Param pujya rishivar ji koti naman .Apki baten sunte hi rahen esa lagta hai .sadhak ka soundarya kitni satik manh sthiti ki vyakhya ki apne .hamara dhanyabhag apse judana .🎉🎉
परम आदरणीय गुरुजी सादर प्रणाम गुरु जी मेरा एक प्रश्न है कि माला जप की संख्या प्रतिदिन उतनी ही संख्या में करना होता है।कभी कभी संख्या कम या ज्यादा हो सकता है।बहुत लोग कहते है जितना रोज करते हो उतना ही करना है।संख्या बढ़ा सकते हो घटा नही सकते।इस पर शंका समाधान कीजिये
आत्मीय किसी भी विधा का नियमित अभ्यास स्वयं में ही उत्कर्ष प्रदान करता है। नियमितता का तात्पर्य नित्य उपासना, नियत समय पर उपासना, निर्धारित स्थान पर उपासना और निश्चित समय अवधि अथवा जप संख्या की उपासना से है। इसीलिए एक सी मात्रा का जप नित्य प्रति करने हेतु सुझाया जाता है। इससे साधक के मन में अपनी उपासना के प्रति प्रतिबद्धता बनी रहती है। बहाने तमस द्वारा प्रेरित हो कर भीतर सरक कर न आ जाएं इसी कारण यह प्रावधान है। इसके अतिरिक्त इसका सम्बन्ध दोष इत्यादि से नहीं है। यह भाव दैनिक उपासना के संदर्भ में व्यक्त किया गया है। आगे से अपने प्रश्नो को info@dineshji.com पर व्यक्त करना।
Param pujya rishivar ji koti naman .Apki baten sunte hi rahen esa lagta hai .sadhak ka soundarya kitni satik manh sthiti ki vyakhya ki apne .hamara dhanyabhag apse judana .🎉🎉
Bohot acha laga
Fine. Very good talk. Dhanyavadagalu.
प्रणाम गुरुदेव 🌹🌹🙏
Good evening 🌌
पहले अनुभूति प्रवास की याद ताजा करने के लिए हार्दिक आभार 🙏
Pranam guruji 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Every day morning brhmmuhurat dhyan LIVE at 3.58am
🕉🕉🙏🙏🕉🕉
प्रणाम ऋषिवर🙏🙇♀️
Namashkar 🎉
Nice speach sir
Jay guru dev
जय गुरुदेव
🙏🕉️ परम पूज्य ऋषिवर के स्वर्ण चरणों में नमन 🕉️🙏
गुरु जी मेरे होने के लिए धन्यवाद।
Guru dev ji namaskar
🙏🙏🙏
Pranam guruji
ओम ही। ओम
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Content is great but audio is cracking..
परम आदरणीय गुरुजी सादर प्रणाम
गुरु जी मेरा एक प्रश्न है कि माला जप की संख्या प्रतिदिन उतनी ही संख्या में करना होता है।कभी कभी संख्या कम या ज्यादा हो सकता है।बहुत लोग कहते है जितना रोज करते हो उतना ही करना है।संख्या बढ़ा सकते हो घटा नही सकते।इस पर शंका समाधान कीजिये
आत्मीय किसी भी विधा का नियमित अभ्यास स्वयं में ही उत्कर्ष प्रदान करता है। नियमितता का तात्पर्य नित्य उपासना, नियत समय पर उपासना, निर्धारित स्थान पर उपासना और निश्चित समय अवधि अथवा जप संख्या की उपासना से है। इसीलिए एक सी मात्रा का जप नित्य प्रति करने हेतु सुझाया जाता है। इससे साधक के मन में अपनी उपासना के प्रति प्रतिबद्धता बनी रहती है। बहाने तमस द्वारा प्रेरित हो कर भीतर सरक कर न आ जाएं इसी कारण यह प्रावधान है। इसके अतिरिक्त इसका सम्बन्ध दोष इत्यादि से नहीं है। यह भाव दैनिक उपासना के संदर्भ में व्यक्त किया गया है। आगे से अपने प्रश्नो को info@dineshji.com पर व्यक्त करना।
प्रणाम गुरु देव आप के श्रीचरणों में कोटि कोटि नमन प्रणाम
Kya mai jud sakti hu aapse
क्या आप के गुरु रामशर्मा आचार्य हे? मेरे भी गुरु वहीं है,
ji
Ajapa jap ka arth kya hai mansik jap ? Please reply kyuki mai krti hu mansik jap.
ajapa ka tatpary hai sanso ke sath gayatri jaap karna
Jai guru dev
🙏🙏
प्रणाम गुरु देव
🙏🙏