तीसरे दर्जे के श्रद्धेय - हरिशंकर || The Third-Class Respected - Harishankar Parsai || Story Times

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  • Опубликовано: 24 ноя 2024
  • तीसरे दर्जे के श्रद्धेय - हरिशंकर परसाई || The Third-Class Respected - Harishankar Parsai || Story Times
    इस व्यंग्य में, हरिशंकर परसाई ने एक बुद्धिजीवी की सामाजिक प्रतिष्ठा और आंतरिक वास्तविकता के बीच के अंतर को व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया है। समाज में दिखावे और वास्तविकता के टकराव की स्थिति को दर्शाते हुए, यह कहानी मानवीय और सामाजिक कमजोरियों को सामने रखती है।
    In this satirical piece, Harishankar Parsai portrays the conflict between the social status and inner reality of an intellectual. Highlighting the discrepancy between public appearance and true nature, this story exposes human and social frailties through wit and satire.
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