@@Roar_status अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 अरे मेरे भाई ये जिस तरीके से आपने महाभारत या गीता पढ़ी है वो तरीका ही गलत है।चुकी आप अपने को सिर्फ देह मात्र तक केंद्रित करके रखा है इसलिए आपको सारे पात्र देहधारी लगते हैं।महाभारत गीता वेदांत उपनिषद इस मानसिकता से बहुत आगे की बात करते हैं।एक बार फिर पढ़िए और किसी की कही कहाई बातों पर यूँ ही यकीन न करिए।शुरुआत के लिए अड़गड़ानंद जी की यथार्थ गीता या फिर आचार्य प्रशांत की गीता पढ़िए फिर आपका नज़रिया न बदले तो कहिएगा। और हाँ वर्ण व्यवस्था पहले भी थी और आज भी है लेकिन समाज में न कि अध्यात्म या फिर सनातन धर्म मे । वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक कुरीति है न कि धार्मिक।कुछ राजनीतिक धार्मिक ठेकेदारों ने इसका समर्थन या विरोध अपने फायदे के लिए किया है और आप पीढ़ियों से उनके इस जाल में फसते चले आ रहे हैं।
@@copscap7916 Varna vyavastha kuriti hai to phir sare jeevo ki jati khatam kar de sare kutte ghode gaye bakri mixbreef karde kya bewakoof wali baat kahi hai tum sabko brahman ban na kyu hai agar jati nahi mante to tum sab milke ek alag varnashankar group bana lo or sarkar se kaho tumhe alag varnashankar society ki manyta de se
@@Bharatwasi7 agar mahabharat me jaativaad hota to karana kv duryodhan k bagal me ni baithte.. Bhagwaan krishna ko bhagwaan ka darja ni milta..pehle jaatiwaad tha hi ni hm logo k andar isko paida kiya gya hum ooche wo nicha..
बहुत सुंदर ज्ञान आप देते हैं सर। काश हमारे पास आप जैसा शिक्षक होता। जो हमारे वेदों और वेदांत के सभी शब्दों की व्याख्या कर सकते हैं। लेकिन सर ये भी हकीकत है कि ये सब सैद्धान्तिक ज्ञान है जिसे आधुनिक भारतीय समाज में लागू नहीं किया जा सकता है, जहां ज्यादातर लोग हमारी धार्मिक पुस्तकों और संस्कृत को सीखते और समझते भी नहीं हैं। और धर्म को संस्कृत के बिना पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता है।
Kaise sikhe? Ved ka gyan to thekedar ke pas hai. Rahi pustak ki baat to kya pustaki gyan kaafi hai? Kyu aaj bhi vedshala me brahmano ka ekadhikar hai? Yeh brahman wad hindu ko kai baar toda hai. Sikh ... Buddhist Jain Nave Christian kya jaati wad ka atyachar se convert nahi hote? Brahman wad hindu ko kabhi sangathit nahi hone dega. Bas dhakosle dega sangathit hone ka. Asal me kuch nahi
@@BirendraKumar-yk5go be rich n make our sc st brothers sisters rich , so that we dont feel inferior . Brahmin , baniya se jyada khubsurat obc sc st m dekha h mene
@@vishnu78820 अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@JantaRocksofficial kya Sahi vyakhya ki hai Manoj Shankaracharya se jyada vidwaan hai kya.manoj Tu ya koi bhi mujhe dharti k Kisi bhi jeev ki jati nasal ya breed Uske maa baap se alag Karke k dikha do.dharam jeev vigyaan or samvhidhaan jati janam se hi maante hai .ek hone k liye doosro ki jati mein ghuspaith karonge.kal ki to bhasa rajya sab khatam Karne ki bolonge.bhai sabki APNI APNI bhasa jati culture hai doosro ki tang mat karo.60 Saal k arakshan se Kuch Nahi hua Jo abb savarno ki jatiya lootne as gye had par mat Karo
@@harshissar2404 जाति बचालो या धर्म और संस्कृति बचालो ।। वैसे भी पहनावा और बोलिया जातिगत कम और क्षेत्रीय ज्यादा होती है । अगर राजस्थान के लोग 50 साल तक गुजरात मे रहेंगे तो वो गुजराती हो जाएंगे । इसलिए जबरजस्ती का ज्ञान अपने पास ही रखो । और वैसे भी कौन रोक रहा है किसी को कोई रीति रिवाज से , जातिगत समानता से कोई दिक्कत तो नही होगी आपको ऐसा में उम्मीद करता हूँ ,अगर समानता प्रॉब्लम है तो फिर तो तुम्हारा दिल टूटने वाला है समझो , सनातन एकता होकर रहेगी ।।।
@@cardgaming8825 kis me kaha ki jati dharama or sanskriti ek sath Nahi bachayi has sakti hazaro Saal se teeno bachayi hai .basha sanskriti or pehnawa alag alag sweekar hai jatiyo mein kya dikkat hai tujhe .Maharastra or Gujrat mein jab purvaiyo ki potato ho rhi thi Woh jati Nahi shetra Dekh k ho rhi thi .tere Jaise hi hai Jinhe vividhta acchi Nahi lagti kal ko Tu rajya bhasha pehnaaw Jo bolenga ki ye alag alag Nahi ek hone Chahiye dikkat jatiyo se Nahi tere Jaise se hai Jinhe doosri jati bhasha rajya acche Nahi lagte .satyug se jatiya hai or aage bhi rehengi tere Jaise Kati Aaye chale gye .Nikal Yaha se
वर्ण व्यवस्था की वैज्ञानिक आधार पर इतनी सुंदर, सशक्त व विस्तृत व्याख्या शायद ही किसी ने की हो।मनोज जी निश्चित ही इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।आशा है बहुत से लोगों की शंका आपका ये वीडियो देखकर व सुनकर दूर हो जाएगी और वे सनातन धर्म व संस्कृति को भली भाँति जान और समझ सकेंगे।
मनोज भाई आज की आपकी प्रस्तुति मन को छू गई।ऐसे ही और भी कई विषयों और मुद्दों पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए, ऐसी ही बातों और प्रस्तुतियों की हमारे देश को बहुत आवश्यकता है। जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम् 🙏🙏🙏🙏
प्रणाम मनोज भाई साहब आपने बहुत ही जबरदस्त तरीके से कहा ह आपकी वाणी मै बहुत ही गंभीर और सच्चाई का आइना दिखाया ह आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब 🚩❤️🇮🇳🔥🛕🛕🛕🚩🚩🚩🚩🇮🇳🇮🇳
I always wanted to do something to stop castesim but today after I watched your video, I became sure that there are many people like you who are taking immense effort in the same direction, now only thing I have to do is share this video as much as possible Thank You very much Manoj ji
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@p.d.5575 शंबुक, एक शूद्र तपस्वी, को राम ने धर्म के उल्लंघन में तपस्या करने का प्रयास करने के लिए मार डाला था, जिसके परिणामस्वरूप एक ब्राह्मण के पुत्र की मृत्यु हुई थी।
सर मैंने आज तक किसी भी वीडियो पर कोई कमेंट नहीं किया पर आज ऐसा लगा की जैसे, आपने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी बहुत ही सहज भाव से बताकर समाज में उल्टी सीधी कहानी बताकर लोगों को भ्रमित करने वालों और धार्मिक परिवर्तन कराने वालों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है,,, आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏
सनतान संस्कृति की परिभाषा का विश्लेषण बहुत ही तार्किक ढंग से एवं प्रमाण के आधार पर प्रस्तुत करने हेतु आपका हार्दिक आभार एंव धन्यवाद तथा बहुत बहुत शुभकामनाएं ।जय भारत ।जय हिंद ।वन्दे-मातरम् ।
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
तुझे बड़ी तार्किक और तथ्यात्मक लगी , कभी बंदर और रीछ ने बंदूक चलाई है , सनातन के हिसाब से अब तक बंदरो ,रिछो और जटायु जैसे प्राणियों की इंडियन आर्मी में बटालियन होनी चाहिए थी । तब तार्किक कहलाती। जय हिंद ,जय भारत।
मनोज सर... वर्ण व्यवस्था की इतनी सुन्दर व्याख्या करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...आज के समाज में लोगो के मन में ब्राह्मणों के लिए बहुत ही मैल है। काश आपके इस प्रयास से लोग समझ सकें कि हमारा सनातन धर्म कितना महान है।
fir sare indian brahman hai… but koi manega nahi…agr mai khud ko brahman bolunga bcz i have done phd….nahi koi brhaman ladki se sadi ho skti hai….jo khud ko brahman bolte haivahi nahi mante iss sachai ko jo manoj sir bta rahe hai…
but atrocities on Sudra are/were being done is reality. and today's world Brahman him/herself is not Brahman. because definition of Brahman is too complex too follow that all rules in modern world. everyone tell a lie daily. very few percentage of people in our society have beautiful knowledge about our Vedas and Vedanta. Mostly brahman don't even understand sanskrit.
Iss desh k liye kshatriyon ne apni sab kuch luta diya..apna vans v adhe se jyada khatm kr diya.lekin durbhagya sbse jyada hate aaj Thakuron se hi hai svi ko
Bahut accha explanation sir apne ye to kah diya ki padh likhkar koi bhi upar uth sakta hai lekin sir jise kafi piche chor diya gaya hai wo kya karega. ...sir ye unki jimmedaari hai jinhone inko aage badhne hi nahi diya hai baki sir I am agree with you, Hume apni akhandata banaye rakhni chahiye Jai hind... 🙏
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7कर्ण सर्वप्रथम तो सूर्यपुत्र थे और क्षत्रिय थे, दूसरी बात रथपुत्र जैसा कोई शब्द नहीं है रथ चालक या फिर सारथी पुत्र होता है,तीसरी बात कर्ण अपने आपको सारथी पुत्र होने पर लज्जित अनुभव करते थे और वही दूसरी तरफ भगवान श्री कृष्ण ग्वाले के रूप मे पूर्ण स्वीकार्य भाव से अपना बचपन व्यतीत करते थे और महाभारत में स्वयं अर्जुन के सारथी बने थे,वही कर्ण अपने सारथी पुत्र होने पर लज्जित होते थे। सारांश : समाज में व्यक्ति स्वयं अपना स्थान निर्धारित करता है , या तो नीचा होते हुए ऊचों को कोसता हुआ अंत मे दुखद मृत्यु को प्राप्त होता है या फिर नीचा होते हुए भी उच्चतम स्थान प्राप्त करके सहस्त्रों वर्षों तक पूजा जाता है।
@@Bharatwasi7 रही बात अस्पृश्यता की तो कोरोना महामारी ने बता ही दिया अस्पृश्यता कितनी महत्वपूर्ण है,लोग अपने परिवार के लोगों को तक छूने में डरते थे तो हो सकता है महाभारत काल में भी कोई महामारी आई होगी उस काल में तो इतनी उपचार की व्यवस्था नहीं रही होगी तो ना छूना ही सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होगा।
@@Bharatwasi7 yesa hota to Karna raja Na banta,ek rajkumari se vivaah Na krta..senapati Na banta..agr jaatipratha hoti..varana vavastha thi islia wo sutputra se rajan ban paaya..
15 साल की पढ़ाई भी ये ना बता सकी जो आज की 15 मिनट की वीडियो ने वो हजारों साल की धुंधली और मैली परत को हटा दिया आपका आभार सर ,,,,,, आंखे तरसती है आपके वीडियो देखने को कि सच इस बार सामने आने वाला है 🙏
नट, दर्जी, लुहार, मल्लाह, रंगसाज, सुनार, बंसफोर, शस्त्र बेचने वाले, धोबी और रंगरेज का अन्न न खाए सुनार का अन्न आयु को और चमार का अन यश को हर लेता है. बढ़ई का अन्न संतान को तथा रंगरेज का अन्न बल को नष्ट करता है. चिकित्सक का अन्न पीप के समान होता है. मनुस्मृति अध्याय 4
सर आपके इस संदेस को नम्बर 1 trending होना चाहिये।। ना जाने कितनी खामोस आवाजे जो आपका संदेश सून रही है उनमे एक आशा भर दे ये वीडियो ।हम दुसरे धर्मो से तब तक खुद को सुरक्षित नही कर सकते जब तक हम खुद अपने धर्म के लोगो की इज़्ज़त नही करना सूरू करेंगे।।
जात-पात की करो विदाई हम सब हिंदू भाई भाई 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩 मनोज मुंतशिर सर को कोटि-कोटि नमन 🙏🙏🙏🚩🚩🚩👌👌👌 जय श्री राम जय श्री कृष्णा हर हर महादेव जय हिंद वंदे मातरम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
अपनी मंजिल को भुला कर जिया तो क्या जिया है दम तो उसे पा कर दिखा,,,,, लिख दे अपनी खून से कामयाबी की कहानी और बोल,,, उस किस्मत को है दम तो मिटा कर दिखा,,,🙏🇮🇳❤ जय हिन्द सर
जाति के कारण तो भेदभाव का सामना करना ही पड़ा, कर्ण को! यह बहुत ही विवादास्पद है। अगर हम मानवता के धर्म को ध्यान में रखें तो आपसी प्रेम को बढाया जा सकता हैं। मैं भी जन्म से ब्राम्हण हूँ, और कर्म से भी ब्राम्हण भी बनू इसके लिए प्रयासरत हूँ। श्री रामचंद्र जी मेरे आदर्श हैं।
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
सर आपके अमृत पूर्ण वानी ने मेरे दिल को छू लिया, वैसे तो इसमें से बहुत सारी बातें मैं पहले से ही जानता था पर फिर भी आपके मुख से सुनना अपने आप में एक सम्मान की बात है.... विवेक विंन्द्रा ने ठीक ही कहा था कि आप जब बोलते हैं तो क्रांति ला देते हैं!!!🙏🙏🙏 👍👍👍👌👌👌👍👍👍
Untouchability is 7000-8000 years old practice. It can traced in Mahabharat (7000yrs ago) Karn was shamed for just being soot putra )(driver) (a lower medium profession ). What about shudra and Panchama (lowest profession)? It's hard to even imagine their conditions.
@@Bharatwasi7 sir can you give references to your claim like chapter number and verse or shloka number? So i can cross check your claim from original sources, if not then I will assume you are spreading lies.
A lyricist is singing the song of Bharat Dharma.... Salute Sir... You are the real gem of Sanatan and humanity... "वहमी विरासत मिली जो मुद्दत से ,उसे तो बदल जाने दे, फिर वक्त ली है करवटें, आज खयालों को संवर जाने दे.. - आमोद कुमार आनंद
ब्राह्मणों के प्रति समाज में बहुत जहर फैलाई गई है जो की ये एक बेबुनियाद है और जानकारी के अभाव में ब्राह्मणों से लोग नफ़रत करते है जो की ये सही नही है । धन्यवाद मनोज जी 🙏
Ye sari batein sunne mein achi lagti h ab .... Jis tarah ka time chal raha , bhut kam logo ko smjh ayengi ... Jin bhaiyo ke sath hota h discrimination wo hi jante honge ..
@@aloksrivastava2797 talented vyakti ko aarakshan ki jarurat hin nahin padti itna tere ko sense nahin hai jisme kabiliyat hoti hai khud ke bal khada hota hai
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
तो दत्ता जी हिंदू को अगर बाहरी लोगो ने डिवाइड किया है तो इस बार अपने बेटी या पोती की शादी किसी दलित के यहां करना क्योंकि पढ़े लिखे तो वहा भी होते हैं ।अफसोस की जो पैदा होते ही समाज के एक बड़े हिस्से को अछूत मान लेता है आज वही ज्ञान बांट रहा है कि मुगलों ने हमे बांट दिया ।मुगलों ने नही भारतीय समाज को ब्राह्मणों ने बांट दिया है ये न होते तो मुगल आ ही न पाते।
मैने बहुत सारे मनुस्मीरिती पर वीडियो देखे परंतु जब मैने मनोजजी का यह वीडियो देखा तब मुझे सब समज आ गया की सनातन धर्म मे जात पात जैसी कोई चिज नही है,आपका कोटि कोटि धन्यवाद मनोज मुंताशिरजी....Jay Hind, Jay sarvadharma🇮🇳🇮🇳
अद्वितीय ज्ञान काश सभी भारतवासी आप की इन बातो पर अम्ल कर पाए।प्रशासन भी हम सब भारतीयो को जाति और धर्म के नाम पर गुमराह करते हैं। अफसोस हम उनकी बातो मे क्यो आते जा रहे हैं। 🙏🙏🙏🙏🙏
It is written in Hiuen Tsang Book when he travelled India during Harshavardhan reign about Rajput as a Brahman and Shudra as a King . Division was based on CLASS not on CASTE . A particular class people used to perform a particular job , no force, no discrimination , no shame or anything.
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
Abe glt bol rha hh yeh BJP ka dalal manusmriti pd le dalit ko toh varn me rkha bhi nhi gya tha aaj jb tm logo ko muslim ki bdhti population se futt rhi h toh ekta ki baat krte hoi jbki abhi bhi ho manuwaadi jaatiwaadi maine bhut se bhrahmino se baat ki h sb kehte hh mai hi superior hu
Untouchability is 7000-8000 years old practice. It can traced in Mahabharat (7000yrs ago) Karn was shamed for just being soot putra )(driver) (a lower medium profession ). What about shudra and Panchama (lowest profession)? It's hard to even imagine their conditions.
@@Bharatwasi7 sir can you give references to your claim like chapter number and verse or shloka number? So i can cross check your claim from original sources.
सुप्रभात सर 🙏🙏💐 बहुत सुन्दर शब्दों में व्याख्यायित किया आपने वर्ण व्यवस्था को, मन को बहुत सुकून मिलता है ये सोच कर कि बहुत ज्ञान ना होते हुए भी हम कभी भी किसी जाति विशेष पर ना खुद को बड़ा समझे ना किसी को छोटा।
@@thesatyamshriwastav7151 main apne aap se pooch chuka main kar lunga lekin kya koi brahmin,thakur,kayasth etc karega apni behen beti ki shadi especially sc/st mein👍🏻
@@BirendraKumar-yk5go bhai hum q in brahmin , kayasth , rajput ki beti bete se shadi karna chate hen?? Hum q itna jogya nahi banjayen ki hme inki taraf dekhna v na pade, yad rakho jab tak aukat na banaoge to daya ki dristhi ki asha rakhoge , hamesha sqabhimani raho , apne ap ko aur apne sc st obc samaj ko itna kabil banao ki tum ye so called upeercast ko nichi jati ki tarah dekh sako ❤
sir नमस्ते आपने बहुत अच्छी बात बताई है और ऐसे मुद्दे पर चर्चा की है जो ज्वलन्त मुद्दा है चूंकि आपने इस मुद्दे पर बात रखी है तो मेरा भी अधिकार है कि अपने विचार रखु ....सभी कमेंट पढ़ने वाले और श्री मनोज जी यह मेरा व्यक्तिगत मत है और में अपने आपको इतना ज्ञानी नही मानता कि आपके विचारों को गलत साबित कर दु पर चूंकि यह मेरा अधिकार मानता हूं तो यह कहना उचित समझता हूं मैं ओबीसी से सम्बंध रखता हूं जहाँ तक सनातन संस्कृति की बात है में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति मानता हूँ ....और गर्व महसूस करता हूं कि में इस संस्कृति में जन्मा हु ....पर क्या सिद्धान्त और वास्तविकता में कोई अंतर नही होता .........मैं वर्णव्यवस्था को अच्छा मानता हूँ पर क्या जिस उद्देश्य से यह बनाई गई थी उसकी प्रासंगिकता आज भी वैसी है .....क्या आज वर्णव्यवस्था के उस आदर्श को बनाये रखा है ....क्या आज ऐसा है कि कोई भी शुद्र ब्राह्मण अपने कर्मो से बन सकता है ..जी मै अपने आपको आदर्शवादी नही मानता में यथार्थवादी हु उस इस संदर्भ में यथार्थ यही है कि जो आदर्श हमारे वेदों पुराणों उपनिषदों में थे आज धरातल पर उसका 10 फीसदी भी अंश प्रयुक्त नही होता .....क्योंकि यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जी शंका वर्णव्यवस्था के बारे मे जताई जा रही हैं वो एक दम सटीक है ....ha मानता हूं कि आजादी के बाद संविधान ने इस यथार्त को दूर करने का प्रयास किया है लेकिन क्या जनमानस में यह यथार्थ नह है कि पूजा ब्राह्मण ही करेगा ? किसी शुद्र को पूजा करते हुए आपने कहि देखा .....और में राजस्थान से हु और यहां जातीय घृणा के ऐसे उदाहरण मिले है जिससे हमारी संस्कृति के प्रति विश्वास उठ जाता है क्योंकि मानता हूँ कि हमे सनातन पर गुमराह किया गया है पर यथार्थ में भी तो ऐसा होता है न ......उनकी कोई गलती नही है जिन्होंने यह व्यवस्था बनाई है पर गलती यह है कि यथार्थ में उन सिधान्तो को कैसे लागू किया जाता है ....बुरा न मानिए ...आप ही बताइए कि आज क्रिकेट जगत फिल्मी जगत आदि क्षेत्र मे दलित या ओबीसी से सबन्ध रखने वाले कितने है .......आप इसे वर्णव्यवस्था का दुष्प्रचार मानते है ...मेरा मत है कि यह दुष्प्रचार से नही बल्कि वास्तव में ऐसा किया जाता है धरातल में ....क्योंकि गांव के लोग पढ़े हुए नही है न उन्होंने tv मीडिया देखा है ...अक्सर में बड़े बुजुर्ग से में इस पर चर्चा करता हु तो यही पाया है कि धरातल पर कुछ अलग है और सिद्धान्तों में अलग .....इसका एक उदाहरण देखिए ..संविधान ने किसी भी वर्ग के साथ यह अन्याय नही किया है की वो गांव का सरपंच नही बन सकता और इसलिए हमारे गांव में एक दलित वर्ग से समनबधित व्यक्ति को सरपंच बना दिया गया ....इसका वर्णव्यवस्था से मतलब हुआ कि अब वह शुद्र से निकलकर उच्च वर्ण में आ गया लेकिन धरातल में यह है कि आज भी उसे वही भेदभाव का सामना करना पड़ता है जो सामान्यत हम सुनते है उसका सरपंच बनना केवल औपचारिकता रह गई ....क्योकि यह सच है सिद्धान्त हमारे बहुत अच्छे हैं पर धरातल में विकृतिया आ गई ....अब इसका समाधान आप @mnojmuntashir अवश्य बताये .....मेने खुद इस उच्च ओर निम्न वर्ग के भेदभाव को महसूस किया है यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है इसे आप अन्यथा न ले .....मेरा कोई मकसद यह नही है कि किसी एक उदाहरण को लेकर सबको इस हेतु जिम्मेदार बता दु ...पर वास्विकता यही है ....मुझे लगता है हम सब को व्याख्या पर नही बल्कि वास्तविकता पर बल देना चाहिए ......अंत मे यही कहूंगा कि यह बात एक बुद्धिजीवी की तरह पढ़िए .....जातीय घृणा के चश्मे पहनकर नही .....नमस्कार
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@RAMESHSingh-xm9qv अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है। महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले) कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था। शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या? उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
हाल ही में एक न्यूज हमने सुना है की एक स्कूल में जो रसोइया है वो दलित वर्ग से आती थी तो सभी ऊंचे जाति वालो ने अपने बच्चो को खाना खाने से मना कर दिया। कहने के बड़ी बड़ी बाते है लेकिन खुद अपने धार्मिक ग्रंथ में लिखी बातों को नही मानते जो अपने febore में लिखा है वही मानेंगे।
There is a lot of difference between what are written in scripture and what happen in ground reality Many feel proud in dharmshastra that have written all are equal but what is the reality and what is the implement people in reality they doing nonsense think to the people
Sir, आपने बहुत अच्छे से और सही व्याख्या की महै । फिट क्यों हमारे देश में आरक्षण के नाम पर स्पेशल जाति वाली को पढ़ाई मुफ्त , हायर शिक्षा में फीस कम देना और तो और सरकारी नौकरी में भी आरक्षण। जन्म से स्वर्ण समाज में जन्म लेने मात्र से आज के समय में भारत में बहुत गलत हो रहा है । ऐसा किसी देश में नही आ । इस पर आप वीडियो बनाए। अमिता शांडिल्य
मैं आपको बहुत पसंद करता हूं आप बहुत अच्छी कविता लिखते हैं अच्छे-अच्छे गाने बॉलीवुड को दिए हैं उस क्षेत्र में आपका बहुत बड़ा योगदान है मैं आपको प्रणाम करता हूं लेकिन आप ने जो वण व्यवस्था और जाति व्यवस्था पर ज्ञान दिया वह बहुत ही मामलों में अतार्किक लगा ।
सर् आपको screen पर देखकर हमारे अन्तः चेतना को बल मिल जाता है, आज आपने एक sciencetific तरीके से वर्ण व्यवस्था को उजागर किया और द्विज होने का बहुत ही सटीक उदाहरण पेश किया, बहुत बहुत आभार सर् ,,आपकी vidieo का आगे वेसब्री से इंतजार रहेगा🚩❤️🙏🏻🔥💥💥
This is very good explanation! Thank you for compiling it together. I just feel that- to some extent our own society can also get degraded over time. And this is true of every society, not just ours. So, we can also add and accept- there may be some bad elements that might have come due to our own shortcomings. My point here is that- nowadays, we all are trying to prove that we r right and they r wrong. To me, more logical is- we all have some shortcomings and have made some mistakes( in addition to some one else doing bad to us) and let’s try to do our best to improve here after! Jai Shri Ram 🙏
शानदार सन्देश ! जाति-व्यवस्था को लेकर भ्रमित हमारे सनातनी समाज के सभी संशय का निवारण आपके उद्बोधन से हो रहा है । शास्त्रीय प्रमाणों के साथ आपने वर्ण-व्यवस्था विषयक भ्रान्तियों का सुन्दर उपशमन किया है । श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों के उच्चारण में थोड़ी त्रुटि दिखी है, जिसमें सुधार निवेदित है । आपकी विद्वता तथा विद्या-ग्रहण एवं कठोर अध्ययन को लेकर किये जा रहे अथक परिश्रम से हमारा सनातनी समाज सदैव कृतज्ञ एवं ऋणी रहेगा । धन्यवाद व हृदय से आभार !!
Ha ha ha... Sahi baat... Isse pahle wo teen baar paida ho chuke hain.... 1.Afganistan me 2. Pakistan me, aur 3.Bangladesh me... Ab aapka aur hamara uddhar karenge jaisa pahle kar chuke hain... Aapke kahne se yahi lagaa mujhe....🤒🤒🤒🤒 Hamara Bhavishya iskaa matlab surakshit aur majboot hai,,, pak afgan, bangla hinduon ki tarah....🤣😂🤣😂🤣😂😂
आज के युग में कौनसे सफल गीतकार ऐसे संवेदनशील विषयों पर इतने आत्मविश्वास के साथ लिखते और बोलते हैं , आप सबसे अलग हैं शुक्ला जी 🙏🏻
Abhi tak pata nhi tha ki sukla ji hai dhnyavaad mishra ji
@@Roar_status अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 अरे मेरे भाई ये जिस तरीके से आपने महाभारत या गीता पढ़ी है वो तरीका ही गलत है।चुकी आप अपने को सिर्फ देह मात्र तक केंद्रित करके रखा है इसलिए आपको सारे पात्र देहधारी लगते हैं।महाभारत गीता वेदांत उपनिषद इस मानसिकता से बहुत आगे की बात करते हैं।एक बार फिर पढ़िए और किसी की कही कहाई बातों पर यूँ ही यकीन न करिए।शुरुआत के लिए अड़गड़ानंद जी की यथार्थ गीता या फिर आचार्य प्रशांत की गीता पढ़िए फिर आपका नज़रिया न बदले तो कहिएगा।
और हाँ वर्ण व्यवस्था पहले भी थी और आज भी है लेकिन समाज में न कि अध्यात्म या फिर सनातन धर्म मे ।
वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक कुरीति है न कि धार्मिक।कुछ राजनीतिक धार्मिक ठेकेदारों ने इसका समर्थन या विरोध अपने फायदे के लिए किया है और आप पीढ़ियों से उनके इस जाल में फसते चले आ रहे हैं।
@@copscap7916 Varna vyavastha kuriti hai to phir sare jeevo ki jati khatam kar de sare kutte ghode gaye bakri mixbreef karde kya bewakoof wali baat kahi hai tum sabko brahman ban na kyu hai agar jati nahi mante to tum sab milke ek alag varnashankar group bana lo or sarkar se kaho tumhe alag varnashankar society ki manyta de se
@@Bharatwasi7 agar mahabharat me jaativaad hota to karana kv duryodhan k bagal me ni baithte.. Bhagwaan krishna ko bhagwaan ka darja ni milta..pehle jaatiwaad tha hi ni hm logo k andar isko paida kiya gya hum ooche wo nicha..
बहुत सुंदर ज्ञान आप देते हैं सर। काश हमारे पास आप जैसा शिक्षक होता। जो हमारे वेदों और वेदांत के सभी शब्दों की व्याख्या कर सकते हैं। लेकिन सर ये भी हकीकत है कि ये सब सैद्धान्तिक ज्ञान है जिसे आधुनिक भारतीय समाज में लागू नहीं किया जा सकता है, जहां ज्यादातर लोग हमारी धार्मिक पुस्तकों और संस्कृत को सीखते और समझते भी नहीं हैं। और धर्म को संस्कृत के बिना पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता है।
Kaise sikhe?
Ved ka gyan to thekedar ke pas hai.
Rahi pustak ki baat to kya pustaki gyan kaafi hai?
Kyu aaj bhi vedshala me brahmano ka ekadhikar hai?
Yeh brahman wad hindu ko kai baar toda hai.
Sikh ...
Buddhist
Jain
Nave Christian kya jaati wad ka atyachar se convert nahi hote?
Brahman wad hindu ko kabhi sangathit nahi hone dega.
Bas dhakosle dega sangathit hone ka.
Asal me kuch nahi
गुरुदेव आप जैसे विचारक जब इस भारत भूमि पर हैं ,मुझे लगता है आर्यावर्त एक बार फिर संसार के लिए ज्ञान का केंद्र बनेगा ।
मूर्खतापूर्ण विचार मत करो
5000 सालों का इतिहास जाकर पढो फिर इनका दर्द महसूस होगा
Pehle population to km kro
Take the Oath that we can never divide in the caste system 🙏
Our Only religion is Sanatan 🙏
I agree with you bro
Jis din mera vivah kisi brahmin/kshatriya/ya baniya se ho Jayega us din ban jayenge👍🏻
@@BirendraKumar-yk5go be rich n make our sc st brothers sisters rich , so that we dont feel inferior . Brahmin , baniya se jyada khubsurat obc sc st m dekha h mene
Varn vyavastha mein to esa sambhav na kabhi hua na hoga!
धन्यवाद! मनोज सर, आपने एक ऐसी टॉपिक पर अपना विचार दिया। जिसकी इस समाज को बहुत जरूरत है! इसका आगे और एपिसोड बनाइएगा। हम लोग इंतजार करेंगे!
प्रणाम सर 🙏🏻आपकी वाणी मतलब निराशा में आशा का संचार।जय हिन्द सर।
@@vishnu78820 अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 shut up , abdul real id se aa , nafrat felane bala
@@jai_ji499 it's true, read Ramayan
@@Bharatwasi7 aap Max Muller ki likhi hui Ramayan pdna band kre kripya 🙏
@@Bharatwasi7 karn ne apne fayede ke liye duryodhan se mitrata ki thi fir bhi uska bahut samman hai
मनोज जी आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी 🚩
आज समाज में ब्राह्मण और क्षत्रिय विरोधी सोच फैली हुई है, आपके प्रयास से सब सत्य को समझ पाएंगे ...
Isne to brahman or Shtriye ka astitwa hi khatam kar diya
@@harshissar2404 बिल्कुल नहीं मनोज जी ने तो सही व्याख्या की है 👍 और issar अब लोग एक होकर रहेंगे 🇮🇳
@@JantaRocksofficial kya Sahi vyakhya ki hai Manoj Shankaracharya se jyada vidwaan hai kya.manoj Tu ya koi bhi mujhe dharti k Kisi bhi jeev ki jati nasal ya breed Uske maa baap se alag Karke k dikha do.dharam jeev vigyaan or samvhidhaan jati janam se hi maante hai .ek hone k liye doosro ki jati mein ghuspaith karonge.kal ki to bhasa rajya sab khatam Karne ki bolonge.bhai sabki APNI APNI bhasa jati culture hai doosro ki tang mat karo.60 Saal k arakshan se Kuch Nahi hua Jo abb savarno ki jatiya lootne as gye had par mat Karo
@@harshissar2404 जाति बचालो या धर्म और संस्कृति बचालो ।। वैसे भी पहनावा और बोलिया जातिगत कम और क्षेत्रीय ज्यादा होती है । अगर राजस्थान के लोग 50 साल तक गुजरात मे रहेंगे तो वो गुजराती हो जाएंगे । इसलिए जबरजस्ती का ज्ञान अपने पास ही रखो । और वैसे भी कौन रोक रहा है किसी को कोई रीति रिवाज से , जातिगत समानता से कोई दिक्कत तो नही होगी आपको ऐसा में उम्मीद करता हूँ ,अगर समानता प्रॉब्लम है तो फिर तो तुम्हारा दिल टूटने वाला है समझो , सनातन एकता होकर रहेगी ।।।
@@cardgaming8825 kis me kaha ki jati dharama or sanskriti ek sath Nahi bachayi has sakti hazaro Saal se teeno bachayi hai .basha sanskriti or pehnawa alag alag sweekar hai jatiyo mein kya dikkat hai tujhe .Maharastra or Gujrat mein jab purvaiyo ki potato ho rhi thi Woh jati Nahi shetra Dekh k ho rhi thi .tere Jaise hi hai Jinhe vividhta acchi Nahi lagti kal ko Tu rajya bhasha pehnaaw Jo bolenga ki ye alag alag Nahi ek hone Chahiye dikkat jatiyo se Nahi tere Jaise se hai Jinhe doosri jati bhasha rajya acche Nahi lagte .satyug se jatiya hai or aage bhi rehengi tere Jaise Kati Aaye chale gye .Nikal Yaha se
बहुत ही सरल और स्पष्ट तरीके से व्याख्या की आपने। बहुत बहुत धन्यवाद मनोज जी 🙂🙏
सर आज के समय में आप जैसे ज्ञानी की बहुत आवश्यकता है जो हमारे संस्कृति को अच्छे से संघा सके
वर्ण व्यवस्था की वैज्ञानिक आधार पर इतनी सुंदर, सशक्त व विस्तृत व्याख्या शायद ही किसी ने की हो।मनोज जी निश्चित ही इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।आशा है बहुत से लोगों की शंका आपका ये वीडियो देखकर व सुनकर दूर हो जाएगी और वे सनातन धर्म व संस्कृति को भली भाँति जान और समझ सकेंगे।
6,7,8 की इतिहास पढो तो समझ आ जायेगा कि किसने क्या किया है
अंग्रेज ना आते तो आज भी शूद्र वही रहते जिसे आपके पिताजी बनाये थे भगवान नहीं
Agar brahmin sudra ki puri jindgi seva karega to mrutyu k baad unko swarg me jagah milegi..
By sudrasmuti
@@vikramvankar5164 manusmriti padha hai tu ya madarse walon se brainwash hokar aaya hai
मनोज भाई आज की आपकी प्रस्तुति मन को छू गई।ऐसे ही और भी कई विषयों और मुद्दों पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए, ऐसी ही बातों और प्रस्तुतियों की हमारे देश को बहुत आवश्यकता है। जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम् 🙏🙏🙏🙏
कलम,आज उनकी जय बोल । रामधारी सिंह दिनकर। तर्पण अर्पण। मनीष तंवर #हिन्दीकविता #Poetry
ruclips.net/video/kE0hM-L9vtY/видео.html
धन्यवाद जाति के विषय मैं जानकारी देने के आज भी समाज मैं अज्ञानता के कारण सामाजिक टूट फूट होती रहती है
👍👍👍
@@saurabhpandey8425 Shankaracharya aur Chandal(shudra)
@@Bharatwasi7 it's your fake I'd you have commented at every one's comment what do you want to break Hindus
U might be an muslim I think so
@@Bharatwasi7 madrsaachap commenting everywhere half knowledge to create devision among Hindus
@@Randomedits369 I am not muslim
Proof - I say there is no Allah but Energy
प्रणाम मनोज भाई साहब आपने बहुत ही जबरदस्त तरीके से कहा ह आपकी वाणी मै बहुत ही गंभीर और सच्चाई का आइना दिखाया ह आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब 🚩❤️🇮🇳🔥🛕🛕🛕🚩🚩🚩🚩🇮🇳🇮🇳
I always wanted to do something to stop castesim but today after I watched your video, I became sure that there are many people like you who are taking immense effort in the same direction, now only thing I have to do is share this video as much as possible Thank You very much Manoj ji
भारतीय संस्कृति का प्रसार करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद🙏🙏🙏🙏🙏
जातिगत व्यवस्था पर बहुत ही सुंदर व्याख्या जय श्री कृष्ण
*Varna system
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 filmo mai btaya h ..reality mai nhi h
@@p.d.5575 शंबुक, एक शूद्र तपस्वी, को राम ने धर्म के उल्लंघन में तपस्या करने का प्रयास करने के लिए मार डाला था, जिसके परिणामस्वरूप एक ब्राह्मण के पुत्र की मृत्यु हुई थी।
@@Bharatwasi7 mane to ye nhi pda dost, ,par valmik, kon tha, ,
सर मैंने आज तक किसी भी वीडियो पर कोई कमेंट नहीं किया पर आज ऐसा लगा की जैसे, आपने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी बहुत ही सहज भाव से बताकर समाज में उल्टी सीधी कहानी बताकर लोगों को भ्रमित करने वालों और धार्मिक परिवर्तन कराने वालों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है,,, आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏
सर आपकी बातें सुनकर आंखे खुल गई
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
Kya ab aap chua-chut or jati. Partha me vishwas nahi karoge Shree Maan Kailash Rai ji
सनतान संस्कृति की परिभाषा का विश्लेषण बहुत ही तार्किक ढंग से एवं प्रमाण के आधार पर प्रस्तुत करने हेतु आपका हार्दिक आभार एंव धन्यवाद तथा बहुत बहुत शुभकामनाएं ।जय भारत ।जय हिंद ।वन्दे-मातरम् ।
आपने वर्ण व्यवस्था को इतनी सरल रूप से व्याख्या की...... धन्यवाद बड़े भाई 🙏🙏
"शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे होते हैं..
खुद जहाँ हैं वहीं पर रहते हैं
मगर दूसरों को उनकी मंज़िल तक पहुँचा ही देते हैं। " 🙏🙏🙏
Quote from the video of khan sir...
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 bhai tujhe karn ke baare me kuchh nhi pata faltu ka gyaan deta rahta hai
Sahi baat.aur achha shikharthi vahi h jo apne shikshak ko bhi unki manjil tak pahuchha de 💜
मनोज सर! आपका कहना बिल्कुल ठीक है, परंतु हमारे समाज में कुछ बुराई है ,जिसको निकालना बहुत जरूरी है ,जाती पाती की करो विदाईl हिंदू हिंदू भाई भाईll
मध्यकालीन युग के कई ग्रंथ चार वर्णों (जाति, वर्ग) में से तीन के संदर्भ में उपनयन की चर्चा करते हैं - ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य
@@Bharatwasi7 bhai video pura dekh lo
🙏🙏🙏😊👍
Bhai Sabse Jada jat pat toh tum jaat hi karte ho
एक ज्वलंत मुद्दे पर बहुत ही तार्किक और तथ्यात्मक ढंग से मौलिक विश्लेषण हेतु आपका कोटि-कोटि आभार🙏🏻🙏🏻
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
तुझे बड़ी तार्किक और तथ्यात्मक लगी , कभी बंदर और रीछ ने बंदूक चलाई है , सनातन के हिसाब से अब तक बंदरो ,रिछो और जटायु जैसे प्राणियों की इंडियन आर्मी में बटालियन होनी चाहिए थी । तब तार्किक कहलाती।
जय हिंद ,जय भारत।
सत्य का प्रकाश जनमानस मे फैलाने के लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद 🙏
You are the living legend of India Sir 👌👌👏👏🇮🇳🇮🇳
कलम,आज उनकी जय बोल । रामधारी सिंह दिनकर। तर्पण अर्पण। मनीष तंवर #हिन्दीकविता #Poetry
ruclips.net/video/kE0hM-L9vtY/видео.html
Exactly
मनोज सर... वर्ण व्यवस्था की इतनी सुन्दर व्याख्या करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...आज के समाज में लोगो के मन में ब्राह्मणों के लिए बहुत ही मैल है। काश आपके इस प्रयास से लोग समझ सकें कि हमारा सनातन धर्म कितना महान है।
Thank you so much guru ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩❣️❣️❣️❣️❣️❣️🕉🕉🕉🕉🕉🕉
fir sare indian brahman hai… but koi manega nahi…agr mai khud ko brahman bolunga bcz i have done phd….nahi koi brhaman ladki se sadi ho skti hai….jo khud ko brahman bolte haivahi nahi mante iss sachai ko jo manoj sir bta rahe hai…
@@smartysatyam7779 ryt Aradhana shukla 👍
but atrocities on Sudra are/were being done is reality. and today's world Brahman him/herself is not Brahman. because definition of Brahman is too complex too follow that all rules in modern world. everyone tell a lie daily.
very few percentage of people in our society have beautiful knowledge about our Vedas and Vedanta. Mostly brahman don't even understand sanskrit.
Iss desh k liye kshatriyon ne apni sab kuch luta diya..apna vans v adhe se jyada khatm kr diya.lekin durbhagya sbse jyada hate aaj Thakuron se hi hai svi ko
दिग भ्रमित समाज को दिशा दिखाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 😊🙏🙏
जाति वर्ण व्यवस्था को इतने सरल और सुंदर तरीके से समझाने के लिए
आपका हृदय से धन्यवाद☺🙏
Bahut accha explanation sir apne ye to kah diya ki padh likhkar koi bhi upar uth sakta hai lekin sir jise kafi piche chor diya gaya hai wo kya karega. ...sir ye unki jimmedaari hai jinhone inko aage badhne hi nahi diya hai baki sir I am agree with you, Hume apni akhandata banaye rakhni chahiye
Jai hind... 🙏
आप जो समाज संस्कृति और सभ्यता को भारत सच्चे इतिहास को जन जन तक पहुंचाने का जो कार्य सच्चे मन कर्म और वचन से निभा रहे हैं इसके लिए आपको शत् शत् नमन
जन्म से कोई ब्राह्मण या ज्ञानी नहीं होता बल्कि कर्म से बड़ा होता है।♥️🕉️🙏🏻♥️🙏🏻💐🚩🚩🚩
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7कर्ण सर्वप्रथम तो सूर्यपुत्र थे और क्षत्रिय थे, दूसरी बात रथपुत्र जैसा कोई शब्द नहीं है रथ चालक या फिर सारथी पुत्र होता है,तीसरी बात कर्ण अपने आपको सारथी पुत्र होने पर लज्जित अनुभव करते थे और वही दूसरी तरफ भगवान श्री कृष्ण ग्वाले के रूप मे पूर्ण स्वीकार्य भाव से अपना बचपन व्यतीत करते थे और महाभारत में स्वयं अर्जुन के सारथी बने थे,वही कर्ण अपने सारथी पुत्र होने पर लज्जित होते थे।
सारांश :
समाज में व्यक्ति स्वयं अपना स्थान निर्धारित करता है , या तो नीचा होते हुए ऊचों को कोसता हुआ अंत मे दुखद मृत्यु को प्राप्त होता है या फिर नीचा होते हुए भी उच्चतम स्थान प्राप्त करके सहस्त्रों वर्षों तक पूजा जाता है।
@@Bharatwasi7 रही बात अस्पृश्यता की तो कोरोना महामारी ने बता ही दिया अस्पृश्यता कितनी महत्वपूर्ण है,लोग अपने परिवार के लोगों को तक छूने में डरते थे तो हो सकता है महाभारत काल में भी कोई महामारी आई होगी उस काल में तो इतनी उपचार की व्यवस्था नहीं रही होगी तो ना छूना ही सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होगा।
@@Bharatwasi7 islam me chodam chudayi halala kitni varsh purani hai ye bata
@@Bharatwasi7 yesa hota to Karna raja Na banta,ek rajkumari se vivaah Na krta..senapati Na banta..agr jaatipratha hoti..varana vavastha thi islia wo sutputra se rajan ban paaya..
15 साल की पढ़ाई भी ये ना बता सकी जो आज की 15 मिनट की वीडियो ने वो हजारों साल की धुंधली और मैली परत को हटा दिया आपका आभार सर ,,,,,, आंखे तरसती है आपके वीडियो देखने को कि सच इस बार सामने आने वाला है 🙏
Yes
नट, दर्जी, लुहार, मल्लाह, रंगसाज, सुनार, बंसफोर, शस्त्र बेचने वाले, धोबी और रंगरेज का अन्न न खाए सुनार का अन्न आयु को और चमार का अन यश को हर लेता है. बढ़ई का अन्न संतान को तथा रंगरेज का अन्न बल को नष्ट करता है. चिकित्सक का अन्न पीप के समान होता है.
मनुस्मृति अध्याय 4
और पढ़ो दोस्त कुछ धर्म वाली बुक
आपके द्वारा सभी वर्णों का विस्लेषण बहुत ही सही रूप से किया गया है आपके जज्बे को सलाम ❤️
सर आपके इस संदेस को नम्बर 1 trending होना चाहिये।।
ना जाने कितनी खामोस आवाजे जो आपका संदेश सून रही है उनमे एक आशा भर दे ये वीडियो ।हम दुसरे धर्मो से तब तक खुद को सुरक्षित नही कर सकते जब तक हम खुद अपने धर्म के लोगो की इज़्ज़त नही करना सूरू करेंगे।।
जात-पात की करो विदाई हम सब हिंदू भाई भाई 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩 मनोज मुंतशिर सर को कोटि-कोटि नमन 🙏🙏🙏🚩🚩🚩👌👌👌 जय श्री राम जय श्री कृष्णा हर हर महादेव जय हिंद वंदे मातरम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
कलम,आज उनकी जय बोल । रामधारी सिंह दिनकर। तर्पण अर्पण। मनीष तंवर #हिन्दीकविता #Poetry
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अपनी मंजिल को भुला कर जिया तो क्या जिया है दम तो उसे पा कर दिखा,,,,, लिख दे अपनी खून से कामयाबी की कहानी और बोल,,, उस किस्मत को है दम तो मिटा कर दिखा,,,🙏🇮🇳❤ जय हिन्द सर
'समय' और 'समझ' दोनों एक साथ खुश किस्मत लोगों को ही मिलते हैं....! क्योंकि अक्सर 'समय' पर 'समझ' नहीं आती और 'समझ' आने पर 'समय' निकल जाता हैं
TRANSLATION IN ENG AND OTHER LANGUAGES
जाति के कारण तो भेदभाव का सामना करना ही पड़ा, कर्ण को! यह बहुत ही विवादास्पद है। अगर हम मानवता के धर्म को ध्यान में रखें तो आपसी प्रेम को बढाया जा सकता हैं। मैं भी जन्म से ब्राम्हण हूँ, और कर्म से भी ब्राम्हण भी बनू इसके लिए प्रयासरत हूँ। श्री रामचंद्र जी मेरे आदर्श हैं।
Dhanyawad Manoj sir 🚩🙏
Sir, your voice is superb and writing is matchless....
Appreciate my hard work ji 💯🕉️🌹🙏 #kuldeepwords
My half body totally Paralysed dead damage but NEVER GIVE Up
Vaah bahut sahi kaha hai Manoj ji aapne
@@satyabalasingh7594 🎈👌🎈
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@KuldeepWords don't be worried,, effort never dies, just have faith in yourself and keep on doing your best👍
सर आपके अमृत पूर्ण वानी ने मेरे दिल को छू लिया, वैसे तो इसमें से बहुत सारी बातें मैं पहले से ही जानता था पर फिर भी आपके मुख से सुनना अपने आप में एक सम्मान की बात है....
विवेक विंन्द्रा ने ठीक ही कहा था कि आप जब बोलते हैं तो क्रांति ला देते हैं!!!🙏🙏🙏
👍👍👍👌👌👌👍👍👍
Many thanks for explaining step by step and reviving our culture! Blessings!❤️
Untouchability is 7000-8000 years old practice.
It can traced in Mahabharat (7000yrs ago)
Karn was shamed for just being soot putra )(driver) (a lower medium profession ).
What about shudra and Panchama (lowest profession)?
It's hard to even imagine their conditions.
@@Bharatwasi7 sir can you give references to your claim like chapter number and verse or shloka number? So i can cross check your claim from original sources, if not then I will assume you are spreading lies.
ऐसी ही सोच हम लोगों में से अनेक लोगों की है आदरणीय लेकिन हम लोग उसको शब्द नही दे पा रहे थे ,वो आपने बहुत सुसज्जित तरीके से दे दिए ।
धन्यवाद ।🙏🏻😊
Smaj ne ise apne trike se define kiya hai jb ki rality jo apne bati hai vo alg hai . thanks for giving this real information.
A lyricist is singing the song of Bharat Dharma.... Salute Sir... You are the real gem of Sanatan and humanity...
"वहमी विरासत मिली जो मुद्दत से ,उसे तो बदल जाने दे,
फिर वक्त ली है करवटें, आज खयालों को संवर जाने दे..
- आमोद कुमार आनंद
कलम,आज उनकी जय बोल । रामधारी सिंह दिनकर। तर्पण अर्पण। मनीष तंवर #हिन्दीकविता #Poetry
ruclips.net/video/kE0hM-L9vtY/видео.html
बिलकुल सत्य बात है कर्म के आधार पर ही वर्ण व्यवस्था थी। सनातन धर्म की जय हो।
मध्यकालीन युग के कई ग्रंथ चार वर्णों (जाति, वर्ग) में से तीन के संदर्भ में उपनयन की चर्चा करते हैं - ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य
@@Bharatwasi7 badi pareshshaan lag rahe ya dur rahe h ki koi agenda fail na ho jaye😂
ब्राह्मणों के प्रति समाज में बहुत जहर फैलाई गई है जो की ये एक बेबुनियाद है और जानकारी के अभाव में ब्राह्मणों से लोग नफ़रत करते है जो की ये सही नही है । धन्यवाद मनोज जी 🙏
Jo janm ke adhar me khudko brahman manta hai. ..unke prati sirf...
Accha, aur jo janm se Brahman hote hue hue ek dusre se irshya,dwesh rakhte hai unka kya kare
जिस विषय का मनोज जी विरोध कर रहे हैं तुम उसी को लेकर रो रहे हो
@@bundeli_traveller ऐसा नहीं है भाई समाज में फैली ब्राह्मणों के प्रति नफरतों के बारे में मैंने बात कही ।
@@deepakpandey2957 यही तो पूछ रहा हूं कौन ब्राह्मण
Ye sari batein sunne mein achi lagti h ab ....
Jis tarah ka time chal raha , bhut kam logo ko smjh ayengi ...
Jin bhaiyo ke sath hota h discrimination wo hi jante honge ..
Great sir ji 👍👍👍👍👍
अगर ऐसी बात है तो जन्म आधारित वर्ण व्यवस्था को अब संवैधानिक रूप से समाप्त कर देना चाहिए और इसमें किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए
बिलकुल सही,जाती आधारित व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए, वैसे भी जन्मना जायते सूद्रः संसकारात द्विज उच्चते
@@basantpandey4095 aarakshan bhi samapt hona chahiye pandit ji sc st act bhi
@@singga6946 जब वर्ण व्यवस्थासमाप्त हो जाएगी तो आरक्षण स्वतः ही समाप्त हो जाएगा,,,,क्या आपमें इतना भी सेंस नहीं ??
@@aloksrivastava2797 har dharm me jaati vyavstha hai wahan pe kaun sa aarakshan hai bata
@@aloksrivastava2797 talented vyakti ko aarakshan ki jarurat hin nahin padti itna tere ko sense nahin hai jisme kabiliyat hoti hai khud ke bal khada hota hai
Continue your efforts to revive Sanatan Dharma that had been targeted to divide Hindu society.
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
तो दत्ता जी हिंदू को अगर बाहरी लोगो ने डिवाइड किया है तो इस बार अपने बेटी या पोती की शादी किसी दलित के यहां करना क्योंकि पढ़े लिखे तो वहा भी होते हैं ।अफसोस की जो पैदा होते ही समाज के एक बड़े हिस्से को अछूत मान लेता है आज वही ज्ञान बांट रहा है कि मुगलों ने हमे बांट दिया ।मुगलों ने नही भारतीय समाज को ब्राह्मणों ने बांट दिया है ये न होते तो मुगल आ ही न पाते।
@@Bharatwasi7 lol
@@Bharatwasi7 Ye un becharo ko dalit ko kahani Suna pak Kasmir Bangal Bangla Desh me Gulam ki tarah Rakha
🙏 सर , अत्यन्त प्रभावशाली व्याख्या करने के लिए हम आपके आभारी हैं।
निश्चित। सत्यं शिवम् सुंदरम।
मैने बहुत सारे मनुस्मीरिती पर वीडियो देखे परंतु जब मैने मनोजजी का यह वीडियो देखा तब मुझे सब समज आ गया की सनातन धर्म मे जात पात जैसी कोई चिज नही है,आपका कोटि कोटि धन्यवाद मनोज मुंताशिरजी....Jay Hind, Jay sarvadharma🇮🇳🇮🇳
अद्वितीय ज्ञान
काश सभी भारतवासी आप की इन बातो पर अम्ल कर पाए।प्रशासन भी हम सब भारतीयो को जाति और धर्म के नाम पर गुमराह करते हैं। अफसोस हम उनकी बातो मे क्यो आते जा रहे हैं। 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही शोभनीय और प्रशंशनीय चलचित्र है। बस एक चूक हुई... अभी भारत में 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। जय सनातन सत्य सनातन।।।जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳
मैंने कहीं सुना था कि सत्य की चमक सूर्य के किरण से ज्यादा उज्जवल होती है और आज शायद देख भी लिया🙏🙏
मनोज मुन्तसिर जी आप आगे आये और व रण व्यवस्था की सही व्याख्या को समाज के वीच रखे। साथ ही साथ इन राजनीतिज्ञ की पोल खोलकर समाज को सही दृष्टिकोण रखे ।
It is written in Hiuen Tsang Book when he travelled India during Harshavardhan reign about Rajput as a Brahman and Shudra as a King .
Division was based on CLASS not on CASTE . A particular class people used to perform a particular job , no force, no discrimination , no shame or anything.
U do really great work 💐🙏🏻💐 respect 🙏🏻
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7 Maan Jaa abdul Maan Jaa ola hu uber
धन्य हैं वे मां बाप जिन्होंने आप जैसे विद्वान और तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया,
Proud to have people like uhh 🥰🙏🙏
कलम,आज उनकी जय बोल । रामधारी सिंह दिनकर। तर्पण अर्पण। मनीष तंवर #हिन्दीकविता #Poetry
ruclips.net/video/kE0hM-L9vtY/видео.html
Abe glt bol rha hh yeh BJP ka dalal manusmriti pd le dalit ko toh varn me rkha bhi nhi gya tha aaj jb tm logo ko muslim ki bdhti population se futt rhi h toh ekta ki baat krte hoi jbki abhi bhi ho manuwaadi jaatiwaadi maine bhut se bhrahmino se baat ki h sb kehte hh mai hi superior hu
Thank god someone is raising such topic to spread right information 🥲💫 Thanks a lot sir 🙏
Untouchability is 7000-8000 years old practice.
It can traced in Mahabharat (7000yrs ago)
Karn was shamed for just being soot putra )(driver) (a lower medium profession ).
What about shudra and Panchama (lowest profession)?
It's hard to even imagine their conditions.
@@Bharatwasi7 Karn was shamed i agree but where's written thar he was untouchable ??
@@Bharatwasi7 sir can you give references to your claim like chapter number and verse or shloka number? So i can cross check your claim from original sources.
भरोसा धन्यवाद बहुत अच्छा लगा ओम
बहोत बहोत धन्यवाद मनोज जी 🙏🙏🙏
*इंसान असफल तब नहीं होता* *जब वह हार जाता है,*
*बल्कि असफल तब होता है,*
*जब वो यह सोच लेता है कि वह* *अब जीत ही नहीं सकता* 🌷🌷👍
stop spamming the comment section plz
Plz meri poetry ko vi sune ji plz muje vi AP jese shrotau ki jrurt h
Sahi
मनोज = मानों के आवाज का उत्तेज
मैं आपके कथन से पूर्ण सहमत हूं और कर्म पर ही विश्वास रखता हूं। आपकी वाणी को मेरा प्रणाम 🙏🙏🙏
People like Manoj ji , we need today in Film Industry.
श्रीमान मनोज जी,,,क्या आप यह संदेश बङे मंच से पूरे देश भर में दे सकते हो??????🙏🙏🙏
धन्यवाद ये वीडियो बनाने के लिए 🙏
You Are Simply Great Sir 👍
बहुत अच्छे से समझाया आप ने।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏😔🥰🥰
I wish the all people of country understood this 🙏🙏
Koi aisa chanel nhi dekha maine
Jo apki jaisa motivation ur acche gyan ka video dikhaye
Bahut bahut.....sadhubaad...aapko shri manoj ji...aapne jo vyakhya varna vyabastha ki ki....aap ek yogya vyaktitva ho.....
सुप्रभात सर 🙏🙏💐
बहुत सुन्दर शब्दों में व्याख्यायित किया आपने वर्ण व्यवस्था को, मन को बहुत सुकून मिलता है ये सोच कर कि बहुत ज्ञान ना होते हुए भी हम कभी भी किसी जाति विशेष पर ना खुद को बड़ा समझे ना किसी को छोटा।
मैं तो हमेशा dalit के घर खाना खाता हूं चाय पानी पीता हूं। हम हिन्दू है हम एक है, एक ही नारा एक ही नाम है। राम राम
एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानोगे ?क्या तुम अपनी बहन या बेटी की शादी बिना जाती देखे करोगे??खासकर दलितों में?
@@thesatyamshriwastav7151 pehli baat valmiki,bhangi,pasi,chamar, aadivasi,musahar,Mehtar etc sab baraber hain tumhari najron mein chote bade honge aur inmein aapas mein bahut byah hote hain mere yahan khud Mehtar ke yahan vivah hua hai
@@thesatyamshriwastav7151 main apne aap se pooch chuka main kar lunga lekin kya koi brahmin,thakur,kayasth etc karega apni behen beti ki shadi especially sc/st mein👍🏻
@@BirendraKumar-yk5go tumhare purvaj tatti saaf karte the bhai tumhari nasal gandi hai shadi ki baat to door tumhare yaha khana bhi nhi kha sakte .
@@BirendraKumar-yk5go bhai hum q in brahmin , kayasth , rajput ki beti bete se shadi karna chate hen?? Hum q itna jogya nahi banjayen ki hme inki taraf dekhna v na pade, yad rakho jab tak aukat na banaoge to daya ki dristhi ki asha rakhoge , hamesha sqabhimani raho , apne ap ko aur apne sc st obc samaj ko itna kabil banao ki tum ye so called upeercast ko nichi jati ki tarah dekh sako ❤
*किसी की गरीबी को देखकर*
*रिश्ता मत तोड़ना*
*क्योंकि ,,,,जितना मान सम्मान* 💓
*गरीबों के घर पर मिलता है*
*उतना अमीरों के घर पर नही* 🌹🌹
sir नमस्ते
आपने बहुत अच्छी बात बताई है और ऐसे मुद्दे पर चर्चा की है जो ज्वलन्त मुद्दा है चूंकि आपने इस मुद्दे पर बात रखी है तो मेरा भी अधिकार है कि अपने विचार रखु ....सभी कमेंट पढ़ने वाले और श्री मनोज जी यह मेरा व्यक्तिगत मत है और में अपने आपको इतना ज्ञानी नही मानता कि आपके विचारों को गलत साबित कर दु पर चूंकि यह मेरा अधिकार मानता हूं तो यह कहना उचित समझता हूं मैं ओबीसी से सम्बंध रखता हूं जहाँ तक सनातन संस्कृति की बात है में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति मानता हूँ ....और गर्व महसूस करता हूं कि में इस संस्कृति में जन्मा हु ....पर क्या सिद्धान्त और वास्तविकता में कोई अंतर नही होता .........मैं वर्णव्यवस्था को अच्छा मानता हूँ पर क्या जिस उद्देश्य से यह बनाई गई थी उसकी प्रासंगिकता आज भी वैसी है .....क्या आज वर्णव्यवस्था के उस आदर्श को बनाये रखा है ....क्या आज ऐसा है कि कोई भी शुद्र ब्राह्मण अपने कर्मो से बन सकता है ..जी मै अपने आपको आदर्शवादी नही मानता में यथार्थवादी हु उस इस संदर्भ में यथार्थ यही है कि जो आदर्श हमारे वेदों पुराणों उपनिषदों में थे आज धरातल पर उसका 10 फीसदी भी अंश प्रयुक्त नही होता .....क्योंकि यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जी शंका वर्णव्यवस्था के बारे मे जताई जा रही हैं वो एक दम सटीक है ....ha मानता हूं कि आजादी के बाद संविधान ने इस यथार्त को दूर करने का प्रयास किया है लेकिन क्या जनमानस में यह यथार्थ नह है कि पूजा ब्राह्मण ही करेगा ? किसी शुद्र को पूजा करते हुए आपने कहि देखा .....और में राजस्थान से हु और यहां जातीय घृणा के ऐसे उदाहरण मिले है जिससे हमारी संस्कृति के प्रति विश्वास उठ जाता है क्योंकि मानता हूँ कि हमे सनातन पर गुमराह किया गया है पर यथार्थ में भी तो ऐसा होता है न ......उनकी कोई गलती नही है जिन्होंने यह व्यवस्था बनाई है पर गलती यह है कि यथार्थ में उन सिधान्तो को कैसे लागू किया जाता है ....बुरा न मानिए ...आप ही बताइए कि आज क्रिकेट जगत फिल्मी जगत आदि क्षेत्र मे दलित या ओबीसी से सबन्ध रखने वाले कितने है .......आप इसे वर्णव्यवस्था का दुष्प्रचार मानते है ...मेरा मत है कि यह दुष्प्रचार से नही बल्कि वास्तव में ऐसा किया जाता है धरातल में ....क्योंकि गांव के लोग पढ़े हुए नही है न उन्होंने tv मीडिया देखा है ...अक्सर में बड़े बुजुर्ग से में इस पर चर्चा करता हु तो यही पाया है कि धरातल पर कुछ अलग है और सिद्धान्तों में अलग .....इसका एक उदाहरण देखिए ..संविधान ने किसी भी वर्ग के साथ यह अन्याय नही किया है की वो गांव का सरपंच नही बन सकता और इसलिए हमारे गांव में एक दलित वर्ग से समनबधित व्यक्ति को सरपंच बना दिया गया ....इसका वर्णव्यवस्था से मतलब हुआ कि अब वह शुद्र से निकलकर उच्च वर्ण में आ गया लेकिन धरातल में यह है कि आज भी उसे वही भेदभाव का सामना करना पड़ता है जो सामान्यत हम सुनते है उसका सरपंच बनना केवल औपचारिकता रह गई ....क्योकि यह सच है सिद्धान्त हमारे बहुत अच्छे हैं पर धरातल में विकृतिया आ गई ....अब इसका समाधान आप @mnojmuntashir अवश्य बताये .....मेने खुद इस उच्च ओर निम्न वर्ग के भेदभाव को महसूस किया है यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है इसे आप अन्यथा न ले .....मेरा कोई मकसद यह नही है कि किसी एक उदाहरण को लेकर सबको इस हेतु जिम्मेदार बता दु ...पर वास्विकता यही है ....मुझे लगता है हम सब को व्याख्या पर नही बल्कि वास्तविकता पर बल देना चाहिए ......अंत मे यही कहूंगा कि यह बात एक बुद्धिजीवी की तरह पढ़िए .....जातीय घृणा के चश्मे पहनकर नही .....नमस्कार
Pandit ji aap bohot pyara bolte h सादर प्रणाम
Manoj, Thank You for Beautiful and Logical Narration. God Bless you.✋
Love From USA🇺🇸.
मध्यकालीन युग के कई ग्रंथ चार वर्णों (जाति, वर्ग) में से तीन के संदर्भ में उपनयन की चर्चा करते हैं - ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य
Excellent sir 🙏 You are doing a such a great work by giving right information about sanatana dharma
You are right Sir.
Very nice explain.
Thank you so much Sir 🙏🙏
🙏🙏🙏
शतशः प्रणाम
हो गया रण शंखनाद, अब तांडव मचाना हैं,
जातियों में ना बटना हिन्दूवीरों, हमें हिन्दूराष्ट्र बनाना हैं।🚩
जब हिन्दू राष्ट्र बन जाये तब फिर से हमे बांट देना ब्राम्हण ,क्षत्रिय, वैश्य शुद्र में ,अभी सब एक है "हिन्दू"
No Hindu Rashtra
अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
@@Bharatwasi7islam me chodam chudayi halala kitni varsh purani hai ye bata
Very good bahan
Sir you are amazing and your voice and thoughts are very important for us
गौरीगंज के लाल को मेरा सलाम🙏
आज की सबसे प्रमुख समस्या को चुनने के लिये आपको कोटि कोटि धन्यवाद ।
कुछ सलूशन भी निकले टैब तो ठीक है
@@deveshkumar7827 हर समस्या का हल होता है। सालों से किये हुए गड्ढे को पाटने मे समय लगेगा। और हमारे देश के जागरुक लोगों को भी सहयोग करना होगा।
@@RAMESHSingh-xm9qv अस्पृश्यता 7000-8000 वर्ष पुरानी प्रथा है।
महाभारत में इसका पता लगाया जा सकता है (7000 साल पहले)
कर्ण को केवल रथपुत्र (चालक) (निम्न माध्यम का पेशा) होने के लिए शर्मिंदा किया गया था।
शूद्र और पंचम (निम्नतम पेशा) के बारे में क्या?
उनके हालात की कल्पना करना भी मुश्किल है।
बहुत ही सुंदर वर्ण व्यवस्था के विषय में ज्ञान प्रदान,
बहुत-बहुत dhanyvad asaliyat sabke samne laane ke liye 🙏
हाल ही में एक न्यूज हमने सुना है की एक स्कूल में जो रसोइया है वो दलित वर्ग से आती थी तो सभी ऊंचे जाति वालो ने अपने बच्चो को खाना खाने से मना कर दिया।
कहने के बड़ी बड़ी बाते है लेकिन खुद अपने धार्मिक ग्रंथ में लिखी बातों को नही मानते जो अपने febore में लिखा है वही मानेंगे।
कथनी और करनी मैं बहुत अंतर होता है भाई इन लोगो का
There is a lot of difference between what are written in scripture and what happen in ground reality
Many feel proud in dharmshastra that have written all are equal but what is the reality and what is the implement people in reality they doing nonsense think to the people
Your words is very important sir thank you for all time inspiration ..🙏❤️
Sir, आपने बहुत अच्छे से और सही व्याख्या की महै । फिट क्यों हमारे देश में आरक्षण के नाम पर स्पेशल जाति वाली को पढ़ाई मुफ्त , हायर शिक्षा में फीस कम देना और तो और सरकारी नौकरी में भी आरक्षण। जन्म से स्वर्ण समाज में जन्म लेने मात्र से आज के समय में भारत में बहुत गलत हो रहा है । ऐसा किसी देश में नही आ । इस पर आप वीडियो बनाए।
अमिता शांडिल्य
मैं आपको बहुत पसंद करता हूं आप बहुत अच्छी कविता लिखते हैं अच्छे-अच्छे गाने बॉलीवुड को दिए हैं उस क्षेत्र में आपका बहुत बड़ा योगदान है मैं आपको प्रणाम करता हूं लेकिन आप ने जो वण व्यवस्था और जाति व्यवस्था पर ज्ञान दिया वह बहुत ही मामलों में अतार्किक लगा ।
Sir aapne bahut अच्छा से समझाया । Sabhi Jati Hindu hain 🔥🔥🔥🔥🔥
Little correction- at 6:02 द्विज केवल ब्राह्मण को ही नही बल्कि क्षत्रिय और वैश्य को भी कहते है!
सर् आपको screen पर देखकर हमारे अन्तः चेतना को बल मिल जाता है, आज आपने एक sciencetific तरीके से वर्ण व्यवस्था को उजागर किया और द्विज होने का बहुत ही सटीक उदाहरण पेश किया, बहुत बहुत आभार सर् ,,आपकी vidieo का आगे वेसब्री से इंतजार रहेगा🚩❤️🙏🏻🔥💥💥
आप सभी का धन्याबाद और दिल से आभर comment पड़ने और लाइक करने के लिये।।🙏🏻🔥💥❤️🚩
This is very good explanation! Thank you for compiling it together. I just feel that- to some extent our own society can also get degraded over time. And this is true of every society, not just ours. So, we can also add and accept- there may be some bad elements that might have come due to our own shortcomings. My point here is that- nowadays, we all are trying to prove that we r right and they r wrong. To me, more logical is- we all have some shortcomings and have made some mistakes( in addition to some one else doing bad to us) and let’s try to do our best to improve here after! Jai Shri Ram 🙏
शानदार सन्देश !
जाति-व्यवस्था को लेकर भ्रमित हमारे सनातनी समाज के सभी संशय का निवारण आपके उद्बोधन से हो रहा है । शास्त्रीय प्रमाणों के साथ आपने वर्ण-व्यवस्था विषयक भ्रान्तियों का सुन्दर उपशमन किया है । श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों के उच्चारण में थोड़ी त्रुटि दिखी है, जिसमें सुधार निवेदित है । आपकी विद्वता तथा विद्या-ग्रहण एवं कठोर अध्ययन को लेकर किये जा रहे अथक परिश्रम से हमारा सनातनी समाज सदैव कृतज्ञ एवं ऋणी रहेगा । धन्यवाद व हृदय से आभार !!
We need more people like you in our society who shows reality of religion because breaking powers are very strongly attacking on us.
जब जब भी सनातन को चोट पहुंचाई जाएगी।
हर युग में एक मनोज मुंतशिर का जन्म जरूर होगा
जय श्री राम 🙏
Ha ha ha... Sahi baat... Isse pahle wo teen baar paida ho chuke hain....
1.Afganistan me
2. Pakistan me, aur
3.Bangladesh me...
Ab aapka aur hamara uddhar karenge jaisa pahle kar chuke hain...
Aapke kahne se yahi lagaa mujhe....🤒🤒🤒🤒
Hamara Bhavishya iskaa matlab surakshit aur majboot hai,,, pak afgan, bangla hinduon ki tarah....🤣😂🤣😂🤣😂😂
This was amazing Manoj sir, thanks for making it more clear for me to understand the division which is actually based on work and not based on caste!!