देखा। जैसा अनामिका से अपेक्षित था, वैसा ही कवितामय, और पारिवारिक स्निंग्धता से परिपूर्ण। लिख कर निस्संग हो जाने की इच्छा से संचालित होना मन को ख़ूब भाया। कितना हो पाता है, कितना नहीं, हम निर्णय लेने वाले कौन? हम तो शुभकामना ही दे सकते हैं। रचती रहो सखी। या कि दादी !! और खुश रहो। मृदुला
बन्धन में मुक्ति है और स्त्री को पुरुष होने की ज़रूरत नहीं.. जैसे वाक्य अनामिका जी को सबसे अलग स्थापित करते हैं। बहुत कुछ नया और अच्छा सुनने मिला है इस साक्षात्कार से। और अंजुम जी तो हमेशा की तरह सटीक और खोजी।
संगत अर्थात समय का सदुपयोग... संगत में बहुत से लोगों को सुना, लेकिन अनामिका जी को सुनना सबसे अलग, सबसे ख़ास लगा। आपका, उदाहरणों से बातें समझाना और बातें करने का ढंग बड़ा ही स्वाभाविक, काव्यात्मक और निराला है । जैसा कि अंजुम ने कहा - उसमें संगीतात्मकता है, सच ही कहा । आप हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहें। शुभकामनाएं और प्रणाम 🙏🏻 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
प्रिय कवि को देखना और सुनना रोम हर्षक रहा। कैसी रवानीदार भाषा है। जैसे कविता ही बोल रही हों। कितना गहरा बोध। कितनी आत्मीयता। प्रेम से भरपूर। बहुत प्रेरक रहा उन्हें सुनना और जानना। बहुत शुक्रिया अंजुम जी, हिंदवी। अनामिका जी को सादर अभिवादन और हार्दिक शुभकामनाएं
साहित्य के क्षेत्र बहुत विस्तृत, इसी क्रम में एक साहित्य शोधक अपने चित्त के विस्तार को प्रकृति के विकास के साथ नापता चला जाता हैं।अनामिका जी का हृदय इस सृष्टि के हर जीव, प्रकृति और सबसे महत्वपूर्ण मानव की प्रवृत्ति के कोने कोने तक पहुंच रहा है। हम पाठकों को, हमारे जैसे विद्यार्थियों को वो अपनी खोजी हुईं समस्त अनुभूतियों से अवगत लगातार करा रहीं हैं। आपको देखा नही पर सुना बहुत हैं, आपको सुनना ही सबसे अद्भुत और प्रिय हैं मैम 🙏
एक कलाकार कितना कुछ ग्रहण करता है, समूची प्रकति के, संबंधों के, परिस्थितियों के एवं दु:ख-सुख के कोने-कोने की अनुभूति कर लेता है। इतनी सहजता से प्रश्नों के उत्तर देती हुईं अनामिका जी की आंखें और उनकी गहराई बताती है कि कलाकार कुछ भावों को भर लेता गहराई में, कुछ उलीच लेता है। जो भरा है वह उलीचे हुए से अधिक महत्वपूर्ण है, रहस्यपूर्ण है। उसे बिरले ही समझ सकते हैं।
Anamika ji you are my favorite poet and novelist. The way you talk so slowly, measured words, With the time your expansion on human behavior is truth. You are open minded, don’t shy to criticize sweetly, and very frankly share whatever you have experienced in your life and around you, makes you a very natural person!
कवियत्री के बचपन का स्मरण बिल्कुल कवितामय है। विख्यात काव्य सृजन की यात्रा विलक्षण है। सामाजिक चेतना, व्यक्ति के मन मष्तिष्क का गहन अध्ययन और नारी अस्मिता और मुक्ति का सम्यक चिंतन इनके समग्र साहित्य के विविध विधाओं में अभिव्यक्त हुआ है। इसमें भारतीय परिवेश में नारी विमर्श का एक अलग अंदाज दिखाई देता है।
मैं अनामिका जी के काव्य संग्रह टोकरी मे दिगंत का राजस्थानी मे अनुवाद कर रही हूं । इस कविता संग्रह को पढ़ना यानी शब्द संसृति के परोक्ष से निकल कर आ रहे किसी पांचवे वेद के पदचाप को सुनना है। अभिभूत हूं । निशब्द हूं।
अनामिका जी जैसे कविता ही सुना रही हैं । "जीवन में कहीं अतिरेक नहीं चाहिये,स्त्री को पुरुष नहीं, पुरुष को स्त्री जैसा होने की ज़रूरत," समृद्ध करता इंटरव्यू ।
دکھ تو ہوتا ہے دیکھ کر اُن کو ظلم کیوں ہے یاں ناریوں پہ روا جانے کب سے تلاش کرتی ہیں جستجو میں وہ گوتموں کی ہیں کیسے کہہ دوں کہ میں ہراساں ہوں ڈر ہے میں توڑ دوں نہ دل اُن کا کیسے کہہ دوں کہ جستجو بیکار کیسے کہہ دوں کہ اس جہان میں اب جنس گوتم کی ہو گئی معدوم ڈاکٹر شاہدؔ محمود
देखा। जैसा अनामिका से अपेक्षित था, वैसा ही कवितामय, और पारिवारिक स्निंग्धता से परिपूर्ण। लिख कर निस्संग हो जाने की इच्छा से संचालित होना मन को ख़ूब भाया। कितना हो पाता है, कितना नहीं, हम निर्णय लेने वाले कौन?
हम तो शुभकामना ही दे सकते हैं। रचती रहो सखी। या कि दादी !! और खुश रहो।
मृदुला
🙏
🙏🙏😊
प्रणाम मैम 🙏उचित कहा आपने 👏
🙏🙏
बन्धन में मुक्ति है और स्त्री को पुरुष होने की ज़रूरत नहीं.. जैसे वाक्य अनामिका जी को सबसे अलग स्थापित करते हैं। बहुत कुछ नया और अच्छा सुनने मिला है इस साक्षात्कार से। और अंजुम जी तो हमेशा की तरह सटीक और खोजी।
अनामिका को पहली बार सुना,
मन ने न जाने क्या क्या बुना,
संगत अर्थात समय का सदुपयोग...
संगत में बहुत से लोगों को सुना, लेकिन अनामिका जी को सुनना सबसे अलग, सबसे ख़ास लगा। आपका, उदाहरणों से बातें समझाना और बातें करने का ढंग बड़ा ही स्वाभाविक, काव्यात्मक और निराला है । जैसा कि अंजुम ने कहा - उसमें संगीतात्मकता है, सच ही कहा । आप हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहें। शुभकामनाएं और प्रणाम 🙏🏻
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
'जीवन मे कहीं अतिरेक नही चाहिए,'बस ये वाक्य इस साक्षात्कार की उपलब्धि है ।
प्रिय कवि को देखना और सुनना रोम हर्षक रहा। कैसी रवानीदार भाषा है। जैसे कविता ही बोल रही हों। कितना गहरा बोध। कितनी आत्मीयता। प्रेम से भरपूर। बहुत प्रेरक रहा उन्हें सुनना और जानना।
बहुत शुक्रिया अंजुम जी, हिंदवी। अनामिका जी को सादर अभिवादन और हार्दिक शुभकामनाएं
अंजुम शर्मा जी आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई। आपने बहुत तसल्ली से सभी का साक्षात्कार लिया। संगत सीरीज बधाई का पात्र है
अनामिका जी को सुनकर अच्छा लगा। अंजुम जी जब आप कहते हैं मैं उसपर बाद में आऊँगा, रोक देते हैं वह मुझे ठीक नही लगता।
साहित्य के क्षेत्र बहुत विस्तृत, इसी क्रम में एक साहित्य शोधक अपने चित्त के विस्तार को प्रकृति के विकास के साथ नापता चला जाता हैं।अनामिका जी का हृदय इस सृष्टि के हर जीव, प्रकृति और सबसे महत्वपूर्ण मानव की प्रवृत्ति के कोने कोने तक पहुंच रहा है। हम पाठकों को, हमारे जैसे विद्यार्थियों को वो अपनी खोजी हुईं समस्त अनुभूतियों से अवगत लगातार करा रहीं हैं। आपको देखा नही पर सुना बहुत हैं, आपको सुनना ही सबसे अद्भुत और प्रिय हैं मैम 🙏
She is one of my favourite personality . very good interview . enjoyed every minute of it..thanks Hindwi
अद्भुत व्यक्तित्व है अनामिका जी का, परिचय कराने के लिए अनेकों धन्यवाद हिंदवी🙏🙏🙏
एक कलाकार कितना कुछ ग्रहण करता है, समूची प्रकति के, संबंधों के, परिस्थितियों के एवं दु:ख-सुख के कोने-कोने की अनुभूति कर लेता है। इतनी सहजता से प्रश्नों के उत्तर देती हुईं अनामिका जी की आंखें और उनकी गहराई बताती है कि कलाकार कुछ भावों को भर लेता गहराई में, कुछ उलीच लेता है। जो भरा है वह उलीचे हुए से अधिक महत्वपूर्ण है, रहस्यपूर्ण है।
उसे बिरले ही समझ सकते हैं।
अंजुम जी आपकी कहन शैली और साहित्यिक साक्षात्कार का अंदाज-ए-बयाँ; जीवंत और सटीक।साधुवाद।
Anamika ji you are my favorite poet and novelist. The way you talk so slowly, measured words, With the time your expansion on human behavior is truth. You are open minded, don’t shy to criticize sweetly, and very frankly share whatever you have experienced in your life and around you, makes you a very natural person!
आज पहली बार सुना अनामिका जी को 💐💐💐
बहुत सुंदर और प्रेरणादायक बातें कहीं, जीवन हो या लेखन अतिरेक नहीं होना चाहिए...अनामिका मैम को सुनना सुखद रहा।
बहुत सुंदर. सादर आभार आदरणीय अनामिका जी और विशेष आभार श्री अंजुम जी 🙏💐
ना जाने क्या है इनकी बातों मे मै तीसरी बार ये इंटरव्यू देख चुकी हूं 🤭🥰❤❤🎶🙏
जीवन की सीख मिलती है आपको सुनकर मैम। आपमें बनावटीपन नहीं है, जो भी है बहुत खाटी है, शुद्ध है। सारगर्भित चर्चा। प्रणाम मैम।🙏
कवियत्री के बचपन का स्मरण बिल्कुल कवितामय है। विख्यात काव्य सृजन की यात्रा विलक्षण है। सामाजिक चेतना, व्यक्ति के मन मष्तिष्क का गहन अध्ययन और नारी अस्मिता और मुक्ति का सम्यक चिंतन इनके समग्र साहित्य के विविध विधाओं में अभिव्यक्त हुआ है। इसमें भारतीय परिवेश में नारी विमर्श का एक अलग अंदाज दिखाई देता है।
बहुत ही सुन्दर
सहज एवं सारगर्भित साक्षात्कार।
अंजुम भाई आप बहुत ही अच्छा साक्षात्कार लेते हो कमाल 🙏
सहज और सरल व्यक्तित्व का खूबसूरत साक्षात्कार ।
अनामिका जी की सहजता को सच में लोग निकट जाकर जान पाते हैं। वे सच में स्नेहिल हैं।
बहुत -बहुत आभार हिंदवी 😊🙏🏼💐
अनामिका मैंम को सुनना बहुत सुखद लगा ।
बहुत अच्छा साक्षात्कार बधाई अंजुम जी और अनामिका जी
❤अनामिका जी...संगत का एपिसोड..."एक लंबी कविता"❤
बहुत शुक्रिया अंजुम शर्मा जी 🌹🌹
मैं अनामिका जी के काव्य संग्रह टोकरी मे दिगंत का राजस्थानी मे अनुवाद कर रही हूं । इस कविता संग्रह को पढ़ना यानी शब्द संसृति के परोक्ष से निकल कर आ रहे किसी पांचवे वेद के पदचाप को सुनना है। अभिभूत हूं । निशब्द हूं।
बहुत बहुत शुक्रिया ❤️ हिंदवी 🙏💐
विशेषतः अंजुम सर 🙏
हमें इतने महान विद्वानों को सुनवाने के लिए 🙏😊
आनामिका जी को सुनना था बस,,,,, जो उन्होंने कहा नही anamikaji के आँखों से सब कुछ सुन लिया,, समझ लिया❤❤❤❤🙏
अनामिका जी जैसे कविता ही सुना रही हैं । "जीवन में कहीं अतिरेक नहीं चाहिये,स्त्री को पुरुष नहीं, पुरुष को स्त्री जैसा होने की ज़रूरत," समृद्ध करता इंटरव्यू ।
Bhaiyya ji , aapka abhar , aapne hindi bhasa ka ek vaicharik platform banaya , like jasne rehta 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत शानदार भैया 🤗 आपके जरिये लेखकों को करीब से जानने का मौका मिलता है ।
ओह वाह आदरणीया हमें हमारे बचपन में ले चली....वाह अंजुम जी धन्यवाद।
Kisi ko kisi dusare ke saman nahi hona chahiye. Naari aur Purush apni apni jimmedari samjhen. Yahi jaruri hai.
Jaipur literature festival me inse milne ka moka mila
Esa lga jese jadu hua
Itni humble itni achhi h ye
कितना आनंद ! आहा!! ❤❤🙏
एकबार फ़िर हिन्दवी समूह को हृदयसिक्त धन्यवाद 😊❤️
शानदार बातचीत 😊
अनामिका जी को सुनना मेरे समय का बड़ा सुख है 😊😊❤️❤️
ये तो काव्य है जैसे कविता पाठ हो,लहर जो बह निकली हो,ये साक्षात्कार नहीं एक लय है
बहुत बहुत शुक्रिया!🥰
❤️❤️.... बेहतरीन
बहुत सुंदर
"स्त्री को पुरुष जैसे होने की ज़रूरत नहीं पुरुष को स्त्री जैसा होने की ज़रूरत हैं।" गहरी बात, दोनों के समझने की बात।
आपको सुनकर बहुत अच्छा लगा
संगत! सार्थक..
👍👍
अंजुम सर वेरी गुड, सर विश्वनाथ त्रिपाठी को उनकी आत्म कथा तथा लोकजीवन, या लोकपरक interview करा दो सर
अनामिका मैम की ऑंखें कितनी बोलती हैं! उनके बातचीत में कितनी आत्मीयता है।
बहुत खूब...✍️🙏🙇
अच्छी प्रस्तुति
❤
दार्शनिक लफ्जो में स्त्री मन और उसके काव्यात्मक अनुराग को महसूस कराने वाला साक्षात्कार।
बहुत शानदार 💐
❤❤❤❤❤
دکھ تو ہوتا ہے دیکھ کر اُن کو
ظلم کیوں ہے یاں ناریوں پہ روا
جانے کب سے تلاش کرتی ہیں
جستجو میں وہ گوتموں کی ہیں
کیسے کہہ دوں کہ میں ہراساں ہوں
ڈر ہے میں توڑ دوں نہ دل اُن کا
کیسے کہہ دوں کہ جستجو بیکار
کیسے کہہ دوں کہ اس جہان میں اب
جنس گوتم کی ہو گئی معدوم
ڈاکٹر شاہدؔ محمود
i can add captions in hinglish.
हर आत्मा में..
आपका मतलब है कि पुरुषों को स्त्रैण होना चाहिए ?
मैम को सुनना था बस
इनको सुनना ही कविता है।
उनकी आंख नहीं बदली...गहरी बात।