जुलूस ए मोहम्मदी में उमड़ी अकीदतमंदों की भारी भीड़ ।

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 30 сен 2024
  • सोमवार को बड़े ही शानो-शौकत से उतरौला में जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया। बरदही बाजार से जुलूस ए मोहम्मदी का कारवां आगे बढ़ा, तो पीछे-पीछे तमाम अंजुमन, मजहबी झंडे व परचम लेकर, नात, मन कबत व दुरुदो सलाम पेश करते हुए, साथ हो चले। मुसलमानो के आखरी नबी हज़रत मुहम्मद साहब की पैदाइश पर, उतरौला में जश्न का माहौल रहा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नबी की पैदाइश का एक दूसरे को मुबारकबाद पेश किया। रविवार को मगरिब के बाद, अरबी के तीसरे माह रबीउल अव्वल की बारह तारीख लगते ही, पूरा शहर नबी की पैदाइश का जश्न मनाने में जुट गया। लोगों ने अपने घरों मस्जिदों व दरगाहों को लाइटों से रोशन कर दिया। रविवार को मुसलमानों ने नबी की आमद की खुशी में, रात भर जाग कर, इबादत किया। मस्जिदों व घरों में मिलाद कराया। रात भर इबादत करने के बाद सुबह फजर की नमाज के बाद, लोगों ने अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाकर, इसाले सवाब पेश किया। सुबह होते ही जुलूस से मोहम्मदी की तैयारी में जुट गए। सोमवार को उतरौला के बरदही बाजार से जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस बड़े ही शानो शौकत से निकाला गया। जुलूस-ए-मुहम्मदी का सिलसिला शुरू हुआ, तो शहर के विभिन्न इलाकों से आई अनेक अंजुमन, अपने-अपने परचम व झंडों के साथ, दुरुदो सलाम पढ़ते हुए ,जुलूस के साथ हो चले। बरदही बाजार से चलकर कर्बला होते हुए, जुलूस गोंडा मोड़ पहुंचा। जहां मदरसा जामिया अली हसन अहले सुन्नत के मौलाना, एजाज रज़ा हशमती ने इस्लाम व पैगंबरे इस्लाम, हज़रत मुहम्मद साहब की जिंदगी पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि, नबी पाक की शिक्षाओं पर चलकर ही, मुसलमान न केवल अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकता है। बल्कि इस्लामी पैगाम को दुनिया में आम करके, समाज की बुराईयों से भी छुटकारा पा सकता है। मौलाना नईम रज़ा व रहीम रज़ा ने परचम-ए-तराना पेश किया। परचम ए तराना सुनकर जुलूस में शामिल अकीदतमंद झूम उठे। जुलूस गोंडा मोड़ से आगे बढ़ता हुआ, जामा मस्जिद पहुंचा। जहां जामा मस्जिद के इमाम अख्तर रजा खान ने, सीरते मुस्तफा पर रोशनी डाली।
    जुलूस हाटन रोड पहुंचा, जहां मौलाना क़ासिम रज़ा नूरी ने जुलूस को खिताब करते हुए कहा कि, अल्लाह ने सबसे पहले नबी के नूर को बनाया, फिर उसी नूर से पूरी कायनात को बनाया। इसलिए पूरी इंसानियत के लिए, 12 रबीउल अव्वल का दिन, रहमतों व बरकतों वाला है। लोगों से नबी के बताए हुए रास्तों पर अमल करने की अपील की। जुलूस हाटन रोड से बढ़ता हुआ, चांद मस्जिद पर रुका। जहां मौलाना अकीबुर्रहमान ने कहा कि, अल्लाह ने पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब को, इंसानों की रहनुमाई के लिए भेजा। नबी की शिक्षाओं पर अमल कर, इंसान न केवल अपनी जिंदगी, बल्कि एक बेहतर समाज बना सकता है। जरूरत इस बात कि है कि, मुसलमान नबी-ए-करीम की शिक्षाओं को, घर-घर तक पहुंचाए। इस बीच रसूल की आमद की खुशी में पूरा इलाका, नारे तकबीर अल्लाहु अकबर, के नारों से गूंजता रहा। जुलूस के दौरान पूरे रास्ते में अनेक तंजीमो द्वारा, जुलूस में शामिल लोगों को मिठाई, बिस्किट, पानी, शरबत,जूस, बिरयानी, शीरमाल आदि वितरित किया गया। जुलूस अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ, आसाम रोड चौराहा पहुंचा। जहां दारुल उलूम जियाउल इस्लाम के मौलाना, मेराज अहमद ने जुलूस को खिताब करते हुए कहा कि, मुसलमानों के आखरी नबी, हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम, की विलादत से पहले पूरी दुनिया, सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों का शिकार था। सैकड़ों की तादाद में कबीले थे। जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे। औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने, लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। उन्होंने सिर्फ अल्लाह की इबादत पर बल दिया। लोगों को पाक-साफ रहने के तरीके बताए। सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी, इस्लामिक तरीके, लोगों तक पहुंचाए। साथ ही अल्लाह रब्बुल इज्जत के पाक संदेश, को भी सभी लोगों तक पहुंचाया। सलातो सलाम के बाद मुल्क की तरक्की, खुशहाली अमन चैन के लिए दुआ कर, जुलूसे मोहम्मदी का समापन किया गया। जुलूसे मोहम्मदी की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर, प्रशासन मुस्तैद रहा। सुरक्षा कर्मियों द्वारा, जुलूस मार्ग के चप्पे-चप्पे पर कड़ी नजर रखी जा रही थी। इसके अतिरिक्त जुलूस के प्रत्येक गतिविधि की वीडियों रिकॉर्डिंग हुई।

Комментарии • 1