Some special lines of 'Gulzar Sahab'।

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • Some special lines of 'Gulzar Sahab'।
    gulzar
    जिन्दगी की दौड़ में,
    तजुर्बा कच्चा ही रह गया...
    हम सीख न पाये 'फरेब'
    और दिल बच्चा ही रह गया !
    बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे,
    जहां चाहा रो लेते थे...
    पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
    और आंसुओ को तन्हाई !
    हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से...
    देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में !
    चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं...
    जिन्दगी तुम हमें ढूंढो...
    हम तुम्हे ढूंढते हैं।
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