इसमें कोई हिंदू वाली बात नहीं है। ये आदिवासी संस्कृति है। आदिवासी हिन्दू नहीं है। ब्राह्मण भारत में 300 ईपू में आए। राजपूत तो 250 ई के बाद भारत में आए। हमारे भारत की संस्कृति बौद्ध और आदिवासी संस्कृति है। हमारे आदिवासी महाराजा रावण हुए लेकिन राम फर्जी है। बौद्ध धम्म शिक्षा में बच्चों को जातक कहानियां सुनाई जाती थी उनमें राम और कृष्ण की भी कहानीयां है जिनमें तोड़ मरोड़ करके विदेशी ब्राह्मणों ने रामायण, महाभारत लिखी। खेड़ा खूंट माता का पूजारी गमेती क्यों होते हैं क्योंकि ये आदिवासी संस्कृति है। खेड़ा देवी और खेड़ा देव ये दोनों भाई बहन हुए थे आदिवासी समाज में। खेड़ा देव को भीनमाल पेन कहते हैं गोंडी भाषा में। अरे विदेशियों हमारे आदिवासी भाईयों का इतिहास जानना हो तो गोंडवाना मध्यप्रदेश में आओ। मेवाड़, मालवा में पहले भीलों का राज था हजारों सालों से और जयपुर मेवात में मीणाओं का राज था। जिस दिन मीणा लोग उनके पूरखों को याद करते थे उस दिन शस्त्र के हाथ नहीं लगाते थे, इसका फायदा उठाकर कायर राजपूतों ने नहाते हुए निहत्थे मीणाओं पर हमला कर दिया और मीणाओं की हत्या करके जयपुर आमेर का राज छीन लिया। ये जो शरीर में भाव आने वाली संस्कृति है वो हिन्दू संस्कृति नहीं बल्कि आदिवासी संस्कृति है। विदेशी ब्राह्मण और ठाकुर और बनिया जबरदस्ती इस संस्कृति में घुस रहे हैं। ये जो नाच रहे हैं इनका भी हित अम्बेडकर साहब ने ही ही किया है ना कि हिन्दू धर्म ने। हिन्दू धर्म (ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर) ने तो इनको भी और ओबीसी को भी यानी के भारतीयों को शिक्षा से भी वंचित रखा। मेवाड़ में एससी एसटी ओबीसी लोगों की संस्कृति आदिवासी संस्कृति है ना कि ब्राह्मण या हिन्दू संस्कृति। हिन्दू यानी ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर। भारतीय यानी एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध , जैन आदि।
नाच बहुत ही अच्छा है गाने की लय भी अच्छी हैं
Pura video dalo
बहित्अछा
बहुत अच्छा
I am
go
nice
अबेटकर वाले यहा तक नही पहोचे नही हिन्दु से अलग कर दिया होता अभी तक
भीम सेना की बाई का......
इसमें कोई हिंदू वाली बात नहीं है। ये आदिवासी संस्कृति है। आदिवासी हिन्दू नहीं है। ब्राह्मण भारत में 300 ईपू में आए। राजपूत तो 250 ई के बाद भारत में आए।
हमारे भारत की संस्कृति बौद्ध और आदिवासी संस्कृति है। हमारे आदिवासी महाराजा रावण हुए लेकिन राम फर्जी है। बौद्ध धम्म शिक्षा में बच्चों को जातक कहानियां सुनाई जाती थी उनमें राम और कृष्ण की भी कहानीयां है जिनमें तोड़ मरोड़ करके विदेशी ब्राह्मणों ने रामायण, महाभारत लिखी।
खेड़ा खूंट माता का पूजारी गमेती क्यों होते हैं क्योंकि ये आदिवासी संस्कृति है। खेड़ा देवी और खेड़ा देव ये दोनों भाई बहन हुए थे आदिवासी समाज में। खेड़ा देव को भीनमाल पेन कहते हैं गोंडी भाषा में।
अरे विदेशियों हमारे आदिवासी भाईयों का इतिहास जानना हो तो गोंडवाना मध्यप्रदेश में आओ।
मेवाड़, मालवा में पहले भीलों का राज था हजारों सालों से और जयपुर मेवात में मीणाओं का राज था। जिस दिन मीणा लोग उनके पूरखों को याद करते थे उस दिन शस्त्र के हाथ नहीं लगाते थे, इसका फायदा उठाकर कायर राजपूतों ने नहाते हुए निहत्थे मीणाओं पर हमला कर दिया और मीणाओं की हत्या करके जयपुर आमेर का राज छीन लिया।
ये जो शरीर में भाव आने वाली संस्कृति है वो हिन्दू संस्कृति नहीं बल्कि आदिवासी संस्कृति है। विदेशी ब्राह्मण और ठाकुर और बनिया जबरदस्ती इस संस्कृति में घुस रहे हैं।
ये जो नाच रहे हैं इनका भी हित अम्बेडकर साहब ने ही ही किया है ना कि हिन्दू धर्म ने। हिन्दू धर्म (ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर) ने तो इनको भी और ओबीसी को भी यानी के भारतीयों को शिक्षा से भी वंचित रखा।
मेवाड़ में एससी एसटी ओबीसी लोगों की संस्कृति आदिवासी संस्कृति है ना कि ब्राह्मण या हिन्दू संस्कृति। हिन्दू यानी ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर। भारतीय यानी एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध , जैन आदि।