प्रयागराज की अनूठी परंपरा है सावन मास में 'गहरेबाजी' का खेल

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  • Опубликовано: 11 сен 2024
  • प्रयागराज जिले में सावन के हर सोमवार को 'गहरेबाजी' की परम्परा सैकड़ो वर्ष पुरानी है, इसका एक खास आकर्षण है, इसे देखने के लिए प्रदेश के कई जिलों से लोग आते हैं। प्रत्येक सोमवार को यहां होने वाली 'गहरेबाजी' का भी अपना एक खास आकर्षण है, प्रयागराज में हर साल सावन के सोमवार की शाम इक्कों और घोड़ों की टापों से गूजने लगती है। इक्का दौड़ की इस लोक परम्परा गहरेबाजी को देखने के लिए प्रदेश के कई जिलों से लोग शहर की सड़कों में जमा हो जाते हैं। बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि सिंधी नस्ल के घोड़े सर्वोत्तम होते हैं।संगम नगरी में गहरेबाजी तीर्थपुरोहितों का पुराना शौक रहा है। गहरेबाजी आज के दौर में काफी मुश्किल शौक हो गया है. क्योंकि, आज के समय घोड़ों का रख-रखाव करने वाले लोग ही नहीं मिलते. बावजूद इसके पुश्तों के इस शौक से गहरेबाज अपने को अलग नहीं कर पाए हैं।
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