वैदिक सभ्यता का पतन क्यों नहीं? राजेंद्र प्रसाद सिंह।।

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  • Опубликовано: 11 сен 2024

Комментарии • 388

  • @aniruddhaprakash963
    @aniruddhaprakash963 2 месяца назад +59

    एकदम सही सवाल है सर आपका कि वैदिक सभ्यता कैसे और कब नष्ट हुई, इसे क्यों नहीं पढ़ाया जाता है इतिहास में...बात अंत में यही है कि झूठ को चाहे जितनी बार दोहराया जाए, वह झूठ ही रहेगा; और सच को चाहे जितना छुपाया जाए, वह एक दिन सामने आ ही जाता है...आप जैसे विद्वानों की वजह से अब सच सामने आने लगा है...बहुत शुक्रिया सर...👌👌👍🙏🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @shashiprasad3301
    @shashiprasad3301 2 месяца назад +61

    क्या गजब का लॉजिक दिए हैं गुरुदेव।
    सत सत नमन आपको

    • @PradeepSharma-ue1mm
      @PradeepSharma-ue1mm 2 месяца назад

      सिंधु घाटी सभ्यता से पहले की सभ्यता वैदिक सभ्यताथी

    • @ravindrashakya3705
      @ravindrashakya3705 2 месяца назад +2

      ​@PradeepSharma-ue1mm वैदिक सभ्यता के आज तक कोई सबूत नहीं मिले हैं।

    • @Raju-sr8qm
      @Raju-sr8qm 2 месяца назад

      ​@@PradeepSharma-ue1mmफिर उपर चढ गया..?😂😂😂पागल मत बनो भाइ..?

    • @lumanandnetam5123
      @lumanandnetam5123 2 месяца назад

      ​@@PradeepSharma-ue1mm😂😂😂

  • @LalaramYadav-cq8rw
    @LalaramYadav-cq8rw 2 месяца назад +30

    आप राजेन्द्र जी बहुत बड़ी सेवा कर रहे हो जमता कि ज्ञान पिपासा मिटा रहें हो लोगों को जाग्रत करते रहिए साहब आपको कितना प्रणाम करे उतना ही कम है

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय महोदय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @manojkumaryadav6409
    @manojkumaryadav6409 2 месяца назад +41

    आपकी बातें तर्कपूर्ण लगती है और सच्चाई के काफी करीब दिख रही है।जय भीम जय बुद्ध।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @AshokKumar-ls8mf
    @AshokKumar-ls8mf 2 месяца назад +30

    तथागत बुद्ध के पंचशील-सिद्धांत अपनाने के बाद फ़ौज, पुलिस, न्यायालय आदि की आवश्यकता ही नही पड़ेगी। आप सत्य कह रहे हैं।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад +1

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

    • @BhagwanSingh-my5cm
      @BhagwanSingh-my5cm 2 месяца назад

      ​@@avadhutjoshi796Gapor Gatha Apne Paas Rakho

    • @sudhirsingh1563
      @sudhirsingh1563 2 месяца назад

      पाकिस्तान अफगानिस्तान चीन को पंचशील सिध्दांत कौन पढायेगा पंचशील सिध्दांत से देश कमजोर हुआ यह कटु सत्य है निष्पक्ष जांच पड़ताल कर लिजिए

    • @XerxexDutta
      @XerxexDutta День назад

      ​@@avadhutjoshi796क्यों बार बार प्रोपेगंडा फैलाने आते हो? थोड़ा तो शर्म रखो

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 День назад

      @@XerxexDutta भाईसाब ईसमें कोई प्रपोगंडा नहीं है. पर समझने के लीये कुछ गुण चाहीये. ऊसके अभावसे आपको ऐसा लग रहा है. पर मैं आपको ऊसपर शर्म करो ऐसा नहीं कहूंगा. क्यों की मैं सच्चा देशभक्त, विनयशील, सनातनी ब्राह्मण हूं. आपके गुण बढाने में मदत करूंगा. आपको जो बाते या बात प्रपोगंडा लगी वह एक एक करके बताये. मैं ऊन बातों का सही होना स्पष्ट करूंगा. 🙏. अवधूत जोशी

  • @sugreevrajbhar6360
    @sugreevrajbhar6360 2 месяца назад +48

    दुनियां में जेल उसी देश में बंद हो रहा है जहां तार्किक लोग रहते हैं।

  • @Mauryavanshi_chhora
    @Mauryavanshi_chhora 2 месяца назад +64

    बहुत बढ़िया जानकारी दिया आपने।
    वैदिक सभ्यता केवल कागज़ो पर गढ़ी गयी है। यह पूरी तरह काल्पनिक है, जिसके एक ईंट तक़ नहीं मिले है।
    धन्यवाद आचार्य जी 🙏🏼🙏🏼

    • @ASHOK251058
      @ASHOK251058 2 месяца назад +13

      vaidik sabhyata jhuth hai. aaj ka hindu dham baudh dharm ka brahmanikaran hai.

    • @RKG6396
      @RKG6396 2 месяца назад +5

      ​ @@ASHOK251058 bilkul sahi baat hai ji

    • @sumanmaurya6662
      @sumanmaurya6662 9 дней назад

      बहुत सही बात कहा है आपने यह ब्राह्मणों के द्वारा फैलाया गया पाखंड है लेकिन दुर्भाग्य है कि अधिकतर ओबीसी और दलित भाई इस पाखंड से बाहर नहीं निकलना चाहते

  • @user-nv6qz4nk2y
    @user-nv6qz4nk2y 2 месяца назад +10

    "वैदिक सभ्यता" बिल्कुल हवा-हवाई सभ्यता है,जिसका कोई अवशेष अब तक नहीं मिला है। गैर-बराबरी,असमानता वाली वर्ण व्यवस्था पर आधारित व्यवस्था कोई "सभ्यता" नहीं,बल्कि वेद के द्वारा "संस्कारित" होने के परिणामस्वरूप केवल एक "संस्कृति","परम्परा (Tradition)" मात्र है। कोई भी व्यवस्था तभी "सभ्यता(Civilization)" के तौर पर समझी या स्वीकार की जा सकती है अथवा परिभाषित की जा सकती है,जब यह सभ्य (Civilized) होने के मौलिक अवयव एवं न्यूनतम शर्त "समानता","स्वतंत्रता","बन्धुत्व", "न्याय","करूणा", "ममता", "मैत्री","स्नेह","प्रेम" से निर्मित होती है। इसलिए वैदिक काल की किसी भी व्यवस्था को "सभ्यता" कहना बिल्कुल गलत है।

  • @shyamkumarhardaha9193
    @shyamkumarhardaha9193 2 месяца назад +36

    जन-जन तक कब पहुंचेगा सच्चा इतिहास🙏🙏🙏

    • @ravindrashakya3705
      @ravindrashakya3705 2 месяца назад +4

      सभी लोग ईमानदारी से प्रयास करते रहें,एक दिन भारत का इतिहास जरूर सबके सामने आयेगा।

    • @handIe.
      @handIe. 2 месяца назад

      ​@@ravindrashakya3705jaatiwaad bhi khatam karna hoega. jaatiwaad bohot purana nhi hai.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @AnandSharma-mq1nr
    @AnandSharma-mq1nr 2 месяца назад +25

    सर जी को मेरा अनगिनत बार सादर प्रणाम !!!!!

  • @dr.sunitamanju3305
    @dr.sunitamanju3305 2 месяца назад +27

    भारतीय इतिहास का पुनः अवलोकन आवश्यक है।

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +2

      Indonesia ko kisne muslim desh banaya hai.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад +1

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +1

      Aadmi ko future par dhyan dena chahiye. Pichle nafrat aur bhedbhaav ko khatam karna chahiye.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      @@rpsingh6861
      आपकी सोच अच्छी है पर अधूरी है. वर्तमान के काम भविष्य तय करते है. और वर्तमान के काम भूतकाल में क्या हो गया उसपर निर्भर होते है. इसलिए अच्छे भविष्य के लिए भूतकाल की सही समझ जरूरी है ताकि वर्तमान के काम सही हो. भूतकाल के नफरत और भेदभाव का समाधान करनेके लिए मैं इतिहास, धर्म और जाती व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूँ. कृपया मेरा विचार भी पढ़ लीजिये.
      अवधुत जोशी

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +1

      @@avadhutjoshi796 Jaatiwaad ka bhedbhaav kaise khatam hoga.

  • @theIndianhistory9999
    @theIndianhistory9999 2 месяца назад +11

    सम्पूर्ण भारतीय इतिहास का पूनर्लेखन जरूरी है और इतिहास जानने के स्त्रोतों ( पाली प्राकृत साहित्य, पूरातात्विक सबूतों और विदेशी राजदूतों के यात्रा वर्णन ) के आधार पर भारतीय इतिहास का पूनर्लेखन किया जाना जरूरी है।

  • @yogisurajnathgurubudhnathj8457
    @yogisurajnathgurubudhnathj8457 2 месяца назад +14

    एक अति महत्वपूर्ण एवं जमीनी बात, परिकल्पित नहीं।
    हिंदूनाम वैदिक वर्णाश्रम उच नीच सामाजिकता के नीच वा शैतानी धर्मिता की समाप्ति होनी है, जो एक जरूरत है।
    बोधि धम का अलख जन जन जगे यह हमारी जिम्मेदारी है।

  • @ranjananarawade8116
    @ranjananarawade8116 2 месяца назад +32

    ना रामु का ना शामु का आखे खोल के देखो दुनिया जपान हो या तालीबान सारा विश्व बुद्धका जयभिम 🎉🎉

  • @parashuramyadav2666
    @parashuramyadav2666 2 месяца назад +15

    सर आपको सादर अभिवादन।बिल्कुल सही कहा आपने।इतिहास को वहीं बदल सकते हैं जो लोग अलग दृष्टिकोण रखते हैं जो लोग रूढ़वादी नहीं होगे।हैं लोगो को नए तरीके से सोचने, समझने की जरूरत है।

  • @manumahli6033
    @manumahli6033 2 месяца назад +4

    सर ! बौद्ध काल को ही तो स्वर्ण युग का काल कहा जाता हैं | यह भी तो कथित आर्यों के वैदिक युग के बाद की ही घटना है | ❤❤❤

  • @user-mz5iz9si9q
    @user-mz5iz9si9q 2 месяца назад +14

    Bhartiya History ki sacchai desh ke saamne laate hai
    Iske liye Sir aapka bahut bahut sadhuvaad 🙏

  • @RameshChand-ft2tp
    @RameshChand-ft2tp 2 месяца назад +4

    भारत का इतिहास ब्राहमणों ने लिखा | लिखते समर हमेशा यह ध्यान रखा गया, यहाँ के मूलनिवासियों का इतिहास बदलकर, ब्राहमणवादी इतिहास पढ़ाया गया |

    • @TrikamlalParmar-qg8xp
      @TrikamlalParmar-qg8xp Месяц назад

      मूलनिवासीयों के इतिहास को मिटादिया या ऊसमें झूठा ब्राह्मण वाद घुसेड दिया इतिहास का सत्यानाश कर दिया ऊन पापी पाखंडीयों ने
      ये शिलालेख पुराना विहारे विदेशी यात्रियों के लेख नहीं मिलता तो इतिहास का नाश हो गया होता जय भीम नमो बुद्धाय

  • @SewaRam-jx1dz
    @SewaRam-jx1dz 2 месяца назад +13

    आदरणीय सर जय भीम नमोबुद्धाय,,
    डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद सिंह जिन्दाबाद
    महामहिम एसजे सर जिन्दाबाद
    जय संविधान जय भारत जय बहुजन समाज,,🎉

  • @jatavsolanki9808
    @jatavsolanki9808 Месяц назад +1

    डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी,नि: संदेह बहुजन समाज के इतिहास से पर्दा उठा रहे हैं,वह तथ्यात्मक, है। बहुजन समाज आपका आभारी रहेगा।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ravindrashakya3705
    @ravindrashakya3705 2 месяца назад +62

    बौद्ध सभ्यता मिल गई,सिंधु घाटी की सभ्यता मिल गई, मेसोपोटामिया की सभ्यता मिल गई, मिस्र के पिरामिड मिल गए क्योंकि ये थे। लेकिन वैदिक सभ्यता का आज तक एक तिनका भी नहीं मिला, क्योंकि ये थी ही नहीं। वैदिक सभ्यता कागजों पर पैदा की गई थी।

    • @PraveenKumar-go2uu
      @PraveenKumar-go2uu 2 месяца назад

      Tum esi liye gvar khe jate ho our Bina sahare ke mtlb arkchan ke koi naukri nhi le skte dm hai to arkchan ke bina naukri lo

    • @ravindrashakya3705
      @ravindrashakya3705 2 месяца назад +11

      कौन क्या है सबको पता चल रहा है।​@@PraveenKumar-go2uu

    • @sheomangalkumarsingh1352
      @sheomangalkumarsingh1352 2 месяца назад +3

      बिल्कुल सही बात है।

    • @sheomangalkumarsingh1352
      @sheomangalkumarsingh1352 2 месяца назад +6

      राजेन्द्र सर की नई इतिहास दृष्टि को सलाम करता हूं।

    • @sheomangalkumarsingh1352
      @sheomangalkumarsingh1352 2 месяца назад

      ​@@PraveenKumar-go2uuजिसे हिंदू धर्म का सबसे गंदा कीड़ा जातिवाद ने काटा है वहीं आरक्षण के संबंध में ऐसी सोच रखते हैं।

  • @sudhakarbharti7743
    @sudhakarbharti7743 2 месяца назад +4

    सर बहुत सुंदर और तार्किक जानकारी दिए। आपको बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं।
    सादर जय भीम नमो बुद्धाय।

  • @sanjeevsharma-jh8jo
    @sanjeevsharma-jh8jo 2 месяца назад +25

    कविता, काव्य, नाटक , कथासागर आदि रचेता के स्वयं की बुद्धि चातुर्य से अधिक कुछ और अधिक मायने नहीं रखते हैं। कल्पनाथ की कल्पना हो सकती है। इतिहास प्रमाण पर ही आधारित होना चाहिए। प्रमाणों की शृंखला मैं वैज्ञानिक परीक्षणो और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना चाहिए। बहुत सुन्दर तार्किक प्रस्तुति है। धन्यवाद। 🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад +2

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @dayashankarsingh1095
    @dayashankarsingh1095 2 месяца назад +4

    आपकी बाते सही हैं,आदरणीय गुरूदेव। मै भी पहले यही सोचता था कि वैदिक सभ्यता तो पढ़ायी जाती है किन्तु उसका पतन नहीं।
    मेरा मानना कि स्वयं के आध्यात्मिक विकास के लिये ; "अहिंसा परमो धर्मः"।
    किन्तु देशी-विदेशी शत्रुओं के लिये; "हिंसा महा परमो धर्मः " ।
    नमो बुद्धाय।

  • @sahaastitv6298
    @sahaastitv6298 2 месяца назад +4

    डॉ साहब धन्यवाद। आप इतिहासकारों को एक सत्य मार्ग कि दिशा दें रहें हैं।

  • @AmarNath-wk1yc
    @AmarNath-wk1yc 2 месяца назад +3

    ऐतिहासिक जानकारी देने के लिए सर जी को कोटि कोटि साधुवाद 🙏🙏 जय भीम जय जोहार नमो बुध्दाय जय संविधान जय मूलनिवासी नायक 🙏🙏 अमर नाथ अमर वाराणसी उत्तर प्रदेश।

  • @ManojKumar-si3mh
    @ManojKumar-si3mh 2 месяца назад +9

    सर, आपने बहुत अच्छी जानकारी दी। धन्यवाद। सर, आपने तर्क देकर वैदिक सभ्यता की धज्जियां उड़ा कर रख दिए।

  • @ramashishsingh3173
    @ramashishsingh3173 2 месяца назад +4

    महोदय आप ने बहुत सरल भाषा में प्राचीन इतिहास को समझाए हैं। लगता है कि बहुत सोच-विचार कर गलत तथ्य के साथ प्राचीन इतिहास लिखे गए हैं। आप ने हमारे सभी शंका को दूर किए इसके लिए मैं और बहुजन समाज सदा आभारी रहेगें। धन्यवाद

  • @Sureshkumar-bw8br
    @Sureshkumar-bw8br 2 месяца назад +4

    As a History student, I am very privileged to get this lecture by a great sir.

  • @Amritgautamofficial
    @Amritgautamofficial 2 месяца назад +3

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति है सर जय भीम नमो बुद्धाय।

  • @rupeshpaswan8042
    @rupeshpaswan8042 2 месяца назад +5

    बहुत -बहुत धन्यवाद मान्यवर डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @user-zs8fw1pu7r
    @user-zs8fw1pu7r 2 месяца назад +12

    ❤😂 शिक्षा ही सभी पाखंड को खत्म कर सकती है।😢😮 शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं है।जो देश विकसित हो गए हैं और जहां विज्ञान का ज्ञान चरम पर है वह लोग कैसे इतना आगे हुए हैं।😮😅 लोगों को सरल और सस्ते उपाय पसंद है। वास्तविकता से कोई मतलब नहीं है।😅😊

  • @rashmijames1655
    @rashmijames1655 2 месяца назад +5

    👍👍💖🙏🙏🙏🙏

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +1

      Muslim dharm kyo pure duniya mein failta ja raha hai.

  • @jugulkishor9797
    @jugulkishor9797 2 месяца назад +2

    ❤❤❤❤❤ Sachchai Batakar Logo ko Jagruk Karane ke liye Dr.Rajendra Prasad Singhji ko koti koti Namami Abhinandan Aabhar v Badhai Namo Buddhay Buddhamay world SADHU SADHU Bhavatu Sabba Mangalang Jai Samvidhan Jai Bhim Jai Vigyan Jai Kisan Jai Jawan Jago OBC ScSt bhahujano Mulniwasiyon Jago

  • @santoshindorasantoshindora2351
    @santoshindorasantoshindora2351 2 месяца назад +7

    बहुत ही बढ़िया और ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार आपका

  • @MUKESHKUMAR-wg2br
    @MUKESHKUMAR-wg2br 2 месяца назад +9

    इतिहास जो पढाई होती है वो अवैज्ञानिक है सहज गम्य नहीं है तोड़ मरोड़ है काल्पनिक सा लगता है कोई साक्ष्य नहीं है सब बात बकवास इसलिए इतिहास पढ़ा नहीं याद करते हैं और भुल जाते हैं
    परंतु आपके द्वारा जो इतिहास पर प्रकाश डाला जा रहा है वह अकाट्य है मन कबुल करता है सुगम्य है प्रभावी है
    आप को नमन करते हैं🙏🙏🙏🙏🙏
    आप के आभारी हैं🙏🙏🙏🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

    • @TrikamlalParmar-qg8xp
      @TrikamlalParmar-qg8xp Месяц назад

      काल्पनिक सा नहीं भाई मेरे काल्पनिक ही है ये पाखंडी भारत आये 3600 साल हुये है 1000 साल तक नागवंशीयों और द्राविड़ो से संघर्ष किया बाद में ब्राह्मण राजा पुष्यमित्र शुंग के समय में पाखंड वाद का शुरूआत किया

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Месяц назад

      @@TrikamlalParmar-qg8xp आप कृपया ईतिहास जात और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करे. ईस माध्यम से हम पाखंड क्या और क्यों होता है यह पहले तय करेंगे. और सभी पाखंड दूर करेंगे. फीलहाल अभी भारत देश ईस संदर्भमें एक हास्यास्पद देश है.

    • @TrikamlalParmar-qg8xp
      @TrikamlalParmar-qg8xp Месяц назад

      @@avadhutjoshi796 हमने आपका पूरा संदेश पढा था हम मजदुरी करता हुं गांव में हम क्या सहकार कर श कया हुं ? और आप का थियरी क्या है? हम समज न पाये तो
      जय विज्ञान

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Месяц назад

      @@TrikamlalParmar-qg8xp आपने तुरंत संवाद और वह भी सही ढंगसे कीया है. आपकी बात रखी. इसलीये आप मेरेलीये आदरणिय है. इतिहास, धर्म और जाती व्यवस्था यह विषय बहुत बडे है और सामने सामने बैठकर बात करना सबसे योग्य तरीका है. मैं देशके सभी लोगों से चर्चा करना चाहता हूं. और सरकार कि मदतसे यह संभव है. मेरा मकसद है - सभी विवादोंका स्थायी समाधान करना. और वह भी सभी जाती और धर्म के लोगोंको सन्मान और समाधान देकर. और देशकी एकता बढाना. सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करना. आप देशव्यापी चर्चा कि बात लोगोंसेभी करना और समर्थन करना ऐसी आपसे प्रार्थना है. ईसमें कोई श्रम नहीं. ना ही आर्थिक बोझ. जितने लोगों के साथ साझा कर सकते हो ऊतना करो. कुछ आशंका है तो जरुर पुछीये. 🙏. अवधूत जोशी

  • @sandeepsinghmaurya9769
    @sandeepsinghmaurya9769 2 месяца назад +8

    Satya mev Jayate 👍✌️🇮🇳 We support you 💪👊✌️🇮🇳

  • @sunilkadam7455
    @sunilkadam7455 2 месяца назад +2

    ब्रह्मण वाद हर बार, जैसे तैसे अपने आप को सनातन पर प्राचीन अस्थपित करने की कोशिश करने से बाज नहीं आते, लेकिन प्रो राजेन्द्र सर जैसे व्यक्ती के सामने नही टिक सकते। नमो बुधा

  • @bijendrakumar9134
    @bijendrakumar9134 2 месяца назад +2

    आप इतिहास का एक जगमग सितारा हो।आपको बहुत-बहुत साधुवाद🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @Sureshsinghpatel732
    @Sureshsinghpatel732 2 месяца назад +14

    नमो बुद्धाय जय भीम

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @ashishkumarcpa3665
    @ashishkumarcpa3665 2 месяца назад +9

    Sir aapki sari batein reasonable lagti hai, thanks

  • @PramodPasi-q7q
    @PramodPasi-q7q 2 месяца назад +11

    जयभीम जयसंविधान नमो बुद्धाय
    आओ मिलकर सभी प्रबुद्ध भारत बनाय

  • @dhairyasheelgaikwad4993
    @dhairyasheelgaikwad4993 2 месяца назад +11

    ब्राह्मनोका इतिहास है
    बदलना जरुरी है

  • @deekshadongre6714
    @deekshadongre6714 2 месяца назад +3

    बहुत बढ़िया सर आपका हर वीडियो ज्ञान और तर्क से परिपूर्ण होता है । सही कहा । कहाँ से वैदिक सभ्यता ले आये पता नहीं ? क्या थी वैदिक सभ्यता की ख़ास बात ? ये भी पता नहीं
    है । जो वैदिक युग होने का दावा करते है । नाही आज तक कोई सबुत मिला ना वे दे पाये जो claim करते हैं ।

  • @prembauddha5107
    @prembauddha5107 2 месяца назад +2

    एकदम बिलकुल सही कह रहे हैं जी 🙏💕🙏💕आप - ‌‌‌‌‌... प्रेम बोध

  • @user-ub4vd8iz9u
    @user-ub4vd8iz9u 2 месяца назад +1

    Raaj ki Baat,Prasada Chakhnaa !Joy Hind..!very innovative U R
    .

  • @triveni7481
    @triveni7481 2 месяца назад +3

    त्रिवेणी राम--- ब्राह्मणों ने जिस व्यूह रचना से वैदिक युग स्थापित किया था उसी व्यूह रचना को और अधिक विकसित करके आज भी जीवंत बना रखा है जिसके कारण आज भी ब्राह्मणवाद सिर चढ़कर बोल रहा है। ------ जय भीम !!!

  • @theIndianhistory9999
    @theIndianhistory9999 2 месяца назад +14

    वैदिक काल जैसा कूछ नहीं था, वैदिक काल केवल कागज पर बना था।
    वेदों का लेखन, तेरहवीं चौदहवीं सदी में हूआ था।
    वेदों का लेखन 1364 में हूआ था।

  • @pramodkushwaha3155
    @pramodkushwaha3155 2 месяца назад +7

    Thanks for your information.

  • @bachubhaigamit4488
    @bachubhaigamit4488 2 месяца назад +3

    Rajendra Prasad Singh is a true historian of India. History today being taught is not true history so it is required to think logically like Rajendra Prasad Singh to find true history of India

  • @natureplanet3612
    @natureplanet3612 2 месяца назад +96

    ये वैदिक सभ्यता का कहीं कुछ किला, खंडहर ,गाँव ,घर या लोटा बाल्टी हड़िया बर्तन, कुछ भी मिला है का सर ?

    • @Utkarsh18102
      @Utkarsh18102 2 месяца назад +22

      नहीं। उसे समय का एक पत्ता तक नहीं मिला।

    • @toppogaming1263
      @toppogaming1263 2 месяца назад

      एक घडे में हजारों करोडों साल पुराना भरा हुआ गोबर और गौमूत्र मिला है जिसे सबसे जादा obc चमनप्रास समझ के चाट रहे हैं

    • @scholarpradeep
      @scholarpradeep 2 месяца назад +16

      Kuch nahi mila,

    • @u2blancer902
      @u2blancer902 2 месяца назад +19

      Dainasor ke awshes mila hai lekin vedik kaal abhi tha hi nhi to kya milega

    • @theIndianhistory9999
      @theIndianhistory9999 2 месяца назад +17

      वैदिक काल जैसा कूछ नहीं था।

  • @jayeshsolanki8505
    @jayeshsolanki8505 2 месяца назад +8

    नमो बुद्धाय

  • @SurajkePhases
    @SurajkePhases Месяц назад +1

    You are really a great historian. Bharat ratn ho aap humare lie...

  • @dr.shivajikamble490
    @dr.shivajikamble490 2 месяца назад +4

    Thank you very much Sir for enlightening us!!!

  • @HarshitNegi-i7p
    @HarshitNegi-i7p 2 месяца назад +7

    गुरु जी, प्रणाम

  • @LBALAJIREDDY
    @LBALAJIREDDY 2 месяца назад +3

    This advice support Buddha marg great advice

  • @mahipal-gh8jc
    @mahipal-gh8jc 2 месяца назад +5

    बहुत बहुत आभार सर

  • @triveni7481
    @triveni7481 2 месяца назад +3

    मौर्य भी नागवंशी थे। ---- जय भीम !!!

  • @ashokjadhav5575
    @ashokjadhav5575 2 месяца назад +2

    JAY BHEEM NAMO BUDDHAY SIR JI 🙏

  • @pintusingh-nx5ju
    @pintusingh-nx5ju 2 месяца назад +2

    आदरणीय सर, बदलाव तो तत्काल हो सकता है बशर्ते की सही तरीके से समझाने वाला आप के जैसा अध्यापक हर पीढ़ी को मिले।

  • @Bihar56311
    @Bihar56311 2 месяца назад +6

    Namo budhya ❤

  • @sureshbelkhede
    @sureshbelkhede 2 месяца назад +6

    Switzerland, Turkey reduced police station and jail in some locations in their country.

  • @timetravelers6736
    @timetravelers6736 2 месяца назад +6

    सादर प्रणाम सर!आपका ज्ञान के आगे नतमस्तक हो गया ।❤❤🙏🙏🙏🙏🙏

  • @sushamawaghmare110
    @sushamawaghmare110 2 месяца назад +4

    Jay bhim namo Buddhay sir 🙏

  • @shivayankarprof.dadasahebm3507
    @shivayankarprof.dadasahebm3507 2 месяца назад +3

    वैदिक सभ्यता सिर्फ कागज पे है.

  • @SS-ct4hv
    @SS-ct4hv 2 месяца назад +3

    BOHOT SUNDAR JAANKARI DI AAP NE SIR JI💙🙏💙🙏 SUKRIYA

  • @suchentakri9223
    @suchentakri9223 2 месяца назад +1

    Namo Buddhaya sir ji 🙏🙏🙏🙏
    Jay Bhim sir ji 🙏🙏🙏🙏

  • @Sandeepkumar-iz6bw
    @Sandeepkumar-iz6bw 7 дней назад

    Gyan aur Satya ke bhandaar salute sir.

  • @Uttrakhnd6789
    @Uttrakhnd6789 2 месяца назад +9

    सर में उत्तराखंड से

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +2

      Waha ka kya haal hai

  • @punamchanddrkoli
    @punamchanddrkoli Месяц назад +1

    You are really a genius scholar in the history and of history

  • @avinashyamgar3947
    @avinashyamgar3947 2 месяца назад +6

    what a discourse sir... there is more scope of research in this field...

  • @mahimamahimadevi4197
    @mahimamahimadevi4197 Месяц назад +2

    Jay bhim namo buddhay jay samvidhan

  • @anuragjaiswal3463
    @anuragjaiswal3463 2 месяца назад +1

    360 veiw point sir ji amazing🎉

  • @user-rs5nl4tp5m
    @user-rs5nl4tp5m 2 месяца назад +4

    नागवंशीय बौद्धोकीही सिंधू सभ्यता थी. यही नागवंशीय लोग सारें देश में फैल थी. ऐसा प्रतीत होता है

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      आदरणीय
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      29 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए।
      एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
      मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

    • @BhagwanSingh-my5cm
      @BhagwanSingh-my5cm 2 месяца назад

      ​@@avadhutjoshi796Aaaaa Gaya Bramhanwad Bachane

    • @BhagwanSingh-my5cm
      @BhagwanSingh-my5cm 2 месяца назад

      ​@@avadhutjoshi796Aaaaa Gaya Bramhanwad Bachane

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 2 месяца назад

      @@BhagwanSingh-my5cm
      मैंने एक ही संदेश अलग-अलग लोगों को लिखा। क्योंकि मैं बहुतों को बताना चाहता था। आप एक ही संदेश एक व्यक्ति को तीन बार भेज रहे हैं, संदेश में कोई बदलाव नहीं है।
      मैंने कभी किसी ब्राह्मणवाद का समर्थन नहीं किया। फिर भी आप मुझे इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं। यह आपकी मूर्खता को ही दर्शाता है। और हमारे देश में आप जैसे बहुत से पढ़े-लिखे अनपढ़ लोग हैं। और आप जैसे मूर्खों को शिक्षित करने के लिए मुझे सरकारी सहायता की आवश्यकता है। सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो। जब तक मुझे सरकारी सहायता नहीं मिलती, आप अपने गलत विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
      अवधूत जोशी

    • @BhagwanSingh-my5cm
      @BhagwanSingh-my5cm 2 месяца назад

      @@avadhutjoshi796 Likhane se Kyaa Ho Jayega Aap Court me Collegium System Ko Hataye

  • @shakya1329
    @shakya1329 2 месяца назад +5

    निदरलैंड में जेल नहीं है।

  • @Mtv990
    @Mtv990 Месяц назад +1

    धम्मवाद सर जी आपको

  • @dr.sunitamanju3305
    @dr.sunitamanju3305 2 месяца назад +7

    सादर नमस्कार सर।

  • @kulwant747
    @kulwant747 2 месяца назад +7

    Fauj ka khach yada swiss bank me chla jata hai, soldier ko peeli patli daal milti hai

  • @gopalchandpatel6589
    @gopalchandpatel6589 2 месяца назад +1

    Very good knowledge sir Jai bhim

  • @parashuramgautam3236
    @parashuramgautam3236 2 месяца назад +1

    Bahut achchha dikhalaya hai aapne Jay bhim Namo budhay Jay sanvidhan Jay bharat Jay moolnivasi Jay johar

  • @vinodahlawat3658
    @vinodahlawat3658 2 месяца назад +2

    बहुत ज्ञानवर्धक और मौलिक वार्ता है सर।

  • @stock.92
    @stock.92 2 месяца назад +9

    वैदिक सभ्यता 1000 वर्ष से ज्यादा पुरानी नहीं है

    • @ravi-gx2qc2qz4r
      @ravi-gx2qc2qz4r 2 месяца назад

      Ved ka shilalekh 1380 BC purani hai

    • @theophilchristian1749
      @theophilchristian1749 Месяц назад

      ​@@ravi-gx2qc2qz4rकहां है यह शिलालेख?

    • @ravi-gx2qc2qz4r
      @ravi-gx2qc2qz4r Месяц назад

      @@theophilchristian1749 Bogazkoy Syria mein.

    • @TrikamlalParmar-qg8xp
      @TrikamlalParmar-qg8xp Месяц назад

      ​@@theophilchristian1749ये गपोडी कहां से आया है ये पाखंडी भारत आये 3600 साल ही हुये 1000 साल से ज्यादा समय नागवंशीयों और द्राविड़ो से संघर्ष किया तो कहां से लाया शिलालेख जय विज्ञान
      नमो बुद्धाय

    • @theophilchristian1749
      @theophilchristian1749 Месяц назад

      @@ravi-gx2qc2qz4r क्या आप लिंक दे सकते है?

  • @pushpendrabhaskar3813
    @pushpendrabhaskar3813 2 месяца назад +5

    Good information.

  • @shamsingh8683
    @shamsingh8683 2 месяца назад +2

    Dr Rajendra Prasad Singh, you are really grt

  • @YashRaj-cl9ly
    @YashRaj-cl9ly 2 месяца назад +2

    Aapane acchhe prashn uthae Hain

  • @Mudita00
    @Mudita00 2 месяца назад +2

    वैदिक का पूरा आचरण व्यवहार बौद्धकाल को याद दिलाता है

  • @zamling99
    @zamling99 2 месяца назад +1

    Sir please continue your work

  • @birendrakumar8014
    @birendrakumar8014 2 месяца назад +1

    सर शिक्षा की बहुत जरूरत है सच्चा इतिहास सामने आना चाहिए

  • @milindwakade6278
    @milindwakade6278 2 месяца назад +3

    Sahi bat hai sir.....❤️❤️❤️🙏

  • @PankajKumar-ts4sm
    @PankajKumar-ts4sm 2 месяца назад +4

    But She goes
    And He goes.
    अंतर स्पष्ट है
    स्त्री लिंग और पुल्लिंग सब भाषाओं में है।
    भाषा भी समय के साथ चलायमान है जो निरंतर चलती रहती है।

  • @justtrue-mb2er
    @justtrue-mb2er 2 месяца назад +1

    ❤Ly SUBSCRIBED
    From
    Karachi Sindh Pakistan 💐

  • @dr.shivajikamble490
    @dr.shivajikamble490 2 месяца назад +5

    Vaidik yug is not yug but it is jugad !!!

  • @jkpatel5245
    @jkpatel5245 2 месяца назад +4

    Very true

  • @priyatamanuragi9398
    @priyatamanuragi9398 2 месяца назад +1

    नमो बुद्धाय सर 🙏🏼
    आपकी बातें और व्याख्या हमेशा तार्किक लगती है।
    कृपया शुंग राजवंश के बारे में बताइए , यह काल्पनिक है या ऐतिहासिक ??

  • @efg-if2tv
    @efg-if2tv 2 месяца назад +3

    Bilkul sahi sirji

  • @poojasaroj6392
    @poojasaroj6392 2 месяца назад +3

    Thankyou so much sir 🙏🙏

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +1

      Gautam budhha pahle kis dharm ko mante they.

    • @poojasaroj6392
      @poojasaroj6392 2 месяца назад +2

      ​@@rpsingh6861 Gautam Buddha se pahle bhi 27 Buddha huye hai bharat me tab bhi Buddha dhamma hi tha

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +1

      @@poojasaroj6392 Pahle Budhha kaun hai. Kab paida hue they.

    • @poojasaroj6392
      @poojasaroj6392 2 месяца назад +2

      @@rpsingh6861 ताण्हणकर
      मेधाणकर
      शरणंकर
      दीपांकर
      कोण्डाञ्णा
      मंगला
      सुमना
      रेवता
      शोभिता
      अनोमदासी
      पदुमा
      नारद
      पदुमुत्तरा
      सुमेधा
      सुजाता
      पियदस्सि
      अट्ठादस्सी
      धम्मदस्सी
      सिद्धार्थ
      टिस्सा
      फुस्सा
      विपस्सी
      सिख
      वेस्सभू
      ककुसंध
      कोनागमन
      कस्सापा बुद्ध
      गौतम बुद्ध

    • @rpsingh6861
      @rpsingh6861 2 месяца назад +2

      @@poojasaroj6392 Kewal Gautam budhha ki murti kyo lagai jati hai. Unko gyaan ke liye ke liye dhyaan kyo lagana pada. Kya pahle budhha se gyan ki praapti nhi hua tha.

  • @DileepMaurya-ev3tc
    @DileepMaurya-ev3tc 2 месяца назад +3

    ❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @PochaiahPonaganti
    @PochaiahPonaganti 2 месяца назад +1

    Great sir.

  • @sanjaykgautam2903
    @sanjaykgautam2903 2 месяца назад +1

    Aap ka tark Satya hai

  • @prakashkothale8466
    @prakashkothale8466 Месяц назад +1

    बहुत तारकीक सर