीं झुकते थे, और उनका सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। 5. निहत्यानि हतं सर्वं राजानं कर्णनायकम्। न शक्यं केनचिन्मयें कर्तुं यद्धि कृतं त्वया ॥ अर्थः जिस प्रकार कर्ण ने युद्ध में विजय प्राप्त की और शत्रुओं को पराजित किया, वैसा किसी और मानव के लिए करना संभव नहीं है। 6. अद्यापि च मया ज्ञातं कर्णं योद्धारमुत्तमम्। यस्य वीर्येण बलिना नित्यं सर्वे नश्च यस्यति ॥ अर्थः आज भी मुझे यह ज्ञात हुआ है कि कर्ण एक सर्वोत्तम योद्धा है, जिसकी वीरता और शक्ति के कारण सभी उसके सामने झुकते हैं। 7. कर्णस्य बलवृत्तं च सदा सत्ववतः प्रिये। नान्यः कर्णसमः पुमान् विद्यते रणमूर्धनि ॥ अर्थ: कर्ण के बल और साहस की कोई सीमा नहीं है।
रणभूमि में कर्ण के समान कोर्ड परुष नहीं है।
हरे कृष्ण 🙏
निश्चित रूप से कर्ण महान् धनुर्धर थे। उनमें योग्यता थी, भगवान कृष्ण ने भी उनकी प्रशंसा की है। वास्तव में सारी योग्यता भगवान से ही मिलती है जिसका उपयोग हमें अच्छे कार्यों में करना चाहिए जिससे सबका भला हो।
यदि किसी योग्यता को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो वो किसी काम की नही होती बल्कि अपने ही विनाश का कारण बन जाती है। भगवान कर्ण के द्वारा हमें ये शिक्षा दे रहे हैं।
कर्ण की योग्यता का गुणगान करने के बाद भी सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी अर्जुन के रथ के सारथी बने रहे और उनकी हर प्रकार से सहायता की। जिनसे सारी योग्यताएं आ रही हैं वे अर्जुन के साथ थे।
तो अगर आप ये मान भी लो कि अर्जुन कर्ण से कम योग्य थे (जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था, हमनें श्लोकों के साथ बताया है कि कर्ण को कितनी बार हराया है अर्जुन ने), फिर भी अर्जुन ही महान् थे क्योंकि भगवान श्री कृष्ण उनका साथ दे रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को भी समझने का प्रयास किया था लेकिन वो नहीं माने। उनके लिए भगवान के आदेश से ज्यादा जरूरी उनके अपने विचार थे। परिणाम सब जानते हैं, कोन विजयी हुआ और कौन परस्त।
हरे कृष्ण 🙏
हरे कृष्ण 🙏
@@KrsnaConsciousVibes wahi to fair fight me kabhi Arjun karn ko harya nhi ar aap Arjun fan ho isliye bl rha agar granth padhe ho to itna pta hga bhale karn adharm ke pakch me tha but karn Arjun se jyda saktisali tha wo seam bhagwan parshuram ji ka sishya tha jinhone apna sara Astra karn ko diya tha jo dronacharya ko bhi nhi diya tha ar bhagman pasuram ji ke pass mahadev ka sara Astra tha agar karn ko fair fight me harya Jaa skta to chal karna hi nhi padta jay shree krishna ❤️❤️
I love karn❤❤❤❤
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
Tera pita mata tumko Koi sanskar diya kya.
Daru pk a comment kar diya kya.
अर्जुन.......🙏🙏🙏🌺🌺🌺
Hare Krishna
Arjun ki tulna Karan se karna paap h jaise Shri Ram ko Ravan se tulna krna h😢.Shri Arjun Suweyam Narayan hain.
Hare Krishna 🙏
Arjuna is not Narayana. He is Nar.
Comparison karna 😅paap nhi manna pap hai galat ka sath dena pap hai sikhna pap nhi hai janab jiski baat kar rhe wo to bhut powerful tha but kitna bhi ho galat hai to mara jayega aur ye sab bs examples the ramayana aur mahabharata ki insaane ko gande acharan aur negativity kabhi laani nhi chahiye chahe kitna bhi spiritual ho ya powerful.
Totally agree 👍
Hare Krishna Mata ji dhanvat pranam 🙏🏻🙇🏻🙌🏻
So wonderful explanation ✨
@@Kamalkumar9871-d4s Thank you 🙏 Hare Krishna 🙏
Karn is best 🙏🙏
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
Wonderful explanation mataji.. harekrishna 🙏❤️, aage bhi margdarshan dete rahiye.. aapke ye chote chote efforts, mujhe motivate karte hai.. thankyou mataji 😊
@@himanshikumari6885 Thank you. Hare Krishna 🙏
I like your statement. Thank you
@@maheshSahu-ph2yj Hare Krishna 🙏
Karan ❤
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
बहुत अछा कहा आपने
Hare Krishna
कर्ण पर्व अध्याय 79
कर्ण शल्य से कहता है
भयं मे वै जायते साध्वसं च दृष्ट्वा कृष्णावेकरथे समेतौ ।। ६६ ।। अतीव पार्थो युधि कार्मुकिभ्यो नारायणश्चाप्रति चक्रयुद्धे ।
एवंविधौ पाण्डववासुदेवौ चलेत् स्वदेशाद्धिमवान् न कृष्णौ ।। ६७ ।।
श्रीकृष्ण और अर्जुनको एक रथपर मिले हुए देखकर मुझे बड़ा भय लगता है, मेरा हृदय घबरा उठता है। अर्जुन युद्धमें समस्त धनुर्धरोंसे बढ़कर हैं और नारायणस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण भी चक्र-युद्धमें अपना सानी नहीं रखते। पाण्डुपुत्र अर्जुन और वसुदेवनन्दन श्रीकृष्ण दोनों ऐसे ही पराक्रमी हैं। हिमालय भले ही अपने स्थानसे हट जाय;
किंतु दोनों कृष्ण अपनी मर्यादासे विचलित नहीं हो सकते ।।
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
Always Arjun❤❤
Hare Krishna
The king 👑 of dhanurdhar Karn
The greatest warrior of Mahabharat Surya putra Karna🚩🚩🗿
Sony putra tv serial karna
Abe itne facts jaan ke bhi karn ko mahan samajh rahe ho.andhabhakti ke last stage pe ho tum log 😂
Bhagoda karna 😂😂😂😂
@@Sigma01350tere bolne nahi hoga munna😂
Arjun was better personality compare to Karna. Our close friend decides nature. Karna disrespected Droupati, Vidur and Bhisma, but Arjun even respected even his cosin like Krishna who scolded Arjun many times even both has same age. I don't know who has better fighting skills.
@@manmohangadariya8489 So true. Hare Krishna 🙏
Hare Krishna
Aapko bahut bahut dhanyawad Sahi gyaan aur jaankari dene ke liye..jin logo ko sirf serial ka gyaan h unhe yeh avashya dekhna chahiye...🙏jai shree krishna..
@@mohnishdevda8435 Thank you. Hare Krishna 🙏
Here are the realities and prove from Mahabharat ( KMG & Gita Press [ Vyas Dev] ) and still you have no argument / comment on this section.
1. On 17th day Arjun was defeated 3 times by Karna & reached almost near to death situation but he was saved by 3 different ways as given below. Bheem, Satyki, Dristadumana, Yudhisthir, Nakul, Sahadeb, Sikhandi also were defeated by KARNA Multiple times.
1.A. On 17th day Karna cut Arjun's Gandiv’s strings 11 times, but Gandivs had 100 strings, Karna did not know that. Every time Arjun was attaching just a new string end on the other side of his bow end but not the previous one. It was not a really tough matter for anyone if he got a pre arranged bow like that. It was the reality & the mystery. It means Arjun just took the advantage of his celestial bow which has too much multiple strings. It means if Gandiv had only one string then Arjun was killed by Karna for next ten times. But no needed of ten times, Arjun had only one head and only because of 100 strings in Gandiv Arjun was survived - proved. So obviously it was the sure defeating of Arjuna. -
proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX
& from Gita Press.
1.B. After some time again Arjuna was failure to measure the speed of ‘Avimantrit SharpaMukhi Van’. Karna had more than one SharpaMukhi van. That arrow was the sure death of Arjuna actually but Krishna saved him.
The speed of the arrow was controlled by Karna's Mantra mixed with his tremendous accurateness with throwing power. Arjun was not able at all to estimate the speed and power of that special arrow. So Krishna had to save Arjun. Krishna's technique brought the whole chariot in down position with Arjun and the arrow cut his crown instead of his head.
But on the other side without the special arrow of Karna, Aswasen Nag had not the enough speed and power so he was killed when he tried alone. That entire incident proves, the credit to trapping Arjuna in sure death goes to Karna again. It was the 2nd 100% defeating of Arjuna. - Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX
& the Gita Press also.
1.C. In between all the general and all celestial weapons of Arjuna were destroyed by Karna, including 2 Brambhastra, those were destroyed by just general arrows of Karna. Although Karn’s chariot wheel was absorbed by the field of war so he was fighting without the advantage of a chariot. At the end of war Arjun was failure to protect himself from Karna’s special wind powered Arrow (Bayabiastra) and he became unconscious then Gandiv was fallen from his hand. Karna watched all, but his great idealism to not to hit or kill a unconscious person- saved Arjun’s life again. Obviously it was the 3rd 100% defeating of Arjuna. Then Karna kept his Bow on the chariot, jumped down and started to lift the wheel of his chariot.
Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX and the Gita Press also.
1.D After some time Arjun came back from the fainted situation and followed the advice of Krishna to use weapon against weaponless Karna. Krishna told Arjuna very clearly that “ It will not be possible for you to kill or defeat Karna, if Karna hold his Bow again.” So Arjun used weapon on weaponless Karna & who was engaged in completely different work. Arjun’s activity itself proves that Arjun understood that - ‘it was not possible to win on Karna if Karna take Bow again and start fight’, Obviously it was 4rth 100% defeating of Arjuna. His Previous three defeating were physically and this was mentally.
Proved from KMG (Vyas Mahabharata.) Karna Parva -Day 17 - Section LXXXIX and the Gita Press also.
Kuch bhi.....why are u sharing only feats of karna.
Do share the whole story....
@@vibekpradhan3494 Because Karna is the main & center character of the Mahabharata. Krishna told him 'Mahanayak' & he is the one & only character whom Krishna and Arjuna feared from the beginning to end, and both succumbed to him actually so Karna allowed them to kill himself illegally.
Sony Putra korona serial wale dur rhe 😂😂
@@AjitVishwakarmaji 😄 Hare Krishna 🙏
@@AjitVishwakarmaji Swami Vivekananda and Adi Guru Shankaracharya supremacy 🗿
@@Sigma01350 kahana kya chahte ho
@@AjitVishwakarmaji They called Karna is the greatest warrior
Tu dur rah
Karn
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
Very well explained mtji...
@@Komaltripathi_ Thank You. All Glories to Shrila Prabhupada 🙌
Bhaiyuoo Arjun is great ye serial Wale par dyan mat dijiya ye masla dalthe hain pls read Mahabharata
Haribol❤
@@BHAKTIPRASD Hare Krishna 🙏 Pranaam Maharaj 🙇♀️
Hare krishna mata ji❤️ thankyou so much for this amazing video❤️ can't wait to see second part😍
Thank you 😊 Hare Krishna 🙏
Karn ka vijai danos hi
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
Shri Krishna ke Param Sakha Arjun.
Arjuna is nara one of 24 Vishnu avatars. He is transcendental personality. Karna is a portion of devata/demigod Surya. Karna is nowhere near Arjuna.
Hare Krishna
Karna se bada yodha koi nahi hai na hi hoga I love the karna ❤❤
😂😂😂😂😂aya serial wala
Man see the reality
App kuch nahi jante please galat na bolo app nahi jante kuch baat jo smajhni chahiye
Aapne to sab adhura hi btaya jab vasudev sath ho to fir kya unbalance hona powers me kyuki isiliye sath the no doubt arjuna is pure and kind hearted, respect to all his elders and deities. But karna to tha hi power full sab se wo isiliye liye mara gaya kyuki wo adharm ka sath de rha tha aur bhagwana krishna ne kai baar usse avasar diye ki dusri team me aa jao wo bhi badhahuaa tha apne vachano me aur ye sari rachna to svayam vasudev ki thi to na lagaye dimmag jyada samjh nhi aane wala wo yaha aaye the example dene sahi galat ka .
So what about ekalavya
Hare Krishna 🙏 We will present the Eklavya incident and it's insights in a different video.
I think ..u don't know.....Arjun dono hathon se ek saman gati se teer chalana jantha tha ......eklavya ka ek hath ka angutha gaya tha ....dono hath ka nhi ......samjha Bhai......
Very good video
Hare Krishna
You tell me one simple thing, if Arjun was better warrior in comparison to other warriors in kurukshetra then why did God (Lord krishna) himself have to come to help Arjun and other Pandavs as well ?Why didn't Arjun finish this war alone without any help of lord Krishna lord Indra and lord Hanuman?Now I will teach you how to compare. To defeat that great warrior karn , Lord Krishna himself and Indra, the king of the gods and Hanuman, the king of the powers had to take Arjuna's side to beat just Karna 😂 . Three Gods were involved directly to beat Karna . And you still think he's better then Karn.And look at the other side, his armor ,which was his real power. His armor was also taken away by the god Indra and his divine weapon was also destroyed because of the curse.This means that Arjun had entered the battle with his full power and with the support of three Gods, whereas the karn is without his actual power, even with the half his real power he was entered in the battle .And you be honest with yourself, just imagine if Krishna, Hanuman, Indra were not with Arjun and And karn would enter the battle with his full power and his real strength then what would have happened to Arjun ?
Hare Krishna 🙏
Thank you for observing things very closely and now let's try to understand this in the same way. Lord is equal to everyone, but for those who are His devotees, He specially favours them (Bhakta vatsala).
Krishna says in Bhagavadgita (Which is a part of Mahabharat- Bhishma Parva)- ये तु धर्मामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते ।
श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रिया: ॥-12.20 (Those who follow this imperishable path of devotional service and who completely engage themselves with faith, making Me the supreme goal, are very, very dear to Me.)
We see in Mahabharata that Lord Krishna always supported Pandavas. And Krishna is the Supreme Lord Himself. And the Supreme Lord always support His devotees. Hence proved that Pandavas were devotees of the Lord and that's how they always got a special favour by Him.
On the other side, Karna having all strength, was not specially favoured by the Lord, that means He was not His devotee at all. Lord Krishna, being compassionate towards him, warned him, but Karna kept the evil side. He had his own principles superior than the Lord's instructions. Hence all power given to him was snatched away from him eventually.
You are 200% right ❤❤❤
If u read mahabharat u will find aswathama Drona bheesma and bhagaddta did maximum damage then karna in war .till karna was made commander he killed only gathokacha which was gifted by indra.on 17 day he fought a better war which was almost equal. Even then arjuna killed his brothers and his son in front of him
@@RajeshShetty-ui5ub To? Kehna kya chahte hain?
I have attitude like karna But vision is like krishna
Ya right achhi cheeje sikhna sabhi se chahiye 😊
Arjun me hajaro acchhe gun the. Dhanurvidya ki 5 vidhiya mahabharat kal me keval arjun hi janta tha. Mahabharat kal me keval Arjun hi aisa yodha tha jiske pass tridevo ke vinashkari astra brahmastra pashuatastra aur vaishnavastra tha. Ye Arjun ko sarvshreshth yodha banate hai.
Vaishnavastra ka koi mention nahi hai arjun pass wo bhagdutta ke pass tha
@@knowledgeconsumer1289bhisma kehte h ki arjun ke paas sare dev ke astra h including varuna yama agneya aindra brahma pashupati and vaishnavas. Narayanastra ko viphal krna krishna ne btaya tha ki surrender kro iska mtlb narayanastra to nhi tha.
Lekin jb bhagdatta ne vaishnavastra chlaya aur krishna ji apne upr le liye tb arjun bole ki unhe iska counter pta tha tb krishna ne btaya ki ye astra unhone hi bhu devi ko diya narkasur ke liye
@@shreyashraja9394 iss tarah to ye bhi mention hai karn ne bhagwan se sabhi divyastra gyan lia tha aur dronacharya ko bhi bhagwan parshuram ne sabhi divyastra ka daan dia tha iska matlab inn dono ke pass bhi pashupatastra, vaishnavastra Narayanstra hai
@@knowledgeconsumer1289 karna ne kripa drona aur Parshuram se siksha li thi lekin arjun ne kripa drona aur sbhi dev, gandharv, yaksha, aur mahadev aur krishna se siksha li thi.
Mahadev ne arjun se ye kaha tha
"Neither the chief himself of the gods, nor Yama, nor the king of the Yakshas, nor Varuna, nor Vayu, knoweth it. How could men know anything of it? But, O son of Pritha, this weapon should not be hurled without adequate cause; " isi se pta chlta h ki sirf arjun ke paas tha.
Aur narayanastra drona ko swayam vishnu ji ne diya tha Parshuram ne nhi
@@knowledgeconsumer1289 according to bhishma:- The weapons appertaining to Agni, Varuna, Soma, Vayu, and Vishnu, as also those appertaining to Indra, Pasupati, and Paramesthi, and those of Prajapati, Dhatri, Tashtri, Savitri, and Vivaswat, all these are known to Dhananjaya alone in this world of men! Apart from this, there is a mention that Krishna trained Arjuna.
Karn baithega mera brahmastra mai 😂. Arjun ko tou karn ne kabhi nahi haraya hai. Karn arjun k aage kuch nahi tha , hai or rahega. Ye ma islia bola ki karn ke fan ko bura lage. Main arjun ki tarah banna chahata hun , karn ki tarah darpok nahi. Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun Arjun ..........................................................................................................................................................+ Infinitive
Hare Krishna dandvat pranam mataji
@@vipinpathak2183 Hare Krishna Pranaam prji 🙏
are gadhi uchi jati aur nichi jati ki baat nhi hoti to arjun se yuddh k liye kyu use ang desh ka raja bnana pada
हरे कृष्ण 🙏
आपको ये पता होना चाहिए कि वह रंगमंच की प्रतियोगिता कुरु वंश के राजकुमारों के बीच थी। कोई अचानक से आकर एक राजकुमार को challenge करेगा तो उससे उसके बारे में तो पूछा ही जाएगा न की कौन हो। और अर्जुन को challenge करना बड़ी बात थी और कर्ण के मन में ईर्ष्या थी अर्जुन के प्रति। इसलिए उनका कुल गोत्र पूछा था कृपाचार्य जी ने महामंत्री विदुर के कहने पर।
दुर्योधन ने कर्ण को राजा बनाया था अपना उल्लू सीधा करने के लिए। और वो कोई दोस्ती नहीं थी, दुर्योधन ने राज्य देकर एक तरह से कर्ण को खरीद लिया था ये सभी जानते हैं।
Hare Krishna mtji PAMHO
@@Komaltripathi_ Hare Krishna 🙏
Next video
Krna real diamond my role model or mere jaise anek log jo midle class mai janam lete h unke liye karn ek inspiration se kam nhi
@@ritikvarshney-ee5zy karn middle class nhi tha..uske pita higher class ke the..
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
@@pankajdhiman4763 sahi kaha...👍
कर्ण ने भीम को दो बार पराजित किया था और वह माता कुन्ती को वचन दिया अर्जुन के अलावा किसी भी पाण्डव को नहीं मारेगा आपने ये क्यों नहीं बताया mam ♥️ ❤️
कर्ण जैसा होना अर्जुन की बात नहीं
jai shree krishna..subscribed channel..sri sri krishna gobind harey murari..gopal govardan dhari....
@@ROHITKUMAR-vh5qp Hare Krishna 🙏
Modi ji is best🎉
Karan karan karan only karan❤❤❤
@@AdnanYousaf-zj9cc Hare Krishna 🙏
Arjun Arjun Arjun only arjun❤❤
Hero is not all about warrior,its also about personality,Arjun had a best personality and great heart ,,karna was a good worried but karna disrespect women,always run for fame and support the wrong, i know duryadhan was his friend but friendship is not about supporting the wrong its also about correct their mistake.
अर्जुन फिर भी अर्जुन है ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
अर्जुन महान थे तो कर्ण को छल से उनका कवच कुदाल क्यों लिया गया और उसे निहत्थे करने पर मारा गया तो बताओ भाईयो महान कौन था ❤❤❤❤
Ved vyas ki mahabharat padho, clear ho jaega
@@aartigoswami5429 aapne pada hai
भाई एक तो करण इन पांडवों का बड़ा भाई था दूसरा कवच और कुंडल खोजो अस्त्र तोड़ता उसे स्वयं अर्जुन का भी badh हो जाता दूसरा कारण की माता कुंती ने भगवान श्री कृष्णा से यह मांगा था कि उनके बड़े पुत्र के साथ में उन्होंने अन्याय किया था उसको भगवान श्री कृष्णा ने महान बनाया जिससे के कुंती के हृदय को शांति मिली दूसरा भाई एक बात समझ लो की अर्जुन भगवान श्री कृष्णा का ही अंश था
अर्जुन नर अवतार था और नर और नारायण भगवान विष्णु का के अंश थे
@@Ramvikashjatav1 Bhagvan kisi k sath chhal nhi karte hain. Karna ne aisa Abhimanyu k sath kia tha, jab wo Rath viheen the tab 4 maharathiyon ne unhe ghera tha jinme se ek Karn bhi the. To Bhagavan Krishna kisi k sath chhal nhi karte hain balki use uske karm k anusaar vaisa hi dand dete hain. Aur rhi baat nihatthe hone ki to jab Arjun Karna par teer chala rhe the tab Karna nihatthe nhi the, wo bhi teer chala rhe the. Wo sirf Rath par nhi the that's it. Come out of television zone.
Hare Krishna 🙏
Corona putra covid 19 spotted here😂😂😂
Karn shresth tha ya Arjun shresth tha ye toh gahan charcha ka bisay hai,par ye baat confirm hai ki khud karn ne apne aap ko Arjun se kamjor manta tha.
Iss liye toh wo har bakt Arjun jitana saktisali ya phir usse behtar banne ka kosish kar raha tha.
Arjun karn ke liye idel tha wo Arjun jaise feats ko achieve karna chahta tha.😂😂😂😂
As per Indian serial Karan was greatest even greater than Lord Krishna😂😂😂
Hare Krishna 🙏
So true. Hare Krishna 🙏
Karn❤❤❤❤
Arjun ki shat krisna and hanuman thee
Only Arjun kisi me dm hai to debate kre hmse Pani pila denge
Aab Samjh Aaya - Aap Karn Ke Khilaaf Bol Ke Comments Aur View Lena Chahti Ho , Koi Bhi Advertising Buri Nhi Hoti 😮
Hare Krishna 🙏
Karna k khilaaf ya Arjuna k paksha me hone ki baat hi nhi hai. Baat hai facts janne ki.
Real me Mahabharat me kya hua aur kyon hua wo janna zaruri hai. Jisse ye clear ho sake ki Mahabharat kyon hui, uska aim kya tha aur ultimately Lord Krishna Hume kya sikhana chahte hain. That is the most important thing to understand.
Hare Krishna 🙏
Make an episode on akhand Brahmachari Bhishma Pitamah.
@@pramitbiswas8772 Sure. Hare Krishna 🙏
@@KrsnaConsciousVibes Jai Shri Ram. Hare Krishna.
Hare Krishna
Arjun ❌ Support of supreme god and Nyay ✅
At the end everything is god's lilaa.... No one is powerful or no one is powerless !
Are pahle tu sikha prapt kar bade me dusare ko batana
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
Yeh problem suru esliye hua ki original mahabharat ved bysha ko jab alag writers ne anubad kiya wo 100% same nehi hai isme thoda bahut change kardiya gaya hai
@@fununlimited2134 So true. That' s the main problem. The writers have highlighted their own opinions in their version of"Mahabharata". The readers purchase these books to know the opinion of the writers. Somehow they get influenced by their flowery language and presentation.
Good observation. Hare Krishna 🙏
Duno hee
कर्ण से कुंती ने वचन लिया था कि वो अपने भाइयों पर तीर नही चलाएगा
aswasthama ke upr bhi ek video bnaite
Part 2 kab tak aayega..
@@vugshollywoodmovies2634 Bas prateeksha samapt hone wali hai jald hi.
Hare Krishna 🙏
Hare Krishna
Arjun and Eklabya ka vi bat boliye?
@@anannyaart8745 Bolenge. Kisi aur video me. 😊🙏
Hare Krishna 🙏
Arjun
अर्जुन कर्ण के मुकाबले एक चौथाई भी नहीं था!
कर्ण सर्व श्रेष्ठ योद्धा था! यह स्वयं गुरु परशुराम ने और श्री कृष्ण ने बताया था!❤
1. अर्जुन ने हमेशा 'उत्तम' बनने का प्रयास किया, हर दिन खुद को improve करने की कोशिश की
जबकि करण ने हमेशा अर्जुन से प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या रखी जिससे वो केवल सक्षम बन पाया पर उत्तम means perfect कभी नही बन पाया।
२. अगर हम scriptures पढ़े तो पाएंगे कि हर बार अर्जुन ने करण को कितनी आसानी से रणभूमि हो या रणकौशल धूल चटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
३. करण ने भगवान परशुराम जी सेछल से विद्या प्राप्त की, तुम्हे लगता है वो विद्या सही समय पे कहीं काम आयेगी ???
करण ने एक माता द्रौपदी के चीर हरण में न केवल भाग लिया बल्कि एक स्त्री का अपमान किया। क्या ये सही है? ?
रही बात छल की, वीर अभिमन्यु के लिए षड्यंत्र में करण भी शामिल थे।
"You reap what you sow"
Hare Krishna
😂😂😂arjun vala diloglog karn per copy paste wah vedavyas ji be lik ;; andhbhakt ki bhi haad hoti hai 😂😂😂😂😂😂
Facts to yeh bhi hai ki Karna never used his Viajaya Bow before the Kurukshetra war...
Shri Krishna has called karna as “ trunk of adharma" in Vedvyaas MahaBharat . Moreover He has used various positive adjectives for arjuna in Bhagwad geeta. In fact, the choosing of Arjuna as a receipient of Bhagwad geeta itself proves that arjuna was the favourite of Krishna.
Such is the perfection of arjuna , that in one of the shloka Krishna said “ Of pandavas I m arjuna'.
Only a fan of fictional novels , an ignorant person or a man with deficient IQ and analysis skills can conclude that Krishna preferred karna over arjuna.
Undoubtedly arjuna was one of the best warriors of his age . But the important point is that “ he was a devotee of Krishna" (confirmed in bhagwad geeta). Arjuna representing pandavas was the epitome of “dharma” whereas karna representing kauravas was an “adharmi”. Krishna always favours dharma or better words would be to say, “ Krishna determines what Dharma is".
Hare Krishna 🙏
Well said madam arjuna is the best karn is villon
13:35 13:35
Shri Karan ji and shri Meghnath ji my super hero
Yahi kalyug h criminal, gangster, asur, rakshas, rape ko glorify krne wale bhagoda, kukarm karne wale ko hero bnaya ja rha h. Hari om
Hari om
यात्रा योगेश्वर कृष्णयात्रा पार्थो धनुर्धर तत्तरा श्रीविजयो भूतिरधव नितिर्मतिरमाम
Superb ❤
Hare krishna 🙏
@@vishnubajpai3761 Thank you 🙏 Hare Krishna 🙏
कर्ण के गुरु के भी गुरु प्रभु देवों के देव महादेव द्वारा अर्जुन की शक्तियों का वर्णन 🙏🏻
"महादेव ने कहा, "हे फाल्गुन! मैं तुम्हारे अतुलनीय कार्यों के कारण तुमसे प्रसन्न हूँ। वीरता और धीरज में तुम्हारे समान कोई क्षत्रिय नहीं है। हे निष्कलंक! तुम्हारा तेज और पराक्रम आज मेरे समान है। हे महाबाहु! हे नरश्रेष्ठ! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। मुझे देखो। हे बड़ी आँखों वाले! मैं तुम्हें आँखें देता हूँ। तुम पहले ऋषि रह चुके हो। तुम युद्ध में अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करोगे, चाहे वे स्वर्गवासी ही क्यों न हों।"
"महान् भगवान ने कहा, "तुम पहले के शरीर में नर थे, नारायण के साथी थे। तुमने बदरी में भयंकर तपस्या में अनेक आयु वर्ष व्यतीत किए। तुममें परम शक्ति है, जैसे कि मनुष्यों में श्रेष्ठ भगवान विष्णु में है। तुम दोनों मनुष्यों में श्रेष्ठ की शक्ति से ही यह ब्रह्माण्ड टिका हुआ है। हे प्रभु! शक्र के अभिषेक के समय तुमने और कृष्ण ने दानवों का दमन किया था और तुमने मेघों के समान गरजने वाला महान धनुष उठाया था। हे पार्थ! यह गांडीव तुम्हारे हाथों के लिए उपयुक्त है। हे मनुष्यों में श्रेष्ठ! इसे मैंने अपनी माया के द्वारा तुमसे छीन लिया था। हे पार्थ! ये दोनों तरकश फिर से तुम्हारे लिए अक्षय रहेंगे, जैसे कि पहले थे। हे पार्थ! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। सत्य ही तुम्हारा पराक्रम है। हे मनुष्यों में श्रेष्ठ! मुझसे वरदान स्वीकार करो। तुम क्या चाहते हो? आप ही सम्मान देने वाले हैं। पृथ्वी पर कोई भी आपके बराबर नहीं है। न ही स्वर्ग में कोई है। हे शत्रुओं को जीतने वाले! क्षत्रिय आप में अपना प्रमुख पाते हैं।"
कैराट पर्व- अध्याय ३३७(४०) और ३३८(४१)
Didi arjun ka koyi dos nahi hai lekin arjun to arjun hai