सत्यनाम सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी बहुत ही निवेदन के साथ विनय है कि पांच तत्त्व ,पच्चीस प्रकृतियां, तीन गुण,सात शरीर,सात कमल चक्र, दस इन्द्रिया,दस प्राण,नौ कोष , कुंडलिनी शक्ति, शरीर के कारण चार अनर्थ:करण और प्रमुख नौ नाड़ियां,इनमें भी तीन नाड़ी इंगला, पिंगला और सुषुम्ना तथा श्वांस की तीन गति पूरक,कुंभक व रेचक यह सब मायावी शरीर की रचना में है और यह शरीर बिल्कुल मायावी है जिसमें काल निरंजन ने इस जीव को योग यज्ञ,जप,तप, पूजा-पाठ,तीर्थ व्रत,योग, नाम सुमिरन, धारणा,ध्यान, समाधि,और न जाने कितने प्रकार के भ्रमों से भ्रमित कर दिया है। यदि मनुष्य शरीर प्राप्त करके भी जीव पुनः पांच तत्त्व और तीन गुणों में ही ध्यान लगाता रहेगा तब जीव इस मायावी शरीर में रहते हुए इन से ऊपर नहीं उठ सकता। पांच तत्त्व,पच्चीस प्रकृतियां और दस इन्द्रिया मिल कर शरीर में मन का राज्य शुरु होता है और जीव पुनः इस मन के राज्य में घूमता रहे फिर जीव भवसागर आवागमन - चार खानि और चौरासी लाख योनियों से कैसे मुक्त होगा? अतः हमें शरीर मे रहते हुए गुरुजी साहेब की कृपा से मन के बंधनों से छूटना है तब ही गुरु भक्ति और सत्संग का पूरा लाभ हमें प्राप्त हो सकता है । यदि ऐसा लगे कि हम से कोई गलती हो गई हो तब कृपया हमें माफ करने की कृपा करें। सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी। आप सबको सप्रेम कोटि-कोटि सादर नमन।
सतसाहेब जी , 🙏🙏 आपकी जानकारी अति उत्तम है अगर इसके साथ - साथ आप (इस ज्ञान का जिज्ञासु जीवों को जो इसकी खोज में लगे हैं और रास्ता नहीं मिल पाने के कारण इधरछ़ उधर स्वार्थी मंण्डलों में अपने समय को परमार्थ के रूप में बिताते हुए तत्व ज्ञान की खोज में लगे हुए हैं और इस अथाह संसार रूपी भव सागर में के बन्धऩों में मन रूपी ठग के चुंगल में फंसी है) को ज्ञान रूपी अथाह समागम से जोड़ कर ज्ञान विस्तार करते हैं तो आपकी हमारी इस पोस्ट का कुछ
लगातार इसी क्रम में ________ महत्व होगा वरना तो हमारा इतना समय लिखने में लगानें की बजाए हम अपनी साधना करें । अपनी इस सोच लिखनें में कोई त्रुटि अथवा किसी को कोई आपत्ति हो तो इसी क्षमा याचना के साथ पुन: सतसाहेब 🙏🙏🙏🙏 जय रविदासीय सत्तसंग ग्रुप आपको सत - सत नमन् सतसाहेब 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👭👫👬🙏🙏
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तीन गुणों में ध्यान लगाना होता है या इनसे बचना होता है ,क्योंकि निर्गुण भक्ति का मतलब होता है तीनों गुणों से अलग होना । अगर पांच तत्व और तीन गुणों में ही फंसे रह गए तो फिर भक्ति कहां से होगी ।आप बोल क्या रहे हो जरा सोच समझकर बोलना चाहिए ना ।
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Sant Shiromani guru Ravidas ji maharaj aapki sadaiv hi jai ho
Sat Saheb
Sab ka bhala ho
Sat Saheb
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Ijjfdu
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Aartiguturavidas
Jai Satguru Ravidas Maharaj Ji
Satsaheb ji
Jai gurudev Dhan Gurudev
Beautiful Aawaj Ji bahut Sundar Gaya Mahatma ji ...Jai Gurudev Ji
धन्य नूरी प्रकाश तेरा ही सहारा 🙏🙏 परम सन्त रामप्रकाश महाराज जी आपका ही सहारा 🙏🙏🙏🙏🙏
Dw Dhan Dhan Satguru raviDas Ji Maharaj ki Jay
🙏 Shri Shri Shri 1008 Sant Shiromani Guru Ravidas Maharaj ki Jai Jai Jai 🙏
Sat saheb maharaj ji ko 🙏🙏🙏
🙏🌹👌👍❤️💯 सत साहेब जी सभी सन्तो को कोटि कोटि साहब बन्दगी जी।🙏🌹👌👍❤️💯
Jai Satguru Ravidass maharaj ki.
Sat Nam sat guru Ravi Das Maharaj ji ki jai ho
Jay guru ravidhass ji maharaj ki Jay guru samandhass ji maharaj
Jai Sant Shiromani Sadguru Ravidas Ji Maharaj.
Jai mahatma Bali dasji jai sant seromani satguru swami samndas ji Maharaj Amar rahe satnam ji
Mahesh Bange indor n ngr bhut bdhiya hay jai bhim sab
Jai Sri guru ravidass JI mharaj ki
Jai ravi dass ji maharaja ki j
Jay satguru Ravidas ji 🙏 maharaj
Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Jai Guru रविदास जी महाराज तेरी जय हो जय जय जय जय जय भीम
Sty nam sahib bandgi
Bhut hi aache sabd h sunkar aanand agya
Jai bheem jai ravidas ji
Sat saheb
Sat Sahib ji
सतगुरु रविदास महाराज की जय हो
jai guru bali das ji
Very good and nice
Very nice
सबसे बेस्ट भजन
Jai gururavidas mahraj ki Jai
Jaygurudev ji.jaybhim.
❤❤❤❤❤
🙏
Jay guru ravidass ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai guru Dev ji
Jai gurudev
🙏🙏
RadhaSwami ji
You are very best see
सतनाम जी
Good morning. Jai shree Radhe Radhe.!!
Satnam guru g
Satnaam ji
Anil
💯🌹🙏👌👍❤️💯
Jai guru dev g 🌹🙏🌹🙏🌹🙏
Very good
Aades gurugi
आँठ,पहर है,रौज के।
सत् संग सत् गुरू है,मयंग।।
होत् गीता गति है,सत् संग।
सात सुखो का ही है,मत व्यंग।।
रामलाल/रेगर श्योपुर म.प्र.
आठ पहर चौसट घडी एक घडी कितने पल की सुभाष गंगानियाँ (दहिसरा)
Dhanyavad sat saheb jai Sri ravidas ji 🙏maharaj 🙏ki jai 🙏😳😑😀😐🙄🙏
Good Bhai
Nice
Sabi Santo ko Parnam
Good
जय गुरू रविदास जी
Anil
सत्यनाम
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी
बहुत ही निवेदन के साथ विनय है कि पांच तत्त्व ,पच्चीस प्रकृतियां, तीन गुण,सात शरीर,सात कमल चक्र, दस इन्द्रिया,दस प्राण,नौ कोष , कुंडलिनी शक्ति, शरीर के कारण चार अनर्थ:करण और प्रमुख नौ नाड़ियां,इनमें भी तीन नाड़ी इंगला, पिंगला और सुषुम्ना तथा श्वांस की तीन गति पूरक,कुंभक व रेचक यह सब मायावी शरीर की रचना में है और यह शरीर बिल्कुल मायावी है जिसमें काल निरंजन ने इस जीव को योग यज्ञ,जप,तप, पूजा-पाठ,तीर्थ व्रत,योग, नाम सुमिरन, धारणा,ध्यान, समाधि,और न जाने कितने प्रकार के भ्रमों से भ्रमित कर दिया है। यदि मनुष्य शरीर प्राप्त करके भी जीव पुनः पांच तत्त्व और तीन गुणों में ही ध्यान लगाता रहेगा तब जीव इस मायावी शरीर में रहते हुए इन से ऊपर नहीं उठ सकता।
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सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी।
आप सबको सप्रेम कोटि-कोटि सादर नमन।
Nice ji
सतसाहेब जी , 🙏🙏
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लौकिक अलौकिक
@@hajaribarkosh4206 by cu ft
Rajender Janagal
3pakke,gun,kon,se,h,
😄
5 tattoo aur 3,gunse uppar hai aur
पंडित जी खड़ा बार आपने सोमवार मंगलवार बृहस्पतिवार बताएं बताएंगे कृपा करके आपका धन्यवाद जानकारी के लिए ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
लिरिक्स dijiye
शब्द समज मे नही आ रहे
Satsang ka gyan sabhi ko nahi hota h gana bajana ek alag baat h so tatva gyan or dhun ko pakdo tab ye sara gyan barhm gyan ko pahchaniye .
Ak saval that gurugi ye kide ke bare me batao riplai do
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Sat saheb
Jai guru Dev ji
Sat saheb
Sat saheb
Jai guru dev