Dhol Damau | ढ़ोल दमाऊ का इतिहास और महत्व | uttarakhand ke vadhya yantr Dhol Damau

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  • Опубликовано: 5 фев 2025
  • #Dhol #Damau #Dholdamau उत्तराखंड की हर परंपरा में खास भूमिका निभाने वाले ढोल को लेकर दंतकथाओं में कहा गया है कि इसकी उत्पत्ति शिव के डमरू से हुई है। जिसे सबसे पहले भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया था। कहा जाता है कि जब भगवान शिव इसे सुना रहे थे, तो वहां मौजूद एक गण ने इसे मन में याद कर लिया था। तब से ही ये परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से चला आ रही है। ढोलसागर में प्रकृति, देवता, मानव और त्योहारों को समर्पित 300 से ज्यादा ताल हैं। ढोल और दमाऊं एक तरह से मध्य हिमालयी यानी उत्तराखंड के पहाड़ी समाज की आत्मा रहे हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक, घर से लेकर जंगल तक कहीं कोई संस्कार या सामाजिक गतिविधि नहीं जो ढोल और इन्हें बजानेवाले ‘औजी’ या ढोली के बगैर पूरा होता हो। इ नकी गूंज के बिना यहां का कोई भी शुभकार्य पूरा नहीं माना जाता है। चाहे फिर वो शादी हो या संस्कृति मेले ,लोक संस्कृति कार्यक्रम। आज भी खास अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में इनकी छाप देखने को मिल जाती है।ढोल दमाऊं उत्तराखंड का प्राचीन वाद्य यंत्र है। यह दोनों तांबे से बने होते है और दोनों को साथ ही बजाया जाता है। ढोल को प्रमुख वाद्य यंत्र में इसलिए शुमार किया गया कि इसके जरिए जागर और वैसी लगाते समय इसके माध्यम से देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। एक वक्त था कि पहाड़ में होने वाली शादियों के यह अभिन्न अंग हुआ करते थे। मंगनी और शादी के दौरान बाजगी ढोल बजा बजाकर लोगों की खुशी में इजाफा कर देते थे। इनकी गूंज से मेहमानों का स्वागत किया जाता रहा है। खास बात यह होती थी कि शादी में दोनों पक्षों वर और कन्या के अपने अपने बाजगी होते थे। वर पक्ष वाले जब घर से निकलते थे तो ढोल-दमाऊ-मशक बजा कर ख़ुशी का इज़हार किया जाता था। ठीक उसी तरह कन्या पक्ष के बाजगी अपने यहां अतिथियों का ढोल से स्वागत करते थे। रात होने पर उनके द्वारा नोबत लगाई जाती थी। नोबत ढोल-दमाऊ की विभिन्न थाप के जरिये बजाये जाने वाले कुछ विशेष ताल होते थे।
    वही गुम होती इस परंपरा को बनाए रखने के लिए सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने ढोल ऑर्केस्ट्रा को उद्योग का दर्जा देने की मांग स्वीकार कर ली है और अब जल्द ही इससे जुड़े कलाकारों को वित्तीय मदद भी मिलने लगेगी।
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    dhol damau ka itihas dhol damo uttarakhand ke prachin vadhy yantr
    #uttrakhanddivine #DholDamau

Комментарии • 20

  • @savitribhatt5779
    @savitribhatt5779 4 года назад +2

    👏👏👏bahut sundar jankari

  • @user-gm2mi18jetha
    @user-gm2mi18jetha Месяц назад

    ❤❤❤❤

  • @tiwari007gamer7
    @tiwari007gamer7 3 года назад +1

    Muji yah bajana aata h Or muji yah bahur acha lagta h 😊😊.

  • @Pradeep_Singh214
    @Pradeep_Singh214 3 года назад

    Good job

  • @RSRyoutuber
    @RSRyoutuber 2 года назад

    please upload audio videos for Garhwali wedding Taal especially from Tehri and rudraprayag district from starting to end all taal ,so people living in other parts of India and abroad can play in their wedding ceremony

  • @yaduveernegi9402
    @yaduveernegi9402 2 месяца назад

    Dhol Sagar Mai 1200 isloka
    Kuch jyada nahe ho raha ye ❤❤🙏🙏

  • @gadvali_vlog
    @gadvali_vlog Год назад

    🙏🙏🙏🙏🥰🥰🥰😍😍😍♥️♥️❤️❤️❤️

  • @amitsinghbhandari5605
    @amitsinghbhandari5605 Год назад

    पहले धूल पर हिरण की खाल चढ़ाई जाती थी अब दोनों तरफ बकरे की ही खाल चढ़ाई जाती है

  • @Ashish-Education
    @Ashish-Education 2 года назад

    Tnx

  • @amitsinghbhandari5605
    @amitsinghbhandari5605 Год назад +1

    ढोल के बारे में गलत जानकारी मत दिया करो ढोल पर कभी भी भैंस की खाल नहीं लगाई जाती है

  • @gagansemwal2785
    @gagansemwal2785 Год назад

    Dhol asth dhatu ka hota h

  • @rohitnegi6114
    @rohitnegi6114 2 года назад

    Ye jankari shahi nahi he

  • @dikshantraturi2511
    @dikshantraturi2511 4 года назад

    Iski utpati 16th century aap galat bata rahi. Iski to koi dating hi nhi kya aap mangal ki dating bta sakti h nhi to aap dhol ko 16th century ka nhi bta sakti

  • @priyanshukapoor8757
    @priyanshukapoor8757 Год назад

    Madam inke vilupt hone ka karan respect na milna hai
    Gaun me aoji k sath kitna bhedbhav hota hai har uttarakhandi ko pata hai ache se

  • @nikhilfarswannikky6041
    @nikhilfarswannikky6041 Год назад

    आप ने अधूरा ज्ञान लिया है,
    कही चीजे अपने सही नही बोली है,
    याद रखना ढोल सागर है,
    इसका कोई अंत नही है।।

    • @amitsinghbhandari5605
      @amitsinghbhandari5605 Год назад

      मैं आपकी बात से पूर्णता सहमत हूं यह स्नेहा तिवारी भट्ट गलत जानकारी देती है इसको जानकारी लेते हुए भी शर्म नहीं आती है

  • @manojkdeshwal9448
    @manojkdeshwal9448 11 месяцев назад

    dol sagar ke bare mai aap ko kuchh bhi pata nhi hai
    galt jankari de rahe hai aap kuchh to sarm karo

  • @amitsinghbhandari5605
    @amitsinghbhandari5605 Год назад

    बेवकूफ को गलत जानकारी देते हुए शर्म भी नहीं आती है ढोल देवी का होता है माता कहता ढोल ढोल पर किसने कहा कि भैंस की खाल चढ़ाई जाती है