उत्तराखंड में क्यों सबसे अहम है ढोल? Nand Kishore Hatwal | Baramasa Podcast

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  • Опубликовано: 7 окт 2024
  • उत्तराखंड के समाज में ढोल की अहमियत सभी वाद्य यंत्रों में सर्वोच्च है. जन्म के मृत्यु तक होने वाले सभी संस्कारों में ढोल की यहां भूमिका होती है. कितने ही संस्कार और सामाजिक-धार्मिक आयोजन ऐसे हैं जिनकी ढोल के बिना कल्पना भी नहीं हो सकती. जानिए ढोल का इतिहास और इसकी अहमियत से जुड़े तमाम पहलुओं को लेखक नन्द किशोर हटवाल के साथ.
    State Musical Instrument of Uttarakhand Dhol
    Pahadi Music
    Folk Garhwali - Kumauni
    लोक संगीत
    उत्तराखंड का राज्य वाद्य यंत्र ढोल
    पहाड़ी लोक गीत
    गढ़वाली - कुमाऊँनी
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Комментарии • 109

  • @devenkoranga4204
    @devenkoranga4204 2 дня назад +15

    हमारे समाज का, हमारे संस्कृति का,उत्तराखंड के धार्मिक व्यस्था का एक महान हिस्सा ढोल और ढोल वादक है पर हमने कभी इनकी अर्थिक रूप से और सामाजिक रूप से साथ नही दिया और उत्तराखंड के कई हिस्सों में अब विलुप्त हो रहा है।

    • @surendrasinghgusain874
      @surendrasinghgusain874 2 дня назад

      सर जी ढोल बादन या ढोल के बारे मे जानकारी तभी सम्भव है जब तक ढोल सागर का अध्ययन न किया हो ढोल सागर पहले अलिखित था कारण शिक्षा न थी जब से शिक्षित हुये तभी से ढोल सागर के रागो शब्दो को लिखा गया ढोल सागर की शिक्षा के लिए प्रयास हो तभी जातिगत भेदभाव मिटेगा अब तो नयी पीढी पुरानी सोच से बाहर है

  • @HomixidegaminG
    @HomixidegaminG День назад +5

    ढोल सागर किसी व्यक्ति या समाज को मनोरंजन करने के लिए नहीं बनाया गया था तब अंग्रेजों के राज एवं गोरखों के राज में उत्तराखंड के ढोल सागर की विद्या रखने वाले समाज पर अत्याचार हुए और देवी देवताओ को उजागर करने की सिद्धि को मनोरंजन में बदल गया | लेकिन आज कुछ महान लोग इस ग्रंथ को इस सिद्धि को जीवित रख रहे हैं जिनका एक नाम डॉक्टर श्री प्रीतम भरतवाण जी हैं | पांडवाज़ एक लोक बैंड है जिस कल| को ब्राह्मण युवक प्रदर्शित कर रहे हैं वह उच्च जाति के होकर नीचा काम कर रहे हैं मेरा कहने का तात्पर्य बस यहीं है शास्त्र की विद्या रखने वाले समाज इज्जत मिलनी चाहिए|

  • @surajnegi7829
    @surajnegi7829 День назад +2

    Dhol wadako ko patti wise apne same tall wise group banana chaiye sir unko bade sangathan banane me madad milegi tabhi har mulk ki taal v jinda rhegi or jan jeewan ke Puja anushthano ka apne riti riwaj v jinda rhega🎉

  • @harishdholjagar2808
    @harishdholjagar2808 День назад +3

    डा नंदकिशोर हटवाल जी के द्वारा बहुत अछा ढोल सागर के लिए कह गये शब्द अति सुन्दर कथन है 🙏🏻 ढोल और ढोली को दोनों बचना जरूरी है हमारे हर मठ मंदिरों मे एक ढोली को नियुक्त किया जाय ढोली समुदाय से तब जा के नयीं पिढी इसमे रुचि रखेगी जरुर संज्ञान ले 🙏🙏🙏

  • @BimlaRawat-c1k
    @BimlaRawat-c1k 2 дня назад +6

    भुला कोटियाल , आप उत्तराखंड की संस्कृति के प्रति जो प्रेम और जागरूकता का कार्य कर रहे हैं , वह एक अत्यंत सराहनीय है। ऐसे पोडकास्ट से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ऐसे विषयों की जानकारियां उपलब्ध होती हैं। एक बार पुनः आपको इस जन जागरण के लिए साधुवाद। मैं लुप्त होती स्थानीय सामुहिक लोकगीत जो सर्दियों के समय जब उत्तराखंड में खेती का कार्य कम होता था तो गांव की महिलाएं, गांव के प्लान के आंगन (थाड) में पैरों की थाप के साथ गातीं थी , उस पर भी एक विस्तृत पोडकास्ट प्रसारित करें। धन्यवाद

  • @sawanrawat03
    @sawanrawat03 2 дня назад +16

    जय देवभूमि उत्तराखंड ❤🙏
    जय हो भूमियाल देवताओ की, जय हो ३३ कोटि देवताओ की
    जय रावल देवता
    जय माँ हरियाली
    जय हो पांडव देवता
    जय हो बगद्वाल देवता
    जय हो नो बेनी अचेरी बारा बेनी भ्रानी
    जय बद्री जय केदार जय गंगोत्री जय यमुनोत्री
    जोशीमठ मा नर्शिंग बाबा को ध्यान जाग
    पंच पांडवो को ध्यान जाग
    पंच प्रयागो को ध्यान जाग
    पंच केदार को ध्यान जाग
    पंच बद्री सप्त बद्री को ध्यान जाग
    ढोल दमो हमारी संस्कृति का एक मूल स्वरूप है🙏
    जय हो केदारखंड
    जय हो मानस खण्ड 🙏

  • @sushilkothari3167
    @sushilkothari3167 2 дня назад +4

    प्रसिद्ध लेखक विद्या सागर नौटियाल जी ने भी उत्तराखण्ड संस्कृति-कला बहुत शोध किया है। उत्तराखंडी संस्कृति और ढोल सागर पर विस्तृत जानकारी देने हेतु बारामासा टीम का और श्री हटवाल जी का बहुत आभार।

  • @Bekudevtauk10
    @Bekudevtauk10 День назад +5

    फौजी सीमा की रक्षा करते है/
    और औजी उतराखंड के देवताओं कि सेवा करते है.

  • @salonisingh9832
    @salonisingh9832 2 дня назад +5

    श्रीमान जी हर कोई टीवी पर वीडियो पर तो ढोल वादक "औजी" के सम्मान की बात करता है
    परंतु वर्तमान में भी उन देवदूतों की साथ पशुओं जैसा ही व्यवहार होता है यही कारण है की एक औजी कभी नहीं चाहता की वही पशु व्यवहार उसकी अगली पीढ़ी के भी साथ हो
    जात पात का भेद खत्म करने पर ही इस समस्या का समाधान हो सकता है
    जय बद्री विशाल जय उत्तराखंड
    जय हिन्द 🚩🚩🚩🚩

  • @vipinrawatgarhwali274
    @vipinrawatgarhwali274 День назад +1

    बहुत सुंदर सर जी, हटवाल जी के द्वारा संक्षिप्त में जानकारी के लिए आपका आभार 🙏🙏

  • @nomadakki929
    @nomadakki929 День назад +1

    बहुत ही अच्छा लगा ये विडियो देख कर। आज जब अपने परिवार के ग्रुप में ये विडियो साझा किया तो मालूम पड़ा कि आपके आज के ब्लॉग में जो अतिथि हैं,मेरे पिताजी के कॉलेज मेट रहे हैं गोपेश्वर में, फिर बाद में ताऊजी के साथ छिनका में भी कार्यरत रहे है।

  • @pradeepsingh-fs8nt
    @pradeepsingh-fs8nt 2 дня назад +2

    इससे बेहतर कुछ हो नहीं सकता.. आदरणीय गुरु नन्द किशोर हटवाल जी जैसे विद्वान का साक्षात्कार आपने लिया..इसके लिए बारामासा का धन्यवाद ❤🎉

  • @kanchanjadlilati
    @kanchanjadlilati 2 дня назад +6

    Dr. Nand Kishor Hatwal ji ki baton ko to ghanta suna ja sakta hai. Thanku inke sath podcast banane k liye.
    Hatwal ji teacher, writer, play writer, poet, painter hain.

  • @SheetalNautiyal-dc8ws
    @SheetalNautiyal-dc8ws 2 дня назад +4

    बहुत अच्छा वार्तालाप,
    कृपया इस प्रकार के वीडियो और लाइए!
    बारहमासा का सह धन्यवाद!!⭐⭐⭐⭐⭐

  • @bahugunabandhuofficial
    @bahugunabandhuofficial 2 дня назад +3

    ढोल जैसे वाद्ययंत्र के विस्तृत जानकारी के लिए आदरणीय हटवाल जी के समकक्ष कोई ढोली ही बता पायेगा यह बड़ा मुश्किल है, बड़ं क्षेत्र के मनीषियों में अग्रणीय व्यक्तिव सादर नमन....

  • @jaswantsinghbisht9369
    @jaswantsinghbisht9369 2 дня назад +4

    शैक्षिक विकास, यातायात की सुगमता और कृषि से विमुखता ने हमारी आंचलिक संस्कृति को कमजोर करके विलुप्ति की कगार पर पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। जैसे जैसे हम कृषिकर्म से विमुख हुए या कृषि पर हमारी निर्भरता कम हुई वैसे वैसे हमारी संस्कृति क्षीण होती चली गई।

  • @uttrakhandfirst
    @uttrakhandfirst 2 дня назад +2

    "Waow Baramasa.."
    विलक्षण प्रतिभा के धनी श्री हटवाल जी को बुलाने के लिए आपका धन्यवाद...
    इनकी एक वीडियो नंदा देवी राज़ जात पर भी आनी चाइये जिसपे जबकि रिसर्च है और चारधाम के आर्थिक महत्व पर भी..
    इनकी कविता "बोये जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां" अपने आप में एक क्रांति के समान है..
    धन्यवाद Baramasa.. ❤🙏🙏

  • @AbbalSingh-rf3mx
    @AbbalSingh-rf3mx 2 дня назад +3

    बहुत बहुत धन्यवाद कोटियाल जी ढोल सागर से जरूर करें हटवाल जी के साथ

  • @sachinchauhan8271
    @sachinchauhan8271 День назад +2

    Beautiful
    Next videos mai sare culture uttarakhand k.. Unn par baatchit

  • @jaswantsinghbisht9369
    @jaswantsinghbisht9369 2 дня назад +4

    हमारा औजी अपने ढोल के माध्यम से देवता को किसी व्यक्ति के शरीर में अवतरित कर देता है, अब इससे बड़ा कार्य भला कोई और क्या हो सकता है। जातिवाद को एक तरफ रख दिया जाय तो हमारी संस्कृति में ढोल भी पूजनीय है और औजी भी पूजनीय है।

  • @ShriRamS-t9b
    @ShriRamS-t9b 2 дня назад +1

    बहुत ही सुंदर ब्याख्या, श्री हटवाल जी द्वारा, बरामासा को भी बहुत बधाई जो आपने इस इस विषय को चर्चा के लिए चुना

  • @ManverSinghRawat-cc7rn
    @ManverSinghRawat-cc7rn 2 дня назад +2

    Baramasa is doing well keep it up wishing you a very very Happy future 🎉🎉🎉🎉🎉 Jai Badri Vishal

  • @Yogesh_pandey.04
    @Yogesh_pandey.04 2 дня назад +8

    हमारा कल्चर और सांस्कृतिक विरासत है ढोल❤ कुमाऊं और गढ़वाल की शान है ढोल ❤ पहाड़ी एकता की पहचान है ढोल❤ उत्तराखंड का सम्मान है ढोल❤ आपका बहुत आभार कि आपने हमारी संस्कृति और धरोहर को एक मंच पर संजोने का काम किया हैं

    • @Jakhoniofficialyt
      @Jakhoniofficialyt 2 дня назад +3

      सर फिर ढोल बजाने वाले को क्यों सम्मान नहीं मिलता है

    • @Devesh-z6c
      @Devesh-z6c 2 дня назад +1

      ​😂😂 chup reh bhai aishi achut baatein mat kr ​@@Jakhoniofficialyt

    • @mr.nickey8517
      @mr.nickey8517 2 дня назад

      ​@@Devesh-z6cthoda aukat m bol le neele kabootar

    • @AbhinavSingh-vl6ok
      @AbhinavSingh-vl6ok 2 дня назад +1

      ​@@Devesh-z6cbhai galat baat hai ye

    • @Devesh-z6c
      @Devesh-z6c 2 дня назад +1

      @@AbhinavSingh-vl6ok sahi baat bata fir

  • @ajayrawat725
    @ajayrawat725 2 дня назад +5

    हमारी संस्कृति हमारी पहचान❤❤
    जय देवभूमि उत्तराखंड ❤

  • @Surajjakhwal
    @Surajjakhwal 2 дня назад +7

    जिस उत्तराखंड की संस्कृति को ढोल वादकों ने जिंदा रखा है।।उन लोगों के साथ आज भी जातिगत भेदभाव होता है।।।शासन को इस पर सोचना चाहिए।।

    • @yogendrachand78
      @yogendrachand78 3 часа назад

      वे हमारी संस्कृति के वाहक हैं लेकिन सबसे अधिक उपेक्षित हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड अपनी संस्कृति खो रहा है, इस प्रकार पैदा हुए शून्य को मैदानी इलाकों और दक्षिणी भारत के काल्पनिक देवताओं द्वारा भरा जा रहा है

  • @HomixidegaminG
    @HomixidegaminG День назад +1

    Sir nand kishore hatwal ji huge respect to you the way you explained and the respect you gave to the people dhol vadhak of uttarakhand i hope everyone have this kind of thinking in uttarakhand soon 🙏

  • @Rahul.Rawat.
    @Rahul.Rawat. 2 дня назад +8

    बारामासा के द्वारा बहुत अच्छा प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंड के हर छोटी-छोटी बातों को , मान्यताओं को परम्पराओं के बारे मे बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह नये - नये चीज़ों से हमें अवगत कराया जाएगा।

    • @sandeeprwt300
      @sandeeprwt300 2 дня назад +1

      दर्शको और युवाओं का प्यार टीम बारामासा के साथ यूँही बना रहो तो ❤

  • @pankajpurohit8639
    @pankajpurohit8639 2 дня назад +3

    Guruji ko koti koti pranam

  • @sohanchauhan1991
    @sohanchauhan1991 День назад +1

    बहुत सुंदर एपिसोड की शुरुआत 👏👏
    बधाई बारामासा टीम💐💐👏👏

  • @NainRam-sn5id
    @NainRam-sn5id 2 дня назад +3

    अच्छी जानकारी मिली । आगे भी जारी रहे

  • @Rawat04729
    @Rawat04729 2 дня назад +4

    Jai devbhumi uttarakhand ❤❤❤❤❤

  • @VinodSingh-fu9oc
    @VinodSingh-fu9oc День назад +1

    Bhaut accha laga ji hamari dev bhomi

  • @pahaditalkculture8461
    @pahaditalkculture8461 2 дня назад +3

    धन्यवाद बारहमासा का नंदकिशोर हटवाल जी के साथ अगला कार्यक्रम में आप चमोली में पूजे जाने वाले दो भाईयों सिधवा और विधवा के बारे में पूछ सकते हैं इस पर एक पूरा एपिसोड हो सकता है

    • @roms7626
      @roms7626 2 дня назад

      Sidhua and bidhua are not only worshipped in Chamoli but in other regions of Garhwal as well

    • @pahaditalkculture8461
      @pahaditalkculture8461 2 дня назад

      @@roms7626 जी सही कहा आपने मैं इस बारे में अपने इंस्टाग्राम चैनल पर और फेसबुक चैनल पर लिखा भी है
      उत्तराखंड संस्कृतिक रूप से एक विशिष्ट क्षेत्र है यह पर कई लोक कथाएं हैं जिनमें से एक कहानी है दो भाइयों सिदुध्वा और बिदुध्वा की जो गढ़वाल कुमाऊं को जोड़ने का काम करती है गंगू रमोला और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी तो हम सब ने सुनी है गंगू रमोला जो नागवंशी राजा थे जिन्होंने उत्तराखंड के प्रसिद्ध सेममुखेम मंदिर का निर्माण करवाया यह उन्हीं के पुत्र थे दोनों भाईयों को गढ़वाल, कुमाऊं और पैनखण्डा क्षेत्र तक में पूजा जाता है
      यही नहीं इनकी कहानियां हमें नेपाल तक में दिखाने को मिलतीं है जहां इनका पूजन नाग सिद्धो या सिद्धनाथ के रूप में किया जाता है
      लगभग हर जगह इनकी कहानियां एक जैसी है जागरो में कहीं कहीं इनको गुरु गोरखनाथ का शिष्य भी बताया जाता है इनके वन देवियों अछारियो द्वारा हरण की कुछ कहानियां भी है
      उत्तराखंड में सिध्वा और बिध्वा रमोला 2 भाइयों को किसानों पशुपालकों और भेड़पालको क देवताओं के रूप में पूजा जाता है। उत्तराखंड में सिधवा विधवा की गाथा प्रचलित है इनके पिता का नाम गंगू रमोला था और मां का नाम मैणा था इनका संबंध नागवंशी राजाओं से बताया जाता है इसलिए प्रचलित गाथा को नाग सिध्वा की गाथा के नाम से भी जाना जाता है प्रचलित गाथाओं में सिध्वा बिध्वा भाइयों को भेड़ पालक बताया जाता है अपनी असीम देवी शक्तियों के कारण कृषक और पशु चारक समाज में इन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है उत्तराखंड में नाग सिध्वा की गाथा गायन एवं गाथा नृत्य की परंपरा है इस गाथा नृत्य को परंपरागत पूजा पद्धति एवं पूजा प्रक्रिया भी माना जाता है।

    • @Virendra139
      @Virendra139 2 дня назад

      ​@@roms7626also in Pithoragarh

  • @sohansinghaswal698
    @sohansinghaswal698 2 дня назад +2

    बहुत सुंदर जानकारी दी है Hatwalji ne🎉🎉🎉🎉🎉 बहुत सुन्दर कोशिश..your all volgs are superb 🎉🎉🎉

  • @rover9839
    @rover9839 День назад +1

    Appreciate work dadaji

  • @gautamrawat8284
    @gautamrawat8284 День назад +1

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤

  • @gobindchauhan8057
    @gobindchauhan8057 2 дня назад +1

    Bahut hi sundar, aap dono ka dhaniyavad

  • @ravinderkandari9796
    @ravinderkandari9796 2 дня назад +1

    As always salute to you sir for your journalism. You are doing a great work for your community. Jai Uttarakhand.

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 2 дня назад +5

    "डडवार" लेना या देना, "नेग" लेना या देना कोई गलत शब्द नहीं है, पंडित जी भी और औजी भाईयों को दिया जाने वाला अनाज को डडवार ही बोला जाता है,

  • @pahadidagdiya1998
    @pahadidagdiya1998 День назад +3

    अगर मैं बोलू की मुझे पंजाबी ढोल सीखना है। तो कोई ना कोई मुझे सिखा देगा। लेकिन अगर मैं बोलूँ की मुझे ढोल दमाऊ सीखना है। तो मुझ पर हँसेंगे और मुझ को और मेरी सोच को छोटा समझा जाएगा।
    कला किसी जाति या बिरादारी की मोहताज नहीं होती।

    • @yogeshpandey3443
      @yogeshpandey3443 13 часов назад

      Ek dhol academy ki shuruwat ki thi Pritam bhartwan ji ne dehradun me 1-2 saal pehle, usme sikh sakte ho

    • @pahadidagdiya1998
      @pahadidagdiya1998 13 часов назад

      @@yogeshpandey3443 hem look kala kendra ke naam s
      Pr vo bhi jada improve wali nahi hai

  • @BalvirSingh-de4be
    @BalvirSingh-de4be 2 дня назад +1

    🙏🙏🙏❤❤ ढोल दमोह जो है हमारे देवी देवताओं नाचते हमारे दिल देखते इनके बिना हमारा दिल देखते नाचते नहीं है

  • @surendersingh4615
    @surendersingh4615 День назад +1

    पहाड़ की पहचान ढोल दामों ❤

    • @karki96
      @karki96 7 часов назад

      Sabhi pahad ki nahi hai, dhol damau nene sirf gadwal aur nepal ke achham me dekhaa hai, kumaon ki aur Mahakali zone areme hukdo aur daayin damau bajaya jaataa hai.

  • @shivuu__
    @shivuu__ 2 дня назад +1

    Baramasa doing god's work ❤️ keep growing 💗

  • @SaahityaPanwar5987
    @SaahityaPanwar5987 2 дня назад +1

    Very amazing presentation.

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 2 дня назад +4

    ढोल,दमाउ,और नगाड़ा, भंकोर, रणसिंगा और भी बहुत कुछ, Indian Idol और Voice India के विजेता, पहाड़ की तीजनबाई लोकगायिका स्व कबूतरी के नाती पवनदीप राजन के पिता लोक गायक सुरेश राजन ने कहा था,("मूल का पानी मूल का होता है,"बस्गयाल" का पानी बरसा,बहा और चला गया,) उन्होंने लोक गीतों को गाने वाले समाज की बात की है, तमाम संस्कारों में भी लोक गायकी का उपयोग था, वे लोग सवर्णों के नेग,भेंट,"डडवार" पर ही आश्रित थे, छुआछूत आज भी समस्या है लेकिन कई लोक देवता ऐसे ही हैं कि जो बिना ढोली के नाचते ही नहीं हैं, फिर हजारों रुपये देकर औजी ससम्मान के साथ बुलाए जा रहे हैं, चढ़ावे में भी उनकी हिस्सेदारी "ब्राह्मण-खस समाज" को निश्चित करनी चाहिए,

  • @sharmaji9065
    @sharmaji9065 2 дня назад +3

    Dhol bhi Hamari Sanskriti jaise Bali Pratha thi, aur Dhol ka Durupyog dekhna ho to kisi Shaadi mein jaakar dekho, kis tarah se DJ ke band hone ke time ke baad ek gareeb dhol wale ko Shaadi mein aaye guests kaise pareshaan karke usko der raat Dhol bajane ko majboor karte hai, jaante hai Police aayegi to Dhol wale ko hi suanyegi, Sanskriti ke naam par kisi ka soshan karna apraadh hona chahiye

  • @surjansinghpanwar2592
    @surjansinghpanwar2592 2 дня назад +1

    Hatwal ji is a Visenary person having knowledge of Dhol Sagar we hope this group will get proper money and Maan when they form an association thanks someone is thinking of their uplifting

  • @sarojrawat5324
    @sarojrawat5324 10 часов назад

    बहुत ही सुन्दर विषय पर आपका ये प्रोग्राम ,किंतु धोलवाडको के परिश्रमिक का जहा तक सवाल है,ये सत्य नही है, वे लोग खुद ही तय करते है जितना कहते है उतना दिया जाता है,हमारे यह तो एक शादी में10 से 15 हजार लेते है

  • @ChandanSingh-p3r
    @ChandanSingh-p3r 2 дня назад +1

    🙏🙏🙏🙏

  • @SumitDobhal-g8b
    @SumitDobhal-g8b 2 дня назад +2

    Hamari Sanskriti Hamari Pehchan❤

  • @Negi33666
    @Negi33666 2 дня назад +2

    ❤❤❤

  • @ravinegi1038
    @ravinegi1038 2 дня назад +1

    Shandar podcast

  • @budhirambudhiram795
    @budhirambudhiram795 9 часов назад

    बहुत बहुत धन्यवाद सर इसमें संकृतिविभाग को भी ध्यान देना पड़ेगा

  • @Surajjakhwal
    @Surajjakhwal 2 дня назад +9

    दुःखद आज भी जाति विषेस के लोगों के द्वारा ही ढोल बाजने का कार्य किया जाता है।।और ढोल बाजाने वालों को आज भी समाज का अछूत वर्ग कहा जाता हैं।।।और उन्हें वह सम्मान नही मिलता जिस की वो हक़दार हैं ।।

    • @mr.nickey8517
      @mr.nickey8517 2 дня назад +1

      Aap bhi dhol bjate h bhai???

    • @Surajjakhwal
      @Surajjakhwal 2 дня назад

      @@mr.nickey8517 नही भाई में तो नही बजाता पर।।जो लोग बाजाते हैं ।।उनके साथ बहुत बड़ा भेदभाव है आज भी समाज मे मैने अपनी आंखों से देखा है ।।और वो लोग आर्थिक रूप से मजबूत न होने के कारण भेदभाव सहते है।।।।।।

  • @DVS51612
    @DVS51612 2 часа назад

    आजकल मंदिरों में भी यांत्रिक ढोल रख दिए है जिससे पहाड़ के मंदिरों मे भी ढोल वादक नही दिखते ये बड़ा दुखद है की पहाड़ की संस्कृति धीरे धीरे विलुप्त हो गई है इसका कारण जातिगत उपेक्षा भी है

  • @SaahityaPanwar5987
    @SaahityaPanwar5987 2 дня назад +1

    👍

  • @coolhimalaya
    @coolhimalaya 2 дня назад +2

    🎉🎉🎉🎉❤

  • @kunwaranuradhaannu8544
    @kunwaranuradhaannu8544 2 дня назад +1

    ❤❤🙏🙏

  • @mayankvswild5517
    @mayankvswild5517 День назад

    ढोल गंवार शूद्र पशु नारी तुलसी दास जी ने भी लिखा है रामायण में 🙌🏻

  • @gopendrakumar7180
    @gopendrakumar7180 2 часа назад

    उत्तराखंड देवभूमि है और देवी देवताओं की यहां पर पूजा अनादि काल से होती आ रही है जिसका अभिन अंग उत्तराखंड में बजगी की समुदाय रहा है परंतु जातिवाद और सामाजिक भेदभाव इस ओजी जाति के साथ चरम सीमा पर हमेशा रहा है इन लोगों को उत्तराखंड पर हास्य पर रखा गया है और यह लोग दलित में से भी महा दलित बन चुके हैं जिस कारण से इनका संवर्धन और संरक्षण राज्य की सरकार द्वारा करवाई जाना चाहिए और इनका आर्थिक एवं सामाजिक रूप से विकास के मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए और इनको उत्तराखंड क्रांतिकारी घोषित कर दिया जाना चाहिए।
    प्रदेश में बड़े दुख की बात है जो लोग सभी कार्यों में आगे रहते हैं आज सबसे ज्यादा पिछडा चुके हैं।

  • @SattimohanNegi
    @SattimohanNegi 2 дня назад +1

    🚩🚩🚩🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳

  • @sam24singh
    @sam24singh 2 дня назад +1

    Uttrakhand ki पहचान ढोल,,,✅✅✅✅✅✅✅✅

  • @DocHighlander96
    @DocHighlander96 2 дня назад

    himachal mai dol devi devtaon ke sath bohot important hai

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 2 дня назад +1

    ईरान कभी पर्शियन (पारसियों) का देश था, और अब मुस्लिम देश है,उत्तराखंड भी कभी खसों का देश है/था,लेकिन अब वह क्या बनेगा? बताना जरा............

  • @raviagri1249
    @raviagri1249 2 дня назад +3

    Lekin jaat k hisab se bol bol k logo ne apne cultural chod diya kyuki unko choti jat ka bola jata tha

  • @DIGPALSINGHBISHT-k2b
    @DIGPALSINGHBISHT-k2b 2 дня назад +3

    bjp congress bhgao 60 lac desi or 20 lac muslim basa dye yha sare mafi ko job jameen pani jungle bech dya

  • @Narendra-l5k
    @Narendra-l5k День назад

    Badi badi baate ! Shilpakar ko uk main kaya kahte hai unko gharo kain andar or mandiron mahin aaney dete hain kaya? Kewal maansikta badlo😊😊😊

  • @VipinKumar-ql1th
    @VipinKumar-ql1th День назад

    Dhol walo ke sath Uttarakhand
    Me jaati bhed bhaw Hota hai

  • @UttrakhandPahadiBoY1
    @UttrakhandPahadiBoY1 2 дня назад

    Are sir ye sb chodiye thoda chakbandi pe video banaiye yaha khet ke khet banjar ho gaye hai.kheti nahi kar pa rahe hai ek khet kolkata mai to ek srinagar mai insaan kare to kya kare .😢

  • @unreachable_Aadi
    @unreachable_Aadi День назад

    Uttarakhand maghe bhoo kanoon or bhari logo bhar nikalo🙏🏻

  • @DIGPALSINGHBISHT-k2b
    @DIGPALSINGHBISHT-k2b 2 дня назад +3

    haridwar udham singh nagar hatao 2026 me parseeman me dikat ayegi seat badhegi yha sab 39 lac desi or 14 lac muslim nahar honge

    • @binodbhai684
      @binodbhai684 День назад

      Uttarakhand ki gdp me sbse jyada contribution ha in district ka wese bhi nhi hta sakte

  • @kishanrawat5149
    @kishanrawat5149 20 часов назад

    Esko pujne walo ko bi hamare yaha ooojjiii ... Ji hi kaha jata hai

  • @Rahulkumar-pp2yc
    @Rahulkumar-pp2yc 2 дня назад +1

    ajeeb hai na instrument important hai but play karne wale nhi. Unke sath to bhedbhav hota hai

  • @abishere
    @abishere День назад

    i believe your ( majority) of audience is tolerant to supposedly controversial discussion, so trust your audience (majority of them, some of them will still will have knives out) and do not edit so deep when the guest is saying something nwhich could be unpalatable read controversial

  • @kishanrawat5149
    @kishanrawat5149 20 часов назад

    Dhol ki thap or dhol ki taal .. hamare uttrakahand ka kan kan hai ... Eska matlab bahoot uncha hai esko yaha aise batana ek chooti si bat ho jayegi gir bhi apka prayas ..theek hai ...lekin eska kisi bhi sanskriti se milna jhulna dhol ka apman jaisa hai ..

  • @sudhirkant4100
    @sudhirkant4100 День назад

    Pandito me ar oji samaj me kitni bhinnata h kaam ek hi h bus jaati ka farak hone se oji samaaj ko ijjat na mili .. jarurat hai par respect nhi h.. yeh ek achaa pakhand hua h pahadiion k sath

  • @Digubisht8057
    @Digubisht8057 2 дня назад

    Haridwar us magar bjp vongres ko hatao😡

  • @rajendersinghnakoti1112
    @rajendersinghnakoti1112 2 дня назад +1

    श्रीमान बैक ग्राउंड में बहुत शोरगुल है, समझने में दिक्कत होती हैं। कृपया ठीक करे।

    • @SheetalNautiyal-dc8ws
      @SheetalNautiyal-dc8ws 2 дня назад

      श्री मान मुझे तो नहीं सुनाई देरा है शोरगुल 😅

    • @saurabhsaklani6593
      @saurabhsaklani6593 2 дня назад

      ​Unhone starting k shor sunke video bnd krdi Syd 😂​@@SheetalNautiyal-dc8ws

  • @vikashvinjola3062
    @vikashvinjola3062 2 дня назад +1

    ❤❤

  • @himanshuthapliyal__
    @himanshuthapliyal__ 2 дня назад +1

  • @DVS51612
    @DVS51612 2 часа назад

    आजकल मंदिरों में भी यांत्रिक ढोल रख दिए है जिससे पहाड़ के मंदिरों मे भी ढोल वादक नही दिखते ये बड़ा दुखद है की पहाड़ की संस्कृति धीरे धीरे विलुप्त हो गई है इसका कारण जातिगत उपेक्षा भी है