CHUNNU MEHARA JI UPARWALA AAP KO ACHCHI SEHAT AUR LAMBI UMRA ATAA KARE # SHUKRIYA AAP NE JO BAATE SHARE KI INDUSTRY KI KHAAS TOUR SE YUSUF KHAN SAAHAB K GUDH KHANE KI AADAT K BARE ME AAP NE BATAYA MAIN B APANI MAA KO HUMESHA CHAI ME AADHA GUDH AUR AADHA SHAKKAR DETA HOON ## TAHE-DIL-SE AAP KA SHUKRIYA BHAI SALAM KAZI THANX # HUMNE KAI BAAR DEKHA HAI CHUNNU JI KO ## JR. MEHMOOD JI K BARE ME AAP NE APNE JO JAJHBAAT JAAHIR KIYE WOH B KAABIL-E- TAARIF HAI #AAP EK NEK INSAAN HO AISE HI BANE RAHIYE ! FRM--F,K,
We lost Kohinoor of India... Mahanayak Dilip Kumar Sahab is one of the most popular actor in the world 🌍🌍🌎🌎🌍🌎🌍🌍🌎🌍🌎 I always love you Dilip Kumar ji ....Aye Allah paak Dilip Kumar ji ko jannat nasib karen AMEEN....RIP...😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सलाम काज़ी साहब, मैं तो आपको सलाम करता हूँ कि आप एक से बढ़कर एक जूनियर कलाकार के बारे में बहुत ज़बरदस्त जानकारी दे रहे हैं...... आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं
दिलीप साहब की आत्मकथा में एक मजेदार किस्सा बयान किया गया है । दिलीप साहब के पिताजी (आगाजी) कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा एक्टर बने । इसलिए , एक्टर बन जाने के बावजूद दिलीप साहब ने यह बात आगाजी से छिपा कर रखी थी । 1947 में जुगनू फिल्म रिलीज हुई थी जिसमें दिलीप साहब ने नूरजहां के साथ काम किया था । उस फिल्म में दिलीप साहब का काम बहुत पसंद किया गया था । एक दिलचस्प संयोग यह था कि कपूर परिवार और आगाजी दोनों ही पेशावर के निवासी रहे थे और मुंबई आने से पहले से ही एक दूसरे को जानते थे । आगाजी और राज जी के दादा जी श्री बशेश्वरनाथ जी अच्छे मित्र थे और एक दूसरा संयोग ये हुआ कि राज जी और दिलीप साहब ने मुंबई में पढ़ाई भी एक ही कॉलेज में की और पारिवारिक जान पहचान के अलावा वे भी एक दूसरे से भलीभाँति परिचित थे । खैर , जुगनू फिल्म रिलीज हुई और उसकी बड़ी पब्लिसिटी भी की गई । पूरे मुंबई में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गये थे । तब आगाजी का फलों का व्यापार था और क्राफर्ड मार्केट के पास ही फलों की मंडी भी थी । एक दिन बशेश्वरनाथ जी अपने पेशावरी दोस्त आगाजी से मिलने फल मंडी पहुँच गए और बोले कि बाहर चलो , मैं तुम को कुछ दिखाना चाहता हूँ । तब बाहर आकर बशेश्वरनाथ जी ने आगाजी को जुगनू फिल्म का एक बड़ा होर्डिंग दिखाया और पूछा कि इस लड़के को पहचानते हो ? आगाजी को अपने लड़के को पहचानने में वक्त नहीं लगा , लेकिन उन्होंने यह भी नोट किया कि हीरो का नाम युसुफ खान नहीं , बल्कि दिलीप कुमार है । खैर , इस वाक़ये का नतीजा यह निकला कि आगाजी ने अपने बेटे से बोलचाल ही बंद कर दी । यह चुप्पी एक दिन खुद आगाजी ने ही तोड़ी जब वे अपने किसी मित्र के घर गए थे जहां उन्होंने दिलीप साहब के काम की बहुत तारीफ़ सुनी । उस दिन घर लौट कर उन्होंने दिलीप साहब को आवाज देकर बुलाया और बातचीत की । यही नहीं , बातचीत शुरू होने से पहले आगाजी ने काम वाले लड़के से अपना हुक्का लाने को कहा और उसमें खुशबूदार तम्बाकू भी डलवाई । इस तरह बाप और बेटे के बीच संवाद चालू हो जाने के बाद जो दूसरा वाकया घटा वो और भी मजेदार है । 1948 में दिलीप साहब की एक दूसरी फिल्म मेला आई जिसकी हिरोइन नरगिस थी और जिसकी कहानी नौशाद साहब ने लिखी थी । संगीत तो खैर नौशाद जी का होना ही था । तब तक आगाजी की दिलीप साहब से नाराजी भी जाती रही थी । तब नौशाद साहब मेला फिल्म दिखाने के लिए आगाजी को सिनेमा हाल ले गए । आगाजी के साथ उनके भाई उमर भी पिक्चर देखने गए थे । पिक्चर देख कर आगाजी और चचा उमर एक साथ बैठक खाने में बैठे । तब दिलीप साहब की वहां पेशी हुई । वहां से चचा उमर दिलीप साहब को साथ लेकर बाहर आए और बताया कि वे मेला फिल्म देख कर आ रहे हैं और उन्हें इस बात की बड़ी तसल्ली है (बल्कि अचरज भी है) कि हाल लगभग भरा हुआ था । दिलीप साहब को यह संदर्भ बता कर चचा भतीजा दोनों बैठक खाने में लौट आए । तब दिलीप साहब को लगा कि आगाजी के दिमाग में कुछ चल रहा है । फिर आगाजी बोले - देखो , तुम अगर उस लड़की से शादी करना चाहते हो मैं उसके माँ-बाप से बात कर सकता हूँ । मुझे बस यह बता दो कि वह है कौन ? एक मिनट के लिए तो दिलीप साहब को समझ ही नहीं पड़ी कि आगाजी किस लड़की की बात कर रहे हैं । फिर उनको समझ पड़ी कि वे फिल्म की हिरोइन नरगिस की बात कर रहे हैं ।😂🤣 असल में आगाजी फिल्में देखने के शौकीन नहीं थे तथापि मेला फिल्म में अपने बेटे को नरगिस के लिए दुःखी देख कर वो आहत हुए थे और बेटे को खुश देखने के लिए ही आगाजी ने यह पेशकश की थी ।
फिल्म जगत के सबसे बड़े नाटकीय और अतिरंजित अभिनेताओं में से एक। नौशाद, जाॅनी वाकर, के. आसिफ, मेहबूब खान, शकील बदायूंनी आदि के साथ फिल्मी माफियाओं के सहयोग से पाकिस्तान समर्थक कलाकारों को प्रमोट करने वाले दिलीप कुमार अभिनय के नाम पर सबसे बड़ा कलंक है।
दिलीप कुमार जी के दुःखद निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आपके जाने से..... "हर चेहरा है उदास हर आँखों में है नमीं, आज रो रहा है आसमां रो रही है ये ज़मीं। आने को तो आएंगे न जाने कितने जहान में, पर महसूस करेंगे हम सदा एक आपकी कमी।।
I am from Peshawar and believe me I also eat gurr after lunch or dinner. This was a normal routine of the people of Peshawar and Pathans. This was quite frequent in the old times. How surprising it is!
" Kullu nafsin zaiqatul maut " (Al Qur'an) Translation : Every soul shall taste death. (हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है) *Maut se koi nahi bach sakta chahe woh Mr. Yusuf Khan ho ya chahe woh Mr. Dilip Kumar ho.*
suuuper
CHUNNU MEHARA JI UPARWALA AAP KO ACHCHI SEHAT AUR LAMBI UMRA ATAA KARE # SHUKRIYA AAP NE JO BAATE SHARE KI INDUSTRY KI KHAAS TOUR SE YUSUF KHAN SAAHAB K GUDH KHANE KI AADAT K BARE ME AAP NE BATAYA MAIN B APANI MAA KO HUMESHA CHAI ME AADHA GUDH AUR AADHA SHAKKAR DETA HOON ## TAHE-DIL-SE AAP KA SHUKRIYA BHAI SALAM KAZI THANX # HUMNE KAI BAAR DEKHA HAI CHUNNU JI KO ## JR. MEHMOOD JI K BARE ME AAP NE APNE JO JAJHBAAT JAAHIR KIYE WOH B KAABIL-E- TAARIF HAI #AAP EK NEK INSAAN HO AISE HI BANE RAHIYE ! FRM--F,K,
Chunnu bhai aap bahut acche actor hai bahut accha lga aap dilip sir k sath kam kiya
Chunnu Mehraj sahab apka
Bahut shukriya apko sunkar
Bahut accha laga aap bhi ek
Behtarin insan ho
Salam bhai Mahemood bhai aap Ka baut baut shkriya baut hi acha laga voh kya baat hai
Speechless.. Dilip sahab
So sweet of you.
We lost Kohinoor of India... Mahanayak Dilip Kumar Sahab is one of the most popular actor in the world 🌍🌍🌎🌎🌍🌎🌍🌍🌎🌍🌎 I always love you Dilip Kumar ji ....Aye Allah paak Dilip Kumar ji ko jannat nasib karen AMEEN....RIP...😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सलाम काज़ी साहब, मैं तो आपको सलाम करता हूँ कि आप एक से बढ़कर एक जूनियर कलाकार के बारे में बहुत ज़बरदस्त जानकारी दे रहे हैं...... आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं
Bahut Khub 👌🏻👍🏻
दिलीप साहब की आत्मकथा में एक मजेदार किस्सा बयान किया गया है ।
दिलीप साहब के पिताजी (आगाजी) कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा एक्टर बने । इसलिए , एक्टर बन जाने के बावजूद दिलीप साहब ने यह बात आगाजी से छिपा कर रखी थी ।
1947 में जुगनू फिल्म रिलीज हुई थी जिसमें दिलीप साहब ने नूरजहां के साथ काम किया था । उस फिल्म में दिलीप साहब का काम बहुत पसंद किया गया था ।
एक दिलचस्प संयोग यह था कि कपूर परिवार और आगाजी दोनों ही पेशावर के निवासी रहे थे और मुंबई आने से पहले से ही एक दूसरे को जानते थे । आगाजी और राज जी के दादा जी श्री बशेश्वरनाथ जी अच्छे मित्र थे और एक दूसरा संयोग ये हुआ कि राज जी और दिलीप साहब ने मुंबई में पढ़ाई भी एक ही कॉलेज में की और पारिवारिक जान पहचान के अलावा वे भी एक दूसरे से भलीभाँति परिचित थे ।
खैर , जुगनू फिल्म रिलीज हुई और उसकी बड़ी पब्लिसिटी भी की गई । पूरे मुंबई में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गये थे ।
तब आगाजी का फलों का व्यापार था और क्राफर्ड मार्केट के पास ही फलों की मंडी भी थी ।
एक दिन बशेश्वरनाथ जी अपने पेशावरी दोस्त आगाजी से मिलने फल मंडी पहुँच गए और बोले कि बाहर चलो , मैं तुम को कुछ दिखाना चाहता हूँ । तब बाहर आकर बशेश्वरनाथ जी ने आगाजी को जुगनू फिल्म का एक बड़ा होर्डिंग दिखाया और पूछा कि इस लड़के को पहचानते हो ?
आगाजी को अपने लड़के को पहचानने में वक्त नहीं लगा , लेकिन उन्होंने यह भी नोट किया कि हीरो का नाम युसुफ खान नहीं , बल्कि दिलीप कुमार है ।
खैर , इस वाक़ये का नतीजा यह निकला कि आगाजी ने अपने बेटे से बोलचाल ही बंद कर दी ।
यह चुप्पी एक दिन खुद आगाजी ने ही तोड़ी जब वे अपने किसी मित्र के घर गए थे जहां उन्होंने दिलीप साहब के काम की बहुत तारीफ़ सुनी । उस दिन घर लौट कर उन्होंने दिलीप साहब को आवाज देकर बुलाया और बातचीत की । यही नहीं , बातचीत शुरू होने से पहले आगाजी ने काम वाले लड़के से अपना हुक्का लाने को कहा और उसमें खुशबूदार तम्बाकू भी डलवाई ।
इस तरह बाप और बेटे के बीच संवाद चालू हो जाने के बाद जो दूसरा वाकया घटा वो और भी मजेदार है ।
1948 में दिलीप साहब की एक दूसरी फिल्म मेला आई जिसकी हिरोइन नरगिस थी और जिसकी कहानी नौशाद साहब ने लिखी थी । संगीत तो खैर नौशाद जी का होना ही था । तब तक आगाजी की दिलीप साहब से नाराजी भी जाती रही थी । तब नौशाद साहब मेला फिल्म दिखाने के लिए आगाजी को सिनेमा हाल ले गए । आगाजी के साथ उनके भाई उमर भी पिक्चर देखने गए थे ।
पिक्चर देख कर आगाजी और चचा उमर एक साथ बैठक खाने में बैठे । तब दिलीप साहब की वहां पेशी हुई । वहां से चचा उमर दिलीप साहब को साथ लेकर बाहर आए और बताया कि वे मेला फिल्म देख कर आ रहे हैं और उन्हें इस बात की बड़ी तसल्ली है (बल्कि अचरज भी है) कि हाल लगभग भरा हुआ था ।
दिलीप साहब को यह संदर्भ बता कर चचा भतीजा दोनों बैठक खाने में लौट आए ।
तब दिलीप साहब को लगा कि आगाजी के दिमाग में कुछ चल रहा है ।
फिर आगाजी बोले - देखो , तुम अगर उस लड़की से शादी करना चाहते हो मैं उसके माँ-बाप से बात कर सकता हूँ । मुझे बस यह बता दो कि वह है कौन ?
एक मिनट के लिए तो दिलीप साहब को समझ ही नहीं पड़ी कि आगाजी किस लड़की की बात कर रहे हैं । फिर उनको समझ पड़ी कि वे फिल्म की हिरोइन नरगिस की बात कर रहे हैं ।😂🤣
असल में आगाजी फिल्में देखने के शौकीन नहीं थे तथापि मेला फिल्म में अपने बेटे को नरगिस के लिए दुःखी देख कर वो आहत हुए थे और बेटे को खुश देखने के लिए ही आगाजी ने यह पेशकश की थी ।
Great human being 👌👌🌺🌺👌👌😃😃
फिल्म जगत के सबसे बड़े नाटकीय और अतिरंजित अभिनेताओं में से एक।
नौशाद, जाॅनी वाकर, के. आसिफ, मेहबूब खान, शकील बदायूंनी आदि के साथ फिल्मी माफियाओं के सहयोग से पाकिस्तान समर्थक कलाकारों को प्रमोट करने वाले दिलीप कुमार अभिनय के नाम पर सबसे बड़ा कलंक है।
दिलीप कुमार जी के दुःखद निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
आपके जाने से.....
"हर चेहरा है उदास हर आँखों में है नमीं,
आज रो रहा है आसमां रो रही है ये ज़मीं।
आने को तो आएंगे न जाने कितने जहान में,
पर महसूस करेंगे हम सदा एक आपकी कमी।।
Nice
Very sad news about Dilip Sahab, arguably the greatest Indian actor ever. May his soul rest in peace
Yes rajni bhut hit serial tha
I am from Peshawar and believe me I also eat gurr after lunch or dinner. This was a normal routine of the people of Peshawar and Pathans. This was quite frequent in the old times. How surprising it is!
I miss you Yusuf sahab
BAKASH AUTOMOBILE KARNATAKA TUMKUR IN INDIA KING OF SULTAN DILIP KUMAR DK SAB ALL TIME BLOCKBUSTERS 😭😭🙏💯 GOLD 🤎💛🧡
Thnks
Rip dilip sahab
The Legendary great Actor Deelip saab...RIP 🙏
" Kullu nafsin zaiqatul maut " (Al Qur'an)
Translation : Every soul shall taste death. (हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है)
*Maut se koi nahi bach sakta chahe woh Mr. Yusuf Khan ho ya chahe woh Mr. Dilip Kumar ho.*
Thanku v much Salam bhai
Salam bhai ko salm aap ne ek din pahele RUclips par daala afsos aaj dilip sahab hum sab ko chod kar chale gaye bhagwan unki aatama ko shanti de
Behad dukhad
Rip.
देश का बैशकीमती हीरा कौहीनूर को अब कोइ वापस नही ला सकता,
Very nice of you chunnu ji
Shahenshah E Jazbat Yusuf Khan
S my
Main chunnu mehraji ko macmohan (sambha) ka bhai samajhta tha...