The first reference to the word Kayastha is in the famous drama मुद्राराक्षस by Vishakhdutta. राक्षस घनानंद के महामात्य थे । चंदनदास कोषाध्यक्ष थे । महामात्य राक्षस की मुद्रा यानी सील के अधीक्षक थे । उन दिनों न वर्णाश्रम व्यवस्था नहीं थी। राक्षस का अर्थ श्रेष्ठ पुरुष होता था। वास्तव में ये तीनों राजवंश के थे । कालांतर में जो व्यक्ति राजस्व का काम करते थे वे कायस्थ कहलाते थे। द्रष्टव्य मृच्छकटिकम् । कालांतर में पढ़ें लिखे लोग कायस्थ कहलाते थे। आज भी कायस्थ कलम दवात की पूजा करते हैं । कायस्थ कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार कायस्थ क्षत्रिय हैं।ये लोग उड़ीसा, बंगाल, असम, बिहार, यूं पी, राजस्थान में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं चित्रगुप्त की कथा एक मिथक है ।
सबसे पहले ये जानिये कि कायस्थ कहते किसे हैं ? जो ब्राह्मण कायस्थ (चित्रगुप्त) कुल में उत्पन्न होकर वेद लिखने का कार्य करते हैं, *उन्हें कायस्थ कहते हैं।* यथा- *द्विजातीनां यथा दानं यजनाध्ययने तथा।* *कर्तव्यानीति कायस्थै: सदा तु निगमान् लिखेत॥* अर्थ-कायस्थ ब्राह्मण जाति को पढ़ना-पढ़ाना, यज्ञकरना-यज्ञकराना, दानदेना-दानलेना तथा सदैव वेद को लिखना, ये सात कर्म निर्धारित किया गया है। *संदर्भ पद्मपुराण, उत्तरखण्ड।* ===================== वेद को ब्रह्मविद्या कहा गया है। इसे लिखने के पूर्व कायस्थ ब्राह्मण कलम-दावात और लेखनी के देव महाकाल चित्रगुप्त की पूजा करते थे। वे महाकाल चित्रगुप्त से प्रार्थना करते थे कि हे भगवन् वेद लिखने में हमसे त्रुटि न हो ऐसी कृपा हम पर बनायें। पूजा के बाद 24 घंटे कलम नहीं चलाते थे, अगले दिन से वेद लिखने का कार्य करते थे। *ये परम्परागत आज भी विद्यमान है।* ===================== किसी मूढ द्वारा मीडिया पर एक झूठी कथा प्रचारित की गयी है। उस कथा में बताया गया है कि वसिष्ठ जी ने महाकाल चित्रगुप्त को निमंत्रण नहीं दिया था, जिसके कारण महाकाल चित्रगुप्त नाराज हो गये। झूठी कहानी बनाने वाले को पता नहीं है कि महाकाल चित्रगुप्त के पास उनके अनुमति के बिना सशरीर कोई भी यमलोक में प्रवेश ही नहीं कर सकता क्योंकि यमलोक देव-दानवों से अभेद्य है। यथा- *याम्नैर्ऋतयोर् मध्ये पुरं वैवस्वताय तु।* *सर्वं वज्रमयं दिव्यमभेद्यं तत् सुरासुरै॥* अर्थ-स्वर्ग के दक्षिण और नैऋत्य दिशा के मध्य में यमपुरी स्थित है, वह सम्पूर्ण हीरे के समान दिव्य और देव-दानवों से अभेद्य है। *संदर्भ-गरुडपुराण, अध्याय-33।* ===================== सभी सनातनियों को ध्यान देना चाहिए कि यमलोक -ऋषि, देव, दानव सहित सभी 84 लाख योनियों का कारागार है, वहीं महाकाल चित्रगुप्त द्वारा ऋषि, देव, दानव को दण्ड दिया जाता है। यथा- *अभयंचात्र यच्छामि ब्राह्मणेभ्यो न संशयः।* *तस्माद्यात ऋषिभ्यश्च स्त्रीभ्यश्चैव महाबलाः।* *यातनाया न भेतव्य महमाज्ञापयामि वः।* अर्थ- महाकाल चित्रगुप्त यमदूतों से बोले-मैंने ब्राह्मणों को अभयदान दिया है, इसमें संशय नहीं है। ऐसे ही चाहे ऋषि हों, स्त्री हों या महाबली हों, उन्हें दण्ड देने में भेद मत करो, ये मेरा आदेश है। *संदर्भ-वाराहपुराण, अध्याय-204।* ===================== भगवान् चित्रगुप्त के पास उनके सेवक यमराज, अन्य यम तथा यमदूत ही अपनी इच्छानुसार जा सकते हैं, मृत्युलोक के प्राणी वहां नही जा सकते। *अवतार भी मृत्युलोक का नियम पालन करते हैं।* ===================== *भगवान् चित्रगुप्त के विषय में जानें--* भगवान् ब्रह्मा से 18 मानस सन्तान प्रकट हुए थे, उनमें से-- 1-भगवान् ब्रह्मा के 10 अलग-अलग अंगों से 10 ऋषि उत्पन्न हुए, *जो भगवान् ब्रह्मा के दशांश शक्ति के हैं।* 2-भगवान् रुद्र (शंकर)-भगवान् ब्रह्मा के *क्रोध से* प्रकट हुए, ये *संहारक* कहे गये हैं। 3-महाकाल चित्रगुप्त-भगवान् ब्रह्मा की *काया (सर्वांग शरीर) से* प्रकट हुए थे, इन्हें *प्रलयकारी* कहा गया है। 👉 संहार प्राणी का होता है और प्रलय सम्पूर्ण सृष्टि का। ===================== ये पौराणिक प्रसंग है, इनमें शक्तियों को समझकर देवों की व्याख्या करनी चाहिए। ===================== पं० मनोज श्रीवास्तव (श्रीहर्षगौड) "अध्यक्ष" महाकाल चित्रगुप्त ट्रस्ट, गोरखपुर। =====================
As per the 1779 AD letter of council of Pandits of Benaras to the Brahmin Peshwa Darbar regarding varna status of various Kayastha subgroups, the Chitraguptavanshi Kayastha are Brahmins (Kayastha Brahmin/ Brahma Kayastha) while the CKP are Kshatriya
Very good attempt to cover history of all branches of kayastha.If possible please make video of all 12 kayasthas separately such as mathur karan srivastava etc.many many thanks
@@AcharyaBharatBhushanGaur acharya ji padm puran mein hain ye brahman hotey hai. Jwaala prasad mishra ji ki pustak mein brahmano uttpatti ke andar 12 gaur brahman aur 15kayasth jaatiyon ke udbhav ke baare mein bataya gaya hai.
OCT 21 Kayastha heros 2 Kayastha are pure in Kshatriya and having upper cast status in India . kayastha were rulers of most part of ancient Bharat . Many part of ancient India were ruled by kayasthas ,like In bengol Gaud or Gaur kayastha ,inTakshila ambast kayastha ambi , in Vijay nagar aandra Krisnadev raay , In ayodhya Chadraseniya Shrivastav Raje , in orrisa was Pattnaiik kingdom , In etah king was Mahendra Man Saxena , In Mugal period kayastha king were Raja Todar mall , Raja Naval Rai ,Maharaja bahadur Tikait Ray and many more ruler were from kayastha family . Due to war and other reasons many kayastha family migrated from east north area to west India some known as Chandraseniya Kayasth prabhu , Meaning of Kayastha word - Lord of human body or Master of body or Soul . कायस्थ'=क+अ+इ+स्थ क=काया या शरीर में ;अ=अहर्निश;इ=रहने वाला;स्थ=स्थित। 'कायस्थ' का अर्थ है शरीर में अहर्निश स्थित रहने वाला सर्व-शक्तिमान आत्मा , या शरीर का अधिपति (राजा ) महाराज चित्रगुप्त के वंसजों को "कायस्थ " कहा जाता है महाराज चित्रगुप्त प्राचीन " सारस्वत " के राजा थे जो वर्त्तमान पंजाब आदि का क्षेत्र है । सारस्वत में निवाश करने वाले ब्राहमण सारस्वत ब्राहमण कहे गये तथा कायस्थों के विभिन्न क्षेत्रो स्थानांतरण के समय भी उनके साथ गये । ये ब्राहमण कायस्थों के गुरु हुआ करते थे और कायस्थ इनकी रक्षा करना अपना कर्तव्य समझते थे । आईये देखते हैं वेद - पुराणो में कायस्थों के बारे में क्या लिखा गया है :- ऋग्वेद में श्री चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान राजा के नाम से सम्बोधित किया गया है " चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु । पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८" गरुण पुराण मे चित्रगुप्त को कहा गया है :- "चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदअक्षरदात्रे " (वेदो को अक्षर देने वाले भगवान् चित्रगुप्त को नमन ) पदम् पुराण (उत्तर खन्द्) के अनुसार :- ब्रहमा जी ने चित्रगुप्त जी से कहा:- क्षात्रवर्णोचितो धर्म: पालनियो यथाविधि। प्रजाँ सृजस्व भो पुत्र भूमिभार समाहितम॥ अर्थात तुम वहाँ क्षत्रिय धर्म का पालन करना और पृथ्वी में बलिष्ठ प्रजा उत्पन्न करना। कमलाकरभट्ट क्रित वृहत्ब्रहम्खण्ड् में लिखा है- भवान क्षत्रिय वर्णश्च समस्थान समुद्भवात्। कायस्थ्: क्षत्रिय: ख्यातो भवान भुवि विराजते॥ यजुर्वेद आपस्तम्ब शाखा चतुर्थ खंड यम विचार प्रकरण से ज्ञात होता है कि महाराज चित्रगुप्त के वंसज चित्ररथ ( चैत्ररथ ) जो चित्रकुट के महाराजाधिराज थे और गौतम ऋषि के शिष्य थे । वाहवोश्च क्षत्रियजाताह कायस्थः जगतीतले चित्रगुप्तः स्थितिः स्वर्गो विचित्रो भूमिमण्डले चैत्ररथः सुतः तस्य यशस्वी कुलदीपकः ऋषि वंशे समुद् भूतो गौतमो नाम सत्तमः तस्य शिष्यो माहप्रज्ञाह चित्रकूटा चलादयिपः माण्डव्य शापात चितरगुप्तस्य पुत्र चैत्ररथस्य क्षतियतव गते पुनः उपनयन संस्कार कृते तेन क्षत्रियतावं प्राप्तम । स्कंद पुराण में कायस्थ के सात लक्षणों को बताया गया है । " विद्या वाश्च्य शुचि; धीरो , दाता परोप्कराकः ! राज्य सेवी , क्षमाशील; कायस्थ सप्त लक्षणा ; !! जब स्वमिविवेकानंद जी धर्म सभा के लिए शिकागो जाना था उस समय ब्राहमण उनसे चिढ गये और और स्वामी जी को किसी भी प्रकार विश्व धर्म सभा में जाने से रोकने का षड्यंत्र करने लगे और ब्राहमणों ने आपस में विचार कर स्वामी जी को शुद्र कहा और कहे शुद्र को धर्म सभा में जाने का अधिकार नहीं । इस पर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा - स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था - "समाज सुधारकों की पत्रिका में मैंने देखा कि मूझे शूद्र बताया गया है और चुनौती दी गई है कि शूद्र संन्यासी कैसे हो सकता है। इस पर मेरा जवाब है : मैं अपना मूल वहां देखता हूं जिसके चरणों में हर ब्राह्मण ये कहते हुए वंदना करता है और पुष्प अर्पित करता है - यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नम:। और जिनके पूर्वपुरुष क्षत्रीय में भी सबसे पवित्र गिने जाते हैं। अगर आप अपने धर्मग्रंथों और पुराणों पर विश्वास रखते हैं तो उन तथाकथित सुधारकों को ये मालूम होना चाहिए कि अतीत में दूसरे योगदान के अलावा मेरी जाति ने कई सदियों तक लगभग आधे भारत पर शासन किया है। अगर मेरी जाति की बात छोड़ दी जाए तो वर्तमान भारतीय सभ्यता में क्या शेष रह जाएगा। 😢 "पूरब हो या पश्चिम या हो उत्तर दक्षिण , धर्म हो या राजनीती हो , या शिक्षा विज्ञानं जहाँ चाहे देख लो कायस्थ हैं महान ।" मंत्री श्री धर्मराजस्य चित्रगुप्तः शुभंकरः। पायान्मां सर्वपापेभ्यः शरणागत वत्सलः॥
WHATSAPP UNIVERSITY. BENGALI KAYESTOS HAVE NOTHING TO DO WITH CHITRAGUPTVANSHI KAYASTHAS. KAYASTHA IS A CASTE AS WELL AS A TITLE THAT HAS SEVERAL MEANINGS.
Pranam Guru ji 🙏 Is Gyan darshan ke anusar Kayastha ka vivah kayastha me toh nahi hua fir inka vanshaj kayastha me kaise vivah kar rahe hain. Ya apko contact karne ka upay batayein
भगवान श्री चित्रगुप्त जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने ११००० हजार वर्ष तक तपस्या की। ब्रह्म की संतान ब्रह्मा विष्णु महेश चित्रगुप्त हुये। ब्रह्मा रचते सृष्टि सारी विष्णु पालन करते। रूद्र संहारक चित्र गुप्त ब्यौरा पाप पुण्य रखते। भगवान श्री चित्रगुप्त जी का भजनीय महामंत्र। चित्रगुप्त नारायण, नारायण नारायण हरे हरे। डॉ वी के श्री वास्तव चित्रगुप्त मंदिर चित्रगुप्त नगर रायबरेली उत्तर प्रदेश।
जो आपने सुनाया वह सब गूगल पर उपलब्ध है, इसमे क्या नया है? महोदय मुझे नन्दकुलियार की कुलदेवी मन्दिर की जानकारी चाहिए मुझे कहा से उपलब्ध होगी? क्या जीवणमता सभी कायस्थों की कुलदेवी मानी जायेगी??
पद्म पुराण का उत्तर खंड पढ़िए. कायस्थ गौड़ ब्राह्मण ही हैं। पद्म पुराण में इनके गोत्रों के बारे में बताया गया है। कायस्थ ब्राह्मणों से श्रेष्ठ हैं। पढ़िए और प्रचारित कीजिए।
जितने भी कायस्थ कुल वंशज इस वीडियो को देख चुके हैं और देख रहे हैं या भविष्य में देखेंगे आप सभी लोगों से एक प्रश्न है कि - क्या भगवान श्री चित्रगुप्त जी एवं कायस्थ कुल वंशज इस मन्वंतर के कलियुग में प्रकट हुए थे??
Jaisa ki is lekha me Diya hai Harshlaxmi kuldevi hai aur kisi book me mene dekha tha ki shree harsh gotra hai.hum agyantavash Kashyap batate rahe.@@DKumar-rr3kb
Kayasth charo wrno se alag hai jo ki dev putra hai ,pure brahmand ke nyayadhish bhgwan chitragupt ke bans hai,aur Jo we pure prithwi par santi sthapna ke lie aur Sanatan dharm ke raksha ke lie veje gayen hai, jo ki janun se charo warno se shresht rahte hue bhi apni jatiye shrestha ko na batakar karm pardhan bhumi bnae ke chakar me kud hi dabal arakshan ka sikar ho gya ,jo ki Sanatan dharm aur Bharat bhumi ,aur pure brahmand ke chaumukhi bikas me apna pura yogdan deta tha hai,jaise ,sant Shri, shri,1008shri mahes Yogi,Swami vivekanand,Swami yoga nand ,Sankar dew ,sant Shri ,shri 108 shri munsi ji mharaj ,sant narotam das, sant arbind Ghosh,neta ji subhas chandra bos khudi Ram bos,santi swaroop bhatnagar ,satendra nath bos Dr, rajendra parsad ,bhadur sastri ,har kshetra me imandari se karm pardhan ko age rakar Kam Kiya ,
*महाकाल चित्रगुप्त जी के द्वादश पुत्र चैतन्य स्वरूप श्रवण कुमार नाम से इस प्रकार हैं :-* गुरु निगम गौड गुरु गौतम गौड गुरु श्रीवास्तव गौड गुरु हर्याणा गौड गुरु वाल्मीकि गौड गुरु वशिष्ठ गौड गुरु सूर्य गौड गुरु दालभ्य गौड गुरु सुखसेन गौड गुरु भट्ट गौड गुरु सौरभ गौड गुरु माथुर गौड इन्होंने सृष्टि के आरम्भ में ऋषि पुत्रों को लिखना सिखाया था। इस कारण इनको गुरु का आस्पद प्राप्त है।
सर aap meri kul devi ke bare मे bata de मे aapka abhari rahonga mera name kamlesh shrivastava है मे गुना m. P. मे rahta hoo mera gotr gaheliya है kyu ki मे बहुत paresaan rahta hoo
Kaesth jati bara chatur chalak chaitanya hai aur samaj main bara hi pratishthit raha hai par samanya rup se ershalu aur mukh biri karnewala bhi hai. Har jati mahapurush huye hai.apwad har samaj hota hai
actually kayasth are varnsankar they are besicly 2 types ambastha- brahman father and vaisy mother karan- vaisya father and shudra mother ksatriya father and brahman mother born chaild knowan as soota i.e equivalent shudra eg mahabharat karan
@@RADHEYRADHEY-gf9pr What’s your source? I’m quoting from our scriptures like padma puran, Yam samhita,garud puran,bhavishya puran etc+ Swami Vivekanand (an authority)..infant kayasth are the most educated forward caste..last caste survey of India held in 1931 kayasth were the most literate caste( u can check 70 out of 100 kayasth while 29 out of 100 brahmin in UP..I’m not defaming any caste but these r fact). Till date kayasth r most educated n richest hindu caste u can also check this..Secondly Please correct your fact about Karna, he was not as shudra, don’t go by the TV serial projections..SOOT means Kshatriya father and Brahmin Mother..Soots were not shudras, they were also high class.Hope it helps!
E dwij hai bhaguwan chitragup brahmaji se brahmkshatriy autar hai Jo dwil autar hue isiliye general cast m hai ataha inko kayast category likhte hai inka matlab adha brahman adhe kshatriya tabhi e varno se alag hai
शोधपरक व प्रामाणिक जानकारी है। बहुत सुन्दर।
Kaysthasamajkejankaresamaghanaikailiadhanyaba d
इतने विस्तार से वंशावली की जानकारी आपने दिया है जो बहुत ही ज्ञानवर्धक है ।इतने विस्तार से वंशावली का तो पता ही नही था ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
आभार जी
The first reference to the word Kayastha is in the famous drama मुद्राराक्षस by Vishakhdutta. राक्षस घनानंद के महामात्य थे । चंदनदास कोषाध्यक्ष थे । महामात्य राक्षस की मुद्रा यानी सील के अधीक्षक थे । उन दिनों न वर्णाश्रम व्यवस्था नहीं थी। राक्षस का अर्थ श्रेष्ठ पुरुष होता था। वास्तव में ये तीनों राजवंश के थे । कालांतर में जो व्यक्ति राजस्व का काम करते थे वे कायस्थ कहलाते थे। द्रष्टव्य मृच्छकटिकम् । कालांतर में पढ़ें लिखे लोग कायस्थ कहलाते थे। आज भी कायस्थ कलम दवात की पूजा करते हैं । कायस्थ कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार कायस्थ क्षत्रिय हैं।ये लोग उड़ीसा, बंगाल, असम, बिहार, यूं पी, राजस्थान में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं चित्रगुप्त की कथा एक मिथक है ।
Nice and well researched video. Thanks for the video
आपको कोटि कोटि साधुवाद ईश्वर का आशीर्वाद सदैव बना रहे 🥰❤️🚩❤️🚩❤️❤️🚩
बहुत अच्छी जानकरी दी है आपने बहुत बहुत धन्यवाद. आनंद कुमार सक्सेना
Aapne jo prastut kiya hai yah adbhut hai.Aap ko bahut.bahut.badhai.
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी
जय श्री चित्रगुप्त भगवान की
Bistrit barnan ke liye dhanyavad 🌹❤️🌹
सबसे पहले ये जानिये कि कायस्थ कहते किसे हैं ?
जो ब्राह्मण कायस्थ (चित्रगुप्त) कुल में उत्पन्न होकर वेद लिखने का कार्य करते हैं, *उन्हें कायस्थ कहते हैं।* यथा-
*द्विजातीनां यथा दानं यजनाध्ययने तथा।*
*कर्तव्यानीति कायस्थै: सदा तु निगमान् लिखेत॥*
अर्थ-कायस्थ ब्राह्मण जाति को पढ़ना-पढ़ाना, यज्ञकरना-यज्ञकराना, दानदेना-दानलेना तथा सदैव वेद को लिखना, ये सात कर्म निर्धारित किया गया है।
*संदर्भ पद्मपुराण, उत्तरखण्ड।*
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वेद को ब्रह्मविद्या कहा गया है। इसे लिखने के पूर्व कायस्थ ब्राह्मण कलम-दावात और लेखनी के देव महाकाल चित्रगुप्त की पूजा करते थे। वे महाकाल चित्रगुप्त से प्रार्थना करते थे कि हे भगवन् वेद लिखने में हमसे त्रुटि न हो ऐसी कृपा हम पर बनायें। पूजा के बाद 24 घंटे कलम नहीं चलाते थे, अगले दिन से वेद लिखने का कार्य करते थे। *ये परम्परागत आज भी विद्यमान है।*
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किसी मूढ द्वारा मीडिया पर एक झूठी कथा प्रचारित की गयी है। उस कथा में बताया गया है कि वसिष्ठ जी ने महाकाल चित्रगुप्त को निमंत्रण नहीं दिया था, जिसके कारण महाकाल चित्रगुप्त नाराज हो गये। झूठी कहानी बनाने वाले को पता नहीं है कि महाकाल चित्रगुप्त के पास उनके अनुमति के बिना सशरीर कोई भी यमलोक में प्रवेश ही नहीं कर सकता क्योंकि यमलोक देव-दानवों से अभेद्य है। यथा-
*याम्नैर्ऋतयोर् मध्ये पुरं वैवस्वताय तु।*
*सर्वं वज्रमयं दिव्यमभेद्यं तत् सुरासुरै॥*
अर्थ-स्वर्ग के दक्षिण और नैऋत्य दिशा के मध्य में यमपुरी स्थित है, वह सम्पूर्ण हीरे के समान दिव्य और देव-दानवों से अभेद्य है।
*संदर्भ-गरुडपुराण, अध्याय-33।*
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सभी सनातनियों को ध्यान देना चाहिए कि यमलोक -ऋषि, देव, दानव सहित सभी 84 लाख योनियों का कारागार है, वहीं महाकाल चित्रगुप्त द्वारा ऋषि, देव, दानव को दण्ड दिया जाता है। यथा-
*अभयंचात्र यच्छामि ब्राह्मणेभ्यो न संशयः।*
*तस्माद्यात ऋषिभ्यश्च स्त्रीभ्यश्चैव महाबलाः।*
*यातनाया न भेतव्य महमाज्ञापयामि वः।*
अर्थ-
महाकाल चित्रगुप्त यमदूतों से बोले-मैंने ब्राह्मणों को अभयदान दिया है, इसमें संशय नहीं है। ऐसे ही चाहे ऋषि हों, स्त्री हों या महाबली हों, उन्हें दण्ड देने में भेद मत करो, ये मेरा आदेश है।
*संदर्भ-वाराहपुराण, अध्याय-204।*
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भगवान् चित्रगुप्त के पास उनके सेवक यमराज, अन्य यम तथा यमदूत ही अपनी इच्छानुसार जा सकते हैं, मृत्युलोक के प्राणी वहां नही जा सकते।
*अवतार भी मृत्युलोक का नियम पालन करते हैं।*
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*भगवान् चित्रगुप्त के विषय में जानें--*
भगवान् ब्रह्मा से 18 मानस सन्तान प्रकट हुए थे, उनमें से--
1-भगवान् ब्रह्मा के 10 अलग-अलग अंगों से 10 ऋषि उत्पन्न हुए, *जो भगवान् ब्रह्मा के दशांश शक्ति के हैं।*
2-भगवान् रुद्र (शंकर)-भगवान् ब्रह्मा के *क्रोध से* प्रकट हुए, ये *संहारक* कहे गये हैं।
3-महाकाल चित्रगुप्त-भगवान् ब्रह्मा की *काया (सर्वांग शरीर) से* प्रकट हुए थे, इन्हें *प्रलयकारी* कहा गया है।
👉 संहार प्राणी का होता है और प्रलय सम्पूर्ण सृष्टि का।
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ये पौराणिक प्रसंग है, इनमें शक्तियों को समझकर देवों की व्याख्या करनी चाहिए।
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पं० मनोज श्रीवास्तव (श्रीहर्षगौड)
"अध्यक्ष"
महाकाल चित्रगुप्त ट्रस्ट, गोरखपुर।
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बिलकुल सत्य है
बिल्कुल सत्य है और इसमें कोई संदेह नहीं है। ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः।🙏🙏
Chitrgupt Vanshaj ki jankari ke liye bahut bahut dhanyvad sat sat Pranam
कोई धन्यवद के पात्र नहीं है ये लोग
इन्हीं लोगो का दैन है कि कायस्थ कुल वंशज गुरु ब्राम्हण वर्ग होते हुए भी भ्रमित रहते हैं
Bahut amulay jankari ke liye apko koti2dhanbad
पंडित जी!!सादर प्रणाम!!!चित्रांश वंश की जानकारी के लिए आपका हार्दिक साधुवाद!!!👌👌👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌🙏🙏🙏🙏
कोई साधुवाद के पात्र नहीं है ये।
सब गलत जानकारी दे रहे हैं, भ्रमित कर रहे हैं ताकि कायस्थ कुल वंशज श्रेष्ठ ब्राम्हण वर्ग में नहीं कहाए।
Mai bhatnagar hokol devi naraj hai kya karu
Chitransh matlb?
@@ggodfatherआपको इतना भी नहीं पता कि चित्रांश कौन है??? भगवान श्री चित्रगुप्त जी के वंशज ""चित्रांश "कहलाते है!!
Ye konsa Pandit hai
😂😂😂😂
Ye khud identity crises se jujh rha hai
🙏🙏🙏🌼🌼very much good nice vislesion thanks for you
Bahut sundar jankari hraday se aabhar 🙏
🙏🌹🚩🇭🇺. JAI. SWAMI CHITRAGUPT. JI. MAHARAJ,. RESPECTED. GURUDEV,. VERY. FINE. INFO. THANK. YOU,. I,. FEEL. GLORY. BEING. A. KAYASTHA,
I'm Kayasth Srivastava from Patna
I respect this attempt.
As per the 1779 AD letter of council of Pandits of Benaras to the Brahmin Peshwa Darbar regarding varna status of various Kayastha subgroups, the Chitraguptavanshi Kayastha are Brahmins (Kayastha Brahmin/ Brahma Kayastha) while the CKP are Kshatriya
CKPs are something like Brahmakshatriya or Vedic Kshatriya different from Rajputs
All kayastha are क्षत्रिय, एवं पदम।पुराण clearly calls chitragupt as kshatriya , so all are kshatriya
बहुत मूल्यवान ऐतिहासिक जानकारी
कुल वंशज जातियो के प्रमाण मे संशय हो सकता है।लेकिन कौशल तेजस्विता योग्यता के मामले मे हर देश काल मे सर्वश्रेष्ठ रहे है।
बहुत बढ़िया 👍💐🌷 शुभकामनाएं
आपका हार्दिक साधुवाद आचार्य जी
Bhagwan Vishnu Ji ko koti koti pranam aapki mahima aprampar hai
Nice Laxmi Narayan VirnaveVillageChandanDist Banka Bihar
हार्दिक धन्यवाद पंडितजी
M bhi mathur hu pr mujhe apne baare m kuch bhi pta nhi tha.dhanyabad aapka.
I like your thoughts
Hami Vanshawali Ki Jankri Dene ke liye Bahut bahut dhanyawad
Great ❤️
लेखन, भाषा , हिसाब किताब के पौराणिक कुल कायस्थ हैं,जो ब्राह्मण वर्ण से भी श्रेष्ठतम रहा है परन्तु ह्रदय पक्ष , कमजोर होने के कारण समाज से कटे रहे।
Very nice jankari di h me bhi saxena hoo
जय चित्रगुप्त महाराज की जय हों
Pranam panditji Thanks 🙏🙏
Dhanyvad pandit Ji
Thanku soo much❤
Jai Ho Pandit Ji🙏🙏
Pandit ji kya app ambasto ki kula devi ji jankari dya shakta hny
Very good attempt to cover history of all branches of kayastha.If possible please make video of all 12 kayasthas separately such as mathur karan srivastava etc.many many thanks
जय हो गुरुदेव
जय हो
@@AcharyaBharatBhushanGaur acharya ji padm puran mein hain ye brahman hotey hai. Jwaala prasad mishra ji ki pustak mein brahmano uttpatti ke andar 12 gaur brahman aur 15kayasth jaatiyon ke udbhav ke baare mein bataya gaya hai.
Great antalis sir ❤
Aacharya ji aap kripya kr ke iss information ka source bata dete toh bhaut kripa hoti
Yam Ditiya ke pawan avsar par Bhagwan Chitragupta ji ko Barambar Namaskar.
जय रघुवंशी बनिया समाज के बारे मे बतात्ये
जय अग्रसेन दादा
JAI SHREE CHITRAGUPTA 🌹🌹🙏🙏
बिसरिया गोत्र की कुलदेवी बताने की कृपा करे
Bahut badhiya
OCT
21
Kayastha heros 2
Kayastha are pure in Kshatriya and having upper cast status in India . kayastha were rulers of most part of ancient Bharat .
Many part of ancient India were ruled by kayasthas ,like In bengol Gaud or Gaur kayastha ,inTakshila ambast kayastha ambi , in Vijay nagar aandra Krisnadev raay , In ayodhya Chadraseniya Shrivastav Raje , in orrisa was Pattnaiik kingdom , In etah king was Mahendra Man Saxena , In Mugal period kayastha king were Raja Todar mall , Raja Naval Rai ,Maharaja bahadur Tikait Ray and many more ruler were from kayastha family .
Due to war and other reasons many kayastha family migrated from east north area to west India some known as Chandraseniya Kayasth prabhu ,
Meaning of Kayastha word - Lord of human body or Master of body or Soul .
कायस्थ'=क+अ+इ+स्थ क=काया या शरीर में ;अ=अहर्निश;इ=रहने वाला;स्थ=स्थित। 'कायस्थ' का अर्थ है शरीर में अहर्निश स्थित रहने वाला सर्व-शक्तिमान आत्मा , या शरीर का अधिपति (राजा )
महाराज चित्रगुप्त के वंसजों को "कायस्थ " कहा जाता है महाराज चित्रगुप्त प्राचीन " सारस्वत " के राजा थे जो वर्त्तमान पंजाब आदि का क्षेत्र है । सारस्वत में निवाश करने वाले ब्राहमण सारस्वत ब्राहमण कहे गये तथा कायस्थों के विभिन्न क्षेत्रो स्थानांतरण के समय भी उनके साथ गये । ये ब्राहमण कायस्थों के गुरु हुआ करते थे और कायस्थ इनकी रक्षा करना अपना कर्तव्य समझते थे ।
आईये देखते हैं वेद - पुराणो में कायस्थों के बारे में क्या लिखा गया है :-
ऋग्वेद में श्री चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान राजा के नाम से सम्बोधित किया गया है
" चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु । पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८"
गरुण पुराण मे चित्रगुप्त को कहा गया है :-
"चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदअक्षरदात्रे " (वेदो को अक्षर देने वाले भगवान् चित्रगुप्त को नमन )
पदम् पुराण (उत्तर खन्द्) के अनुसार :- ब्रहमा जी ने चित्रगुप्त जी से कहा:-
क्षात्रवर्णोचितो धर्म: पालनियो यथाविधि।
प्रजाँ सृजस्व भो पुत्र भूमिभार समाहितम॥
अर्थात तुम वहाँ क्षत्रिय धर्म का पालन करना और पृथ्वी में बलिष्ठ प्रजा उत्पन्न करना।
कमलाकरभट्ट क्रित वृहत्ब्रहम्खण्ड् में लिखा है-
भवान क्षत्रिय वर्णश्च समस्थान समुद्भवात्।
कायस्थ्: क्षत्रिय: ख्यातो भवान भुवि विराजते॥
यजुर्वेद आपस्तम्ब शाखा चतुर्थ खंड यम विचार प्रकरण से ज्ञात होता है कि महाराज चित्रगुप्त के वंसज चित्ररथ ( चैत्ररथ ) जो चित्रकुट के महाराजाधिराज थे और गौतम ऋषि के शिष्य थे ।
वाहवोश्च क्षत्रियजाताह कायस्थः जगतीतले
चित्रगुप्तः स्थितिः स्वर्गो विचित्रो भूमिमण्डले
चैत्ररथः सुतः तस्य यशस्वी कुलदीपकः
ऋषि वंशे समुद् भूतो गौतमो नाम सत्तमः
तस्य शिष्यो माहप्रज्ञाह चित्रकूटा चलादयिपः
माण्डव्य शापात चितरगुप्तस्य पुत्र चैत्ररथस्य
क्षतियतव गते पुनः उपनयन संस्कार कृते
तेन क्षत्रियतावं प्राप्तम ।
स्कंद पुराण में कायस्थ के सात लक्षणों को बताया गया है ।
" विद्या वाश्च्य शुचि; धीरो , दाता परोप्कराकः !
राज्य सेवी , क्षमाशील; कायस्थ सप्त लक्षणा ; !!
जब स्वमिविवेकानंद जी धर्म सभा के लिए शिकागो जाना था उस समय ब्राहमण उनसे चिढ गये और और स्वामी जी को किसी भी प्रकार विश्व धर्म सभा में जाने से रोकने का षड्यंत्र करने लगे और ब्राहमणों ने आपस में विचार कर स्वामी जी को शुद्र कहा और कहे शुद्र को धर्म सभा में जाने का अधिकार नहीं । इस पर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा -
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था -
"समाज सुधारकों की पत्रिका में मैंने देखा कि मूझे शूद्र बताया गया है और चुनौती दी गई है कि शूद्र संन्यासी कैसे हो सकता है। इस पर मेरा जवाब है : मैं अपना मूल वहां देखता हूं जिसके चरणों में हर ब्राह्मण ये कहते हुए वंदना करता है और पुष्प अर्पित करता है - यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नम:। और जिनके पूर्वपुरुष क्षत्रीय में भी सबसे पवित्र गिने जाते हैं। अगर आप अपने धर्मग्रंथों और पुराणों पर विश्वास रखते हैं तो उन तथाकथित सुधारकों को ये मालूम होना चाहिए कि अतीत में दूसरे योगदान के अलावा मेरी जाति ने कई सदियों तक लगभग आधे भारत पर शासन किया है। अगर मेरी जाति की बात छोड़ दी जाए तो वर्तमान भारतीय सभ्यता में क्या शेष रह जाएगा। 😢
"पूरब हो या पश्चिम या हो उत्तर दक्षिण , धर्म हो या राजनीती हो , या शिक्षा विज्ञानं जहाँ चाहे देख लो कायस्थ हैं महान ।"
मंत्री श्री धर्मराजस्य चित्रगुप्तः शुभंकरः।
पायान्मां सर्वपापेभ्यः शरणागत वत्सलः॥
Pranam Gurudev. Kulin kayastha MITRA jo BISHWAMITRA gotra K hai. Unke kuldevi Kaun hai. Kripya bataiye. 🙏
WHATSAPP UNIVERSITY. BENGALI KAYESTOS HAVE NOTHING TO DO WITH CHITRAGUPTVANSHI KAYASTHAS. KAYASTHA IS A CASTE AS WELL AS A TITLE THAT HAS SEVERAL MEANINGS.
Bhandbhaskar devi (char choliya,(mathur,kayastha)mata ka photo and place kaha h.. please send.
Jai ho bhagwaan jee lala
Jay kayastha 🤟 Saxena
Sinha kayasth ke Gotra gunaywar ki kul devi kon h please bataiye
Tely jati ki vansavly ke visay me bataye
Radhey Radhey
Ambastha, parashar gotra ki kuldevi kon h
Sir kripya bengal ke kayasthon ke bare mein bhi bataye 🙏
Pranam Guru ji 🙏
Is Gyan darshan ke anusar Kayastha ka vivah kayastha me toh nahi hua fir inka vanshaj kayastha me kaise vivah kar rahe hain.
Ya apko contact karne ka upay batayein
Inn sabhi baato ka source kya hai
इस हिसाब से सूर्यवंशी राजपूत इनके नाना और मामा हुए , मतलब हम सूर्यवंशी राजपूत हैं इनके मामा या भाई हुए हम सूर्यवंशी राजपूत
मेरा मित्र है वो सूर्य वंशी राजपूत हैं और हम परम मित्र है जेठा-लाल, मेहता साहब की तरह 🤝❤️
Western U P MAE SURYAVANSI HONE KI MANYATA RAAM JI KEY VANS SE RELATED SURYVANSI.
Suryavanshi Kshatriya,not rajput....Rajput is a new one varnasankarit caste.ok
भगवान श्री चित्रगुप्त जी प्रकट हुए।
ब्रह्मा जी ने ११००० हजार वर्ष तक तपस्या की।
ब्रह्म की संतान
ब्रह्मा
विष्णु
महेश
चित्रगुप्त हुये।
ब्रह्मा रचते सृष्टि सारी विष्णु पालन करते।
रूद्र संहारक चित्र गुप्त ब्यौरा पाप पुण्य रखते।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी का
भजनीय महामंत्र।
चित्रगुप्त नारायण, नारायण नारायण हरे हरे।
डॉ वी के श्री वास्तव चित्रगुप्त मंदिर चित्रगुप्त नगर रायबरेली उत्तर प्रदेश।
Pandit ji parnam sinduriya Srivastav kya us ke baare me bataye
मौदगल गोत्र की कुल देवी कौन है बताने कि कष्ट करें बहुत कृपा होगी 🙏🙏🙏
ruclips.net/video/u31cPVHcUMo/видео.html
कृपया विडियो पूरी देखे🙏
कृपया लाइक 👍 , सब्सक्राइब एवं शेयर करें । कॉमेंट बॉक्स में *श्री चित्रगुप्ताय नमः* जरूर लिखें 🙏
निगम कानुनगो गोत्र की कुलदेवी कोन है।
जो आपने सुनाया वह सब गूगल पर उपलब्ध है, इसमे क्या नया है? महोदय मुझे नन्दकुलियार की कुलदेवी मन्दिर की जानकारी चाहिए मुझे कहा से उपलब्ध होगी? क्या जीवणमता सभी कायस्थों की कुलदेवी मानी जायेगी??
Sir shrivastav k jthere kha hai plz btaye
Jai dada Chandrakhrtal 🙏
Jai Chitragupt Bhagwan 🙏🙏
जिनकी कुलदेवी मां कात्यायनी है उनका कोनसा गोत्र हो सकता है?
Very nice
किस पुराण, धर्म ग्रन्थ में वर्णित है ये कृप्या बताए??
पद्म पुराण का उत्तर खंड पढ़िए. कायस्थ गौड़ ब्राह्मण ही हैं। पद्म पुराण में इनके गोत्रों के बारे में बताया गया है। कायस्थ ब्राह्मणों से श्रेष्ठ हैं। पढ़िए और प्रचारित कीजिए।
जितने भी कायस्थ कुल वंशज इस वीडियो को देख चुके हैं और देख रहे हैं या भविष्य में देखेंगे आप सभी लोगों से एक प्रश्न है कि -
क्या भगवान श्री चित्रगुप्त जी एवं कायस्थ कुल वंशज इस मन्वंतर के कलियुग में प्रकट हुए थे??
आपने कुछ अचछी जानकारी देने वाली बातें यहा पर लिखी है, कृपया इस बात की जानकारी दे सकते है की श्रीवास्तव कायस्थ का गोत्र क्या है ।
Jaisa ki is lekha me Diya hai Harshlaxmi kuldevi hai aur kisi book me mene dekha tha ki shree harsh gotra hai.hum agyantavash Kashyap batate rahe.@@DKumar-rr3kb
Kayasth ka varna kshatriaya hai, padam aur skand puran me ye spasth hojata hai
Kayasth charo wrno se alag hai jo ki dev putra hai ,pure brahmand ke nyayadhish bhgwan chitragupt ke bans hai,aur Jo we pure prithwi par santi sthapna ke lie aur Sanatan dharm ke raksha ke lie veje gayen hai, jo ki janun se charo warno se shresht rahte hue bhi apni jatiye shrestha ko na batakar karm pardhan bhumi bnae ke chakar me kud hi dabal arakshan ka sikar ho gya ,jo ki Sanatan dharm aur Bharat bhumi ,aur pure brahmand ke chaumukhi bikas me apna pura yogdan deta tha hai,jaise ,sant Shri, shri,1008shri mahes Yogi,Swami vivekanand,Swami yoga nand ,Sankar dew ,sant Shri ,shri 108 shri munsi ji mharaj ,sant narotam das, sant arbind Ghosh,neta ji subhas chandra bos khudi Ram bos,santi swaroop bhatnagar ,satendra nath bos Dr, rajendra parsad ,bhadur sastri ,har kshetra me imandari se karm pardhan ko age rakar Kam Kiya ,
Purvi mata ke bare mein bataye hum log Shrivastava hai
Jai kayasth
Guruji mera naam hai sunil Gurav .
Gurav samaj, I want to know my kuldev and kuldevi .
ॐप्रभुचित्रगुप्ताय नमः 🙏🚩✌️🇮🇳॥ॐप्रभुचित्राय नमः 🙏॥ॐनमोभगवते श्री चित्रगुप्ताय🙏॥ॐजयश्रीभारतमातृ 🙏॥
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भारत वर्षस्य उन्नति भवेत्।
उन्नति च अत्र वासिनाम्॥
सर्वे मानवानाम् उन्नति भवेयुः।
उन्नति च अस्य सद्शासकाः॥
उन्नति च अस्य सद्भावना॥
भारत🇮🇳वर्षस्य उन्नति भवेत्---
-प्रभुकृपाअ०क०सिनहा''ज्ञानार्थी'
-प्रभुकृपा'ज्ञानार्थी'-प्रकृज्ञा
अद्यविक्रमी स॑वते रविवार रात्रि११:५९ शुक्ल १०।१२=फाल्गुन।२०७८वि०॥राष्ट्रेशके२४।१२=फाल्गुन।१९४३श०॥ऑग्लेसत्रे१४।०३=मार्च।२०२२ख्रि०(ई,०)॥ॐशुभरात्रि२४:३१ॐ
🙏👍
Ambast kayasath ki kuldevi kaun hay
*महाकाल चित्रगुप्त जी के द्वादश पुत्र चैतन्य स्वरूप श्रवण कुमार नाम से इस प्रकार हैं :-*
गुरु निगम गौड
गुरु गौतम गौड
गुरु श्रीवास्तव गौड
गुरु हर्याणा गौड
गुरु वाल्मीकि गौड
गुरु वशिष्ठ गौड
गुरु सूर्य गौड
गुरु दालभ्य गौड
गुरु सुखसेन गौड
गुरु भट्ट गौड
गुरु सौरभ गौड
गुरु माथुर गौड
इन्होंने सृष्टि के आरम्भ में ऋषि पुत्रों को लिखना सिखाया था। इस कारण इनको गुरु का आस्पद प्राप्त है।
कायस्थ भी मूल निवासी बौद्ध बंशज है
सर aap meri kul devi ke bare मे bata de मे aapka abhari rahonga mera name kamlesh shrivastava है मे गुना m. P. मे rahta hoo mera gotr gaheliya है kyu ki मे बहुत paresaan rahta hoo
Kaesth jati bara chatur chalak chaitanya hai aur samaj main bara hi pratishthit raha hai par samanya rup se ershalu aur mukh biri karnewala bhi hai. Har jati mahapurush huye hai.apwad har samaj hota hai
Saxena kayasth ki kuldevi kon hai pls bataye
Sahkumbri Devi. Devi Sthan. Shakur right Distt Saharanpur UP.
Kayastha are Purly Kshatriya- Swami Vivekand. ❤
No bro first read history..... Our ancestor's mother was Brahmin and Kshatriya and ancestor's father was son of Chitragupta ji
BENGALI KAYESTOS HAVE NOTHING TO DO WITH CHITRAGUPTVANSHI KAYASTHAS. THERE IS A WORLD OF DIFFERENCE BETWEEN TWO COMMUNITIES.
@@NABEEPRIYA-xm8qk Bengali kayasths are Also descendants of lord Chitragupt brother..Please read Vivekanand’s answer when asked about his caste!
actually kayasth are varnsankar they are besicly 2 types
ambastha- brahman father and vaisy mother
karan- vaisya father and shudra mother
ksatriya father and brahman mother born chaild knowan as soota i.e equivalent shudra eg mahabharat karan
@@RADHEYRADHEY-gf9pr What’s your source? I’m quoting from our scriptures like padma puran, Yam samhita,garud puran,bhavishya puran etc+ Swami Vivekanand (an authority)..infant kayasth are the most educated forward caste..last caste survey of India held in 1931 kayasth were the most literate caste( u can check 70 out of 100 kayasth while 29 out of 100 brahmin in UP..I’m not defaming any caste but these r fact). Till date kayasth r most educated n richest hindu caste u can also check this..Secondly Please correct your fact about Karna, he was not as shudra, don’t go by the TV serial projections..SOOT means Kshatriya father and Brahmin Mother..Soots were not shudras, they were also high class.Hope it helps!
Khabariya too
क्या सनातन धर्म में वर्ण व्यवस्था आज का हाई कोर्ट न्यायाधीश तय किए हुवे थे??
13:12
क्या सनातन धर्म में पांचवा वर्ण व्यवस्था का वर्णन किया गया था??
Bilkul nahi
Sabhi al jahir kare taki jankari ho
Sir Koli Jaati Ka Bhi Gotra Bataiye ❤❤
Odisha ka pattnayak bansh ke bareme nahi bataya .ye b to kayasth he
Kayasth kis वर्ण me aate hain
E dwij hai bhaguwan chitragup brahmaji se brahmkshatriy autar hai Jo dwil autar hue isiliye general cast m hai ataha inko kayast category likhte hai inka matlab adha brahman adhe kshatriya tabhi e varno se alag hai
वर्मा जी क्षत्रिय कुल मे
ब्राम्हण वर्ग
@@ashwanisrivastava4077 बेवक़ूफ़ है आप
Kaystho ke panda kaun he unka no de sakte to Dena apka Rini rahonga
Please batao
गलत संदेश नहीं फैलाये, दोनों पत्नी श्री चित्रगुप्त जी की सूर्य की प्रपौत्रीं थी
Santosh nigam
नाग वंश बासुकी बौद्ध राजा थे मूल निवासी हैं कायस्थ परिवार मूल निवासी परिवार है इसलिए विदेशी ब्राह्मणों ने इन्हें भी शूद्र कहा है
Himani nigam