ऐसा कौन देव है जिसकी पूजा में सबकी पूजा हो जाये
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- Опубликовано: 15 сен 2024
- Worship of Which Bhagwan is Sufficient to Please All 33 Crore Bhagwan?
ऐसा कौन देव है जिसकी पूजा में सबकी पूजा हो जाये
#God #HinduGod #Bhagwan #देव
29.11.2018
हरदोई , उत्तर प्रदेश
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गौ माता ही इस सृष्टि मे, 33 कोटि देवी देवताओं को प्रसन्न कर सकती है, स्वंय 33 कोटी देवी देवताओं का वास गौमाता के भीतर होता है | जय गौमाता |
जय गऊ माता 🚩
वही गुरु जी ने व्यक्त किया, अपने इष्ट की पूजा करो बाकी देवी देवताओं को उनसे परिकर या अवतरित मानकर। 😂
@@realsrvbhtngr Srikrishna is only God, others all are his incarnation. Adi sankar's isht is srikrishna.
@@internationaldiplomacy indeed he's the parambrahma, the supreme God 🙌
@@internationaldiplomacythere is 5 isht (ईष्ट) devta, Brahma, Vishnu, Mahesh, Durga, Ganesh.
Shri krishna is the 7th incarnation of God Vishnu, all in their vyakta meta physical forms are considered as god, Gurudev gave you example of 5 fingers (panch isht devta) and one palm(parmeshwar). God in nirgun nirakar form is one, and in sagun sakar they have forms, titles, place.
Don't believe on iskon malechha, they are neither making you Hindu nor spiritual. 😂😂😂
Binayak(Ganesh) ji puja karne se sab devi devta khush hotey hai. Ganeshji sab key pyare hai.. Aur wo pratham pujya bhi hai... 😊🥰
Andhvishwas h sb
@@TheH7hunk tu mat kr na fir
Panch dev me se kisiki bhi pujan se sab ki pooja ho jati hai
@@TheH7hunk Rigved ka first word padna toh...
Kisi devi devta ko tumhare puja ki padi nahi hai jo unhe khush karne ki zaroorat hai. Har devi devta Brahm/Parmatma ke alag alag aspects ke roop hai. Ek ki puja karo aur sabki ho jayegi. Aur har devi devta alag alag cheezon ke liye pooje jate hai. Iska matlab ye nahi ki doosre devi devta bura maan jayenge.
ईश्वर कभी नाराज नही होते, तभी तो वे देव है, दिल से उन्हें प्रेम करो डरो नही, जिसे भी मानते हो बस दिल से मानो उन्हें प्यार करो। उन्हे बस प्यार चाहिए वे तो भाव के भूखे है।
चौहान साहब आपने सही कहा।
Sab devta akk ke vinna vinna swrup hee...
Prem he puja h
Hum hi eshwar hai aham brahmasmi
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जो जिसको पूजता है वह उसी को प्राप्त है, अगर प्रेतको, किसी अन्य देवता को, या किसी को भी पूजता है, वह उसे प्राप्त करता है, क्युकी यह अविधिपूर्वक पूजा है। जिस समय कोई भक्त, सभी देवताओं को एक ईश्वर के रूप मानकर, उपासना करता है, वह निश्चय ही कल्याण को प्राप्त होता है।
अर्थात् एक ही ईश्वर का रूप समझकर यदि मात्र गणपति की भी पूजा की जाय तो वह सफल होती है।
बालक बुद्धि के अनुसार एकदम उत्तम प्रश्न, जगद्गुरु शंकराचार्य जी हम सभी को ऐसे ही मार्ग दर्शन देते रहें
Radh radh
🌺हर हर महादेव🌺
🌼जय श्री राम🌼
🙏गुरुभ्यो नमः🙏
परमपूज्य जगदगुरूजी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम, 🙏🙏🙏 आपने सुंदर उत्तरों से हमारे मनों से दुविधा मिटाकर हमारे कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 🙏 साथ ही प्रश्नकर्ता शुक्लजी को उनके प्रश्न के लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद🙏😊। हर हर महादेव 🙏🙏🙏 🔥🔥🔥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
Iskon में उल्टा मंत्र पढ़ाते हैं?
राम पहले आए या कृष्ण?
अगर केवल कृष्ण ही प्रधान हैं तो क्यूं राम का नाम ले रहे हैं?
केवल हरे कृष्णा.... कहते रहिए?
@@VeereshSharmaIskon BHALE HAI GALAT HAI KINTU PRABHU KA NAM KAISE BHI LO KALYAN HI HOGA AAP SANKACHARYA JI KA ISKCON PER OR VIDEOS DEKHO AAP
Aap ise andar ke baat ko nahi jante ,
Dekhiye jo sidha mantra hai wo pahle ke jamane me , jo bade bade pandit the wo logon ko bolne se rokte the , or ye tark dete the ki kuchh aise karya kalap or vidhi karne ke bad hi wo insan is mantra ka jaap kar sakta hai ,
Isliye Radha Krishna ke avatar Shri Krishna chaitanya mahaprabhu, ne iska upay nikala ki ye ulta bola jaye taki sabhi prani bol saken or koe rukawat ya virodh na ho , or ulta bolte bolte ya mantra sidha bhi to ho jata hai na Prabhuji.
Or ek baat ye mantra swayam radha Krishna ke bhakt avatar ne diya hai , to iske mahtta utni hi hai ,
Plzz prabhuji understand ☺️🙏
Hare Krishna Hare Krishna, Krishna Krishna Hare Hare
Hare Ram Hare Ram , Ram Ram Hare Hare 🙏☺️@@VeereshSharma
I'm literally blessed to have the Darshan of swamy ji visiting Chennai last year @ my home town
@@kanathakurthakur8490 what?
@@kanathakurthakur8490 That's where we can your mother's videos right? Sorry but nobody here is intersted.
😂
प्रणाम महाराज जी ..
मैं भी जीवित था ... आप भी सदा उपलब्ध है
पर हाय मेरा दुर्भाग्य .. कभी आपसे संपर्क ही नहीं हो पाया ।
बहुत देर से ही सही .. आपके दर्शन तो हुए।
सदियों पुरानी सत्य सनातन परम्परा के प्रचारक , आज के समाज के सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक
जगत्गुरु जी के श्री चरणों मे कोटि-कोटि प्रणाम वंदन 🙌
हम सब को आशीर्वाद एवं शक्ति दे की हम आपकी बहाई ज्ञान गंगा को जन-जन तक प्रचारित कर पाए और माँ भारती की सेवा कर पाए
जय श्री पशुपतिनाथ ! जय श्री काशी विश्वनाथ !
Jay Jay Sri Kashi Vishwanath Ji ki Jay
jay pashupatinath
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम😇💐🙏😇
जय हो महाकाल की
ॐ
सब एक ही है चाहे राम बोलो या श्याम बोलो
दुर्गा बोलो या महालक्ष्मी हो
महाकाल बोलो या हरी बोलो
❤️❤️❤️❤️❤️👏👏
Too Good
AOMkar 🙏🙏🙏
Wrong interpretation...Sab ek nahi hai...Bhagwan aur devi devtao me antar hai...Jaise raat din ..Ma baap...Subah saam me antar hai..
Ishwar ek hai..Par bilkul saaf saaf shashtro me likha hai...Ishwar Shri Krishna hi hai..
@@enjoyyourlife257 क्या लिखे हो हुकुम
I am muslim but sir your good man sir 👍🏻👍🏻
I am hindu I am Muslim this not good for humanity be human and don't say anyone about what you are just do your work and your work will verify you
Gharwaaapsi karo jaldi
आप की सोच अच्छी है
We are all god children
Be happy
Aap muslim nahin hai .. aap ache insan hai ..
Agar musalmaan hote to murti pujak ki baate na sunte ye islam ke vipreet hai ..
जय गुरुजी आपके चरणों मे प्रणाम आपके जैसे ही साधु संत होने चाहिए ।।
सत्य सनातन धर्म के पंचदेवों गणेशजी, विष्णु जी, शिवजी, सूर्यजी, आदिशक्ति जगदम्बा की जय जय हो
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के चरणो मे कोटी कोटी प्रणाम.
जय श्री गणेश जय मां सरस्वती जय माँ गौरी जय श्री राम जय माँ भारती
Ganpti so
ngs
Sublime master of our generation, is testimony to the continuing tradition and sublimity of the Hindu scriptures.
🙏🙏🙏🙏आप जगत गुरु आदिशंकराचार्य जी के साक्षात् स्वरूप है आपको शत शत नमन एवं चरण वंदन करता हूं
इसी तरह ये रहे प्रमुख 33 देवता:-
12 आदित्य:- 1.अंशुमान, 2.अर्यमन, 3.इन्द्र, 4.त्वष्टा, 5.धातु, 6.पर्जन्य, 7.पूषा, 8.भग, 9.मित्र, 10.वरुण, 11.विवस्वान और 12.विष्णु।
8 वसु:- 1.आप, 2.ध्रुव, 3.सोम, 4.धर, 5.अनिल, 6.अनल, 7.प्रत्यूष और 8. प्रभाष।
11 रुद्र:- 1.शम्भु, 2.पिनाकी, 3.गिरीश, 4.स्थाणु, 5.भर्ग, 6.भव, 7.सदाशिव, 8.शिव, 9.हर, 10.शर्व और 11.कपाली।
2 अश्विनी कुमार:- 1.नासत्य और 2.द्स्त्र। कुछ विद्वान इन्द्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमारों को रखते हैं। प्रजापति ही ब्रह्मा हैं।
कुल : 12+8+11+2=33
Thoda aur explain krdo plz.
वेद कहते है ईश्वर एक है। और वैदीक कहते है इश्वर 36 करोड है। अब क्या सही और क्या झुठ यही बात तो पंडे पुरोहीत ही जान सकते है।
@@dwaitastroguru5187Sorry Bro But GOD is one . There are some incarnation of Him. And restless are just come from him.
Aur Dhan kuber bhagwan kaha Gaye ji
Bhai Bhagwan ek hai .Devta bahut se hai .Unme se pramuf devta 33 prkar ke hai
पूज्य प्रभु संकराचार्य जी के चरणों मे कोटि कोटि प्रनाम......
श्री राम जय जगन्नाथ
Vinia Gupta .jai jagannath j sri krishnaa.
See
कभी खेत में उत्तर कर या मजदूरी किया है। कभी बच्चे पाले है? किया होता तो आज लाल नहीं होता बूढ़ा होते होते काला हो जाता कभी धूप में शरीर जलाया जला कर पहले ये कर ले बाद में ज्ञान देना
Jay jagannath prabhu 🙏
समस्त अघोरियों के गुरु अघोराचार्य अघोरेश्वर महादेव के चरणों मे अलख आदेश आदेश
Har Har mahadev
परम पुरुषोत्तम भगवान वासुदेव कृष्ण की पूजा करणे से सब देवो की पूजा हो जाती.कृष्ण ही सर्वोच्च देवता (भगवान) हे
ये तु वै विष्णुभक्ताश्च शङ्करार्चनतत्पराः॥
शिवप्रसादात्सुलभा वैष्णवी भक्तिरुत्तमा।
वैष्णवः पुरुषो भूत्वा शङ्करं लोकशङ्करम्॥
कर्मभूम्यां समागम्य न पूजयति नारकः।
(भविष्य पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खण्ड, अध्याय - ०४, श्लोक - ४३-४४)
जो व्यक्ति भगवान् विष्णु के प्रति भक्तिभाव रखकर शिवजी की पूजा करता है, उसे शिवकृपा से अत्यंत उत्तम वैष्णवी भक्ति मिलती है। जो इस कर्मभूमि में वैष्णव होकर भी लोककल्याणकारी भगवान् शंकर की पूजा नहीं करता है, उसे नारकीय समझना चाहिए।
@@sumitvasishtha9095 विष्णु शिव भवानी में भेद नहीं है। और गणेश जी इन्हीं के ही अंश है। और इन सबका आधार परमेश्वर वासुदेव है। हर कृष्ण भक्त को शंकर जी की उपासना करनी चाहिए, आराधना करनी चाहिए क्योंकि वे ही हमारे मार्गदर्शक है। वे उसी सर्वोच्च शक्ति की महान करुणामय अभिव्यक्ति है।
हरि हर भेदी ,,,,, नरक गामी
जो शिव है वही साक्षात नारायण है, जो नारायण हैं वही साक्षात शिव हैं, दोनो में तनिक मात्र भी अंतर नहीं है। दोनो एक ही तत्व हैं। इन दोनो में तनिक भी भेद करनेवाला नरक को प्राप्त होता है।
आपने जो पुष्प नारायण को अर्पित किए हैं, वह निश्चित ही शिव को प्राप्त होते हैं, शिव को अर्पित पुष्प नारायण को प्राप्त होते हैं।
क्या सुनते हो आप लोग । परमब्रह्म के पांच रूप शिव जी , विष्णु जी , मां भवानी ( शक्ति ) सूर्य नारायण और गणेश जी । इनमें से आप जिनको भी अपना इष्ट देव मानते हो । इनमें से जो भी आपका इष्ट देव है। उसकी भक्ति मांगने के लिए , उनकी कृपा के लिए, शेष चारों रूपों की पूजा इसलिए करें । कि हमें हमारे इष्ट देव की भक्ति प्राप्त हो । हर हर महादेव 🕉️🕉️🕉️🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️
Tune bhai lecture theek se suna nahi bhai. Tum bas sabse unche aur sabse niche ke chakkar mein ho reh jaaoge😂
The "worship of the five forms" (pañcāyatana pūjā) system, which was popularized by philosopher Śaṅkarācārya among orthodox Brahmins of the Smārta tradition, invokes the five deities Ganesha, Vishnu, Shiva, Devī, and Sūrya.
Nice information!!!
जय हिंदुराष्ट्र
Jagatguru did not avoid answering the question. He said aradhana of istadevata is most beneficial because the particular devata will bless the person as HE has been blessing the person's forefathers also. But i believe, if somebody does not have an istadevata then he/she should pray Lord Mahavishnu because in Srimadbhagwat gita Lord Srikrishna says ' all the prayers to any god/godess ultimately comes to me'.
अगर ईष्ट नहीं हैं तो कुल देव अथवा कुल देवता की आराधना का विधान है, वो भी ज्ञात नहीं हैं तो ग्राम देव, ग्राम देवी की आराधना का विधान है।
har har har mahadev jai ho shiv sambhu 🙏om namha shivaye 🙏
🙏🏼🌷🦚🌼श्री सदगुरुदेव भगवान की जय🌼🦚🌷🙏🙂
🙏🏻🌷🌼श्री सीताराम हरे कृष्ण राधे राधे गुरुदेव🌼❤🌷🙏
🌷🙏🏻आपके पावन श्री चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम ❤💐🙏🙂
SHIVA IS THE SUPREME GODHEAD...NO ONE IS SUPREME THAN LORD SHIVA....HAR HAR MAHADEV
परम् ज्ञान
It's very heartwarming to see His holy Shankaracharya ji maharaj laughing to innocent people but his blessing for all.
Devi ma ki pujan se sbki puja ho jati h jai mata di
जय श्री राम जय श्रीकृष्ण जय हरिहर
Koti koti pranam shankaracharya ji
जय गुरुदेव 🙏🙏🙏🙏
शिव के शिवलिंग की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है पुराणों में वर्णित है
Right maine bhi padha hai shiv puran main
Shiv puran mai shiv ji ka hi bataya jayega or kha padha hai
@@mohan1646 kafi pahle padha tha ki shiv ji ki puja karne se saare devi detaon ki puja ho jaati hai aur baaki sare devi devta akele puje jate hai nd abhi shiv puran gaon main shiv mandir main diya hai
🙏🙏🙏🙏
आकाशात् पतितम् तोयम् यथा गच्छती सागरम
सर्व देव नमस्कारं केशवम् प्रती गच्छती ❤
Krishna is a supreme personality of Lord, 16 kalawo se yukt purn परमेश्वर
Avatar of vishnu
कर्म ही पूजा है, उचित कर्म करो निराकार परमात्मा ॐ तुम्हारे साथ रहेंगे।
परम-पूज्य शंकराचार्य जी को साष्टांग प्रणाम...
Aap aadmi ko praname kar rahe h real kya aap jante h bhaia
Bhagwan kewal sadasiv h jo ek bindu h ...siv jee hi ant h wahi aadi h yutyub ke faltu bkwas me na pade ..mrityu hi satya h ..satya sanatan mahakal
I'm also willing to express myself .....
There are 4 Shankaracharya in our religion. They represent us so we must respect them.
Gurudev ji ko pranaam❤❤
हे परम श्रद्धेय स्वामी जी,
आपके श्री चरणों मे कोटि-कोटि-कोटि वन्दन है ।।
आपकी सदा ही जय हों ।
🙏🙏 सीताराम सीताराम सीताराम 🙏🙏
प्रणाम महाराज जी आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं 🙏🙏🙏🙏
जय हो गुरुदेव आपकी 🙏 आपके चरणों में प्रणाम 🙏
भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा से सभी देवता प्रसन्न होते हैं
bhgan narayan .jai shri hari
भगवान शिव जी
हर हर महादेव 🙏🏻
गुरु देव भगवान शंकराचार्य स्वामी श्री को नमन
श्री राम जै राम जै जै राम अनन्त श्री विभूषित महाभाग भगवत पाद भासयकार शिवावतार शंकराचार्य भगवान् की जै सर्व भूत ह्रदय महाभाग श्री करपात्री जी महाराज की जै ?
मूर्ति पूजा वेद संगत नहीं हैं आज हिन्दू समाज मुख्यत: मूर्ति पूजक समाज बन गया हैं … छोटे छोटे पत्थरों को ईश्वर की मूर्ती समझ कर पूजने से लेकर, बड़े बड़े मंदिरों में अनेकों स्वर्ण-मोती जड़ित मूर्तियों को ईश्वर पर ध्यान केन्द्रित करने का साधन बताता हैं तो कोई यह तर्क देता हैं की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ईश्वर स्वयं मूर्तियों में विराजमान हो जाते हैं.
वैदिक काल में निराकार ईश्वर की पूजा होती थी जिसे कालांतर में मूर्ति पूजा का स्वरुप दे दिया गया.श्री रामचंद्र जी महाराज और श्री कृष्ण जी महाराज जो उत्तम गुण संपन्न आर्य पुरुष थे उन्हें परमात्मा का अवतार बनाकर उनकी मूर्तियाँ बना ली गयी.ईश्वर जो अविभाजित हैं उनके तीन अंश कर ब्रह्मा, विष्णु और महेश पृथक पृथक कर दिए गए. यह कल्पना भी वेद विरुद्ध हैं.उनकी पृथक पृथक पत्नियों की भी कल्पना कर दी गयी. आगे सूर्य, गणेश, हनुमान, भैरव, काली. चंडी आदि की भी कल्पना कर उनकी मूर्तियाँ बना दी गयी जो की वेद विरुद्ध थी.
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.५१)_
हे राजन! सत्ययुग में विष्णु का ध्यान करने से, त्रेता युग में यज्ञ करने से तथा द्वापर युग में भगवान् के चरणकमलों की सेवा करने से जो फल प्राप्त होता है, वही कलियुग में केवल *"हरे कृष्ण"* महामंत्र का कीर्तन करके प्राप्त किया जा सकता है।
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.५२)_
ऐसा ही श्लोक विष्णु पुराण(६.२.१७), पद्म पुराण (उत्तर खंड ७२.२५) तथा ब्रह्न्नारदीय पुराण (३८.९७) में भी पाया जाता है।
इतना सब होने पर भी कितना सहज मार्ग बताया। *"हरे कृष्ण"* महामन्त्र संकीर्तन।
*_हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।_*
*_हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।_*
@@4agrawal tumhara alag hi copy paste chal RHA .
@@ahmadwasim1984 lol ab AAP yaha batayenge Kon Kya hai .
@@ahmadwasim1984 अरे मूर्ख वसीम , भगवान निराकार या आकार से भी परे है और उनमें सब समाहित है . तुम उन्हें मानसिक उहापोह करके नहीं समझ सकते.. वे परब्रम्ह है . यहां अपना मदरसा छाप कथाकथित म्लेच्छ जानकारी मत फेला।
गणपति जी की कृपा से अनुग्रह मिलता है
Jai jai shree sita ram jai jai siya ram
प्रणाम है नमन है बारम्बार प्रणाम है नमन है आप मेरे दिल के देवता हैं मेरे परमात्मा स्वरूप मेरे राम तेरी जय जयकार हो मेरे ईश्वर मुझे गुरु भक्ति दो नाथ राधे राधे 🙏🏻
शिवलिंगेपि सर्वेषाम् देवानाम् पूजनम् भवेत्
Guru ji ko koti koti nmn.
Bhut hi achhe se smjhaya hei.
Guru g zindabad g
जय जगन्नाथ जय गुरुदेव
गुरुदेव भगवान को कोटि-कोटि प्रणाम; बहुत ही सरल हृदय या ब्राह्मण बालक ईश्वर से ऐसी प्रार्थना है कि उनकी सरलता इसी प्रकार बनी रहे क्योंकि सरल हृदय वाले व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति सबसे अधिक सुलभ हैं
परमब्रह्म के पांच रूप शिव जी , विष्णु जी , मां भवानी ( शक्ति ) सूर्य नारायण और गणेश जी । इनमें से आप जिनको भी अपना इष्ट देव मानते हो । इनमें से जो भी आपका इष्ट देव है। उसकी भक्ति मांगने के लिए , उनकी कृपा के लिए, शेष चारों रूपों की पूजा इसलिए करें । कि हमें हमारे इष्ट देव की भक्ति प्राप्त हो । हर हर महादेव 🕉️🕉️🕉️🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️
Om Shree Jagat Guru Swamy Sankaracharjya Mahharaj ji ki Jai
इस बाबा की पूजा करने से हिन्दू धर्म का खात्मा हो जायेगा
One line ans.
Supreme Personality of Godhead is Krishna.
If one worship Krṣṇa or Vishnu , all demigods are worshipped by default.
N person comments about Nirakar is one step below of Transdental Knowledge of Supreme Personality (Bhakti)
U r Prabhupad's deciple ?
Mee too 😊😊😊
I'm trying to be Disciple of Prabhupada
🙏🙏🙏🙏
Context of demi god here?
Demigod is content of greeks not hindus. Shiva is mahadev, god of gods.
@@user-jq6up8qw1r exactly
Very nice question 👌👍
akashat patitam toyam yatha gacchati sagaram, sarva dea namaskarah keshavam pratigacchati. Meaning: As all raindrops falling form the sky ultimately meet their end in the ocean, prayers offered to all gods ultimately reach the one lord.
Har Har Mahadev Swamije,KOTI KOTI PARNAM SAT SAT NAMAN SWAMIJE
Jai gurudev 🙏🙏🙏
Jai Shree Ram ji Jai bajrang bali ji kripa bani rahe ji 🥰🌹🍇💞❤️🍎🙏🙏🌺🥥☺️🔱🔱🚩
Jai jai hey Mahishasurmardini...🙏
आदरणीय शिवस्वरूप के चरणों मे सादर दंडवत प्रणाम
Back to vedas .come to krishna.
He is supreme ,almighty or prbarham.
- Geeta
krishna worshipped Shiva
No one is above Shiva or Ishwar
Ankur Indian, Krishna also became charioteer for Arjuna. Please understand - Common man cannot get God’s Leelas.
@@Chanakya831 Shiv bade hai ya raam ya Krishna bade hai kripya bataaye
Krishna Ji Was Yogeshwar Siddh Purush Alokik Purush That's it....... *_He was Not God_*
Lord Vishnu
33 crore nhi 33koti hota Jai Shree Mahakal 🙏🙏🙏Jai Shree Mahakal 🙏🙏🙏Jai Shree Mahakal 🙏🙏🙏Jai Shree Mahakal 🙏🙏🙏
Jai shree Satya Sanatan Vaidik Dharm Om padmanabhaswamy namah Jai gurudevi ji
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 24
जो शाश्त्र विधि को त्याग मनमाना आचरण करता है उसको न सूख शान्ति न सिद्धि ओर न ही परमगति मोक्ष मिलता है
Good
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.४२)_
कलियुग में लोगों की बुद्धि नास्तिकता के द्वारा विपथ हो जायेगी। तीनों लोकों के नियन्ता तक भगवान् के चरण-कमलों पर अपना शीश नवाते हैं, किन्तु इस युग के क्षुद्र एवं दुखी लोग ऐसा नही करेंगे।
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.४३)_
अन्त में श्रीशुकदेव जी कहते हैं: हे राजन! यद्यपि कलियुग दोषों का सागर है फिर भी इस युग में एक अच्छा गुण है-केवल *"हरे कृष्ण"* महामन्त्र का कीर्तन करने से मनुष्य भवबन्धन से मुक्त हो जाता है और दिव्य धाम को प्राप्त होता है।
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.५१)_
हे राजन! सत्ययुग में विष्णु का ध्यान करने से, त्रेता युग में यज्ञ करने से तथा द्वापर युग में भगवान् के चरणकमलों की सेवा करने से जो फल प्राप्त होता है, वही कलियुग में केवल *"हरे कृष्ण"* महामंत्र का कीर्तन करके प्राप्त किया जा सकता है।
_(श्रीमद्भागवतम् १२.३.५२)_
ऐसा ही श्लोक विष्णु पुराण(६.२.१७), पद्म पुराण (उत्तर खंड ७२.२५) तथा ब्रह्न्नारदीय पुराण (३८.९७) में भी पाया जाता है।
इतना सब होने पर भी कितना सहज मार्ग बताया। *"हरे कृष्ण"* महामन्त्र संकीर्तन।
*_हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।_*
*_हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।_*
@surojeet chatterjee har cast m dikh rha hai aaj wo sb jao facebook aur twitter pr dekh lo kitne gaddar bhare pade hain desh me ...Mai to khud samjh nhi paa rha ki aisa kaise bn gya hindu log jo ulta muslim haramkhoro k liye hindu se hi lad rha hai usme b yaha tk ki sb party politics k chakkr m apne hi cast walo se b lad rha hai RSS aur modi wala bta kr khud sb sirf paise k peeche pgla gya sara hindu lgta hai
@surojeet chatterjee पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी को यूट्यूब पर उनका चैनल है उस पर वीडियो सर्च करके सुनिएगा
@surojeet chatterjee modi ji k time kiya h ?
"ब्रह्म मुहूर्त में उठना और स्नान आदि कर ईश्वर की पूजा आराधना करना, यही हमारे पूर्वजों की परंपरा रही है। आज की पीढ़ी अपनी परंपराओं से कट गई है। लोग तनाव में जी रहे हैं। जीवन में धर्म-सत्संग को स्थान दें, सारी नकारात्मकता दूर हो जाएगी।"
- परमपूज्य श्रीमज्जगद्गुरू शङ्कराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी
True and inspiring 🙏🙏🙏
अ॒स्य दे॒वस्य॑ मी॒ळ्हुषो॑ व॒या विष्णो॑रे॒षस्य॑ प्रभृ॒थे ह॒विर्भि॑: । वि॒दे हि रु॒द्रो रु॒द्रियं॑ महि॒त्वं या॑सि॒ष्टं व॒र्तिर॑श्विना॒विरा॑वत् ॥
अस्य देवस्य मीळ्हुषो वया विष्णोरेषस्य प्रभृथे हविर्भिः । विदे हि रुद्रो रुद्रियं महित्वं यासिष्टं वर्तिरश्विनाविरावत् ॥
asya devasya mīḻhuṣo vayā viṣṇor eṣasya prabhṛthe havirbhiḥ | vide hi rudro rudriyam mahitvaṃ yāsiṣṭaṃ vartir aśvināv irāvat || (rigveda 7.40.5)
English translation: “I propitiate with oblations the ramifications of that supreme divine attainable Viṣhṇu, the showerer of benefits; Rudra, bestow power of supreme vishnu of his nature; the Aśvins have come to our dwelling abond with(sacrificial) food.”
केवल भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सब देवी देवता वों की पूजा हो जाती है।। गीता में कहते हैं भगवान " अहं सर्वस्य प्रभावो मत्तः - मै ही सबका स्वामी हूं, सर्व धर्मान परित्यज्य माम् एकं शारणं व्रज। - सारे धर्म त्यागकर केवल मेरे शरण में आवो। यह सिध्द करता है कि कृष्ण पूर्ण पुरुषोतम भगवान हैं। उदा :2000 रू के नोट में1रु 2रु 5रु 50रु 100रु 500रु सब है, इसी तरह कृष्ण में सारे देवी देवता है , विश्व रूप में भी यह भगवान प्रकट करते हैं- वे ही सर्व कारण कारण है।। भोक्तारं यज्ञ तपसां सर्व लोक महेश्वरं- गीता को सोच समझकर लिपि भद्द तो गणेश जी ने ही की है - इसे वे ही मानते हैं कि कृष्ण ही साक्षात् भगवान है । सभी उनके दास।। गुरुदेव को प्रणाम।।।
माता पिता, गुरु जनों, कुल देव को त्याग सिर्फ ईष्ट की पूजा करना क्या सही है?
कृष्ण अर्जुन के सखा होने के साथ उसके ईष्ट भी हैं. क्या अर्जुन ने अपने कुल देव, गुरु, माता और भ्राता की वंदना को त्याग दिया था?
श्रीमान जगद्गुरु शंकराचार्य शास्त्री महाराज जी की जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय जय शंकर हर हर शंकर जय जय शंकर हर हर शंकर जय जय शंकर हर हर शंकर🌹💐🙏💐🌹🙏🙏🙏🙏
Keval shyam Sundar ki bhakti karo....unki bhakti se sare Devi devta sab apne aap hi khus ho jate h....
Aur Brahma ji ne bhagwat me kaha hai....ki ....mene saare vedo shastro ko 3baar pada hai aur uska saar yehi hai...ki kuchh mat suno kuchh mat jano ba keval Govind ki hi bhakti karo....
हे, स्नेह और करुणा के आराध्य देव तुम्हें नमस्कार हो, नमस्कार...
हम सभी नाम, रूप और गुणों मे तुम्हारी ही पूजा और वंदना करे... Om
हरदोई कार्यक्रम में पूज्य श्री का उद्बोधन
Mujhe hamesa aisa Kyu mehsus hota,ki koi sadhu ya shant k bhes may bhagwan shiv swyam hm manusya k bij bethe Hai..? jaise yeh Maharaj bethe Hai...
पुरी शंकराचार्य जी महाराज को कोटी कोटी वंदन नमन
गुरुवर के श्रीचरणों में नमन
Manave seva he Madhav seva.
Sadguru shankaracharysji ke charanksmlo me koti koti pranam
उसने एक प्रश्न किया था इसका एक ही जवाब होना चाहिए था पर महाराज जी ने चार जवाब दिया बिचारा अब वो किसका पूजा करें वास्तव में पूजा एक परम पिता ज्ञान का सागर पतित पावन सर्व शक्तियों का सागर उस एक निराकार की होनी चाहिए जिनको हम सनातन धर्मावलंबी शिव मंदिर में ज्योतिर्लिंग के रूप में भारत में द्वादश ज्योतिर्लिंग जिसने पूजा करते हैं परमात्मा परमपिता होने के नाते सर्व आत्माओं की पिता है इस संसार में हम सभी चाहे देवात्मा धर्मात्मा महान आत्मा पुण्यात्मा या तो पाप आत्मा हो इन सभी आत्माओं का पिता शिव ही है उनके ही नाम के पीछे ईश्वर अथवा नाथ शब्द का प्रयोग किया जाता है अर्थात वही इस संसार का विश्व पति विश्वनाथ है वही इन तीनों लोगों का त्रिलोकीनाथ है वही ब्रह्मा विष्णु और शंकर का भी रचयिता होने के नाते उनको त्रिदेव भी कहा जाता है वह देवताओं का असुरों का भी ईश्वर होने के नाते उनको देवा सुरेशसर कहते हैं इसलिए सर्वप्रथम पूजा एक परम पिता परमात्मा निराकार शिव का होना चाहिए वास्तव में सच्चा पूजा सच्ची भक्ति एक की जाती है इसको ही व्यभिचारी भक्ति कहते हैं याद सिर्फ एक ही होनी चाहिए उदाहरण के तौर पर हम सभी कहते हैं परमात्मा साजन है और हम सब उस एक के सजनी है तो फिर उसे एक को ही याद करना चाहिए ना उस एक की ही पूजा होनी चाहिए ना परंतु आज इस कलयुग के अंत समय में हम उनको भूल चुके हैं हमको उनकी सत्य परिचय नहीं है परिचय इसलिए नहीं क्योंकि हमको खुद की परिचय नहीं है अब हम खुद को तब ही जानेंगे जब इस शरीर से अलग स्वयं को एक चेतन आत्मा समझेंगे तब परमात्मा पिता का उस परम धाम में जो कि वह गीता में कहा है कि मैं वहां का रहवासी हूं जहां पर सूर्य चंद्र प्रकाश नहीं पहुंच सकता परमधाम का निवासी हूं मैं और मैं आता है तब हूं जब आज्ञानेताओ का अंधकार में मनुष्य आत्माएं अपने कर्म हर धर्म भूलकर धर्म भ्रष्ट और कर्म भ्रष्ट बन जाते हैं और अती धर्म ग्लानि का समय हो तब मैं आता हूं मैं प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा नई दुनिया स्वर्ग की पुनः स्थापना करता हूं सर्वधर्म की विनाश कर के एक सत धर्म की स्थापना करता हूं वो कहते हैं मुझे याद करने से ही मनुष्य आत्माएं पतित से पावन बनते हैं पावन बनने से ही मेरे साथ जाएंगे यह संदेश है शिव बाबा का बाप सर्वदा एक होता है बच्चे अनेक होते हैं इसी तरह आत्माएं अनेक होते हैं देवात्मा महान आत्माएं धर्मात्मा पुण्य आत्मा पाप आत्मा जैसे अनेक होते हैं परंतु हम इन सब को परमात्मा नहीं कह सकते क्योंकि घर का मुखिया जो होता है एक होता है गांव का मुखिया भी एक होता है जिला का मुख्यालय एक होता है राज्य का मुखिया भी राज्यपाल एक होता है राष्ट्र का मुख्यालय एक होता है इस प्रकार सारे विश्व ब्रह्मांड की मुखिया भी एक ही है और यही अटल सत्य है सत्य ही शिव है शिव ही सुंदर है और सुंदर इस संसार है मैं आत्मा हूं शरीर की वस्त्र धारण कर कर मैं आत्मा इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर अपना अनादि अविनाशी पार्ट वजा रही हूं मैं इस संसार 4 दिन का मेहमान हूं मैं परम पिता परमात्मा का अति प्रिय संतान हूं मैं वह पिता भगवान मुझे बहुत ही प्यार करते हैं मुझे इस जीवन में कोई भी दुख कास्ट उठाना पड़े तो मैं समझूंगा मैं अपने पूर्व जन्म की कर्म की प्रतिफल भोग रहा हूं मैं मेरे पिता परमात्मा को इतनी गुजारिश करूंगा उनसे मुझे इतनी शक्ति मिल जाए जो मैं इन कष्ट दुख उसे इतनी दूर चला जाऊं मेरे परछाई तक थी इनको नजर ना आए सत्यम शिवम सुंदरम
Bhai inse bhi upar h kuch
क्या रूपयों का संग्रह करते हुए भी भगवान का दर्शन हो सकता है अगर हां तो शास्त्र पुराण माया या रुपयों से दूर रहने को क्यों कहते हैं
अगर नहीं तो यह प्रवचन कर्ता इतनी माया क्यों इकट्ठा करते हैं
Bewkoof ho Kya pehle ved shashtro ko padho , Geeta padho phir pata lagega ki shree hi parmatama hai shivji to bhagwaan Krishna ke bhakta hai ,, Ved, shashtra padho bewkoof
@@jaybilla1575 वेदों को पढ़ने के पश्चात भी आपके स्वभाव में इतनी उग्रता?? कहीं ये आपका अभिमान तो नहीं बोल रहा?? पहले आप अपने स्वभाव में नम्रता लाएं।
@@dheerajlakhani4173 रूपयों का संग्रह धार्मिक कार्यों के लिये आवश्यक है, रुपयों का संग्रह कर अपना धार्मिक कर्तव्य पूर्ण करो, दान करो, यज्ञ आदि के माध्यम से पाप का प्रक्षालन करो परन्तु ध्यान बस इतना रहे कि धन का आर्जन व्यसन के रूप में ना लगे और धन में राग न होने पाये।
Very DIVINE explanations.
KOTI KOTI PRANAM.
SHANKRACHARAYA MAHARAJ KO KOTI KOTI PRANAM🙏🙏
Bro lestine 33 kote means 33 types.
Not 330 millions (coroad).
Ya sure that's right
देवी देवताओं की गिनती करोगे कैसे? 14 भुवनों में व्याप्त देवी देवताओं की जनसंख्या गणना करोगे क्या?
@@himanshugangwani6212
इसी तरह ये रहे प्रमुख 33 देवता:-
12 आदित्य:- 1.अंशुमान, 2.अर्यमन, 3.इन्द्र, 4.त्वष्टा, 5.धातु, 6.पर्जन्य, 7.पूषा, 8.भग, 9.मित्र, 10.वरुण, 11.विवस्वान और 12.विष्णु।
8 वसु:- 1.आप, 2.ध्रुव, 3.सोम, 4.धर, 5.अनिल, 6.अनल, 7.प्रत्यूष और 8. प्रभाष।
11 रुद्र:- 1.शम्भु, 2.पिनाकी, 3.गिरीश, 4.स्थाणु, 5.भर्ग, 6.भव, 7.सदाशिव, 8.शिव, 9.हर, 10.शर्व और 11.कपाली।
2 अश्विनी कुमार:- 1.नासत्य और 2.द्स्त्र। कुछ विद्वान इन्द्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमारों को रखते हैं। प्रजापति ही ब्रह्मा हैं।
कुल : 12+8+11+2=33
इसके अलावा ये भी हैं देवता:-
49 मरुतगण : मरुतगण देवता नहीं हैं, लेकिन वे देवताओं के सैनिक हैं। वेदों में इन्हें रुद्र और वृश्नि का पुत्र कहा गया है तो पुराणों में कश्यप और दिति का पुत्र माना गया है। मरुतों का एक संघ है जिसमें कुल 180 से अधिक मरुतगण सदस्य हैं, लेकिन उनमें 49 प्रमुख हैं। उनमें भी 7 सैन्य प्रमुख हैं। मरुत देवों के सैनिक हैं और इन सभी के गणवेश समान हैं। वेदों में मरुतगण का स्थान अंतरिक्ष लिखा है। उनके घोड़े का नाम 'पृशित' बतलाया गया है तथा उन्हें इंद्र का सखा लिखा है।-(ऋ. 1.85.4)। पुराणों में इन्हें वायुकोण का दिक्पाल माना गया है। अस्त्र-शस्त्र से लैस मरुतों के पास विमान भी होते थे। ये फूलों और अंतरिक्ष में निवास करते हैं।
7 मरुतों के नाम निम्न हैं- 1.आवह, 2.प्रवह, 3.संवह, 4.उद्वह, 5.विवह, 6.परिवह और 7.परावह। यह वायु के नाम भी है। इनके 7-7 गण निम्न जगह विचरण करते हैं- ब्रह्मलोक, इन्द्रलोक, अंतरिक्ष, भूलोक की पूर्व दिशा, भूलोक की पश्चिम दिशा, भूलोक की उत्तर दिशा और भूलोक की दक्षिण दिशा। इस तरह से कुल 49 मरुत हो जाते हैं, जो देव रूप में देवों के लिए विचरण करते हैं।
12 साध्यदेव : अनुमन्ता, प्राण, नर, वीर्य्य, यान, चित्ति, हय, नय, हंस, नारायण, प्रभव और विभु ये 12 साध्य देव हैं, जो दक्षपुत्री और धर्म की पत्नी साध्या से उत्पन्न हुए हैं। इनके नाम कहीं कहीं इस तरह भी मिलते हैं:- मनस, अनुमन्ता, विष्णु, मनु, नारायण, तापस, निधि, निमि, हंस, धर्म, विभु और प्रभु।
64 अभास्वर : तमोलोक में 3 देवनिकाय हैं- अभास्वर, महाभास्वर और सत्यमहाभास्वर। ये देव भूत, इंद्रिय और अंत:करण को वश में रखने वाले होते हैं।
12 यामदेव : यदु ययाति देव तथा ऋतु, प्रजापति आदि यामदेव कहलाते हैं।
10 विश्वदेव : पुराणों में दस विश्वदेवों को उल्लेख मिलता है जिनका अंतरिक्ष में एक अलग ही लोक है।
220 महाराजिक :
30 तुषित : 30 देवताओं का एक ऐसा समूह है जिन्होंने अलग-अलग मन्वंतरों में जन्म लिया था। स्वारोचिष नामक द्वितीय मन्वंतर में देवतागण पर्वत और तुषित कहलाते थे। देवताओं का नरेश विपश्चित था और इस काल के सप्त ऋषि थे- उर्ज, स्तंभ, प्रज्ञ, दत्तोली, ऋषभ, निशाचर, अखरिवत, चैत्र, किम्पुरुष और दूसरे कई मनु के पुत्र थे।
पौराणिक संदर्भों के अनुसार चाक्षुष मन्वंतर में तुषित नामक 12 श्रेष्ठगणों ने 12 आदित्यों के रूप में महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से जन्म लिया। पुराणों में स्वारोचिष मन्वंतर में तुषिता से उत्पन्न तुषित देवगण के पूर्व व अपर मन्वंतरों में जन्मों का वृत्तांत मिलता है। स्वायम्भुव मन्वंतर में यज्ञपुरुष व दक्षिणा से उत्पन्न तोष, प्रतोष, संतोष, भद्र, शांति, इडस्पति, इध्म, कवि, विभु, स्वह्न, सुदेव व रोचन नामक 12 पुत्रों के तुषित नामक देव होने का उल्लेख मिलता है। बौद्ध धर्मग्रंथों में भी वसुबंधु बोधिसत्व तुषित के नाम का उल्लेख मिलता है। तुषित नामक एक स्वर्ग और एक ब्रह्मांड भी है।
अन्य देव- ब्रह्मा (प्रजापति), विष्णु (नारायण), शिव (रुद्र), गणाधिपति गणेश, कार्तिकेय, धर्मराज, चित्रगुप्त, अर्यमा, हनुमान, भैरव, वन, अग्निदेव, कामदेव, चंद्र, यम, हिरण्यगर्भ, शनि, सोम, ऋभुः, ऋत, द्यौः, सूर्य, बृहस्पति, वाक, काल, अन्न, वनस्पति, पर्वत, धेनु, इन्द्राग्नि, सनकादि, गरूड़, अनंत (शेष), वासुकी, तक्षक, कार्कोटक, पिंगला, जय, विजय, मातरिश्वन्, त्रिप्रआप्त्य, अज एकपाद, आप, अहितर्बुध्न्य, अपांनपात, त्रिप, वामदेव, कुबेर, मातृक, मित्रावरुण, ईशान, चंद्रदेव, बुध, शनि आदि।
अन्य देवी- दुर्गा, सती-पार्वती, लक्ष्मी, सरस्वती, भैरवी, यमी, पृथ्वी, पूषा, आपः सविता, उषा, औषधि, अरण्य, ऋतु त्वष्टा, सावित्री, गायत्री, श्री, भूदेवी, श्रद्धा, शचि, दिति, अदिति, दस महाविद्या, आदि।
निष्कर्ष : वेदों के कोटि शब्द को अधिकतर लोगों ने करोड़ समझा और यह मान लिया गया कि 33 करोड़ देवता होते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। यह भी सच नहीं है कि देवता 33 प्रकार के होते हैं। पदार्थ अलग होते हैं और देवी या देवता अलग होते हैं। यह सही है कि देवी और देवता 33 करोड़ नहीं होते हैं लेकिन 33 भी नहीं। देवी और देवताओं की संख्या करोड़ों में तो नहीं लेकिन हजारों में जरूर है और सभी का कार्य नियुक्त है।
@@nilamanimahanta656 ये उत्तर ठीक लग रहा है। धन्यवाद आपका।
पर वही बात कि सटीक गणना नहीं हो सकती। और आवश्यकता भी नहीं है। क्योंकि एक सरकार के विभागों में काम करने वाले कई लोग होते हैं। उसी तरह सबके विभाग बंटे हुए हैं। पर सरकारी विभाग के कर्मचारियों तक हमारी पहुंच है इसलिए हम उनकी गणना कर पाते हैं। देवताओ तक पहुंच नहीं इसलिए गणना नहीं कर पाते।
Simply by worshipping Krishna , all 33 crore demigods are pleased.
Simple answer.
Stupidity
Akashat patitam thoyam yatha gachati saagaram , Sarva Deva namaskaraha keshavam prathigachhati.
Stupid iskcon wale
Absolutely right Rakshit Wankhade
सही कहा आपने... आपके इष्ट देव श्री कृष्ण है, मेरी इष्ट परमेश्वरी कृष्णा है सो उनकी पूजा करने से सबकी पूजा होती है..
सीताराम सीताराम जय 🙏🏻
Bhagwadgita samjha jaye jo vedo ka saar hai..usme iss question ka answer bahot hin saralta se bataya gaya kripta ghume fire nhi....
Haribol
जय श्री कृष्णा🙏
જય માતાજી હરહર મહાદેવ વિશ્ર્વઞુઋદેવજી માં ચામુંડા માતાજીની જય
जय श्री राम
I think Babaji listened to me coz I was watching baba ji videos and thought if I seek u or lord krishna or adishiv or vishnu. And this video appeared.🙏
There are 33 Koti means 33 type ke devi devta hote hain. 33 crore nahin. Sanskrit me “Koti” ka matlab hota hai- type.
हर हर महादेव
नमाे नारायण महात्मा जी 🙏🙏🙏🚩🚩🚩
पूज्य गुरुदेव की जय हो ! जय जगन्नाथ प्रभु की !!
Kaushal Dwivedi