Muje jab b lagta ha me ne Khan sahib ko Sara sun lya lkn phr koi cheez samne aa jati ha ye phli dafa me ne Suni ha hayiii kia Dard ha aur methi awaz ha Khan sahib ki .Allah jant me ahla maqam ata farmai Ameen....
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया जैसे ख़ुश-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-बहार आ गई जैसे पैग़ाम-ए-दीदार-ए-यार आ गया जिस की दीद-ओ-तलब वहम समझे थे हम रू-ब-रू फिर सर-ए-रहगुज़ार आ गया सुब्ह-ए-फ़र्दा को फिर दिल तरसने लगा उम्र-ए-रफ़्ता तिरा ए'तिबार आ गया रुत बदलने लगी रंग-ए-दिल देखना रंग-ए-गुलशन से अब हाल खुलता नहीं ज़ख़्म छलका कोई या कोई गुल खिला अश्क उमडे कि अब्र-ए-बहार आ गया ख़ून-ए-उश्शाक़ से जाम भरने लगे दिल सुलगने लगे दाग़ जलने लगे महफ़िल-ए-दर्द फिर रंग पर आ गई फिर शब-ए-आरज़ू पर निखार आ गया सरफ़रोशी के अंदाज़ बदले गए दावत-ए-क़त्ल पर मक़्तल-ए-शहर में डाल कर कोई गर्दन में तौक़ आ गया लाद कर कोई काँधे पे दार आ गया 'फ़ैज़' क्या जानिए यार किस आस पर मुंतज़िर हैं कि लाएगा कोई ख़बर मय-कशों पर हुआ मोहतसिब मेहरबाँ दिल-फ़िगारों पे क़ातिल को प्यार आ गया VIDEOS THIS VIDEO IS PLAYING FROM RUclips यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है संपादक की चुनिंदा ग़ज़लें संपादक की चुनिंदा ग़ज़लें चुनिंदा शायरी संपादक की चुनिंदा नज़्में संपादक की चुनिंदा नज़्में चुनिंदा शायरी प्रसिद्ध उर्दू कवितायें प्रसिद्ध उर्दू कवितायें नज़्मों का विशाल संग्रह - उर्दू शायरी का एक स्वरुप नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है। अगली ग़ज़ल सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ पिछली ग़ज़ल वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ COMMENT SHARE YOUR VIEWS Comments 2 Add a comment… CANCELCOMMENT R Rubina Shaikh 1 year ago Please give translations along. Or key word meanings REPLY Y Younus Ali 2 years ago please explain the poem REPLY आप ये भी पढ़ सकते हैं हमारी पसंद मजरूह सुल्तानपुरी जला के मिशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले मजरूह सुल्तानपुरी हबीब जालिब वतन को कुछ नहीं ख़तरा निज़ाम-ए-ज़र है ख़तरे में हबीब जालिब मोहसिन नक़वी तिरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है मोहसिन नक़वी अली सरदार जाफ़री मैं जहाँ तुम को बुलाता हूँ वहाँ तक आओ अली सरदार जाफ़री जौन एलिया बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे जौन एलिया और खोजिए
Full Mehfil Available at "Moneeza Hashmi" youtube channel, but there full mehfll video is very noisy and low quality, Here this video and audio are enhanced and made noiseless
کلام فیض صاحب کا ہو ۔اور اس میں رنگ نصرت صاحب بھریں تو بے مثال شئے سامنے آتی ہے
1 hafte pahle ittafaq se ye kawwali mili , aaj video bhi mil gaya❤ . Utube par upload karne wale shakhsh ko tahe dil se shukriya 🙏
अल्लाह नुसरत साहब की मगफिरत फरमाए । अब ये आवाज कहां ।
Muje jab b lagta ha me ne Khan sahib ko Sara sun lya lkn phr koi cheez samne aa jati ha ye phli dafa me ne Suni ha hayiii kia Dard ha aur methi awaz ha Khan sahib ki .Allah jant me ahla maqam ata farmai Ameen....
Main phali bar son ra hon mazy aa ga kia music hai
جس منفرد انداز میں نصرت صاحب نے اس کلام کو پڑھا یہ ان کا ہی انداز ہے انہی کا ہی خاصہ ہے
رنگ تو فطرت کے ہیں یہ خود مل جاتے ہیں
Jinda ho aap aaj bhi❤❤❤
Very nice translation thanks for translation
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया
जैसे ख़ुश-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-बहार आ गई जैसे पैग़ाम-ए-दीदार-ए-यार आ गया
जिस की दीद-ओ-तलब वहम समझे थे हम रू-ब-रू फिर सर-ए-रहगुज़ार आ गया
सुब्ह-ए-फ़र्दा को फिर दिल तरसने लगा उम्र-ए-रफ़्ता तिरा ए'तिबार आ गया
रुत बदलने लगी रंग-ए-दिल देखना रंग-ए-गुलशन से अब हाल खुलता नहीं
ज़ख़्म छलका कोई या कोई गुल खिला अश्क उमडे कि अब्र-ए-बहार आ गया
ख़ून-ए-उश्शाक़ से जाम भरने लगे दिल सुलगने लगे दाग़ जलने लगे
महफ़िल-ए-दर्द फिर रंग पर आ गई फिर शब-ए-आरज़ू पर निखार आ गया
सरफ़रोशी के अंदाज़ बदले गए दावत-ए-क़त्ल पर मक़्तल-ए-शहर में
डाल कर कोई गर्दन में तौक़ आ गया लाद कर कोई काँधे पे दार आ गया
'फ़ैज़' क्या जानिए यार किस आस पर मुंतज़िर हैं कि लाएगा कोई ख़बर
मय-कशों पर हुआ मोहतसिब मेहरबाँ दिल-फ़िगारों पे क़ातिल को प्यार आ गया
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अगली ग़ज़ल
सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
पिछली ग़ज़ल
वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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R
Rubina Shaikh 1 year ago
Please give translations along. Or key word meanings
REPLY
Y
Younus Ali 2 years ago
please explain the poem
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मैं जहाँ तुम को बुलाता हूँ वहाँ तक आओ
अली सरदार जाफ़री
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बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे
जौन एलिया
और खोजिए
No words❤❤❤❤❤❤
Same tune of "tum agar yu hi nazre milate rhe"
Faiz + Nusrat ❤❤❤
Allah NfAk ko janat ferdos ata farmaye Ameen ❤
فیض صاحب نے بہت لاجواب کلام لکھا
Dard tehrao kalakaari sy Bhara hua kaam Mere khan sahib ka❤️
دلوں کو چھو لینے والی شاعری ❤❤❤🎉🎉
Mujhe to Rona a gaya 💗💗💗💗💖💖💖💖💓💓💓💓
Islam soon kr
Very good
ਵਾਹ g ਵਾਹ
First time heard this kalam,,,wah
🌹Ya waris🌹❤🌹heq waris🌹
वाह उस्ताद
Vree
Good
Love u Ustad NFAK
Boht khoob janab. Boht boht shukriya
Ustad voice Of king ha
Very nice 🌹👍🌹 Lajawaab bakmaal
❤❤❤❤❤❤
🌹Ya waris🌹🤲🌹karem🌹
Mashallah Bohat Khoob
Ghazal ka behtreen shringaar Kiya Aapne, Nusrat Sahab
Wa wa wa wa
❤ بہت اعلی ❤
Very very nice
Stars on the skay❤
لاجواب
Baa kamaaal
Baa kamaal
@Faisal Nadeem:🌹✌🌹🤲🌹🤲🌹✌🌹
Barrii barrii madams beth k sootty laga rahi hin waah
❤️❤️❤️
❤❤❤🎉🎉🎉
❤🩹🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Please upload the full mehfil.
Full Mehfil Available at "Moneeza Hashmi" youtube channel, but there full mehfll video is very noisy and low quality, Here this video and audio are enhanced and made noiseless
@@faisalmusic3566 Thank you so much
Very good
❤❤❤❤
Baa kamaaal