राजपूत क्षत्रिय के 4 शाखा में से एक परमार भी है जिन्हें अग्नि कुंड से उत्पति हुई इसका इतहास हमारे पास है हमारे पूर्वजो द्वारा की पीढ़ियों से इतहास पड़ा जा रहा है
गुरुदेव इस विस्तृत जानकारी के लिए हृदय की गहराईयों से आभार। धर्म, धरा, गऊ, तिरिया, दीन और ब्राह्मण की रक्षा क्षत्रिय का परम धर्म था और है, हमारे पूर्वजों ने इसे सिद्ध किया था और हमें भी इसी पथ पर अग्रसर होना चाहिए। जय हिन्द..... जय जय राजपूताना
अग्नि वंश है, चार हुतासन सो भये, कुल छत्तिस वंश प्रमाण। भौ वंश के धाकरे टांक नाक उनमान, चौहानी चौबीस बटी कुल बासट वंश प्रमाण।। भारद्वाज जी आपने सही इतिहास बताया ,जय चौहान 🙏
में राजपुरोहित राजगुरु हूं और हम भी गुरुदेव वशिष्ठ गोत्रिय है और माना जाता है की हम यज्ञ से परमार राजपूतों से पहले उत्पन हुए इसलिए राजगुरु ...राजपुत परमार राजाओं के गुरु रहे है
सभी राजपूत भाई इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें. बहुत मुश्किल से बनाई है. केसे भैस चोरों की बजा दी. 🤣🤣 ruclips.net/video/VGog-vn1uyo/видео.html .........
बहुत ही अच्छा इतिहास है भारद्वाज जी तहे दिल से सम्मान करते हैं आपको इस संदेश के लिए जाति और गोत्र चाहे कोई भी हो लेकिन हमारे भारत देश के सबसे महान योद्धा थे जब भगवान देवनारायण के
भाइयों क्यों व्यर्थ की बहस में पड़े हो कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे या गुज्जर,,, मैं ऐलान करता हूँ कि गुज्जर अगर इस राष्ट्र में पृथ्वीराज को सरकारी दस्तावेजों में गुज्जर संसोधित करा दें,,, और आर्मी में गुज्जर रेजिमेंट कायम करा लें,,तो मैं और मेरे संपर्क में सभी राजपूत सरदार इन गुज्जरों को असली क्षत्रिय मान जायेंगे और गुज्जरों को बधाई देने मिलने आयेंगे,,, जय हिंद जय राजपुताना,,,तब तक रमन जी को कोई उल्टा सीधा कमेन्ट ना करे,,, धन्यवाद
मैं चौहान वंश से हु और हमारी उत्पत्ति अनल कुंड आबू जी से है गुरु वशिष्ट जी ने यज्ञ में आहुति दी थी उसमें से चौहानो की उत्पत्ति इसीलिए हमारा गोत्र Iवत्स है माता आसावरी है
No colonel todd was a brilliant historian read his book on Rajputana history..he single handedly revived Rajputana history..he may have made few mistakes but his work is commendable.
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अग्नि वंश ,तब उत्पन्न हुआ जब यहां के लोग बौद्ध हो गए थे ,,बाद में ऋषियों ने यहां की ,भर गौड़ आरख गुज्जर जातियों में से ही चार लोगों को यज्ञ द्वारा पवित्र करके हिंदू बनाया था ,धर्म की रक्षा के लिए ,,,
BHARDWAJ CLASSES Sir Parthvi Raj raso book me Chohano ko Gurjar likha hai Parthvi Raj chauhan Ko Gurjar Raja likha hai Fir Dr Bhandarkar K Anusar rajput Gurjar ki hi santan hai
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आप ने जो भी चौहान की उत्पत्ति के बारे में बताया है वह बहुत ही अच्छा बताया गया है बड़ी मेहनत और लगन के साथ मे हि हर कार्य होता है इस के लिए आप को हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं आप यह सब आप ने शीला लेख और किसी के द्वारा लिखी गई बात बताई जाती हैं अब देव वाणी सुनौ जो आप ने पहले बताया आबु पर्वत और वसिष्ठ के द्वारा यज्ञ कर्म से ही हुई हैं यही बात सही है। यज्ञ से उत्पन्न होने से ही अग्नि वंशज कहलाते हैं यह बात करीब छः लाख साल पुरानी है इतना पुराना इतिहास कहीं नहीं मिलेगा
अजय सिंह चौहान (वत्स गोत्रीय)बहुत सुंदर आप ने वर्णन किया लेकिन एक सवाल अब भी आता कि चौहान की उतपत्ति कैसे हुई अब भी रहस्य है जहां किसी नतीजे पर कोई एक मत किसी भी लेखक का नही है।और मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोई तो चौहानो को चंद्रवंसी मानते हैंऔर अग्निवंसी को चंद्रवंसी की शाखा मानते हैं(चंद्रवंसी कि 24 वी पीढ़ी)वत्स(1400वर्ष लगभग विक्रमी पूर्व)वत्सभूमि(कोसांबी)आयुष्मान पुत्र नहुष, छत्रविधि, रम्भस, रजि, अनेनस छत्रविधि के57वी पीढ़ी में राजा वत्स हुआ जिससे वत्स वन्स चला वत्स की34वी पीढ़ी में राजा अग्निपाल हुआ जिससे अग्निवंश चला अग्निपाल के चार पुत्र हुए परमार प्रतिहार चालुक्य और चौहान वंश चला इस तरह चौहान की उतपति के बारे में सही मत नही मिलता (ये सब जानकरी विस्व छत्रिय महासभा के संगठन मंत्री जो लेखक है)से मिला अगर एक और देखा जाय तो भविष्यपुराण में अग्निवंसी राजपूतो के बारे में वर्णन मिलता है अगर पुराण की माने तो चौहान अग्निवंसी है क्योंकि जितने भी लेखक है उन सभी से पुराना पुराण है।
Brother the biggest problem of us Hindus is that we interpret our scriptures word to word. Some times the message behind what's written in the scriptures is just symbolic. I agree, that no human being ( or any living creature ) can appear directly out of fire (Agni) but that does not dismiss the claim that Maharishi Vashist ji performed a Yagna on Mt Abu out which 4 New Rajput clans were born. The Yagna that he performed could have been an innitiation ceremony in which pre existing Kshatriyas pledged to dedicate themselves for the protection of vedic yagnas from being disturbed by Rakshashas . So genetically Chauhaans might have been Surya vanshi or Indra Vanshi or even Brahmin Vanshi but after being blessed at the Yagna performed by Maharishi Vashist ji, they must have taken up an identity of Being Agni Vanshi as they were sort of beptised by the Yagna. Calling themselves agnivansi could have been and indication the extreme commitment to protect Yagnas from Rakshashas. So please never doubt your scriptures. 🙏 May Lord Parshuram bless you. Har Har Mahadev Jai Shree Ram. 🙏🙏🙏🙏🙏
Yes brother you have written write thing Main problem of historian about rajput history is that they take every thing word to word for eq word rajput is just a hindi word of sanskrit word rajputra and these historians have made this rajput word a seprate identity but in reality rajputra or rajput word was used by kshatriyas belonging to suryavansh chandravansh yaduvansh etc but it was not used by non vedic kshatriyas
सनातन संस्कृति मे पंच तत्वों का महत्व है जेसे की अग्नि, जल वायु, आकाश, प्रथ्वी. मनुष्य की म्रत्यु के पश्चात भी यही कहा जाता है कि पांच तत्वों मे विलीन हो गए शास्त्रों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि क्षत्रिय राजपुतो की उत्पति अग्नि से हुई है क्युकी भारत देश के सनातन धर्म मे शास्त्रों का ही महत्व है ओर भारत देश का सनातन धर्म सर्वोपरी हे पर में भारद्वाज जी का बोहोत सम्मान करता हूं कि आप जो इतिहास बताने का कार्य सेवा दे रहे हैं उसके लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद्
जो गोत्र राजपूत राजा की होती थी वहीं गोत्र प्रजा भी अपना रिफरेंस देने के लिए लगाती थी , जैसे कि आप को पता है कि हर जाति में राजपूत की गोत्र मिल जाएगी , आप को दूसरी जाति में न केवल चौहान बल्कि राठौड़, सिसोदिया, परमार, प्रतिहार , परिहार, चालुक्य आदि गोत्र मिलेगी । यही सत्य है । आप को हर जाति में राजपूत गोत्र जरूर मिलेगी । उसका यही कारण है ।
@Internet User kya bakwas kar Raha hai Rajput Muslims se 756 CE se laad rahe hai Khuch rajput baas Mughal se haath milaye vo bhi khuch generation ke Rajputon ne usme bhi mainly Rajasthani rajput Himachali Garhwali Bundelkhand ke rajput Purvanchal or awadh ke rajput to iss vakat bhi ladte rahe Maratha to saalon taak Muslim ki seva karte rahe bas 150/200 saal ladai ki Muslims se Jaat ne to Gopal jat ke Baad ladai Suru ki Muslims se Sikh me bhi 200 sal se jyada nahi ladai ki Aurangzeb ke under rajput se jyada marathe the
@Internet User bhai Mughal 1525 me aaye Or Musalman 700 me aaye the Unhone 700 se lekar 1550 (Akbar) taak koi Shaadi biyah Ya ache relation nahi rakhe baas ladte rahe Or 1550 ke Baad bhi Khali Rajasthan ke rajput mile mughalo se bundeli, phadi, purbaiya ke rajput zamindars aksar ladte the Or aapne khuch galat nahi kaha
अग्निवंशी से क्यों नहीं किसी व्यक्ति का उत्पन्न हो सकता है क्या हमारे शास्त्र में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है क्या माता द्रोपती की अग्नि से उत्पन्न नहीं हुए थे प्ल्ज़ रिप्लाई सर्
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
यज्ञ से चार तात्कालिक क्षत्रिय वंशो को दीक्षित किया गया था गुरु वशिष्ठ के द्वारा, उस वक़्त भारत में चार विशिष्ट वंश यथा चौहान, परमार, सोलंकी एवं परिहार व इस यज्ञ के पश्चात इनको राजपूत संघ में शामिल किया गया! कारण था धर्म की रक्षा!
चौहानो की उत्पत्ति वशिष्ठ ॠषि के यज्ञ कुण्ड से हुई । असुरो से यज्ञ की रक्षा हेतु पहले तीन वीरो को फिर एक वीर को यज्ञ की रक्षा हेतु यज्ञ कुण्ड से उत्पन्न किया था।चारों में चौहान सबसे शक्ति शाली था ।सबसे पहले अलहण देव नामक चौहान का जन्म हुआ ।जो चौहानो के आदि पूर्वज है ।इन चारों वीरों को नियंत्रित करने हेतु राजगुरु नामक ॠषि की उत्पत्ति की।किन्तु वह शान्त थे व भक्त थे।फिर यज्ञ कुण्ड से उग्र ॠषि जागरवाल की उत्पत्ति की थी।जिसने उन्हें नियंत्रित किया व शास्त्रीय विचारों से सहमत किया ।जय श्री हरि ।
पुर्व काल में अच्छी औलाद पाने के लिए यज्ञ किए जाते थे!!!!! उस यज्ञ में खीर इस्तेमाल की जाती थी!!!! यज्ञ समाप्त होने के बाद वह अभिमंत्रित खीर राजा या फिर रानी को खिलाई जाती थी!!!! उस मंत्र शक्ति से युक्त होकर जब राजा और रानी संतान प्राप्ति के लिए एक आते थे तो पैदा होने वाली संतान उत्कृष्ट दर्जे कि होती थी!!!! वैसे ही राजस्थान में जब यज्ञ किया गया तब वहां चार जोड़े थे और उन्हीं से यह चार महान राजपूत वंशों का जन्म हुआ!!!!! इसीलिए उनको अग्नि से उत्पन्न कहते हैं!!! इसका मतलब यह नहीं कि सिधे अग्नि से बाहर निकल आए हो!!! अग्नि से मतलब यज्ञ अग्नि के माध्यम से मंत्रों द्वारा पैदा किए गए!!!!!अब भी वह यज्ञ विधी ग्रंथों में लिखी हुई मिलती है पर अब पहले जैसे विद्वान आचार्य नहीं मिलते जो यज्ञ करना जानते हो!!!!!
जिस प्रकार संत महात्माओं द्वारा यज्ञ करके राजा द्रुपद ने अपने यहां धृष्टद्युम्न और द्रोपती को उत्पन्न किया था ठीक उसी प्रकार गुरु वशिष्ट ने क्षत्रिय राजपूत उत्पन्न किए इसमें कोई संशय का विषय नहीं जय राजपूताना जय मां भवानी क्षत्रिय एकता जिंदाबाद
आहुति से अस्त्र शास्त्र उत्पन्न हो सकते हैं अग्नि स्वयं प्रकट हो सकती हैं सीता जी अग्नि में वास कर सकती हैं अग्नि से वापस आ सकती हैं तो अग्नि से चौहान वंश क्यों नहीं हो सकता यह सत्य है कि जो अबू धाबी परवत पर यज्ञ हुआ था वही ऋषियों ने बेदी में आहुति देकर चौहानों को प्रकट किया था यह सत्य है 100% सत्य है
वीर चौहानों की उत्तपत्ती किसी से भी हो ये उतना महत्वपूर्ण नही है, ये मतभेद का विषय हो सकता है.. परन्तु वीर चौहानो का पृभाव महत्वपूर्ण है..पूरा भारत वर्ष राजपूतो के त्याग बलिदान का ऋणी रहेगा... राष्टीय गौरव सत्य सनातनीय गौरव है वीर समृट वीर पृथ्वीराज चौहान....🙏
Chauhano ka charitr esa hai ki har koi ene apna banana chahte hai. Aaj gujjar bhi Chauhan ban rahai hai isse bhadiya aur kya ho sakta hai. Chauhano mai Sher ka jiggara hai. ANDER DAAM CHAHIYE...... HAR koi esa nahi ban sakta JAI RAJPUTANA.. 🤴🤴🤴⚔⚔
Gaurav chauhan okaat m bat krr gurjaro k bare m jaan le phle ache se or jo tu bolra hna ye hum logo ko bolna chahiye par samajhte h hum log ki tm b humare parivar se ho ye angrezo or mugalo ki batai hui kahani ko aj b mante ho tm log or apne hi pariwar se alag ho chuke ho jhuti shaan se bahar niklo sach ko jano
@Gopi Singh Cheema mostly rajputo me paaye jate h ...yahi SE kisi karanwas dusri jatio me chale Gaye jaise Mali jaat goojar Sikh sc lekin sankya ke hisab se sabse jyada Chauhan rajputo me hi h.baki kuch log dusri jatio me chale Gaye..
@@amit9507 agar tu rajasthan se hain toh maa panna dhay ka naam toh suna hoga jinhone uday singh ko bachaya tha. Unke husband or rana sanga ke senapati chauhan gurjar hi the.
kisi ke kahne kya hota h hum to wahi manege jo mere purvaj ne bataya h mere purvaj ne bataya h hum agni vanshi h aur shiv singh chauhan khud ko angi vanshi hi manta h aur manta rahega jay ma bhavani jay rajputana
क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।) गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था । सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
बहुत अच्छी जानकारी भाई धन्यवाद हमारे पुर्वजों के इतिहास के बारे में ज्ञान हमें भी मिल जाये अभी टिप्पणीकार कई अनर्गल बातें कर रहे है टिप्पणी में उस से कुछ नहीं होगा मर्द हों तों अब अपना इतिहास लिख के बताओं I AM PROUD OF CHOHAN DESCENDANT
सर राजस्थान के G. K. के बाद भारत एवं विश्व के G. K. के महत्वपूर्ण टॉपिक करवा ĺ Sir Aap ke sabhi video bhut aachi h Thank you sir. Aap ne Hamari itni sahayta ki
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
Bheel were greatest fighters they helped R@na pr@tap in second h@ldi ghati war and to great extent Won war but historians appreciated RanaPratap more reality is otherwise
जय अग्निवंश जय पृथ्वीराजचौहान 🙏🚩 में भारद्वाज क्लासेस का धन्यवाद करता जो अपनी वीडियो के माध्यम से हिंदुस्तान के सही इतिहास की जानकारी देते है
Sab chodo chuhan vansh sanatni tha...jai sanatan rashtr🚩🚩🚩
Agnivanshi chauhan Rajputo k jay... Rajput samrat prithviraj Chauhan ji ki jay ❤️🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏
राजपूत क्षत्रिय के 4 शाखा में से एक परमार भी है जिन्हें अग्नि कुंड से उत्पति हुई इसका इतहास हमारे पास है हमारे पूर्वजो द्वारा की पीढ़ियों से इतहास पड़ा जा रहा है
Bhai hum bhi is hi vans se hai kya aap muje copy de sakte hai jai mataji dost ty
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गुरुदेव इस विस्तृत जानकारी के लिए हृदय की गहराईयों से आभार।
धर्म, धरा, गऊ, तिरिया, दीन और ब्राह्मण की रक्षा क्षत्रिय का परम धर्म था और है, हमारे पूर्वजों ने इसे सिद्ध किया था और हमें भी इसी पथ पर अग्रसर होना चाहिए।
जय हिन्द..... जय जय राजपूताना
अग्नि वंश है,
चार हुतासन सो भये, कुल छत्तिस वंश प्रमाण।
भौ वंश के धाकरे टांक नाक उनमान,
चौहानी चौबीस बटी कुल बासट वंश प्रमाण।।
भारद्वाज जी आपने सही इतिहास बताया ,जय चौहान 🙏
में राजपुरोहित राजगुरु हूं और हम भी गुरुदेव वशिष्ठ गोत्रिय है और माना जाता है की हम यज्ञ से परमार राजपूतों से पहले उत्पन हुए इसलिए राजगुरु ...राजपुत परमार राजाओं के गुरु रहे है
🙏🏻🙏🏻.... जय एकलिंग जी ....🙏🏻🙏🏻
🙏🏻.... जय जय पृथ्वीराज चौहान ....🙏🏻
⚔🚩⚔.... जय राजस्थान [ राजपुताना ] ....⚔🚩⚔
सभी राजपूत भाई इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें. बहुत मुश्किल से बनाई है. केसे भैस चोरों की बजा दी. 🤣🤣
ruclips.net/video/VGog-vn1uyo/видео.html
.........
बहुत ही अच्छा इतिहास है भारद्वाज जी तहे दिल से सम्मान करते हैं आपको इस संदेश के लिए जाति और गोत्र चाहे कोई भी हो लेकिन हमारे भारत देश के सबसे महान योद्धा थे जब भगवान देवनारायण के
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता उपर सुलतान है मत चुके चौहान ! 💪💪
👆Jo samjh gya vo reply kro aur jo nai samjha vo Puch sakta h
✅✅
khetubha Chauhan jai Rajputana💪
Jai hind🇮🇳
Jai jai pruthviraaj chauhan
Bahut sahi
Bahut shi.ha.samaj.gya bhai mere
भाइयों क्यों व्यर्थ की बहस में पड़े हो कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे या गुज्जर,,, मैं ऐलान करता हूँ कि गुज्जर अगर इस राष्ट्र में पृथ्वीराज को सरकारी दस्तावेजों में गुज्जर संसोधित करा दें,,, और आर्मी में गुज्जर रेजिमेंट कायम करा लें,,तो मैं और मेरे संपर्क में सभी राजपूत सरदार इन गुज्जरों को असली क्षत्रिय मान जायेंगे और गुज्जरों को बधाई देने मिलने आयेंगे,,, जय हिंद जय राजपुताना,,,तब तक रमन जी को कोई उल्टा सीधा कमेन्ट ना करे,,, धन्यवाद
Sahi kaha rana g
Okk sahab
bde bhai ye bheschor h aaj do do begha jamin bikne se inhe ithihas chahiye
मैं चौहान वंश से हु और हमारी उत्पत्ति अनल कुंड आबू जी से है गुरु वशिष्ट जी ने यज्ञ में आहुति दी थी उसमें से चौहानो की उत्पत्ति इसीलिए हमारा गोत्र Iवत्स है माता आसावरी है
jhabar singh chauhan असावरी मां को तो बघडावत भी पुजते थे। बघडावत भारत में पढा है
चौहान अग्नि वंशी क्षत्रिय है ।इनकी कुलदेवी आशापुरा जी है ।
कोण सी दुनिया में खोये हो ?
यज्ञ से मानव उतपति संभव नहीं
आज विज्ञानं का युग है
तर्क से सोचो
द्रोपदी की उत्पति यज्ञ से हुई थी।
जितना समृद्ध हमारा हिन्दू धर्म है और जितने ज्ञानी हमारे संत महात्मा रहे है । तो सनातन धर्म के अनुसार बिलकुल अग्नि से मानव की उत्पत्ति संभव है
I'm proud to be a Rajput CHAUHAN 🚩
मध्य एशिया विदेश नही ये भी कभीअखंड भारत का ही हिस्सा था । अब अंग्रेज ओर नेहरू बतायेगे हम कहा के है । 😢😢😢
😂😂😂👍
No colonel todd was a brilliant historian read his book on Rajputana history..he single handedly revived Rajputana history..he may have made few mistakes but his work is commendable.
Satya
Lgta to aese hi he
Sahi kaha
आपके द्वारा इतिहास की बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
I was searching for these information for a long time....then suddenly a video regarding the panipat battle came to my recommendation, I went through the channel's playlist and I found these series. Collecting all these infos. and most importantly mentioning each and every source, really its a great job sir, thank you!🙏
Thank you Raman sir ji ,for giving us the history of The Chouhan vansh We are Chouhan, and proud to be so l
पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक🙏🙏🙏
Hume vikramaditya gupta antim hindu raja the
Delhi Samrat hemu jindabad 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जय राजपुताना
जय पृथ्वीराज चौहान🙏🏻🚩🚩⚔️⚔️⚔️
जय अग्निवंश जय पृथ्वीराजचौहान 🙏🚩 में रमन भारद्वाज जी का भी धन्यवाद करता हु जिनकी वीडियो के माध्यम से हमे सही इतिहास की जानकारी मिलती है🙏🚩
पृथ्वीराज चौहान सिर्फ राजपूतों के हैं अन्य कोई नहीं
जब इंसान की उत्पत्ति पानी अर्थात नीली हरी शेवाल से मान सकते है ओर सूर्य बंश को सूर्य से मान सकते है तो हम आग से क्यों नहीं हो सकते है
Baat sahi h apki
@@harharmahadeo6105 h
Bilkul shi
पृथ्वीराज चौहान अग्नि वंश से है और राठौड़ सूर्यवंश से इसमें कोई दो राय नहीं है 🙏🙏
Chauhan raja ram ke bete kush ke bnsaj btate h sab log .... Chauhan sab khud KO suriya banshi btate h ...or raja Ram KO mante h...
अग्नि वंश ,तब उत्पन्न हुआ जब यहां के लोग बौद्ध हो गए थे ,,बाद में ऋषियों ने यहां की ,भर गौड़ आरख गुज्जर जातियों में से ही चार लोगों को यज्ञ द्वारा पवित्र करके हिंदू बनाया था ,धर्म की रक्षा के लिए ,,,
मराठाओंमे हम चव्हाण-पाटील को सुर्यवंशी क्षत्रिय माना जाता है.(हम राजपुतवंशी मराठा है)
Yes
Nahi ho
महाराष्ट्र के हम चव्हाण पाटील है महाराष्ट्र जत से
Awesome no one can beat that way of teaching. Thank you very much sir for engraining this information in our mind for good.
જય રાજપુતાના , જય માં ભવાની,જય પૃથ્વીરાજ ચૌહાણ
अर्जुन सिंह राजपूत चौहान जय पृथ्वीराज चौहान जय महाराणा प्रताप
Kese surya vansh ho gya bhai
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
@@cricketwithyou5692 तुम चौहानों का इतिहास चुराए जा रहा है और तुम सोए हुए हो जय राजपूताना जय मां भवानी
@@cricketwithyou5692 tum jaichand rajput gaddar ho thu
@@Siddharth-uo6zw tere baap ne btaya kya ki jaichand gaddar tha
Bewakoof
I am proud that I am a Chauhan Rajput
वत्स्य गोत्र में तीन राजपूत है, हम राजपूत क्षत्रिय हैं, ब्राह्मण हमारे गुरु थे🚩🚩🚩
Rajput/ chatriya / maratha... Naam aur shakha alag alag hi.
Jati sab छत्रपति ही है
Yes
आपको शिक्षा देने वाले एवं मार्गदर्शक राजपुरोहित राजगुरु ही थे साधारण ब्राह्मण नहीं थे राजपुरोहित राजा के लिए शब्द चुना गया है
बिजौलिया शिलालेख में ब्राह्मण लिखा है
Mai chauhan vans se hu Jay prathviraj Chauhan 🙏 🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Sir आपके जैसा इतिहास विस्तार से कोई नही बताता।
Sir me MP se hu or mujhe itihas bahut pasand hai or apke video mujhe bahut ache laga thanks sir
धन्यवाद, दिनेश जी।
Sir mein bhi mp se hu apki videos achi lagti h
Chouhan chitawa nagor
@@BHARDWAJCLASSESRAMAN book chaye sir ji
BHARDWAJ CLASSES Sir Parthvi Raj raso book me Chohano ko Gurjar likha hai Parthvi Raj chauhan Ko Gurjar Raja likha hai Fir Dr Bhandarkar K Anusar rajput Gurjar ki hi santan hai
I cannot describe how strongly I am influenced by your work and commitment towards providing quality and to the point information.
I have seen videos from many sources (I mean more than 6 complete playlist) but nowhere i h have found any1, close to the quality information you are providing.
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आप ने जो भी चौहान की उत्पत्ति के बारे में बताया है वह बहुत ही अच्छा बताया गया है बड़ी मेहनत और लगन के साथ मे हि हर कार्य होता है इस के लिए आप को हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं आप
यह सब आप ने शीला लेख और किसी के द्वारा लिखी गई बात बताई जाती हैं
अब देव वाणी सुनौ जो आप ने पहले बताया
आबु पर्वत और वसिष्ठ के द्वारा यज्ञ कर्म से ही हुई हैं यही बात सही है। यज्ञ से उत्पन्न होने से ही अग्नि वंशज कहलाते हैं
यह बात करीब छः लाख साल पुरानी है
इतना पुराना इतिहास कहीं नहीं मिलेगा
अजय सिंह चौहान (वत्स गोत्रीय)बहुत सुंदर आप ने वर्णन किया लेकिन एक सवाल अब भी आता कि चौहान की उतपत्ति कैसे हुई अब भी रहस्य है जहां किसी नतीजे पर कोई एक मत किसी भी लेखक का नही है।और मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोई तो चौहानो को चंद्रवंसी मानते हैंऔर अग्निवंसी को चंद्रवंसी की शाखा मानते हैं(चंद्रवंसी कि 24 वी पीढ़ी)वत्स(1400वर्ष लगभग विक्रमी पूर्व)वत्सभूमि(कोसांबी)आयुष्मान पुत्र नहुष, छत्रविधि, रम्भस, रजि, अनेनस छत्रविधि के57वी पीढ़ी में राजा वत्स हुआ जिससे वत्स वन्स चला वत्स की34वी पीढ़ी में राजा अग्निपाल हुआ जिससे अग्निवंश चला अग्निपाल के चार पुत्र हुए परमार प्रतिहार चालुक्य और चौहान वंश चला इस तरह चौहान की उतपति के बारे में सही मत नही मिलता (ये सब जानकरी विस्व छत्रिय महासभा के संगठन मंत्री जो लेखक है)से मिला अगर एक और देखा जाय तो भविष्यपुराण में अग्निवंसी राजपूतो के बारे में वर्णन मिलता है अगर पुराण की माने तो चौहान अग्निवंसी है क्योंकि जितने भी लेखक है उन सभी से पुराना पुराण है।
जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद
Brahmano se hi h Chouhan Rajput. jinhe 700 sadi me muslmano ke dwara brahmano ki fooj kha gya h
Purano k anusar Chauhan ki utpatti Yagy se hui hai
@DS C mere bhi
Gurjat jaat dost hai
Unhone khud ye baat batayi hai
Ab tu unse zyada to janta nhi
@DS C chauhan agnivansh k hai
Bhavishya puran me likha hai
अग्निकुण्डसे चार क्षत्रियोका जन्म हुआ था
किसी जाति का नही
वशिष्ठ ऋषि के समय वर्ण थे जाती नही
जैसे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र
अबे चुतिये
थे तो chaktriya ही लेकिन वशिष्ठ ने चौहान नाम दिया
था
Absolutely right
@Right 😂😂😂
Brother the biggest problem of us Hindus is that we interpret our scriptures word to word. Some times the message behind what's written in the scriptures is just symbolic.
I agree, that no human being ( or any living creature ) can appear directly out of fire (Agni) but that does not dismiss the claim that Maharishi Vashist ji performed a Yagna on Mt Abu out which 4 New Rajput clans were born.
The Yagna that he performed could have been an innitiation ceremony in which pre existing Kshatriyas pledged to dedicate themselves for the protection of vedic yagnas from being disturbed by Rakshashas .
So genetically Chauhaans might have been Surya vanshi or Indra Vanshi or even Brahmin Vanshi but after being blessed at the Yagna performed by Maharishi Vashist ji, they must have taken up an identity of Being Agni Vanshi as they were sort of beptised by the Yagna.
Calling themselves agnivansi could have been and indication the extreme commitment to protect Yagnas from Rakshashas.
So please never doubt your scriptures. 🙏
May Lord Parshuram bless you.
Har Har Mahadev
Jai Shree Ram. 🙏🙏🙏🙏🙏
That sounds true and legit
Yes brother you have written write thing
Main problem of historian about rajput history is that they take every thing word to word for eq word rajput is just a hindi word of sanskrit word rajputra and these historians have made this rajput word a seprate identity but in reality rajputra or rajput word was used by kshatriyas belonging to suryavansh chandravansh yaduvansh etc but it was not used by non vedic kshatriyas
Jay mataji.... Jay Rajputana...
🚩🚩🚩🚩🚩⚔⚔⚔⚔⚔🙏🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Yes Chahuaan is agnivashi Rajput...Jai Rajputana jai maa bhawani
Nhi mai bhi Chauhan hu...Prithviraj Vijay me saaf likha hai Suryavanshi.
Bewakoof mat bano is bat pe
Really thanks for this video sir🙏your way of teaching is so good👌😇
POONAM CHAUHAN ..👍
Poonam ji jo up.me.chauhan hai unka itihas kya hai kuch pta hai to batao
ओड राजपूतों के बारे में भी विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराएं। धन्यवाद
सनातन संस्कृति मे पंच तत्वों का महत्व है जेसे की अग्नि, जल वायु, आकाश, प्रथ्वी.
मनुष्य की म्रत्यु के पश्चात भी यही कहा जाता है कि पांच तत्वों मे विलीन हो गए
शास्त्रों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि क्षत्रिय राजपुतो की उत्पति अग्नि से हुई है क्युकी भारत देश के सनातन धर्म मे शास्त्रों का ही महत्व है
ओर भारत देश का सनातन धर्म सर्वोपरी हे
पर में भारद्वाज जी का बोहोत सम्मान करता हूं कि आप जो इतिहास बताने का कार्य सेवा दे रहे हैं उसके लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद्
जो गोत्र राजपूत राजा की होती थी वहीं गोत्र प्रजा भी अपना रिफरेंस देने के लिए लगाती थी , जैसे कि आप को पता है कि हर जाति में राजपूत की गोत्र मिल जाएगी , आप को दूसरी जाति में न केवल चौहान बल्कि राठौड़, सिसोदिया, परमार, प्रतिहार , परिहार, चालुक्य आदि गोत्र मिलेगी । यही सत्य है । आप को हर जाति में राजपूत गोत्र जरूर मिलेगी । उसका यही कारण है ।
r
@@rajendrasingh-wp7yv Bह
बज
जय राजपूताना
Acha😂😂
कुछ राजपूतों को छोड़ दिया जाए तो राजपूत बहुत ही वीर जाति थी
@Internet User kya bakwas kar Raha hai
Rajput Muslims se 756 CE se laad rahe hai
Khuch rajput baas Mughal se haath milaye vo bhi khuch generation ke Rajputon ne usme bhi mainly Rajasthani rajput
Himachali Garhwali Bundelkhand ke rajput Purvanchal or awadh ke rajput to iss vakat bhi ladte rahe
Maratha to saalon taak Muslim ki seva karte rahe bas 150/200 saal ladai ki Muslims se
Jaat ne to Gopal jat ke Baad ladai Suru ki Muslims se
Sikh me bhi 200 sal se jyada nahi ladai ki
Aurangzeb ke under rajput se jyada marathe the
@Internet User bhai Mughal 1525 me aaye
Or Musalman 700 me aaye the
Unhone 700 se lekar 1550 (Akbar) taak koi
Shaadi biyah
Ya ache relation nahi rakhe baas ladte rahe
Or 1550 ke Baad bhi Khali Rajasthan ke rajput mile mughalo se bundeli, phadi, purbaiya ke rajput zamindars aksar ladte the
Or aapne khuch galat nahi kaha
Bhai ji aapne ulta bola h
Kuch rajputo ko chod diya jaye to baki ke sab gulam h ye sach h
@@fact46 Tumhara To Tha Hi tabhi to mirchi Lagi tujhe 😡😅
@@chapriyoutuber7846 bhai itihas churane se itihas nahi banta hai sar katne padte hai bhaichara badhao itihas mat churao
अग्निवंशी से क्यों नहीं किसी व्यक्ति का उत्पन्न हो सकता है क्या हमारे शास्त्र में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है क्या माता द्रोपती की अग्नि से उत्पन्न नहीं हुए थे
प्ल्ज़ रिप्लाई सर्
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
यज्ञ से चार तात्कालिक क्षत्रिय वंशो को दीक्षित किया गया था गुरु वशिष्ठ के द्वारा, उस वक़्त भारत में चार विशिष्ट वंश यथा चौहान, परमार, सोलंकी एवं परिहार व इस यज्ञ के पश्चात इनको राजपूत संघ में शामिल किया गया! कारण था धर्म की रक्षा!
Adbhut prastuti. Mera Naman hai.
jay prithviraj chouhan🚩🚩
चौहानो की उत्पत्ति वशिष्ठ ॠषि के यज्ञ कुण्ड से हुई । असुरो से यज्ञ की रक्षा हेतु पहले तीन वीरो को फिर एक वीर को यज्ञ की रक्षा हेतु यज्ञ कुण्ड से उत्पन्न किया था।चारों में चौहान सबसे शक्ति शाली था ।सबसे पहले अलहण देव नामक चौहान का जन्म हुआ ।जो चौहानो के आदि पूर्वज है ।इन चारों वीरों को नियंत्रित करने हेतु राजगुरु नामक ॠषि की उत्पत्ति की।किन्तु वह शान्त थे व भक्त थे।फिर यज्ञ कुण्ड से उग्र ॠषि जागरवाल की उत्पत्ति की थी।जिसने उन्हें नियंत्रित किया व शास्त्रीय विचारों से सहमत किया ।जय श्री हरि ।
सही है
Noutanki
Agni se ??? Ha ha ha
Ek dam Right Rajguru Or jagarwal ke uutapi aabu se he huye jagarwal ke kuladevi be jawala devi he unka surname Rajpurohit he
Or songara chauhano ke purohit raigur Rajpurohit he
Thank you so much sir..Wait kar rahe the aapke new video ka
Very very nice sir..
पुर्व काल में अच्छी औलाद पाने के लिए यज्ञ किए जाते थे!!!!! उस यज्ञ में खीर इस्तेमाल की जाती थी!!!! यज्ञ समाप्त होने के बाद वह अभिमंत्रित खीर राजा या फिर रानी को खिलाई जाती थी!!!! उस मंत्र शक्ति से युक्त होकर जब राजा और रानी संतान प्राप्ति के लिए एक आते थे तो पैदा होने वाली संतान उत्कृष्ट दर्जे कि होती थी!!!! वैसे ही राजस्थान में जब यज्ञ किया गया तब वहां चार जोड़े थे और उन्हीं से यह चार महान राजपूत वंशों का जन्म हुआ!!!!! इसीलिए उनको अग्नि से उत्पन्न कहते हैं!!! इसका मतलब यह नहीं कि सिधे अग्नि से बाहर निकल आए हो!!! अग्नि से मतलब यज्ञ अग्नि के माध्यम से मंत्रों द्वारा पैदा किए गए!!!!!अब भी वह यज्ञ विधी ग्रंथों में लिखी हुई मिलती है पर अब पहले जैसे विद्वान आचार्य नहीं मिलते जो यज्ञ करना जानते हो!!!!!
आपके बताने ओर समझाने का तरीका बहुत खूब लगा महोदय जय हिन्द
जिस प्रकार संत महात्माओं द्वारा यज्ञ करके राजा द्रुपद ने अपने यहां धृष्टद्युम्न और द्रोपती को उत्पन्न किया था ठीक उसी प्रकार गुरु वशिष्ट ने क्षत्रिय राजपूत उत्पन्न किए इसमें कोई संशय का विषय नहीं जय राजपूताना जय मां भवानी क्षत्रिय एकता जिंदाबाद
Kya aag se koi paida ho sakata hain
Ha, अग्नि माध्यम हो सकता है!
Har har Mahadhev Jay hind, I love Chauhan vansh
आहुति से अस्त्र शास्त्र उत्पन्न हो सकते हैं अग्नि स्वयं प्रकट हो सकती हैं सीता जी अग्नि में वास कर सकती हैं अग्नि से वापस आ सकती हैं तो अग्नि से चौहान वंश क्यों नहीं हो सकता यह सत्य है कि जो अबू धाबी परवत पर यज्ञ हुआ था वही ऋषियों ने बेदी में आहुति देकर चौहानों को प्रकट किया था यह सत्य है 100% सत्य है
वीर चौहानों की उत्तपत्ती किसी से भी हो ये उतना महत्वपूर्ण नही है, ये मतभेद का विषय हो सकता है..
परन्तु वीर चौहानो का पृभाव महत्वपूर्ण है..पूरा भारत वर्ष राजपूतो के त्याग बलिदान का ऋणी रहेगा... राष्टीय गौरव सत्य सनातनीय गौरव है वीर समृट वीर पृथ्वीराज चौहान....🙏
Thank you so much. Many people will be watching your lecture .
Chauhano ka charitr esa hai ki har koi ene apna banana chahte hai. Aaj gujjar bhi Chauhan ban rahai hai isse bhadiya aur kya ho sakta hai. Chauhano mai Sher ka jiggara hai. ANDER DAAM CHAHIYE......
HAR koi esa nahi ban sakta
JAI RAJPUTANA.. 🤴🤴🤴⚔⚔
Gaurav chauhan okaat m bat krr gurjaro k bare m jaan le phle ache se or jo tu bolra hna ye hum logo ko bolna chahiye par samajhte h hum log ki tm b humare parivar se ho ye angrezo or mugalo ki batai hui kahani ko aj b mante ho tm log or apne hi pariwar se alag ho chuke ho jhuti shaan se bahar niklo sach ko jano
@Gopi Singh Cheema mostly rajputo me paaye jate h ...yahi SE kisi karanwas dusri jatio me chale Gaye jaise Mali jaat goojar Sikh sc lekin sankya ke hisab se sabse jyada Chauhan rajputo me hi h.baki kuch log dusri jatio me chale Gaye..
@@amit9507 agar tu rajasthan se hain toh maa panna dhay ka naam toh suna hoga jinhone uday singh ko bachaya tha. Unke husband or rana sanga ke senapati chauhan gurjar hi the.
@@gauravchauhan1690 gajab bhai😘😘😘😘😘😘😘😘
Bro gujjar isliye kahte hai kyu ki bagdawat gujjar nhi the vo Rawat the or rawat chouhan vans se hai
Bhai Mene like or comment isliye Kiya h qki aap raja chohan k bare me BAAT KR rahe h ...jo kbhi musalmano k aage kbhi nhi juke
Very true
Chauhan is great rajput of hindustan
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
@@cricketwithyou5692
😁😁😁😁
Yes
kisi ke kahne kya hota h hum to wahi manege jo mere purvaj ne bataya h
mere purvaj ne bataya h hum agni vanshi h
aur shiv singh chauhan khud ko angi vanshi hi manta h aur manta rahega
jay ma bhavani
jay rajputana
Ya
बहुत ही सुन्दर विवेचन साधुवाद आपको 🙏
क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।)
गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था ।
सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
😃😃😃abe cartoon chup saala
जय राजपूताना ...जय चौहान
Sir aaj to pura daut ak sat hi samja diya...maja aa gya sir Ji....,Nice video....
Hello
बहुत ही अच्छी जाधकारी प्राप्ति हुई इस लाँकडाउन मे
Very nice explain Mano Film dekh rahe h fantastic Sabse achha all you tube in Rajasthan gk
Good information about Chouhan dynasty, thanks Mr Singh
हम अग्नि वंश है और अग्नि वंश रहेगे
Chauhan hone part Garvey Hai yaar
@@lalitchauhan6229 haan bhai ...
Agni bhi to Surya ka hi ek Roop h..Jai Chauhan vansh
@@amit9507 Jay Rajputana bhai 😊
Right bro
Best video for chouhan
नाम- आदित्य राज सिंह चौहान
गोत्र - वत्स
वंश - सूर्यवंश
9024045396 cl me
वतदमस गोत्र तो ब्राह्मणों का होता है अगर चौहानों का भी यही गोत्र है तो आप सही है
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
@@aabhishekschauhaan5596आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी आपने मेरेको इस जानकारी से अवगत कराया। जय श्री राम जय राजपूताना
Jai rajputana ♥️😍
ATISUNDER. JAI MAA BHAWANI
बहुत अच्छी जानकारी भाई धन्यवाद हमारे पुर्वजों के इतिहास के बारे में ज्ञान हमें भी मिल जाये
अभी टिप्पणीकार कई अनर्गल बातें कर रहे है टिप्पणी में उस से कुछ नहीं होगा
मर्द हों तों अब अपना इतिहास लिख के बताओं
I AM PROUD OF CHOHAN DESCENDANT
चार क्षत्रिय वश से उत्पन्न हुए गुरू विशिष्ट जी वो पहला प्रति हार पवार चौहान सोलंकी और चरू से हुई डोडिया की उत्पत्ति हुई है
Thanks Sir gi for rajasthan gk
सर महाभारत में दृष्टधूमन और द्रोपदी की उत्पत्ति भी एक यज्ञ के द्वारा ही हुई थी।
Jay mataji,,,,, bahut hi badiya tarike se prastut kiya apne,,,, bahut jankari prapt huyi apke madhyam se,,,,
Very Nice Information👌👌🔥👍🙏🙏
mera nam dharmesh palwal he or me GUJRAT BHAVNAGAR SE HU ME AAPKE SABHI VIDEO DEKHTA HU
JAI SHREE RAM JAI RAJPUTANA HAMARA CHATRIYA OR RAJPUT HUM SAB EK HAI 🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩
Thank you so much sir
Aapke video bahut ache se samjh aa rhe h....
Please sir marwar riyasat ka part bhi baniye...
Thanks
I m chauhan Rajput.Thanks for detailed information.
सर राजस्थान के G. K. के बाद भारत एवं विश्व के G. K. के महत्वपूर्ण टॉपिक करवा ĺ
Sir Aap ke sabhi video bhut aachi h Thank you sir. Aap ne Hamari itni sahayta ki
राजस्थान g.k. के बाद करवा देंगे
@@BHARDWAJCLASSESRAMAN
Thank you sir. 😃😃
Jai MA ashapura...... (Vatsa)
Jai Rajputana🚩
Jai jai Rajputana
Jai bhawani
चौहान की उत्पत्ति अग्नि कुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम मे हुई हैं । अग्नि वंश हैं ।
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
@@aabhishekschauhaan5596 hum bhi chandravanshi k rajput hai⚔️💪jai bhawani
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
चौहान राजपूत की उत्पत्ति अग्निकुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम में हुई है । हम अग्नि वंश हैं ।।
राजपूत चौहान की उत्पत्ति अग्निकुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम में हुई है। हम अग्नि वंश हैं
गहलोत वंश के बारे में बताइए वीडियो हमें वीडियो का इंतजार रहेगा
Pehli bar kisi ne dil jeeta he itna eshpacht roop se samjaya ek ek ke bare me chohan cool ke bare me
Tnk.
“जीतने का मजा तब ही आता है,जब सभी आपके..हारने का इंतजार कर रहे हो!”
Bheel were greatest fighters they helped R@na pr@tap in second h@ldi ghati war and to great extent Won war but historians appreciated RanaPratap more reality is otherwise
पृथ्वी राज chauhan जिंदाबाद
Smart prithviraj chauhan ji ka nema samman se lo
I can't express how Amerzing information sirji🙏🏻🙏🏻
Sir so good Kya gjab ka explain Kiya. H topic m hi interest bna Diya
Appka bhaut bhaut Sukriya ji
ये राजपूत चौहान सबसे ऊंची इनकी शान 🚩🚩🚩
सबसे ऊंचे राजपूत सूर्यवंशी हैं चौहान सूर्यवंशी नहीं होते इसलिए बेकार की बात न करो
हम सूर्यवंशी ही सबसे बड़े राजपूत है
@@AshutoshRaghuvanshi3740 Bhai Rajputo me kab se chota bda hone lga , Rajput matlab Rajput Sabhi Rajput Mahan aur unche hh .
@@AshutoshRaghuvanshi3740 Ha aur Apko kisne kaha ki Chauhan Suryavanshi nhi hote , Chauhan Agnikulin Suryavanshi hh
चौहान भाईयो की वीरता कों नमस्कार
मुझे गर्व है अपने पूर्वजों पर...🙏
Kaise😂😂
Raman jii...tq so much
Splendid efforts for our history. I am obliged to you sir.
Rajesthan 4 Royal family ( Kota , bundi, sirohi , neemrana ) beloged Chauhan clan .
Yes I'm indrasalot hada Chauhan
Uttarakhand me 1,00,000+ se jydaa chauhan rehte hai 👑🇮🇳
DURGA CHAUHAN
Gujarat
Rajasthan
Up
Mp
Bihar
Hariyana
Kashmir sabhi jagh Chauhan he Sister
Sabhi state me rahete he
Sisodiya rajput ka chohan rajput ko naman 🥰
Bhot Achi or scha itihaas
Sir
Aapka bhot bhot Dhanyvaad
Jai mata Di
Jai Rajputana
Jai Hind