बहोत सही विश्लेषण है उस समय की मनह स्तिथि का। हम सभी किसी न किसी संजोगो में ऐसी, पर छोटी छोटी परस्थितियों में बड़े, गुरुजनों की बातो में आ कर गलत निर्णय लेते ही रहते हैं। बस उनका स्केल पर्सनल या परिवार तक ही सीमित रहता है।द्रौपदी को दाव में लगाना गलत ही था परंतु अगर सारे पांडव अगर हार कर दास बन गए तो पत्नी और बच्चे भी उसी राह में चलना पड़ता । उल्टा द्रौपदी ही वो वीरांगना है जो पतियों को दासत्व से मुक्त करती है।
हां तो तुम खेलो तुम्हारे बच्चों को भी सलाह दो कि जुआ खेलो और खूब शराब पियो कोई बुराई नहीं है इसमें जो मन में आया करो हम तुम्हारे जैसे उल्टा थोड़ी ना सोते हम तो इन पांडवों के हारने पर सीख लेते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए
@@sundeutsch यह कोई महाकाव्य नहीं है यह उसे समय की सत्य घटनाहै सिर्फ यही एक सिख नहीं देता महाभारत महाभारत औरत की इज्जत करने के लिए सीख देता है महाभारत सच्चाई के साथ खड़े रहनेके संदेश को भी सिखाता हे महाभारत का युद्ध अगर दुर्योधन मारा नहीं होता तो आज सिर्फ 50 तक का हिंदू मांसाहारी है दूरियों धन जीत जाता तो पूरा भारत और हिंदू समाजमांसाहारी होता यहां रोड पर औरतों की इज्जत लूटी जाती होती और इसी महाभारत से हमें गीता का ज्ञान प्राप्त हुआहै एक बार गीता पढ़ना जरूर और महाभारत सिर्फ हमारे लिए एक इतिहास कथाहै उनके किसी भी पत्र के हम पूजा नहीं करते अर्जुन की करते नहीं युधिष्ठिर की करते हैं ना भीम की करते हैं ना सहदेव की कर देना नकुल की करते हे पूजा श्री कृष्णा भगवान की होती है अगर पांडव ने कुछ गलत कियाहै तो वह भी एक इंसान थे और उन्होंने अपनी गलतियां सुधारी भी है
Agyani logo ko kya he koi smjha skta hai ! Yudhisthir ji ko koi lat nhi th khelne ko unko dhoke se ye sab me aane k liye mama shakuni ki Or kauravo ki chaal th.....shakuni jis paase ko fekta tha wo uske purvaj ki haddi se bna hua tha jisse jo b number bolo wahi aata tha islye shakuni he pasa fekta tha taki wo jeet jaye or pandavo ka sab kuchh hadap sake but last not the least bure ka ant bura he hota hai chahe jo b chaal chal lo
मतिभ्रम और बुरी दशा सब बर्बाद कर देती है , इतिहास में सब कुछ हमें सबक सिखाने और प्रेरणा देने वाली बाते हैं! इन विषयों पर कोई सफाई नहीं दी जा सकती है ये भी ऐसा कह रही हैं!
राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771 पुरानी बातों को वर्तमान की कसौटी पर परख कर अपनाना श्रेष्ठ होता है, हिन्दू धर्म में यह छूट सदा रही है, इसीलिए इसे सनातन कहा जाता है
Ye nirbhar krta hai kaun kis itihas se kya sikhna, Janna aur bechna chahta hai. Jaise ye lekhika apna hi kitaab ka prachar kr rahi hain. Ise hi kehte hai storyteller. A well rehearsed business consultant would do this. Not new. We all are selling something in the name of something. And that's what she is even doing here.
3:53 और द्रौपदी की प्रशंसा करने से उनका दांव पर लगाया जाना उचित हो जाता है, है न? वाह दीदी कर्ण के दान को भी गलियाओ और युधिष्ठिर के कुकृत्य को भी उचित ठहरा रही हो। कमाल का दोगलापन है।
कर्ण की व्यक्तित्व जितना भी शक्तिशाली हो लेकिन अपनी कायरता से कर्ण कभी अलग नहीं हो पाया। द्रोपदी को वैश्या कहना और अभिमन्यु को कर्ण के सेनापति रहते हुए मिलकर मारना कर्ण के पूरे चरित्र पर वो दाग हैं जो कर्ण को अर्जुन से तुलना लायक भी नहीं होने देंगे। यही फ़र्क़ था कर्ण और अर्जुन में और यही फर्क था धर्म और अधर्म में। यही अंतर था दुर्रयोधन जैसा दोस्त होने में और कृष्ण जैसा दोस्त होने में। अगर कर्ण की मित्रता कृष्ण से होती तो कर्ण से वह पाप कभी नहीं होता और आज शायद कर्ण और अर्जुन की तुलना करना उचित होता।
@@CaptainHomelander are ho bagair gyan ke mahagyani, padhe likhe anpadh unhone kab kaha ke yudhistir ne sahi kiya aur explain karte waqt exclusively kaha ke yudhistir ne jo kiya use woh justify nahi kar rahi fir bhi apane dimag se jo ki apane hi gobar se bhara huwa hain yahan par ugal kar gand macha raha hain. D7sri baat sirf daan dene se isnaan achha nahi hota. Mahabharat padh le pahale tab pata chalega karn ke karname aur uski bahaduri. Shayad dimag se thoda gobar nikal jaay
@@maheshaswani5450 इनकी असलियत समझो पहले। ये हर मानवतावादी और प्रगतिशील विचार का विरोध करेंगे। ये धूर्त माखंडी और मनुवादी लोग हैं। इन्हे दुनिया का सबसे ज्यादा ज्ञान प्राचीन भारतीय संस्कृति में ही दिखता है। प्राचीन भारतीय समाज की हर बुराई को अच्छा बताने का बहाना ढूंढ लेते हैं। इसे खुद समझना चाहिए कि आज भी सदियों पहले वाला माहौल होता तो ये औरत कहीं चूल्हा चौका कर रही होती, यूट्यूब पर लेक्चर नही देती। मगर समझने की बात ये है कि इन धूर्त माखांडी और मनुवादियों की औरतें भी कम जहरीली नहीं होतीं।
जबरदस्ती में युधिस्ठिर को सही बताने की कोशिश कर रहीं है जबकि आप बताइए चाचा जी को jua खेलने के लिए मना कर देता तो konsa unka सम्मान गिर जाता ,दूसरा ये इतना जस्टिफिकेशन वो भी गलत बातों के लिए मुझे समझ nhi aata गलत थे पांडव तो थे कहना चाहिए पांडव ने jua khelke galat kiya
जब उनके तर्क आपको गलत लग रहे हैं कि वह जबरदस्ती युधिष्ठिर को सही बता रहे हैं, तो फिर आप अपने तर्कों से युधिष्ठिर को गलत क्यों बता रहे हैं, क्या आप वहां थे? क्या आपने महाभारत पढी
Itna hi hain toh khud jake padh lo mahabharat Bina yeh jane ki hum jis insident ki baat kar rahe hain woh konse timeline Main, konse geographic location par hui hain tab ka culture kya tha tab kya socially excepted tha kya batein progressive ke catagory main aati thi kya chese galat mane jati thi kya kam galat the kya cheese ameer logon ke shauk thi jaine aaj toh sone ka toilet bhi ameer loganke shauq banne lage hain puri social geographical political circumstances ka study kar ke fir kisi cheese ko sahi ya galat batao na bewajah apne personal believes ko har jagha apply karne ki koshis mat karo
Yudishter ne bado ki baat ka samman rakhna tha isliye khela. Lekin unhe ek baar virodh karna chaiye tha jo wo nahi kar paye aur yudishter is baat ko accept bhi karte hai ye mahabharat me likha hai.
Good Explanation 🎉 Interpretations and how the entire episode could be evaded is also available. 1. When Duryodhan said Shakuni will play...Pandavas could have surrendered to Krishna and said Krishna will play on their behalf. 2. Pitamaha Bhishma advised Yudhisthira that if Raja takes seat and just touches the pawn, it will be considered the game is attended .not necessary he plays. 3. When Yudhisthira lost himself ..he could have stopped the game... 4. In places, it's said..Karna came forward and stopped Duryodhan to disrespect Draupadi and protect Dignity of female. But had any of this happened...Krishna and his Dharm staphna Leela would have not begun.
Draupadi was great. Un par Bhagwan Krishna ki kripa hui. Dharm agar bina shakti k ho to uska perfect example h Yudhishtir. Aur Dharm mei agar shakti ho puri tarah se to uska perfect example h Prabhu Shri Ram. Jai Shri Ram 🙏🙏
@@Redmirealme1234 : Draupadi ne aisa nahi kaha tha, Mahabharat mien aisa kuch nahi hai. Yeh Mahabharat Serial ko interesting banane ke liye Ramanand Sagar ke creativity hai ... Draupadi ne aisa kabhi nahi kahaa
@@YashSharma-zv8nu dharam bina shakti example yudhister? Jeh kaunsa dharmik hai jo jua khelta hai and jue mein apni wife ko as a bet use karta hai? Kaurav thoda wait karte toh next bet mein jeh apni m@ ko b bet kar deta Besharami ki koi seema nhi
@@hsingh9180 राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771 kya bakchodi pel raha? Jeh kaisa bachan pehle wife ko bef mein haar jao and then koi bhagwan ki entry karva k usko bacha lo? Isko bachan nibhana nhi cheating karna kehte hai, ek baar haar gaye the toh handover karke apne ghar jaate jadi apne bachan k pakke hote toh. Aur jeh kaise rule jo jab dil aaye change karlo, jadi snatan shuru se ant tak chalna hai same way toh pandit ji bhiksha mangna shuru karo and apni parampra nibhao. FYI 7 phere le k patni ki raksha ka vachan kia ho toh jaan de deni achi hai, vo vachan ka kya bna? jisko jaan pyari thi usne biwi ko share karne k liye maan liya, tum accept karoge apni behan ja biwi k liye jeh sab, jadi apne bhagwan k steps follow nhi kar sakte ja aaj k dina immoral lagte hai toh bina sir pair ka bol bachan na karo pla
Sab ka apna apna prespective hai tum kisi ko sahi kisi ko galat nahi kehsate yeh ramayan nahi hai jo easy hai samajne ke liye..... Yeh mahabharat hai yahan pe har ek ka apna apna dekhne ka najariya hai har ek ka apna apna point of view hai koi karn ke angle se dekhta ki kitna galat hua uske saat toh koi pandav ya draupadi ke angle se dekhta hai ki karn ne kitna galat kiya vehsya bol ke voh adharmi tha. Koi yeh bolta hai ki duryodhan ne karn se friendship apne faide ke liye ki thi kyun ki voh rival tha arjun toh koi yeh bhi ke kehta hai ki nahi actual me duryodhan karn ka mitra tha real friendship thi.... Mahabharat ka translation or understanding itni easy nahi hai..... tum aisa nahi keh sakte ki yeh sanitized version hai.....
@@nishitchoksi7689Bhai meine bhandar publication bhi geeta press bhi jo ami gantatraji kah rahi ye unka perspective nahi ye wo explantion jo veda vyas kah rahe hai ye ye Mahabharata ka author original composer ka perspective hai baki sab ka perspective apni bhuddi se hai kya veda vyasji se jyada pata kisi ko
Bhai meine bhandar publication bhi geeta press bhi jo ami gantatraji kah rahi ye unka perspective nahi ye wo explantion jo veda vyas kah rahe hai ye ye Mahabharata ka author original composer ka perspective hai baki sab ka perspective apni bhuddi se hai kya veda vyasji se jyada pata kisi ko
भगवान कृष्ण ने जिस बहन को माना था उस द्रौपदी को धर्मराज उदधिस्त ने जुए में दाव पे लगा दिया बालों से घसीट कर लाया गया। किसी भी शक्तिशाली का खून नहीं खोला गया। आसमान फाडने वाले वे द्रौपदी की सारी फटने का इंतजार कर रहे थे। कृष्ण भी इतने व्यथित थे कि समय पर नहीं आ पाए। सफ़ाई देने में लोग कितने माहिर हैं, देख कर पता चलता है।
सही पकडे हैं। सारे भोले लोग एक जगह इकट्ठे हो गए थे और दूसरी तरफ एक चालाक आदमी था अकेला शकुनी। क्या मजाक है। लेकिन भाई कभी कभी अकेला भी सब पर भारी होता है।
@@KP18second यही तो कहा है महाराज कि महाभारत दिखाइये कि गलती कहाँ हो रही थी। उसे ही ठीक करना है कि भगवान श्रीकृष्ण कहाँ कहाँ पर भगवान हैं और कहां कहाँ पर मनुष्य। बस।
@@gyaan971 wo bhagwan hi hai har jagah bhai... pr apni shaktiya ka istemal kabhi nahi karte the khud ke liye... jo bhi hona hai wo hone dete the kyuki wo khud bhi bhavishya nahi badal sakte the Jo likha gya hai wo hoga hi....chahe wo yudisthir ka haarna ho ya draupadi ka cheerharan.... Ye sab kaaran the Mahabharat ke yudh kyuki asal me Ye Sab hua hi isliye kyuki Mahabharat honi neeyati me likhi ja chuki thi.
इस औरत को हर बात में कर्ण की बुराई करने के सिवा महाभारत की बात करनी नहीं आती युधिष्ठिर को व्यसन था या नहीं उस ने भाइयों और पत्नी को दांव पर तो लगाया ही था इसे justify करने की जरूरत नहीं है देवी जी और कर्ण ने नहीं द्रौपदी ने कर्ण का अपमान किया था उसे सूत पुत्र कहकर , वैसे तो कर्ण गर्व से खुद को सूतपुत्र कहते थे, लेकिन जिस तरह द्रौपदी ने कहा वह अपमानजनक था, यद्यपि यह भी सत्य है कि यह द्रौपदी का अधिकार था कि वो जिसे चाहे अपने स्वयंवर में भाग लेने से मना कर दे लेकिन जब उसने कर्ण को उसकी पारिवारिक स्थिति के कारण अपने लिये अयोग्य घोषित किया जबकि पांच की पत्नी बनने में उसे कोई परेशानी नहीं थी तो जिस कर्ण को बार बार उसे सारथी पुत्र होने के कारण असमानता का सामना करना पड़ा हो वो पांडवों के दास हो जाने पर अगर द्रौपदी को याद दिलाए कि वो दासों की पत्नी है तो यह दुखी मानव मन की सामान्य प्रतिक्रिया है कर्ण से आप महानता की उम्मीद कर रही हैं यह नहीं बताया कि उसने जुआ खेलने की बजाय युद्ध करने की सलाह दी थी दुर्योधन को Justify नहीं कर रही कहकर भी justify करे पड़ी हैं 😂 महाभारत उस समय की देश की परिस्थिति का इतिहास है जब कर्म की अपेक्षा जन्म से जाति का निर्धारण होने की शुरुआत हुई थी, कर्ण उस गलत बदलाव का विरोध करने वाले वर्ग का प्रतीक है और उस समय भी पूरी तरह जन्म आधारित व्यवस्था नहीं शुरू हुई थी इसी का प्रतीक दुर्योधन द्वारा यह कहना है कि कर्ण को मैंने राजा बना दिया अब वह क्षत्रीय है तो कर्ण ने जीवन भर दुर्योधन का साथ दिया तो गलत क्या महाभारत का हर प्रसंग शिक्षाप्रद है तथाकथित धर्मराज धर्म के नाम पर जुआ खेले तो क्या होता है, यह बताकर महाभारतकार सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि धर्म जड़ परम्परा नहीं है, धर्म बुद्धि आधारित होना चाहिए
@@hemanginijain1436 हूँ अजीब लग सकता है क्योंकि हम लोगों ने स्वयं पढ़ने और समझने की बजाय सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करने की आदत डाल ली है वैसे अजीब लगा ये अच्छी बात है, इसका मतलब आपका मस्तिष्क खुला हुआ है पक्ष या विपक्ष के पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं है, अतः बधाई हो आप स्वयं analyse करने में समर्थ हैं
@@insaniyat3599tum ye batao tumne Mahabharata padhi hai kbhi? Apne ko bda tarkik aur gyani siddh krne ka prayatn tum kr rhe ho, to ye batao sut putra ka meaning kya hai??? Karn ke pahle guru ka naam kya tha ye btao tum tere gyan ka abhi pta chl jayega. Mahabharat padhi nhi aa gye apna vishleshan krne without reading...
What she said at 5:27 question came in my mind during teen age when i saw BR chopra ji`s Mahabharat. Each n every time saw that serial some thing new thing came to learn.
Pls don't watch serial i request you. Jab aap real mahabharat padhoge tab aap samjhoge ki karn se ghatiya insaan koi nhi tha. Main khud karn ka bohot bada fan tha but jab mahabharat ki lines padhi maa kasam itna gussa aaya ki kya bolun. Usne draupadi ko vaisya (r@@ndi) bola usne mahila ko nanga nachne wali bola. Kunti mata tak ko jalane ki koshish ki. Pls ek baar mahabharat ko padhe 🙏🏼
@@Ankit-Kumar. I have read little . I have 2 book set of Geeta press edition Mahabharata. But the final essence is the same in serial that Karna was wrong. The portrayal by Pankaj dheer ji for Karna he accept that by mistake he read novel mrityunjai by Shivaji sawant.
@@vayuice if you will get time then must read karn parv. Karn didn't have knowledge to talk. Once shakuni also said to stop war but karna was the only person who forced duryodhan. Agar aapke pass time nhi h to issi teacher 30 - 30 min ki 2 video banayi h unhe jaroor dekhiyega. Inhone shlok ke sath mahabharat ki pics tak dikhake bataya h. Karn was powerful but not more than Arjun and also a characterless person. Radhe Radhe ❤️
पांडवों को भगवान् कृष्ण जी कि सोगंध दिलाई हुई थी कि खेल खत्म दुर्योधन करेगा बीच में खेल नहीं छोड़ सकते ईसी लिए भीम ने विरोध किया था लेकिन चारों भाईयों ने पकड़ लिया था वरना महाभारत कोरवो,कर्ण कि वहीं पर हो जाती युधिष्ठिर अपना वचन नहीं तोड़ सकतें थे इसलिए युधिष्ठिर को सत्यवचन कहते थे सबकुछ लुट रहा था फिर भी वचन पर बंधे रहा ओर उन्हीं वचनों कि वजह से सारथी बनकर युद्ध जीता दिया जिसके मन में खोट नहीं होता है दुसरो को भी अपने जेसा समझते हैं युधिष्ठिर ने तो यही समझा था दुर्योधन ईतना थोड़ी निचे गिर सकता है जिस सभा में मां बाप,दादा गुरू सब बैठो हो वहां ऐसी घटिया हरकत करेगा
Kabhi acharya Prashant ji ko suna hai . Wo karn ki tareef karte nahi thakte. Aapka kya status hai . Karn agar itna hi bura the toh apna kavach kundal kabhi daan nahi dete. Karn se inko kuch zyada hi dikkat hai.
Gawar read real Mahabharat nowhere in Mahabharat Karn is called Danveer no did he did daan of Kavach Kundal, in return of Kavach Kundal he asked powers, infact he disagreed to give his Kavach Kundal if not powers in return
@@roshandakhare6512 Ravan or Karn mein antar nahi dikhta aapko. Ravan ke naabhi mein Amrit kalash tha usne daan Diya tha kya apna Amrit kalash. Karn ne jante bujhte apna kavach kundal daan kar diya tha. Ye antar hota hai mahan logo mein or ek Mata Sita ka haran karne wale rakshas mein n
@@DilipSingh-wj1cr a re bhai jaruri nahi na ki koi dan kar raha hai to wo accha hi ho aajkal kitane juwari dan karte hai,murder wale bhi dan karte hai to wo sahi aapke nazar me
@@DilipSingh-wj1cr I have already mentioned from Vedvyas Mahabharat that Fake Lower Caste Failure Sut Putr was Women Molester and didn't did any daan but deal
द्रौपदी केवल युधिष्ठिर की पत्नी थी । महाभारत में कहीं भी उनका भीम , अर्जुन , नकुल और सहदेव से विवाह का वर्णन नहीं है । युधिष्ठिर पक्के जुआरी थे । उनको धर्मराज कहना बुद्धिमानी नहीं है ।
जूवा खेलने वाला जो अपना सब कुछ दाव पर लगा दे वो व्यसनी नही अपनी पत्नी को संम्पत्ती समझकर दाव लगाए वो जूवारी नही जो पाच की पत्नी हो उसे सिर्फ अपनी प्रोपटी समझे वो खूदगर्ज नही क्या लॉजिक है 🚩🚩🙏
@@sundeutsch जब बुद्ध स्वयं ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल मे ही जन्म ले सकते हैँ स्वयं बुद्ध कहते हैँ तो तुम्हें ब्राह्मणों से आपत्ति क्यूँ है??? जिस मनुस्मृति का तुम उदाहरण देकर रोते फिरते हो तो मनु महाराज की लिखी है जो क्षत्रिय थे और वो कभी लागू भी नहीं हुई... कलयुग के लिये पाराशर स्मृति है पर तुम्हें कैसे पता होगा... ना बुद्ध को ही जानते हो ना सनातन को.... दोनों मे से किसी एक को भी ढंग से जानते तो इतने विचलित नहीं होते
@@anuradhashukla1771 कुछ नही समझे तुम। और न ही समझोगे। न बुद्ध क्षत्रिय थे न मनु बाभन। जातियां होती ही नहीं हैं। केवल दो जातियां होती है नर और मादा। कुछ चतुर पाखंडी और स्वार्थी पुजारियों ने भारत के लोगों में जाति का जहर घोल दिया जो अभी तक मिट नही पाया। तुम्हारे जैसे लोगों के जेहन में ये जहर पैदाइश के वक्त ही घोल दिया जाता है जो कभी निकल नही पाता। तुमलोग चाहे कितना भी विज्ञान पढ़ लो मगर कुतर्क नही छोड़ते। आज भी तुमलोग समझते हो कि कोई व्यक्ति केवल जन्म के कारण बड़ा हो सकता है। तुमलोग दूसरी जातियों के लोगों के महान को न महान मानते हो न विद्वान को विद्वान। अपने आपको चेंज करो।
@@anuradhashukla1771 और भविष्यपूराण कब लिखा गया और किसने लिखा कुछ पता है क्या? तुम्हारे शास्त्रों में लिखा है कि तुम्हारी जैसी औरतें लकड़बग्गी से तेजदुमाग नही होती। तुन्हारे शिवपुराण में लिखा है कि शिव के वीर्य से धरती पर सोना और चांदी बने, जिसके गहने तुम पहनती हो। तुम्हारे ही शिवपुराण में लिखा है कि शिव ने अपने पोते आड़ी का गुदामैथुन करके मार दिया। ये भी तुनहारे शिवपुराण में ही लिखा है कि तुम्हारे कल्याणकारी शिव ने सती अनुसुइया का बलात्कार किया था। और यानी शिव देवताओं की बीवियों के सामने पार्क में नंगा घूमता था। तुम्हारी धैमिक किताबों में ही लिखा है कि एक बंदर सूरज को निगल जाता है और अमेरिका में भी अंधेरा हो जाता है। वैसे कोई सबूत पेश करो अपने भगवानों का। और कोई सबूत इसका भी पेश करो कि बाभन ब्रह्मा के मुंह से निकले थे। फिर आज प्रजनन से क्यों पैदा होते हैं। ब्रह्मा की फैक्ट्री बंद क्यों गई? और तुम्हारे भगवानों का पहले अवतार हुआ करता था। कबसे बंद हो गया?
Respected citizens, Serial maker will make a serial according to TRP, not 100% as recorded by Original writers like Valmiki iji and Vyas ji. We Hindus don't ask Satya/Truth in content and we are liberal. But Muslims will butcher ❤u if you go according to TRP 😅
भीष्म को कितना जानती हैं आप ? पाण्डव-द्रौपदी भीष्म से पूछकर द्यूतक्रीड़ा में गये थे ? यदि पाण्डव जीतते तो द्रौपदी सुख में सहभागी नहीं होती ? पत्नी पर पति का अधिकार होता था । द्यूत में कलि के वास के आधार पर ठुकराना था ।
@@anjalityagi6452 (1) नल-दमयन्ती की कथा में भी द्यूत एवं कलि का वर्णन है । (2) चतुर्युग घड़ी की सुइयों के समान चक्रवत् चलता है । अर्थात् कलियुग के बाद पुनः सतयुग । सतयुग, त्रेता , द्वापर में भी उपर्युक्त 4 स्थानों पर कलि का वास होता है ।
@@kumar-saurabh108 I agree but alg alg yug ke sath humen conscience b km hota jata h or ye sari details khoti jati h , isiliye Kali ke was ka adhar ni bn skta th. Lekin Anya adhar liye ja skte th jese apni trf se keval kuch h pase dalne ki sima tay ki ja skti th Sbse pramukh krishna bhagwan ka ashray le ke iska uchit samadhan smbhav th
@@kalkis3354 जाति नहीं... जो पहले पैदा हुआ वो राजा... विदुर सबसे छोटे थे... पाण्डु के बाद... तो जब तक दोनों वड़े भाई ज़िंदा हैँ उनको राजा कैसे बनाया जाता??? सत्यवती जो मछुआरे की बेटी थी वो क्या रानी नहीं बनी??? जातिवाद फालतू मत फैलाओ.... अगर जातिवाद होता तो विदुर दासी के बेटे होकर राजा के बाद दूसरे सबसे बड़े यानि प्रधानमंत्री और सलाहकार के पद पर क्यूँ थे?? दास क्यूँ नहीं बने... आता जाता कुछ है नहीं बस नीला झंडा उठा कर खड़े हो गए...
विदुर एक दास पुत्र था भला कैसे एक दास को राज्य का सिंहासन मिल जाता??😂 क्या हिन्दू होकर यह भी तो तुझे पता नहीं??😂 और यह महिला सिर्फ बकवास कर रहीं है 😂 इसे घंटे का ज्ञान नहीं है 😂😂😂
Vidur niti sunane wale Vidur ko jb Dhritarashtra ne Brahmagyan dene ko kaha tb Vidur khud bole the ki ve Dasiputra hone ke karan Brahmagyan ke adhikari nhi hei. Baad mein Sanakadi rishiyon ne Dhritarashtra ko Brahmahyan diya. Itne badhe gyani vidur aisa keh rhe hei to vichar krne yogya baat hei na?
@@akshayparulekar4550 All Hindu Shashtra are written after 1000 AD ( not far from the time when Amir Khusro are present)only Rigveda was present but in oral form, but even Rigveda was scripted after 1000Ad.So all the Shastra were composed in much later time, Sanskrit used is new ( laukik Sanskrit). So how could we say it's really Vidur Views,and not altered by the Brahmin believing in varna system. Mahabharat is an ancient story but even it is composed after Ashoka period. In Mahabharata original story it doesn't follow varna or cast system, for instance their are lots of interverna and intercast marriage. Shantanu married a fisherman daughter ( a shudra) if the concept of shudra were present then how that marriage occurred, doesn't Shastra says a kid of Shudra and Kshatriya is varnshanker or Chandal ? So original story is castless, later when it is written in now a days Sanskrit ( laukik Sanskrit, old sanskrit is called vedic Sanskrit. The Rigveda is the oldest) cast and Verna system got injected in it
Vidur ki Gehri bato ko samjhne ke liye pehle yogyata laao apne andar. Aur Satya Sanatan ke kahi koi Jaati vyavastha nahi thi. Varn vyavastha thi. Jo aaj b jaari hai. Aaj b koi Vyakti kitabe padh ke khudko Doct nahi keh sakta ya surgery nahi kar sakta. Use pehle kabil hona padta hai. Jaise Shudra Valmiki aur Kshatriya Vishwamitra ji unke unke fields ki Aunthentic Padhai kar ke Maharshi aur Brahmarshi bane they. Vidur chahte to khudko apni Shreshthata se Raja manva sakte they lekin shuru se ant tak unhone khud ko Satta se Dur hi rakha ye unki personal ichha thi. Baki bahane bahot hai.
Yahan koi Karan ka bhakt nahi hai. Lekin Jo hua hai use undekha toh nahi kar sakte!!????... Baki sab ko pata hai Karn Suryaputra tha. Aur woh nihattha mara gaya. Abb isko bhi badal dena chahte hai kai itihaskaar!! Hadd ho gayi....🙁😔. 30-5-2024.
@@samirsupnekar tv dekha ne valo ko tv ka hi sahi lagta he jisne padha he vo janta he karan nihakta nhiii tha vo ratha hin tha shshtra hina nhiii or jo bhi bola he mam ne sahi bola he likha he isliye bola he...
Yudhishtir should never never never ever be supported or justified. Infact he is the real villain in Draupadi's life. SHAME ON HIM 🤬🤬🤬🤬🤬🤬🤬🤬 And shame on those who either support or trys to justify him
@@ramasundar785nothing is white and black. All the characters in Mahabharat were grey... Some had done less and some had done more.. Each one of them had their share of punishment. Nobody was spared. Not even Krishna...
@@sandeepgajdhane3677 राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
दयूत के बाद ही महाभारत की शुरुआत हुए। और इसके लिए पांडव ही जिम्मेदार थे। और श्री कृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए इसका सहारा लिया। और कर्ण के अपने अपमान का उत्तर दिया जहा उसका अपमान हुआ वहा कृष्ण भी थे। तब धर्म स्थापना की चिंता नहीं थी।
बिलकुल सही कहा दोस्त। ये आनेवाले हजार सालों में भी नहीं सुधरेंगे। ये बहुत शातिर लोग हैं, मूर्ख नहीं। ये लोग कुतर्क का खजाना हैं। दुर्भाग्य है कि ओबीसी और SC ST भी इनकी झूठी, गंदी और शोषक बातों का शिकार बन जाता है।
@@SpritualGyan14हम तुम्हारे झूठ का खण्डन करते हैं। मानवता का सबक सिखाते हैं। पाखंड पर प्रहार करते हैं। अंधविश्वास से लोगों को बचाते हैं। मनुवाद से लोगों को आजाद करते हैं।
दाव पर लगाने के लिए कुंती भी तो थी पर दूसरे की बेटी तो मुफ्त का माल समझ रखा ..... सिर्फ कृष्ण साथ होने की वजह से....वर्ना कोरव और पांडव में कोई फरक नही था
Galati sirf yudhishthir ne kiyaa thaa wo bhi apne pure jivan me ek baar. Is ek ghantaa k alawa pandava k puri jindagi sirf achhe karm se byatit huaa hai
Perfect. SMBG - As it is. This one is authored by His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Srila Prabhupada ji. Normally, i have it in English/Hindi/Marathi. Will send you in whichever language you prefer to read in. 😌
To phir ap information bata do na,agar apko puri jankari hain to, she wrote lots of books according to it. She did lots of study. Apko agar jankari hain to ap jab comment dal rahe the tab hi puri sach jankari deni thi,iska matlab apko bhi sach pata nahi hain 😂😂
और आप क्या है? अपने पिता की भूल का परिणाम? पहले इतिहास पढ़ने का कष्ट उठाइए, फिर बुद्धि का प्रयोग कर के किसी निष्कर्ष पर आइए। सस्ते में लोगों को judge करना बहुत आसान है।
@@AnandShah3977 bhai kyu na judge karu mai ye america nahi hai ki koi bhi crime karo aur aapko judge nahi kiya jayega ye bharat hai zaroor judge kiya jayega aur mahabharat jaisa mahakavya likha hi Iss liye gaya hai kyoki usse bahut si amulya shiksha milti hai jaise 1 dharmpath ka nirvahan karna cahe same wala apka saga hi kyo na ho 2 nari ka samman 3 jua kehle se buddhi ka bhrasta hona. Kaurvo ko unke paapo ka unhe sahi dand mila mai unhe defend nahi kar raha lekin Kaliyuga me bhi agar koi apni patni aur bhaiyo ko daav par lagata hai to tum usse ghrina nahi karoge.
@@ज्ञानीसारस Iti Haas.... matlab aisa hua tha. Ye apko samajdari aur gyan dene ki liye hi katha roop me kaha gaya hai... apke judgement ke liye nahi hai. Chalo aap judge kar bhi loge to itihaas badal jayega? Mool uddeshya kya hai wo samjho... itne gyani bano ki koi aapko sune. Aadha gyan le kar katha karne baithoge to koi aapko nahi judge karega kya? Dursi baat... ghar pe baith kar sant banna bahot hi aasan hai. You and me are not facing the challenges they were facing. Agar aapne kis situation me koi decision liya vo samjhe bagair me aapko judge karu to aap accept kar loge? Itihas is taught to us so we can learn from it and become better by learning from others' mistakes, not so that we can sit at home in comfort and pass on cheap judgements on the great humans before us. It's not about defending anyone, but it IS about learning fully about a situation/person before passing judgements... BTW, I hated Shakuni until I learned his full story (after I turned 30)... That was one of the events when I stopped judging without learning the full story... and by the way WHY pass judgements? And by which authority?
Radhey Radhey chant hare krishna hare krishna krishna krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare minimum 16 round daily 108×16 read Bhagwad nd alwaysbehappy gurantee u see the difference within 2 month
भाई हिंदू धर्म ग्रंथो का विकास लगभग 1500साल tk चला 1. श्रुति 2. स्मृति श्रुति परंपरा में वेद और वेदांगो का विकास हुआ जिसका प्रमुख दार्शनिक आधार उपनिषद हैं जबकि स्मृतियां राजाओं के संरक्षण में लिखी गई हैं । उत्तरवैदिक काल में बढ़ती। सामंती के कारण पुरुषप्रधान और संपत्तियुक्त ब्राह्मण व क्षत्रिय दर्शनिको व राजाओं ने जाति व्यवस्था को कठोर बनाकर एक बड़े वर्ग को दास बनाए रखने के लिए अधिकांश स्मृतियां लिखवाई जिसमें अधिकांश स्मृतियां दुर्भाग्य से स्त्री व शुद्र विरोधी थीं (हालांकि वृहस्पति v याज्ञवल्क्य स्मृतियां समानता का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को देती हैं)। इस समयकाल में संकलित हुई मनुस्मृति को इस समय का सबसे कठोर v क्रूर कानून माना जाता है मैं आपको पुनः स्पष्ट कर दूं की स्मृतियां धर्मग्रंथ नही है ,वे केवल तत्कालीन राजाओं के विधान है अगर वास्तविक धर्मग्रंथों का अध्ययन करना है तो उपनिषद को पढ़ा जाए जिसमे समय ,कर्म,माया जीव जगत संबंध और व्यक्ति के कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे । इस संबंध में अधिक जानकारी यूट्यूब pr hi @acharyaprashant channel पर पड़ी हुई है।
Karna's character v/s this wom's hero Brihenlala alias Arjuna's character, let's compare: According to main central plot, Karna never bet his wife, Karna never shared his wife, Karna never looked at other people's wives. He was exactly like his father Surya Narayana. Karna gave his Kavacha, Kundala to Brihenlala's father Indra, when he came begging with tears in his eyes, because it is central main plot, Karna could not be defeated with this on. If Karna was evil, he would behave like Duryodhana, never give up anything. Vasavi Shakti is useless compared to Kavanch, Kundala which provided Karna immortality like Bhisma.
Karna was jealous of arjun from childhood , he let his friend do wrong and also supported in his deeds, didn't understood the integrity of female , in front of court he called draupadi vaishya , he never defeated arjun one on one, he ran away leaving his friend in the hands of ghandharva. Why should he have the priveledge of using kavach and kundal in a war where no one is using such things so that's why he lost all his gems. He was not a good person at all
@@brandmaker135 No man, Karna was not jealour of Arjuna, he knew is was vastly more powerful than Arjuna. And this was fact. The problem is Arjuna, who used his class (not caste, caste system did not exist then) to make Karna look small. This was one of the bad things of Arjuna who was the ideal Grandson & Student.
@@brandmaker135 Karna is not a wife sharer or wife better, so Karna is far above Pandavas. This is why even at the end, Krishna would have settled with 5 villages from Duryodhana. Had Duryodhana agreed, everything would have been settled, so obviously words are less important than action. No matter how you Shakti Purana fans try, you cannot dim Vaikartana Karna & Rama. Sorry, not possibe. We already know Virat Yudh & Utara Ramayana is fan story.
@@brandmaker135 Karna, Bhisma, Drona were highly Dharmic people, far above Pandavas. Their only flaw is by association. Pandavas have committed evil because they represent humanity, like wife sharing & wife betting. This is pure evil. It spreads diseases in society. So, stop telling lies about Karna.
@@rakeshkumarbarsaiyan5358 शास्त्रपरक विवेचना से भी बचें क्योंकि वो भी किसी इंसान ने ही लिखा है। अगर ध्यान से पढ़ें तो शास्त्रों में केवल गंदी और झूठी कहानियां हैं। Science Journey और Amit Tiwari के कुछ वीडियो देखें
Aapko abhi yeh bhi nahi pta tv serial mein kya kya galat fact dikhaye hai. Agar apko sahi mein pta karna hai kya sach hai toh pad lo. Ab jisne pad liya uski baat ka khandan karne se pehle aapko bhi Pad kr hi virodh karna chahiye. Just aapne serial mein dekha hai woh sahi hogya. TV serial bahut masala daal jaaat hai. Logo ke emotion se khela jaata hai. Aur unhe ek ideology parosh di jaat hai
Vidur aur Vikarna k alawa us sabha me upasthit har vyakti doshi aur cheer haran ka uttardai hai chahe wo pandav ho ya kaurav, Shakuni, Karna, bheeshma, Drona charya ya Kripacharya. Parantu me samjhta hu k sabse bada dosh Dhritarashtra ka hai jo k Raja hote hue bhi apni sabha me hote hue adharm ko rok na saka sirf apne putra moh k kaaran.
@@RCH-K paramparik manyta prapt hinduo ke Dharma guru hain hamare pass shak kyun hoga basarte sarkari ya corporate guru na ho sayad aap samajh gaye honge
Main kai aise dharm guru ka naam bta skta hu jo scriptures k anusaar glat btaye h Meri raat me aap sune sabki fir use scriptures se verify kre aur fir bharosa kre
कुछ लोग ऐसे कमेंट कर रहे हैं जैसे गनात्राजी से ज्यादा तात्कालिक ज्ञान उनके पास हो। अगर ऐसी बात है तो खुद गनात्राजी को लाईव डिबेट के लिए चॅलेंज करों और साबित करो की तुम ज्यादा ज्ञानी हो।
Waah didi ... didi waah....gajab...matlab yudisthir to bachche the Jo phaste chale gye....ye kahiye na ka aap pandavo ko support krne aayi hai kul mila ke😂😅
@@KrishnaKumar-gz2ck राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
History ko facts pe discuss kiya jana chahiye narrative pe nahi . Pandavo ne bhi galti kiya tha manushyon ko daav pe laga ke , duryodhana ne bhi galti ki , Mahabharat to jyada galti aur kam galti ke beech ke selection hain
Sbse pahli baat main ek brahman hun (Goutham Gotra).... Ese hi hamare dharm ka satya nash kiya jata hai.... Besharmi ki baat ye hai.... Madam ji ne kaha ki dropati ka bohat samman hota tha.... Samman my foot.... 1 No ke juwari ko dharmraj kaha gya.... (Kyunki pahliyon ka uttar dena jante the....) Bisham Pitamah tb chup rahe jb unhe daawan pe lagaya gya, gasita gya or nangi kiya ja rha tha.... Guru Drona charya chup rahe jo pahle Dropati se kahte the tumse mera dougle nata hai.... Putri or Putr Vadhu Kulguru Kripa charaya chup rahe.... Raja ji jo andhhe the pr sabse gande the.... Kul wadhu ka sabke samne gang rape hone wala tha.... Or besharmi itni ki koi virodh nahi kr rha tha na wanha se ja rha tha.... Sirf ek vidhur and vikarn jo ki koravo me se hi ek tha unhone virodh kiya.... Baki sb ne bari bari gang rape ka pura plan bnaya tha.... Vo to bhala ho Shri Kirshna Ji ka jinhone unke kr pr pani fer diya.... In sb se bahadur thi Ghandari jisne baad me aake ek ek do danta.... Hmare dharm ki nichta ko itna decorate krke btya jaise koi badi baat nahi.... Vo ab bhi dharm raj kaha jata hai mahabarat yudh me sbe pahle marna chaiye tha....
Ji Sir, Lekin ese ese dharm guru ji apne mann se kisi ko bhi hero bna kr pesh karenge bss apni apni dukan chamkane ke liye.... Fir koi kya siikhega???? Hmare dharm me jo bhi ghatiya baat hai use btana chahiye ki ghatiye baat hai.... Or jo achhi baat hai use btana cahiye ki achhi baat hai....
Murkh hai kya?? Tu vedvyas ji se jyada janta hai?? Tune padhi bhi hai mahabharat kbhi?? Khud ko brahman bta rha hai tune ek bhi shatra pdha hai??? Dharma ki definition hi bta de kisi Shastra ko quote krte hue agr tu sach me Brahmin hai to....
Ji pure 18 adhyay padhe hai.... Ved viyas ji ne Dropati chir haran me ye hi likha tha ki dropati ro ro kr sbke madad ki pukar kr rahi thi.... Lekin sirf Vidhur and vikarn (Jo ki kourav me se hi ek tha) unke alawa kisi ne virodh nahi kiya.... Jbki unke pas adhikar bhi tha or samarth bhi tha.... Aap khud ko gyani samjhte ho to btaiye kabhi agar aapka koi beta kisi stri ke sath ese krne ki koishish kre to aapko kya krna chaiye???? Andh bhakt nahi ho to apni antar aatma se ye prashn puchhna.... Varna iss bahas ka koi labh nahi hoga....
Mahabharat dharm yudh hai. Kya sahi hai kya galat hai eski bariki bahut deep Hai aaj ki yuth karn ko mahan btati hai Mujhe dar hai ki hamara sanaatan dharm kis disha ko ja ra hai 😢😢
Reality to ye hai ki aap kuch bhi ho , bhagwan ko jo karna hai wo kishi Karan banake karvaye hai😂 so don't use mind what God give you role just doing it as per your buddhi
द्रौपदी ने एक महत्पूर्ण प्रश्न किया था। क्या युधिष्ठिर ने उन्हें दाव पर स्वयं के दाव पर लगाने के पहिले लगाया या बाद में। असल में खुद को दाव पर लगाने के बाद युधिष्ठिर दास हो चुके थे और उनके पास कुछ नहीं बचा था, द्रौपदी भी नहीं।
@@pe1473pe exactly मुझे बचपन से यह प्रश्न कचोटता है कि युधिष्ठिर जब दास बन गए तो जो भाई और पत्नी rajputra और rajpatni थे उन्हें दांव पर लगा ही कैसे सकते थे, आख़िर एक दास किसी स्वतंत्र व्यक्ति के बारे में निर्णय लेने का अधिकारी कैसे हुआ यदि सदाचार पर एक बार न भी ध्यान दें तब भी वो नियम से भी भाइयों और द्रौपदी किसी को दांव पर लगाने के अयोग्य थे
History is written my winners… The way it suits them to portray themselves as hero.. We should accept that winners are not always right and true… yudhishthir was an adict dont try to defend his actions
Ye aunti kabhi bhi dharm ki baat nahi karegi balki uska Sahara lekar ghum fir kar karn par jayegi or jitna ho sake karn ki burai karegi..you can notice.. But ye ek baat bhul jaati hai ki jab jab Krishna ka naam ayega tab tab Arjun ka naam ayega..ar jab Arjun ka naam ayega tab logo ko karn ka pata chalega .. uske jeevan ke sangharsh ka pata chalega.. ultimately karn becomes motivation for us more than Arjun...Puri Mahabharat me khud Krishna ne kisi ko approach nhi kiya sivay karn ko.... yudh me shamil hone ke liye pandvo ke saath... Aunty ko to bas AC ke niche baith ke chugli karni hai....bhhhaakkk
Actually the narrative of Karn as an anti hero was created by tv shows, he was a complicated character, he was awfully arrogant and never forgave anyone but he was also a very good warrior and he was power hungry too Karn would always be studied with Arjuna, Arjuna was a masterclass in being humble It is not about hating Karn, it is about realising that they made a typical Bollywood story out of him, orphan without parents becomes the ultimate winner I was in awe of Karn too when I was a teenager but exposure to more reading material, led to the understanding of he had his own set of flaws and also he was a bit of an instigator, half the fights started because he would keep on challenging people and would not stop even when the situation had calmed down It was less Duryodhan more karn
@@Kanika959 Your name suggest that you are so confused... Karna was the main villain of Mahabharata, just like duryodhana, who always participated in every orchestrated plan made by duryodhana against Pandavas, since childhood. Karna's intense jealousy against Arjuna, out of incompetency, led him to his failure multiple times in Mahabharata.
@@Kanika959 Those kawach-kundals belong to Indra Loka, which was given to Karna in his previous life, when he was demon named Sahastrakawacha, as a boon... Now it's time for him to die, so Indra dev wanted his shield back, and to balance that, he even gave Karna more power - vaisavi shakti. It has nothing to do with Arjuna. Otherwise, Indra dev would have demand for Karna's major weapons from his Arsenal, instead of giving him more power. This shows Indra dev was least bothered about Arjuna and more about taking his shield back. Arjuna already spared Karna's life multiple times, even in final battle in kurukshetra war, Arjuna paused the fight requested by Karna, but by the order of Shri krishna they resumed the fight, as it's time to end the enemy.
@@Kanika959are chodo in gadho ko mat samjhao bhen Karn vastav me ek ache yoddha the isliye swayam bhagwan unke pass jakar unhe apni taraf karne ki koshish kiye wo chahte to dhuryodhn ko bhi samjha sakte the lakin unhone Karn ko accha mante the
बहोत सही विश्लेषण है उस समय की मनह
स्तिथि का। हम सभी किसी न किसी संजोगो में ऐसी, पर छोटी छोटी परस्थितियों में बड़े, गुरुजनों की बातो में आ कर गलत निर्णय लेते ही रहते हैं। बस उनका स्केल पर्सनल या परिवार तक ही सीमित रहता है।द्रौपदी को दाव में लगाना गलत ही था परंतु अगर सारे पांडव अगर हार कर दास बन गए तो पत्नी और बच्चे भी उसी राह में चलना पड़ता । उल्टा द्रौपदी ही वो वीरांगना है जो पतियों को दासत्व से मुक्त करती है।
बहुत अच्छा explain किया आपने आज समाज को ऐसे ही लोगों कि जरूरत है जो ऐसे ही अच्छे से समझा सके
जय श्री राम
जो भी जुआं खेलना जानता है वह जुआरी ही होता है
बेवकूफ और मूर्ख होते हैं।
Kaha se laate ho itna dimag
@@deepakyaduvanshi1063 Bhogi
Adharm ka sath dene wala adarmi hi hota 😂😂😂
@@ShraddhaTiwari2006 aur ek stree ko vaishya bolne wala tharki hota hai sayad uske ghar mein aisa hi hota hoga
जुहारियो को केसे बचा रही है, 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
इस आधार पर आज जुआ खेलने वाले गलत नही है, बेचारो को पुलिस भगाती रहती है
हां तो तुम खेलो तुम्हारे बच्चों को भी सलाह दो कि जुआ खेलो और खूब शराब पियो कोई बुराई नहीं है इसमें जो मन में आया करो हम तुम्हारे जैसे उल्टा थोड़ी ना सोते हम तो इन पांडवों के हारने पर सीख लेते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए
@@YogeshRaval-gd2kg इस सीख के लिए इतना बड़ा महाकाव्य? और ऐसे कुकर्मों को सत्यपुर करने का प्रयास?
@@sundeutsch यह कोई महाकाव्य नहीं है यह उसे समय की सत्य घटनाहै सिर्फ यही एक सिख नहीं देता महाभारत महाभारत औरत की इज्जत करने के लिए सीख देता है महाभारत सच्चाई के साथ खड़े रहनेके संदेश को भी सिखाता हे महाभारत का युद्ध अगर दुर्योधन मारा नहीं होता तो आज सिर्फ 50 तक का हिंदू मांसाहारी है दूरियों धन जीत जाता तो पूरा भारत और हिंदू समाजमांसाहारी होता यहां रोड पर औरतों की इज्जत लूटी जाती होती और इसी महाभारत से हमें गीता का ज्ञान प्राप्त हुआहै एक बार गीता पढ़ना जरूर और महाभारत सिर्फ हमारे लिए एक इतिहास कथाहै उनके किसी भी पत्र के हम पूजा नहीं करते अर्जुन की करते नहीं युधिष्ठिर की करते हैं ना भीम की करते हैं ना सहदेव की कर देना नकुल की करते हे पूजा श्री कृष्णा भगवान की होती है अगर पांडव ने कुछ गलत कियाहै तो वह भी एक इंसान थे और उन्होंने अपनी गलतियां सुधारी भी है
सही बात
Agyani logo ko kya he koi smjha skta hai ! Yudhisthir ji ko koi lat nhi th khelne ko unko dhoke se ye sab me aane k liye mama shakuni ki Or kauravo ki chaal th.....shakuni jis paase ko fekta tha wo uske purvaj ki haddi se bna hua tha jisse jo b number bolo wahi aata tha islye shakuni he pasa fekta tha taki wo jeet jaye or pandavo ka sab kuchh hadap sake but last not the least bure ka ant bura he hota hai chahe jo b chaal chal lo
महाभारत पढिए। दूसरों से सुनने की कोई ज़रूरत नहीं।
मतिभ्रम और बुरी दशा सब बर्बाद कर देती है , इतिहास में सब कुछ हमें सबक सिखाने और प्रेरणा देने वाली बाते हैं!
इन विषयों पर कोई सफाई नहीं दी जा सकती है ये भी ऐसा कह रही हैं!
राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771 पुरानी बातों को वर्तमान की कसौटी पर परख कर अपनाना श्रेष्ठ होता है, हिन्दू धर्म में यह छूट सदा रही है, इसीलिए इसे सनातन कहा जाता है
@@RAKESHGUPTA-d9j सहमत... कृष्ण ने यही किया... कलयुग के लिये proper guideline देकर गए
Ye nirbhar krta hai kaun kis itihas se kya sikhna, Janna aur bechna chahta hai. Jaise ye lekhika apna hi kitaab ka prachar kr rahi hain. Ise hi kehte hai storyteller. A well rehearsed business consultant would do this. Not new. We all are selling something in the name of something. And that's what she is even doing here.
liar where have u read this ,
Vedic Sages or several Lords 8:28 where very wealthy.
Sage Yagyavalkh was very Wealthy @@anuradhashukla1771
3:53 और द्रौपदी की प्रशंसा करने से उनका दांव पर लगाया जाना उचित हो जाता है, है न? वाह दीदी कर्ण के दान को भी गलियाओ और युधिष्ठिर के कुकृत्य को भी उचित ठहरा रही हो। कमाल का दोगलापन है।
कर्ण की व्यक्तित्व जितना भी शक्तिशाली हो लेकिन अपनी कायरता से कर्ण कभी अलग नहीं हो पाया।
द्रोपदी को वैश्या कहना और अभिमन्यु को कर्ण के सेनापति रहते हुए मिलकर मारना कर्ण के पूरे चरित्र पर वो दाग हैं जो कर्ण को अर्जुन से तुलना लायक भी नहीं होने देंगे। यही फ़र्क़ था कर्ण और अर्जुन में और यही फर्क था धर्म और अधर्म में। यही अंतर था दुर्रयोधन जैसा दोस्त होने में और कृष्ण जैसा दोस्त होने में।
अगर कर्ण की मित्रता कृष्ण से होती तो कर्ण से वह पाप कभी नहीं होता और आज शायद कर्ण और अर्जुन की तुलना करना उचित होता।
True that
True that
@@CaptainHomelander are ho bagair gyan ke mahagyani, padhe likhe anpadh unhone kab kaha ke yudhistir ne sahi kiya aur explain karte waqt exclusively kaha ke yudhistir ne jo kiya use woh justify nahi kar rahi fir bhi apane dimag se jo ki apane hi gobar se bhara huwa hain yahan par ugal kar gand macha raha hain.
D7sri baat sirf daan dene se isnaan achha nahi hota. Mahabharat padh le pahale tab pata chalega karn ke karname aur uski bahaduri. Shayad dimag se thoda gobar nikal jaay
Ye WhatsApp University se graduate hai
We worship Draupadi Ma as our beloved god.
मुझे इस मैडम की बातें कभी पल्ले नहीं पड़ी। 🙄
Mujhe bhi 😅
@@maheshaswani5450 इनकी असलियत समझो पहले। ये हर मानवतावादी और प्रगतिशील विचार का विरोध करेंगे। ये धूर्त माखंडी और मनुवादी लोग हैं। इन्हे दुनिया का सबसे ज्यादा ज्ञान प्राचीन भारतीय संस्कृति में ही दिखता है। प्राचीन भारतीय समाज की हर बुराई को अच्छा बताने का बहाना ढूंढ लेते हैं।
इसे खुद समझना चाहिए कि आज भी सदियों पहले वाला माहौल होता तो ये औरत कहीं चूल्हा चौका कर रही होती, यूट्यूब पर लेक्चर नही देती। मगर समझने की बात ये है कि इन धूर्त माखांडी और मनुवादियों की औरतें भी कम जहरीली नहीं होतीं।
Sahi bole
Serial dekhne wale kabhi samajh Nehi payenga
@@jayprakashsahu8142kyuki tumlog sonyputra waale ho naa. Padegi bhi nhi bss karn ne ye kiya tha wo kiya tha samajh aayega
Kya sundar varnan kia hai aapne...
जबरदस्ती में युधिस्ठिर को सही बताने की कोशिश कर रहीं है जबकि आप बताइए चाचा जी को jua खेलने के लिए मना कर देता तो konsa unka सम्मान गिर जाता ,दूसरा ये इतना जस्टिफिकेशन वो भी गलत बातों के लिए मुझे समझ nhi aata गलत थे पांडव तो थे कहना चाहिए पांडव ने jua khelke galat kiya
जब उनके तर्क आपको गलत लग रहे हैं कि वह जबरदस्ती युधिष्ठिर को सही बता रहे हैं, तो फिर आप अपने तर्कों से युधिष्ठिर को गलत क्यों बता रहे हैं, क्या आप वहां थे? क्या आपने महाभारत पढी
At that time gambling was in fashion , denying to gambling was taken as uncultured behaviour.
Itna hi hain toh khud jake padh lo mahabharat
Bina yeh jane ki hum jis insident ki baat kar rahe hain woh konse timeline Main, konse geographic location par hui hain tab ka culture kya tha tab kya socially excepted tha kya batein progressive ke catagory main aati thi kya chese galat mane jati thi kya kam galat the kya cheese ameer logon ke shauk thi jaine aaj toh sone ka toilet bhi ameer loganke shauq banne lage hain puri social geographical political circumstances ka study kar ke fir kisi cheese ko sahi ya galat batao na bewajah apne personal believes ko har jagha apply karne ki koshis mat karo
Yudishter ne bado ki baat ka samman rakhna tha isliye khela. Lekin unhe ek baar virodh karna chaiye tha jo wo nahi kar paye aur yudishter is baat ko accept bhi karte hai ye mahabharat me likha hai.
व्यसनी था युधिष्ठिर नही तो महाभारत होता ही क्यो
Thank you for the clarity Ami.
Good Explanation 🎉
Interpretations and how the entire episode could be evaded is also available.
1. When Duryodhan said Shakuni will play...Pandavas could have surrendered to Krishna and said Krishna will play on their behalf.
2. Pitamaha Bhishma advised Yudhisthira that if Raja takes seat and just touches the pawn, it will be considered the game is attended .not necessary he plays.
3. When Yudhisthira lost himself ..he could have stopped the game...
4. In places, it's said..Karna came forward and stopped Duryodhan to disrespect Draupadi and protect Dignity of female.
But had any of this happened...Krishna and his Dharm staphna Leela would have not begun.
Was Dharam Sthana acheived after Mahabharata yuddh?
@@Devenshire11YESS
@@Devenshire11😂😂😂 they will never understand
Karn did not stop the vastraharan, he considered it right.
Bhaiya yahan jawaab de diya gaya hai. No need to debunk😂
Acchi bat h
Hmare desh m mahabharat par discuss hone lga
Case study m pdana chahiye schools m b
Aur kis desh me bhi Mahabharata ka charcha silsile me aa gaya hai kya. Mujhe laga waha log apne apne dharam ki kitaab ka prachar krte hai.
Draupadi was great. Un par Bhagwan Krishna ki kripa hui.
Dharm agar bina shakti k ho to uska perfect example h Yudhishtir. Aur Dharm mei agar shakti ho puri tarah se to uska perfect example h Prabhu Shri Ram.
Jai Shri Ram 🙏🙏
@@Redmirealme1234 : Draupadi ne aisa nahi kaha tha, Mahabharat mien aisa kuch nahi hai. Yeh Mahabharat Serial ko interesting banane ke liye Ramanand Sagar ke creativity hai ... Draupadi ne aisa kabhi nahi kahaa
@@YashSharma-zv8nu dharam bina shakti example yudhister?
Jeh kaunsa dharmik hai jo jua khelta hai and jue mein apni wife ko as a bet use karta hai? Kaurav thoda wait karte toh next bet mein jeh apni m@ ko b bet kar deta
Besharami ki koi seema nhi
@@YashSharma-zv8nu अब ये बताओ धर्म शक्ति के साथ होनी चाहिए कि बिना शक्ति के? ज्यादा प्रभावी कौन सा होता है?
@@hsingh9180 राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771 kya bakchodi pel raha? Jeh kaisa bachan pehle wife ko bef mein haar jao and then koi bhagwan ki entry karva k usko bacha lo? Isko bachan nibhana nhi cheating karna kehte hai, ek baar haar gaye the toh handover karke apne ghar jaate jadi apne bachan k pakke hote toh. Aur jeh kaise rule jo jab dil aaye change karlo, jadi snatan shuru se ant tak chalna hai same way toh pandit ji bhiksha mangna shuru karo and apni parampra nibhao.
FYI 7 phere le k patni ki raksha ka vachan kia ho toh jaan de deni achi hai, vo vachan ka kya bna? jisko jaan pyari thi usne biwi ko share karne k liye maan liya, tum accept karoge apni behan ja biwi k liye jeh sab, jadi apne bhagwan k steps follow nhi kar sakte ja aaj k dina immoral lagte hai toh bina sir pair ka bol bachan na karo pla
Listen to acharya Prashant ji.. this explanation is so sanitized version of the story..
Sab ka apna apna prespective hai tum kisi ko sahi kisi ko galat nahi kehsate yeh ramayan nahi hai jo easy hai samajne ke liye..... Yeh mahabharat hai yahan pe har ek ka apna apna dekhne ka najariya hai har ek ka apna apna point of view hai koi karn ke angle se dekhta ki kitna galat hua uske saat toh koi pandav ya draupadi ke angle se dekhta hai ki karn ne kitna galat kiya vehsya bol ke voh adharmi tha. Koi yeh bolta hai ki duryodhan ne karn se friendship apne faide ke liye ki thi kyun ki voh rival tha arjun toh koi yeh bhi ke kehta hai ki nahi actual me duryodhan karn ka mitra tha real friendship thi....
Mahabharat ka translation or understanding itni easy nahi hai..... tum aisa nahi keh sakte ki yeh sanitized version hai.....
@@nishitchoksi7689Bhai meine bhandar publication bhi geeta press bhi jo ami gantatraji kah rahi ye unka perspective nahi ye wo explantion jo veda vyas kah rahe hai ye ye Mahabharata ka author original composer ka perspective hai baki sab ka perspective apni bhuddi se hai kya veda vyasji se jyada pata kisi ko
Bhai meine bhandar publication bhi geeta press bhi jo ami gantatraji kah rahi ye unka perspective nahi ye wo explantion jo veda vyas kah rahe hai ye ye Mahabharata ka author original composer ka perspective hai baki sab ka perspective apni bhuddi se hai kya veda vyasji se jyada pata kisi ko
भगवान कृष्ण ने जिस बहन को माना था उस द्रौपदी को धर्मराज उदधिस्त ने जुए में दाव पे लगा दिया बालों से घसीट कर लाया गया। किसी भी शक्तिशाली का खून नहीं खोला गया। आसमान फाडने वाले वे द्रौपदी की सारी फटने का इंतजार कर रहे थे। कृष्ण भी इतने व्यथित थे कि समय पर नहीं आ पाए। सफ़ाई देने में लोग कितने माहिर हैं, देख कर पता चलता है।
सही पकडे हैं। सारे भोले लोग एक जगह इकट्ठे हो गए थे और दूसरी तरफ एक चालाक आदमी था अकेला शकुनी। क्या मजाक है। लेकिन भाई कभी कभी अकेला भी सब पर भारी होता है।
Are waah sher ki khaal me geedad
महाराज पहले महाभारत देखिए कृष्ण जी युद्ध में व्यस्त थे उनको पता था क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है श्री कृष्ण बस अपना मनुष्य कर्म कर रहे थे
@@KP18second यही तो कहा है महाराज कि महाभारत दिखाइये कि गलती कहाँ हो रही थी। उसे ही ठीक करना है कि भगवान श्रीकृष्ण कहाँ कहाँ पर भगवान हैं और कहां कहाँ पर मनुष्य। बस।
@@gyaan971 wo bhagwan hi hai har jagah bhai... pr apni shaktiya ka istemal kabhi nahi karte the khud ke liye... jo bhi hona hai wo hone dete the kyuki wo khud bhi bhavishya nahi badal sakte the Jo likha gya hai wo hoga hi....chahe wo yudisthir ka haarna ho ya draupadi ka cheerharan.... Ye sab kaaran the Mahabharat ke yudh kyuki asal me Ye Sab hua hi isliye kyuki Mahabharat honi neeyati me likhi ja chuki thi.
इस औरत को हर बात में कर्ण की बुराई करने के सिवा महाभारत की बात करनी नहीं आती
युधिष्ठिर को व्यसन था या नहीं उस ने भाइयों और पत्नी को दांव पर तो लगाया ही था इसे justify करने की जरूरत नहीं है देवी जी
और कर्ण ने नहीं द्रौपदी ने कर्ण का अपमान किया था उसे सूत पुत्र कहकर , वैसे तो कर्ण गर्व से खुद को सूतपुत्र कहते थे, लेकिन जिस तरह द्रौपदी ने कहा वह अपमानजनक था, यद्यपि यह भी सत्य है कि यह द्रौपदी का अधिकार था कि वो जिसे चाहे अपने स्वयंवर में भाग लेने से मना कर दे लेकिन जब उसने कर्ण को उसकी पारिवारिक स्थिति के कारण अपने लिये अयोग्य घोषित किया जबकि पांच की पत्नी बनने में उसे कोई परेशानी नहीं थी तो जिस कर्ण को बार बार उसे सारथी पुत्र होने के कारण असमानता का सामना करना पड़ा हो वो पांडवों के दास हो जाने पर अगर द्रौपदी को याद दिलाए कि वो दासों की पत्नी है तो यह दुखी मानव मन की सामान्य प्रतिक्रिया है
कर्ण से आप महानता की उम्मीद कर रही हैं यह नहीं बताया कि उसने जुआ खेलने की बजाय युद्ध करने की सलाह दी थी दुर्योधन को
Justify नहीं कर रही कहकर भी justify करे पड़ी हैं 😂
महाभारत उस समय की देश की परिस्थिति का इतिहास है जब कर्म की अपेक्षा जन्म से जाति का निर्धारण होने की शुरुआत हुई थी, कर्ण उस गलत बदलाव का विरोध करने वाले वर्ग का प्रतीक है और उस समय भी पूरी तरह जन्म आधारित व्यवस्था नहीं शुरू हुई थी इसी का प्रतीक दुर्योधन द्वारा यह कहना है कि कर्ण को मैंने राजा बना दिया अब वह क्षत्रीय है तो कर्ण ने जीवन भर दुर्योधन का साथ दिया तो गलत क्या
महाभारत का हर प्रसंग शिक्षाप्रद है तथाकथित धर्मराज धर्म के नाम पर जुआ खेले तो क्या होता है, यह बताकर महाभारतकार सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि धर्म जड़ परम्परा नहीं है, धर्म बुद्धि आधारित होना चाहिए
Bada ajeeb sa analysis hai aapka
@@hemanginijain1436 हूँ अजीब लग सकता है क्योंकि हम लोगों ने स्वयं पढ़ने और समझने की बजाय सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करने की आदत डाल ली है
वैसे अजीब लगा ये अच्छी बात है, इसका मतलब आपका मस्तिष्क खुला हुआ है पक्ष या विपक्ष के पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं है, अतः बधाई हो आप स्वयं analyse करने में समर्थ हैं
@@insaniyat3599tum ye batao tumne Mahabharata padhi hai kbhi?
Apne ko bda tarkik aur gyani siddh krne ka prayatn tum kr rhe ho, to ye batao sut putra ka meaning kya hai???
Karn ke pahle guru ka naam kya tha ye btao tum tere gyan ka abhi pta chl jayega.
Mahabharat padhi nhi aa gye apna vishleshan krne without reading...
ये भी सही है हमे दोनो पक्ष देख लेना चाहीए मूझे तो युधिष्ठिर का कॅरेक्टर ही विचित्र लगता है 🚩🚩🚩🙏
सही बोला आपने।
इनकी बातें समझने के लिये शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिये।मूल महाभारत को पढ़ना चाहिए।
@@archanagupta7331 तुम्हारे शास्त्रों में केवल झूठी शोषक और गंदी कहानियां हैं। पहले कभी ध्यान से पढ़ना और फिर ज्ञान पेलना।
@@archanagupta7331 तुम्हारे शास्त्रों में केवल झूठी और गंदी कहानियां हैं। पहले खुद पढ़ो और फिर लेक्चर पेलना।
Hnn ji jaise wo Hindi nahi phardi me boli hon.
Beautiful analysis ❤
Jay Shree Krishna 🙏
What she said at 5:27 question came in my mind during teen age when i saw BR chopra ji`s Mahabharat. Each n every time saw that serial some thing new thing came to learn.
Pls don't watch serial i request you. Jab aap real mahabharat padhoge tab aap samjhoge ki karn se ghatiya insaan koi nhi tha. Main khud karn ka bohot bada fan tha but jab mahabharat ki lines padhi maa kasam itna gussa aaya ki kya bolun. Usne draupadi ko vaisya (r@@ndi) bola usne mahila ko nanga nachne wali bola. Kunti mata tak ko jalane ki koshish ki. Pls ek baar mahabharat ko padhe 🙏🏼
@@Ankit-Kumar. I have read little . I have 2 book set of Geeta press edition Mahabharata. But the final essence is the same in serial that Karna was wrong. The portrayal by Pankaj dheer ji for Karna he accept that by mistake he read novel mrityunjai by Shivaji sawant.
@@vayuice if you will get time then must read karn parv. Karn didn't have knowledge to talk. Once shakuni also said to stop war but karna was the only person who forced duryodhan. Agar aapke pass time nhi h to issi teacher 30 - 30 min ki 2 video banayi h unhe jaroor dekhiyega. Inhone shlok ke sath mahabharat ki pics tak dikhake bataya h. Karn was powerful but not more than Arjun and also a characterless person.
Radhe Radhe ❤️
@@Ankit-Kumar. Kya karen sabke paas aap jitna samay nahin naa.
@@PratikBansal-DW2DM sahi baat h. Reels dekhne ka time hota h, p@rn ke liye bhi time hota h lekin dharam ke liye time nhi hota sahi baat h 👍
जूआ खेलनेतक ठीक लेकीन पत्नीको जूअेमें लगाना अधर्मही है।
Patni ko lagane ko kisne bola ,karn ne ha mana ki yudhishthir ka dosh h pr karn to sabse bada papi h jo ak nari aur ak patni ko dav me lagane ko bola,
@@akashtiwari1219 युधिष्टिर नशे की हालत में थे।
@@akashtiwari1219 karn ne kab mana kiya ?
पांडवों को भगवान् कृष्ण जी कि सोगंध दिलाई हुई थी कि खेल खत्म दुर्योधन करेगा बीच में खेल नहीं छोड़ सकते ईसी लिए भीम ने विरोध किया था लेकिन चारों भाईयों ने पकड़ लिया था वरना महाभारत कोरवो,कर्ण कि वहीं पर हो जाती युधिष्ठिर अपना वचन नहीं तोड़ सकतें थे इसलिए युधिष्ठिर को सत्यवचन कहते थे सबकुछ लुट रहा था फिर भी वचन पर बंधे रहा ओर उन्हीं वचनों कि वजह से सारथी बनकर युद्ध जीता दिया जिसके मन में खोट नहीं होता है दुसरो को भी अपने जेसा समझते हैं युधिष्ठिर ने तो यही समझा था दुर्योधन ईतना थोड़ी निचे गिर सकता है जिस सभा में मां बाप,दादा गुरू सब बैठो हो वहां ऐसी घटिया हरकत करेगा
अशोक ने अपने 99 वें भाईयों को किस वजह से मारा था,,,,अगर ऐसा करके कोई महान केसे हो सकता है,,,,
Kabhi acharya Prashant ji ko suna hai . Wo karn ki tareef karte nahi thakte. Aapka kya status hai . Karn agar itna hi bura the toh apna kavach kundal kabhi daan nahi dete. Karn se inko kuch zyada hi dikkat hai.
Gawar read real Mahabharat nowhere in Mahabharat Karn is called Danveer no did he did daan of Kavach Kundal, in return of Kavach Kundal he asked powers, infact he disagreed to give his Kavach Kundal if not powers in return
bhai waise to kuch log Rawan ki tarif karte hai to wo bhi sahi tha kya
@@roshandakhare6512 Ravan or Karn mein antar nahi dikhta aapko. Ravan ke naabhi mein Amrit kalash tha usne daan Diya tha kya apna Amrit kalash. Karn ne jante bujhte apna kavach kundal daan kar diya tha. Ye antar hota hai mahan logo mein or ek Mata Sita ka haran karne wale rakshas mein n
@@DilipSingh-wj1cr a re bhai jaruri nahi na ki koi dan kar raha hai to wo accha hi ho aajkal kitane juwari dan karte hai,murder wale bhi dan karte hai to wo sahi aapke nazar me
@@DilipSingh-wj1cr I have already mentioned from Vedvyas Mahabharat that Fake Lower Caste Failure Sut Putr was Women Molester and didn't did any daan but deal
द्रौपदी केवल युधिष्ठिर की पत्नी थी । महाभारत में कहीं भी उनका भीम , अर्जुन , नकुल और सहदेव से विवाह का वर्णन नहीं है ।
युधिष्ठिर पक्के जुआरी थे । उनको धर्मराज कहना बुद्धिमानी नहीं है ।
शर्मा को ब्राह्मण कहना कहां उचीत है ओर नेहरु को पडींत
@@kashiprasadsharma5988 tune mahabharat nahi padhi ye main dawe ke sath kahata hoon lekin baigair gyan ke mahagyani bankar gyan batana hain bus
जुआरी व्यक्ति को हम अपना आदर्श नहीं मानते और ये बाबा रणछोड़ दास हमको Gyan denge
पंचरछाप को ज्ञान लेने का क्या फायदा उसके दिमाग में तो काफर ही चलता है
तुम साले पंडित अब होते ही छुटिया हो । अता पता कुछ होता नहीं आजकल ।।
Kisako maanate ho aadarsh??
जूवा खेलने वाला जो अपना सब कुछ दाव पर लगा दे वो व्यसनी नही अपनी पत्नी को संम्पत्ती समझकर दाव लगाए वो जूवारी नही जो पाच की पत्नी हो उसे सिर्फ अपनी प्रोपटी समझे वो खूदगर्ज नही क्या लॉजिक है 🚩🚩🙏
@@bhartiya777 ये लोजिक है ब्राह्मणवाद और मनुवाद का। इनकी औरतें भी बहुत जहरीली होती हैं।
@@sundeutsch जब बुद्ध स्वयं ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल मे ही जन्म ले सकते हैँ स्वयं बुद्ध कहते हैँ तो तुम्हें ब्राह्मणों से आपत्ति क्यूँ है??? जिस मनुस्मृति का तुम उदाहरण देकर रोते फिरते हो तो मनु महाराज की लिखी है जो क्षत्रिय थे और वो कभी लागू भी नहीं हुई... कलयुग के लिये पाराशर स्मृति है पर तुम्हें कैसे पता होगा... ना बुद्ध को ही जानते हो ना सनातन को.... दोनों मे से किसी एक को भी ढंग से जानते तो इतने विचलित नहीं होते
@@anuradhashukla1771 कुछ नही समझे तुम। और न ही समझोगे। न बुद्ध क्षत्रिय थे न मनु बाभन। जातियां होती ही नहीं हैं। केवल दो जातियां होती है नर और मादा। कुछ चतुर पाखंडी और स्वार्थी पुजारियों ने भारत के लोगों में जाति का जहर घोल दिया जो अभी तक मिट नही पाया। तुम्हारे जैसे लोगों के जेहन में ये जहर पैदाइश के वक्त ही घोल दिया जाता है जो कभी निकल नही पाता। तुमलोग चाहे कितना भी विज्ञान पढ़ लो मगर कुतर्क नही छोड़ते। आज भी तुमलोग समझते हो कि कोई व्यक्ति केवल जन्म के कारण बड़ा हो सकता है।
तुमलोग दूसरी जातियों के लोगों के महान को न महान मानते हो न विद्वान को विद्वान।
अपने आपको चेंज करो।
@@anuradhashukla1771 और भविष्यपूराण कब लिखा गया और किसने लिखा कुछ पता है क्या?
तुम्हारे शास्त्रों में लिखा है कि तुम्हारी जैसी औरतें लकड़बग्गी से तेजदुमाग नही होती।
तुन्हारे शिवपुराण में लिखा है कि शिव के वीर्य से धरती पर सोना और चांदी बने, जिसके गहने तुम पहनती हो।
तुम्हारे ही शिवपुराण में लिखा है कि शिव ने अपने पोते आड़ी का गुदामैथुन करके मार दिया।
ये भी तुनहारे शिवपुराण में ही लिखा है कि तुम्हारे कल्याणकारी शिव ने सती अनुसुइया का बलात्कार किया था।
और यानी शिव देवताओं की बीवियों के सामने पार्क में नंगा घूमता था।
तुम्हारी धैमिक किताबों में ही लिखा है कि एक बंदर सूरज को निगल जाता है और अमेरिका में भी अंधेरा हो जाता है।
वैसे कोई सबूत पेश करो अपने भगवानों का।
और कोई सबूत इसका भी पेश करो कि बाभन ब्रह्मा के मुंह से निकले थे। फिर आज प्रजनन से क्यों पैदा होते हैं। ब्रह्मा की फैक्ट्री बंद क्यों गई?
और तुम्हारे भगवानों का पहले अवतार हुआ करता था। कबसे बंद हो गया?
@@sundeutsch यहा जाती वाद कहा से आया मै ईस की सोच का विरोध करतील हू अब कोई जातीवाद करता फिरता है वो राहुल गांधी
Jitna Arjun ko karn se dusmani nhi tha usse jyda inko Karn se dusmani lagi rhti h 😂😂😂😂
Bc jaha jati hai danveer suryaputra karna ka apman karti rehti hai...
Bhai wo Mahabharat padhi hai usne aur tune tv serial dekhen hain fark hai
@@Prashantyadav-tr9eo serial bnane wale v padhne k baad hi bnate mere yrr 🤣🤣🤣🤣
Respected citizens,
Serial maker will make a serial according to TRP, not 100% as recorded by Original writers like Valmiki iji and Vyas ji.
We Hindus don't ask Satya/Truth in content and we are liberal.
But Muslims will butcher ❤u if you go according to TRP 😅
कितना भी एक्सप्लेन किया तो भी गलत गलत होता है 😂
You are right jab bhagwan krishna bhi is cheez ko galat bola h dao p lagana galat tha
Sahi kisne kaha hai bas Puri chize to Jaan lo
5 Bf ekle 😂 Karn said You are Charterles 😂
@@dharmendrabehera4027 na tune hindi sahi likhi na hi English 🤡🤡🤡
@@sagarrawat4121bhai ye padha likha gawar hai🤡
भीष्म को कितना जानती हैं आप ?
पाण्डव-द्रौपदी भीष्म से पूछकर द्यूतक्रीड़ा में गये थे ? यदि पाण्डव जीतते तो द्रौपदी सुख में सहभागी नहीं होती ? पत्नी पर पति का अधिकार होता था ।
द्यूत में कलि के वास के आधार पर ठुकराना था ।
Kali ke vas ka prasang dhyut krida k BD ka h
@@anjalityagi6452
(1) नल-दमयन्ती की कथा में भी द्यूत एवं कलि का वर्णन है ।
(2) चतुर्युग घड़ी की सुइयों के समान चक्रवत् चलता है । अर्थात् कलियुग के बाद पुनः सतयुग । सतयुग, त्रेता , द्वापर में भी उपर्युक्त 4 स्थानों पर कलि का वास होता है ।
@@kumar-saurabh108 I agree but alg alg yug ke sath humen conscience b km hota jata h or ye sari details khoti jati h , isiliye Kali ke was ka adhar ni bn skta th. Lekin Anya adhar liye ja skte th jese apni trf se keval kuch h pase dalne ki sima tay ki ja skti th
Sbse pramukh krishna bhagwan ka ashray le ke iska uchit samadhan smbhav th
@@anjalityagi6452 काॅन्टैक्ट दे सकते हैं ।
@@anjalityagi6452 मनुस्मृति में भी द्यूत को बुरा माना गया है जिस मनुस्मृति को महिषासुर एवं श्रीराम , दोनों मानते थे ।
हम में से कोई नहीं जानता की सत्य क्या है... इतनी पुरानी बातें हैं.. हमको केवल अच्छी सीख लेनी चाहिए...व्यर्थ में उत्तेजित हो के लड़ने से क्या होगा
जाति प्रथा की गलती है, अन्यथा राजा तो विदुर जैसे ज्ञानी को ही बनना था, वो भी व्यास पुत्र थे पांडू और घृतराष्ट की तरह।
@@kalkis3354 जाति नहीं... जो पहले पैदा हुआ वो राजा... विदुर सबसे छोटे थे... पाण्डु के बाद... तो जब तक दोनों वड़े भाई ज़िंदा हैँ उनको राजा कैसे बनाया जाता??? सत्यवती जो मछुआरे की बेटी थी वो क्या रानी नहीं बनी??? जातिवाद फालतू मत फैलाओ.... अगर जातिवाद होता तो विदुर दासी के बेटे होकर राजा के बाद दूसरे सबसे बड़े यानि प्रधानमंत्री और सलाहकार के पद पर क्यूँ थे?? दास क्यूँ नहीं बने... आता जाता कुछ है नहीं बस नीला झंडा उठा कर खड़े हो गए...
विदुर एक दास पुत्र था भला कैसे एक दास को राज्य का सिंहासन मिल जाता??😂
क्या हिन्दू होकर यह भी तो तुझे पता नहीं??😂
और यह महिला सिर्फ बकवास कर रहीं है 😂
इसे घंटे का ज्ञान नहीं है 😂😂😂
Vidur niti sunane wale Vidur ko jb Dhritarashtra ne Brahmagyan dene ko kaha tb Vidur khud bole the ki ve Dasiputra hone ke karan Brahmagyan ke adhikari nhi hei. Baad mein Sanakadi rishiyon ne Dhritarashtra ko Brahmahyan diya. Itne badhe gyani vidur aisa keh rhe hei to vichar krne yogya baat hei na?
@@akshayparulekar4550 All Hindu Shashtra are written after 1000 AD ( not far from the time when Amir Khusro are present)only Rigveda was present but in oral form, but even Rigveda was scripted after 1000Ad.So all the Shastra were composed in much later time, Sanskrit used is new ( laukik Sanskrit). So how could we say it's really Vidur Views,and not altered by the Brahmin believing in varna system. Mahabharat is an ancient story but even it is composed after Ashoka period. In Mahabharata original story it doesn't follow varna or cast system, for instance their are lots of interverna and intercast marriage. Shantanu married a fisherman daughter ( a shudra) if the concept of shudra were present then how that marriage occurred, doesn't Shastra says a kid of Shudra and Kshatriya is varnshanker or Chandal ? So original story is castless, later when it is written in now a days Sanskrit ( laukik Sanskrit, old sanskrit is called vedic Sanskrit. The Rigveda is the oldest) cast and Verna system got injected in it
Vidur ki Gehri bato ko samjhne ke liye pehle yogyata laao apne andar. Aur Satya Sanatan ke kahi koi Jaati vyavastha nahi thi. Varn vyavastha thi. Jo aaj b jaari hai. Aaj b koi Vyakti kitabe padh ke khudko Doct nahi keh sakta ya surgery nahi kar sakta. Use pehle kabil hona padta hai. Jaise Shudra Valmiki aur Kshatriya Vishwamitra ji unke unke fields ki Aunthentic Padhai kar ke Maharshi aur Brahmarshi bane they.
Vidur chahte to khudko apni Shreshthata se Raja manva sakte they lekin shuru se ant tak unhone khud ko Satta se Dur hi rakha ye unki personal ichha thi. Baki bahane bahot hai.
Ab ayege adharmi karan ke bhakt 😂😂😂 or bolege asha kuch nhi tha 😂😂...
कर्ण सही है हमेशा वोह यहाँ गलत था थोड़ा उसकी गलति थी थोड़ी यहाँ पर
@@ALMORASANAM999 galt galt bhi tha or thoda sahi bhi tha straring se galt hi tha or last me sahi hogya tha.....
Yahan koi Karan ka bhakt nahi hai. Lekin Jo hua hai use undekha toh nahi kar sakte!!????... Baki sab ko pata hai Karn Suryaputra tha. Aur woh nihattha mara gaya. Abb isko bhi badal dena chahte hai kai itihaskaar!! Hadd ho gayi....🙁😔.
30-5-2024.
@@samirsupnekar tv dekha ne valo ko tv ka hi sahi lagta he jisne padha he vo janta he karan nihakta nhiii tha vo ratha hin tha shshtra hina nhiii or jo bhi bola he mam ne sahi bola he likha he isliye bola he...
@@samirsupnekar uska to pata nhii par tu kosis kar rha he badal ne ki or teri ye kosis kam nhii ayegi yaha pe
ये madam बोहोत अच्छे से कहानी सुनाती हैं, दिल करता है इनसे पूरी महाभारत सुन लूं।
Sahi kahaa bhai apne
Sukra hai koi toh Mahabharata ko kahaani bola. 😅
सही बात है... 😊
Biasrd opinion hai . Neutral nahin hai
Bhai khud padh le nonsense 😂
Nice explanation
Wonderful explanation with calm and truth in mind.
the title of this video should be 'Whitewashing mistakes of Pandavas'
Have you read Mahabharata ever ?
Yudhishtir should never never never ever be supported or justified.
Infact he is the real villain in Draupadi's life.
SHAME ON HIM 🤬🤬🤬🤬🤬🤬🤬🤬
And shame on those who either support or trys to justify him
Pehle padhlo
Fir baat karna
Aur tum koi kam ho apne patni k liye tum bhi ese hi hoge
@@ramasundar785nothing is white and black. All the characters in Mahabharat were grey... Some had done less and some had done more.. Each one of them had their share of punishment. Nobody was spared. Not even Krishna...
@@dr.Pandey4527 tumh padhe ho kya ? Ya bus serial dekhkar aaye ho ?!
madam तो आज की युग की मटका Queen निकली कितना Justification कर रही है जुवेका😂
Go and read “Jaya” then open mouth.
@@sandeepgajdhane3677 राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771Kasam khaa li ho kya madam yahi chipkaaogi sabko.😂
@@anuradhashukla1771 मूर्ख को समझना व्यर्थ है बेहन... प्रसंगीकता, काल, बहुत पेहलू है घटना को समजणे के लिये... कोन समजये मूरखो ko
उस समय वचन की बड़ी मर्यादा थी । सारा खेल वचन देने का था अन्यथा ना रामायण होती ना महाभारत।
भाई सुनो सभी को लेकिन करो अपने मन के हिसाब से, दुनियादारी के चक्कर में मत पड़ो सिर्फ आप अच्छे कर्म करो
दयूत के बाद ही महाभारत की शुरुआत हुए। और इसके लिए पांडव ही जिम्मेदार थे। और श्री कृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए इसका सहारा लिया। और कर्ण के अपने अपमान का उत्तर दिया जहा उसका अपमान हुआ वहा कृष्ण भी थे। तब धर्म स्थापना की चिंता नहीं थी।
Karna ka apman kab hua usne toh khud Draupadi ko veshya kaha tha
Pandav kabhi karn kaa apmaan nehi kiye.. Sirf bhim ne karn kaa apmaan kiyaa rangbhumi me kyun ki usne arjun ki insult karne ki kosis ki
Super explanation of dharm and adharam by madam.... thanks for the knowledge and awareness......🎉🎉🎉
जो अपनी पतियों की जान की भीख मांग रही है वो राज्य क्या मांगेगी जरा इस मैडम को समझाओ
Iss devi ko kevel karn se hi dikkat he😂😂😂
मनुवादी हमेशा अपने भूतकाल में किए गए कुकर्तिओं को न्याय संगत ठहराने की कोशिश करता रहता है। यही उसका कर्तव्य है। जो यह महाश्या अच्छे से निभा रही है
Ham Kuchh To Karte Hain Tum To Kuchh Bhi Nahin karte😅😅
सही कहा इनको मीम वालो से पुनर्जन्म मिला है @@SpritualGyan14
बिलकुल सही कहा दोस्त। ये आनेवाले हजार सालों में भी नहीं सुधरेंगे। ये बहुत शातिर लोग हैं, मूर्ख नहीं। ये लोग कुतर्क का खजाना हैं। दुर्भाग्य है कि ओबीसी और SC ST भी इनकी झूठी, गंदी और शोषक बातों का शिकार बन जाता है।
@@SpritualGyan14हम तुम्हारे झूठ का खण्डन करते हैं। मानवता का सबक सिखाते हैं। पाखंड पर प्रहार करते हैं। अंधविश्वास से लोगों को बचाते हैं। मनुवाद से लोगों को आजाद करते हैं।
@@sundeutschkuch apne logo ko mullo se v Bacha lo.kahon to jagah ka naam hum bta dete h
दाव पर लगाने के लिए कुंती भी तो थी पर दूसरे की बेटी तो मुफ्त का माल समझ रखा .....
सिर्फ कृष्ण साथ होने की वजह से....वर्ना कोरव और पांडव में कोई फरक नही था
Galati sirf yudhishthir ne kiyaa thaa wo bhi apne pure jivan me ek baar. Is ek ghantaa k alawa pandava k puri jindagi sirf achhe karm se byatit huaa hai
Perfect. SMBG - As it is. This one is authored by His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Srila Prabhupada ji.
Normally, i have it in English/Hindi/Marathi. Will send you in whichever language you prefer to read in. 😌
जो जिस विषय के जानकर नहीं, वो ऐसे ज्ञान दे रहे हैं जैसे उस काल में मौजूद थे
Because it is fact which you don't understand
Abe to tu tha kya us samya jo teko pata he kya hua tha 😂😂
To phir ap information bata do na,agar apko puri jankari hain to, she wrote lots of books according to it. She did lots of study. Apko agar jankari hain to ap jab comment dal rahe the tab hi puri sach jankari deni thi,iska matlab apko bhi sach pata nahi hain 😂😂
Tumse hajaaar gunaa jaankar hai wo...
Andhee kaa PUTRA Andhaa...Andhee kaa MITRA Andhaa....Andhee kaa FAN Andhaa" 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
ये औरत कुछ समजा नही रही। ये पांडवों का पोस्टमोर्टम कर रही है।
Apna rajya haar gaye pandav yaha tak bhi thik tha par apne bhaiyo aur patni ko bhi daav par laga diya buddhiman vyakti ki pehchaan 😂😂😂
और आप क्या है? अपने पिता की भूल का परिणाम? पहले इतिहास पढ़ने का कष्ट उठाइए, फिर बुद्धि का प्रयोग कर के किसी निष्कर्ष पर आइए। सस्ते में लोगों को judge करना बहुत आसान है।
Tumne pada @@AnandShah3977
@@AnandShah3977 bhai kyu na judge karu mai ye america nahi hai ki koi bhi crime karo aur aapko judge nahi kiya jayega ye bharat hai zaroor judge kiya jayega aur mahabharat jaisa mahakavya likha hi Iss liye gaya hai kyoki usse bahut si amulya shiksha milti hai jaise 1 dharmpath ka nirvahan karna cahe same wala apka saga hi kyo na ho 2 nari ka samman 3 jua kehle se buddhi ka bhrasta hona. Kaurvo ko unke paapo ka unhe sahi dand mila mai unhe defend nahi kar raha lekin Kaliyuga me bhi agar koi apni patni aur bhaiyo ko daav par lagata hai to tum usse ghrina nahi karoge.
@@ज्ञानीसारस Iti Haas.... matlab aisa hua tha. Ye apko samajdari aur gyan dene ki liye hi katha roop me kaha gaya hai... apke judgement ke liye nahi hai. Chalo aap judge kar bhi loge to itihaas badal jayega? Mool uddeshya kya hai wo samjho... itne gyani bano ki koi aapko sune. Aadha gyan le kar katha karne baithoge to koi aapko nahi judge karega kya? Dursi baat... ghar pe baith kar sant banna bahot hi aasan hai. You and me are not facing the challenges they were facing. Agar aapne kis situation me koi decision liya vo samjhe bagair me aapko judge karu to aap accept kar loge? Itihas is taught to us so we can learn from it and become better by learning from others' mistakes, not so that we can sit at home in comfort and pass on cheap judgements on the great humans before us. It's not about defending anyone, but it IS about learning fully about a situation/person before passing judgements... BTW, I hated Shakuni until I learned his full story (after I turned 30)... That was one of the events when I stopped judging without learning the full story... and by the way WHY pass judgements? And by which authority?
युधिष्ठिर सोच रहे होंगे - अच्छा, ऐसा था क्या?😅
Acha aapke dost the kya yudhisthit
इसके अब्बा
jal rahi to kirasan daal kar tel ragad lijiye
@@Kirtiket they to aapke bhi nahi😂
😅😅😅 cl
Exactly conditions apply
Duryodhan or karan ne condition ashi bana di thi ki yudhishtri ki budhi brashta hogai thi sub kunka chhal tha
Parivar ke matbhed hi महाभारत करवाते हे इसीलिए परिवार माँ बड़ो को कोई भी निर्णय लेने से पहले दस बार सोचना चाहिए
शूर्पणखा ने कितना अच्छा समझाया है।
जैसी सीरत वैसी सूरत ....
Kyu upshabd bol rahe ho
@@njjpr धन्यवाद !
आपकी समझ मे आ गया द्रौपदी को दांव पर लगाने की वजह।
Ye konsi mahabharat pdti hai bar bar karna ka apman karti hai Karishna ji hi karna ki taarif karte the to ye kon hai
Aim grath ji hamesha gratho me jo likha he vahi bolti he ❤❤❤....
Baat ye hai ki inhone apni Mahabharat bna rakhi hai ....ata jata kuch nahi bss inko raat mai sapne aate hai or apni Mahabharat likh dete hai ...
@@siddharthagautam1124 tune magabharat padhi hain? Dawe ke sath kahata hoon nahi.. warna apane dimag ki gand yahan nahi failata
उत्तम स्पष्टिकरण 👌
Radhey Radhey chant hare krishna hare krishna krishna krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare minimum 16 round daily 108×16 read Bhagwad nd alwaysbehappy gurantee u see the difference within 2 month
Bahan jee
Jab आज ye accepted nahi hai
To
Ush samay kaise tha????
शूद्रों के कान में शिक्षा ग्रहण करने की सजा के तौर पर खौलता तेल डालने की असली वजह क्या है?
भाई हिंदू धर्म ग्रंथो का विकास लगभग 1500साल tk चला
1. श्रुति
2. स्मृति
श्रुति परंपरा में वेद और वेदांगो का विकास हुआ जिसका प्रमुख दार्शनिक आधार उपनिषद हैं
जबकि स्मृतियां राजाओं के संरक्षण में लिखी गई हैं । उत्तरवैदिक काल में बढ़ती। सामंती के कारण पुरुषप्रधान और संपत्तियुक्त ब्राह्मण व क्षत्रिय दर्शनिको व राजाओं ने जाति व्यवस्था को कठोर बनाकर एक बड़े वर्ग को दास बनाए रखने के लिए अधिकांश स्मृतियां लिखवाई जिसमें अधिकांश स्मृतियां दुर्भाग्य से स्त्री व शुद्र विरोधी थीं (हालांकि वृहस्पति v याज्ञवल्क्य स्मृतियां समानता का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को देती हैं)। इस समयकाल में संकलित हुई मनुस्मृति को इस समय का सबसे कठोर v क्रूर कानून माना जाता है
मैं आपको पुनः स्पष्ट कर दूं की स्मृतियां धर्मग्रंथ नही है ,वे केवल तत्कालीन राजाओं के विधान है
अगर वास्तविक धर्मग्रंथों का अध्ययन करना है तो उपनिषद को पढ़ा जाए जिसमे समय ,कर्म,माया जीव जगत संबंध और व्यक्ति के कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे ।
इस संबंध में अधिक जानकारी यूट्यूब pr hi @acharyaprashant channel पर पड़ी हुई है।
Bhot see bate baad me likh di gyi hai badnam krne k lie
@@vrindaboy किसने किसे बदनाम करने के लिए कब और क्या लिखा? जरा विस्तार से बताएं।
@@sundeutsch जिसने सब पहले से ही दिमाग मे भर लिया हो उसे कुछ भी बताने की कोई कोशिश करना भी बेकार है
@@vrindaboy जितना पूछा गया है सोर्स के साथ उतना बताओ। ज्यादा बकैति नहीं। और तुम्हारे दिमाग में जो जहर सदियों से भरा है उसे कब निकालोगे?
Ye lady jatiwad aur uch nich ki bhavna se grast lagti hi, tbhi jha bhi dekho karn ke bare me bura bolti hi, shame on this lady
Bravo, very deep thinking and good presentation....💐
Nice explanation ❤
Karna's character v/s this wom's hero Brihenlala alias Arjuna's character, let's compare:
According to main central plot, Karna never bet his wife, Karna never shared his wife, Karna never looked at other people's wives. He was exactly like his father Surya Narayana. Karna gave his Kavacha, Kundala to Brihenlala's father Indra, when he came begging with tears in his eyes, because it is central main plot, Karna could not be defeated with this on. If Karna was evil, he would behave like Duryodhana, never give up anything. Vasavi Shakti is useless compared to Kavanch, Kundala which provided Karna immortality like Bhisma.
Karna was jealous of arjun from childhood , he let his friend do wrong and also supported in his deeds, didn't understood the integrity of female , in front of court he called draupadi vaishya , he never defeated arjun one on one, he ran away leaving his friend in the hands of ghandharva. Why should he have the priveledge of using kavach and kundal in a war where no one is using such things so that's why he lost all his gems. He was not a good person at all
@@brandmaker135 No man, Karna was not jealour of Arjuna, he knew is was vastly more powerful than Arjuna. And this was fact. The problem is Arjuna, who used his class (not caste, caste system did not exist then) to make Karna look small. This was one of the bad things of Arjuna who was the ideal Grandson & Student.
@@brandmaker135 Karna is not a wife sharer or wife better, so Karna is far above Pandavas. This is why even at the end, Krishna would have settled with 5 villages from Duryodhana. Had Duryodhana agreed, everything would have been settled, so obviously words are less important than action. No matter how you Shakti Purana fans try, you cannot dim Vaikartana Karna & Rama. Sorry, not possibe. We already know Virat Yudh & Utara Ramayana is fan story.
@@brandmaker135 Karna, Bhisma, Drona were highly Dharmic people, far above Pandavas. Their only flaw is by association. Pandavas have committed evil because they represent humanity, like wife sharing & wife betting. This is pure evil. It spreads diseases in society. So, stop telling lies about Karna.
@@lundfakhri448have you ever tried to read mahabharat??
ऐसी विवेचना सुनने से बचे व्यक्ति ये व्यक्ति विशेष की विवेचना है, शास्त्र परक नहीं
@@rakeshkumarbarsaiyan5358 शास्त्रपरक विवेचना से भी बचें क्योंकि वो भी किसी इंसान ने ही लिखा है। अगर ध्यान से पढ़ें तो शास्त्रों में केवल गंदी और झूठी कहानियां हैं।
Science Journey और
Amit Tiwari
के कुछ वीडियो देखें
Aapko abhi yeh bhi nahi pta tv serial mein kya kya galat fact dikhaye hai. Agar apko sahi mein pta karna hai kya sach hai toh pad lo. Ab jisne pad liya uski baat ka khandan karne se pehle aapko bhi Pad kr hi virodh karna chahiye. Just aapne serial mein dekha hai woh sahi hogya. TV serial bahut masala daal jaaat hai. Logo ke emotion se khela jaata hai. Aur unhe ek ideology parosh di jaat hai
Good reaction
Channel ka name DHARMA LIVE and background me dikh MASJID rahi hai....agenda promotion ho raha hai
Bhaiya kya problem hai 😂. Bechne do aapki dukaan pr bhi grahak bhej denge. Bolo jai shri Ambani. Jai shri Adani😅
Excellent explanation. Thanks.
Ami Ganatra ji NAMAN 🙏 for a very Rational and wonderful Analysis .
अति विद्वान बनना चाहती है ये महीला ।
Vidur aur Vikarna k alawa us sabha me upasthit har vyakti doshi aur cheer haran ka uttardai hai chahe wo pandav ho ya kaurav, Shakuni, Karna, bheeshma, Drona charya ya Kripacharya. Parantu me samjhta hu k sabse bada dosh Dhritarashtra ka hai jo k Raja hote hue bhi apni sabha me hote hue adharm ko rok na saka sirf apne putra moh k kaaran.
Yudhishthir ke alawa baki bhiyo ka kya dosh tha
@@AritU-jw5dvsab milke bade bhai ko rok sakte the
@@memesbananewala2794 tumhe kisne kaha ki nahi roka
@@AritU-jw5dv yudhishthir ne
When you are coming back to mulund
Dharma ki baatein sirf dharma guru se sunenge kisi aur se nahin koi v kuchh v bolta hai aaj kal
To fir aapko unn dharmaguruyon par bhi shak hoga....aapke iss comment section hi wo mindset ka andaza lag raha hai
@@RCH-K paramparik manyta prapt hinduo ke Dharma guru hain hamare pass shak kyun hoga basarte sarkari ya corporate guru na ho sayad aap samajh gaye honge
Khud kiyu nhi padh lete ?
@@abhimanyadav1037 hamne adhunik sikhya prapt ki hai isliye padhte v hain to sahi samajh nahin aata arth ka anarth ban jaata hai
Main kai aise dharm guru ka naam bta skta hu jo scriptures k anusaar glat btaye h
Meri raat me aap sune sabki fir use scriptures se verify kre aur fir bharosa kre
कुछ लोग ऐसे कमेंट कर रहे हैं जैसे गनात्राजी से ज्यादा तात्कालिक ज्ञान उनके पास हो। अगर ऐसी बात है तो खुद गनात्राजी को लाईव डिबेट के लिए चॅलेंज करों और साबित करो की तुम ज्यादा ज्ञानी हो।
Apke madam ko kahiye kabhi kumar vishwas ji ke sambe bethe sari knowlegde eaksath utardenge.
Ami mam you are doing a great job, keep it up 👍
Why they are featuring Mosque tops in the background?
Because you could see what they are not hiding and later tell us.
Waah didi ... didi waah....gajab...matlab yudisthir to bachche the Jo phaste chale gye....ye kahiye na ka aap pandavo ko support krne aayi hai kul mila ke😂😅
@@KrishnaKumar-gz2ck राजा रघु के समय से परम्परा रही है क्षत्रिय अपने वचन मतलब शब्द नहीं रख पाए तो उन्हें अपने प्राण त्यागने होंगे... दूसरी, क्षत्रिय कभी भी द्युत (जुआ) और युद्ध का निमंत्रण ठुकरा नहीं सकता ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण लक्ष्मी अर्जन नहीं कर सकता उसे भिक्षा पर ही पलना होगा... द्रौपदी का विवाह भी पांचो भाइयों से इसीलिए मान्य किया गया कि भूल से ही सही किन्तु कुंती के मुँह से निकल गया... अगर वो पाचो भाइयों मे नहीं बटती तो कुंती पांडवो के साथ साथ द्रौपदी को भी प्राण त्यागने पड़ते... एक पूरा वंश रातो रात ख़त्म हो जाता... इसलिये वेद व्यास जी ने हस्तक्षेप किया और पाचो से विवाह कराया...
@@anuradhashukla1771 Thanks Anuradha Ji Is Anmol Gyan k liye
@@KrishnaKumar-gz2ck ज्ञान नहीं सत्य है जो पता होना चाहिये सबको...
@@anuradhashukla1771 vaise itihas k Satya se hi gyan ka janm hota hai
@@anuradhashukla1771 uttam uttar
Why is there Mosque in background ?
So you can go and check that today is also Muharram and not for your doubts. 😊
Pandav's advocate , far from the truth changes the entire meaning, This is called point of view
लोकतंत्र और संविधान की जय 🙏
Karna agor itnahi bura tha to fir ushne kunti ko pach pandava ka jibon dan kio diya tha
are Arjun ko chod kor. Arjun ko marne ka pron le liya
karan doshi sir karan bawa madam baw
History ko facts pe discuss kiya jana chahiye narrative pe nahi .
Pandavo ne bhi galti kiya tha manushyon ko daav pe laga ke , duryodhana ne bhi galti ki , Mahabharat to jyada galti aur kam galti ke beech ke selection hain
सती प्रथा के सत्यापन के लिए भी अपलोगों के पास जरूर कुछ न कुछ होगा। अगले वीडियो में उसे भी पेश कर दें।
Sbse pahli baat main ek brahman hun (Goutham Gotra)....
Ese hi hamare dharm ka satya nash kiya jata hai....
Besharmi ki baat ye hai.... Madam ji ne kaha ki dropati ka bohat samman hota tha.... Samman my foot....
1 No ke juwari ko dharmraj kaha gya.... (Kyunki pahliyon ka uttar dena jante the....)
Bisham Pitamah tb chup rahe jb unhe daawan pe lagaya gya, gasita gya or nangi kiya ja rha tha....
Guru Drona charya chup rahe jo pahle Dropati se kahte the tumse mera dougle nata hai.... Putri or Putr Vadhu
Kulguru Kripa charaya chup rahe....
Raja ji jo andhhe the pr sabse gande the....
Kul wadhu ka sabke samne gang rape hone wala tha....
Or besharmi itni ki koi virodh nahi kr rha tha na wanha se ja rha tha....
Sirf ek vidhur and vikarn jo ki koravo me se hi ek tha unhone virodh kiya....
Baki sb ne bari bari gang rape ka pura plan bnaya tha....
Vo to bhala ho Shri Kirshna Ji ka jinhone unke kr pr pani fer diya....
In sb se bahadur thi Ghandari jisne baad me aake ek ek do danta....
Hmare dharm ki nichta ko itna decorate krke btya jaise koi badi baat nahi....
Vo ab bhi dharm raj kaha jata hai mahabarat yudh me sbe pahle marna chaiye tha....
That's the point, this happened. And we need to learn from it.
Ji Sir, Lekin ese ese dharm guru ji apne mann se kisi ko bhi hero bna kr pesh karenge bss apni apni dukan chamkane ke liye.... Fir koi kya siikhega???? Hmare dharm me jo bhi ghatiya baat hai use btana chahiye ki ghatiye baat hai.... Or jo achhi baat hai use btana cahiye ki achhi baat hai....
Brahman hai tu toh tu kuch bhi bakega aur baaki hindu sunenge??? Jaake kuch padh kuch bhi mat bhauk yaha pe
Murkh hai kya??
Tu vedvyas ji se jyada janta hai?? Tune padhi bhi hai mahabharat kbhi??
Khud ko brahman bta rha hai tune ek bhi shatra pdha hai???
Dharma ki definition hi bta de kisi Shastra ko quote krte hue agr tu sach me Brahmin hai to....
Ji pure 18 adhyay padhe hai.... Ved viyas ji ne Dropati chir haran me ye hi likha tha ki dropati ro ro kr sbke madad ki pukar kr rahi thi.... Lekin sirf Vidhur and vikarn (Jo ki kourav me se hi ek tha) unke alawa kisi ne virodh nahi kiya.... Jbki unke pas adhikar bhi tha or samarth bhi tha.... Aap khud ko gyani samjhte ho to btaiye kabhi agar aapka koi beta kisi stri ke sath ese krne ki koishish kre to aapko kya krna chaiye???? Andh bhakt nahi ho to apni antar aatma se ye prashn puchhna.... Varna iss bahas ka koi labh nahi hoga....
महाभारत कोई समाज की लड़ाई नहीं थी यह तो एक परिवार की लड़ाई थी 😢😢
Mahabharat dharm yudh hai. Kya sahi hai kya galat hai eski bariki bahut deep
Hai aaj ki yuth karn ko mahan btati hai
Mujhe dar hai ki hamara sanaatan dharm kis disha ko ja ra hai 😢😢
युधिष्ठिर स्वयं धर्मराज थे. वे जानते थे आखिर जय धर्म कि होती है. खेलने तो दुर्योधन बुलाया लेकिन उसे खेलने युधिष्ठिर ने लगाया.
Reality to ye hai ki aap kuch bhi ho , bhagwan ko jo karna hai wo kishi Karan banake karvaye hai😂 so don't use mind what God give you role just doing it as per your buddhi
@@davehiren3324 बुद्धी तो भगवान हि दिये है ना
Aap wahaaa pe cameraa women theee live recording kar raheee theee
Kon hai yaar ye log. Kaha se aate hai...
Don't give excuses. Putting Draupadi on daav was a big fault.
द्रौपदी ने एक महत्पूर्ण प्रश्न किया था। क्या युधिष्ठिर ने उन्हें दाव पर स्वयं के दाव पर लगाने के पहिले लगाया या बाद में। असल में खुद को दाव पर लगाने के बाद युधिष्ठिर दास हो चुके थे और उनके पास कुछ नहीं बचा था, द्रौपदी भी नहीं।
very intelligent log hain aap andh bhagat sirf india main paye jaate hain
@@pe1473pe exactly
मुझे बचपन से यह प्रश्न कचोटता है कि युधिष्ठिर जब दास बन गए तो जो भाई और पत्नी rajputra और rajpatni थे उन्हें दांव पर लगा ही कैसे सकते थे, आख़िर एक दास किसी स्वतंत्र व्यक्ति के बारे में निर्णय लेने का अधिकारी कैसे हुआ यदि सदाचार पर एक बार न भी ध्यान दें तब भी
वो नियम से भी भाइयों और द्रौपदी किसी को दांव पर लगाने के अयोग्य थे
History is written my winners… The way it suits them to portray themselves as hero..
We should accept that winners are not always right and true… yudhishthir was an adict dont try to defend his actions
U are right bai
Ye aunti kabhi bhi dharm ki baat nahi karegi balki uska Sahara lekar ghum fir kar karn par jayegi or jitna ho sake karn ki burai karegi..you can notice..
But ye ek baat bhul jaati hai ki jab jab Krishna ka naam ayega tab tab Arjun ka naam ayega..ar jab Arjun ka naam ayega tab logo ko karn ka pata chalega .. uske jeevan ke sangharsh ka pata chalega.. ultimately karn becomes motivation for us more than Arjun...Puri Mahabharat me khud Krishna ne kisi ko approach nhi kiya sivay karn ko.... yudh me shamil hone ke liye pandvo ke saath... Aunty ko to bas AC ke niche baith ke chugli karni hai....bhhhaakkk
Actually the narrative of Karn as an anti hero was created by tv shows, he was a complicated character, he was awfully arrogant and never forgave anyone but he was also a very good warrior and he was power hungry too
Karn would always be studied with Arjuna, Arjuna was a masterclass in being humble
It is not about hating Karn, it is about realising that they made a typical Bollywood story out of him, orphan without parents becomes the ultimate winner
I was in awe of Karn too when I was a teenager but exposure to more reading material, led to the understanding of he had his own set of flaws and also he was a bit of an instigator, half the fights started because he would keep on challenging people and would not stop even when the situation had calmed down
It was less Duryodhan more karn
Abhi apko bahut Gyan ki jarurat hai madam ji
Maidam bakwas maat karo
ये महिला कहना क्या चाह रही है कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा
Apka point of view hai madam 😂😂
ये पिछले जन्म में पितामह थी क्या 😅😅
Andha karna ke andh-bhakt... 😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Jb mahabharat hui tb kya aap udhar tha... fir aap kaise karn ka baare m glat kh rha h
@@Kanika959 Your name suggest that you are so confused... Karna was the main villain of Mahabharata, just like duryodhana, who always participated in every orchestrated plan made by duryodhana against Pandavas, since childhood. Karna's intense jealousy against Arjuna, out of incompetency, led him to his failure multiple times in Mahabharata.
@@Red-Hood12 agar karn itna hi bura tha to kyu inderdev n unsha kavach kudal maange tha
@@Kanika959 Those kawach-kundals belong to Indra Loka, which was given to Karna in his previous life, when he was demon named Sahastrakawacha, as a boon... Now it's time for him to die, so Indra dev wanted his shield back, and to balance that, he even gave Karna more power - vaisavi shakti. It has nothing to do with Arjuna. Otherwise, Indra dev would have demand for Karna's major weapons from his Arsenal, instead of giving him more power. This shows Indra dev was least bothered about Arjuna and more about taking his shield back.
Arjuna already spared Karna's life multiple times, even in final battle in kurukshetra war, Arjuna paused the fight requested by Karna, but by the order of Shri krishna they resumed the fight, as it's time to end the enemy.
@@Kanika959are chodo in gadho ko mat samjhao bhen Karn vastav me ek ache yoddha the isliye swayam bhagwan unke pass jakar unhe apni taraf karne ki koshish kiye wo chahte to dhuryodhn ko bhi samjha sakte the lakin unhone Karn ko accha mante the