Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ? |
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- Опубликовано: 12 сен 2024
- Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ?
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Hindu DharmGuru VS Sant Rampal Ji Maharaj | क्या श्री कृष्ण जी भगवान है ?
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गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17 में कहा गया है कि अविनाशी तो उस परमात्मा को जानो जिस का नाश करने में कोई समर्थ नहीं है।
Great information
Right Brother 👍
सच्चाई को स्वीकार करें। लोकवेद को त्यागें।
हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी चाहिए।
True spiritual knowledge
Superb
Super
Great knowledge
गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
वीडियो का प्रारंभिक पार्ट देखने से लग रहा हे ये वीडियो अच्छे निष्कर्ष पर पहुंचने वाला हे, पूर्वाग्रह त्यागकर वीडियो पूरा देखना चाहिए
True spiritual knowledge ❤
True information 🔥
❤
सातभक्ती करने से लाभ प्राप्त होते है
Super 🤩🤩
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🍀 हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
अद्भुत
सत्य भक्ति से मुक्ति होगा
Excellent Sprichual Knowledge & Video
सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
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Malik ki gyan sunne ke liye dil tarasta Hein ❤ Satgurudev Ki Jay
श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
Sachai ko swikar karne se koi chota nahi ho jata hai
❓
श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पृष्ठ 153 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता
Sat Saheb
True Information
जिन बातन से गुरु दुःख पावै। तिन बातनको दूर बहावै।।
अष्ट अंग से दंडवत प्रणामा। संध्या प्रात करै निष्कामा।।(
यह वीडियो बहुत अच्छी है।
लगता है इसे जरूर देखना चाहिये
श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरषोत्तम भगवान है
True supiritul knowledge by saint Rampal Ji Maharaj
❤❤❤
ઓહ્
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
यह वीडियो हमारे समाज के लिए बहुत अच्छा है
बेद,पढैं पर भेद ना जानें, बांचे पुराण अठारा, पत्थर की पुजा करें,भूले सिर्ज़नहारा। हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी चाहिए।👏👏
Yas
Automatic knowledge
शास्त्रों के अनुकूल भक्ति करने से ही मोक्ष मार्ग प्राप्त होगा।
Great knowledge ❤❤
ग्रेट knowledge
Greatest Spiritual Debates
सतभकित करने से उजड़ा परिवार बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान है जो शास्त्रों के आधार पर आधारित है ।
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
अगर कृष्ण भगवान ही पूर्ण परमात्मा है तो फिर गीता में तीन प्रभु का जिक्रक्यू है।
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
साधू भूखा भाव का, । धन का भूखा ना जे कोई धन का भूखा हो, वो साधू भी कोन्या ।।
Shri Krishna bhagwan purn Parmatma hai
गुरुवा गांव बिगड़े संतो गुरुवा गांव बिगाड़े ऐसे कर्म जीव के लगा दिये ईब झड़े ना झाड़े
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
वेद पढ़े पर भेद न जाने पाचे पुराण आठरहा पत्थर की पूजा करे भूल गये सिरजन हरा ❤❤❤❤😂😂😂
बहुत ही अच्छी व सटीक जानकारी
Factual video
हमारे धर्म शास्त्र ही प्रमाणीत करेंगे की कौन पूर्ण परमात्मा हैं सक्ति तो सभी भगवानों मैं हैं जिसमे परम शक्ति हैं वहीं पूर्ण परमात्मा हैं
मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पृष्ठ 237) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। “पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं।" रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
😮😮😮
सच्चाई तोह है भाई साहब 🚩🚩🚩🚩
Sahi baat h
Baat to shi hai
❤❤❤🎉🎉
very nice
के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं मोक्ष कराने के उद्देश्य से की जाती हैं। ज्ञानहीन गुरु अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ते हैं। वह जीव तो प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा होता है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहे होते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
Sant Rampal Ji Maharaj
Wow! 😮 Something interesting
Okk😊
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
🎈गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है।-
व्रत करना व्यर्थ कहा है। कर्म सन्यास गलत कहा है। कर्म करते-करते भक्ति करना उत्तम बताया है।
प्रमाण:- गीता अध्याय 9 श्लोक 25, गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15, 20-23, गीता अध्याय 6 श्लोक 16, गीता अध्याय 5 श्लोक 2-6, गीता अध्याय 3 श्लोक 4-9 में।
सच्चाई को स्वीकार करें लोकवेद को त्यागें।
#प्रभु_प्राप्त_संतों_से_रूबरू
Supreme God Kabir
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
ये तन विष के बेलड़ी गुरू अमृत के खान
शीश दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।।
कृष्ण भगवान चार भुजा के मालिक हैं इसके पिता हजार भुजा के मालिक हैं जबकि असंख्य भुजा के मालिक सच्चिदानंद घन परमात्मा कबीर बंदीछोर है जो शास्वत सनातन परमधाम में रहते हैं।
Hamen shastron ke anusar bhakti Karni chahie
द्वापर युग (भगवान् कृष्ण) से पहले कौन भगवान् था। उआ-बाई /सच्चा ज्ञान समझ आ रहा है।
सच्चाई को स्वीकार करें।लोक वेद को त्यागो।
मौला वाठे मग में हंसा चून चून के खाय जोत सवरपि निरानजन वाले में करता भाई धन्यवाद
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में गीता बोलने वाले काल ब्रह्म ने कहा है कि मनमुखी साधना बिलकुल भी लाभदायक नहीं हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23
यः, शास्त्रविधिम्, उत्सृज्य, वर्तते, कामकारतः, न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम् ॥
जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
সন্ত রাম্পালজি মহারাজ সকল ধর্মগ্রন্থে প্রমান দেখিয়েছেন যে কবীর সাহেব হলেন পূর্ণ পরমাত্মা।
Itna true h to original geeta Kyu n bechta 😂
Sat guru purn brmh Kabir permeswar ही ha
शिक्षित समाज को ये वीडियो देखना जरुरी है, सच ओर झुट की परख करनी चाईये इससे हम सच्चे ग्यान से परिचित हो जायेगे।
Anjani guruon se savdhan Jo Shastra viruddh Sadhna kar aur karva rahe hain
जबकि संत रामपाल जी महाराज ने वेदों से यह सिद्ध किया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं और वे साधक के घोर से घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। (यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व अध्याय 5 मंत्र 32)
वेद पढ़े पर भेद ना जाने बातें पूराण अठारह
पत्थर की पूजा करते भूल गये सिरजनहार
Kabir hi purn Parmatma hai are Pavitra Ved Shastra mein pramanit hai
Proof?
Kabir hi puri duniya ke bhagvan h
सच्चाई को स्वीकार करें
ESI tarah debate karne se saty gayan samne aa jayega
Ek Brahmand Mein 14 lok.hote.hai
Vedo me praman he kabir saheb bhgwan he
बॉय cat
हमारे हिन्दू धर्म ने अपने पवित्र ग्रंथों गीता, चारों वेदों, महाभारत तथा अठारह पुराणों को नहीं समझा।
कृपया गीता अध्याय 8 श्लोक 16 का मेरा सच्चा अनुवाद पढ़ें:
हे अर्जुन! (अब्रह्मभुवनत्) ब्रह्मलोक तक के सभी लोक (पुनरावतीर्नः) पुनरावृत्ति में हैं, अर्थात् वे जहाँ भी जाते हैं, उन्हें पुनः लोक में आना पड़ता है। (आप) परन्तु (कौन्तेय!) हे कुन्तीपुत्र! (न विद्यते) जो यह नहीं जानते (माम् उपेतय) यद्यपि उन्होंने मुझे प्राप्त कर लिया है
(पुनर्जन्म) पुनर्जन्म होता है। भावार्थ है कि जो यह नहीं जानते कि ब्रह्मलोक में जाकर भी वापिस आना पड़ता है, वे मेरी भक्ति करके मुझे प्राप्त होकर भी जन्म-मरण के चक्र में रह जाते हैं।
अज्ञानी गुरुओं के अनुसार मृत्यु के पश्चात सर्व कर्मकांड, आत्मा की गति (मोक्ष) के लिए किए जाते हैं। लेकिन फिर पितृ पक्ष में कहते हैं कि आपके पूर्वज कौवा बन गए हैं, भोजन करवाकर उनको तृप्त करो। इस तरह ये मूर्ख बनाकर समाज की दुर्गति किये हुए हैं।
Sacchai ko Mane lok bedh ke tyage
In guruo ne jhoth ke alava kuchh nhi bola , sari man mukhi baate
Kabir Das Bhagat hai
अज्ञान का पर्दफ़ास
ab prman aap ke samne hae dekho or fesla karo kon saccha kon jhuthe